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Aimless Study of Mathematics

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1.लक्ष्यहीन गणित का अध्ययन (Aimless Study of Mathematics),निष्प्रयोजन अध्ययन (Purposeless Study of Mathematics):

  • लक्ष्यहीन गणित का अध्ययन (Aimless Study of Mathematics) से तात्पर्य है कि फालतू ही बिना उद्देश्य,बिना किसी इच्छा के गणित का अध्ययन करना।निष्काम गणित का अध्ययन तथा लक्ष्यहीन गणित के अध्ययन को समझना होगा।अनासक्त भाव,निष्काम भाव से गणित का अध्ययन करने का यह अर्थ नहीं है कि गणित पढ़ने अथवा अध्ययन करने का कोई लक्ष्य ही न हो।वैसे ऐसे समझा जाता है कि छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं तो उसमें फल प्राप्ति के लिए ही यह कर्म किया जाता है।छात्र-छात्राओं द्वारा अध्ययन किया जाता है तो उसके पीछे कोई न कोई प्रयोजन होता है,कोई न कोई लक्ष्य होता है,कोई न कोई उद्देश्य होता है। अब छात्र-छात्राएं अनासक्त कर्म,निष्काम कर्म को सुनकर भ्रमित हो जाते हैं।
  • अध्ययन तथा गणित का अध्ययन फल प्राप्ति के लिए ही करना चाहिए,प्रयोजन और उद्देश्य के साथ ही करना चाहिए परंतु फल प्राप्ति के प्रति आसक्ति (Attachment) रखे बिना करना चाहिए।फल में आसक्ति रखेंगे तो विपरीत परिणाम से दुखी होंगे,अनुकूल परिणाम से बहुत खुश होंगे।इस प्रकार जीवन में दुखी और सुखी होते रहेंगे,प्रभावित होते रहेंगे जिससे जीवन उलझन में पड़ता जाएगा क्योंकि विपरीत और अनुकूल परिणाम जीवन में आते रहते हैं।सुख और दुःख सिक्के के दोनों पहलू हैं जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। दूसरा इसका नुकसान यह है कि यदि अध्ययन कार्य आसक्तिपूर्वक करेंगे तो हमारा ध्यान अध्ययन से हटकर बार-बार फल के बारे में विचार-चिंतन करने में लगा रहेगा।ऐसी स्थिति में हम एकाग्रतापूर्वक अध्ययन नहीं कर सकेंगे।जब अध्ययन कार्य एकाग्रता के साथ नहीं करते हैं तो सफलता मिलना मुश्किल है।
  • गणित की विषयवस्तु तथा अन्य विषयों की विषयवस्तु को एकाग्रता के बिना न तो ठीक से समझ सकते हैं और न ही ठीक से याद कर सकते हैं।
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2.लक्ष्यहीन दिनचर्या (Aimless Routine):

  • छात्र-छात्राएं फालतू गप्पे लगाते रहते हैं,सोशल मीडिया पर फालतू घंटों चैटिंग करते रहते हैं,मौज मस्ती के नाम पर घंटों तथा दिनों को बर्बाद करते रहते हैं।लेकिन उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे अध्ययन कार्य करने में व्यस्त रहते हैं,उन्हें बिल्कुल समय ही नहीं मिलता है।अपने आपको व्यस्त दिखाने का यह एक तरह से फैशन हो गया है कि उनकी लाइफ बहुत फास्ट और बिजी हो गई है,उन्हें किसी कार्य के लिए फुर्सत ही नहीं मिलती है।छात्र-छात्राओं को यह पता ही नहीं है कि इस तरह की दिखावटी व्यस्तता उन्हें कहाँ ले जाकर छोड़ेगी।
  • छात्र-छात्राओं को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि बहुत काम्पटीशन का जमाना आ गया है,दिनचर्या इतनी व्यस्त हो गई है कि बिल्कुल आराम ही नहीं मिलता है।एक दूसरे से गलाकाट प्रतिस्पर्धा हो गई है।वे यह सोच ही नहीं पाते हैं कि इस प्रतिस्पर्धा का अंत कहां और कैसे होगा और अंत में उन्हें क्या मिलेगा?
  • यदि इस दौरान उसका विवेक जागृत हो जाए तो ठिठककर यह परिणाम निकालता है कि अब तक के कॉन्पिटिशन में उसे कुछ भी हासिल नहीं हुआ। और यदि कुछ हासिल किया भी है तो अंत समय में यहीं छूट जाएगा,सब कुछ खत्म हो जाएगा।वह जैसे खाली हाथ आया था वैसे खाली हाथ जाएगा। ऐसा अध्ययन,गणित का अध्ययन जो लक्ष्यहीन हो जिसमें स्वाध्याय शामिल न हो वह अध्ययन किस प्रयोजन को सिद्ध करेगा?

3.अध्ययन साधना समझकर करें (Study Wisely):

  • एक व्यक्ति पानी में लट्ठ मार रहा था।उसे पूछा गया कि वह ऐसा क्यों कर रहा है?उसने जवाब में कहा कि वह निष्काम कर्म कर रहा है अर्थात् पानी में लट्ठ मारने में फल प्राप्ति की इच्छा नहीं है।परंतु निष्काम कर्मफल प्राप्ति,लक्ष्य प्राप्ति,उद्देश्य प्राप्ति से तो किया जाना चाहिए परन्तु फल में आसक्ति (Attachment) नहीं होनी चाहिए।अध्ययन कार्य भी निष्प्रयोजन नहीं होना चाहिए।अध्ययन कार्य एक साधना है।
  • अध्ययन कर रहे हों,प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अध्ययन कर रहे हों,अपने जाॅब में निखार करना चाहते हैं ,जब तक आप उसे साधना समझकर नहीं करेंगे तो उसमें उच्च स्तर की सफलता प्राप्त नहीं कर सकेंगे।
  • साधना से तात्पर्य है एकाग्र मन से अध्ययन कार्य करना।कुछ छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम भी करते हैं।उनमें धैर्य और साहस भी होता है परन्तु लक्ष्य के प्रति एकाग्रता नहीं होती है इसलिए उन्हें सफलता नहीं मिलती है।सफलता उन्हें मिलती है जो मन को एकाग्र करके पढ़ाई करते हैं,लक्ष्यहीन अध्ययन नहीं करते हैं।अध्ययन कार्य को एकाग्र होकर पूरा करते हैं।जिनमें एकाग्रता नहीं होती है,वे जल्दी ही निराश हो जाते हैं और लक्ष्य से भटक जाते हैं।अपने ध्यान को अध्ययन पर फोकस रखना एकाग्रता है।जो विद्यार्थी घानी के बैल की तरह अध्ययन करते हैं वे लक्ष्यहीन अध्ययन करते हैं।कोल्हू (घानी) का बैल किसी लक्ष्य पर नहीं पहुंचता है।वह बस रात-दिन गोल चक्कर काटता रहता है जिसकी आंखें पट्टी से बंधी हुई रहती है।

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4.लक्ष्यहीन अध्ययन का दृष्टांत (Parable of Aimless Study):

  • एक विद्यार्थी बहुत अहंकारी था।उसे अहंकार का नशा था।जिसे नशा होता है उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता है।कोई स्वार्थ के कारण अंधा होता है,कोई नशा करके नशे में अंधा हो जाता है।कोई धन में अंधा रहता है अर्थात् धन का नशा होता है।कामान्ध होता है उसे किसी से छेड़छाड़ करने में लज्जा महसूस नहीं होती है।न वह दिन देखता है और न रात देखता है,हमेशा कामासक्त रहता है।ऐसे व्यक्तियों को अपने अंदर दोष दिखाई नहीं देता है बल्कि दूसरों पर दोषारोपण करते हैं।आंखों से अंधा होता है और अगर वह किसी दीवार से टकरा जाता है तो उसे ही गालियां देने लगता है।अगर वह सावधानी से और टटोलकर चलता तो दीवार से नहीं टकराता।इस प्रकार इस दुनिया में अनेक प्रकार के अन्धे होते हैं जिनमें खुद में दोष होता है परंतु अपने दोष का दोषारोपण दूसरों पर करते हैं।
  • इसी प्रकार यह अहंकारी विद्यार्थी था जिसे अपने अंदर का दोष दिखाई नहीं देता था।एक बार वह गणित अध्यापक के पास जाकर बोला कि मुझे ट्यूशन करा दो।जल्दी से जल्दी मेरा कोर्स पूरा करा दो क्योंकि जरा मैं जल्दी में हूं।गणित अध्यापक ने पूछा कि आपको किस विषय की ट्यूशन करनी है।
  • यह बात गणित अध्यापक ने कोचिंग में बिठाते हुए पूछा कि आपको किस विषय की पढ़ाई करनी है। आप तो मुझे ट्यूशन करा दो।अगर मुझे यही पता होता कि किस विषय की पढ़ाई करनी है तो मैं खुद पढ़ाई नहीं कर लेता।तुम्हारे पास पढ़ने क्यों आता?
  • उपर्युक्त आर्टिकल में लक्ष्यहीन गणित का अध्ययन (Aimless Study of Mathematics),निष्प्रयोजन अध्ययन (Purposeless Study of Mathematics) के बारे में बताया गया है।

5.गणित और नरक (हास्य-व्यंग्य) (Math and Hell) (Humour-Satire):

  • पुत्र (माँ से):माँ क्या नर्क में गणित विषय पढ़ाया जाता है?
  • माँ:नहीं तो,गणित तथा नरक का कोई संबंध नहीं है।परंतु यह क्यों पूछ रहे हो?
  • पुत्र (माँ से):विद्यार्थी सबसे अधिक गणित को हल करने से ही घबराते हैं फिर विद्यार्थी नरक में जाने से क्यों घबराते हैं?

6.लक्ष्यहीन गणित का अध्ययन (Aimless Study of Mathematics),निष्प्रयोजन अध्ययन (Purposeless Study of Mathematics) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.निष्क्रियता और निष्कामता में क्या फर्क है? (What is the Difference Between Inaction and Unattachment?):

उत्तर:शारीरिक कर्मों के न करने को निष्क्रियता कहते हैं।परन्तु निष्कामता कर्मों के न करने को नहीं कहा जाता है बल्कि कर्मफल के प्रति आसक्ति न रखने को निष्कामता कहते हैं।कर्मफल के प्रति निष्कामता की स्थिति तब उपलब्ध होती है जब व्यक्ति किसी कर्म का कर्त्ता स्वयं को नहीं समझता है।कर्त्ता समझने से अहंकार पैदा होता है।कर्त्ता के अभाव को निष्कामता की स्थिति कहा जाता है। इसमें कर्म तो होता है परंतु कर्मफल के प्रति आसक्ति नहीं होती है।

प्रश्न:2.आलस्य क्या है? (What is Laziness?):

उत्तर:अध्ययन के प्रति,कर्म के प्रति उत्साह न होना,कर्म से विमुख होना आलस्य है।विद्यार्थी तथा व्यक्ति का कोई लक्ष्य न हो अर्थात् लक्ष्यहीन जीवन से कर्म के प्रति उत्साह नहीं रहता है।निराशा,शोक,उत्साह से युक्त मानसिक दशा हो तो कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती है और हमारी निष्क्रियता बढ़ती जाती है।यह आलस्य है।

प्रश्न:3.लक्ष्यहीन प्रतियोगिता से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Aimless Competition?):

उत्तर:लोगों से आगे से आगे बढ़ने के लिए प्रतियोगिता करना।यह सोचना कि लोगों से हम पिछड़ न जाए।सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट के अनुसार इस दौड़ में,इस प्रतियोगिता में वही सही सलामत बचेगा जो सक्षम होगा।बिना सोच-विचार किए लोगों से प्रतियोगिता करना तथा यह नहीं सोचना कि इस प्रतियोगिता का अंत कहाँ होगा और कैसा होगा,लक्ष्यहीन प्रतियोगिता है।बिना लक्ष्य के अध्ययन करते जाना,एक दूसरे छात्र-छात्रा से आगे निकलने की होड़ करना लक्ष्यहीन प्रतियोगिता है। लेकिन इस तरह से अपनी दिनचर्या को व्यतीत करना वाकई में बुद्धिमानी नहीं है बल्कि सोच समझकर लक्ष्य तय करना और लक्ष्य केंद्रित अध्ययन करने में ही बुद्धिमानी है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा लक्ष्यहीन गणित का अध्ययन (Aimless Study of Mathematics),निष्प्रयोजन अध्ययन (Purposeless Study of Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Aimless Study of Mathematics

लक्ष्यहीन गणित का अध्ययन
(Aimless Study of Mathematics)

Aimless Study of Mathematics

लक्ष्यहीन गणित का अध्ययन (Aimless Study of Mathematics)
से तात्पर्य है कि फालतू ही बिना उद्देश्य,बिना किसी इच्छा के गणित का अध्ययन करना।
निष्काम गणित का अध्ययन तथा लक्ष्यहीन गणित के अध्ययन को समझना होगा।

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