Central Orbit Dynamics
1.गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा (Central Orbit Dynamics),स्तब्धिका दूरी और स्तब्धिका कोण को परिभाषित करो (Define Apsidal Distance and Apsidal Angle):
गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा (Central Orbit Dynamics):किसी केन्द्रीय बल के प्रभाव के अधीन चलने वाले किसी कण की गति के पथ को संकेन्द्र कक्षा कहते हैं।
स्तब्धिका की परिभाषा (Definition of Apse): एक संकेन्द्र कक्षा में स्तब्धिका का वह बिन्दु जहां बल केन्द्र के सापेक्ष ध्रुवीय रेखा r अधिकतम अथवा न्यूनतम होता है।
स्तब्धिका दूरी की परिभाषा (Definition of Apsidal Distance):स्तब्धिका की बल केन्द्र से दूरी (ध्रुवान्तर रेखा की लम्बाई) को स्तब्धिका दूरी कहते हैं।
स्तब्धिका कोण की परिभाषा (Definition of Apsidal Angle):दो क्रमागत स्तब्धिका रेखाओं के मध्य कोण स्तब्धिका कोण कहलाता है।
उपसौर की परिभाषा (Definition of Perihelion):किसी संकेन्द्र कक्षा का वह बिन्दु जो बल केन्द्र से न्यूनतम दूरी पर होता है उपसौर कहलाता है।
अपसौर की परिभाषा (Definition of Aphelion):किसी संकेन्द्र कक्षा का वह बिन्दु जो बल केन्द्र से अधिकतम दूरी पर होता है अपसौर कहलाता है।
स्तब्धिका की परिभाषानुसार,स्तब्धिका पर r अधिकतम या न्यूनतम होता है।इसलिए जहां \frac{dr}{d \theta}=0 और \frac{d u}{d \theta}=0 हो।
पुनः यदि p बल केन्द्र से पथ के किसी बिन्दु पर स्पर्शी रेखा पर लाम्बिक दूरी है तथा बिन्दु की बल केन्द्र से दूरी r=\frac{1}{u} है तब
\frac{1}{p^{2}}=u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}
जब \frac{d u}{d \theta}=0, \frac{1}{p^{2}}=u^{2}=\frac{1}{r^{2}} \Rightarrow p=r
इससे यह स्पष्ट हौता है कि स्तब्धिका पर ध्रुवीय रेखा स्वयं ही स्पर्शी के लम्ब होती है।अतः स्तब्धिका वह बिन्दु है जिस पर कण ध्रुवान्तर रेखा के लम्ब दिशा में चल रहा होता है।
प्रमेय (Theorem):विश्लेषिक विधि से सिद्ध करो कि जब केन्द्रीय त्वरण दूरी की कोई पूर्णांकीय घात के समानुपाती हो तब अधिकतम दो स्तब्धिका दूरीयां होती है।
(Prove analytically that when the central acceleration varies as some integral power of the distance,there are at the most two aspidal distance.)
प्रमाण (Proof):माना कि केन्द्रीय त्वरण
P=\mu r^{n}=\mu u^{-n}
जहां n एक पूर्णांक है।
अब संकेन्द्र कक्षा (पथ) के अवकल समीकरण से-
\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}+u=\frac{p}{h^{2} u^{2}}=\frac{\mu u^{-n}}{h^{2} u^{2}} \\ \Rightarrow \frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}+u=\frac{\mu u^{-n-2}}{h^{2}} \cdots(1)
दोनों पक्षों को 2 \frac{du}{d \theta} से गुणा करके समाकलन करने पर-
h^{2}\left\{\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}+u^{2}\right\}=\frac{\mu u^{-n-1}}{-n-1}+A \cdots(2)
स्तब्धिका पर \frac{du}{d \theta}=0
(2) में \frac{du}{d \theta}=0 प्रतिस्थापित करने पर-
h^{2} u^{2}=-\left\{\frac{\mu u^{-(n+1)}}{(n+1)}\right\}+A \\ \Rightarrow r^{n+1}-\left \{ \frac{(n+1) A}{\mu} \right \} r^{2}+\left\{\frac{(n+1)}{\mu}\right\}h^{2}=0 \cdots(3)
अब समीकरण (3) से स्पष्ट है कि इसके पदों के चिन्हों में हुए परिवर्तनों की संख्या 2 से अधिक नहीं हो सकती चाहे जो भी मान n या A का हो।अतः डिसकार्ट का चिन्हों के नियमानुसार समीकरण (3) के 2 से अधिक धनात्मक मूल नहीं हो सकते अर्थात् r के अधिकतम दो धनात्मक मान होंगे।फलत: अधिक से अधिक दो स्तब्धिका दूरीयां हैं।
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2.गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा के उदाहरण (Central Orbit Dynamics Examples),स्तब्धिका दूरी और स्तब्धिका कोण को परिभाषित करो के उदाहरण (Define Apsidal Distance and Apsidal Angle Examples):
Example-1.एक कण बल m \mu\left[3 a u^{4}-2\left(a^{2}-b^{2}\right) u^{5}\right],a>b के अधीन गतिशील है और इसे a+b दूरी पर स्तब्धिका से,वेग \frac{\sqrt{\mu}}{a+b} से फेंका जाता है।प्रदर्शित कीजिए कि इसकी संकेन्द्र कक्षा r=a+b \cos \theta है।
(A particle moves under a force m \mu\left[3 a u^{4}-2\left(a^{2}-b^{2}\right) u^{5}\right],a>b and is projected from an apse at a distance a+b with velocity \frac{\sqrt{\mu}}{a+b} ,show that its orbit is r=a+b \cos \theta .)
Solution-संकेन्द्र कक्षा (पथ) के अवकल समीकरण से-
P=h^{2} u^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=\mu\left[3 a u^{4}-2\left(a^{2}-b^{2}\right) u^{5}\right] \\ \Rightarrow h^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=\mu\left[3 a u^{2}-2\left(a^{2}-b^{2}\right) u^{3}\right]
दोनों पक्षों को 2\left ( \frac{du}{d \theta} \right ) से गुणा करके समाकलन करने पर-
v^{2}=h^{2}\left[u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}\right]=\mu\left[2 a u^{3}-\left(a^{2}-b^{2}\right) u^{4}\right]+A \cdots(1)
हमें h^{2} का मान प्रारम्भिक स्थिति से ज्ञात करना है-
जब r=a+b \Rightarrow u=\frac{1}{a+b}
तब \frac{du}{d \theta}=0 स्तब्धिका पर
तथा v^{2}=\frac{\mu}{(a+b)^{2}} (दिया है)
\frac{\mu}{(a+b)^{2}}=h^{2} \left [ \frac{1}{(a+b)^{2}}+0 \right ]=\mu \left [ \frac{2a}{(a+b)^{3}}-\frac{a^{2}-b^{2}}{(a+b)^{4}} \right ]+A
\Rightarrow h^{2}=\mu तथा 1=\frac{2 a-(a-b)}{a+b}+A \Rightarrow 1=1+A \\ \Rightarrow A=0
समीकरण (1) में h^{2} तथा A का मान रखने पर-
\mu \left[u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}\right]=\mu \left[2 a u^{3}-\left(a^{2}-b^{2}\right) \cdot u^{4}\right] \\ \Rightarrow\left(-\frac{1}{r^{2}} \frac{d r}{d \theta}\right)^{2}=\frac{2 a}{r^{3}}-\frac{\left(a^{2}-b^{2} \right)}{r^{4}}-\frac{1}{r^{2}}\left[\because u=\frac{1}{r}\right] \\ \Rightarrow \left(\frac{d r}{d \theta}\right)^{2}=2 a r-a^{2}+b^{2}-r^{2} \\ =b^{2}-(r-a)^{2} \\ \Rightarrow \frac{d r}{d \theta}=\left[b^{2}-(r-a)^{2}\right]^{\frac{1}{2}} \\ \Rightarrow \frac{d r}{\sqrt{\left[b^{2}-(r-a)^{2}\right]}}=d \theta
समाकलन करने पर-
\sin ^{-1}\left(\frac{r-a}{b}\right)=\theta+B \\ \theta=0 ; r=a+b, \therefore B=\sin ^{-1}(1)=\frac{\pi}{2} \\ \sin ^{-1}\left(\frac{r-a}{b}\right)=\theta+ \frac{\pi}{2}\\ \Rightarrow\left(\frac{r-a}{b}\right)=\sin (\theta+\frac{\pi}{2}) \\ \Rightarrow(r-a)=b \cos \theta \\ \Rightarrow r=a+b \cos \theta
Example-2.एक कण केन्द्रीय त्वरण \mu\left(r+\frac{a^{4}}{r^{3}}\right) सहित गतिशील है और इससे a दूरी पर स्तब्धिका से 2 \sqrt{\mu} a वेग से फेंका जाता है। सिद्ध करो कि यह वक्र r^{2}(2+\cos \sqrt{3} \theta)=3 a^{2} की रचना करता है।
(A particle moves with a central acceleration \mu\left(r+\frac{a^{4}}{r^{3}}\right) being projected from an apse at a distance a with a velocity 2 \sqrt{\mu} a ;prove that it describes the curve r^{2}(2+\cos \sqrt{3} \theta)=3 a^{2} .)
Solution-संकेन्द्र कक्षा (पथ) के अवकल समीकरण से-
h^{2} u^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=p=\mu\left(\frac{1}{u}+a^{4} u^{3}\right) \\ \Rightarrow h^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=\mu\left(\frac{1}{u^{3}}+a^{4} u\right)
दोनों पक्षों को 2\left ( \frac{du}{d \theta} \right ) से गुणा करके समाकलन करने पर-
v^{2}=h^{2}\left[u^{2}+\left ( \frac{du}{d \theta} \right )^{2}\right]=\mu \left(-\frac{1}{u^{2}}+a^{4} u^{2}\right)+A
प्रारम्भिक स्थिति में u=\frac{1}{a}, \quad \frac{d u}{d \theta}=0, r^{2}=4 \mu a^{2}
\therefore h^{2}=4 \mu a^{4} तथा A=4 \mu a^{2}
\left(\frac{du}{d \theta}\right)^{2} =\frac{1}{4 a^{4}}\left(-\frac{1}{u^{2}}+a^{4} u^{2}+4 a^{2}\right)-u^{2} \\ =\frac{-1+4 a^{2} u^{2}-3 a^{4} u^{4}}{4 a^{4} u^{2}} \\ =\frac{-3}{4 u^{2}}\left(u^{4}-\frac{4}{3} \cdot \frac{u^{2}}{a^{2}}+\frac{4}{9 a^{4}}-\frac{4}{9 a^{4}}+\frac{1}{3 a^{4}}\right) \\ \Rightarrow \frac{d u}{d \theta}=\frac{\sqrt{3}}{2 u}\left[\left(\frac{1}{3 a^{2}}\right)^{2}-\left(u^{2}-\frac{2}{3 a^{2}}\right)^{2}\right]^{\frac{1}{2}}
Put u^{2}-\frac{2}{3 a^{2}}=t \Rightarrow 2 u d u=d t \\ \frac{d t}{\sqrt{\left(\frac{1}{3 a^{2}}\right)^{2}-t^{2}}}=\sqrt{3} d \theta
समाकलन करने पर-
\Rightarrow \int \frac{d t}{\sqrt{\left(\frac{1}{3a^{2}}\right)^{2}-t^{2}}}=\int \sqrt{3} d \theta \\ \Rightarrow \left(\sin ^{-1} t\right)\left(3 a^{2}\right)=\sqrt{3} \theta+B
जब u=\frac{1}{a} तब t=\frac{1}{a^{2}}-\frac{2}{3 a^{2}}=\frac{1}{3 a^{2}} तथा \theta=0 \\ \therefore \sin^{-1} \left(\frac{1}{3 a} \cdot 3 a^{2}\right)=0+B \Rightarrow B=\frac{\pi}{2} \\ \Rightarrow t \cdot \left( 3 a^{2} \right)=\sin \left(\frac{\pi}{2}+\sqrt{3} \theta\right) \\ \Rightarrow 3 a^{2} t=\cos (\sqrt{3} \theta) \\ \Rightarrow \left(u^{2}-\frac{2}{3 a^{2}}\right) 3 a^{2}=\cos (\sqrt{3} \theta) \\ \Rightarrow \frac{3 a^{2}}{r^{2}}-2=\cos (\sqrt{3} \theta) \\ \Rightarrow 3 a^{2}=r^{2}(2+\cos \sqrt{3} \theta)
Example-3. एक संकेन्द्र कक्षा में बल \mu u^{3}\left(3+2 a^{2} u^{2}\right) है।a दूरी पर स्थित एक कण को ध्रुवान्तर से \tan ^{-1}\left(\frac{1}{2}\right) कोण बनाते हुए \left(\sqrt{\frac{5 \mu}{a^{2}}} \right) वेग से प्रक्षिप्त किया गया है,तो प्रदर्शित कीजिए कि कण के पथ का समीकरण r=a \tan \theta है।
(In a central orbit the force is \mu u^{3}\left(3+2 a^{2} u^{2}\right) ;if the particle be projected at a distance a with velocity \left(\sqrt{\frac{5 \mu}{a^{2}}} \right) in a direction making \tan ^{-1}\left(\frac{1}{2}\right) with the radius vector show that the equation to the path is r=a \tan \theta.)
Solution-संकेन्द्र कक्षा (पथ) के अवकल समीकरण से-
p=h^{2} u^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right) =\mu u^{3}\left(3+2 a^{2} u^{2}\right)\\ \Rightarrow h^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=\mu \left(3 u+2 a^{2} u^{3}\right)
दोनों पक्षों को 2\left ( \frac{du}{d \theta} \right ) से गुणा करके समाकलन करने पर-
v^{2}=h^{2}\left[u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}\right]=\mu \left(3 u^{2}+a^{2} u^{4}\right)+A \cdots(1)
प्रारम्भिक स्थिति में कण स्तब्धिका से प्रक्षिप्त नहीं किया गया है अतः \frac{d u}{d \theta} \neq 0 \\ u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}=\frac{1}{p^{2}} तथा p=r \sin \phi \\ \phi=\tan^{-1} \left(\frac{1}{2}\right) \Rightarrow \tan \phi= \frac{1}{2} \Rightarrow \sin \phi=\frac{1}{\sqrt{5}} \\ \Rightarrow p=r \sin \phi \\ \Rightarrow p=r \times \frac{1}{\sqrt{5}} \\ \Rightarrow \frac{1}{p^{2}}=\frac{5}{a^{2}}
अतः u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}=\frac{1}{p^{2}}=\frac{5}{a^{2}}
तथा प्रक्षेप वेग v=\sqrt{\left(\frac{5 \mu}{a^{2}}\right)}, \quad u=\frac{1}{a}[\because r=a]
समीकरण (1) में उपर्युक्त मान रखने पर-
\frac{5 \mu}{a^{2}}=h^{2} \cdot \frac{5}{a^{2}}=\mu\left(\frac{3}{a^{2}}+\frac{1}{a^{2}}\right)+A \\ \Rightarrow h^{2}=\mu तथा A=\frac{\mu}{a^{2}}
h^{2} तथा A का मान समीकरण (1) में रखने पर-
\mu \left[u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}\right] =\mu\left(a^{2} u^{4}+3 u^{2}+\frac{1}{a^{2}}\right) \\ \Rightarrow \left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2} =\left[\frac{\left(a^{4} u^{4}+2 a^{2} u^{2}+1\right)}{a^{2}}\right] \\ =\left (\frac{a^{2}u^{2}+1}{a} \right )^{2} \\ \Rightarrow \frac{a d u}{a^{2} u^{2}+1}=d \theta
समाकलन करने पर-
\Rightarrow \int \frac{a d u}{a^{2} u^{2}+1} =\int d \theta \\ \tan ^{-1}(a u)=\theta+B
जब \theta=0, r=a \Rightarrow u=\frac{1}{a} \\ \Rightarrow \frac{\pi}{4}=0+B \Rightarrow \tan ^{-1}(a u)=\frac{\pi}{4}+\theta \\ \Rightarrow a=r \tan \left(\frac{\pi}{4}+\theta\right)
यदि हम प्रारम्भिक कोण को \frac{\pi}{4} से घुमाएं तो
\Rightarrow r=a \tan \theta
Example-4.एक कण पर केन्द्रीय बल \mu\left[2\left(a^{2}+b^{2}\right) u^{5}-3 a^{2} b^{2} u^{7}\right] प्रति इकाई संहति कार्यशील है,इस कण को a दूरी से इस दूरी के लम्बवत् दिशा में \sqrt{(\frac{\mu}{a})} वेग से प्रक्षिप्त किया गया है।सिद्ध करो कि कोण के पथ का वक्र r^{2}=a^{2} \cos ^{2} \theta+b^{2} \sin ^{2} \theta है।
(A particle, subject to a central force per unit of mass equal to \mu\left[2\left(a^{2}+b^{2}\right) u^{5}-3 a^{2} b^{2} u^{7}\right],is projected at the distance a with a velocity \sqrt{(\frac{\mu}{a})} in a direction at right angles to the initial distance.Show that the path is the curve r^{2}=a^{2} \cos ^{2} \theta+b^{2} \sin ^{2} \theta .)
Solution-संकेन्द्र कक्षा (पथ) के समीकरण से-
P=h^{2} u^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right) =\mu\left[2\left(a^{2}+b^{2}\right) u^{5}-3 a^{2} b^{2} u^{7}\right] \\ \Rightarrow h^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=\mu \left[2\left(a^{2}+b^{2}\right) u^{3}-3 a^{2} b^{2} u^{5}\right]
दोनों पक्षों को 2\left ( \frac{du}{d \theta} \right ) से गुणा करके समाकलन करने पर-
v^{2}=h^{2}\left[u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}\right]=\mu \left[\left(a^{2}+b^{2}\right) u^{4}-a^{2} b^{2} u^{6}\right]+A \cdots(1)
प्रारम्भिक स्थिति में r=a
u=\frac{1}{a}, \quad \frac{d u}{d \theta}=0 स्तब्धिका पर तथा v^{2}=\frac{\mu}{a^{2}} \\ \frac{\mu}{a^{2}}=h^{2}\left( \frac{1}{a^{2}}+0\right)=\mu \left[\frac{a^{2}+b^{2}}{a^{4}}-\frac{a^{2} b^{2}}{a^{6}}\right]+A
h^{2}=\mu तथा A=0 समीकरण (1) में रखने पर-
\Rightarrow \mu\left[u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}\right]=\mu\left[\left(a^{2}+b^{2}\right) u^{4}-a^{2} b^{2} u^{6}\right]
अब u=\frac{1}{r} \Rightarrow \frac{d u}{d \theta}=\left(-\frac{1}{r^{2}}\right) \frac{d r}{d \theta} \\ \Rightarrow \frac{1}{r^{2}}+\frac{1}{2^{4}}\left(\frac{d r}{d \theta}\right)^{2}=\frac{a^{2}+b^{2}}{r^{4}}-\frac{a^{2} b^{2}}{r^{6}} \\ \Rightarrow \left(\frac{d r}{d \theta}\right)^{2}=\frac{\left(a^{2}+b^{2}\right) r^{2}-a^{2} b^{2}}{r^{2}}-r^{2} \\ \Rightarrow \left(\frac{d r}{d \theta}\right)^{2}= \frac{\left(a^{2}+b^{2}\right) r^{2}-a^{2} b^{2}-r^{4}}{r^{2}} \\ \Rightarrow \left(\frac{d r}{d \theta}\right)^{2}=\frac{\left(a^{2}-r^{2}\right)\left(r^{2}-b^{2}\right)}{r^{2}} \\ \Rightarrow \int \frac{r d r}{\sqrt{\left(a^{2}-r^{2}\right)\left(r^{2}-b^{2}\right)}}=\int d \theta
Put r^{2}=a^{2} \cos ^{2} t+b^{2} \sin ^{2} t \\ \Rightarrow 2r dr=2\left(b^{2}-a^{2}\right) \sin t \cos t d t \\ \Rightarrow a^{2}-r^{2}=\left(a^{2}-b^{2}\right) \sin ^{2} t, r^{2}-b^{2}=\left(a^{2}-b^{2}\right) \cos ^{2} t \\ \Rightarrow \int \frac{\left(b^{2}-a^{2}\right) \sin t \cos t d t}{\left(a^{2}-b^{2}\right) \sin t \cos t}=\int d \theta \\ \Rightarrow-\int d t=\int d \theta \\ \Rightarrow-t =\theta+B
प्रारम्भ में \theta=0, r^{2}=a^{2} \\ \therefore B =0, \quad t=-\theta
इस प्रकार r^{2}=a^{2} \cos ^{2} t+b^{2} \sin ^{2} t \\ r^{2}=a^{2} \cos ^{2}(-\theta)+b^{2} \sin ^{2}(-\theta) \\ r^{2}=a^{2} \cos ^{2} \theta+b^{2} \sin ^{2} \theta
Example-5.एक कण केन्द्रीय प्रतिकर्षी बल \left ( =\frac{m \mu}{\text{ दूरी }^{3} } \right ) के अधीन गतिशील है और a दूरी पर स्तब्धिका से V वेग से प्रक्षिप्त किया गया है।प्रदर्शित कीजिए कि पथ का समीकरण है तथा \theta कोण को रचित करने का समय t बराबर है
\frac{1}{p} \tan ^{-1}\left(\frac{p V}{a} t\right) जहाँ p^{2}=\frac{\mu+a^{2} V^{2}}{a^{2} V^{2}}
(A particle moves under a central repulsive force \left ( =\frac{m \mu}{\text{ distance }^{3} } \right ) and is projected from an apse at a distance a with velocity V.Show that the angle \theta described in time t is .)
\frac{1}{p} \tan ^{-1}\left(\frac{p V}{a} t\right) Where p^{2}=\frac{\mu+a^{2} V^{2}}{a^{2} V^{2}}
Solution-संकेन्द्र कक्षा (पथ) के समीकरण से-
P=h^{2} u^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=-\frac{\mu}{r^{3}}[प्रतिकर्षी बल है अतः ऋणात्मक चिन्ह लिया गया है ]
\Rightarrow P=h^{2} u^{2} \left(u+ \frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=-\mu u^{3} \\ \Rightarrow h^{2}\left(u+\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}\right)=-\mu u
दोनों पक्षों को 2\left ( \frac{du}{d \theta} \right ) से गुणा करके समाकलन करने पर-
v^{2}=h^{2}\left[u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}\right]=-\mu u^{2}+A \cdots(1)
प्रारम्भ में स्तब्धिका पर r=a\Rightarrow u=\frac{1}{a} तथा \frac{du}{d \theta}=0
v=V \\ V^{2}=h^{2}\left[\frac{1}{a^{2}}+0\right] \\ \Rightarrow h^{2}=a^{2} V^{2} \\ a^{2} V^{2}\left[\frac{1}{a^{2}}+0\right]=-\mu \cdot \frac{1}{a^{2}}+A \\ \therefore A=\frac{a^{2} V^{2}+\mu}{a^{2}}=p^{2} V^{2} [दी गई स्थिति से]
अतः समीकरण (1) h^{2} में तथा A का मान रखने पर-
a^{2} V^{2}\left[u^{2}+\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}\right]=-\mu u^{2}+p^{2} V^{2} \\ \Rightarrow \left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}=\frac{p^{2} V^{2}-\mu u^{2}}{a^{2} V^{2}}-u^{2} \\ =\frac{p^{2} V^{2}-u^{2} \left(\mu +a^{2} V^{2} \right)}{a^{2} V^{2}} \\ \Rightarrow\left(\frac{d u}{d \theta}\right)^{2}= \frac{p^{2} V^{2}-u^{2} \cdot a^{2} p^{2} V^{2}}{a^{2} V^{2}} \\ =\frac{p^{2}}{a^{2}}\left(1-a^{2} u^{2}\right) \\ \Rightarrow \frac{a d u}{\sqrt{\left(1-a^{2} u^{2}\right)}}=p d \theta
समाकलन करने पर-
\int \frac{a d u}{\sqrt{\left(1-a^{2} u^{2}\right)}}=\int p d \theta \\ \sin ^{-1}(au)=p \theta+B
जब u=\frac{1}{a}, \theta=0 \Rightarrow B=\frac{\pi}{2} तथा sin^{-1}=\frac{\pi}{2} \\ \sin ^{-1}(a u)=p \theta+\frac{\pi}{2}\\ \Rightarrow a u=\sin [p \theta+\frac{\pi}{2}] \\ \Rightarrow \frac{a}{r}=\cos p \theta \Rightarrow r \cos p \theta=a
समय t के लिए सूत्र-
h=r^{2} \frac{d \theta}{dt} \\ \Rightarrow a V=r^{2} \frac{d \theta}{d t} \quad\left[\because h^{2}=a^{2} V^{2}\right] \\ \Rightarrow a V d t=a^{2} \sec ^{2} p \theta d \theta \quad[\because r \cos p \theta=a] \\ \Rightarrow \int a V d t=\int a^{2} \sec ^{2} p \theta d \theta \\ \Rightarrow V t+c=\frac{a}{b} \tan p \theta
प्रारम्भ में \theta=0, t=0 \Rightarrow c=0 \\ \frac{p V}{a} t=\tan p \theta \\ \Rightarrow \theta=\frac{1}{p} \tan \left(\frac{pV}{a} t\right)
उपर्युक्त उदाहरणों के द्वारा गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा (Central Orbit Dynamics),स्तब्धिका दूरी और स्तब्धिका कोण को परिभाषित करो (Define Apsidal Distance and Apsidal Angle) को समझ सकते हैं।
3.गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा की समस्याएं (Central Orbit Dynamics Problems),स्तब्धिका दूरी और स्तब्धिका कोण को परिभाषित करो की समस्याएं (Define Apsidal Distance and Apsidal Angle Problems):
(1.)एक m संहति का कण केन्द्रीय आकर्षी बल m \mu \left(\frac{5}{r^{3}}+\frac{8 c^{2}}{r^{5}}\right) के अधीन गतिशील है और इसको स्तब्धिका,जो c दूरी पर है,से \frac{3 \sqrt{\mu}}{c} वेग से प्रक्षिप्त किया जाता है।सिद्ध कीजिए कि संकेन्द्र कक्षा r=c \cos \left(\frac{2}{3} \theta\right) है और यह \left(\frac{\pi c^{2}}{8 \sqrt{\mu}}\right) समय के पश्चात् मूलबिन्दु पर पहुंचती है।
(A particle of mass m moves under a central attraction force m \mu \left(\frac{5}{r^{3}}+\frac{8 c^{2}}{r^{5}}\right) and is projected from an apse at a distance c with velocity \frac{3 \sqrt{\mu}}{c} prove that the orbit is r=c \cos \left(\frac{2}{3} \theta\right) and that it will arrive at the origin after a time \left(\frac{\pi c^{2}}{8 \sqrt{\mu}}\right).)
(2.)एक कण केन्द्रीय त्वरण,जो कि दूरी के घन का व्युत्क्रमानुपाती,सहित गतिशील है।यदि इसे मूलबिन्दु से a दूरी पर स्तब्धिका से वेग से फेंका जाता है कि जो a त्रिज्या वाले वृत्त के लिए वेग का \sqrt{2} गुणा है तब प्रदर्शित करो कि पथ का समीकरण r \cos (\frac{\theta }{\sqrt{2}})=a है।
(A particle moves with a central acceleration which varies inversely as the cube of the distance;if it be projected from an apse at a distance a from the origin with a velocity which which is \sqrt{2} times velocity for a circle of radius a,show that the equation to its path is r \cos (\frac{\theta }{\sqrt{2}})=a.)
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा (Central Orbit Dynamics),स्तब्धिका दूरी और स्तब्धिका कोण को परिभाषित करो (Define Apsidal Distance and Apsidal Angle) को ठीक से समझ सकते हैं।
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4.गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा (Central Orbit Dynamics) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.स्तब्धिका कोण क्या है? (What is Apsidal Angle?),स्तब्धिका कोण परिभाषा (Apsidal Angle Definition):
उत्तर-दो क्रमागत स्तब्धिका रेखाओं के मध्य कोण स्तब्धिका कोण कहलाता है।
प्रश्न:2.एप्स गणित क्या है? (What is Apse Math?):
उत्तर-एक स्तब्धिका को संकेन्द्र कक्षा में एक बिंदु के रूप में भी परिभाषित किया जाता है जिस वक्र पर अभिलम्ब केन्द्रीय बल से होकर गुजरता है।O से P की स्तब्धिका दूरी, अधिकतम और न्यूनतम दूरी,रेडियल गति समीकरण से आसानी से मिल जाती है।
(An apse is also defined as a point in a central orbit at which the normal to the curve passes through the centre of force.The apsidal distances, the maximum and minimum distances of P from O, are easily found from the radial motion equation.)
संकेन्द्र कक्षा का वह बिंदु जिस पर स्तब्धिका दूरी अपना अधिकतम या न्यूनतम मान प्राप्त कर लेती है,संकेन्द्र कक्षा की स्तब्धिका कहलाती है।पृथ्वी के चारों ओर की कक्षाओं के लिए संगत शब्द उपभू (perigee) और अपभू (apogee) हैं।एक एप्स (Apse) को केंद्रीय कक्षा में एक बिन्दु के रूप में भी परिभाषित किया जाता है,जिस वक्र पर अभिलम्ब बल के केंद्र से होकर गुजरता है।
प्रश्न:3.गणित में केंद्रीय कक्षा (Central Orbit in Mathematics ):
उत्तर-एक संकेन्द्र कक्षा एक कक्षा है जिसमें केंद्रीय द्रव्यमान और परीक्षण द्रव्यमान के बीच आकर्षक बल एक केंद्रीय बल होता है अर्थात केंद्रीय द्रव्यमान की ओर निर्देशित होता है। इसलिए एक सामान्य केंद्रीय बल नियम किसी भी फलन f(r) के लिए दिया जाता है,जहाँ प्रति इकाई द्रव्यमान बल है।
प्रश्न:4.केंद्रीय कक्षा की विशेषताएं क्या हैं? (What are the Characteristics of a Central Orbit?):
उत्तर-इनमें (i) कुछ संरक्षित मात्राएँ (ऊर्जा और कोणीय गति (angular momentum)) (ii) कक्षाओं की समतल प्रकृति और (iii)क्षेत्रीय वेग की स्थिरता (केप्लर का दूसरा नियम) शामिल हैं।केंद्रीय बलों का एक बड़ा वर्ग वृत्तीय कक्षाओं (स्थिर या अस्थिर),परिबद्ध कक्षाओं और यहां तक कि बंद और आवधिक कक्षाओं की अनुमति देता है।
[They include (i) certain conserved quantities (energy, and angular momentum) (ii) planer nature of orbits, and (iii) constancy of areal velocity (Ke- pler’s second law). A large class of central forces allows circular orbits (stable or unstable), bounded orbits, and even closed and periodic orbits.]
प्रश्न:5.केंद्रीय बल और केंद्रीय कक्षा क्या है? (What is Central Force and Central Orbit?):
उत्तर-केन्द्रीय बल (Central Force):जब एक कण ऐसे बल के अधीन गमन करता जिसकी दिशा सर्वदा एक नियत बिन्दु की ओर होती है तो वह बल केन्द्रीय बल कहलाता है और नियत बिन्दु बल का केन्द्र कहलाता है।
संकेन्द्र कक्षा (Central Orbit):किसी केन्द्रीय बल के प्रभाव के अधीन चलने वाले किसी कण की गति के पथ को संकेन्द्र कक्षा कहते है।
प्रश्न:6.केंद्रीय कक्षा का अवकल समीकरण क्या है? (What is the Differential Equation of Central Orbit?):
उत्तर-संकेन्द्र कक्षा की अवकल समीकरण निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है-
\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}+u=\frac{p}{h^{2} u^{2}}
प्रश्न:7.आप केंद्रीय बल कैसे ज्ञात करते हैं? (How do you Find Central Force?):
उत्तर-एक कण किसी संकेन्द्र कक्षा में इस प्रकार गमन करता है कि उस पर लगा बल सर्वदा उसके नियत बिन्दु की ओर दिष्ट हो तो केन्द्रीय बल निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है-
\frac{d^{2} u}{d \theta^{2}}+u=\frac{p}{h^{2} u^{2}}
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तरों द्वारा गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा (Central Orbit Dynamics),स्तब्धिका दूरी और स्तब्धिका कोण को परिभाषित करो (Define Apsidal Distance and Apsidal Angle) को समझ सकते हैं।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तरों द्वारा गतिविज्ञान में संकेन्द्र कक्षा (Central Orbit Dynamics),स्तब्धिका दूरी और स्तब्धिका कोण को परिभाषित करो (Define Apsidal Distance and Apsidal Angle) को समझ सकते हैं।
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