Menu

How to Write Articles for Success?

Contents hide

1.सफल होने के लिए लेख कैसे लिखें? (How to Write Articles for Success?),प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता के लिए लेख कैसे लिखें? (How to Write Articles for Success in Competitive Exams?):

  • सफल होने के लिए लेख कैसे लिखें? (How to Write Articles for Success?) किसी भी परीक्षा में अक्सर लेख लिखने की आवश्यकता होती है।निजी व सरकारी उच्च सेवाओं में चयन के लिए अक्सर लेख लिखने को कहा जाता है।
    लेख के द्वारा आपके विचारों का पता लगता है।यदि यह कहा जाए कि लेख के द्वारा आपके संपूर्ण व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।लेख आप तभी लिख सकते हैं जब आपमें ऐसा कौशल हो कि जो कुछ आप जानते हैं उसको अभिव्यक्त कर सकें।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:How Do Students Write Articles?

2.सफलता कैसे मिले? (How to succeed?):

  • किसी भी तरह की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय ‘लेखन कौशल’ है,जिन परीक्षाओं में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं।ऐसी परीक्षाओं के लिए आप सब कुछ बहुत अच्छी तरह जानते हैं,फिर भी उसे ठीक ढंग से लिखकर समझा नहीं पाते हैं तो आपके जानने का कोई लाभ नहीं है।वहीं यदि आप बहुत कुछ जानते हैं,फिर भी अपनी बात को बहुत अच्छे ढंग से समझाने में सफल रहते हैं तो यह आपकी बहुत बड़ी सफलता है।आपके लिखने का कौशल परीक्षक को आकर्षित कर सकता है और आपको अधिक अंक दिला सकता है।
  • लेखन में परिपक्वता के लिए लिखने का लगातार अभ्यास करना जरूरी होता है।इस दौरान हमेशा ध्यान रखें कि आपसे जिस विषय पर लिखने के लिए कहा गया हो,उस पर ‘सटीक’ (टू द पॉइंट) लिखें।विषयांतर ना हो और न ही अनावश्यक विस्तार हो।यहां पर हम यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी परीक्षाओं में आप विभिन्न प्रकार के प्रश्न के उत्तर कैसे लिखें?
  • मनुष्य न सिर्फ एक सामाजिक प्राणी है,बल्कि सृष्टि का सर्वाधिक चेतनशील प्राणी भी है।मनुष्य की चेतना ही उसे सफलता-असफलता के प्रति संवेदनशील बनाती है अथवा उसे इनके प्रति सचेष्ट बनाने में सक्षम होती है।यदि आप स्वयं को जीवन की आपा-धापी के बीच सफल होते देखना चाहते हैं,तो इसके लिए आपको कड़ी मेहनत एवं दृढ़ इच्छाशक्ति का सहारा लेना होता है।इसमें यदि आप जरा-सी भी चूक दिखाते हैं,तो यह आपके लिए आत्मघाती साबित होता है।दूसरी ओर,आप यदि अपनी असफलता से सबक लेने की कोशिश करते हैं तथा उससे अपनी कमजोरियों को दूर कर लेते हैं,तो सफलता स्वतः आपके कदम चूमने लगती है।दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं हुआ है,जिसे केवल सफलता ही सफलता मिली हो।वस्तुतः जहां सफलता है,वहीं असफलता भी है।दूसरे शब्दों में,ये दोनों पद एक-दूसरे के पूरक (complimentary) हैं।
  • नेपोलियन बोनापार्ट का जीवन सफलताओं का एक ‘आदर्श नमूना’ (Ideal Model) माना जाता है,परंतु उसे भी ‘वाटरलू के युद्ध’ (Battle of Waterloo) में अपनी जिंदगी की सबसे शर्मनाक एवं विनाशक असफलता का मुंह देखना पड़ा।इसके विपरीत अब्राहम लिंकन को जीवनभर असफलताओं का ही सामना करना पड़ा परंतु जीवन के अंतिम पड़ाव में अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव में सफल हुए।दरअसल,ऐसे असंख्य उदाहरण उद्वत किये जा सकते हैं,जिनमें सफलता-असफलता के इस धूप-छांव के खेल को देखा जा सकता है।जहां आपकी जरा-सी लापरवाही अथवा अन्यमनस्कता आपको असफलता की राह दिखा देती है,वहीं कई सूत्रों का सूक्ष्म एवं संतुलित समन्वयन आपकी सफलता को सुनिश्चित कर देता है।
  • यदि आप अपनी जिंदगी को सुखमय बनाना चाहते हैं या फिर उसे वैभव एवं सम्मान प्रदान करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कड़ी मेहनत एवं दृढ़ इच्छाशक्ति का सम्बल लेकर इसके लिए पृष्ठाधार तैयार करने की जरूरत है।प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त करना निःसंदेह प्रत्येक विद्यार्थी का एक सपना हो सकता है,परंतु इनमें से अधिकांश तो इसके बारे में सोच भी नहीं पाते हैं।कुछ योग्य एवं उपयुक्त अभ्यर्थी,जो इसकी तैयारी करते हैं,उनमें से कुछ को ही इसमें सफलता मिल पाती है।उनकी इस सफलता के लिए सभी महत्त्वपूर्ण तथ्यों का उचित रूप में क्रियान्वयन ही जिम्मेदार माना जा सकता है।सफलता प्राप्त करने के लिए भाग्य की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण मानी जा सकती है,परंतु यह एकमात्र अथवा सबसे बड़ा कारण नहीं माना जा सकता।

3.लेख लिखने का कौशल आवश्यक (Article writing skills required):

  • अक्सर यह सुनने में आता है कि ‘अमुक’ अभ्यर्थी शैक्षिक परीक्षाओं में अव्वल रहा है अतः प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होना ही है,परंतु जब परीक्षाफल घोषित किया जाता है,तो उस अभ्यर्थी को वरीयता सूची में स्थान नहीं मिल पाता है।कइयों को इस परिणाम से आश्चर्य भी हो सकता है।चूँकि उस अभ्यर्थी की शैक्षणिक पृष्ठभूमि अच्छी थी,उसकी विषय पर अच्छी पकड़ थी तथा उसमें कुछ नया कर गुजरने का जज्बा था; अतः सभी को उससे विशेष आशाएं भी थीं।लेकिन जब उसका परिणाम निकलता है,तो उसका नाम सफल अभ्यर्थियों की सूची में कहीं,नहीं नजर आता है।जब उसकी इस असफलता का विश्लेषण किया जाता है,तो पता चलता है कि तमाम खूबियों के बावजूद उसमें लिखने का कौशल नहीं था।
  • प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए जहां आपकी विषय पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए,वहीं आप उस विषय को कितनी सहजता एवं प्रभाविता के साथ लिख पाते हैं,यह तथ्य भी महत्त्वपूर्ण होता है।दरअसल,वर्णनात्मक प्रतियोगिता परीक्षाओं का प्रारूप तथा इसकी संस्कृति अन्य परीक्षाओं (MCQ टाइप वाली परीक्षाओं) से सर्वथा भिन्न होती है।यद्यपि इनके पाठ्यक्रम तथा प्रश्न-पत्र आप द्वारा पढ़े हुए अथवा स्नातक स्तरीय होते हैं,परन्तु इनकी प्रकृति काफी भिन्न होती हैं।इन परीक्षाओं में आपको अपने प्रश्नों को उत्तर कम से कम शब्दों में वांछित समय के अंदर देना होता है।आपसे अधिक विश्लेषणात्मक (Analytical) एवं व्यावहारिक (Practical) उत्तर की अपेक्षा की जाती है।दूसरे शब्दों में ऐसे प्रतियोगी रटे-रटाये उत्तर लिखने के आदी होते हैं।उन्हें इन परीक्षाओं में न सिर्फ कठिनाई महसूस होती है,बल्कि उनके लिए सफलता प्राप्त करना एक दिवास्वप्न ही साबित होता है।
  • इसका अर्थ यह नहीं लगाना चाहिए कि इन परीक्षाओं में प्रश्नों की प्रकृति काफी जटिल होती है,जिनका उत्तर लिखना मुश्किल होता है।वस्तुतः आपको अपने उत्तर को पूर्णतः तार्किक एवं प्रासंगिक (Logical and Relevent) बनाए रखने की आवश्यकता होती है,ताकि प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप उत्तर को प्रभावी स्वरूप प्रदान किया जा सके।यदि आप इसमें समर्थ हो पाते हैं,तो यह आपकी सफलता की लकीर को अधिक गहरी बनाने में कारगर हो पाता है।
  • एक अर्थ में देखा जाए तो ‘लिखना’ (writing) एक तरह की कला ही है।यह एक ऐसी कला है,जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी बातों को अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से,अधिक सारगर्भित रूप में तथा अधिक सुरुचिपूर्ण तरीके से कहने में समर्थ हो पाता है।बहुत सारी कथनीय बातों से जो प्रभाव उत्पन्न नहीं हो पाता,वह प्रभाव सिर्फ एक स्पष्ट एवं अपूर्ण वाक्य लिखकर उत्पन्न किया जा सकता है।प्रभावी एवं तर्कपूर्ण लेखन शैली एक कलात्मक प्रवृत्ति ही तो है।लिखावट एक तरह का कौशल भी है,जिससे सप्रयास सुधारना संभव है।यदि आप सुरुचिपूर्ण लेख लिख सकने में समर्थ हैं,तो फिर आपको आश्चर्यजनक सफलताएं (कभी-कभी आशातीत) मिल सकती हैं।इस कला के माध्यम से आप अपनी कई कमजोरियों के बावजूद स्वयं को सफलता के मुकाम तक पहुंचा सकने में समर्थ हो पाते हैं।
  • आपकी लेखन कला आपके द्वारा कही गई बातों को परिष्कृत तथ्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने में समर्थ होती है।इससे वाहियात अथवा निरर्थक बातों को दरकिनार करने में मदद मिलती है।आजकल यद्यपि कंप्यूटर,बार्ड,चैटजीपीटी,विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर अथवा अन्य वैज्ञानिक प्रविधियों के माध्यम से लिखना संभव हो सका है,परंतु इनमें से कोई भी व्यवस्थित एवं प्रभावी लेखन शैली का स्थान ले पाने में समर्थ नहीं हैं।इन माध्यमों से वह बात पैदा नहीं की जा सकती है,जो की एक सक्षम लेखन (मैन्युअल) कला द्वारा उत्पन्न हो पाती है।

4.विभिन्न परीक्षाओं में लेख की महत्ता (Importance of Articles in Various Exams):

  • यहाँ इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि सुंदर लिखावट का अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि आप किस तरह लिखते हैं अथवा आप कितना लिखते हैं,बल्कि इसका सीधा-सा अर्थ यह है कि आप किस तरह से अपनी बातों को प्रभावपूर्ण एवं तथ्यपूर्ण स्वरूप प्रदान करते हैं? आज की प्रतियोगिता परीक्षा में प्रायः एक प्रश्न-पत्र लेख लिखने (निबंध) पर आधारित होता है।इसके द्वारा प्रतियोगी की लेखन शैली की खूबियों को पहचानने की कोशिश की जाती है।दरअसल,विषयगत उत्तर (subjective answer) वाली परीक्षाओं में इस बात पर खास बल दिया जाता है कि अभ्यर्थियों में किस तरह की लेखन शैली मौजूद है?
  • प्रबंधन परीक्षाओं में लेखन कौशल संबंधी अवधारणा पर खासा ध्यान दिया जाता है।इनकी प्रकृति काफी जटिल एवं कठिन हुआ करती है।देश की कुछ चुनिंदा प्रबंधन संस्थानों,यथा-आई.आई.एम (I.I.M) में तो इस तरह की जांच परीक्षा को काफी महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है।लेक्चरशिप के लिए ली जाने वाली नेट परीक्षा में भी लेख पर आधारित प्रश्न-पत्र होता है।पीएचडी कर रहे हैं तो आपको संपूर्ण शोध लिखने के लिए लेखन कला की आवश्यकता है।यदि आप लेखन कला से अपरिचित हैं तो प्रभावी शोध कार्य नहीं लिख पाएंगे।
  • सिविल सेवा और विभिन्न राज्य स्तरीय परीक्षा में भाषा-दक्षता (निबन्ध) संबंधी अवधारणा पर विशेष ध्यान दिया जाता है।इसके तहत दो अनिवार्य भाषा प्रश्न-पत्रों सहित एक प्रश्न-पत्र निबंध (Essay) से संबंध होता है।वैकल्पिक विषय (optional papers) भी परोक्ष रूप से अभ्यर्थियों की इसी प्रवृत्ति को उजागर करने की कोशिश करते हैं।कई एकदिवसीय अथवा वस्तुनिष्ठ प्रकार की परीक्षाओं में भी एक प्रश्न-पत्र भाषा संबंधी अवधारणा पर आधारित होता है,जिसके द्वारा अभ्यर्थियों की लेखन कला का पता लगाने की कोशिश की जाती है।
  • यदि आप लेख लिखने में सिद्धहस्त हैं तो बहुत सी वेबसाइट्स कंटेंट राइटर हायर करती हैं,वहाँ आपको जाॅब और अच्छी सैलरी मिल सकती है।खुद का ब्लॉग बनाने के लिए भी लेख लिखना आना चाहिए।कभी-कभी जब आप किसी नौकरी के लिए प्रत्यक्ष रूप से मात्र अपने ‘बायो-डाटा’ (Bio-Data) अथवा साक्षात्कार के आधार पर चुने जाने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं,तो आपसे किसी खास विषय पर निर्धारित शब्द सीमा के अधीन निबन्ध लिखने को कहा जाता है।आप इस तरह के निबंध को जितनी ही कुशलता से लिखते हैं,आपके चुने जाने की संभावना उतनी ही अधिक बढ़ जाती है।इस निबंध में उल्लेखित शब्दों तथा लेखन शैली से आपकी लेखनी की दक्षता का सहज अनुमान लगा लिया जाता है।
  • जब आप प्रतिष्ठित अथवा अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए आवेदन करते हैं तो आपकी यही लेखन क्षमता सर्वाधिक काम आती है।इन परीक्षाओं में अभ्यर्थी की लेखन क्षमता को ही सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है।दिन प्रतिदिन की जिंदगी में ई-मेल,आवेदन पत्र,पत्र आदि लिखने होते हैं।आपकी लेखन क्षमता से आवेदित पद विशेष को प्राप्त करने में काफी मदद मिल पाती है।कुल मिलाकर,एक अच्छी लिखावट आपके लिए सफलता के कई रूपों को निर्धारित कर सकती है।

5.अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को व्यक्त करने का माध्यम लेख (A medium to express your emotions and feelings Article):

  • विश्वभर में विभिन्न संस्कृतियों एवं परंपराओं के होने के बावजूद मनुष्य अपनी भावनाओं एवं संवेदनाओं का इजहार अपनी लेखन क्षमता द्वारा ही कर पाता है।यदि आप अपनी भावनाओं को सुंदर रूप में लिखकर व्यक्त नहीं कर पाते हैं,तो यह आपकी असफलता को करीब लाने तथा सफलता को दूर रखने का काम करता है।यदि आप किसी विषय के ऊपर साधिकार लिखने से चूक जाते हैं,तो यह आपकी व्यक्तिगत कमजोरी ही मानी जाती है और इससे आपको चाह कर भी सफलता नहीं मिल पाती है।
  • जब आप अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को सही एवं परिष्कृत रूप से नहीं व्यक्त कर पाते हैं,तो आपको काफी निराशा प्रतीत होती है।ऐसे में आपको अपने विचार काफी ओछे नाकाफी-से लगने लगते हैं।आप भले काफी ज्ञानी एवं तीक्ष्ण बुद्धि वाले व्यक्ति हों,परंतु यदि आपमें किसी विषय को सही रूप में प्रस्तुत करने की काबिलियत नहीं है,तो इसका अर्थ यही माना जाएगा कि आप स्वयं में अपूर्ण एवं नाकाफी हैं।
  • आप यदि अपनी नजरों को पीछे की ओर दौड़ाएं,तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि विश्वभर में विभिन्न क्षेत्रों के जितने भी चर्चित व्यक्तित्व हुए हैं,प्रायः वे सभी के सभी ‘कलम के धनी’ थे।उनकी लेखनी ने उनकी बातों को सहजता एवं ओजस्विता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी तथा जनमानस को जागृत करने में अहम योगदान दिया।
  • बात चाहे महान गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक ईसाक न्यूटन-अल्बर्ट आइंस्टीन की हो,कार्ल फ्रेडरिक गाउस की हो या फिर अन्य व्यक्तित्व की।भले ही उन्होंने वैज्ञानिक या गणितीय भाषा के आधार पर शोध लिखें हो परंतु लेखन क्षमता तो किसी भी विषय में आवश्यक है।इन सभी महान व्यक्तित्वों ने अपनी लेखन क्षमता का भी भरपूर परिचय दिया।
  • कई ऐसे व्यक्तित्व हुए हैं,जिनकी पहचान पेशेवर लेखक (professional writer) के तौर पर की जा सकती है।प्रायः विद्वानों एवं दार्शनिकों की लेखन क्षमता अद्वितीय रही है,क्योंकि इनके द्वारा जो भी बातें लिखी जाती हैं,वे उनकी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने वाली होती हैं।निश्चय ही,सफल व्यक्तियों में कुछ ऐसे गुण अवश्य होते हैं,जो उन्हें सफलता की सीढ़ियों तक चढ़ने में मदद पहुंचाते हैं।इन गुणों में एक महत्त्वपूर्ण गुण मानवीय मूल्यों (Human Values) का होना भी है।जिन व्यक्तियों में माननीय मूल्य पाए जाते हैं,वे स्वभाव से ही काफी गंभीर एवं संवेदनशील होते हैं।संवेदनशील एवं गंभीर मानव इस बात की सहजता से पहचान कर लेता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है? कोई भी व्यक्ति जिसमें उपर्युक्त गुणों का समावेश होता है,निश्चय ही एक अच्छा लेखक साबित हो सकता है।ऐसे व्यक्ति को लिखने की कला में सिद्धहस्त होने की जरूरत नहीं होती है,बल्कि उसमें यह क्षमता नैसर्गिक रूप से स्वतः ही उत्पन्न हो जाती है।
  • एक अन्य बात जो अधिक महत्त्वपूर्ण है,वह यह कि अच्छी लेखन क्षमता प्राप्त करने के लिए यह कोई जरूरी नहीं है कि व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त हो।औपचारिक शिक्षा की दृष्टि से मुंशी प्रेमचंद तथा रवीन्द्रनाथ टैगोर उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति नहीं थे,परंतु उनकी लेखन क्षमता किसी भी दृष्टिकोण से संदिग्ध नहीं मानी जा सकती है।वे मानवीय मूल्यों,सामाजिक तथ्यों तथा आध्यात्मिक मान्यताओं से पूर्णतः वाकिफ थे और यही कारण था कि वे श्रेष्ठ लेखक साबित हो सके।कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आप अच्छी लेखन क्षमता विकसित करना चाहते हैं अथवा कुशल लेखन शैली अपनाना चाहते हैं,तो आपको सबसे पहले मानवीय पहलुओं,सामाजिक-आध्यात्मिक मान्यताओं तथा व्यावहारिक दशाओं को स्वीकारना होगा।
  • इसी प्रकार बर्टलैंड रसेल का नाम ले सकते हैं,जो एक ही साथ गणित,तर्कशास्त्र एवं दर्शनशास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे।वे एक महान लेखक भी थे और उनकी लेखन क्षमता काफी सुदृढ़ तथा प्रभावोत्पादक थी।ऐसा इसलिए संभव हो सका,क्योंकि वे एक अच्छे विचारक तथा मानवीय मूल्यों के समर्थक थे।उनके विचार काफी विस्तृत एवं व्यावहारिक थे।आज भी उनके विचारों को प्राथमिकता प्रदान की जाती है।
  • यदि बर्टलैंड रसेल लेखक बन सके,तो सिर्फ इसलिए कि वे एक श्रेष्ठ विचारक एवं सूक्ष्म तत्त्वान्वेषी थे।उन्होंने सदैव उचित शब्दों का उचित स्थान पर प्रयोग किया,जिससे एक जबर्दस्त वैचारिक प्रभाव कायम हो सका।उन्होंने शब्दों का काफी व्यावहारिक एवं संक्षिप्त प्रयोग करने की कला विकसित की।उनके लेखों में शब्दों की व्याख्यात्मक प्रस्तुति काफी तर्कपूर्ण ढंग से की गई है।शायद यही गुण ऐसे थे,जिनसे रसेल की लेखनी इतनी सशक्त विचारोत्तेजक बन सकी।
  • स्वदेशी लेखकों में गांधीजी एक प्रखर विचारक तथा वक्ता थे और उनके विचारों की पढ़ाई कई देशी-विदेशी विश्वविद्यालयों में हो रही है।व्यक्तिगत जीवन में उनकी छवि एक अनुशासनप्रिय एवं माननीय मूल्यों के संरक्षक की रही है।लेकिन गांधी जी को सबसे अधिक ख्याति इस बात को लेकर मिली कि वे एक ‘व्यावहारिक विचारक’ (Practical Thinker) थे।यदि हम गांधीजी की लेखनी की चर्चा करें,तो यह बात उद्घाटित होती है कि उनकी लिखने की शैली काफी सरल एवं सहज थी।उन्होंने कभी भी जटिल एवं गूढ़ शब्दों को अपने लेखों में स्थान देने की कोशिश नहीं की।उनके द्वारा लिखे गए वाक्य काफी संक्षिप्त तथा सटीक होते थे।उनकी यही लेखन शैली पाठकों को सोचने-समझने के लिए विवश कर देती थी।सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उनकी लिखने की कला अद्वितीय थी,जो पूरी तरह से विषय-वस्तु के काफी करीब हुआ करती थी।अपने लेखों में वे कुछ खास मुद्दों के प्रति जनता को सचेत करना चाहते थे।अपने लेखों को अधिक बोधगम्य एवं सामान्य बनाने के लिए उन्होंने सदैव रोजमर्रा की जिंदगी में घटनेवाले उदाहरणों को ही सामने रखा।उन्होंने गंभीर एवं जटिल विषयों की व्याख्या करने के लिए हल्के-फुल्के शब्दों का प्रयोग किया।उनकी इन्हीं विशेषताओं के कारण उनके लेखों को जबर्दस्त वाह-वाही एवं ख्याति मिली।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में सफल होने के लिए लेख कैसे लिखें? (How to Write Articles for Success?),प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता के लिए लेख कैसे लिखें? (How to Write Articles for Success in Competitive Exams?) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:5 Tips for Writing Articles in Exam

6.बेकार चुटकुले का असर (हास्य-व्यंग्य) (Effect of Useless Jokes) (Humour-Satire):

  • कुछ गणित के छात्र-छात्राएं आपस में मन को हल्का करने के लिए चुटकुले सुना रहे थे।सभी छात्र-छात्राएं गणित के चुटकुले सुनकर ठहाके मार कर हंस रहे थे,पर पास बैठा एक मूर्ख छात्र चुपचाप था।
  • अगले दिन फिर चुटकुले सुनाए।एक गणित के होशियार छात्र ने एक बेकार-सा चुटकुला सुनाया,कोई नहीं हँसा,पर वह मूर्ख जोर-जोर से हंसने लगा।
  • इस पर सबने पूछा:जब अच्छे-अच्छे जोक सुना रहे थे,तब तुम्हें हंसी नहीं आई?
  • मूर्ख छात्र: मैं तो कल वाले जोक पर हंस रहा हूं,आज वाले पर नहीं।

7.सफल होने के लिए लेख कैसे लिखें? (Frequently Asked Questions Related to How to Write Articles for Success?),प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता के लिए लेख कैसे लिखें? (How to Write Articles for Success in Competitive Exams?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.विश्लेषण से क्या आशय है? (What do you mean by analysis?):

उत्तर:इसके तहत दिए गए कथन से जुड़े विभिन्न तथ्यों पर अलग-अलग चर्चा करने तथा अंततः संरचना एवं स्वरूप पर प्रकाश डालने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न:2.मूल्यांकन से क्या आशय है? (What do you mean by valuation?):

उत्तर:इसके तहत किसी भी कथन अथवा तथ्य का उचित रूप से गुण-दोष सहित वर्णन प्रस्तुत करना होता है।

प्रश्न:3.आलोचनात्मक परीक्षण से क्या आशय है? (What do you mean by critical testing?):

उत्तर:किसी भी तथ्य का परीक्षण करते हुए (उचित-अनुचित पहलुओं का) आलोचनात्मक करना ताकि अर्थ स्पष्ट हो सके।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सफल होने के लिए लेख कैसे लिखें? (How to Write Articles for Success?),प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता के लिए लेख कैसे लिखें? (How to Write Articles for Success in Competitive Exams?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *