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5 Top Strategies to Fulfill Desires

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1.इच्छाओं को पूरी करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies to Fulfill Desires),छात्र-छात्राओं के लिए इच्छाओं को पूरी करने की 5 टाॅप रणनीतियाँ (5 Top Strategies for Students to Fulfill Wishes):

  • इच्छाओं को पूरी करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies to Fulfill Desires) में उन इच्छाओं की पूर्ति या पूरा करने की युक्तियां बताई गई है जो अच्छे उद्देश्य को लेकर की जाती है साथ ही उसके लिए सार्थक प्रयास किया जाता है।यों इच्छाएँ तो अनंत होती हैं और सभी इच्छाएँ पूरी नहीं हो सकती है।
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2.जो चाहते हैं वही सोचे हैं और प्रयास करें (Think and try what you want):

  • संसार का प्रत्येक व्यक्ति सदैव यही कामना करता है कि उसे मनोवांछित फल मिले।उसे उसकी इच्छित वस्तु की प्राप्ति हो।जो वह सोचता है या कल्पना करता है,वह उसे मिल जाए।भगवान से जब हम प्रार्थना करते हैं तो यही कहते हैं कि हमें यह दे,वह दे।प्रार्थना और भजनों में ऐसे भाव छुपे होते हैं जिनमें भगवान से बहुत कुछ मांगा जाता है।यह तो ठीक है कि हम या आप भगवान से कुछ मांगते हैं,प्रार्थना करते हैं,लेकिन इसके साथ ही यदि हम उस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्न नहीं करते और अपनी असफलताओं,गरीबी या परेशानियों के विषय में सोच-समझकर भगवान की मूर्ति के सामने रोते-गिड़गिड़ाते हैं,तो उससे कुछ भी होने वाला नहीं है।क्योंकि हमारे मन में अकर्मण्यता के विचार भरे हैं,असफलता भरी है,हमारे हृदय में परेशानियों के भाव भरे हैं।हमारे भीतर यह बात जड़ जमाये है कि हम असफल हैं और उस असफलता को हम किसी दैवी चमत्कार से दूर भगाना चाहते हैं,जो कभी संभव नहीं है।
  • हमारे पास जो कुछ है,वह क्यों हैं? वह इसलिए है कि मन में उनके प्रति आकर्षण है।हम इन सब चीजों को चाहते हैं जो हमारे पास हैं।मन में जिन चीजों के प्रति आकर्षण होता है,उन्हें मनुष्य पा ही लेता है।किंतु शर्त यह भी है कि मनुष्य उसी विषय पर सोचता हो,उसके लिए प्रयास करता हो और उसमें आत्मविश्वास भी हो।जो वह पाना चाहता है उसके प्रति आकर्षण के साथ-साथ वह उसके बारे में गंभीरता से सोचता भी हो।
  • आज हमारे पास जो कुछ अपना है वह तभी तक हमारा है जब तक हम मन से इसे चाहते हैं।मैं अपने वाहन को मन से चाहूंगा तो यह मेरा रहेगा,नहीं चाहूंगा तो नहीं रहेगा।इसी भाँति यदि आप आशा,सफलता और सुख-समृद्धि चाहेंगे,उन्हीं के विषय में सोचेंगे और पाने के प्रयत्न करेंगे तो पा जाएंगे।आप वही सोचें जो आप चाहते हैं।
  • आप क्या है? तनिक यह जानने का प्रयास तो कीजिए।आपके भीतर एक बहुत बड़ी शक्ति छिपी है।आप अपने आपको जानते नहीं है।आपने स्वयं को कमजोर या हीन समझ रखा है,इसीलिए तो आप कमजोर और हीन हैं।आप हीनता की बातें सोचते रहेंगे तो हीनता ही मिलेगी।सफलता की बातें,ऊंचाइयों की बातें सोचेंगे तो ऊंचाइयां मिलेंगी।अतः आप अच्छी,ऊंची और सफलता की बातें सोचिए।जीवन में आप यदि असफल और निराश हैं तो उसका कारण यह है कि आपने अपने अंदर छिपी शक्तियों को पहचाना नहीं हैं।आप सफलता के लिए ठीक प्रयत्न नहीं करते इसलिए आप सफल नहीं हैं।
  • वही सोचें जो आप चाहते हैं।जब आप सफलता की ओर बढ़ते हैं और वैसे ही प्रयत्न भी कर रहे हैं तो सफलता मिलेगी।जिस क्षण आप असफलता का विचार या आशंका करने लगते हैं,उसी क्षण असफलता आपकी ओर बढ़ती है और सफलता आपसे दूर होने लगती है,क्योंकि आप स्वयं सफलता के विरुद्ध सोचने लगे हैं।आप उल्टी दिशा में चलने लगे हैं अर्थात् जीवन की उल्टी गिनती शुरू हो जाती है।

3.दिल में जो इच्छा है वही करें (Do what you desire in your heart):

  • आपके हृदय में किसी वस्तु के लिए यदि हार्दिक आकर्षण और इच्छा है-तो समझिए कि वस्तु आपके लिए सुरक्षित रखी है।आप उसे पा जाएंगे।किंतु यदि आप परेशानियों से घिरे हैं,आपको हर मामले में असफलता ही मिल रही है,तो चिंता मत कीजिए।निराश मत होइए।जो इच्छा है,उस पर दृढ़ रहिए।उसके लिए प्रयास करते रहिए,आप उसे पा लेंगे।सफलता को भूलिए नहीं।उसी के विचारों में डूबे रहें।उसे याद रखें।कभी यह तो सोचिए ही नहीं कि आप असफल हो सकते हैं।
  • संसार में जितने भी सफल लोग थे या हैं,उन सबकी सफलता का राज यही है कि वे अपनी समस्त शारीरिक और मानसिक शक्तियों का प्रयोग करके अपने लक्ष्य की ओर बढ़े हैं,उन्होंने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया कि वे क्या कह रहे हैं।उनका विचार यही था कि दुनिया चाहे जो कुछ भी क्यों नहीं कहती रहे,हमें केवल अपने लक्ष्य की ओर ही बढ़ना है।अतः वे अपनी इच्छा की पूर्ति के प्रयत्न में लगे रहे,अपनी आत्मा की आवाज को भगवान की प्रेरणा मानकर चलते रहे।
  • यह एक सत्य है।छुपा हुआ सत्य इसे जानिए।आपकी आत्मा से जो आवाज आती है,आपके हृदय में जो भावना उठती है,आप दिल से जो इच्छा कर रहे हैं,यह भावना की ही प्रेरणा है।आप उसे पूर्ण कर सकते हैं।क्योंकि सभी शुभ इच्छाएं पूर्ण होने के लिए ही उत्पन्न होती हैं।कुछ भी तो असंभव नहीं है।वह सभी कुछ हो सकता है,जिसकी इच्छा हृदय की गहराइयों से उत्पन्न होती है।
  • कुछ लोग जब सफल नहीं होते तो वे दूसरों को कोसने लगते हैं।अपनी असफलता का दोष वे भाग्य,विधाता,समाज या व्यवस्था पर डाल देते हैं।अपनी गलती को दूसरों के लिए मढ़ देते हैं।जबकि दोष स्वयं उनका ही होता है।
  • आप पूरा प्रयास नहीं कर रहे हैं।आप आगे बढ़ने,सफलता पा लेने का विश्वास खो बैठे हैं।आपने आत्मविश्वास खो दिया है।अपनी असफलता की ओर ध्यान देने के बजाय आप दूसरों पर दोषारोपण करने में लग गए हैं।प्रयास कीजिए और पूरे दृढ़संकल्प के साथ,पूरे परिश्रम से,सफलता मिलेगी ही इस विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहिए।सफलता आपके कदम चूमेगी।
  • मनुष्य का व्यक्तित्व दो चीजों से मिलकर बना है: वंशानुक्रमण और वातावरण।वंशानुक्रमण में तो माता-पिता,दादा-दादी और नाना-नानी के व्यक्तित्व की झलक होती है,कद,रूप,रंग होता है।किंतु महत्त्वपूर्ण रोल व्यक्तित्व के बनाने में वातावरण का है।आप जो कुछ हैं वह आपके वातावरण की देन है।आप जो सोचते हैं,जैसे वातावरण में रहते हैं,वैसे लोगों के बीच रहते हैं,जैसी कल्पनाएं करते हैं,वैसे ही आप बनते भी जाते हैं।
  • आप जो सोचते हैं,विचार करते हैं,विश्वास करते हैं,उसी से आपका जीवन ढलता चला जाता है।बहुत से लोगों के बारे में कहा जाता है कि वह सदा सफल रहता है।जो भी वह इच्छा करता है उसे पा लेता है।जहाँ भी हाथ डालता है,मिट्टी भी सोना बन जाती है।जिस काम को अपने हाथ में ले लेता है,वह हो ही जाता है।इसका क्या अर्थ है? इसका स्पष्ट अर्थ यही है कि वह व्यक्ति सदा सफलता की बात सोचता है,वह सफलता के विचारों में डूबकर अपने लक्ष्य के लिए प्रयत्न करता है।पर वह निराश नहीं होता है।
  • दृढ़ आत्मविश्वास और परिश्रम की शक्ति से आप भी सफलता को अपनी ओर खींच सकते हैं।भगवदीय प्रेरणाओं से आप शक्ति प्राप्त कर सकते हैं और अपनी अभिलाषाओं को पूरा कर सकते हैं।आप अपने जीवन स्वप्न को पूरा करने की दिशा में प्रयास करें।उसे भगवदीय प्रेरणा मानकर आगे बढ़ें।

4.कल्पना शक्ति में अद्भुत चमत्कार (Amazing Miracle in Imagination):

  • कल्पना-शक्ति साधारण शक्ति नहीं है।कल्पना-शक्ति ने बड़े-बड़े आविष्कार कर दिए हैं।कल्पना-शक्ति का पता लग जाए तो जीवन में क्रांति लायी जा सकती है,जीवन की धारा ही बदल सकती है।जब आप हर क्षण,हर दिन,उठते-बैठते अपने लक्ष्य की बात सोचेंगे,उसी दिशा में बढ़ेंगे,उसी की कल्पनाओं में खोए रहेंगे तो लक्ष्य मिलना असंभव नहीं हो सकता।
  • ऐसे बहुत से हरे-भरे मैदान और खेत हैं जो पहले ऊबड़-खाबड़,बीहड़ या पठार थे,जहां कुछ भी पैदा नहीं होता था,किंतु आज वहां फसलें लहलहाती हैं,फूल महकते हैं या हरे-भरे और मनमोहक पार्क हैं।यह कैसे हो गया? परिश्रम से…. ।किसी महत्त्वाकांक्षी की ही कल्पना का यह साकार रूप है।कल्पना-शक्ति से आगे बढ़ने और सफलता को पाने के दृढ़ संकल्प वाले व्यक्तियों ने ही तो पहाड़ों को मैदान बना दिया था।ऊबड़-खाबड़ धरती पर खेत-खलिहान या उद्यान लगा दिए या शुष्क मरुस्थलों में नहरे बहा दीं।
  • प्रत्येक मनुष्य के भीतर शक्ति का स्रोत है।कोई ना कोई शक्ति,कोई न कोई प्रतिभा प्रत्येक में छिपी हुई है।मनुष्य ऐसे भूखंड की भाँति है जिसके भीतर अपनी संपदा छुपी होती है।जिस प्रकार धरती में कीमती खनिज पदार्थ भरे पड़े हैं और भू-शास्त्री उसकी खोज करते हैं,यही हाल मानव का है।उसे स्वयं ही अपने भीतर छिपी शक्तियों का पता लगाना होता है।उसे ढूंढने की जरूरत है,पहचानने की जरूरत है।अपनी शक्ति को पहचानें,अपने आपको जानें और पूरी लगन,शक्ति और विश्वास के साथ अपनी मंजिल की ओर बढ़े।अपनी शक्ति में विश्वास रखकर आप स्वप्नों की मंजिल की ओर बढ़ेंगे तभी तो मंजिल मिलेगी।
  • जो व्यक्ति मूर्ख और आलसी होते हैं वे भाग्य और संयोग की बात करते हैं।कुछ लोग दूसरों से केवल ईर्ष्या तो करते हैं,मगर किसी प्रतिद्वन्द्वी की भाँति उनसे दुगनी मेहनत करके उनसे आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करते।दूसरों को धनवान देखकर भाग्य की बात करते हैं या उन्हें भ्रष्ट अथवा दो नंबरी बताकर चुप हो जाएंगे।लेकिन सबकी यह बात थोड़े ही है।उनकी सफलता के पीछे जो लगन,जो दृढ़संकल्प और इच्छाशक्ति रही है,उसे मूर्ख लोग नहीं देखते।सफलता के लिए वे कुछ भी बलिदान नहीं करते।
  • खेत में किसान बीज डालता है।बीज से अंकुर फूटता है।तब वह खूब जुताई,बिजाई,निराई-गुड़ाई,सिंचाई और देखभाल करता है।किंतु केवल बीज को बो देना पर्याप्त नहीं है,इच्छा का पैदा होना तो केवल बीज बोना भर है।शेष काम तो रह ही गए।बीज बोने के बाद भी परिश्रम की बहुत आवश्यकता है।आपने एक इच्छा की कि आपको एक अच्छा जॉब मिल जाए,आपको अच्छा वेतन मिले,आपके पास कार हो,आप ऑफिस में एक अधिकारी हों,आपके मातहत अनेक कर्मचारी काम करें,आपके पास आलीशान कोठी हो,आप आरामदायक जीवन व्यतीत करें और शान से जिएं,लोग आपका सम्मान करें आदि।
  • मगर यह सब क्या घर पर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से ही संभव हो जाएगा? यदि आप इसके लिए कोई प्रयास नहीं करेंगे तो यह केवल शेखचिल्ली की कोरी कल्पना मात्र ही रह जाएगी।एक बात सदैव याद रखें कि जिस प्रकार बिना सिंचाई,निराई और अन्य परिश्रम के किसान अनाज नहीं ले सकता,उसी प्रकार सफलता के लिए केवल इच्छा ही पर्याप्त नहीं है,प्रयास भी करना आवश्यक है।

5.इच्छा के साथ प्रयास भी करें (Try with desire):

  • आपने नगर में ऐसे बहुत से छात्र देखे होंगे जो कभी साधारण थे,आज वे असाधारण हैं।कल ट्यूशन करके अपना खर्चा चलकर पढ़ने वाला इंजीनियर बन बैठा है।कल जो अखबार वितरण करके अपना जीवनयापन करता था वह व्यवसायी बन गया है।कई छात्र-छात्राएं जो मेहनत-मजदूरी करते थे।उन्होंने मेहनत की और उन्होंने स्टार्टअप खड़ा कर लिया।रात-दिन कठोर परिश्रम में लगे रहे हैं।
  • उनमें दृढ़ इच्छाशक्ति,आत्मविश्वास और लगन थी इसीलिए वे इतनी तरक्की कर गए कि लोग उन्हें देखकर या तो प्रसन्न होते हैं या उनकी खुशहाली से ईर्ष्या करते हैं।याद रखें की निराशावादी आगे नहीं बढ़ सकता।निराशा को तो दफना देना पड़ेगा।
  • परिश्रम से कोई भी व्यक्ति किसी भी शुभ इच्छा को पूर्ण कर सकता है।बहुत बड़ा लेखक बनना चाहे,चाहे डॉक्टर या इंजीनियर या कोई कलाकार,अपनी दृढ़-इच्छाशक्ति पर विश्वास करके उसके लिए प्रयत्न करते हुए अपने स्वप्नों को पूरा कर सकता है।
  • हमारे जीवन का आलीशान भवन हमारे मन में होता है-हमारी कल्पनाओं में होता है।वह हमारे जीवन-रूपी भवन का नक्शा है।हमारी महान शक्तियां और सफलताएं तो अभी आने वाली हैं।हमारे मन में जो कल्पना है-वह मन में तो साकार है,इसलिए हम उन्हें जीवन में पा सकते हैं।जिस वस्तु या व्यक्ति की हम मन में चाह करते हैं।हमारे मन की सब शक्तियां उस ओर खिंच जाती हैं,जो अपने आकर्षण के कारण उन्हीं चीजों को अपनी ओर खींच लाने में सफल हो जाती हैं।यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है।
  • इस बात को आप इस प्रकार समझ सकते हैं कि आप अपने नगर को छोड़कर किसी अन्य नगर में पढ़ने के लिए जाते हैं।उस नगर में आपका कोई भी परिचित और जान पहचान वाला नहीं है।हालांकि आपके मन में दृढ़इच्छा और चाह है कि वहां आपके कुछ मित्र हों।जब कुछ समय अध्ययन करते हुए वहां आप रहते हैं तो आप देखते हैं कि वहां आपके बहुत से मित्र बन गए हैं।
  • ऐसा कैसे हो गया? ऐसे क्यों हो गया? इस पर आपको स्वयं आश्चर्य होगा।होता यह है कि आपके मन में जो चाह,दृढ़ इच्छा थी उसने लोगों को अपनी ओर खींचा।आपके मन की सारी शक्तियां इसी में लग गई।आप कैंटीन,पुस्तकालय,वाचनालय,रीडिंग रूम आदि में पहुंचे और आपकी आंखें अपने गुण-कर्म-स्वभाव वाले छात्र को ढूंढती रहीं।आपका मन अपने जैसे विचारों को अपनी ओर खींचता है।आप यदि नगर के अन्य पुस्तकालयों,वाचनालयों,पुस्तक मेलों,बुक्स मार्केट आदि में जाएंगे,पत्र-पत्रिका के कार्यालय में जाएंगे,वहीं आपको मनवांछित छात्र-छात्राएं मिल जाते हैं।
  • किसी भी देश के बहुत बड़े शहर में यदि बाहर के देशों से हजारों छात्र-छात्राएं जाते हैं तो क्या होगा? आप देखेंगे कि जो छात्र अपराधी प्रवृत्ति के हैं वे अपराधी प्रवृत्ति के छात्रों की गैंग में नजर आएंगे,जो छात्र-छात्रा अध्ययनशील हैं वे मेधावी छात्र-छात्राओं के समूह में जा मिलेंगे।जो छात्र-छात्रा धार्मिक प्रवृत्ति के हैं वे मंदिरों में नजर आएंगे।नृत्य,भजन,संगीत में रुचि रखने वाले अपने रुचि के केन्द्रों पर जाते हुए और वहां शिरकत करते हुए नजर आएंगे।
  • यह एक मनोवैज्ञानिक नियम है।मन अपने जैसी वस्तु को इस प्रकार खींचता है जैसे चुंबक लोहे को खींच लेता है।विरोधों या विजातीय तत्वों को लौह चुंबक कभी अपनी ओर नहीं खींचता।अतः अपने मन को वैसा ही बनाइए जैसा आप चाहते हैं।जैसी चीजों की आप इच्छा करते हैं,वैसा ही अपने मन को बना डालिए।मन में हमेशा वही बातें रहें,वही लगन रहे जैसा आपका मन होगा,जैसा आप सोचेंगे।वैसा स्वभाव बन जाएगा,वैसा ही सोचते जाएंगे और फिर आप अपने विचार-शक्तियों के अनुसार ही फल पाएंगे।यदि आप ईर्ष्या-द्वेष और क्रोध के विचार से घिर जाएंगे तो बदले में आपको ईर्ष्या-द्वेष और क्रोध ही मिलेगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में इच्छाओं को पूरी करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies to Fulfill Desires),छात्र-छात्राओं के लिए इच्छाओं को पूरी करने की 5 टाॅप रणनीतियाँ (5 Top Strategies for Students to Fulfill Wishes) के बारे में बताया गया है।

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6.दादाजी का गणित सीखना (हास्य-व्यंग्य) (Grandpa’s Math Learning) (Humour-Satire):

  • एक बुजुर्ग बुढ़ापे में गणित सीख रहे थे।एक दिन सोहन ने उनसे पूछा दादाजी यह क्या,इस उम्र में गणित सीख रहे हो?
  • बुजुर्ग:आज गणित का क्रेज है,हर कंपीटिशन में गणित का एग्जाम लगता है,गणित जानने वाले की हर कहीं पूँछ हैं,गणित से पढ़ने वाले को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।मुझे दुनिया के साथ चलना है।
  • सोहन:कोई आपसे पूछे एक और एक कितने होते हैं?
  • बुजुर्ग:दो होते हैं।
  • सोहन:अगर कोई पूछे एक और एक का और क्या अर्थ होता है?
  • बुजुर्ग:और कुछ अर्थ नहीं होता।
  • सोहन:एक और एक ग्यारह भी होते हैं।और एक कदम पूर्व और एक कदम पश्चिम चलोगे तो शून्य भी होता है।

7.इच्छाओं को पूरी करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (Frequently Asked Questions Related to 5 Top Strategies to Fulfill Desires),छात्र-छात्राओं के लिए इच्छाओं को पूरी करने की 5 टाॅप रणनीतियाँ (5 Top Strategies for Students to Fulfill Wishes) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.इच्छाओं का त्याग क्यों आवश्यक है? (Why is it necessary to renounce desires?):

उत्तर:जिस वस्तु की उसने चाह की यदि वह तुम्हें न मिली तो तुम निराश होते हो।क्योंकि इच्छाएं अनंत होती है और अनंत इच्छाओं की पूर्ति संभव नहीं है।जिस वस्तु की तुमने चाह की यदि वह तुम्हें मिली,तो तुम उसे और भी अधिक परिणाम में चाहते हो और इसलिए दुःखी होते हो।इच्छाओं या चाहों की असारता की अनुभूति तुम्हें अंत में ज्ञान प्रदान करेगी।

प्रश्न:2.इच्छाशक्ति से क्या आशय है? (What do you mean by willpower?):

उत्तर:इच्छाशक्ति एक ऐसी वस्तु है,जो आसानी से हमारे स्वभाव में आ जाती है।इसलिए दृढ़ इच्छा करना सीखो और उस पर दृढ़ बने रहो।इस तरह से अपने अनिश्चित जीवन को निश्चित बनाकर उन्नति का मार्ग प्रशस्त करो।

प्रश्न:3.मनुष्य गिरी हुई स्थिति में क्यों रहता है? (Why does man remain in a fallen state?):

उत्तर:मनुष्य को पिछड़ा हुआ और गिरी हुई परिस्थिति में रखने वाली कोई वस्तु है,तो वह इच्छाशक्ति का अभाव है,जिसे दूर करना है।यदि हमारी शक्तियाँ गुप्त पड़ी रहेंगी,तो हम दूसरों के लिए कुछ करने में कैसे समर्थ होंगे? पहले हमें अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाना चाहिए,तभी हमें संतोष होगा कि यहां हम मुर्दों की तरह नहीं,बल्कि जिंदों की तरह जीवन जी रहे हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा इच्छाओं को पूरी करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies to Fulfill Desires),छात्र-छात्राओं के लिए इच्छाओं को पूरी करने की 5 टाॅप रणनीतियाँ (5 Top Strategies for Students to Fulfill Wishes) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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