5 Ways to Calm Mind for Students
1.छात्र-छात्राओं के लिए मन की शांति के 5 उपाय (5 Ways to Calm Mind for Students),छात्र-छात्राओं के लिए मन की शान्ति और एकाग्रता के 5 उपाय (5 Ways to Bring Peace of Mind for Students):
- छात्र-छात्राओं के लिए मन की शांति के 5 उपाय (5 Ways to Calm Mind for Students) अध्ययन करने,परीक्षा की तैयारी करने और जीवन निर्माण के लिए आवश्यक है।मन की शांति और एकाग्रता के बिना जीवन का कोई भी उद्देश्य,कोई भी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न नहीं किया जा सकता है।
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2.मन का शांत रहना आवश्यक (It is necessary to keep the mind calm):
- मन-मस्तिष्क का शांत रहना,संतुलित रहना बहुत जरूरी होता है।उनके असंतुलित होने पर ना तो हम कोई काम ठीक से कर पाते हैं और न ही हम जीवन में उन्नति कर पाते हैं।अगर आप गुस्से में हैं,अगर आप अशांत हैं तो आप अपनी समस्या का समाधान नहीं खोज पाएंगे।जब तक मन अस्थिर और चंचल है,तब तक किसी को अच्छा गुरु और साधु की संगति मिल जाने पर भी लाभ नहीं होता।इसलिए मानसिक शान्ति का महत्त्व समझने की बहुत आवश्यकता है।इसीलिए कहा गया है कि जब तक मस्तिष्क शांत ना हो,तब तक किसी विषय पर विचार नहीं करना चाहिए।मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाने में शांति का बहुत योगदान होता है।इससे जीवन गंभीर बनता है।हम अपने विचारों पर संतुलन रख पाते हैं और उनमें सार्थकता भी होती है।
- जो लोग सदा शांत रहते हैं,उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।वे सबसे उलझते-झगड़ते रहते हैं।उनका मन शांत नहीं रहता और वे दूसरों को भी अशांत बनाते हैं।जिन पर चिंता,भय,क्रोध,असंतोष सवार रहते हैं,जो निराश रहते हैं और दुखी होकर बैठे रहते हैं,उनका मन सदा उद्विग्न रहता है।इस कारण उनके मस्तिष्क में संतुलन नहीं रहता।टामसन का कहना है कि, ‘शांति मनुष्य की सुखद और स्वाभाविक स्थिति है,युद्ध उसका पतन है।’ यह इसलिए भी आवश्यक है कि हम अपने विचारों को तभी एकाग्र बना सकते हैं,जब हमारे अंदर शांति होगी।विचारों के बिखराव को रोकने के लिए एकाग्र बनना जरूरी हैं।
- मन शान्त होता है तो चित में एकाग्रता आती है।इस स्थिति में हम जो पढ़ते हैं,जो सोचते हैं-उसका अच्छा फल मिलता है।एकाग्रता तभी आती है जब मानसिक शान्ति मिलती है।किसी ने कहा भी है ‘तुम्हारी विजयशक्ति है-मन की एकाग्रता।यह शक्ति मनुष्य जीवन की समस्त ताकतों को समेटकर मानसिक क्रान्ति उत्पन्न करती है।’ स्वामी शिवानन्द कहते हैं-‘एकाग्रता आवेश को पवित्र और शान्त कर देती है,विचारधारा को शक्तिशाली और कल्पना को स्पष्ट करती है।’
- आप अध्ययन कर रहे हैं,किन्तु मन कहीं और भटक रहा है।आप अध्ययन कर रहे हैं और पृष्ठभूमि में रेडियो पर संगीत बज रहा है-इससे मन की एकाग्रता में विघ्न पड़ता है।इसलिए यह ध्यान रखें कि वातावरण का भी बहुत प्रभाव पड़ता है।यदि वातावरण अशांत है,तो वह आपको भी अशांत बनायेगा।आपके चित्त को एकाग्र नहीं बनने देगा।चित्त एकाग्र नहीं होगा तो आप जिस परीक्षा के लिए पढ़ाई कर रहे हैं,उसमें सफलता संदिग्ध बन जाएगी।इसलिए एकाग्रचित्त बनाने के लिए वे सभी उपाय करने चाहिए,जो उसके लिए आवश्यक है।कहा गया है-‘संसार के प्रत्येक कार्य में विजय पाने के लिए एकाग्रचित्त होना आवश्यक है।जो लोग चित्त को चारों ओर बिखेरकर काम करते हैं,उन्हें सैकड़ो वर्षों तक सफलता का मूल्य मालूम नहीं होता।किंतु मन में एकाग्र शक्ति प्राप्त करने वाले मनुष्य संसार में किसी समय असफल नहीं होते।’
- मन की शांति बनाए रखना एक तरह की साधना है।हम जिस समाज में रहते हैं-वहां बहुत कुछ घटित होता है और वह हमें प्रभावित कर सकता है।लेकिन उसमें बहुत कुछ ऐसा होता है,जिससे हम बच सकते हैं।इससे हम अपने को अशांत होने से बचा लेंगे।
- बहुत से लोग ‘शांति-शांति’ चिल्लाते हैं।वे चाहते तो शांति हैं,किंतु उसी के साथ अपने को अन्य बातों से मुक्त नहीं रख पाते।इस कारण उनका चित्त भटकता रहता है।लेकिन यदि वे मन पर विजय पाकर शांति प्राप्त कर लें तो सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।तभी प्रसिद्ध कवि मिल्टन ने कहा है-‘शांति की विजय,युद्ध की विजय से कम यशस्वी नहीं होती।’ इसलिए सदा प्रयत्न करते रहने चाहिए कि अपनी मानसिक शांति बनाए रखें।जो भी काम करें,शांत मन से करें।यही उस काम की सफलता का मंत्र है।
3.अशांति का कारण (Cause of unrest):
- अगर हम ऐसा सोचते हैं कि जमाना खराब है,वातावरण खराब है,बहुत अशांत है और यही हमारी अशांति का कारण है तो हम गलतफहमी में है क्योंकि शांति और अशांति बाहर से नहीं आती,हमारे अंदर से ही आती है।हमारी मनोवृत्ति से आती है,हमारे स्वभाव और पुराने संस्कारों से आती है और यह तयशुदा बात है कि शांति या अशांति का होना बाहर का नहीं,अंदर का मामला है।हम यदि अशांत हैं तो इसका मतलब यह होगा कि हमने खुद ही अशांति को चुना है,अशांति को पसंद किया है और इसीलिए अपने आपको अशांति से जोड़ा है।
- छात्र-छात्राओं के जीवन के दो पहलू हैं और यह हम पर निर्भर है,हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है,हमारी मर्जी पर निर्भर है कि हम दोनों में से किस पहलू को चुनते हैं,किस पहलू से जुड़ते हैं और किस पहलू पर चलते हैं।
- उदाहरणार्थ एक पहलू है परिश्रमपूर्वक अध्ययन करके,सही तरीके अपनाकर परीक्षा में उत्तीर्ण होना।विवेक,धैर्य,साहस,लगन,संकल्पशक्ति व आत्मविश्वास आदि गुणों का विकास करना और इन गुणों के द्वारा अपने जीवन का निर्माण करना,उन्नति करना,आगे बढ़ना,अपने व्यक्तित्व का विकास करना,आचरण और चरित्र को उज्जवल बनाना आदि।
- दूसरा पहलू है:अनैतिक तरीके अपनाकर,नकल करके,रिश्वत व घूस देकर उत्तीर्ण होने का प्रयास करना,सेक्स और रोमांस का छात्र जीवन में लुत्फ उठाना अर्थात् ब्रह्मचर्य का पालन न करना,शराब,ड्रग्स व मादक द्रव्यों का सेवन करना,चोरी करना,लड़ाई-झगड़ा व दंगा फसाद करना,लूटना-खसोटना,अपने सामने किसी को कुछ न समझना,अहंकारी होना,परिश्रम से जी चुराना आदि।पहला पहलू शांति वाला है और दूसरा पहलू अशांति को अपनाना है।अशांति और शांति में से हम किसे चुनते हैं यह हम पर ही निर्भर है।
- गलत तरीके,गलत मार्ग,गलत दिशा,गलत कार्य करने की प्रेरणा हमें अपने अंदर से ही मिलती है।अर्थात् जैसी हमारी मानसिकता,मनोवृत्ति और संस्कार होते हैं वैसे ही कार्य हम करते हैं।गलत कार्य करके सफल होने वाले छात्र-छात्राओं को दो घड़ी (कुछ समय) सुकून मालूम होता है लेकिन असलियत उसके बिल्कुल विपरीत है।गलत करनामें,गलत कारनामों का डर छात्र-छात्राओं के अंदर मन में बेचैनी पैदा कर देता है।पकड़े जाने का डर,उसके फलस्वरूप मिलने वाला दण्ड या सजा का भय छात्र-छात्राओं के मनोबल को तोड़ता रहता है।इस प्रकार वे अशांत होते चले जाते हैं,अपने जीवन को नरक की ओर धकेल रहे होते हैं।उन्हें बड़ी बेचैनी और पीड़ा महसूस होती है जिससे बचने के लिए फिर से गलत काम करता है।इससे क्षणिक फायदा मालूम पड़ता है परंतु वस्तुतः उसका मानसिक संतुलन और नियंत्रण भंग होता है।इसलिए अपराधी छात्र-छात्रा एक न एक दिन पकड़ा जाता है।
- गलत काम करने वाले छात्र-छात्रा ही आशांत नहीं रहते हैं बल्कि जो सुख-सुविधाओं का भोग विलाससितापूर्ण वृत्ति के साथ करते हैं वे भी अशांति को चुनते हैं।
- जैसे-जैसे वैज्ञानिक प्रगति हो रही है,भौतिक सुविधा के लिए नए-नए उपकरणों की खोज हो रही है वैसे-वैसे आम आदमी की बेचैनी और उसका असंतोष बढ़ता जा रहा है,वह अशांत होता जा रहा है।
आज के छात्र-छात्राओं के पास शानदार पलंग मिल जाएगा पर नींद नहीं मिलेगी,उनके पास ढेरों पुस्तकें, संदर्भ पुस्तकें मिल जाएगी पर ज्ञान नहीं मिलता,स्वादिष्ट भोजन मिल जाएगा पर भूख नहीं मिलती,रुपया-पैसा,धन-दौलत मिल जाएगा पर मन की शांति,सुख-चैन नहीं मिलता।तात्पर्य यह है कि अशांति का चुनाव हम स्वयं ही करते हैं।
4.शांति धारण करने के उपाय (Ways to Maintain Peace):
- शांति उपलब्ध करने के लिए जिन प्रयासों की जरूरत होती है उन्हें हमें ठीक से जानना व समझना होगा और उन्हें अमल में लेना होगा।अशांति पैदा करने वाले कामों से बचना होगा और शांति उपलब्ध कराने वाले गुणों को धारण करके संकोच छोड़ना होगा।
- इस जीवन में तुम जो सबसे बड़ा लाभ प्राप्त कर सकते हो वह शांति प्राप्त करना है।शांति से बढ़कर कोई सुख नहीं,कोई संपदा नहीं।अपने आप पर,अपने सत्कर्मों पर,अपनी कड़ी मेहनत पर विश्वास रखकर सही मार्ग पर चलो।सदैव अच्छे कामों में संलग्न रहो,सत्य बोलो,किसी की निंदा मत करो,किसी को मन,वचन,कर्म से पीड़ा मत पहुंचाओ।यही एक मात्र मार्ग है जो तुम्हें शांति प्राप्त करा सकता है।यह दुनिया गोल है,एक चक्र है जहां जो चीज हम दूसरों को देते हैं वही घूम फिरकर हमारे पास ब्याज सहित लौट आती है।अच्छा दोगे तो अच्छा पाओगे।दूसरों को शांति दोगे तो ही खुद भी शांति पा सकोगे।अशांति दोगे तो अशांति पाओगे।
- कौन मनुष्य शांति नहीं चाहता पर हर किसी को शांति नहीं मिलती।वास्तव में शांति सिर्फ ज्ञानी व्यक्ति को ही मिलती है,सद्बुद्धि धारण करने वाले को ही मिलती है और प्रकृति के अनुकूल आचरण करने वाले को ही मिलती है।कुछ विशेष नियमों का पालन करने वाले को ही मिलती है जैसे अपनी गलती मान लेना चाहिए इसमें शर्म की कोई बात नहीं बल्कि अपना सुधार करना है,क्षमा मांग लेना कमजोरी की बात नहीं होती और न क्षमा कर देना कमजोरी की बात होती है बल्कि यह तो वीरता की बात होती है,सहनशील होना मजबूरी की बात नहीं,उदारता की बात होती है।धैर्य धारण करना आलस्य की नहीं,दूरदर्शिता की बात होती है।
- ये सब गुण हमारे व्यक्तित्व के विकास और आत्मा की उन्नति में सहायक रहते हैं।अपनी गलती मान लेने से अपना ही सुधार होता है,क्षमा मांग लेने से अहंकार नष्ट होता है,क्षमा कर देने से वैरभाव नष्ट होता है,सहनशीलता से मनोबल बढ़ता है और धैर्य का फल सदा मीठा होता है।इन सब गुणों को धारण करने से शांति उपलब्ध होती है।नियमित ध्यान-योग,प्राणायाम,योगासन,पूजा,जप और मन को एकाग्र करने का अभ्यास करने से मन को शांति मिलती है,मानसिक संतुलन बना रहता है।
- धन से बहुत कुछ खरीदा जा सकता है पर सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता है।बहुत सी चीजें ऐसी है जो धन देकर प्राप्त नहीं की जा सकती और उन चीजों में से एक चीज है शांति।धन से सुख-सुविधा के साधन ही खरीदे जा सकते हैं पर सुख शांति कोई वस्तु नहीं है जिसे खरीदा जा सके।ये तो सिर्फ अनुभूति के नाम है जिन्हें अनुभव किया जाता है।शांति का अनुभव करने के लिए अपने आप पर,भगवान पर सुदृढ़ विश्वास रखकर हर हाल में राजी रहना अनिवार्य शर्त है।
5.छात्र-छात्राएं शांति धारण करें (Students should maintain peace):
- छात्र-छात्राओं को अध्ययन करने,परीक्षा की तैयारी करने के लिए शांति धारण करना आवश्यक है।मन को निर्विकार रख कर,मन को एकाग्र रखकर,सही दृष्टिकोण रखकर परीक्षा की तैयारी के लिए उचित प्रयास करना होगा।
- यदि मन अशांत रहेगा तो परीक्षा की तैयारी ठीक तरह से नहीं कर पाएंगे।क्योंकि अशांत मन से अध्ययन में आने वाली अड़चनें,समस्याएं,शारीरिक दुःख-कष्ट आदि तो दिखाई देते हैं परंतु दृष्टिकोण परिवर्तित करते ही वे दुःख,तकलीफ,कष्ट हमें आंनदायक लगेंगे और उससे मन शांति को उपलब्ध हो सकेगा।मन की एकाग्रता भी तभी टिक सकती है जब मन शांत होता है।और बिना एकाग्रता के अध्ययन नहीं किया जा सकता है।चंचल और बेचैन मन वर्तमान में स्थिर नहीं रहता है,बल्कि वह भूतकाल और भविष्य काल में गोते लगाता रहता है।जो मन भूतकाल व भविष्यकाल में गोते लगाता है वह बुड्ढा व बालकपन की मानसिकता वाला होता है।वर्तमान में टिके रहने वाला मन ही युवा मानसिकता वाला होता है।
- अतः छात्र-छात्राओं को परीक्षा की तैयारी बेहतरीन तरीके से करना है,परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना है तो युवा मानसिकता रखनी होगी अर्थात् वर्तमान में जीना होगा।वर्तमान में मन को स्थिर रखकर ही आप अध्ययन को शिखर पर पहुंचा सकते हैं,प्रगति,उन्नति कर सकते हैं।अपने व्यक्तित्व को समुन्नत कर सकते हैं।
- भूतकाल व भविष्य काल में उलझा रहने वाला मन रंगीन सपने देखता रहता है,फल (परिणाम) में उलझा रहता है।अतः परीक्षा की तैयारी करने से उसका ध्यान हट जाता है,पुस्तकों का अध्ययन करने पर मन केंद्रित नहीं रहता है।ऐसी मानसिकता इंद्रियों को बोथरा कर देती है।विवेक,धैर्य,साहस और मन की शांति से मन को एकाग्र करें और मनोवांछित फल प्राप्त कर लें।मन को वश में करना है तो कठिन परंतु असंभव नहीं है।पहले मन को शांत करने के उपाय करें।मन शांति को कैसे उपलब्ध हो सकता है,इसके उपाय ऊपर बताए गए हैं वे करें।ज्ञान प्राप्त करते रहने वाले,सद्बुद्धि धारण करने वाले,प्रकृति के अनुकूल आचरण करने वाले को ही शांति मिलती है।इसके अन्य उपाय हैंःध्यान-योग,जप-तप,पूजा-पाठ,योगासन,प्राणायाम आदि।
- अपने अध्ययन कार्य को दत्तचित्त होकर करना ही पूजा,जप,तप है।अध्ययन को डूब कर करना,पूर्ण एकाग्रता के साथ करना,मन का उच्चाटन न होने देकर अध्ययन करना ही ध्यान है।सदाचरण का पालन करना अर्थात् परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए उचित तरीके अपनाना,सत्कर्म करना,कठिन परिश्रम करना ही ज्ञान प्राप्ति का मार्ग है।थोड़ा-बहुत आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने का मार्ग है।उपर्युक्त बातों पर अमल करके आप परीक्षा की तैयारी करें और परिणाम देख लें कि मन की शांति परीक्षा में कितनी उपयोगी है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए मन की शांति के 5 उपाय (5 Ways to Calm Mind for Students),छात्र-छात्राओं के लिए मन की शान्ति और एकाग्रता के 5 उपाय (5 Ways to Bring Peace of Mind for Students) के बारे में बताया गया है।
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6.छात्र द्वारा गोपनीयता (हास्य-व्यंग्य) (Privacy by Student) (Humour-Satire):
- एक दिन गणित की मैडम ने परीक्षा में एक छात्र को नकल करवा कर कहा कि प्रिंसीपल साहब को मत बताना कि मैंने नकल करवायी है।
- छात्र:नहीं मैडम,मैं किसी को एक-दूसरे की बात नहीं बताता।मुझे प्रिंसिपल साहब नकल करने की रोज नई-नई तकनीक बताते हैं पर मैंने आपको या और किसी को यह बात कभी नहीं बताई।
7.छात्र-छात्राओं के लिए मन की शांति के 5 उपाय (Frequently Asked Questions Related to 5 Ways to Calm Mind for Students),छात्र-छात्राओं के लिए मन की शान्ति और एकाग्रता के 5 उपाय (5 Ways to Bring Peace of Mind for Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.विद्यार्थी का चरम उद्देश्य क्या है? (What is the ultimate purpose of the student?):
उत्तर:शांति विद्यार्थी और उसके जीवन का चरम उद्देश्य है।विद्यार्थी और लोग संसार में जितने धर्म-कर्म करते हैं,उन सबके पीछे यही कामना छुपी रहती है कि वे शांतिपूर्वक जीवन बितायें।
प्रश्न:2.संतोषी व लोभी व्यक्ति में क्या अंतर है? (What is the difference between a contented person and a greedy person?):
उत्तर:संतोषरूपी अमृत से जो लोग तृप्त होते हैं,उनको जो शांति और सुख होता है,वह धन के लोभियों को,जो इधर-उधर दौड़ा करते हैं,नहीं प्राप्त होता है।
प्रश्न:3.विद्यार्थी शांति को उपलब्ध कैसे हों? (How do students have access to peace?):
उत्तर:भौतिक जीवन और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन बनाकर रखें।अपने कर्त्तव्य अध्ययन कार्य को पूर्ण निष्ठा और अनासक्त होकर करता रहे तो शांति को उपलब्ध हो सकता है।अनासक्त कर्म उसे अध्ययन के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा देता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए मन की शांति के 5 उपाय (5 Ways to Calm Mind for Students),छात्र-छात्राओं के लिए मन की शान्ति और एकाग्रता के 5 उपाय (5 Ways to Bring Peace of Mind for Students) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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