13 Tips for Creative Life for Students
1.छात्र-छात्राओं के लिए सृजनात्मक जीवन के 13 सूत्र (13 Tips for Creative Life for Students),सृजनात्मक जीवन के 13 स्वर्णिम सूत्र (13 Golden Tips for Creative Life):
- छात्र-छात्राओं के लिए सृजनात्मक जीवन के 13 सूत्र (13 Tips for Creative Life for Students) के लिए यों तो इतने तर्क और तथ्य प्रस्तुत किए जा सकते हैं कि एक पुस्तक भी कम पड़ जाए।परंतु कहते हैं की संक्षिप्तता बुद्धिमानी की निशानी है इसलिए हमारी देव भाषा संस्कृत सूत्र रूप में कहने वाली भाषा है।जिसका एक-एक श्लोक,एक-एक मंत्र बहुत गूढ़ अर्थ समेटे हुए हैं,व्यापक और गहरा अर्थ लिए हुए होता है।सृजनात्मकता के बारे में और भी आर्टिकल पोस्ट किए हैं परंतु इसमें विशिष्ट सामग्री है।
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2.निर्णयात्मक शक्ति की खोज (The Search for Decisional Power):
- हम किसी भी बात का निर्णय तभी कर सकते हैं जबकि हमारे अंदर सकारात्मकता हो,नकारात्मकता ना हो।किसी भी निर्णय तक पहुंचने के लिए हमें बहुत से पहलुओं पर गौर करना पड़ता है,एकाएक और अनायास ही किसी निर्णय पर नहीं पहुंच जाते हैं यदि एकाएक,बिना समझे किसी बात का निर्णय लेते हैं तो परिणामस्वरूप हमें पछताना पड़ता है।इसके लिए निम्न सूत्रों का पालन करें:
- (1.)नकारात्मक विचार मानव जीवन को बर्बाद करते हैं, इसलिए ऐसे विचार अक्षम्य हैं।यदि कोई व्यक्ति ऐसे विचार करता है तो स्वयं पर एक अकथनीय अत्याचार करता है।
- (2.)मनुष्य स्वयं ही अपने जीवन को कष्ट में डालता है। अतः जब कष्ट को चुनें तो घबराएँ नहीं,वरन् अपने कार्य जिम्मेदारी से निभाएँ।सफलता कष्टप्रद मार्ग पर चलने से ही मिलती है।
- (3.)मनुष्य का व्यक्तित्व इस बात पर निर्भर करता है कि वह संसार को किस तरह से देखता और उससे समायोजन किया करता है।
- (4.)हमारे विचार और मान्यताएं बहुमूल्य संपत्ति हैं।
- (5.)किसी कार्य को करने से पहले गंभीरतापूर्वक यह विचार कर लेना चाहिए कि वह हमारी महानता और गरिमा के अनुरूप है अथवा नहीं।
3.अनिश्चित संसार में सुरक्षा (Security in an Uncertain World):
- संसार वह है जिसे न तो पाया जा सकता है और न खोया जा सकता है।फिर हमें इस संसार में अपना पार्ट अदा करना पड़ता है।जो इस कला में पारंगत होता है या हो जाता है।वह अपना सर्वश्रेष्ठ अभिनय संसार रूपी रंगमंच पर प्ले करता है।इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखें:
- (1.)जिस तरह नवजात शिशु जन्म लेते समय चिल्लाता है और उसके बाद हंसता है,ठीक उसी तरह हमें भी अपने जीवन में कठिनाइयों के बीच मुस्कुराना चाहिए।
- (2.)स्वयं की धारणाएं मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र हैं। धारणाएं अच्छी होने पर वह अच्छाई और बुरी होने पर बुराई के मार्ग पर चल पड़ता है।
- (3.)हमें अनिश्चितता और दुर्भाग्य को तिलांजलि देकर निर्माण-कार्यों में लग जाना चाहिए।
- (4.)स्वस्थ शरीर में स्वस्थ विचार आते हैं।शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहने पर आंतरिक विचार स्वस्थ रहते हैं।विचारों से ही मनुष्यों की अच्छाई-बुराई जानी जाती हैं।
- (5.)जीवन में निश्चित रूप से सफलता पाने के लिए प्रतिदिन कुछ समय अपने आइने (शीशे) के सामने खड़े होकर यह दोहराएं कि हम आगे अवश्य उन्नति करेंगे।इससे सफलता अवश्य मिलेगी।
- (6.)जीवन को निर्धारित मात्रा में समय मिला है।अतः इसका सदुपयोग करें।
4.जीवन के क्रियाकलापों में शक्ति (Power in the Activities of Life):
- जीवन और जगत में हम जो कार्य करते हैं उन कार्यों से हमें शक्ति मिलती है।कर्म में अटूट निष्ठा और अटल विश्वास करते हुए अपने कर्त्तव्यों का पालन करते रहना चाहिए,फल अर्थात् परिणाम की बिना चिंता किए हुए क्योंकि फल या परिणाम हमारे हाथ में नहीं है।किसी भी कर्म का फल भगवान के विधि-विधान के अनुसार ही मिलता है।इसके लिए निम्न नियमों का पालन करना चाहिए:
- (1.)रचनात्मक या निर्माणात्मक कार्य जीवन का सबसे उत्तम कार्य है।यह संपदा या रुपए से भी अधिक कीमती है।
- (2.)गलती से यदि अपनी प्रतिभा के प्रतिकूल कोई धंधा चुन लिया हो तो उसे तुरंत बदल दीजिए।कम वेतन मिलने पर भी अपनी पसंद का धंधा या व्यापार ठीक होता है।यदि इसे बदलना कठिन हो तो उसमें ही मन लगाकर जुट जाएँ।
- (3.)एकाग्रता से समय का सदुपयोग पाबंदी के साथ करते हुए निर्माण-कार्य में लग जाएँ।एक कार्य चुनकर उसमें विशेष योग्यता प्राप्त करें।अनेक कार्य एक साथ करके शक्ति का अपव्यय न करें।
- (4.)प्रत्येक दिन के लिए कार्य और अवकाश निर्धारित कर लें।
- (5.) मित्रता करना भी जीवन का एक उद्देश्य होना चाहिए।लोगों द्वारा अपमानित होने पर भी नए-नए ढंग से मित्रता बढ़ानी चाहिए।
- (6.)जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु दो बातें आवश्यक हैं-पहली,जीवन के प्रत्येक दिन के लिए लक्ष्य निर्धारण एवं दूसरी,जीवन से कभी नहीं भागना।
- (7.)आप जैसा सोचते हैं और करते हैं,वैसे ही बन जाते हैं।अपने आपको गिराने अथवा उठाने हेतु आप स्वयं जिम्मेदार होते हैं।
- (8.)उम्र अधिक होने से कार्य में बाधा नहीं पड़ती।आवश्यकता मात्र कार्य करने की भावना बनाए रखने की है।
- (9.)स्व-अवधारणा कमजोर होने पर दूसरों की सत्यता पर विश्वास नहीं जमता और जीवन निरर्थक लगने लगता है।
- (10.)जॉर्ज बर्नार्ड शाॅ ने अपनी आत्मा को स्वच्छ एवं पवित्र बनाए रखने हेतु कहा था।उनके अनुसार आत्मा मानव जीवन की खिड़की की तरह है,जिसमें से पूरे जीवन को देख सकते हैं।
- (11.)अधिकांश लोग आत्मचिंतन की परवाह न करके भौतिक वस्तुओं के चिंतन में लगे रहते हैं,जो नाशवान हैं।
- (12.)लगातार चलने और जीवन का आनंद लेने वाले व्यक्ति कम समय में अधिक जीने वालों से अधिक जीते हैं।जब तक जिएँ,जीवट बनाए रखें।
- (13.)अपने हृदय से भय और नकारात्मक विचारों को निकाल दें।उन मित्रों को त्याग दें,जो जीवन को नीरस बनाते हैं।
- (14.)पूर्णता कहीं नहीं है।अपूर्णता होने से शरमाएँ नहीं।गलती होना स्वाभाविक है,परंतु उसे सुधार कर चलना ही मनुष्यता है।
5.गतिशील जीवन अभी प्रारंभ होता है (Dynamic life begins right now):
- मुर्दे की तरह जीवन जीना,मदहोश में जीवन जीना गतिशील जीवन नहीं होता बल्कि होशपूर्वक,सजग होकर,सतर्क होकर जीवन जीना ही गतिशील जीवन है।सृजनात्मक जीवन के लिए जीवन गतिशील होना चाहिए:
- (1.)हमें यह विचारना चाहिए कि आज का दिन अपना है।कल की गलतियों को उसी तरह भूल जाइए,जैसे कि पहले शिशु पैदा होता है,परंतु कालांतर में वही जवान,फिर बुड्ढा हो जाता है।
- (2.)अपने आप को तुच्छ समझकर जीवन से ना भागें।पूर्णता न मिले,तो भी कर्मशील बने रहना सीखें।
- (3.)जीवट बनाए रखें और बाधाओं से डरे नहीं,वरन् उनसे लड़ें।
- (4.)अपने आपको और अपनी शक्ति को पहचान कर कार्यशील बने रहें।
- (5.)यौवन में जीवन की तैयारी कर लेने पर जीवन भर कार्य करने की लगन बनी रहती है।
- (6.)सुखमय जीवन के लिए कुविचारों से लड़ाई प्रारंभ करने का समय अभी ही है।
- (7.)मनुष्य भगवान का वरिष्ठ राजकुमार है।उसे जीने, हंसने और प्रेम करने की पूर्ण स्वतंत्रता है।
- (8.)पिछली बातों को भूलकर आज से ही सत्कर्मों में लग जाएँ और यह अनुभव करें कि आपको इससे सुख मिल रहा है।
6.निर्माणात्मक जीवन के लिए सफलता के लक्ष्य (Success Goals for Creative Life):
- जीवन का निर्माण सही दिशा में करने के लिए हमें जीवन का सही लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए।यह लक्ष्य अपनी मौलिक प्रतिभा को पहचान कर किया जाना चाहिए।बिना लक्ष्य के जीवन का निर्माण होने के बजाय ध्वंस होता है,अंधेरे में तीर चलाने के समान होता है।उसके लिए निम्न दिशानिर्देश का पालन करें:
- (1.)अपने आप को स्वयं प्रेरणा दें।अपनी उन्नति हेतु स्वयं ही मार्ग बनाएं,उसे मजबूत करें और अपने जीवन की गाड़ी चलाएं।
- (2.)लक्ष्य ही जीवन हो और इसकी पूर्ति ही दिनचर्या हो।
- (3.)अपने भाग्य को बदलने का सही उपाय है: नकारात्मक भावनाओं,विचारणाओं का त्याग और भूतकाल में मिली सफलताओं को याद रखना।
- (4.)विश्वास रखें कि दूसरे लोग अपनी असफलताएं नहीं भूल सकते,परंतु आप अवश्य भूल सकते हैं।
- (5.)निर्माणात्मक या रचनात्मक जीवन का अर्थ उत्पादक लक्ष्य पर ध्यान देना है;जैसे-दिशाज्ञान,समझदारी,आत्मविश्वास आदि।
- (6.)सफलता और आत्मप्रताड़ना दोनों परस्पर मित्र नहीं,वरन शत्रु हैं।दोनों कभी भी एक साथ नहीं चल सकते।
- (7.)प्रतिदिन सुबह उठते समय यह दोहराएँ कि आज आप अपने साथ व अन्यों के साथ मानवतापूर्ण व्यवहार करेंगे।
- (8.)हमारा लक्ष्य होना चाहिए-अधिक जीवन,अधिक आनंद,अधिक जीवट और अधिक निर्माण।
7.नकारात्मक भावनाओं से युद्ध में कैसे जीतें? (How to Win the War on Negative Emotions?):
- नकारात्मक भावनाएं एवं हमें पतन के गर्त में धकेलती हैं।भावनाओं से कर्म व व्यवहार और कर्म व व्यवहार से हमारा आचरण प्रभावित होता है।इसलिए ऐसी भावनाएँ ही नहीं करनी चाहिए जो नकारात्मक व कुत्सित हों अतः ध्यान रखें:
- (1.)नकारात्मक विश्वास हमें मानवता से गिराता है और घृणा आत्मनिर्धारण को बिगाड़ती है।
- (2.)हमारे जीवन के प्रमुख शत्रु हैं:नैराश्य,कुमार्गगामिता,असुरक्षा की भावना,एकाकीपन,अनिश्चितता,अप्रसन्नता और रिक्तता।
- (3.)किसी एक जगह असफल हो जाने का अर्थ यह नहीं है कि आप योग्य नहीं है।असफलता तो मानव स्वभाव है।
- (4.)विख्यात रोमन दार्शनिक सिनेका के अनुसार यदि आप मानव हैं तो महानता का वरण करें,भले ही सफलता न मिले।
- (5.)बड़े-बड़े आविष्कारों का जन्म असफलता से ही हुआ है।असफल प्रयोग के बिना कोई निर्माण होता ही नहीं।
8.प्रसन्नता को वरण करें (Cherish happiness):
- जीवन सर्जनात्मक तभी बनता है जब हम किसी कर्म को प्रसन्नतापूर्वक और कुशलता से करते हैं।बेमन से किया गया कार्य ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच सकता है।जिस कार्य को दिल और दिमाग से करते हैं,जिस कार्य के प्रति लगाव होता है वही कार्य शिखर पर पहुंच सकता है।भले वो अध्ययन कार्य हो या जॉब अथवा अन्य कोई कार्य।प्रसन्नता को वरण करने के लिए निम्न युक्तियां हैं:
- (1.)सिडनी स्मिथ के अनुसार मनुष्य अपना जीवन अस्वाद पूर्ण वस्तुओं द्वारा बिता सकता है,परंतु परमात्मा ने हमें अपने जीवन को आनंदपूर्ण बनाने के लिए बुद्धि,सुगंध,चमक,प्रसन्नता और प्रतिभा प्रदान की है।
- (2.)असंतोष को जीवन में ना आने दें।प्रसन्नता के सिद्धांत को भुला देने पर कोई भी कार्य सृजनात्मक नहीं हो सकता।
- (3.)भूतकालिक प्रसन्नता को भूल जाएँ और वर्तमान कार्यों में प्रसन्नता अनुभव करें।जीवन और मित्रता में उसी तरह प्रसन्नता अनुभव करें।
- (4.)कष्ट और दर्द सभी को होता है,परंतु प्रसन्न व्यक्ति इसलिए प्रसन्न लगता है कि उसने कष्ट और दर्द को पीछे धकेलकर प्रसन्नता का वरण किया है।
- (5.)प्रसन्नता की ओर झुकाव एवं लगाव बनाए रखें।’स्व’भावना को बनाने के हेतु कार्य करें।रचनात्मक पुरस्कार,प्रतिभा और योग्यता जैसी छिपी संपदा को बाहर निकालें।दूसरों को सहयोग दें।अपने लक्ष्य पर दृढ़ रहे।
- (6.)नकारात्मक विचार और आदतें मनुष्य की कट्टर शत्रु हैं।इन्हें तुरंत त्याग देना ही उचित है।
- (7.)अपने विचार रखने की जगह दूसरों के विचारों से शीघ्र प्रभावित हो जाना,भ्रमण से घबराना,बड़ी-बड़ी छलाँगे लगाकर असफल होना और संभावनाओं पर विचार किए बिना मैदान के सर्वेक्षण में लग जाने जैसी बुरी आदतों को ढूंढ निकालें और त्याग दें।
- (8.)आप चाहें तो बुरी आदतें बदल सकती है और अच्छी आदतें लग सकती हैं।
- (9.)शेक्सपियर के अनुसार प्रसन्नता और कार्य-व्यस्तता समय को छोटा कर देती हैं।
9.तुरंत विश्वास:आंतरिक निर्माण सेना (Instant Trust:Internal Construction Army):
- किसी भी कार्य में (अध्ययन,जाॅब आदि में) सफलता प्राप्त करने के लिए विश्वास (आत्मविश्वास,भगवद विश्वास) प्राथमिक शर्त है।आत्मविश्वास से मनोबल दृढ़ होता है और बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार कर जाते हैं:
- (1.)अपने मन से असफलता का भय निकाल देने से सफलता अवश्य मिलती है।
- (2.)वर्तमान में सफलता पाने के लिए भूतकाल की छोटी-सी भी सफलता याद रखें और उसे आत्मसात कर लें।यथाससय इसकी सहायता अवश्य लें।विश्वास को दोहराने से अधिक लाभ होता है।
- (3.)तुरंत विश्वास का अर्थ है-लक्ष्य पर दृष्टि जमाए रखना और युवापन की भावना बनाए रखना।
- (4.)जॉनसन के अनुसार महानता की ओर अग्रसर होने की पहली शर्त आत्मविश्वास है।
- (5.)सुविख्यात रोमन कवि विरगिल ने कहा है कि प्रत्येक मनुष्य की आशाएं उसके भीतर ही रहने दो।
- (6.)प्रत्येक मनुष्य के भीतर अच्छाई होती है।इसलिए बुराई को भूलकर अच्छाई ही देखें।
- (7.)क्षमा आत्म-विश्वास की प्रतिकृति है।अपने आपको भी उसी तरह क्षमा करें,जैसे दूसरों को करते हैं।
10.तुरंत निराशा:अंतः नाशक सेना (Instant Despair:The Innate Army):
- कहा गया है कि निराशा का गहरा धक्का मस्तिष्क को वैसे ही शून्य कर देता है जैसे लकवा शरीर को।इसलिए बुरी से बुरी स्थिति में भी आशा का दीप जलाए रखें इसके लिए निम्न दृष्टव्य हैं:
- (1.)मैं यह कार्य नहीं कर सकता,मध्यम उम्र अब आने वाली है।ऐसी नकारात्मक भावनाओं को छोड़ दें।
- (2.)अपनी विशेषता को पहचानते हुए आज के समय का सर्वोत्कृष्ट सदुपयोग करें।
- (3.)अपने आपको किसी तरह से छोटा न समझें,परंतु सबके समान तो समझें ही।
11.मित्रता का निर्वाह करें (Cultivate friendships):
- सच्चा मित्र मिलना बहुत मुश्किल है।धन-संपत्ति के समय मित्र बनते हैं और विपत्ति काल में ही सच्चे मित्र की परीक्षा होती है।जो विपत्तिकाल में साथ नहीं छोड़ता वही सच्चा मित्र है।मित्रता के कुछ गुणधर्म:
- (1.)स्वयं को,मित्र को,अभिभावक और प्रेमी को क्षमा करना सीखें।
- (2.)अपनी अच्छाई वाले पक्ष को याद रखें,जैसे-कष्टों से उठने वाला,गलती से बचने वाला,शांत,प्रसन्नचित और भावनात्मक धब्बों से रहित।
- (3.)जॉर्ज वाशिंगटन ने कहा है-मित्रता एक अच्छी शराब की तरह आकर्षित करती है,अच्छी लगती है और विपरीत परिस्थितियों में भी साथ नहीं छोड़ती है।
- (4.)मित्रता अपनी और दूसरों की इच्छाओं को खोजने के लिए की गई यात्रा है।
- (5.)मित्रता का अर्थ है-अंदर की भाप को निकालने वाली ताकत।दूषित और कुत्सित भावनाओं को भगाने का यह एक सर्वोत्तम माध्यम है।
- (6.)स्वयं के लिए सच्चा मित्र ही सही रूप में दूसरों के साथ मित्रता निभा सकता है।प्रसन्नता दूसरों को बांटने पर ही अपने को मिलती है।
- (7.)सबसे अच्छा तो यही है की जान-पहचान रखना ही सही होता है,मित्रता करना भी कठिन होता है क्योंकि सच्चा मित्र मिलना ही दुर्लभ होता है और मित्रता निबाहना और भी कठिन होता है।आज के जमाने में ना किसी की दोस्ती अच्छी और ना दुश्मनी अच्छी।मित्रता करें तो हर कीमत पर निभाने के लिए तैयार भी रहें वरना मित्रता जी का जंजाल बन जाएगी।
- यदि इन सूत्रों को ध्यान में रखें और पालन करें तो निश्चय ही सृजनात्मक जीवन में सफल हो सकते हैं और महानता का वरण कर सकते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए सृजनात्मक जीवन के 13 सूत्र (13 Tips for Creative Life for Students),सृजनात्मक जीवन के 13 स्वर्णिम सूत्र (13 Golden Tips for Creative Life) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:How to Become Students Creative?
12.शरारती छात्र (हास्य-व्यंग्य) (Naughty Student) (Humour-Satire):
- माँ (स्कूल से आने के बाद अपने शरारती बच्चे से):क्या बात है आज कक्षा में तुम बड़ी शराफत से बैठे हुए थे,तुम्हारे टीचर ने या किसी मित्र ने कोई शिकायत नहीं की,किसी की पुस्तकें नहीं फाड़ी।
- विक्की:मैंने चुपके से बगल वाले छात्र की पुस्तकें फाड़कर यथावत रख दी थी,किसी के सामने नहीं फाड़ी इसलिए किसी ने शिकायत नहीं की।और दिनों में मैं उनके सामने पुस्तकें,कापी वगैरह फाड़ देता था।
13.छात्र-छात्राओं के लिए सृजनात्मक जीवन के 13 सूत्र (Frequently Asked Questions Related to 13 Tips for Creative Life for Students),सृजनात्मक जीवन के 13 स्वर्णिम सूत्र (13 Golden Tips for Creative Life) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.सृजनात्मक व्यक्ति की विशेषताएं बताएं। (Describe the characteristics of a creative person):
उत्तर:सर्जनात्मक व्यक्ति अद्भुत संयोग को जन्म देता है,अलग हटकर कार्य करता है और यही संयोग महान् विचारों एवं वस्तुओं का निर्माण करते हैं।
प्रश्न:2.सृजनात्मकता से क्या लाभ होता है? (What is the benefit of creativity?):
उत्तर:आज गणित में जितनी खोजें हुई है,विज्ञान में जितने आविष्कार हुए हैं जो किसी समय सामान्य मानव की कल्पना और सोच से भी परे थे,ये सब सृजनात्मकता के ही परिणाम हैं।आज व्यवसाय में,जॉब में तथा अन्य सभी क्षेत्रों में सृजनात्मकता का बहुत बड़ा योगदान है।यही कारण है कि आज कंपनियों में,उद्योगों में,विभिन्न विभागों,कार्यालयों तथा हर कहीं सृजनात्मक व्यक्ति की आवश्यकता महसूस की जा रही है।ऐसे लोगों को हाथों-हाथ लिया जाता है।
प्रश्न:3.सृजनात्मक कैसे बनें? (How to be creative?):
उत्तर:ऊपर लेख में सृजनात्मक जीवन के सूत्र बताए गए हैं।इसके अलावा भी कई लेखों में सृजनात्मकता का विकास करने के उपाय बताए गए हैं।सृजनात्मक बनने के लिए अहंकार को त्यागना होता है और विवेक से काम लेना होता है।ऐसे लोग हर किसी से सीखते हैं जो उनके लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उपयोगी होता है।अपनी गलती में तत्काल सुधार कर लेते हैं (कारणों को जानकर)।हमेशा सीखने की ललक होती है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए सृजनात्मक जीवन के 13 सूत्र (13 Tips for Creative Life for Students),सृजनात्मक जीवन के 13 स्वर्णिम सूत्र (13 Golden Tips for Creative Life) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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