BTech Student Shubham Sinha Ranked 4th
1.बीटेक के छात्र शुभम सिन्हा ने 4थी रैंक हासिल की (BTech Student Shubham Sinha Ranked 4th):
- बीटेक के छात्र शुभम सिन्हा ने 4थी रैंक हासिल की (BTech Student Shubham Sinha Ranked 4th)।
- हालांकि शुभम सिन्हा को कई बार असफलता का सामना करना पड़ा परंतु उसने लक्ष्य का पीछा करना नहीं छोड़ा।
- शुभम सिन्हा का बचपन से ही रक्षा सेवा में जाने का पैशन था।अब इस सपने के पूरा होने पर शुभम सिन्हा खुश है।
- शुभम सिन्हा (पटना, बिहार) ने यूपीएससी सीडीएस 2 (इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग) शॉर्ट सर्विस कमीशन (तकनीकी-सैन्य) परीक्षा में ऑल इंडिया में चौथा रैंक, भारतीय नौसेना एकेडमी में 19वीं एवं भारतीय सैन्य अकादमी में 48वां स्थान प्राप्त किया है।
- उनका यह सपना पूरा हुआ है और वे अगले महीने देहरादून स्थित मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए जा रहे हैं।ट्रेनिंग के बाद वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद संभालेंगे।
- शुभम सिन्हा 3 अक्टूबर को मिलिट्री एकेडमी को ज्वाइन करेंगे।वहां डेढ़ साल की ट्रेनिंग के बाद वे लेफ्टिनेंट के तौर पर भारतीय सेना में शामिल होंगे।शुभम सिन्हा टीम वर्क में विश्वास करते हैं।उनकी कोशिश रहेगी कि सबको साथ लेकर चले।उनका भरोसा और सम्मान हासिल कर सकें।
- भारतीय रक्षा सेवा के लिए खुद को शारीरिक एवं मानसिक रूप से कैसे तैयार किया इसके लिए शुभम सिन्हा का मानना है कभी भी मन से हार नहीं माननी चाहिए।गिव अप नहीं करना चाहिए।
- शुभम सिन्हा ने इतनी विफलताएं देखी लेकिन कभी खुद को हारने नहीं दिया।मेडिटेशन के द्वारा नकारात्मकता से दूर रहे।
- मानसिक रूप से खुद को तैयार किया। इसमें अभिभावकों का भी सहयोग मिला।
- हालांकि अभिभावक चाहते थे कि सिविल सर्विस में जाए लेकिन उन्होंने हर प्रकार से उत्साहवर्धन किया जबकि शुभम सिन्हा के परिवार में किसी की भी सैन्य पृष्ठभूमि नहीं रही है।
- शुभम सिन्हा का पक्का निश्चय था कि उन्हें क्या करना है?
- इंजीनियरिंग कॉलेज में प्लेसमेंट के दौरान उन्हें अच्छी कंपनियों के ऑफर आए थे।लेकिन उन्होंने बड़ी सैलरी पैकेज को चुनने की बजाए डिफेंस सेवा में जाने का निर्णय लिया।
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2.बीटेक के छात्र शुभम सिन्हा ने 4थी रैंक हासिल की, उसके संघर्ष की कहानी (BTech Student Shubham Sinha Ranked 4th, the story of his struggle),इंजीनियरिंग छात्र ने यूपीएससी सीडीएस 2 में चौथी रैंक हासिल की (Engineering student secured fourth rank in UPSC CDS 2),इंजीनियरिंग छात्र ने यूपीएससी सीडीएस 2 में चौथी रैंक हासिल की (Engineering student secured fourth rank in UPSC CDS 2)-
- पंजाब के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से बीटेक करने वाले शुभम सिन्हा की बचपन से इच्छा इंडियन डिफेंस सर्विसेज में जाने की थी।
- शुभम सिन्हा ने स्कूली शिक्षा के दौरान ही तय कर लिया था कि उसे क्या करना है?किस क्षेत्र में भविष्य बनाना है?
- आठवीं कक्षा में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का हिस्सा थे।वहां माउंटेनियरिंग एवं अन्य एडवेंचर एक्टिविटीज को लेकर काफी एक्सपोजर मिला।
- प्रशिक्षण करते हुए ही शुभम सिन्हा की रुचि भारतीय फौज में शामिल होने की हुई।
- पश्चात उन्होंने सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा दी परंतु उसमें असफल हो गए।
- शुभम सिन्हा ने हार नहीं मानी और 12th गणित से पास करके एनडीए की परीक्षा में शामिल हुए।
- एनडीए की परीक्षा में लिखित परीक्षा क्लियर कर ली लेकिन इंटरव्यू में असफल हो गए।
- इस लगातार असफलता से वे निराश नहीं हुए बल्कि लक्ष्य का पीछा करना नहीं छोड़ा।
- बीटेक करते हुए डिफेंस सर्विसेज की तैयारी करते रहे। कॉलेज में 9:00 से 5:00 बजे तक क्लास होती थी लेकिन वे रोजाना तैयारी के लिए 3 से 4 घंटे निकाल लेते थे।
- यह उनका आखिरी प्रयास था और इसमें शुभम सिन्हा सफल रहे।
- शुभम सिन्हा ने कहीं से कोई कोचिंग नहीं ली।सेल्फ स्टडी के अलावा ऑनलाइन माध्यमों से तैयारी की।
- पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक प्रशिक्षण पर ध्यान दिया।नियमित रूप से एक्सरसाइज, दौड़ आदि किया।
- इंजीनियरिंग करने के दौरान कॉलेज में भी काफी सीखने को मिला।विशेषकर अपने सॉफ्ट स्किल्स पर काम करने, उसे तराशने का भरपूर अवसर मिला।
- एलपीयू में देश के अलग-अलग हिस्सों के छात्रों से संवाद होने के कारण शुभम सिन्हा का नया नजरिया विकसित हुआ।इससे पूरा व्यक्तित्व बदल गया।
- फैकल्टी ने भी हमेशा प्रोत्साहित किया।
3.बीटेक के छात्र शुभम सिन्हा ने यूपीएससी सीडीएस 2 में 4थी रैंक हासिल की,का युवाओं को संदेश (BTech Student Shubham Sinha Ranked 4th in UPSC CDS 2 message to youth)-
- शुभम मानते हैं कि डिफेंस एंड सर्विस में तकनीकी, गैर-तकनीकी, साइंस एवं ह्यूमैनिटीज किसी भी फील्ड में युवा कैरियर बना सकते हैं।
- आज वास्तविकता यह है कि जानकारी का अभाव है। युवाओं को पता नहीं होता है कि वे कैसे रक्षा सेवामें अलग-अलग माध्यमों से प्रवेश ले सकते हैं।
- यहां देश सेवा के साथ रोमांचक गतिविधियों में हिस्सा लेने का मौका मिलता है।रिसर्च करने के मौके मिलते हैं। लेकिन जरूरी यह है कि युवा हार न माने बल्कि अपनी कमियों-कमजोरियों को दूर करने पर ध्यान दें।
- कई नौजवान होते हैं जो एक बार सफलता न मिलने पर निराश हो जाते हैं।उन्हें निराश नहीं होना चाहिए।
- कभी भी रिजल्ट ओरिएंटेड थिकिंग नहीं रखनी चाहिए।इसके विपरित खुद को इंप्रूव करने एवं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करनी चाहिए।
- अगर सिलेक्शन होता है तो ठीक, यदि नहीं होता है तो पुनः प्रयास करें।एक न एक दिन सफलता अवश्य मिलती है।
4.सफलता प्राप्त करने की टिप्स (Tips for success)-
- बीटेक के छात्र शुभम सिन्हा ने 4थी रैंक हासिल की (BTech Student Shubham Sinha Ranked 4th), के बारे में दो शब्द कहना चाहते हैं।
- किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति में असफलता मिलने के कई कारण हो सकते हैं।परिस्थितियों की प्रतिकूलता, साधनों का अभाव, साथियों द्वारा असहयोग या उनका प्रतिरोध।कोई भी कारण प्रगति में अवरोध खड़े कर सकता है।ये सभी कारण बाहरी है।
- इनकारणों के उपस्थित होने पर न निराश होने की आवश्यकता नहीं है और न हताश होने की।बाह्य कारणों और अवरोधों को हटाया जा सकता है।मार्ग में पड़े पत्थर को लांघकर या चट्टान पर चढ़कर आगे बढ़ा जा सकता है। नहीं बढ़ा जा सकता तो इसका एक ही कारण है व्यक्तित्व की दुर्बलता।
- मनमें यदि थोड़ा साहस हो तो इन अवरोधों को पार किया जा सकता है।प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने और उन्हें अनुकूल बनाने की सामर्थ्य मनुष्य के भीतर विद्यमान है।
- साधनोंका अभाव भी दूर किया जा सकता है और नए साधन जुटाए जा सकते हैं।साथियों के प्रतिरोध को सहयोग में बदलना कोई कठिन काम नहीं है परंतु अपना व्यक्तित्व ही दुर्बल हो तो क्या किया जा सकता है?सिवाय इन अवरोधों का रोना रोते रहने के।
- प्रगतिपथ में आने वाले और सफलता प्राप्त करने की दिशा में उत्पन्न होने वाली बाधाओं को दूर करने का एक ही उपाय है आत्मविश्वास।आत्मविश्वास की गंगोत्री से ही शक्तिधारा निकलती है और प्रचंड पुरुषार्थ की गंगा बहती है।
- सभीसफल व्यक्तियों ने आत्मविश्वास के बल पर सफलता अर्जित की है।
- स्मरणरखना चाहिए कि आत्मविश्वास का अर्थ बिना पंखों के आसमान पर उड़ने का नाम नहीं है। उसके साथ अपनी सामर्थ्य भी तोलनी पड़ती है।
- अपनेअनुभवों, योग्यताओं और साधनों का मूल्यांकन करना पड़ता है।इस समीक्षा के साथ यह निष्कर्ष निकालना पड़ता है कि वर्तमान परिस्थितियों में किस सीमा तक कितना साहस किया जा सकता है? और कितनी ऊंची छलांग लगाई जा सकती है?
- यदिनिष्कर्ष उतनी ऊंची छलांग लगाने की अनुमति नहीं देते हों तो फिर वैसी सामर्थ्य जुटानी होती है, उपयुक्त परिस्थितियों का निर्माण करना होता है और आवश्यक साधन जुटाने होते हैं।
- यदिऐसा नहीं किया गया और वस्तुस्थिति की उपेक्षा की गई तथा केवल हवाईमहल चुनते रहा गया तो शेखचिल्ली की तरह उपहासास्पद बनना पड़ता है।
- शेखचिल्लीकी कहानी बहुश्रुत है। जिसमें एक मजदूर ने तेल ढोने की मजदूरी से मिलने वाले पैसों से मुर्गी,बकरी,भैंस खरीदकर मालदार बनने,अमीर औरत से शादी करने,बच्चा होने और बच्चे को झिड़की लगाने का सपना देखा था तथा बच्चे को झिड़की देने के आवेश में घड़ा फोड़ बैठा था तथा रंगीन सपना गंवाकर मालिक द्वारा दुत्कारा, धमकाया और निकाल दिया गया था।
- बहुतसे लोग ऐसे सपने देखते हैं।कुछ आत्मविश्वास की कोरी कल्पना लेकर उन्हें साकार करने के लिए भी प्रयत्न करते हैं किन्तु वस्तुस्थिति की उपेक्षा करने के कारण अंततः हाथ मलते रह जाते हैं।
- इसलिएअपने आपके प्रति,अपनी शक्तियों के प्रति विश्वास रखने के साथ-साथ यह भी देखना चाहिए कि जिन कारणों से सफलता का रास्ता अवरूद्ध बना हुआ है, दूसरों का सहयोग नहीं मिल रहा है, अवरोध सामने आ रहे हैं,वे क्या हैं तथा उन कारणों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है?
- स्वाभाविक रूप से वे कारण अपनी दुर्बलताओं के अतिरिक्त कुछ नहीं हो सकते हैं।अतः उन दुर्बलताओं को दूर करते हुए आत्मविश्वासपूर्वक प्रगति प्रयास करना चाहिए।सफलता प्राप्त करने की यही मूलभूत शर्त है।
- इसआर्टिकल में बीटेक के छात्र शुभम सिन्हा ने 4थी रैंक हासिल की (BTech Student Shubham Sinha Ranked 4th),को पढ़कर आप भी प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं।
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