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Endurance is Basic Basis of Success

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1.सफलता का मूल आधार जीवट (Endurance is Basic Basis of Success),विद्यार्थियों की सफलता का मूल आधार जीवट (Stamina is Basic Basis of Success of Students):

  • सफलता का मूल आधार जीवट (Endurance is Basic Basis of Success) है।जीवट से तात्पर्य हिम्मत,बहादुरी,साहस से लिया जाता है।परंतु जीवट का इतना ही अर्थ नहीं है बल्कि उपर्युक्त अर्थों के अलावा भी कुछ और अधिक अर्थ समेटे हुए है।
    यदि विद्यार्थी में जीवट नहीं हो तो वह अध्ययन छोड़कर भाग खड़ा होता है तथा कुछ और करने की सोचता है।जब अन्य क्षेत्र में भी विपत्तियां,संकट,समस्याएं आ घेरती है तो वहां से भी भाग खड़ा होता है।इस प्रकार के विद्यार्थी की प्रवृत्ति पलायनवादी हो जाती है और वह जीवन में कुछ खास नहीं कर पाता है।जीवन को भार की तरह ढोता है और रोता-झींकता गुजारता है।
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2.जीवट क्या है? (What is Endurance?):

  • मनुष्य के पास पाई जाने वाली संपदाओं बलिष्ठता,सुंदरता,बुद्धिमत्ता,संपन्नता की जानकारी सभी को है।उन्हीं के आधार पर कई तरह की सुख-सुविधाओं एवं सफलताओं का सुयोग बनता है।इन सर्वविदित संपदाओं से भी एक और भी बड़ी क्षमता है,जिसके प्रभाव और परिणाम की जानकारी बहुत थोड़े लोगों को होती है।वह क्षमता है-जीवट।
  • साहस,संतुलन और पराक्रम के समन्वय का अभ्यास जब स्वभाव का अंग बन जाता है तो उसे ‘जीवट’ कहते हैं।जीवट वह धन है,जिसके आधार पर मनुष्य के व्यक्तित्व की प्रखरता और समर्थता का मूल्यांकन किया जाता है।
  • कुछ विद्यार्थी छोटी-छोटी समस्याओं से घबरा जाते हैं।उनके सामने प्रस्तुत समस्याओं का समाधान नहीं मिलता तो उनके दिमाग में नकारात्मकता प्रवेश कर जाती है।वे अपने आपको कम आँकने लगते हैं ऐसे विद्यार्थी परीक्षा अर्थात् मूल्यांकन से पूर्व ही समझ बैठते हैं कि उनको असफलता मिलनी सुनिश्चित है।
  • याद रखिए भगवान भी उसी की सहायता करता है जो खुद अपनी सहायता स्वयं करते हैं,जिनमें जीवट है और जो मैदान छोड़कर भागते नहीं बल्कि परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करते हैं।अब प्रश्न यह उठता है कि जब सब कुछ स्वयं को ही करना है तो भगवान किस प्रकार से हमारी मदद करते हैं।दरअसल भगवान आत्मिक शक्ति के रूप में हर विद्यार्थी और मानव में विराजमान है।
  • यदि उस आत्मिक शक्ति को सही दिशा में लगाया जाए तो यही भगवान द्वारा हमारी सहायता करना हुआ।अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि हम बैठे रहें और भगवान आकर कहीं आसमान से टपक पड़ेंगे और हमारा काम निपटा देंगे।हमें कुछ भी नहीं करना पड़ेगा।दरअसल ऐसी सोच आलसियों और निकम्मों की हुआ करती है,जो या तो लक्ष्य के बिना अपना समय इधर-उधर काटते रहते हैं।
  • जिनमें जीवट है,हौसला है,मुसीबतों का सामना करने का माद्दा है वे ही कुछ कर गुजरते हैं।सफलताएं ऐसे ही लोगों की चेरी बनती हैं।विजयश्री ऐसे ही लोगों के चरण चूमती है।दूसरे लोग जिन कामों को करने पर विश्वास तक नहीं करते उन्हें असंभव मानते हैं,ऐसे जीवट के धनी उन्हें करने के लिए अतिरिक्त आवेश उत्पन्न करते हैं और अनवरत पुरुषार्थ के सहारे अभीष्ट लक्ष्य तक जा पहुंचते हैं।विद्यार्थी में जीवट,अध्यवसाय करने की प्रवृत्ति,सद्बुद्धि और धैर्य हो तो कितना ही बड़ा और दुर्गम लक्ष्य हो उसे भी प्राप्त कर ही लेता है।उपनिषद के वाक्य चैरेवेति चैरेवेति अर्थात् चलते रहो चलते रहो अंत में मंजिल मिल ही जाएगी।

3.जीवट का चमत्कार (The Miracle of Endurance):

  • शरीर में स्फूर्ति,मन में उमंग और उत्साह,आंखों में चमक,चेहरे पर दृढ़ता,होठों पर मुस्कान,भुजाओं में हिम्मत,छाती पर हिम्मत के चिन्ह वहाँ की मांसपेशियाँ प्रकट करती हैं।यह जीवट का ही चमत्कार है।ऐसे लोगों के चिंतन में आत्मविश्वास,वाणी में आश्वासन,व्यवहार में प्रामाणिकता का सहज ही परिचय मिलता है।यह जीवट व्यक्ति के आचरण,उद्देश्य और क्रियाकलाप के कण-कण से प्रकट होती है।वह ओछी या खोखली नहीं होती।उसके निर्णय अनिश्चित और अस्त-व्यस्त नहीं होते।दूरदर्शी सूझ-बूझ भी ऐसे ही लोगों के पास रहती है।दूरदर्शिता,शालीनता और साहसिकता का समन्वय जिसके चिंतन,चरित्र और व्यवहार में घुला हुआ हो,उसे जीवट की संपदा से सुसंपन्न समझा जा सकता है।
  • जेईई-मेन,जेईई-एडवांस्ड,गेट,जैम जैसी कठिन प्रतियोगिता परीक्षाओं को टॉप करने वाले विद्यार्थियों में जीवट ही उन्हें शीर्ष पर पहुंचाता है।साधारण विद्यार्थी इसे चमत्कार,भाग्य अथवा साधन-सुविधाओं को ही श्रेय देते हैं।जबकि वस्तुस्थिति यह है कि जो साधन,सहयोग और अवसर की आशा लगाए बैठे रहते हैं,उन्हें प्रतीक्षा में ही समय गुजारना पड़ता है,पर हिम्मत के धनी जब अपने बलबूते स्वयं ही चल पड़ते हैं तो ऐसा उत्कृष्ट कार्य,श्रेष्ठ लक्ष्य को प्राप्त करना संभव हो जाता है।इन परीक्षाओं में अप्रत्याशित सफलताएं पाने वालों की सूची भी छोटी नहीं है।जीवट,हिम्मत एवं सूझबूझ के रूप में दृष्टिगोचर होने वाली प्राणशक्ति सफलताओं का तीन चौथाई हिस्सा पूरा कर देती है।
  • संसार के विशिष्ट गणितज्ञों,वैज्ञानिकों की प्रभावशाली शक्ति के असंख्य उदाहरण और संस्मरण मिलते हैं।यह उनकी तेजस्विता का ही परिणाम था।
  • समझा यह जाता है कि खिलाड़ियों,सैनिकों,योद्धाओं,शारीरिक परिश्रम करने वालों मजदूरों तथा व्यक्तियों,माल ढोने वालों,फैक्ट्री में काम करने वालों श्रमिकों अर्थात् जिन कार्यों को शारीरिक बल के द्वारा पूरा किया जाता है उन्हें जीवट,हिम्मत,साहस आदि की आवश्यकता होती है।परंतु यह जीवट का एक पहलू ही है।जीवट का दूसरा पहलू आत्मिक शक्ति,तेजस्विता,प्रखरता,आत्म ज्ञान के बल पर जो कार्य करते हैं उनमें भी जीवट का होना आवश्यक है।दरअसल विद्यार्थी में सद्बुद्धि व धैर्य तो हो पर जीवट न हो तो वे जटिल समस्याओं,गणित की जटिल पहेलियों,प्रमेयों को हल नहीं कर पाते हैं क्योंकि सद्बुद्धि व धैर्य भी विद्यार्थी में तभी तक टिके रह सकते हैं जब तक उसमें जीवट हो।सद्बुद्धि ना हो तो धैर्य व जीवट नहीं टिके रह सकते हैं।इसी प्रकार धैर्य के बिना सद्बुद्धि व जीवट टिके नहीं रह सकते हैं।
  • कौषितकी ब्राह्मणोपनिषद के चतुर्थ अध्याय में अजातशत्रु ने जिज्ञासु गार्ग्य को आत्मतेज की विद्या बताई है।वे कहते हैं कि जैसे काष्ठ में अग्नि,दूध में घृत और गन्ने में मिठास रहता है,उसी प्रकार शरीर के कण-कण में आत्मा की सत्ता ओत-प्रोत है।इसे जो जान लेता है,वह तत्वदर्शी बनता है और जो इसका उपयोग करना जानता है,उसकी सामर्थ्य असीम हो जाती है।
    इसी प्रयोग में देवताओं के हारते रहने का समाधान है।इंद्र से कहा गया है कि आत्मज्ञान और आत्मशक्ति गँवा बैठने के कारण ही देवता दुर्बल बने हैं और मनस्वियों से हारने लगे हैं।जो आत्मस्वरूप को समझता है,उसे शक्ति की कमी प्रतीत नहीं होती।जो शक्तिमान है,सो जीतता है,सफल होता है।

4.सभी शक्तियों में जीवट सर्वोपरि (Endurance paramount in all powers):

  • जो विद्यार्थी अध्ययन में आनेवाली समस्याओं को जीवन की सबसे बड़ी बुराई समझता है।अर्थात् वह यह सोचता है कि अध्ययन में दिक्कतों,समस्याओं तथा विद्यार्थी जीवन में पीड़ाओं का सामना ना हो तो ऐसे विद्यार्थी का जीवट समाप्त हो जाता है।उसके व्यक्तित्व का निर्माण नहीं हो सकता है अर्थात् उसका व्यक्तित्व लुंजपुंज ही रहेगा।प्रभावशाली,तेजस्वी व्यक्तित्व का धनी नहीं हो सकता है।
  • राजकीय शक्ति का आधार सेना की प्रखरता और शस्त्रों की उत्कृष्टता हो सकती है।पद और अधिकार में अपनी शक्ति है।समर्थन के बलबूते लोग ऊंचे चढ़ते और बहुत कुछ करते हैं।पैसा भी इस युग की एक शक्ति है,जिससे संसार के सुख-साधनों,प्रवीण मनुष्यों को खरीदा जा सकता है।व्यक्ति की शक्ति उसके शरीर गठन,कला-कौशल और शिक्षा-समझदारी के आधार पर आँकी जाती है।इतने पर भी जीवट का जीवन में सर्वोपरि स्थान ही बना रहेगा।उसी के आधार पर अपने आप को अनुशासित और परिष्कृत किया जा सकता है।प्रगति के लिए बहुत कुछ करने और बनने की आवश्यकता पड़ती है।यह सारा सरंजाम जुटा सकना ‘जीवट’ के अतिरिक्त और किसी आधार पर संभव ही नहीं हो सकता है।
  • कई बार आततायी अपने उत्पात,दुष्टता,दुर्जनता,उद्दंडता से लोगों को सताने लगता हैं।उनकी उद्दंडता देखकर अन्य विद्यार्थी उद्दंडता में अधिक शक्ति समझ बैठते हैं और उन्हें महाबली प्रतीत होते हैं।क्रोध,उद्दंडता,दुर्जन ता,आवेश को शक्ति समझना भूल है।उद्दंडी छात्र इसलिए उद्दंडता कर पाते हैं क्योंकि अन्य छात्र-छात्राएं समझते हैं कि क्यों दुश्मनी मोल ली जाए अथवा वह अन्य विद्यार्थी को सता रहा है उसमें मुझे बीच में पड़ने की क्या जरूरत है।इस प्रकार उद्दंडी छात्र का दुस्साहस बढ़ता जाता है।वरना सरल और सीधे तरीके से अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं उद्दंडी छात्र के विरुद्ध तनकर खड़े हो जाएं तो उसकी हिम्मत नहीं हो सकती की सरल व सीधे-सादे छात्र-छात्राओं को परेशान करें,सताये।
  • अन्याय करनेवाला इतना दोषी नहीं है जितना दोषी अन्याय को सहने वाला होता है।अन्याय सहने वाले में कायरता और भय जैसे दोष पैदा हो जाते हैं।साथ ही वह अन्य छात्र-छात्राओं के लिए भी मुसीबत खड़ी कर देता है क्योंकि अन्यायी छात्र का दुस्साहस बढ़ जाता है।भीरु और डरपोक छात्र-छात्राएं अध्ययन में पिछड़ते चले जाते हैं क्योंकि उनमें आत्मविश्वास नहीं होता है।ऐसे छात्र-छात्राएं अपने आपको कमजोर,फिसड्डी समझते हैं।इस प्रकार एक दुर्गुण के सहारे हमारे मन में अनेक दुर्गुण कब्जा जमा लेते हैं।
  • कमजोर मनोबल वाले छात्र-छात्राएं जीवन में कुछ भी असाधारण कार्य करने में असमर्थ होते हैं।उनमें स्वयं के दुर्गुणों से लड़ने व जूझने का माद्दा नहीं रहता है।ऐसे छात्र-छात्राएं इस पृथ्वी पर जैसे जन्म लेते हैं वैसे ही साधारण तरीके से अपना जीवन काटकर रो-धोकर जीवन व्यतीत करके इस संसार से विदा हो जाते हैं।अत्यन्त सीधे व सरल स्वभाव का भी नहीं होना चाहिए क्योंकि अति सर्वत्र वर्जयेत के अनुसार हर चीज की अति का त्याग कर देना चाहिए।
    यह जीवट है जो मौत तक को चुनौती देती है और अपने व्यक्तित्व की गरिमा को हर परिस्थिति में सुरक्षित रखे रहती है।यही मानव जीवन की सर्वोपरि संपदा है।

5.जीवट का दृष्टांत (Parable of Endurance):

  • जीवन में जो कुछ भयानक है उसका हमें साहसपूर्वक सामना करना पड़ेगा।परिस्थितियों से भागना कायरता है,कायर मनुष्य कभी विजयी नहीं होता।भय,कष्ट और अज्ञान का जब हम सामना करने को तैयार होंगे तभी वे हमारे सामने से भागेंगे।कई बार प्रतिरोध अकारण भयवश भी नहीं हो पाता।सामर्थ्यवान होते हुए भी कई व्यक्ति एक निर्भय,निर्द्वन्द्व अनाचारी से मोर्चा ले पाने में असफल रहते हैं।
  • एक कोचिंग सेंटर में एक उद्दण्डी विद्यार्थी था।वह हमेशा अन्य छात्र-छात्राओं को परेशान करता रहता था।छात्र-छात्राओं को पढ़ने नहीं देता था।अन्य छात्र-छात्राएं उससे बहुत दुखी,परेशान थे।वे गुरुजी को कई बार उसके बारे में शिकायत कर चुके थे।
    उसकी हरकतें यहाँ तक बढ़ गयी कि अब वह गुरुजी के सामने भी छात्र-छात्राओं को तंग करने लगा तथा उनसे मारपीट तक कर देता था।
  • एक बार सभी छात्र-छात्राओं ने मिलकर विचार-विमर्श किया कि गुरुजी मौन रहते हैं।इसको डाँटते डपटते तो हैं परन्तु गुरुजी का कहना भी नहीं मानता।इसको कोचिंग से बहिष्कृत नहीं करते हैं और न इनके माता-पिता से शिकायत करते हैं।अतः अब हमें ही इसका कुछ उपाय करना होगा।
  • एक दिन ज्योंही उसने उत्पात करना प्रारंभ किया तो सभी छात्र-छात्राओं ने मिलकर उसको पकड़कर नीचे पटक दिया।हाथ-पैर पड़कर घसीटने लगे।पक्के फर्श पर रगड़ लगने से उसकी पीठ छिल गई।वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा और उसने कहा कि अब कभी वह बदमाशी नहीं करेगा।परंतु उन्होंने उसे छोड़ा नहीं।अंत में वह गुरुजी के पैरों में गिरकर क्षमा मांगने लगा और कहा कि भविष्य में कभी बदमाशी नहीं करेगा।इसके बाद में उसने बदमाशी करना तो नहीं छोड़ा परंतु कोचिंग में आना छोड़ दिया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में सफलता का मूल आधार जीवट (Endurance is Basic Basis of Success),विद्यार्थियों की सफलता का मूल आधार जीवट (Stamina is Basic Basis of Success of Students) के बारे में बताया गया है।

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6.पढ़ने का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (Reading Method) (Humour-Satire):

  • चिंकू:बिना समझे ही पासबुक से सवालों के हल नोटबुक में उतारते जा रहा था।
  • अंकुर:तुम पासबुक से सवाल का हल उतारने से पहले उसे समझ क्यों नहीं रहे हो? अपने दिमाग से हल करने की कोशिश क्यों नहीं करते?
  • चिंकू:क्या जरूरत है,मुझे पता है की पासबुक में किस सवाल का सॉल्यूशन (हल) है? दिमाग पर ज्यादा जोर डालने की कहाँ जरूरत है?

7.सफलता का मूल आधार जीवट (Frequently Asked Questions Related to Endurance is Basic Basis of Success),विद्यार्थियों की सफलता का मूल आधार जीवट (Stamina is Basic Basis of Success of Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.नर्वस होने से कैसे बचें? (How to avoid being nervous?):

उत्तर:अपने ऊपर आत्मविश्वास रखें।अध्ययन दत्तचित्त होकर,एकाग्रतापूर्वक करें।ज्ञान प्राप्ति में रुचि रखें।किसी कार्य में असफलता मिल भी जाती है तो यह भावना रखें कि हमारे हाथ में कर्म (अध्ययन) करना है उसका फल भगवान के विधि-विधान के अनुसार ही मिलता है तो नर्वस होने से बचा जा सकता है।

प्रश्न:2.क्या मंत्र पाठ से निर्भीक हो सकते हैं? (Can one be bold by reciting mantras?):

उत्तर:केवल मंत्र पाठ से साहसी,पराक्रमी,बहादुर नहीं बना जा सकता है।मंत्र पाठ के साथ-साथ सदाचार को अपने जीवन में,आचरण में उतारे।सदाचारी व्यक्ति साहसी होता है,निर्भीक होता है,किसी से (भगवान व बुरे काम के अलावा) नहीं डरता है।हमेशा अच्छे लोगों की,अपने गुण,कर्म,स्वभाव वाले लोगों के साथ संगति करनी चाहिए।इतने नियमों का पालन करने से निर्भीक हुआ जा सकता है।

प्रश्न:3.सहनशीलता और कायरता में क्या अंतर है? (What is the difference between tolerance and cowardice?):

उत्तर:(1.)नीति,न्याय और क्षमा भाव के साथ,समर्थ होते हुए भी,विपरीत स्थिति को सहन करना सहनशीलता है और कमजोरी,विवशता और भय के कारण करने योग्य कर्त्तव्य का पालन न करना कायरता है।
(2.)मनुष्य जितना ही चाहता है,उतनी ही उसकी प्राप्ति करने की शक्ति बढ़ती है।अभाव पर विजय पाना ही जीवन की सफलता है।उसे स्वीकार करके उसकी गुलामी करना ही कायरता है।मनुष्य समर्थ होते हुए भी कटु उक्तियों को किसी प्रकार सहन कर लेता है तो सहनशीलता है।छोटी-छोटी बातों पर भड़क नहीं उठता है वह सहनशीलता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सफलता का मूल आधार जीवट (Endurance is Basic Basis of Success),विद्यार्थियों की सफलता का मूल आधार जीवट (Stamina is Basic Basis of Success of Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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