5 Strategies to Develop Job Culture
1.जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies to Develop Job Culture),अभ्यर्थी के लिए जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies to Develop Job Culture for Candidate):
- जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियों (5 Strategies to Develop Job Culture) के आधार पर आपको आगे बढ़ाने की तकनीक मालूम होगी।जीवन की दौड़ हो या जाॅब या अन्य कोई क्षेत्र हो आगे वही बढ़ता है जो सामान्य से हटकर असामान्य कार्य करता है।सामान्य तरीके के कार्य तो अधिकांश कर्मचारी/अधिकारी करते हैं लेकिन फिर भी वे वहीं की वहीं रहते हैं।
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2.अपनी स्किल्स को बढ़ाएं (Enhance your skills):
- जॉब में प्रगति करना है,आगे बढ़ना है तो रूटीन तरीके से काम करने के तरीके आने के अलावा भी आपको अपनी स्किल्स को विकसित करते रहना चाहिए।आप अपने आपको बेहतर साबित तभी कर सकते हैं जबकि आपमें एडवांस स्किल्स भी होंगी।।उदाहरणार्थ एक लैबोरेट्री अस्सिटेंट का कार्य होता है कि छात्र-छात्राओं को उपलब्ध उपकरण,पदार्थ आदि सहायक सामग्री दे दे।परंतु यदि वह आपको प्रैक्टिकल करने की तकनीक भी बता देता है तो यह उसकी अतिरिक्त स्किल हो गई।इसी प्रकार किसी भी जॉब में आप अपनी स्किल्स को बढ़ाते रहेंगे तो कंपनी या डिपार्टमेंट के अधिकारी की नजर में आ जाएंगे।
- पदोन्नति के समय सबसे पहले ऐसे कर्मचारियों/अधिकारियों की पदोन्नति पर विचार किया जाता है जो अपने हुनर,अपनी योग्यता में वृद्धि करते रहते हैं और कंपनी को आगे बढ़ाने,किसी न किसी प्रकार आगे बढ़ाने में अप्रत्याशित सहयोग प्रदान करते हैं।
- रुटीन व आवंटित वर्क तो हर कर्मचारी/अधिकारी कर सकता है याकी करता ही है।यदि कंपनी की तरक्की में आप अपनी स्किल्स के साथ-साथ अन्य तरीकों से आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं तो कंपनी के निदेशक अथवा सर्वेसर्वा की नजर में आए बिना नहीं रहेंगे।
- अब ये स्किल्स या आइडिया बढ़ाने के कई तरीके हो सकते हैं।कई बार कंपनी अपनी तरफ से कर्मचारियों की स्किल्स को बढ़ाने के लिए वर्कशॉप या सेमीनार का आयोजन करती है।परन्तु कुछ कर्मचारी/अधिकारी इस तरह की वर्कशॉप के प्रति गंभीर नहीं होते हैं और वे इसमें भाग नहीं लेते हैं।यदि आपको किसी भी माध्यम से सीखने का मौका मिलता है,कुछ नया करने का अवसर मिलता है तो आपको ऐसे अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।ऐसे मौकों को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
- यदि कंपनी अपनी तरफ से किसी ऐसे वर्कशॉप,ट्रेनिंग सेशन या सेमिनार का आयोजन नहीं भी करती है तो आपको खुद रुचि लेकर अपने व्यक्तिगत प्रयासों से अपनी स्किल्स को बढ़ाते रहना चाहिए।आजकल ऑनलाइन ऐसे कई टूल्स या ऑप्शन मिलते हैं जिनके जरिए आप अपनी स्किल्स को बढ़ा सकते हैं।यूट्यूब पर कई वीडियो ‘स्किल्स बढ़ाने के तरीके’ पर उपलब्ध हो जाएंगे।कई ऐसी वेबसाइट्स भी हैं जिन पर स्किल्स बढ़ाने के लेख मिल जाएंगे।कई ऐसे प्लेटफाॅर्म मिल जाएंगे जिन पर न्यूजलेटर क्रिएट करते हैं,वीडियो के जरिए नया सीखाते हैं यानी ऑनलाइन बहुत कुछ मिल जाता है।इसके अलावा पुस्तकों का अध्ययन करके भी अपने हुनर को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।अध्ययन-मनन-चिंतन ऐसा तरीका है जो स्किल्स बढ़ाने का सबसे श्रेष्ठ और उत्तम तरीका है।
- तात्पर्य यह है कि आप नई-नई टेक्निक,नई-नई बातें,नए-नए गुर सीखते हैं जो आपके जॉब में निरंतर निखार लाते हैं तो आप अपने जॉब में महारथ हासिल कर लेंगे।ऐसी स्थिति में कंपनी में प्रमोशन (पदोन्नति) के अवसर बढ़ जाएंगे क्योंकि प्रमोशन की राह आसान उनके लिए होती है जो असामान्य तरीके,नए-नए तरीके,प्रगतिशील तरीके अपनाते हैं अर्थात् जिसमें स्किल्स ज्यादा होती है।
3.जाॅब पर पर्सनल प्रॉब्लम्स का असर न पड़ने दें (Do not let personal problems affect the job):
- अक्सर कर्मचारी/अधिकारी अपनी व्यक्तिगत समस्याओं से घिर जाते हैं जिसके कारण आपके जॉब का कार्य प्रभावित होता है।यह आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।दरअसल व्यक्तिगत समस्याओं के कारण आप एकाग्र नहीं रह पाते हैं।बार-बार आपका ध्यान व्यक्तिगत समस्याओं पर केंद्रित हो जाता है और ऑफिस वर्क में गलतियां कर बैठते हैं।जब आप बार-बार गलतियां करेंगे,वर्क को बेहतरीन तरीके से नहीं निपटा पाएंगे या कस्टमर्स को ठीक तरह से हैंडल नहीं करेंगे,उसके साथ रूखा व्यवहार करेंगे तो इन सब बातों का पता आपके अधिकारी को जाता है।
- आपके द्वारा इस प्रकार से की गई गलतियां नजरअंदाज नहीं की जाती है बल्कि आपकी एपीआर (परफॉर्मेंस रिपोर्ट) में इसका मूल्यांकन कर दिया जाता है।प्रमोशन के समय आपकी परफॉर्मेंस रिपोर्टों को देखा जाता है (यह प्रतिवर्ष तैयार होती है) और जब नियोक्ता की नजर आपकी नेगेटिव परफॉर्मेंस पर पड़ती है तो आपके प्रमोशन के चांसेज खत्म या कम हो जाते हैं।
इसके अलावा भी जब आप अपने जॉब के प्रति न्याय नहीं करते हैं तो आपको आत्म-संतुष्टि नहीं मिलती है फलतः व्यक्तिगत जीवन तो प्रभावित है ही और जॉब सेटिस्फेक्शन भी नहीं मिलता है। - तीसरा नुकसान इसका यह है कि यदि आप कहीं दूसरी जगह जॉब ढूंढते हैं या आपका स्थानांतरण कहीं दूसरी जगह पर हो जाता है तो वहां पर भी आपकी पिछले जॉब से संबंधित निगेटिव तस्वीर पहुंच जाती है।
- यानी पर्सनल प्रॉब्लम्स का प्रभाव जॉब पर पड़ता है तो इसके द्वारा नुकसान के सिवाय कोई फायदा नहीं है तो फिर इसका प्रभाव क्यों पड़ने दिया जाए।आप कह सकते हैं कि इंसान कोई मशीन नहीं है बल्कि चेतनशील प्राणी है तो किसी भी अच्छी या बुरी घटना से प्रभावित तो होता ही है।आपकी यह बात आंशिक रूप से ही सत्य हैं।क्योंकि पर्सनल प्रॉब्लम से जॉब में होने वाली गलतियों से बचा जा सकता है और कई ऐसे व्यक्ति हैं जिनके व्यक्तिगत जीवन में तूफान मचा रहता है परंतु वे उसका प्रभाव अपनी जॉब पर बिल्कुल भी नहीं पड़ने देते हैं।
- इसके लिए आपको कुछ उपाय करने होंगे जिससे आप अपने आपको संतुलित,नियंत्रित कर सकते हैं यानी पर्सनल प्रॉब्लम से आप अप्रभावित रह सकते हैं।दरअसल हम जो भी कार्य करते हैं चाहे वह व्यक्तिगत हो,पारिवारिक हो,सांसारिक हो,जाॅब से संबंधित हो या अन्य कोई,उसमें सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका हमारे मन की होती है।यानी आप मन को काबू में रखते हैं,मन को नियंत्रित रखते हैं तो इन सब समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।प्रातः काल दैनिक कार्य से निवृत्त होकर रोजाना ध्यान-योग किया करें,मन को एकाग्र करने की प्रैक्टिस करें,सतत मन पर निगरानी रखें,मन इधर-उधर जाए तो फौरन एकाग्र करने की वस्तु पर केंद्रित करें।यह वस्तु आज्ञाचक्र,दीपक,प्रकाश स्वरूप ज्योति या अपना कोई इष्ट देव भी हो सकता है।
- इसके अलावा कोई भी कार्य करें तो पूर्ण सतर्कता,सावधानी और जागरूक होकर करें।मन इधर-उधर जाए तो फौरन उसको वहां से हटाकर जाॅब पर केंद्रित करने का अभ्यास करें।बुरे कार्यों,अनावश्यक कार्यों की तरफ मन जाए तो उनको कंपनी न दें।शुरू-शुरू में हो सकता है आपको सफलता न मिले परंतु सतत अभ्यास,धैर्य के साथ करते रहेंगे तो मन को साधना (एकाग्र करना) सरल हो जाएगा।और आप जिस समय जो कार्य कर रहे हैं उसी पर फोकस हो जाएगा।
4.अपनी योग्यताओं को दर्शाएं (Showcase your qualifications):
- आपने स्किल्स भी सीख ली,आप एकाग्र भी रहते हैं परन्तु यदि आप स्किल्स का उपयोग नहीं करेंगे,जॉब करते समय नहीं दिखाएंगे तो आपके अधिकारियों को कैसे पता चलेगा,उन्हें कैसे पता चलेगा कि क्या कुछ नया जानते हैं,आप जाॅब को नए तरीके से कैसे कर सकते हैं या आपने जाॅब स्किल्स को बढ़ाने के लिए कोई कोर्स किया है अथवा आपने इंटरनेट से कुछ नया सीखा है।
- इसके लिए आपको अपनी स्किल्स को प्रदर्शित भी करना होगा,आपको दिखाना या दर्शाना होगा कि आप यह भी जानते हैं।इसके आधार पर आपको नए अवसर दिए जाएंगे,टीम से काम लेने का काम भी दिया जा सकता है अथवा आपसे किसी कार्य को किस तरह किया जाए,इसके बारे में सुझाव लिया जा सकता है।अथवा बड़े ऑफिस के अधीन किसी छोटे ऑफिस (बड़े ऑफिस की ब्रांच) में कार्य करने के लिए भेजा जा सकता है।
- अगर आप उपर्युक्त में से किसी भी दिए गए कार्य को पूरी दक्षता से और बेहतरीन तरीके से करते हैं तो आपकी क्रिएटिविटी का पता चलेगा।आपको भी कार्य करने के नए तरीके या अधिक चैलेंजेज को निपटाने पर प्रेरणा मिलेगी।दरअसल आप कितने क्वालिफाइड (Qualified) है यह पता तभी चलता है जब आपने जो कोर्स या डिग्री की है,उसको जमीनी स्तर पर करके दिखा सकते हैं।अर्थात् प्रैक्टिकली करके दिखा सकते हैं तभी आपकी सैद्धांतिक डिग्री,कोर्स,ट्रेनिंग या स्किल्स का लोहा माना जाएगा।
- अन्यथा लाखों-करोड़ों युवा है जो डिग्रीधारी (Qualified) है परंतु नौकरी के लिए उनको दर-दर भटकना पड़ता है,क्योंकि उनको प्रैक्टिकली उस डिग्री को करने का ज्ञान या अनुभव नहीं है।आप अपने अंदर के हुनर को धरातल पर उतार कर दिखा नहीं सकते तो आपको धर्म साठे भी पूछने वाला नहीं मिलेगा।आप अपनी डिग्री,हुनर,कौशल,कोर्स का कितना ही ढिंढोरा पीटते रहे और लाखों की संख्या में ढिंढोरा पीट ही रहे हैं कि उनके पास फलां यूनिवर्सिटी,तकनीकी विश्वविद्यालय या आईआईटी से डिग्री मिली हुई है।
- एक बार बड़ी यूनिवर्सिटी,प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी या आईआईटी आदि के आधार पर आप जाॅब पा भी लेंगे तो जाॅब का चार्ज देते ही आपकी असलियत सामने आ जाएगी कि आप कितना जानते हैं याकि आप कितना वर्क करके दिखा सकते हैं।
- यदि आपके पास जो भी डिग्री,कोर्स,ट्रेनिंग या स्किल्स हैं उसको करके दिखा दिया तो आपको नए-नए अवसर दिए जाएंगे,आपको अनेक मौके मिलेंगे।यदि आपको ऐसा अवसर नहीं भी दिया जाता है तो खुद स्वेच्छा से अपने काम के अतिरिक्त किसी सहकर्मी या अधिकारी की मदद कर सकते हैं या मदद करने का ऑफर दे सकते हैं।
- अपनी क्रिएटिविटी को जिंदा रखने के लिए अपने जॉब को नए-नए तरीके से करें,सोचें,विचारे।मीटिंग में भी आपसे सुझाव मांगे तो पहले से तैयार होकर जाएं और अपना सुझाव दें।मीटिंग को हल्के में न लें,यानी जो भी अवसर मिले उसको लपक लें,जाने ना दें।अवसर न मिले तो स्वयं ढूंढे,अपने आपको किसी न किसी तरह रिप्रेजेंट करने का प्रयास करें,इसका अर्थ यह नहीं है कि अपना ढिंढोरा पीटते रहे।
5.ऑफिस में न करने योग्य कार्य (Undoable work in the office):
- घर या मित्रों अथवा परिचित से जरूरी कॉल्स को अटेंड करना तो ठीक है परंतु घंटों फोन पर व्यस्त रहना गलत है।जरूरी कोर्स को एकांत में जाकर अटेंड करें,अपने सहकर्मी को डिस्टर्ब ना करें।मोबाइल फोन पर स्पीकर ऑन करके या तेज आवाज में बात करना गलत है।अपने काम से काम रखें,परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि सहकर्मियों से संवाद न करें।अपने काम में ही व्यस्त रहना तथा मिलनसार न रहना भी ठीक नहीं है।कुछ वक्त निकालें और अपने सहकर्मियों से बातें भी करें।लेकिन हंसी उड़ाना,जोर-जोर से ठहाके लगाना ठीक नहीं है क्योंकि जो कुछ भी आप करते हैं उस पर किसी न किसी की नजर तो रहती है और आपकी सारी बातें अधिकारी तक पहुंच जाती है।इसलिए ऐसा ना सोचें कि किसी को क्या पता चलेगा?
- यदि घर,परिवार या अन्य व्यक्तिगत कार्य आवश्यक हो तो ऑफिस टाइम में नहीं निपटाएं या आप अधिक बीमार है,आप बीमार होने की वजह से ठीक काम नहीं कर सकते हैं तो ऐसी परिस्थितियों में छुट्टी ले लें।क्योंकि ऐसे काम करने के तरीकों से सहकर्मी/अधिकारी परेशान हो सकते हैं।
- अपनी टेबल पर फाइलों को इधर-उधर न बिखेरे बल्कि व्यवस्थित रखें।वर्क ऑवर्स का पूर्ण सदुपयोग करें।आपको जो वर्किंग ऑवर्स मिले हैं उसी में काम को निपटाने का भरपूर प्रयास करें,ऐसा ना करके ओवरटाइम की मांग ना करें।
मीटिंग के समय या अधिकारी द्वारा दिए जा रहे निर्देशों को सुनते समय फोन काॅल्स अटैन्ड ना करें या बेकार की,ऊलजुल बातें न करें।मीटिंग में बताई गई बातों पर गौर करें और उन पर अमल करें,उन्हें हवा में ही न उड़ाएं।
- कई बार कर्मचारी/अधिकारी अपने वर्क का डिस्ट्रीब्यूशन ठीक से नहीं करते हैं,फलस्वरूप देर तक बैठे रहकर काम करना पड़ता है और काम को निपटाना पड़ता है।अतः समय की कद्र करें और काम को व्यवस्थित ढंग से डिस्ट्रीब्यूट करके तय वर्किंग ऑवर्स में निपटाने का प्रयास करें।ऑफिस वर्क को घर पर तथा घर के कार्य को ऑफिस में न लेकर जाएं।घर और ऑफिस के कार्य में संतुलन बनाकर चलें,एक-दूसरे में घालमेल करने का प्रयास न करें।यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी छवि पिछड़े कर्मचारी,कामचोर कर्मचारी के रूप में बनेगी।व्यवस्थित ढंग से काम करेंगे तो ऑफिस के साथ-साथ निजी जीवन में सुखी व खुश रहेंगे।
- हंसी मजाक व मनोरंजन कुछ समय के लिए ठीक रहता है ताकि आप रिफ्रेश हो सकें,तनाव हावी न हो साथ ही आपकी छवि मिलनसार कर्मचारी/अधिकारी के रूप में हो।अर्थात् बातें कम और काम अधिक करें।
किसी भी अधिकारी/कर्मचारी से बात करते समय या मीटिंग के समय कुछ ना कुछ तथा नया सीखने का अवसर बनाएं।ऐसा न करके मीटिंग या संवाद को बेकार की,व्यर्थ की बताएंगे तो आप सीखने का अवसर तो खोएंगे ही साथ ही आपकी छवि नकारात्मक कर्मचारी/अधिकारी की बन जाएगी। - उपर्युक्त आर्टिकल में जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies to Develop Job Culture),अभ्यर्थी के लिए जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies to Develop Job Culture for Candidate) के बारे में बताया गया है।
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6.सवाल समाझने का फर्क (हास्य-व्यंग्य) (Difference in Explaining Question) (Humour-Satire):
- गणित शिक्षक (छात्र से):मैंने कल जो सवाल समझाया उससे कुछ फर्क पड़ा,कुछ समझ में आया?
- छात्र:हां बहुत फर्क पड़ गया,कल एक सवाल ही नहीं समझ में आ रहा था,आज पूरी प्रश्नावली के सवाल समझ में नहीं आ रहे हैं।
7.जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियाँ (Frequently Asked Questions Related to 5 Strategies to Develop Job Culture),अभ्यर्थी के लिए जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies to Develop Job Culture for Candidate) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.कर्मचारी हतोत्साहित क्यों होते हैं? (Why are employees discouraged?):
उत्तर:(1.)जब काम का बोझ जरूरत से ज्यादा डाल दिया जाता है और कर्मचारी काम नहीं निपटा पाता है तो उसकी आलोचना की जाती है,यानी उसके कार्य का सही मूल्यांकन नहीं किया जाता है।
(2.)जब कर्मचारी तक जरूरी जानकारी नहीं पहुंचायी जाती है और फिर भी फटकार सुननी पड़ती है।
(3.)अत्यधिक काम करने,काम में जुटे रहने पर भी उसके कार्य की प्रशंसा नहीं की जाती है।बल्कि कमियां निकाली जाती है।
(4.)कोई ठीक से गाइड करने वाला भी नहीं मिलता है तो कर्मचारी लक्ष्य से भटक जाता है और उसे ठीक रास्ते पर लाने वाले गाइड की व्यवस्था नहीं की जाती है।
प्रश्न:2.जॉब पर क्या गोपनीयता रखें? (What privacy to keep on the job?):
उत्तर:अपने जॉब के सहकर्मियों या अधिकारियों के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी शेयर करने से बचें।अपनी लोकेशन या डॉक्यूमेंट्स शेयर ना करें।सोशल मीडिया पर वर्किंग ऑवर्स के दौरान कोई भी गतिविधि करने से बचें।आने वाले नोटिफिकेशन की जांच ना करें बल्कि वर्किंग ऑवर्स के समय नोटिफिकेशन ऑफ रखें।
प्रश्न:3.कर्मचारियों को इंटरनेट तकनीक सीखने पर टिप्पणी लिखें। (Write comments on employees learning internet technology):
उत्तर:बदलती तकनीक के साथ अब दुनिया में बड़ी तेजी से बदलाव हो रहे हैं।अब सब कुछ हाईटेक होते जा रहे हैं।अब दुनिया में बहुत तेज गति से बदलाव देखने को मिल रहे हैं।लोगों की दिलचस्पी अब इंटरनेट में बढ़ती जा रही है।इसमें अनेक बातें सीखने को मिलती हैं।अतः इंटरनेट तकनीक सीखने के साथ-साथ अपने को अपडेट व अपग्रेड करते रहना चाहिए।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies to Develop Job Culture),अभ्यर्थी के लिए जाॅब कल्चर को विकसित करने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies to Develop Job Culture for Candidate) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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