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Brain Drain Problem in India 2025

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1.भारत में ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Brain Drain Problem in India 2025),ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Brain Drain in India 2025):

  • भारत में ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Brain Drain Problem in India 2025) के इस आर्टिकल से पूर्व गणितज्ञों का प्रतिभा पलायन लेख में बताया गया था कि भारत से प्रतिभा पलायन के कारण देश में सुविधाओं का अभाव होना,रोजगार के विदेशों में आकर्षक पैकेज,विदेशी डिग्रियों का आकर्षण,अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाने,आर्थिक,उदारीकरण व भूमंडलीकरण के कारण भारतीय प्रतिमाएं विकसित देशों में पलायन कर जाती है।उपर्युक्त लेख में विस्तार से चर्चा की गई है परंतु यह समस्या अभी भी जारी है अंतः फुटकर रूप से कुछ नए तथ्यों के साथ इसे लिखा जा रहा है।
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2.ब्रेन ड्रेन क्या है? (What is Brain Drain?):

  • ब्रेन ड्रेन को सुनकर और पढ़कर एकबारगी यह लगता है कि ‘ब्रेन ड्रेन’ किसी बीमारी का नाम है,मस्तिष्क की बीमारी है,लेकिन यह किसी बीमारी का नाम नहीं है पर यह किसी बीमारी से कम नहीं है बल्कि खतरनाक है।’ब्रेन ड्रेन’ अर्थात् प्रतिभा पलायन ऐसी बीमारी है,जो देश के विकास को खाये जा रही है।प्रतिभा पलायन का अर्थ है:रोजगार और बेहतर अवसरों के लिए देश के बुद्धिमान और अतिकुशल व्यक्तियों का विकसित देशों में जाकर बस जाना।संस्कृत में एक कहावत है,जिसका भावार्थ है कि जिस देश में हुनर की कद्र और हुनरवान आदमी का सम्मान न हो,उस देश को छोड़ने में ही भलाई है।प्रतिभा पलायन के मायने में यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है।
  • यही कारण है कि अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले भारतीय मूल के पहले अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन दूसरे देशों में पढ़ा रहे हैं।इनकी प्रतिभा को नोबेल सम्मान पाने से पहले यहां उस तरह से ना तो पहचाना गया और न ही सम्मान मिल पाया,जो उन्हें मिलना चाहिए था।प्रतिभा पलायन कोई आज की और किसी एक देश की समस्या नहीं है।यह समस्या दशकों पुरानी है और अपने देश समेत दुनिया के ज्यादातर विकासशील देश इससे पीड़ित हैं,लेकिन इससे सबसे ज्यादा नुकसान हमारे देश को हो रहा है।हमारा देश दुनिया भर में प्रतिभा संपन्न लोगों की अग्रणी पंक्ति में है,लेकिन समुचित सुविधाओं,साधनों और काम करने के लिए अच्छे माहौल के अभाव में वे अपनी प्रतिभा को पूरी तरह दिखा नहीं पाते हैं।
  • प्रतिभा पलायन का अगर एक खास कारण बताना हो तो वह ‘जॉब सेटिस्फेक्शन’ ना होना अर्थात काम में संतुष्टि न मिलना।इसके कई कारण हैं।ये कारण हैं:रुचि के अनुसार काम न मिलना,काम के बदले उचित पारिश्रमिक न मिलना,बढ़िया काम करने के बावजूद सम्मान न मिलना,काम करने के लिए पर्याप्त साधन न मिलना और अपने स्तर के मुताबिक काम न मिलना।
    भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों का विश्वस्तरीय उच्च शिक्षण संस्थानों के मुकाबले तकनीकी,सुविधाओं जैसी उपलब्ध न करा पाना।भारत में अब भी सैद्धांतिक शिक्षा पर अधिक बल दिया जाता है जबकि विश्व के उच्च शिक्षण संस्थानों में सैद्धांतिक शिक्षा के साथ-साथ स्किल का डवलपमेंट भी किया जाता है।उनमें नवीन तकनीकी,प्रशिक्षण,गुणवत्ता और कौशल के विकास पर ध्यान दिया जाता है और अभ्यर्थियों को कैंपस में शिक्षा अर्जित करते समय ही जॉब के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • भारत कोई छोटा-सा देश नहीं है बल्कि डेढ़ अरब जनसंख्या वाला देश है,जिनमें अनेक प्रतिभाएं हैं और वे अपनी सेवाओं द्वारा विकसित देशों को लाभान्वित कर रहे हैं।अभी ब्रेन ड्रेन के मुख्य कारण तो ऊपर बताए गए हैं,कुछ और कारणों पर गौर करते हैं।इन कारणों का समाधान करने पर ही भारत विकसित देशों की अग्रणी पंक्ति में खड़ा रह सकता है।

3.ब्रेन ड्रेन के कारण (Causes of Brain Drain):

  • जनसंख्या विस्फोट भी ‘ब्रेन ड्रेन’ का बहुत बड़ा कारण है,क्योंकि जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है,उस तेजी से देश में सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा है।इस कारण 12वीं कक्षा में 90% अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं को भी यहां इंजीनियरिंग (आईआईटी),मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं मिल पाता है।इंजीनियरिंग कर लेते हैं तो उन्हें जाॅब के लिए दर-दर भटकना पड़ता है।ऐसे एक हताश छात्र को बीएससी करनी पड़ी।बीएससी करने के बाद उसे अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में दाखिला मिल गया।वहां उसने अपनी प्रतिभा के बल पर छात्रवृत्ति पाकर ट्यूशन फीस के साथ अपने रहने और खाने का खर्च भी निकाल लिया।आज वह छात्र अमेरिका में इतना कमा रहा है कि जितना कोई भारतीय यहां रिटायरमेंट के समय भी नहीं कमा रहा होता।साथ ही,उसके पास दुनिया का हर ऐशो-आराम साधन मौजूद है।
  • इसी तरह एक और छात्र,जिसने अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया था,को किसी तरह पहले साल का खर्च बंद करने के लिए अपने परिवार वालों को राजी करना पड़ा।4 साल बाद उसने न केवल अपने पहले साल का खर्च अपने घर वालों को लौटा दिया बल्कि आज उसका अमेरिका में अपना शानदार मकान है।
  • ये सब लोग हैं,जो विदेश में धन और शोहरत कमाने के बाद स्वदेश लौटकर यहां अपना कुछ कामकाज करना चाहते हैं,लेकिन संकट यह है कि जब वे स्वदेश आकर अपना काम शुरू करने का प्रयास करते हैं,तो उलझनों का दौर उनके लिए हवाई अड्डे पर पहुंचने के साथ ही शुरू हो जाता है।आयकर,बिक्रीकर,नगरपालिका कर आदि से ताल्लुक रखने वाले विभागों से उन्हें दो-चार होना पड़ता है।अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए आने वाली दिक्कतों का सामना करते ही उनके सिर से देशभक्ति का भूत उतरकर भाग जाता है,देशप्रेम का नशा उतर जाता है,उड़न छू हो जाता है और वे विवश होकर फिर विदेश भाग जाते हैं।
  • विदेशी विश्वविद्यालयों खासकर अमेरिका के विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा और ऐसी सुविधाएं हैं,जो अपने यहाँ के किसी भी विश्वविद्यालयों में नहीं हैं।इसके अलावा लायक छात्र-छात्राओं को कोर्स पूरा करने से पहले ही आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव कैंपस में मिल जाते हैं यानी केंपस प्लेसमेंट की सुविधा उपलब्ध है।इतना ही नहीं,एडवांस बोनस के रूप में उन्हें ट्यूशन फीस,मुफ्त आवास,कार एवं यूरोप में छुट्टियां तक बिताने की सुविधा मिल जाती है।अमेरिका जैसे विकसित देश अपने देश में मेहनती,बुद्धिमान,शिक्षित और युवा लोगों का स्वागत करते हैं जिससे वे अपने योगदान से उनके देश को और समृद्ध बना सकें।
    60 से 90 के दशक में ज्यादातर 20 से 25 वर्ष की उम्र की युवा प्रतिभाएं देश से पलायन करती थीं क्योंकि फ्रेशर होने के नाते उन्हें उस उम्र में दूसरे देश के माहौल और कार्यशैली में ढलने में आसानी होती थी।दूसरा उस समय ज्यादातर वैज्ञानिक,डॉक्टर,इंजीनियर आदि ही ज्यादा जाते थे,लेकिन 90 के दशक में ग्लोबलाइजेशन के कारण दुनिया भर की कंपनियों की कार्यशैली,तकनीक और उत्पादन प्रक्रियाएं लगभग एक जैसी हो गयी।इसका परिणाम यह हुआ कि अब प्रबंधन के क्षेत्र की उम्रदराज प्रतिभाएं भी देश से पलायन कर रही हैं।इस कारण आज हमारे देश में काबिल डॉक्टरों,इंजीनियरों व वैज्ञानिकों के साथ काबिल प्रबंधकों की भी कमी हो गई है।

4.ब्रेन ड्रेन का एक कारण ग्लोबलाइजेशन (Globalization is a cause of brain drain):

  • ग्लोबलाइजेशन ने अपना असर दोधारी तलवार की तरह दिखाया है।एक तो जहां इसके कारण ब्रेन ड्रेन को बढ़ावा मिला,वहीं दूसरी तरफ इसके कारण इसमें कमी भी आई,क्योंकि अब अपने देश के बेहद काबिल लोगों को अपने देश में आयी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बाहरी देश के समान अवसर मिलने शुरू हो गए।आईआईटी दिल्ली के आंकड़ों के अनुसार बहुराष्ट्रीय कंपनियों के देश में आने से पहले जहां 250 में से 60 छात्र विदेश चले जाते थे,वहीं अब 300 में से केवल 50 छात्र ही विदेश जाते हैं क्योंकि अब हर साल करीब 200 विदेशी कंपनियां कैंपस में ही यहाँ के छात्रों को विदेश के समान रोजगार के अवसर देने आती हैं।
  • यही वजह है कि आई.बी.एम. जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी ढाई करोड़ डॉलर की लागत से एक कंप्यूटर प्रयोगशाला की स्थापना की है,जिसमें कंपनी के शोधकर्त्ताओं के अलावा आईआईटी के छात्रों को भी शोध करने की सुविधा प्राप्त है।माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन बिल गेट्स ने 2000 में अपने भारत दौरे के दौरान दिल्ली आईआईटी को ढाई लाख डॉलर की राशि दान के रूप में दी थी।
  • प्रतिभा पलायन का सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी देश ने उठाया है तो वह है अमेरिका,क्योंकि प्रतिभाओं के लिए शरण लेना अन्य विकसित देशों की तुलना में अमेरिका में सबसे आसान है।यही कारण है कि विकासशील देशों से गयी प्रतिभाओं के बल पर अमेरिका आज दुनिया का सुपर पावर बना हुआ है।इसमें सबसे बड़ी विडंबना यह है कि विकासशील देश अपने युवाओं का साधनों के अभाव के बावजूद करोड़ों रुपए खर्च करके शिक्षित एवं प्रशिक्षित करते हैं और विकसित देश इन प्रतिभाओं को मुफ्त में हासिल कर लेते हैं।यह ठीक वही स्थिति हुई कि एक गरीब मां-बाप अपनी संतान को आर्थिक संकट झेलते हुए पढ़ाए-लिखाये और जब उसके कमाने का समय आए तो अपनी कमाई किसी और को देने लगे।
  • अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस,जर्मनी आदि जितने भी विकसित देश आज ऊंचे पायदान पर विराजमान हैं तो उसका मूल कारण विदेशी प्रतिभाओं को प्रश्रय देना,अधिक साधन-सुविधाएँ देना,अच्छा पैकेज देना आदि शामिल बातें हैं।आश्चर्यजनक बात यह है कि कई दशकों से ये विकसित देश ऊंचे पायदान पर विराजमान है और उनको टक्कर देने वाला कोई देश नहीं है।ये देश विदेशी प्रतिभाओं के बल पर ही इतना विकास कर सके हैं।ऐसी बात नहीं है कि इन देशों में प्रतिभाएं नहीं है,लेकिन सुपर पावर बनना और विश्व के दौ सौ-सवा दौ सौ देशों में शीर्षस्थ स्थान पर कई दशकों से काबिज हैं,कोई मामूली बात नहीं है,अपने बलबूते पहुँचना मुश्किल है।
  • वरना आबादी के हिसाब से तो चीन के बाद दूसरा विश्व का सबसे बड़ा देश भारत है।भारत में प्रतिभाओं की कमी भी नहीं है।भारत को आजाद हुए भी 75 साल से अधिक हो गए हैं फिर भी भारत विकसित देशों की पंक्ति में खड़ा नजर नहीं आता है।कारण स्पष्ट है कि यहां की उच्च शिक्षण संस्थानों में स्किल डेवलपमेंट और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिए जाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है।अतः भारत को विकसित देशों की अग्रिम पंक्ति में आने के लिए प्रतिभाओं का सम्मान करना होगा,प्रतिभाओं को साधन सुविधाएँ उपलब्ध करानी होगी,उच्च शिक्षण संस्थानों में विश्वस्तरीय साधन-सुविधाएँ उपलब्ध करानी होगी यथा स्किल डेवलपमेंट,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा,कैम्पस प्लेसमेंट,तकनीकी प्रशिक्षण आदि।पुराने समय में शासक प्रतिभाओं का सम्मान करते थे और उन्हें प्रश्रय देते थे इसी कारण भारत सोने की चिड़िया कहलाता था।

5.प्राचीनकाल में प्रतिभा के सम्मान का उदाहरण (Example of Respect for Talent in Ancient Times):

  • राजा भोज बहुत प्रतापी राजा थे।उनके राज्य में रहने वाले सभी लोग विद्वान थे।एक बार उनके दरबार में एक विद्वान आया।उसने अपनी विद्वता से संस्कृत में कविताएं सुनाकर और प्रतिभा का प्रदर्शन करके राजा को इतना चमत्कृत किया कि वे गदगद हो गए और उन्होंने उस विद्वान को एक लाख स्वर्ण मुद्राएं उपहार में दी।विद्वान बड़ा प्रसन्न हुआ।उसने अपनी कला और प्रतिभा का और भी अधिक प्रदर्शन करके राजा को हैरत में डाल दिया और राजा से कहा कि वह उनके राज्य में रहने के लिए अनुमति चाहता है।राजा भोज भी ऐसे प्रतिभासंपन्न और विद्वान को खोना नहीं चाहते थे।अतः राजा भोज ने अपने कर्मचारियों से कहा कि विद्वान के रहने की व्यवस्था राज्य में कर दी जाए।कर्मचारियों ने राज्य में तलाश किया,परंतु उन्हें कोई भी घर खाली नहीं मिला।वे हारकर राजा के पास आए और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया।राजा भोज ने आदेश दिया कि राज्य में किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढो जो संस्कृत भाषा में कविता करना न जानता हो,जो विद्वान ना हो उसे राज्य से निकालकर उसका घर इस महान विद्वान को दे दो।
  • कर्मचारियों ने राज्य में खूब ढूंढा परंतु राजा भोज के राज्य में तो सभी विद्वान थे,काफी ढूंढने के बाद उन्हें एक जुलाहे का घर मिला।वह जुलाहा गरीब था और कपड़े बुनकर अपना गुजारा करता था।सैनिकों ने सोचा इसे ही पकड़कर ले चलते हैं।वे जुलाहे को राजा भोज के पास ले आए।राजा भोज ने कहा-‘जुलाहे,तुम विद्वान नहीं हो और संस्कृत में कविता करना भी नहीं जानते’इसलिए हम तुम्हें अपने राज्य से निकाल रहे हैं।इस बात का उत्तर जुलाहे ने बड़ी ही विनम्रता से संस्कृत भाषा में कविता के रूप में ही दिया जिसका हिंदी में भावार्थ कुछ इस प्रकार है-‘हे राजाधिराज,मैं कविता भी करता हूं,मेरी साधारण कविता अतिसुंदर नहीं होती,पर यदि प्रसन्नतापूर्वक करता हूं तो अति सुंदर बन पड़ती है।मैं जीविका के लिए कपड़ा बुनता हूं।आनंद के लिए अतिरेक (Extreme) में कविता करता हूं और इस तरह जीवनयापन करता हूं।फिर भी आप कहते हैं तो चला जाता हूं।’
  • राजा भोज उसका ज्ञान और प्रतिभा देखकर बहुत हैरान भी हुए और प्रसन्न भी।उन्होंने तुरंत आदेश दिया कि जुलाहे को अपने घर वापस छोड़कर आओ और जब तक इन विद्वान के लिए घर का निर्माण नहीं हो जाता इन्हें राजमहल में ठहरा दो।यह होता है ज्ञान और प्रतिभा का सम्मान।
  • प्राचीन काल में भी और आज भी शिक्षा अर्जित करने (विद्या ग्रहण करने के लिए) के लिए साधना करनी पड़ती थी/पड़ती है।आपको अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए रोजाना कुछ ना कुछ वृद्धि अवश्य करते रहना पड़ता है।यदि हम अपने ज्ञान में वृद्धि नहीं करते रहेंगे तो हम इस प्रतियोगी युग में नई-नई चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएंगे।इतना कुछ करने के बाद भी प्रतिभाओं का सम्मान ना हो,प्रतिभाओं को प्रश्रय न दिया जाये,प्रतिभाओं को तराशने के लिए विश्वस्तरीय उच्च शिक्षण संस्थाओं को तैयार नहीं किया जाए तो भारत वापस विश्वगुरु का ताज कैसे हासिल कर सकता है।भारत प्राचीनकाल में यों ही विश्वगुरु नहीं रहा है।इसके पीछे प्रतिभाओं का योगदान रहा था।प्रतिभाओं का तप और साधना और शासक वर्ग द्वारा उनको प्रश्रय दिया जाता था।
  • यह संसार न्यूटन,अल्बर्ट आइंस्टीन,आर्यभट,महावीराचार्य,ब्रह्मगुप्त जैसे महान ज्ञानियों और तपस्वियों की नींव पर खड़ा है।ऐसे प्रतिभाशाली लोग देश और राज्य को बड़ी से बड़ी विपत्ति से भी बाहर निकाल देते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में भारत में ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Brain Drain Problem in India 2025),ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Brain Drain in India 2025) के बारे में बताया गया है।

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6.ब्रेन ड्रेन नहीं होता तो (हास्य-व्यंग्य) (If There is No Brain Drain) (Humour-Satire):

  • टीचर:बताओ,अगर ब्रेन ड्रेन नहीं होता तो क्या होता?
  • बच्चे:मैडम हमारी कोर्स बुक का एक पाठ कम हो जाता,एक पाठ कम पढ़ना पड़ता।

7.भारत में ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Frequently Asked Questions Related to Brain Drain Problem in India 2025),ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Brain Drain in India 2025) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कंपनियों में किस तरह के लोगों को नियुक्त करना चाहिए? (What kind of people should be employed in the companies?):

उत्तर:मैं हमेशा अपने से अधिक बुद्धिमान लोगों को नियुक्त करने में विश्वास रखता हूं।-एन. आर. नारायणमूर्ति,संस्थापक इंफोसिस।

प्रश्न:2.मनुष्य को गुणों को क्यों धारण करना चाहिए? (Why should man possess virtues?):

उत्तर:मनुष्य को गुणों को धारण करने का प्रयत्न करना चाहिए,आडंबरों से कोई लाभ नहीं होता,जिस प्रकार गले में घण्टियां बांध देने से कभी दूध रहित गाय नहीं बिकती।

प्रश्न:3.विद्वान और शासक में क्या फर्क है? (What is the difference between a scholar and a ruler?):

उत्तर:राज्य प्राप्ति और ज्ञान प्राप्ति की कोई तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि शासक की पूजा केवल उसके देश में ही होती है जबकि विद्वान की पूजा सारे संसार में होती है लेकिन शासक यदि विद्वान भी हो तो उसका यश चतुर्दिक फैल जाता है।अतः हमेशा कुछ ना कुछ ज्ञान प्राप्त करने करते रहना चाहिए।जो व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करना बंद कर देता है उसका पतन होना शुरू हो जाता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा भारत में ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Brain Drain Problem in India 2025),ब्रेन ड्रेन की समस्या 2025 (Brain Drain in India 2025) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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