Amazing Miracle of Self-confidence
1.आत्मविश्वास का अद्भुत चमत्कार (Amazing Miracle of Self-confidence),आत्म-विश्वास को डिगने न दें (Do Not Let Your Self-confidence Shake):
- आत्मविश्वास का अद्भुत चमत्कार (Amazing Miracle of Self-confidence) में आत्म-विश्वास स्वयं पर होता है और विश्वास दूसरों पर होता है।हृदय श्रद्धा करता है और मस्तिष्क विश्वास करता है।आत्म-विश्वास हमें आगे बढ़ने और खड़े रहने का साहस प्रदान करता है।
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2.अपने आप पर विश्वास रखें (Believe in yourself):
- यदि किसी व्यक्ति का विश्वास आंका जा सकता तो उसकी भावी सफलताओं का भली प्रकार अनुमान लगाया जा सकता।किसी भी मनुष्य ने कोई बड़ा काम आशंका या दुविधा की दशा में नहीं किया।यदि उसका विश्वास ही दृढ़ नहीं है तो उसके प्रयत्न भी वैसे ही होंगे।हर सफलता के लिए इस बात का निश्चय आवश्यक है कि मैं यह कार्य कर सकता हूं।इसीलिए तो कहा गया है,हर बड़े कार्य का नेता तथा अगुवा अपने ऊपर विश्वास करता है।आत्मविश्वास ही वह मार्ग दिखाता है,जिस पर चलकर हम हर वस्तु प्राप्त कर सकते हैं,जो हमारे लिए संभव है।यही वह शक्ति है,जो हमारी आंतरिक संभावनाओं का परीक्षण कर सकती है।
- हमारा विश्वास ही हमें उच्च कार्य करने के लिए प्रेरित करता है,क्योंकि वह हमारी आंतरिक संभावनाओं का अनुमान लगा सकता है,जिनसे वह कार्य संपादित हो सकता है।प्रायः लोग यह कहा करते हैं कि यदि मुझमें यह गुण होता तो मैं यह कर डालता-यदि मैं इतना योग्य होता तो वह काम करता,जिसे देखकर संसार विस्मित हो जाता,किंतु तथ्य है कि प्रश्न गुण व योग्यता का नहीं,वरन आत्म-विश्वास का है।बात यह नहीं कि शिकायत करनेवाले में वह योग्यता अथवा गुण नहीं है,अपितु बात यह है कि उसे अपने ऊपर विश्वास नहीं है।यद्यपि उसमें काम करने की पूर्ण योग्यता होती है और वह जानता है कि उसे यह काम करना चाहिए,परंतु वह नहीं करता।क्यों? इसलिए कि उसे अपने ऊपर भरोसा नहीं है।
- यदि हमें अपने ऊपर विश्वास है तो हमें बड़े-बड़े काम करने के अधिक अवसर प्राप्त होंगे,अपेक्षाकृत उस दशा में जबकि हमें अपने ऊपर विश्वास नहीं है।हममें से अधिकतर मनुष्यों को भगवद् प्रदत्त योग्यता प्राप्त है,जिसके द्वारा हम जीवन में अपने लिए गौरवशाली स्थान प्राप्त कर सकते हैं।यदि हममें किसी प्रकार की कमी है तो केवल इस बात की कि हमें अपने ऊपर विश्वास नहीं है; और यह इसलिए कि कोई हमें प्रोत्साहन देने वाला नहीं।योग्यताएं तथा सामर्थ्य हमारे अंदर सुप्तावस्था में विद्यमान है,आवश्यकता उन्हें जगाने की है।
- हमें चाहिए कि हम अपने मानसिक अवयवों को,जो हमारे अंतर में सोए पड़े हैं,झिंझोड़कर जगा दें।सोना धरातल पर कभी नहीं मिला करता,उसे पाने के लिए धरती का सीना चीरना पड़ता है।आपके अंदर भी सोने की खान छिपी हुई है,उस तक पहुंचने के लिए आपको कठोर तथा दुर्गम घाटियों से गुजरना पड़ेगा,अपनी प्रकृति के आवरणों को हटाना पड़ेगा और तब भी शुद्ध सोना नहीं मिलेगा,बल्कि कच्चा सोना,जिसमें पत्थर और अन्य पदार्थ मिले होंगे और उसे साफ करने के लिए और श्रम करना पड़ेगा।
विश्वास गुप्त अवयवों के ताले खोल देता है।कतिपय लोग कहते हैं कि हममें कोई योग्यता नहीं,गुण नहीं,हम चुस्त व चालाक नहीं हैं।स्कूल में अपने सहपाठियों में सबसे फिसड्डी रहते थे,हमें विश्वास नहीं कि हम चाहे कितनी भी कोशिश क्यों न करें,सफल हो जाएंगे।उन्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि सफल जीवन के लिए शिक्षा तथा स्कूली योग्यता कोई मानदंड नहीं है।संसार में ऐसे मनुष्य हुए हैं,जिन्होंने बड़े महान कार्य किए हैं।वे स्कूल के दिनों में बड़े दुर्बुद्धि और मूढ़ थे।अपनी कक्षा में उन्होंने कभी कोई उच्च स्थान प्राप्त नहीं किया।यह विश्वास ही है जो हमारे गुप्त अवयवों के ताले खोल देता है और हमें अपनी योग्यताओं तथा गुणों के प्रदर्शन का अवसर प्रदान करता है।इसी ने संसार में चमत्कार दिखाएं हैं।जिस बात से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है,वही बात आपकी योग्यताओं में भी अभिवृद्धि करती है।
3.विश्वास से चमत्कारिक कार्य संभव (Miracles are possible by faith):
- यदि आपको अपने ऊपर विश्वास है,यदि आप स्थिरचित्तता के साथ कार्य कर सकते हैं तो इसकी कोई चिंता ना करें कि आपकी शिक्षा सीमित है,आपकी योग्यता न्यून है,क्योंकि आपकी सफलता तथा असफलता आपके आत्म-विश्वास,स्थिरता तथा संघर्ष पर निर्भर करती है।
- नवयुवकों के कार्यों पर विश्वास ने जो आश्चर्यजनक प्रभाव डाला है,उसका अनुमान कौन कर सकता है? दृढ़ विश्वास तथा दृढ़ संकल्प के मार्ग में कोई वस्तु बाधक नहीं हो सकती।वह सब बन्धनों को तोड़ देता है और विपत्ति के पहाड़ों को पीसकर रख देता है।
- यह विश्वास तथा श्रद्धा ही थी जिसके बल पर अल्बर्ट आइंस्टीन,इसाक न्यूटन,महावीराचार्य,ब्रह्मगुप्त जैसे गणितज्ञों ने आश्चर्यजनक चमत्कारिक कार्य और खोजें कर दिखाई थी।जैसा विश्वास होगा,वैसा ही मिलेगा।ऐसा कोई कानून नहीं जिसके द्वारा आप सफलता प्राप्त करें।आपको अपने अंदर सच्ची मांग उत्पन्न करनी होगी,अपने ऊपर पूरा विश्वास करना होगा,वरना आप अभीष्ट स्थान तक नहीं पहुंच सकेंगे।अपने पर विश्वास बड़े कामों के लिए आधारशिला सिद्ध हुआ है।हर प्रकार के प्रयत्न में इसी के बल पर चमत्कार हुए है।यदि आपको अपनी योग्यता पर भरोसा है,यदि आपको विश्वास है कि कितना ही कठिन कार्य क्यों ना हो,आप उसे भली-भाँति संपन्न कर सकते हैं तो अपने बाह्य तथा आंतरिक शक्तियों को क्रियाशील बनाइए,अपने विचारों तथा प्रयासों का मुख अपने आदर्श की ओर कीजिए,फिर कोई कारण नहीं कि आप सफल न हों।
- हमारे अंतर में विश्वास एक ऐसी चीज है जो अज्ञान के गर्व में डींगें नहीं मारता,उसे ज्ञान प्राप्त होता है।विश्वास वह सबकुछ देख लेता है,जिसे हमारे बाह्य नेत्र नहीं देख सकते,जो हमारी प्रकृति से लुप्त रहता है।यह हमारे शरीर के अंदर एक तीर्थंकर की भाँति है-एक आध्यात्मिक तीर्थंकर,जो हर मनुष्य के साथ इसलिए नियुक्त है,ताकि आजीवन उसकी अगुआई करता रहे और उसे उत्साहित व उत्प्रेरित करता रहे।वह हमें अपनी संभावनाओं की झलक-सी दिखा देता है,हमें हतोत्साहित नहीं होने देता और कहता है कि तुम बढ़ो,कदम बढ़ाए चलो।
- हमारी आंतरिक दृष्टि और हमारा विश्वास वे शक्तियां तथा साधन देख लेते हैं,जो भय तथा शंकाओं के कारण हमारे बाह्य नेत्रों से ओझल रहते हैं।हमारी आत्मिक दृष्टि का विश्वास दृढ़ होता है।वह भयभीत नहीं होती,क्योंकि उसे मार्ग मालूम होता है और जो कठिनाई सामने है वह उसका हल भी जानती है।उसने हमारे मनोहारी जीवन की सरिता और हमारे आध्यात्मिक साम्राज्य के सागर में डुबकी लगाई होती है।जिसका विश्वास पक्का होता है,कोई कठिनाई उसका मार्ग अवरुद्ध नहीं कर सकती।वह सब काम कर सकता है,क्योंकि वह अंतर्चक्षुओं से देखता है,उस शक्ति को पहचानता है,जिसे जानना मात्र ही किसी कार्यपूर्ति के समान है।
4.मन में शंका को स्थान न दें (Do not let doubts enter your mind):
- आपकी योग्यता के बारे में लोगों का विचार कुछ भी क्यों ना हो,आप कभी अपने मन में इस शंका को स्थान न दें कि जिस कार्य को करने की आपके मन में इच्छा है या जो कुछ आप बनना चाहते हैं,वह आप नहीं कर सकते।अपने व्यक्तिगत विश्वास को हर संभव ढंग से बढ़ाइए।आप ऐसा कर सकते हैं।अपने मन में बार-बार ये शब्द दोहराते रहें, ‘मैं आत्मा हूं,मैं सब कुछ कर सकता हूं।मेरे लिए सबकुछ संभव है।असंभव शब्द मूर्खों के शब्दकोश में मिलता है।’
- इस प्रकार की बातें सोचने से मानव अपनी आत्मा तक पहुंच सकता है और अदृश्य तथा सुप्त शक्तियों को जागृत कर आश्चर्यजनक संभावनाओं का मालिक बन सकता है।
- यदि आपको अपने ऊपर विश्वास है,अपनी योग्यताओं पर भरोसा है तो आपको देखकर दूसरे लोग भी आपके प्रति अच्छी राय रखेंगे और आपके ऊपर विश्वास करने लगेंगे।हमारी आत्मिक और मानसिक शक्ति से बढ़कर अधिक प्रभावशाली कोई बात नहीं होती।हर नवयुवक को बचपन से ही यह शिक्षा देनी चाहिए कि प्रकृति की इच्छा यह है कि संसार में जो काम तुम्हें करना है,जिस पद पर तुम्हें पहुंचना है,वह कोई और कदापि नहीं कर सकता,वहां तक अन्य कोई नहीं पहुंच सकता।उसे आशा रखनी चाहिए कि एक-न-एक दिन वह उस कार्य को करके रहेगा।उसे चाहिए कि वह अपने आपको उसके लिए तैयार करे।उसे सिखाया जाना चाहिए कि मनुष्य को परमात्मा ने अपनी सूरत पर बनाया है।वस्तुतः आत्मा ही अजर-अमर है।भगवान की बनाई हुई सूरत को कभी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता।हर बालक को सिखाया जाना चाहिए कि वह अपने बारे में उच्च विचार रखे,अपनी संभावनाओं,योग्यताओं तथा सामर्थ्य एवं अपने भविष्य की सुंदर रूपरेखा तैयार करे।इस प्रकार उसके आत्म-सम्मान में वृद्धि होगी,उसका शरीर हर्ष से फूला नहीं समाएगा और बढ़ता जाएगा।
- यदि माता-पिता तथा शिक्षकों को इस बात का ज्ञान है कि ठीक ढंग से सोचने और चिंतन-मनन करने से मानसिक शक्तियों का विकास होता है-मानवीय सामर्थ्य में वृद्धि होती है,दुर्बल अवयव बलवान हो जाते हैं और त्रुटियों में सुधार हो जाता है तो कल्पना कीजिए कि उससे देश,जाति तथा मानवता को कितना लाभ पहुंच सकता है।
- वह समय आनेवाला है जब किसी शर्मीले और डरपोक नवयुवक में यदि आत्म-विश्वास तथा कार्य का श्रीगणेश करने का साहस होगा तो उसके मस्तिष्क के दुर्बल भागों में विचार का प्रकाश फैलाकर त्रुटियों को दूर किया जाएगा और उन मानसिक तंतुओं का नवनिर्माण किया जाएगा।
- यह ज्ञात करने में हर प्रकार से लाभ है कि आपको अपना स्वभाव कैसा बनाना चाहिए,ताकि आप दूसरे लोगों को सहायता देनेवाले विचारों से,जो वे आपके बारे में अपने मन में रखते हैं,पूरा-पूरा लाभ उठा सकें।यदि कोई व्यक्ति सर्वथा हतोत्साह व हताश हो जाए और हाथ-पैर न हिलाए तो दूसरे लोग उसकी सहायता करने और उसको प्रोत्साहित करने की अपेक्षा उसको निराश करेंगे और उसकी रही-सही हिम्मत भी समाप्त कर देंगे।
- यदि कोई व्यक्ति निकम्मा और निठल्ला होने की दृष्टि से बदनाम हो जाए तो इस बात का उसके जीवन पर जो निराशापूर्ण प्रभाव पड़ता है,उसका हम सहज अनुमान नहीं लगा सकते।
- लोग हमारे बारे में जो विचार रखते हैं,यदि हम उसके अनुसार व्यवहार करते रहें तो वे हमारी सहायता करते हैं।यदि हम सफल,सम्मानित तथा भाग्यशाली हैं तो लोग भी हमें ऐसा ही समझते हैं,क्योंकि उन्हें हम पर विश्वास होता है।यदि हमारे धन तथा प्रतिष्ठा का ह्रास होना आरम्भ हो जाए तो लोग कहने लगेंगे,’हां वह इसी योग्य है।वह बढ़-चढ़कर हाथ फैलाने लगा था और उसका परिणाम यही होना था।’ यही लोग देखते हैं कि हमारा व्यापार दिन-प्रतिदिन उन्नति कर रहा है तो हर कोई अपने विचार तथा व्यवहार से हमारी सहायता करने दौड़ता है,किंतु यदि हम लुढ़कने लगें तो इसी प्रकार उनके विचारों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।हम पर से उनका विश्वास उठ जाता है और अंततः हम अपने ऊपर से भी विश्वास खो बैठते हैं।
- यदि आप अपने ऊपर विश्वास रखेंगे तो वे शक्तियां जो आपकी कल्पना में भी नहीं होंगी,आपकी सहायतार्थ आ पहुंचेंगी।आप अपने व्यक्तित्व पर भरोसा करें।इस चुंबकीय तार से हृदय प्रकम्पित उठता है।
- हम जिस कार्य को करने का प्रयत्न करें,उसके बारे में हमें अपनी सामर्थ्य पर जितना अटल विश्वास होगा,हमारी सफलता भी उतनी ही निश्चित होगी।
5.अपने आदर्श को सामने रखें (Put your ideal in front):
- जो नवयुवक कर्मभूमि में पदार्पण करें और सफल होने की इच्छा करें,उन्हें अपने मन में यह नहीं कहना चाहिए,’मैं जो चाहता हूं सफल हो जाऊं,किंतु मुझे विश्वास नहीं कि जो कार्य मैं करना चाहता हूं वस्तुतः उसे करने का पात्र हूं या नहीं? मेरे काम और व्यवसाय में लोगों की इतनी भीड़ है।इस मैदान में अनगिनत लोग ऐसे हैं,जिनको समुचित पारिश्रमिक नहीं मिलता।इसलिए मैं समझता हूं कि मैंने भूल की है।अस्तु,मैं यथाशक्ति सबसे अच्छा कार्य करने का प्रयत्न करूंगा।संभव है,कहीं ना कहीं मेरा काम बन जाए।’ जो नवयुवक ऐसी बातें करता है,ऐसे विचार मन में रखता है और ऐसे काम करता है,वह निश्चित ही कहीं ना कहीं फिसल जाएगा,नुकसान उठाएगा,नौकरी से हाथ धो बैठेगा और उसका व्यापार नष्ट हो जाएगा।
- जो व्यक्ति हर समय अपने आदर्श को सामने रखता है,जो बाधाओं और कठिनाइयों की चिंता नहीं करता,जो विफलता का मुख देखने की परवाह नहीं करता,जिसे अपनी विजय तथा सफलता पर पूर्ण विश्वास होता है,वह अंततः विजयी होता है और सफलता प्राप्त करता है।
- जो कुछ बनने की हमारी अभिलाषा है,जो कुछ काम हम करना चाहते हैं,उसी उद्देश्य को सोते-जागते,उठते-बैठते,खाते-पीते,हंसते-रोते हरदम सामने रखना और उसी पर अपना ध्यान केंद्रित कर देना चाहिए।यह है सफलता तथा सुख का दर्शन।
यदि महान गणितज्ञ हताश होकर बैठ जाते और यह घोषणा कर देते कि गणित और विज्ञान में खोज कार्य करना हमारे बस की बात नहीं तो क्या यह आशा की जा सकती थी कि गणित का अनुसंधान आज के मुकाम पर पहुंच पाता? यदि यह बात समझ में आती है तो निश्चित रूप से इस बात को मानने में किसी प्रकार का संकोच नहीं होना चाहिए कि आप अपनी सामर्थ्य पर सन्देह करके और भय के कारण कोई ऐसा काम नहीं कर सकते,जो आपका स्मारक है।महान गणितज्ञ मानसिक अवयव की शक्ति का ‘पूर्ण विश्वास’ है।उसकी आज्ञा,उसके संकेत पर समस्त अवयव दोगुना और तिगुना काम करते हैं।सारी मानसिक शक्तियाँ इसी प्रतीक्षा में रहती हैं कि विश्वास कब हमें आज्ञा दे और हम कब उसका पालन करें।वह कब हमारी सेना का सेनापति बने और हम कब उसका अनुकरण करें। - घुड़दौड़ का घोड़ा कभी रेस नहीं जीत सकता,यदि उसे आगे जाने का पूर्ण तथा दृढ़ विश्वास ना हो।वैयक्तिक विश्वास से जो साहस तथा दृढ़ता उत्पन्न होती है,वही चीज है जो आपकी शक्ति के भंडार की अंतिम बूंद भी निकाल लाती है।जंगली जानवरों को सधाने में उस व्यक्ति को सफलता प्राप्त नहीं हो सकती,जो जंगली,हिंस्र सिंहों के पिंजरे में ढुलमुल विश्वास,भय और शंका के साथ पहली बार प्रवेश करता है।यदि वह मन में यह कहे कि मैं इन जंगली जानवरों को नियंत्रित करने का प्रयत्न करूंगा,किंतु तथ्य यह है कि मुझे विश्वास नहीं कि मैं ऐसा कर भी सकता हूं या नहीं,तो ऐसे मनुष्य का अफ्रीका के जंगली हिंस्र पशु पर विजय प्राप्त करने का प्रयत्न करना एक कठिन कार्य है।ऐसे मनुष्य निस्संदेह होंगे जो ऐसा कर सकते हैं,परंतु मुझे अपने बारे में संदेह है।ऐसे व्यक्ति की सफलता का क्या भरोसा?
- यदि वह भीरुता,भय और संदेह के भाव लेकर जंगली जानवरों के पास जाएगा तो वे उसे तुरंत चीर-फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर देंगे।निर्भीक साहसिकता ही उसकी रक्षक बन सकती है।उसे उन दरिंदों को पहले अपनी आंखों से जीतना होगा।जब वह शेर की आंख-से-आंख मिलाए तो उसकी दृष्टि में सफलता और विजय का जादू झलकना आवश्यक है,क्योंकि डर का तनिक प्रदर्शन भी घातक सिद्ध होगा।यदि उसने जरा भी बुजदिली दिखाई तो उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा।
वास्तविकता यह है कि कोई व्यक्ति दृढ़ संकल्प से उस समय तक काम नहीं कर सकता,जब तक उसे पूरा-पूरा विश्वास ना हो जाए कि वह जिस काम के लिए प्रयत्नशील है,उसे पूरा करके छोड़ेगा। - असफल मनुष्यों में बहुमत ऐसे लोगों का है,जिन्हें अपने सामर्थ्य पर संदेह है और अपने ऊपर विश्वास नहीं।जिस क्षण आपके मन में संदेह उत्पन्न हो जाए या आपको अपने पर भरोसा न रहे,समझ लें कि आपने शत्रु के सामने हथियार डाल दिए और शत्रु की शर्तें मानने के लिए तैयार हो गए।जब आपके मन में दुर्बलता आ जाए,निराशा अथवा सामर्थ्यहीनता का विचार आ जाए तो समझ लें कि आपने आत्मविश्वास का अनुभव करना छोड़ दिया है,जिसका अर्थ यह है कि आप अपनी सारी सफलताओं की बुनियादें खोखली कर रहे हैं।
- अपने विश्वास की शक्ति और दृष्टि के बल पर हमारा जीवन उच्च,साधारण या भव्य,महान अथवा हेय बन जाता है।आस्था ही है जो यथार्थ जीवन के स्रोतों के बंद द्वार खोल देती है और अपने विश्वास तथा निष्ठा के द्वारा ही हम उस असीम शक्ति,उस परमपिता तक पहुंच सकते हैं।जब हमें अपने ऊपर तथा अपने विधाता पर विश्वास हो जाए तो हम कठिनाइयों के पहाड़ों को उड़ा सकते हैं।हमारा जीवन विजयी सेना की भाँति अपने अभीष्ट स्थान की ओर चल पड़ता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में आत्मविश्वास का अद्भुत चमत्कार (Amazing Miracle of Self-confidence),आत्म-विश्वास को डिगने न दें (Do Not Let Your Self-confidence Shake) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:6 Best Tips to Build Self-confidence
6.जिम्मेदार टीचर (हास्य-व्यंग्य) (Responsible Teacher) (Humour-Satire):
- प्रिंसिपल (टीचर के उम्मीदवार से):हमें एक जिम्मेदार गणित टीचर की जरूरत है।
- टीचर:साहब,मैं बहुत जिम्मेदार हूं,जहां-जहा मैंने पहले पढ़ाया था,वहां कोई भी छात्र-छात्रा किसी की भी गलती से फेल हुआ हो।जिम्मेदार मैं ही ठहराया जाता था।
7.आत्मविश्वास का अद्भुत चमत्कार (Frequently Asked Questions Related to Amazing Miracle of Self-confidence),आत्म-विश्वास को डिगने न दें (Do Not Let Your Self-confidence Shake) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.ज्ञान और आत्मविश्वास में क्या संबंध है? (What is the relationship between wisdom and self-confidence?):
उत्तर:ज्ञान आपको अपने अंदर एक क्षमता,आपकी शक्तियों,आपकी छिपी हुई प्रतिभा का एहसास कराता है और यही एहसास आपका आत्म-विश्वास बन जाता है।
प्रश्न:2.अपनी सुप्त शक्तियों को कौन जगाये? (Who awakens his dormant powers?):
उत्तर:आप अपनी सुप्त शक्तियों को स्वयं ही जगा लें,क्योंकि आधुनिक युग के लोग बहुत व्यस्त हैं,अतः किसी गुरु,मार्गदर्शक,हितैषी (प्राचीन काल की तरह) के आने की प्रतीक्षा न करें।
प्रश्न:3.आत्म-विश्वास कैसे बढ़ायें? (How to increase self-confidence?):
उत्तर:हर महान व्यक्ति एक छोटी शुरुआत करता है। उसका कठिन परिश्रम और सही रणनीति उसे महान बनाता है।हर व्यक्ति अपने साथ कुछ गुण लेकर पैदा होता है।बस,उन गुणों को पहचानो,उन्हें अपनी शक्ति बनाओ और उन पर अभ्यास करो।आपका आत्म-विश्वास बढ़ेगा और मंजिल अपने आप कदमों में आ जाएगी।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा आत्मविश्वास का अद्भुत चमत्कार (Amazing Miracle of Self-confidence),आत्म-विश्वास को डिगने न दें (Do Not Let Your Self-confidence Shake) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.