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Creative Thinking in Mathematics

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2 2.गणित में सर्जनात्मक चिन्तन (Creative Thinking in Mathematics),गणित में सर्जनात्मकता (Creativity in Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1.गणित में सर्जनात्मक चिन्तन (Creative Thinking in Mathematics),गणित में सर्जनात्मकता (Creativity in Mathematics):

  • गणित में सर्जनात्मक चिन्तन (Creative Thinking in Mathematics) का बहुत महत्त्व है।आज जो हम आधुनिक गणित का स्वरूप देख रहे हैं,यह बहुत से गणितज्ञों के सर्जनात्मक चिन्तन का ही परिणाम है।गणित में परम्परागत व्याप्त निष्क्रियता,अरुचिपूर्ण गणित की विषयवस्तु, नीरसता को दूर करने में गणित में सृजन का योगदान है।
    गणित में केवल अभ्यास से पूर्णता तथा दक्षता (Efficiency) प्राप्त करना सम्भव नहीं है।इसलिए अध्यापक व छात्र-छात्राओं का दृष्टिकोण प्रगतिशील एवं सर्जनात्मक होना चाहिए।सर्जनात्मक चिन्तन से तात्पर्य यह है कि ज्ञात तथ्यों के आधार पर नई विषयवस्तु,ज्ञान का निर्माण करना।
  • सर्जनात्मक चिन्तन से तात्पर्य यह नहीं है कि आप मस्तिष्क पर बलपूर्वक चिन्तन करने का दबाव बना रहे हैं।सर्जनात्मक चिन्तन तथा कल्पना में अन्तर यह होता है कि सर्जनात्मक चिन्तन समस्या समाधान तथा लक्ष्यकेन्द्रित होता है जबकि कल्पना में हमारे सामने कोई समस्या नहीं होती है।सर्जनात्मक चिन्तन में तर्क-वितर्क के द्वारा किसी समाधान तक पहुँचने का प्रयास करते हैं।ज्ञात तथ्यों,प्रमाणों के आधार पर नए ज्ञान का निर्माण करते हैं,समस्या का समाधान करते हैं।अथवा पहले ही विषयवस्तु है उसमें अपनी ओर से चिंतन करके अतिरिक्त विषय वस्तु का निर्माण करते हैं।सृजनात्मक चिंतन में संघर्ष नहीं होता है बल्कि सहज अनुभूति होती है।जैसे कोई छात्र-छात्रा गणित की प्रश्नावली हल निकालने के लिए पुस्तक खोलता है तो उसमें यदि गणित की अच्छाइयां,उसकी विलक्षणता देखता है तब गणित की समस्याएं उसके लिए आनंद का स्रोत हो जाएंगी।यदि गणित को कोई छात्र-छात्रा समस्या के रूप में देखता है,खिन्न मन से देखता है तो उसके लिए गणित के सवाल जटिल से जटिल होते जाएंगे।
  • सर्जनात्मक चिंतन आगमन चिन्तन भी कहा जाता है।इस तरह के चिंतन में जब तक ज्ञात तथ्यों के आधार पर नया तथ्य नहीं जोड़ा जाता है अथवा निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जाता है तब तक वह सर्जनात्मक चिन्तन नहीं होता है।अर्थात् जब तक नवीन तथ्यों का सर्जन (create) नहीं करता है तब तक न तो समाधान तक पहुंचा जा सकता है और न वह सर्जनात्मक चिंतन होता है।जैसे त्रिकोणमिति का साधारण उपयोग है कि त्रिभुज की भुजाएं अथवा कोण ज्ञात होने पर अन्य कोण तथा भुजाओं का मान ज्ञात करना परंतु हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी अथवा किसी मीनार की ऊंचाई ज्ञात करना इसका असाधारण उपयोग हो गया।सर्जनात्मक चिन्तन के मुख्य तत्त्व:
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(1.)अनेक बार प्रयास करना (Make Many Attempts):

  • गणित के जटिल सवालों को हल करते समय किसी एक ढंग से सवाल हल नहीं हो रहे हों तो बार-बार प्रयास करते हुए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं।बार-बार प्रयास करते हैं जब तक हम समाधान तक नहीं पहुंच जाते हैं।लेकिन गणित की समस्याओं को हल करते समय यदि समाधान तक नहीं पहुंचते हैं तो जो तरीका अपनाया गया है उसकी जांच भी करते हैं।जांच (Review) करने के बाद किसी अन्य विकल्पों पर विचार करते हैं। बार-बार अभ्यास करने,विभिन्न विकल्पों का प्रयोग करने में हमें अंतर्दृष्टि (Intuition Power) का सहारा समाधान तक जल्दी पहुंचा देता है।

(2.)गत अनुभव (Past Experience):

  • गणित की विभिन्न समस्याओं को हल करते समय हम अपने पिछले अनुभव का प्रयोग करते हैं।किसी भी समस्याओं को हल करने में बुद्धि और अनुभव सर्वविदित है।बिना अनुभव सर्जनात्मक  चिंतन केवल कल्पना बनकर रह जाता है जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है।जैसे {2^2}^{n}+1 एक अभाज्य संख्या है।इस सिद्धान्त को कुछ उदाहरण द्वारा हल करके सत्य मान लिया गया।परंतु गणितज्ञ Leonhard Euler ने स्पष्ट किया कि {2^2}^{5}+1=4294967297 अभाज्य संख्या नहीं है।इसलिए सामान्यीकरण करते हुए विस्तृत जांच कर लेनी चाहिए।

(3.)समस्याओं को टुकड़ों में बांटना (Divide the Problem into Pieces):

  • कई बार कोई जटिल समस्या को हल करते समय हल नहीं हो पाती है।परंतु यदि समस्या को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर हल करते हैं तो उसका तत्काल हल निकल जाता है।इस प्रकार समस्या को टुकड़ों में बांटकर हल करते हैं तो समस्या हल भी हो जाती है और समाधान भी शीघ्र हो जाता है।जैसे किसी चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात करना हो तथा उसके शीर्षों के निर्देशांक ज्ञात हों तो चतुर्भुज के विकर्ण द्वारा उसे दो त्रिभुजों में विभाजित कर लेते हैं।फिर प्रत्येक त्रिभुज का क्षेत्रफल अलग-अलग ज्ञात करके उनको जोड़कर चतुर्भुज का क्षेत्रफल निकाला जा सकता है।

(4.)बुद्धि का प्रयोग (Use of Wisdom):

  • सर्जनात्मक चिन्तन तथा बुद्धि में आपस में गहरा संबंध होता है।यह देखा गया है कि कम बुद्धि वाले सर्जनात्मक चिन्तन नहीं कर पाते हैं।इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी बुद्धिमान व्यक्तियों में सर्जनात्मकता पाई जाती है परंतु इनमें धनात्मक संबंध होता है।अर्थात् यदि हमारी बुद्धि सतोगुण (सत्त्वबुद्धि) वाली होती जाती है उसी अनुपात में सर्जनात्मकता बढ़ती जाती है।सर्जनात्मक चिन्तक इसीलिए होते हैं क्योंकि उनमें चिन्तन करने तथा बुद्धि की अधिकता सत्त्वगुण वाली बुद्धि होती है।सृजनात्मकता में विचारों में नवीनता और मौलिकता पाई जाती है।
  • सर्जनात्मक चिंतन में रूढ़िवादी विचारों को ग्रहण नहीं किया जाता है बल्कि मौलिक तथ्यों,ज्ञान तथा विषयवस्तु का पता लगाया जाता है।सर्जनात्मक विचारकों को हमेशा नई तथा मौलिक खोज करने में आनंद की अनुभूति होती है।

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(5.)निष्कर्ष (Conclusion of Creative Thinking in Mathematics):

  • वस्तुतः गणित में नवीन व मौलिक ज्ञान का सृजन करने हेतु पर्याप्त अनुभव व सधे हुए दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।यदि ज्ञान का विषय गणित की अत्यंत जटिल समस्याएं हों तब तो उच्च कोटि के ज्ञान की आवश्यकता होती है।गणित का क्षेत्र इतना विस्तृत व गहन हो गया है कि इसमें सर्जनात्मक चिन्तन की अत्यंत आवश्यकता है।सर्जनात्मक चिन्तन में यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो यह चिन्तन उच्चकोटि का होता जाता है।
  • प्रथम बात तो यह है कि यह सर्जनात्मक चिंतन लक्ष्य केंद्रित होना चाहिए।अर्थात् गणित की समस्याओं को हल करना,गणित के तथ्यों,प्रमाणों के आधार पर नई विषयवस्तु तथा तथ्यों का निर्माण करना लक्ष्य हो सकता है।इस प्रकार का निर्माण करना अनूठा तथा मौलिक होता है।सृजनात्मक चिंतन में यदि एक पहलू से,ढंग से समाधान नहीं हो रहा हो तो उसके अन्य पहलुओं,अन्य तरीकों तथा अन्य ढंग से हल करने की दिशा में चिंतन करना चाहिए।भिन्न-भिन्न दिशा में चिंतन करने से सृजन मौलिक तथा अद्वितीय बन जाता है।
  • सर्जनात्मक चिन्तन में गत सार्थक ज्ञान व अनुभव का सहारा लेना चाहिए।सार्थक से तात्पर्य है कि जो समस्या है उससे संबंधित आपका ज्ञान,आपका अनुभव।ध्येय,चिंतन करने वाले विषय से संबंधित आपका ज्ञान।सृजनात्मक चिंतन करते समय अगली बात यह ध्यान रखनी चाहिए कि समस्या या नवीन ज्ञान की रचना करने से संबंधित पूर्व में जो ज्ञात तथ्य,सामग्री है उनको एकत्रित कर लेना चाहिए।
  • उपर्युक्त विवरण में गणित में सर्जनात्मक चिन्तन (Creative Thinking in Mathematics),गणित में सर्जनात्मकता (Creativity in Mathematics) के बारे में बताया गया है।

2.गणित में सर्जनात्मक चिन्तन (Creative Thinking in Mathematics),गणित में सर्जनात्मकता (Creativity in Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणित में Creative Thinking क्या है? (What is Creative Thinking in Mathematics):

उत्तर:गणित में,रचनात्मक सोच तब होती है जब छात्र सामान्यीकरण करते हैं।सामान्यीकरण में एक से अधिक मामलों में सामान्य गुणों या पैटर्न की पहचान करना और सामान्य गुणधर्मों,पैटर्न या संबंध का वर्णन करने के लिए एक नियम (अनुमान) का संचार करना शामिल है।

प्रश्न:2.गणित में रचनात्मकता का उपयोग कैसे किया जाता है? (How is creativity used in math?):

उत्तर:”[रचनात्मकता] उदाहरण के लिए,समस्या को हल करने में एम्बेडेड (Creativity is Embedded in problem solving) है।आपको समस्याओं को परिभाषित करने और हल करने के नए तरीकों के बारे में सोचने के लिए रचनात्मकता का उपयोग करना चाहिए।
हम यह जानना चाहते थे कि क्या सिद्धांत रूप में, डिजिटल उपकरण विकसित करना संभव था जो रचनात्मक गणितीय सोच विकसित करते थे और इसे मापा जाता था।

प्रश्न:3.आप छात्रों के बीच गणित में रचनात्मक सोच कैसे विकसित कर सकते हैं? (How can you develop creative thinking in mathematics among students?):

उत्तर:गणित में अधिक रचनात्मकता जोड़ने के लिए यहां पांच सरल तरीके दिए गए हैं।
उत्तर:समस्याओं को खोलें-समाप्त करें (Make Problems Open-Ended)।
छात्रों को अपनी समस्याएं पैदा करने के लिए कहें (Have Students Create Their Own Problems)।
अलग-अलग सोच कौशल का निर्माण करें (Build Divergent Thinking Skills)।
फिक्सेशन पर काबू पाएं (Overcome Fixation)।
Analogical Thinking को प्रोत्साहित करें (Encourage Analogical Thinking)।

प्रश्न:4.गणित में रचनात्मकता क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is creativity important in math?):

उत्तर:गणित की खोज रचनात्मक रूप से दो-तरफा सीखने की प्रक्रिया की आवश्यकता होती है और शिक्षक को अपने अनुभवों के माध्यम से महत्वपूर्ण गणित कौशल और अवधारणाओं की विद्यार्थियों की समझ और प्रतिधारण का अनुमान लगाने में सक्षम बनाता है।
रचनात्मक रूप से गणित की खोज: विद्यार्थियों को सक्रिय शिक्षार्थियों के रूप में अपने सीखने का स्वामित्व लेने के लिए सशक्त बनाता है।

प्रश्न:5.क्या आपको गणित में रचनात्मकता की आवश्यकता है? (Do you need creativity in math?):

उत्तर:प्रतिभा विकास के लिए गणित की समस्याओं की खोज में रचनात्मक अनुप्रयोगों की आवश्यकता होती है।पूर्व निर्धारित उत्तरों के साथ बंद समस्याओं का उपयोग करके प्रदर्शन और अभ्यास को शामिल करने वाले पारंपरिक शिक्षण विधियां अपर्याप्त रूप से गणित में छात्रों को तैयार करती हैं।

प्रश्न:6.मैं अपनी गणितीय सोच में सुधार कैसे कर सकता हूं? (How can I improve my mathematical thinking?)गणित कौशल में सुधार कैसे करें? (How to improve math skill?):

उत्तर:अवधारणाओं के चारों ओर अपने सिर लपेटें (Wrap your head around the concepts)।
खेल-आधारित सीखने की कोशिश करें (Try game-based learning)।
दैनिक जीवन में गणित लाएं (Bring math into daily life)।
दैनिक अभ्यास को लागू करें (Implement daily practice)।
स्केच शब्द समस्याओं (Sketch word problems).
यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करें (Set realistic goals)।
एक गणित शिक्षक के साथ जुड़ें (Engage with a math tutor)।
एक समय में एक अवधारणा पर ध्यान केंद्रित करें (Focus on one concept at a time)।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में सर्जनात्मक चिन्तन (Creative Thinking in Mathematics),गणित में सर्जनात्मकता (Creativity in Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Creative Thinking in Mathematics

गणित में सर्जनात्मक चिन्तन
(Creative Thinking in Mathematics)

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गणित में सर्जनात्मक चिन्तन (Creative Thinking in Mathematics) का बहुत महत्त्व है।
आज जो हम आधुनिक गणित का स्वरूप देख रहे हैं,यह बहुत से गणितज्ञों के सर्जनात्मक चिन्तन का ही परिणाम है।
गणित में परम्परागत व्याप्त

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