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How to Crack JEE-Main by 3 Top Tips?

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1.3 टॉप टिप्स से जेईई-मेन को कैसे क्रैक करें? (How to Crack JEE-Main by 3 Top Tips?),जेईई-मेन 2025 को क्रैक करने में एकाग्रता की भूमिका (Role of Concentration in Cracking JEE-Main 2025):

  • 3 टॉप टिप्स से जेईई-मेन को कैसे क्रैक करें? (How to Crack JEE-Main by 3 Top Tips? जिससे जेईई-मेन में न केवल सफलता मिल सके बल्कि टॉपर बना जा सके।जेईई-मेन और एडवांस को क्रैक करने का हर अभ्यर्थी का सपना होता है परंतु इसमें टॉपर बनना,अव्वल आने वाले कुछ अभ्यर्थी ही होते हैं।
  • सामान्यतः बोर्ड परीक्षा के बाद अप्रैल से जून-जुलाई तक जेईई-मेन की परीक्षा तीन चरणों में होती है।किसी भी सेशन या तीनों सेशन में भाग लेकर अभ्यर्थी परीक्षा में एपीयर हो सकता है।
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2.एकाग्रता बनाए रखना मुश्किल टास्क (Difficult tasks to maintain concentration):

  • जेईई-मेन में लाखों अभ्यर्थी भाग लेते हैं और परीक्षा की तैयारी करते हैं परंतु परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक एकाग्रता को बनाए रखना उनके लिए एक प्रमुख समस्या है।एकाग्रता को साधने को जानने से पहले यह जान लेना आवश्यक होगा कि अभ्यर्थी किस सीमा तक सफलतापूर्वक ब्रेन को नियंत्रित कर सकते हैं।अक्सर जेईई-मेन जैसी कड़ी प्रतियोगिता परीक्षा में कई-कई घंटे पढ़ने के बाद अभ्यर्थी पाते हैं कि पढ़ा हुआ ज्यादा कुछ याद नहीं है।बिना मन को एकाग्र किए अभ्यर्थी नोट्स तथा किताबों को पढ़ते रहते हैं।दूसरी तरफ आंखें कमरे के अंदर किसी दूसरी वस्तु की तलाश करती रहती हैं।
  • आप अध्ययन कर रहे हैं इसी दौरान कोई आसपास से गुजरता है तो आपका सिर अपने आप ही उसकी तरफ घूम जाता है।थोड़ी देर पढ़ाई करते ही आंखें भारी-भारी हो जाती है,उबासे आने लगते हैं,जम्हाई लेने लगते हैं तथा आप ऊंघने लगते हैं।आप बार-बार अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति बनाते रहते हैं।छोटी-छोटी बातें,गपशप करना,मौजमस्ती करना, इधर-उधर की बकवास बातें करने में मशगूल हो जाते हैं आदि के कारण आपका ध्यान भंग हुआ हो,आप उन्हें उचित ठहराने का प्रयास करते हैं।
  • आप आसानी से जेईई-मेन में सफल होने के रंगीन सपने देखते हैं या पुरानी सफलताओं,अच्छे मार्क्स अथवा अन्य घटनाओं की यादों में खो जाते हैं।पढ़ाई के समय ज्योंही मोबाइल की घंटी बजती है आप तत्काल मोबाइल पर बातें करने लग जाते हैं।आपने टीवी पर अनावश्यक प्रोग्राम घंटे-दो घंटे देखा तथा अपने आपको संतुष्ट करते हैं कि आपने कोई गलत काम नहीं किया,परंतु फिर भी आप रोजाना टीवी को घंटों देखते रहते हैं।
  • इसी प्रकार के अवरोधों से प्रत्येक छात्र-छात्रा अथवा अभ्यर्थी परिचित होगा।अनुभवी छात्र-छात्राओं को यह भली प्रकार पता होता है कि उन्हें किस बिंदु पर तथा किस प्रकार की बाधा पेश आती है।यही सामान्य-सा नियम लागू होता है-जेईई-मेन अथवा किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता को प्राप्त करने का और अपनी एकाग्रता बढ़ाने में।इसलिए सर्वप्रथम हमें अपनी मुश्किलों,अवरोधों को पहचान कर उन्हें हल करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ होना चाहिए।
  • निम्नलिखित छः नियम आपकी मुश्किलों को हल करने तथा एकाग्रता क्षमता बढ़ाने में आपकी सहायता करेंगे: दिवास्वप्न (Day dreaming),सकारात्मक दृष्टिकोण (Attitude should be positive),अध्ययन का समय (Time for study),अध्ययन का वातावरण (Environment for study),चिंता मुक्त होना (stop worrying),मानसिक शांति और मन को संतुलित रखना (Mental peace and keeping the mind balanced)।

3.एकाग्रता क्षमता बढ़ाने के उपाय (Ways to increase concentration capacity):

(1.)दिवास्वप्न (daydream):

  • एकाग्रता भंग होने का एक प्रमुख कारण दिवास्वप्न ही है।इसके कारण आपका ध्यान आपके विषय (अध्ययन) से हटकर जेईई-मेन में सफल होने में खो जाता है या इधर-उधर की अनावश्यक बातों की ओर भटकने लगता है।समय बिताने का यह एक अच्छा तरीका है।परंतु यदि आपको जेईई-मेन या अन्य प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करनी है तो इस आदत पर नियंत्रण रखना चाहिए।नीचे कुछ ऐसे तरीके बताए गए हैं,जिनसे आप दिवास्वप्न देखने की आदत छोड़कर एकाग्रता को बरकरार रख सकते हैं:
  • जैसे ही आपको अनुभव हो कि आपका मन अध्ययन से भटककर स्वप्न देखने में व्यस्त हो गया है।अपने आपको जोर-जोर से कहिए ‘नहीं’,’नहीं’, ‘नहीं’ मुझे ऐसा नहीं करना है।
  • उन विषयों की सूची बनाइए,जिन पर आपने दिवास्वप्न देखें हैं तथा इन पर कितना समय बर्बाद किया है,इसकी भी गणना करें।
    खड़े हो जाइए तथा अपनी डेस्क से दूर अपनी पढ़ाई के लिए एकाग्रता तथा अपनी सीट पर बैठने के बीच संबंध स्थापित करने का प्रयास करें।
  • अच्छी एकाग्रता के लिए किये गये कार्य के समय का चार्ट बनाकर उसे अपने डेस्क के सामने की ओर चिपकाएं ताकि आपको अच्छी एकाग्रता की आवश्यकता का एहसास रहे।
  • दिवास्वप्न देखें परंतु अध्ययन के समय केवल अध्ययन करें।जेईई-मेन में सफलता का सपना सँजोना,देखना मन को प्रफुल्लित करता है परंतु उसे खाली समय में ही देखें अथवा अपनी कल्पनाओं को साकार करने के बारे में चिंतन करते समय देखें।मन चिंता व तनावग्रस्त हो तो उसे मुक्त होने के लिए देखें।

(2.)सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive attitude):

  • एकाग्रतापूर्वक अध्ययन करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बिंदु होता है आपका सकारात्मक दृष्टिकोण।कम रुचिकर विषय में अपने आपको स्थापित करने के दौरान होने वाली मानसिक पीड़ा से हम सभी परिचित हैं।इस समस्या का सर्वोत्तम हल है रुचियों के अनुसार कार्य क्षेत्र का चयन करना।यदि किसी मजबूरी के कारण ऐसा विषय चुनना पड़े,जिसमें रुचि ना हो तो उससे दूर भागने के बजाय उसे समझने का प्रयास करें।उदाहरणार्थ यदि आपकी रुचि गणित विषय में है तथा जेईई-मेन परीक्षा देना चाहते हैं तो आपको भौतिकी तथा रसायन शास्त्र भी पढ़ने पड़ेगे।जेईई-मेन में चयन होने का आकर्षण भी इन विषयों को पढ़ने में रुचि पैदा कर देता है।
  • विषम परिस्थितियों में भी सर्वोत्तम देना ही छात्रों की सफलता का मूल मंत्र है।हालांकि यह कार्य इतना सरल नहीं है।परंतु नीचे दिए गए कुछ उपाय आपका दृष्टिकोण सकारात्मक बनाने में आपके सहायक होते हैं:
  • सफलता के लिए प्रयासरत रहते हुए अपना ध्यान विषय के संतोषजनक समापन के बाद मिलने वाले पुरस्कार पर केंद्रित कीजिए।
  • विषय के उन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित कीजिए,जो आपको विषय से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी दे सकें।
    प्रत्येक लेक्चर या अपने प्रोजेक्ट के पांच मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दीजिए।
  • हर अध्याय या टाॅपिक को पूरा करने के बाद स्वयं कुछ अभ्यास प्रश्न लिखकर उन्हें हल कीजिए।
  • विषय पर कक्षा में दिए गए व्याख्यान का संबंध भौगोलिक परिस्थितियों से जोड़ने का प्रयास कीजिए।
  • विषय से संबंधित उन बिंदुओं को खोजिए,जिनका आप व्यावहारिक जीवन में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • प्रत्येक विषय की विशेष शब्दावली (key terms) तैयार कर उसे समय-समय पर दोहराते रहें।
  • अरुचिकर विषयों को एक चुनौती की तरह मानकर उस विषय में पारंगत होने का प्रयास कीजिए।
  • अपने उद्देश्य को छोटे-छोटे भागों में बाँटकर हर भाग पर समान रूप से ध्यान देते हुए आगे बढ़िये।
  • मुश्किल विषय के सफलतापूर्वक समापन पर अपने लिए एक विशेष प्रोत्साहन या पुरस्कार की व्यवस्था कीजिए।

(3.)अध्ययन का समय (Study Time):

  • प्रत्येक दिन की बहुत सारी धार्मिक क्रियाओं की तरह ही मन को एकाग्र करने की आदत डालनी चाहिए।इस आदत का विकास करने के लिए आप प्रत्येक दिन कुछ समय एकाग्रता से अध्ययन करने में लगाइए।अधिकांश छात्र-छात्राओं के लिए पढ़ाई का मुख्य समय शाम का समय होता है।सप्ताह के अंत में दिन के अंत में कुछ समय के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना आवश्यक गुण है।साथ ही लक्ष्य के प्रति आपकी एकाग्रता भी समान रूप से आवश्यक है।
  • यदि आप शाम 7:30 बजे अपना अध्ययन का समय शुरू करते हैं तो इस समय तक आपको अध्ययन शुरू कर देना चाहिए।यदि सही समय पर आप समयबद्ध तरीका अपनाते हैं तो आपका दिमाग समय के अनुसार ही सही समय पर गतिशील हो जाता है।प्रारंभ में इस आदत को विकसित करने के लिए आप अलार्म घड़ी का प्रयोग कर सकते हैं।यह अलार्म आपके लिए सिग्नल होगा कि अब अध्ययन का समय हो चुका।यदि आप बिना अलार्म के उठ सकते हैं तो यह दर्शाता है कि आपकी एकाग्रता बहुत सधी हुई है,आप लक्ष्य के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं।यदि आप अपने मन को सोते समय यह सजेशन देते हैं कि मुझे प्रातः 3:00 बजे उठना है तो हमारे शरीर में स्थित बायोलॉजिकल क्लॉक हमें ठीक 3:00 बजे जगा देगी।लेकिन इस बायोलाॅजिकल क्लाॅक को सक्रिय करने के लिए सचेष्ट,सजग रहना होगा,अभ्यास करना होगा।
  • याद रखिए एकाग्रता बनाए रखना एक मुश्किल काम है तथा थकावट आपके परिणाम को प्रभावित कर सकती है।यदि आप 60 मिनट तक एकाग्रतापूर्वक कार्य करते हैं तो आप एक छोटा-सा ब्रेक दे सकते हैं।हालांकि आपको अपने ब्रेक का समय नहीं बढ़ाना चाहिए।
  • अपनी एकाग्रता बढ़ाने की आदत डालने के क्रम में आप अपनी प्रगति का रिकॉर्ड रखिए।एक चार्ट बनाकर प्रत्येक दिन के अपने एकाग्र किए गए समय का चार्ट बनाइए।जल्दी ही आप महसूस करेंगे कि आपके एकाग्र किए गए समय का ग्राफ ऊपर की ओर जा रहा है।इसके बाद आप अपने लक्ष्य के प्रति अपने आपको और अच्छी तरह से केंद्रित कर सकेंगे।प्रारंभ में निश्चित किए गए समय का लगातार तीन दिनों तक सफलतापूर्वक पूरा कर लेने के बाद एक नया चार्ट बनाकर अपना समय 1 से 3 मिनट तक बढ़ा दीजिए।रोज के अभ्यास से आप अपनी एकाग्रता की क्षमता को बढ़ा लेने में सफल होंगे।

(4.)अध्ययन का वातावरण (Study Environment):

  • जब आप अध्ययन और एकाग्रता की आदत को अच्छी तरह विकसित कर लें,तब आप अपने अध्ययन कक्ष तथा आसपास के वातावरण के सुधार पर ध्यान दीजिए।जब कभी भी आप पढ़ने के लिए बैठें,आपको एकाग्र हो जाना चाहिए।चूँकि आप अपने समय का एक बड़ा भाग अपने अध्ययन कक्ष में बिताते हैं,अतः आपके अध्ययन कक्ष का वातावरण निम्न प्रकार का होना चाहिए:यह शांत होना चाहिए,यह आरामदायक होना चाहिए,यह अच्छी तरह से प्रकाशित होना चाहिए,यह हवादार होना चाहिए,यह व्यवधान रहित होना चाहिए।
  • इनमें से प्रथम और अंतिम लक्ष्य प्राप्त करना थोड़ा कठिन है।यदि आपके अध्ययन कक्ष में शोरगुल हो या मन के भटकाव वाले चित्र या अन्य कोई सामग्री हो तो उसे तुरंत दूर कर दीजिए (जैसे दरवाजे को बंद करना,खिड़कियां बंद करना आदि),अन्यथा आपको किसी दूसरे स्थान का अपने अध्ययन के लिए चुनाव करना होगा।आपका समय कीमती है तथा इसे किसी भी तरह व्यर्थ होने से आपको बचाना है।

(5.)चिंता मुक्त होना (Being Worry-Free):

  • चिन्ताएं आदमी की परेशानी का मुख्य कारण होती हैं।आप में से अधिकांश इस बात से सहमत होंगे कि चिताओं के कारण समय तथा ऊर्जा की अत्यधिक बर्बादी होती है।अधिकांश चिंताएं शुरू होती है किसी विचार से,जो आपके दिमाग में घूमता रहता है।मेरे कुछ समझ में नहीं आ सकता है,मैं फेल हो जाऊंगा,हम अपने दिमाग में इस तरह के विचारों को आने की अनुमति देते हैं,यह गलत है।इस प्रकार के विचार निराशा को बढ़ा देते हैं।निराशाजनक विचारों की यह श्रृंखला लगातार बढ़ती जाती है।चिंता का असर हमारी मानसिक क्रियाओं पर भी पड़ता है।यह क्रम निरंतर बढ़ता हुआ हमें अपनी गिरफ्त में ले लेता है।आप इस बढ़ते हुए क्रम को किस प्रकार रोकेंगे,किस प्रकार अपने आपको निराशा के इस अथाह कुएं से बाहर निकालेंगे? जैसे ही आपको एहसास हो कि आप चिंतित हो रहे हैं आप तुरंत अपनी चिंता की इस श्रृंखला को तोड़ दीजिए।निराशाजनक विचारों की श्रृंखला को तोड़ने के लिए हम निम्न तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं:
  • अपनी आंखों को बंद करके ‘STOP’ चिन्ह की बिजली को जलता हुआ देखिए।
  • अपने हाथ को जोर से गुस्से की शक्ल में बार-बार खोलिए और बंद कीजिए।
  • हर बार जब आप मुट्ठी बंद करें तथा खोलें तो अपने आप से कहिए ‘STOP’।
  • इस प्रक्रिया को छह बार दोहराइये तथा लगभग 5 सेकंड आप इस क्रिया के दौरान लीजिए।
  • जैसे ही आपको एहसास हो कि आपकी एकाग्रता भंग हो रही है,आप इस पूरी प्रक्रिया को दोहराएं।
  • इस संपूर्ण प्रक्रिया का एक विकल्प यह है कि आप दिन में कुछ समय चिन्ताओं के लिए अलग से रखें।जो आपकी चिन्ताओं के बिंदु हों,आप उन पर अलग से कुछ समय सोचने के लिए दे सकते हैं।इसे हम ‘क्रियात्मक चिंतन’ भी कह सकते हैं।जब कभी भी आपको एहसास हो कि आप अध्ययन से विमुख होकर क्रियात्मक चिंतन में जा रहे हैं,आप एक कागज पर अपनी चिंता को लिख लें।दिन के अंत में आपके पास क्रियात्मक चिंतन के कई सारे विषय होंगे।अब सभी कार्यों से अपना दिमाग हटाकर लगभग 15 मिनट आप इन विषयों पर ध्यान दीजिए,जिन्होंने दिन में आपकी एकाग्रता को भंग किया।

(6.)मानसिक शांति (Mental peace):

  • मन में शान्ति हो तो चित्त में एकाग्रता आती है।इस स्थिति में हम जो भी पढ़ते हैं,उसका अच्छा फल मिलता है।एकाग्रता तभी आती है जब मानसिक शांति मिलती है।मन को शांत करने का तरीका है कि प्रलोभनों में न फंसे,अपने लक्ष्य पर मन को फोकस रखें।छात्र-छात्राओं के सामने कई प्रकार के प्रलोभन आते हैं,ये प्रलोभन हमारे ध्यान को भटका देते हैं।बाहरी शोर-शराबा,यातायात व ट्रैफिक की आवाज आदि के कारण भी मन अशांत हो जाता है।
  • शांति के लिए धैर्य धारण करना,सहनशील होना,क्षमा भाव रखना,मन-वचन-कर्म से किसी को पीड़ा न पहुंचाना आदि गुणों को धारण करने से शांति को उपलब्ध हो सकते हैं।किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें।यदि अपनी गलती है तो क्षमा मांग लेने से अहंकार नष्ट होता है और दूसरे ने गलती की है तो उसे क्षमा कर दें,क्षमा करने से वैर नष्ट होता है।सहनशीलता से मनोबल में वृद्धि होती है और धैर्य रखने से अंततः सफलता मिल ही जाती है।आप सोचेंगे इन गुणों का जेईई-मेन परीक्षा से क्या संबंध हैं? इन गुणों को धारण किए बिना शांति को उपलब्ध नहीं हो सकते और मन शांत और संतुलित नहीं होता है तो एकाग्रता नहीं सधती है और एकाग्रता के बिना जेईई-मेन जैसी कठिन प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करके सफल और अव्वल आना बहुत कठिन है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में 3 टॉप टिप्स से जेईई-मेन को कैसे क्रैक करें? (How to Crack JEE-Main by 3 Top Tips?),जेईई-मेन 2025 को क्रैक करने में एकाग्रता की भूमिका (Role of Concentration in Cracking JEE-Main 2025) के बारे में बताया गया है।

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4.परीक्षा की तैयारी के प्रकार (हास्य-व्यंग्य) (Types of Exam Preparation) (Humour-Satire):

  • चिंकू:हमारा शहर कोचिंग कैपिटल है और उसमें भी गणित की कोचिंग में तो टॉप पर है (पूरे देश में)।यहाँ कालांश में चार प्रकार से गणित व अन्य विषयों की कोचिंग कराई जाती है।
  • टिंकू:एक कालांश में चार प्रकार से गणित की परीक्षा की तैयारी।वो कैसे?
  • चिंकू:पहले शिक्षक से,दूसरी पासबुक से,तीसरी संदर्भ पुस्तक से,चौथी मॉडल पेपर्स,डेस्क वर्क,गाइडों आदि से।

5.3 टॉप टिप्स से जेईई-मेन को कैसे क्रैक करें? (Frequently Asked Questions Related to How to Crack JEE-Main by 3 Top Tips?),जेईई-मेन 2025 को क्रैक करने में एकाग्रता की भूमिका (Role of Concentration in Cracking JEE-Main 2025) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.ओवरकॉन्फिडेंस से क्या आशय है? (What do you mean by overconfidence?):

उत्तर:अक्सर अभ्यर्थी तैयारी करते समय यह समझ लेता है कि अमुक-अमुक टॉपिक तो मुझे अच्छे से याद है,बिल्कुल क्लियर हैं अतः इनको पढ़ने की क्या जरूरत है? तब इसके परिणाम गलत ही आते हैं।आत्मविश्वास रखना ठीक है परंतु ओवरकॉन्फिडेंस रखना गलत है।टॉपिक या सवालों को ठीक से समझने,सवालों का जवाब देने में कितना समय लग रहा है इसका मूल्यांकन करने से आत्मविश्वास आता है।

प्रश्न:2.जेईई-मेन की परीक्षा की तैयारी में अभ्यर्थी अक्सर क्या गलती करते हैं? (What mistakes do aspirants often make in JEE-Main preparation?):

उत्तर:गलतियां हर व्यक्ति से होती हैं परंतु अक्सर अभ्यर्थी गलतियां करते हैं तो उससे सबक नहीं लेते हैं और बार-बार गलतियां दोहराते रहते हैं।गलतियों को नजरअंदाज करना भारी पड़ जाता है।कई बार अभ्यर्थी रणनीति तो बहुत बेहतरीन बनाते हैं,लेकिन जैसे-जैसे परीक्षा निकट आती है,रणनीति को पूरी तरह फॉलो नहीं करते।इसलिए तैयारी कमजोर होती चली जाती है।इसका पता परीक्षा परिणाम के बाद चलता है।अतः परीक्षा की जो रणनीति बनाई है उसे पूरी तरह फॉलो करें।तैयारी में लापरवाही परिणाम पर बुरा असर डाल सकती है।कोई बात अगर आपको समझ में नहीं आती तो अपने मैन्टाॅर (mentor,अनुभव परामर्शदाता) की मदद ले सकते हैं।

प्रश्न:3.मॉक टेस्ट पेपर को हल करना क्यों जरूरी है? (Why is it important to solve mock test paper?):

उत्तर:मॉक टेस्ट पेपर को हल करना इसलिए जरूरी है ताकि आप यह तय कर सकें कि आपकी तैयारी में कहां पर कमी है।इस तरह कमियों का सही समय पर पता चलेगा,तो उसे ठीक भी किया जा सकेगा।आप यह समझ पाएंगे कि कहां पर आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है और कहां पर कम।समय से कमजोरी पता चल जाएगी तो उसे दूर करना भी आसान होता है।अचानक यह सामने आए तो तनाव भी बढ़ेगा।

प्रश्न:4.अभ्यर्थी टाल-मटोल क्यों करते हैं? (Why do candidates procrastinate?):

उत्तर:कई बार स्टूडेंट तैयारी करने में टालमटोल करते हैं।वो खुद को समझाते हैं कि मैं बेहतर मार्क्स ला सकता हूं।उनका यह रवैया उनके लिए मुश्किलों को बढ़ा सकता है।इसलिए टालमटोल करने का रवैया छोड़ें। बेहतर तैयारी पर फोकस करें।परीक्षा के दौरान पॉजिटिव रहें।योग और मेडिटेशन करें ताकि तनाव कम हो।टॉपर्स के वीडियो देखें और यह समझने की कोशिश करें कि कैसे उन्होंने तनाव और दबाव के बीच परीक्षा दी और सफल हुए।ये छोटी-छोटी बातें ध्यान रखने से आपकी तैयारी बेहतर होगी और लापरवाही से आपको दूर रखने में मदद करेगी।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा 3 टॉप टिप्स से जेईई-मेन को कैसे क्रैक करें? (How to Crack JEE-Main by 3 Top Tips?),जेईई-मेन 2025 को क्रैक करने में एकाग्रता की भूमिका (Role of Concentration in Cracking JEE-Main 2025) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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