Menu

Courage Leads to Destination

Contents hide

1.हौसलों से मंजिल मिलती है (Courage Leads to Destination),हालातों और हौसलों में से किसके द्वारा मंजिल मिलती है? (Through Which Circumstances and Courage Does Destination be Attained?):

  • हौसलों से मंजिल मिलती है (Courage Leads to Destination) क्योंकि बहुत ही विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी ऐसे गणितज्ञों,वैज्ञानिकों और महापुरुषों को देखा गया है जिन्होंने मंजिल प्राप्त कर ली है।परंतु साधन-सुविधाओं और सब कुछ होते हुए भी बहुत से लोग मंजिल प्राप्त करने से वंचित रह गए क्योंकि उनमें मंजिल को प्राप्त करने का हौसला नहीं था।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:Courage is Necessary to Solve Maths

2.विपरीत परिस्थितियों में मंजिल मिलती है (The destination is found in adverse circumstances):

  • संसाधनों के साथ अपने ख्वाबों को हकीकत में बदलने की घटना सामान्य बात है,परंतु संसाधनों के अभाव में, जीवन में भीषण विपरीतताओं एवं प्रतिकूलताओं के बीच सपनों को पूरा करना एक दुर्लभ घटना है।जिनके हौसले बुलंद होते हैं,उनके सपने काल भी कुचल नहीं सकता,बल्कि उनको अंततः सहयोग एवं संरक्षण मिलता है।जो अपनी बौद्धिकता,श्रम,समय रूपी संसाधनों को उचित रूप से उपयोग करना जानते हैं,वे कभी असफल नहीं होते,उपलब्धि उनके चरण चूमती है,सफलता उनको आशीष देती है।
  • कुछ ऐसे शख्स भी हैं,जो मेहनत एवं कामयाबी की अपूर्व मिसाल हैं,जो संघर्ष एवं चुनौतियों से कभी हार नहीं माने और न अपने अभावों व संसाधनों का उन्होंने कभी रोना रोया।उन्होंने चुनौतियों को स्वीकारा एवं अपने लक्ष्य को पाने तक अपार साहस एवं धैर्य के साथ अडिग एवं अविचलित खड़े रहे।
  • जिनके पास साधन होते हैं उनके जीवन में सफलता मिले तो कोई आश्चर्य नहीं,किंतु जिन्हें जीवन में अवरोधों का सामना करना पड़े उनके सफलता पाने पर,उन्हें ‘कीचड़ में खिले कमल’ की उपाधि देना ही उचित रहेगा।नेक इरादे,मेहनतकश,प्रखर विश्वास करने वालों की राह को कोई नहीं रोक सकता है।ऐसे दृढ़ प्रतिज्ञ आंधियों के बीच अपनी राह बना लेते हैं और मझधार में फँसी नाव को किनारे लगा लेते हैं।वे अभावों को हंसते हुए स्वीकार करते हैं।संघर्ष एवं चुनौतियां को सहर्ष अपनाते हुए अपने लक्ष्य तक बढ़ते चले जाते हैं।सफलता इनके चरण चूमती है।अतः सफलता के लिए ऐसे ही विश्वास एवं भाव की आवश्यकता है।
  • यूं साधारणतया विपरीत परिस्थितियों,संकटों,विघ्नों और बाधाओं को छात्र-छात्राएं पसंद नहीं करते हैं और विपरीतताओं के आने पर घबराते हैं,विचलित और दुःखी होते हैं पर एक दृष्टि से देखें तो विघ्न,बाधाएँ,विपरीताओं का आना अच्छा ही होता है।
  • विघ्न,बाधाएँ,विपरीत परिस्थितियाँ हमें सावधान,सजग करती है,हमारी बेहोशी दूर करती है,हमारी निष्क्रियता को दूर कर हमें सक्रिय करती है क्योंकि विघ्न,बाधाओं के बिना हम लापरवाह रहते हैं और साधारण तरीके से जीते हैं जबकि विघ्न,बाधाएँ आने पर सतर्क रहते हैं,उनसे जूझते हैं,उनको किसी तरह हल करने का प्रयास करते हैं,हम एकाग्रचित हो जाते हैं और जरा गहराई से जीने लगते हैं।
  • वैसे तो कोई समस्या,सवाल,टॉपिक को साधारण तरीके से हल करते हैं पर हमारा टेस्ट लिया जाता है,रैंकिंग टेस्ट लिया जाता है,परीक्षा ली जाती है तो हम असाधारण ढंग से जीने लगते हैं,चित्त की गहराई (एकाग्रचित) के साथ जीने लगते हैं।असाधारण समय में आत्मिक रूप,चैतन्य रूप से हमारी शक्ति प्रकट हो जाती है।विघ्न,बाधाओं में हम इसीलिए अधिक क्षमतावान और बलवान होते हैं कि किसी भी समस्या,सवाल,टॉपिक को हल करने में समर्थ हो पाते हैं।साधारण तरीके से जीने में हमें इस क्षमता और शक्ति का पता नहीं चलता।

3.बाधाओं के आने पर सफलता और असफलता (Success and failure when obstacles arise):

  • जीवन में,किसी भी काम में सफलता की मंजिल पर पहुंचने के लिए,फूलों भरी राह किसी को नहीं मिलती।हमें कदम-कदम पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है,कांटों से उलझकर सुलझना पड़ता है,चोटे लगती हैं,ठोकरें बर्दाश्त करनी पड़ती हैं-तब कहीं मंजिल मिलती है।बिरले ही ऐसे होंगे,जिन्हें अपनी मंजिल आसानी से मिल जाती है।जो लोग विषम परिस्थितियों से घबरा जाते हैं,ठोकरों और चोटों की मार से हिम्मत हार जाते हैं,वे लोग बीच में ही सफर छोड़कर वापस चले जाते हैं,हताश होकर बैठ जाते हैं।लेकिन निराश होकर बैठने से तो कभी कुछ नहीं मिलता,मंजिल पर नहीं पहुंचा जा सकता।
  • सच पूछिए तो जो आनंद विषमताओं से टकराने और ठोके खाकर संभलने के बाद मंजिल पाने में मिलता है,वह फूलों भरी राह पर चलकर नहीं मिलता।और चूँकि विषमताएँ और मुसीबतों का सामना किये बिना मंजिल नहीं मिलती तो उसे हँसकर झेलने के लिए पहले से ही मन को तैयार रखना चाहिए।इसका कारण यह है कि ये दुनिया कभी किसी को आसानी से कुछ पाने नहीं देती।
  • स्पर्धा,ईर्ष्या,अकारण ही बाधाएँ उत्पन्न करने की प्रवृत्ति वाले लोग,हमारी अपनी मजबूरियां और कमियां:ये सब सफलता की राह को विषम और कठिन बनाते हैं।दुनिया में जिन तमाम लोगों ने बड़े-बड़े काम किये:अगर उनके उदाहरण देखें तो हम आसानी से समझ सकते हैं कि वे आज जिस सम्मान को पा रहे हैं और उन्होंने अपना लक्ष्य पाकर विश्व को जो कुछ दिया-उसके लिए उन्हें कितनी-कितनी मुसीबतें उठानी पड़ी थी।
  • सफलता के मार्ग में बाधाएँ तो आती हैं-जरूरी यह होता है कि हम उन पर विजय पाएं।हमें तब तक अपने आप को मनुष्य कहलाने का हक नहीं है जब तक हम अपने आप को दुनिया की हर मुसीबत पर विजय प्राप्त कर लेने की क्षमता हासिल नहीं कर लेते।दरअसल मनुष्य अपनी कार्यक्षमता के बल पर सब कुछ कर सकता है-बस जरूरत होती है थोड़े हौसले और आत्मविश्वास को बनाए रखने की।दुनिया खुद नहीं बदलती है।दुनिया को हमें बदलना पड़ता है।जब आप दुनिया को बदलने की कोशिश करेंगे तो मुसीबतें तो आएंगी।
  • दुनिया के सभी महापुरुषों ने निश्चय के बल पर ही विपत्तियों का सामना किया।निश्चय के बल पर ही वह बार-बार टूटने के बावजूद,विपत्तियों से लड़ते रहे और निश्चय के बल पर ही उन्होंने सफलता प्राप्त की।
  • महान लक्ष्य प्राप्त करने की प्रेरणा उसी के मन में आ सकती है,जो दृढ़ निश्चय के साथ-साथ अपने कंधों पर समझदार सिर रखता हो।सफलता की ऊंची चोटी पर चढ़ने में,हमारा आत्मविश्वास ही सहायक होता है,क्योंकि हम उसी के जरिए बाधाओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।यदि हमने अपना आत्मविश्वास न जगाया तो हमारी शक्ति भी नहीं जागेगी और हम कुछ नहीं कर पाएंगे।
  • हमें यह याद रखना चाहिए कि संसार का सबसे बड़ा चमत्कार आत्मविश्वास में छिपा है।मानव की संपूर्ण सफलताओं का भवन आत्मविश्वास पर टिका है।आत्मविश्वास के बल पर ही हम बड़े से बड़े काम कर सकते हैं।आत्मविश्वासी मनुष्य के लिए कोई कार्य असंभव नहीं है।

4.विद्यार्थी के जीवन में विपरीतताएँ (Contrasts in a student’s life):

  • विद्यार्थी तथा आम व्यक्ति के जीवन में विघ्न,बाधाएँ आती हैं।ऐसा नहीं होता कि विद्यार्थियों के सामने ही विपरीताएं नहीं आती है,आम व्यक्तियों के जीवन में ही विपत्तियाँ आती है।अथवा आम व्यक्ति के जीवन में विपत्तियां नहीं आती है,विद्यार्थी के जीवन में आती है,ऐसा नहीं है।विपत्तियाँ सबके जीवन में आती हैं,भले उनका स्वरूप अलग-अलग हो सकता है।
  • यदि कोई विद्यार्थी यह शिकायत करता है कि उसके पास पुस्तकें नहीं है,अच्छी स्कूल में नहीं पढ़ रहा है,कक्षा में गणित का या अमुक विषय का अध्यापक नहीं है,उसके माता-पिता पढ़े लिखे नहीं है,घर में पढ़ने के लिए अलग से अध्ययन कक्ष नहीं है,घर में शोर-शराबा होता है,मोहल्ले में शोर-शराबा होता है,उसे अमुक विद्यार्थी तंग करता है आदि इसलिए वह पढ़ नहीं सकता है,अव्वल नहीं आ सकता है।ये सब न पढ़ने के लिए बहानेबाजी ही हैं।क्या साधन-संपन्न व्यक्तियों के छात्र-छात्राएं मेधावी,प्रखर और तेजस्वी होते हैं तथा अभावों में दिन गुजारने वाली विद्यार्थी मेधावी,प्रखर और तेजस्वी नहीं होते हैं।अधिकांशतः यही देखा जाता है कि साधन-संपन्न और धनाढ्य परिवारों के बच्चे पढ़ने में फिसड्डी होते हैं और अभावों में अपना समय व्यतीत करने वाले बच्चे मेधावी,प्रखर व तेजस्वी होते हैं।
  • अभावों,कष्टों और तकलीफों से उनमें संघर्ष करने की क्षमता पैदा होती है,सवालों,समस्याओं और कठिन टॉपिक्स को हल करने में इसीलिए सक्षम होते हैं।जो छात्र-छात्रा अभावों के सामने घुटने टेक देता है वह मंजिल प्राप्त नहीं कर सकता है।परंतु जो विद्यार्थी अभावों,विपत्तियों से जूझता है,उनसे टक्कर लेता है,हौसला नहीं खोता है वह मंजिल तक पहुंच जाता है भले ही वह निर्धन हो या धनाढ्य परिवार का।
  • हौसला विद्यार्थियों में विपरीतताओं से टक्कर लेने की क्षमता पैदा करता है,संघर्ष की क्षमता पैदा करता है।हौसले के आधार पर विद्यार्थी विपरीत परिस्थितियों को सुलझाने का प्रयास कर करता है और वह तब तक जूझता रहता है जब तक समस्याएं हल नहीं हो जाती हैं।
  • यहाँ यह प्रश्न उठाया जा सकता है कि क्या साधन-सुविधाओं का कोई महत्त्व नहीं है? अवश्य साधन-सुविधाओं का महत्त्व है परंतु साधन-सुविधाओं का सदुपयोग वही विद्यार्थी कर सकता है जिसमें जीवट हो,जो अध्यवसायी हो,जिसमें जज्बा हो,हौसला हो।उदाहरणार्थ किसी विद्यार्थी के पास गणित की पुस्तक नहीं है,तो या तो वह अपने साथियों से लेकर हल करेगा।साथी मना कर देंगे तो विद्यालय के पुस्तकालय से पुस्तक इश्यू कराकर हल कर लेगा।यदि पुस्तकालय भी नहीं है तो स्कूल के खाली कालांश में साथी विद्यार्थी से गणित की पुस्तक लेकर सवालों को हल कर लेगा अथवा प्रश्नावली के सवालों को नोटबुक में उतारकर घर पर हल करने का प्रयत्न करेगा।यानी कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो परंतु जिस विद्यार्थी में हौसला है,जीवट है,वह प्रतिकूल परिस्थितियों को किसी न किसी तरह हल करने में जुटा रहेगा,जब तक वह हल नहीं हो जाएगी।
  • परंतु अधिकांश विद्यार्थी अपने अंदर इतना माद्दा,हौसला पैदा नहीं करते हैं,वे परिस्थितियों के सामने जल्दी समर्पण कर देते हैं।परिस्थितियों उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर कर देती है।कुछ विद्यार्थियों में ही ऐसा हौसला होता है कि कितनी भी जटिल परेशानी हो,किसी भी प्रकार की हो वे हार नहीं मानते हैं बल्कि परिस्थितियों को अपने अनुरूप ढाल लेते हैं,विपरीत परिस्थितियाँ उनके लिए एक अवसर होती हैं,जिसका वे भरपूर फायदा उठाते हैं।

5.हौसला रखने वाले विद्यार्थी की नजीर (Example of a courageous student):

  • दृढ़ मनःस्थिति का पर्याय एक छात्र था।उसका चयन जेईई-मेन,व एडवांस में हो गया।अपनी मेहनत,कड़े संघर्ष और प्रतिभा के बल पर उसे आईआईटी में प्रवेश तो मिल गया,पर वहां रहने एवं पढ़ने के लिए अर्थाभाव उसके लिए एक बड़ी समस्या बन गई।
    उस विद्यार्थी को लगा कि इस अर्थाभाव की घोर समस्या से निजात कैसे मिले,उबरें कैसे? समस्या बड़ी गहन थी और उपाय कुछ सूझ नहीं रहा था।ऐसे में इस निराशा एवं कुहासा के बीच आशा की किरण टकराई और इससे उम्मीदों की आशा बंधी की अर्थाभाव से कुछ राहत पाई जा सकती है।उस विद्यार्थी ने 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों से संपर्क साधा,जो कि घर पर आकर ट्यूशन करना पसंद करते हैं।बात बन गई।उस छात्र को कार्य मिल गया,उसके पास 10-20 किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों के बच्चे ट्यूशन करने के लिए आने लगे।आईआईटी छात्र के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी,लेकिन उसने इसे स्वीकार किया।
  • वह छात्र सुबह जल्दी (4:00 बजे) उठ जाया करता था।नित्यप्रति सुबह 2 घंटे तथा शाम को 2 घंटे छात्रों को ट्यूशन कराता था।चार बैच में वह उन्हें गणित पढ़ाता था।इस व्यवस्था एवं कड़ी मेहनत से वह किसी तरह अपने भोजन,आवास व दैनिक खर्च तथा आईआईटी की फीस आदि की व्यवस्था कर लेता था।इसके पश्चात दिनभर आईआईटी में क्लास ज्वाइन करता।आईआईटी के कोर्स की पुस्तकें पढ़ने के लिए सुबह एक घंटा तथा शाम को तीन-चार घंटे निकाल लेता था।अपने अध्ययन को पूरी तत्परता एवं एकाग्रता के साथ अंजाम देता था ताकि किसी सेमेस्टर में कोई पेपर बैक ना रह जाए।
  • इस उच्च शैक्षणिक संस्थान में उसे धनाढ्य तथा साधन-संपन्न परिवारों से आने वाले छात्र-छात्राओं की नजरों की उपेक्षा,कटाक्ष एवं व्यंग्य का भी सामना करना पड़ता था,परंतु उस छात्र ने उस तरफ ध्यान को भटकने नहीं दिया,अपने अध्ययन कार्य में जुटा रहा,उनके व्यंग्य बाणों की उपेक्षा करता रहा।
  • उस छात्र की कड़ी मेहनत ने वह मिसाल कायम कर दी,जो यह दर्शाती है कि दिल में लगन की लौ हो,दिल में कुछ करने की आग हो,दिल में कुछ करने की तड़प हो तो किन्हीं भी विपन्न परिस्थितियों से सफलतापूर्वक निकला जा सकता है।वर्तमान में वह छात्र आईआईटी कर चुका है।उसके पास कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों से अच्छी नौकरी हेतु मांग है,लेकिन उस छात्र का कहना है कि वह अपने जैसे असमर्थ छात्रों की सहायता करने के लिए कटिबद्ध होगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में हौसलों से मंजिल मिलती है (Courage Leads to Destination),हालातों और हौसलों में से किसके द्वारा मंजिल मिलती है? (Through Which Circumstances and Courage Does Destination be Attained?) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:3 Best Tips to Get Encouraged

6.गणित की पुस्तक से सवाल हल करने में सक्षम (हास्य-व्यंग्य) (Able to Solve Questions from Math Book) (Humour-Satire):

  • एक गणित का छात्र गणित शिक्षक के पास पढ़ने के लिए गया।गणित शिक्षक ने कहा कि गणित पढ़ना है तो गणित की पाठ्यपुस्तक लेकर आओ।
  • गणित छात्र बोला:क्या मैं गणित की पुस्तक खरीद कर ले आऊंगा तो गणित के सवाल हल कर पाऊंगा क्या?
  • गणित शिक्षक:हां-हां,क्यों नहीं,जरूर हल कर सकोगे।
  • गणित छात्र:फिर तो बहुत अच्छा है क्योंकि मुझे जोड़,बाकी,गुणा,भाग भी नहीं आते हैं।

7.हौसलों से मंजिल मिलती है (Frequently Asked Questions Related to Courage Leads to Destination),हालातों और हौसलों में से किसके द्वारा मंजिल मिलती है? (Through Which Circumstances and Courage Does Destination be Attained?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.हौसले की कमी का क्या परिणाम होता है? (What is the result of lack of courage?):

उत्तर:थोड़े से हौसले के अभाव में काफी प्रतिभा संसार में कुछ असाधारण कार्य किए बिना ही विदा हो जाती हैं,खो जाती हैं।प्रत्येक दिन ऐसे अपरिचित प्रतिभाओं और व्यक्तियों को कब्र में भेजता है जिनकी कायरता ने उनको प्रथम प्रयास से वंचित रखा है।

प्रश्न:2.क्या हौसला किसी कार्य को करने के लिए पर्याप्त है? (Is courage enough to do something?):

उत्तर:नहीं,हौसले के साथ विवेक और धैर्य जैसे गुणों का होना भी आवश्यक है।विन्सटन चर्चिल के अनुसार मानव के सभी गुणों में हौसला पहला गुण है क्योंकि यह सभी गुणों की जिम्मेदारी लेता है।
(courage is the first of human qualities because it is the quality which guarantees all the others)

प्रश्न:3.हौसला रखने वाले व्यक्ति की क्या विशेषता होती है? (What is the quality of a person who has courage?):

उत्तर:हौसला रखने वाला विद्यार्थी इस बात की परवाह नहीं करता है कि समस्याएँ,विपरीत परिस्थितियाँ,विघ्न,बाधाएँ कितनी जटिल है।ऐसा विद्यार्थी तथा लोग अपने हौसले के बल पर आधी सफलता प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं,बाकी आधी सफलता विवेक व धैर्य जैसे गुणों पर निर्भर करती है।हौसला है तो अन्य गुणों को धारण करना आसान हो जाता है।अतः हौसला सर्वोपरि गुण है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा हौसलों से मंजिल मिलती है (Courage Leads to Destination),हालातों और हौसलों में से किसके द्वारा मंजिल मिलती है? (Through Which Circumstances and Courage Does Destination be Attained?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *