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5 Tip for Students to Develop Talent

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1.छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा का विकास करने की 5 टिप्स (5 Tip for Students to Develop Talent),छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा को निखारने की 5 टॉप टिप्स (5 Top Tips for Students to Nuture Talent):

  • छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा का विकास करने की 5 टिप्स (5 Tip for Students to Develop Talent) के आधार पर वे समझ सकेंगे कि प्रतिभा क्या है और उसे किस प्रकार उभारा,तराशा और निखारा जाए।यों प्रतिभा का विकास करने हेतु पूर्व में भी कई लेख इस वेबसाइट पर पोस्ट किए जा चुके हैं।
  • परंतु प्रतिभा का विकास करने के लिए इतने गुणों को विकसित करना पड़ता है और प्रतिभा स्वयं में इतना व्यापक अर्थ लिए हुए हैं कि एक पुस्तक में भी उसका पूर्णरूप से वर्णन करना संभव नहीं है।
  • मसलन प्रतिभा विकास में समाहित है:क्षमताओं का विकास,दूरदर्शिता,साहसिकता,नीति निष्ठा,शरीर-मन का स्वास्थ्य,संयम,सूझबूझ,जागरूकता,मनोबल,पुरुषार्थ,नम्रता,अहंकाररहित,तेजस्विता,तपश्चार्य,संकल्प शक्ति का उभार,धैर्य,श्रमशीलता,प्रामाणिकता,उदारता,उत्साह,अनुशासन,आदर्शों के प्रति निष्ठा आदि अनेक गुणों को विकसित करना पड़ता है।अतः इस लेख में कुछ नवीन सामग्री प्रस्तुत है।
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2.कठिनाइयों से विचलित ना हो (Do not get distracted by difficulties):

  • अक्सर छात्र-छात्राएं अथवा कोई भी व्यक्ति कठिनाइयों,समस्याओं,चुनौतियों तथा अवरोधों को पसंद नहीं करता है।जबकि हकीकत यह है कि हमारी सुप्त क्षमताएं तभी जाग्रत होती हैं जब हम कठिनाइयों,समस्याओं व अवरोधों का डटकर मुकाबला करते हैं।मसलन किसी गणित के छात्र के सामने कोई जटिल सवाल,प्रमेय अथवा कोई जटिल सिद्धांत आ जाता है तो वे उससे जूझने,हल करने के बजाय हिम्मत हार जाते हैं।जबकि जूझते रहने से उस समस्या,कठिनाई का समाधान मिल जाता है।ऐसा बहुत कम होता है कि हम समस्याओं को हल करने का प्रयास करते रहें और वह समस्या न सुलझे।
  • अब यह जूझना कई प्रकार से हो सकता है।सर्वप्रथम उदाहरणों को ठीक से हल करें।टॉपिक से संबंधित सूत्रों,थ्योरी और प्रमेयों को समझें।यदि फिर भी समस्या हल नहीं हो रही हो तो सन्दर्भ पुस्तकें देखें।एक तरीके से हल नहीं हो रहा हो तो उसके विकल्पों पर विचार करें अर्थात दूसरे,तीसरे तरीके से हल करने का प्रयास करें।
  • फिर भी समस्या हल नहीं हो रही हो तो अपने मित्रों व शिक्षकों अथवा ट्यूटर की मदद से हल करने का प्रयास करें।यानि समस्या को हल करने के पीछे पड़े रहें और हल करके ही दम लें।
  • परंतु होता यह है कि ज्योंही सवाल या समस्या हल नहीं होती है तो छात्र-छात्राएं हताश,निराश हो जाते हैं।गणित पढ़ने से मन उचट जाता है।कठिनाइयों,अवरोधों को वे बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं।सोचते हैं जैसे-तैसे बोर्ड परीक्षा में गणित में उत्तीर्ण हो जाएँ तो आगे गणित से पीछा छूट जाएगा।यह पलायनवादी प्रवृत्ति हमारी प्रतिभा के विकास में बाधक है।
  • अपने साथी-मित्रों से बार-बार सवाल पूछने में संकोच करते हैं।इससे समस्याओं से जूझने का उनमें माद्दा पैदा नहीं होता है और कुछ साहस होता भी है तो वह भी खत्म होता जाता है।
  • वस्तुतः परेशानियां,समस्याएं,कठिनाइयां इतनी भयंकर और कष्टदायक नहीं है,जितना बहुत से छात्र-छात्राएं समझते हैं।जिस स्थिति में कई छात्र-छात्राएं निराश,हताश हो जाते हैं,रोते-कलपते हैं उसी परिस्थिति में दूसरे छात्र-छात्राएं नवीन प्रेरणा पाकर,उत्साहित होकर समस्याओं का समाधान करते हैं,सफलता प्राप्त करते हैं।कठिनाइयां,समस्याएं और परिस्थितियाँ हमारे मनोबल पर निर्भर करती है।जब मनोबल कमजोर होता है तो परिस्थितियाँ समस्या ही बनी रहती है,जब मन स्थिर होता है तो परिस्थितियां चुनौती बन जाती है और जब मन मजबूत अर्थात् मनोबल दृढ़ होता है तो परिस्थितियाँ अवसर बन जाती हैं और दृढ़ मनोबल वाले छात्र-छात्राएं विकट से विकट परिस्थिति को स्वीकार करके स्वयं में निहित शक्तियों को जागृत करता है।वह परिस्थितियों,समस्याओं से तब तक जूझता रहता है जब तक वह हल नहीं हो जाती है।

3.तेजस्वी बनें (Be stunning):

  • तेजस्वी का अर्थ है परिश्रमी होना,नियम,संयम व अनुशासन का पालन करना,तेजस्विता तपश्चर्या की उपलब्धि है।जो छात्र-छात्राएं अपने जीवन में नियम,संयम,साधना का पालन करता है,अनुशासित है,नीति-मर्यादाओं का पालन करता है वह न केवल भौतिक विषयों में पारंगत और दक्ष होता है बल्कि उसकी आंतरिक क्षमताओं का विकास भी होता है।उसमें विवेक,धैर्य,साहस का विकास होता है।जीवन में रुकावट डालने वाली तृष्णा,वासना और अहंकार के नागपाश से मुक्त हो जाता है।
  • होता यह है कि कुछ छात्र-छात्राएं नियम,संयम,अनुशासन,विवेक,धैर्य,साहस,आध्यात्मिक बातों को अपनाने वाले को पुरातनपंथी,ढोंगी,अंधविश्वासी,लकीर पीटने वाला समझते हैं अथवा इन्हें वृद्धावस्था में पालन योग्य समझते हैं।
  • अतः उनका विद्यार्थी जीवन भौतिक सुख-सुविधाओं तथा विलासितापूर्ण जीवन जीने में व्यतीत होता है।ऐसे छात्र-छात्राएं न तो अपने छात्र जीवन में कुछ उल्लेखनीय कर पाते हैं और आगे का जीवन तो कंटकाकीर्ण है ही।
  • गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी का जन्म सुख-सुविधाओं में हुआ था।यदि वे चाहते तो राज-सुख और समस्त ऐश्वर्यों का भोग भोग सकते थे।विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते थे।परंतु उन्होंने राज-सुख को तिलांजलि देकर जटिलताओं को स्वेच्छा से स्वीकार किया,क्योंकि इसके बिना कोई भी अपने लक्ष्य को पा नहीं सकता।इनके द्वारा ही मनुष्य का व्यक्तित्व अपना पूर्ण चमत्कार प्रदर्शित करता है।
  • जो छात्र छात्राएं जेईई-मेन तथा एडवांस में,जैम जैसी कठिन प्रतियोगिता परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं वे किसी योगी से कम नहीं होते हैं।छात्र-छात्राओं को सुख-सुविधाएँ,विलासितापूर्ण चीजें विरासत में मिली भी हों तो भी मन और मन को इनका आदी नहीं बनाना चाहिए बल्कि तपश्चर्या में अपने जीवन को प्रशिक्षित करना चाहिए।शरीर और मन दोनों को ही शालीनता अपनाए रहने के लिए अभ्यस्त करना पड़ता है।संयम योग यही है।जो इतना कर सकता है वही छात्र-छात्रा उपलब्धियां अर्जित कर सकता है,सफलता ऐसे विद्यार्थी के ही कदम चूमती है।
  • आप सफल अभ्यर्थियों के साक्षात्कार पढ़ लीजिए तो आपको मालूम चल जाएगा की सफलता इसलिए हस्तगत हुई,क्योंकि उन्होंने जीवन में कठोर परिश्रम किया,स्वयं पर कड़ा अंकुश लगाकर आत्मानुशासन का अभ्यास किया एवं फिर अपनी बचाई हुई ऊर्जा को सुनियोजित किया।
  • जो प्रतिभाशाली (छात्र-छात्राएं) होते हुए भी अपने जीवन को सुख-सुविधाओं का भोग करने,विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने में लगाए रखा वे सब कुछ होते हुए भी सफलता के उच्च शिखर तक नहीं पहुंच सके और ना किसी के लिए प्रेरणा के स्रोत बन सके।यदि अनुकरणीय,अभिनंदनीय बनना है,तो मार्ग एक ही है-तपश्चर्या से स्वयं को अनुशासित कर उर्ध्वगामी बनना,व्यवहार में सज्जनता-शालीनता को समन्वित करना एवं उदारता को अपनाते हुए बांटने (ज्ञान का वितरण) में संतोष अनुभव करना।

4.प्रतिभाओं को उभारने में बाधक भटकाव (Distractions hindering talent growth):

  • कुछ छात्र-छात्राएं किसी प्रलोभन से अथवा अन्य किसी कारण से अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।लक्ष्य से भटककर चलते रहते हैं जब आंखें खुलती है तो पता चलता है कि पहुंचना मुंबई था और पहुंच गए दिल्ली।दिल्ली पहुंचने पर वापस लौटना पड़ता है।दिल्ली पहुंचने में लगा समय,परिश्रम व्यर्थ ही चला जाता है।लौटकर प्रारंभिक स्थान पर आते हैं तब तक उतने समय और परिश्रम से अपनी मंजिल (मुंबई) पहुंच जाते परंतु उतने समय व परिश्रम में वे लौटकर अपने प्रारंभिक स्थान पर ही आ पाते हैं।
  • गलत लक्ष्य का चुनाव करने के कारण ऐसा ही होता है।गलत लक्ष्य का चुनाव प्रलोभन (अधिक धन,वेतन आदि को देखकर),संगी-साथियों की देखा-देखी,बाजार में किसी एक ही ट्रेंड की ओर झुकाव देखकर तथा अपनी नैसर्गिक प्रतिभा को न पहचानने के कारण कर लिया जाता है।
  • हर छात्र-छात्रा में नैसर्गिक प्रतिभा होती है परंतु वह छिपी हुई रहती है पर उसे उभरने प्रकट होने का अवसर उन विकारों के कारण आने नहीं पाता है जो मन पर छाए हुए हैं (काम,क्रोध,लोभ,मोह आदि)।
  • लकड़ी को पानी पर तैरते रहना चाहिए,पर यदि उस पर भारी चट्टानें बांध दी जाएँ तो अपना स्वाभाविक गुण तैरना भी दबकर रह जाता है।नैसर्गिक प्रतिभावान होते हुए भी छात्र-छात्राएं काम,क्रोधादि की चट्टान मन पर लाद लेने के उपरांत तैरने और अपना वास्तविक स्वरूप दिखा पाने की स्थिति में रह ही नहीं सकते।
  • सुप्त,छिपी हुई प्रतिभा को जगा पाने का अवसर मिले इसके लिए आवश्यक है कि भ्रष्ट चिन्तन से अंतराल को,दुष्ट आचरण से कायकलेवर को बचाएं और मन को विकारों (काम-क्रोध आदि) से मुक्त रहने का प्रयत्न किया जाए।

5.अवांछनीय महत्वाकांक्षाओं में न फँसे (Don’t get caught up in undesirable ambitions):

  • आधुनिक युग के प्रभाव से छात्र-छात्राओं में धनिक बनने की,भौतिक साधन-सुविधाओं को जुटाने,विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने की उत्कंठा रहती है।इसके लिए वे अवांछनीय महत्त्वाकांक्षाओं के जाल में फंस जाते हैं और अपने आदर्श,लक्ष्य से भटक जाते हैं।धन कमाना,धनार्जन,पैसा,रूपया,धन-संपत्ति आदि साध्य नहीं हो सकते हैं।यह (धन) तो आपके लक्ष्य,जाॅब का बाइप्रोडक्ट है।यह कभी साध्य या लक्ष्य नहीं बन सकता है।यदि लक्ष्य या साध्य धन को बना लिया तो इसके जाल से,तृष्णा के जाल से छूटना मुश्किल है।
  • प्रतिभा कहीं बाहर से बटोरनी नहीं पड़ती,उसे सदैव भीतर से ही उभारा गया है।इसके लिए उन आवरणों को हटाना अनिवार्य है,जो भारी चट्टान की तरह उत्कृष्टता के मार्ग में भयानक अवरोध बनकर अड़े होते हैं।
  • इस संदर्भ में स्मरण रखने योग्य तथ्य यही है कि भौतिक सुख-सुविधाओं में आसक्ति ना रखकर उनका उपयोग जीवन निर्वाह के दृष्टिकोण से किया जाए और एक औसत नागरिक की तरह जीवन व्यतीत किया जाए अन्यथा तृष्णा और वासना की लिप्सा इतनी सघनता के साथ छायी रहेगी कि अपनी सामर्थ्य की तुलना में अकिंचन (कर्म शून्य) औसत पुरुषार्थ भी करते न बन सकेगा अर्थात् आप अपने अध्ययन कार्य से विमुख हो जाएंगे।यह खाइयाँ इतनी चौड़ी और इतनी गहरी हैं कि छोटे से जीवन का समूचा समय,श्रम,कौशल खपा देने पर भी उन्हें भरा नहीं जा सकता।
  • लालसा जन्य भौतिक महत्त्वाकांक्षाओं में कटौती किए बिना किसी के पास भी इतना समय,श्रम,साधन बच नहीं सकता जिसके सहारे अध्ययन-मनन-चिंतन की दिशा में कुछ कहने लायक कदम उठ सकें।अपने निजी बड़प्पन में जितनी अभिरुचि होगी,वह उतना ही अपने को व्यस्त और अभावग्रस्त अनुभव करेगा।सदा यही कहता रहेगा कि अपनी समस्याओं से घिरा हुआ हूं,जबकि वास्तविक समस्याएं मनुष्य के सामने होती ही कितनी हैं? फिर यदि उन्हें व्यावहारिक बुद्धि द्वारा समझदारी के साथ सुलझाया जाए,तो सब कुछ इतनी सरलतापूर्वक निबट जाता है,मानों इनका अस्तित्व था ही नहीं।भ्रांतियों के कारण वे गढ़ी भर गई थी।
    संयम नियम के कितने ही अनुबंध हैं।यदि छात्र-छात्राएं एक-एक करके अपने आचरण में उतारने जाएँ तो अनेक गुणों के स्वामी बना जा सकता है।जिसमें कठिन परिश्रम,धैर्य,साहस,विवेक,आहार-विहार की शुद्धि,ब्रह्मचर्य का पालन,मितव्ययता,विनम्रता,सरलता,स्वच्छता,अनुशासनप्रियता आदि प्रमुख है।
  • अवांछनीयताएँ देखने सुनने में बहुत नगण्य-सी लगती हैं पर वस्तुतः है संकीर्णता और स्वेच्छाचार की पैदा की हुई औलाद ही।इनमें एक-एक को गिनना और रोकथाम करना मेंढक तौलने के समान है।बिस्तर को धूप में डाल देने के उपरांत खटमल और उनके अंडे-बच्चे सभी मर जाते हैं।इसी प्रकार दृष्टिकोण को सही और विवेकपूर्ण बना लेने के उपरांत अपना स्वरूप,लक्ष्य और कर्त्तव्य तीनों ही सूझ पड़ते हैं।उस प्रकाश (विवेक जागृत होते ही) के जलते ही उन डरावने भूत-पलीतों से छुटकारा मिल जाता है,जो अंधेरे के कारण डरावने बनकर डराते और त्रास देते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा का विकास करने की 5 टिप्स (5 Tips for Students to Develop Talent),छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा को निखारने की 5 टॉप टिप्स (5 Top Tip for Students to Nuture Talent) के बारे में बताया गया है।

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6.खुशियां क्या होती हैं? (हास्य-व्यंग्य) (What is Happiness?) (Humour-Satire):

  • बिल्लू (गोलू से):ये खुशियां क्या होती हैं?
  • गोलू:पता नहीं यार,मुझे तो छोटी सी उम्र में ही माता-पिता और शिक्षक गणित पढ़ाने लग गए थे,हाथ-धोकर पीछे पड़े हुए हैं।

7.छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा का विकास करने की 5 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 5 Tip for Students to Develop Talent),छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा को निखारने की 5 टॉप टिप्स (5 Top Tips for Students to Nuture Talent) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या ढर्रे के जीवन जीने से प्रतिभा निखरती है? (Does living a decent life bring out talent?):

उत्तर:प्रतिभा परिष्कार की उपयोगिता-आवश्यकता समझने वालों को इसके लिए सहमत हो जाना चाहिए कि वे किसी ढर्रे का जीवन जीकर दिन गुजारते रहने की सरल प्रक्रिया अपनाए रहने तक संतुष्ट न रहेंगे,वरन आदर्शों के परिपालन में तत्परता बरतने और कटिबद्ध होने के लिए अपनी संकल्पशक्ति का समग्र प्रयोग करेंगे।

प्रश्न:2.समस्याओं में किसको प्रमुख मानें? (Which of the problems should be considered the main one?):

उत्तर:समस्याओं और संकटों के जाल-जंजाल में यह खोजने की आवश्यकता नहीं है कि उलझनों में किसको प्रमुख मानें और उनको सुलझाने का सिलसिला कहां से प्रारंभ करें।स्पष्ट है कि न यहाँ साधनों की कमी है और न परिस्थितियों की विपन्नता।विपत्ति है चिंतन की विकृति।चिंतन से चरित्र प्रभावित होता है और चरित्र के अनुरूप व्यवहार बन पड़ता है।विकृति इसी क्षेत्र में घुस पड़े,तो रंगीन चश्मा पहनने पर सब कुछ उसी रंग का दीख पड़ने की तरह कुछ का कुछ समझ पड़ने की स्थिति बन जाती है।तथ्य को समझते हुए इसी निष्कर्ष पर पहुंचना पड़ता है कि अपनी मन:स्थिति को सुधारा जा सके; तो प्रतिकूलताओं को अनुकूलताओं में बदलने में देर न लगे।

प्रश्न:3.प्रतिभाओं की सबसे बड़ी विशेषता क्या है? (What is the biggest characteristic of geniuses?):

उत्तर:प्रतिभावानों की सबसे बड़ी विशेषता नम्रता होती है।वे अपने लक्ष्य के मार्ग पर जितने दृढ़ होते हैं,व्यवहार क्षेत्र में उनकी शालीनता उतनी ही नमनीय होती है।हमारी गर्दन न अकड़ी हो-अहंकार से,अभियान से,ना आवश्यकता से अधिक झुकी हुई हो-हीनता से,भीरुता से वरन वह प्रतन्य हो,समय आने पर सीधी तनी भी रह सके और अन्य अवसरों पर झुक भी सके,बाँस की तरह,तभी वह व्यक्तित्ववान,प्रतिभावान कहला सकता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा का विकास करने की 5 टिप्स (5 Tip for Students to Develop Talent),छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिभा को निखारने की 5 टॉप टिप्स (5 Top Tips for Students to Nuture Talent) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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