6 Best Tips to Overcome Dementia
1.मनोभ्रंश को दूर करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Overcome Dementia),स्मृति रोग को दूर कैसे करें? (How to Overcome Memory Disease?):
- मनोभ्रंश को दूर करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Overcome Dementia) के आधार पर आप अपनी स्मरणशक्ति को बढ़ा सकते हैं।मनोभ्रंश या स्मृति रोग (डीमेंशिया) एक ऐसा रोग है,जिसमें मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों की वजह से मानसिक योग्यता कम हो जाती है।
- यदि यह रोग 65 वर्ष की आयु के बाद शुरू हो तो उसे जरा मनोभ्रंश कहते हैं जबकि 65 वर्ष से पहले होने वाले रोग को जरापूर्व मनोभ्रंश कहा जाता है।
- प्रचलन:यह रोग 40 से 90 वर्ष (अधिकतर 70 से 90 वर्ष) के बीच शुरू होता है।65 वर्ष से अधिक आयु के पांच प्रतिशत से अधिक लोग इस रोग से पीड़ित होते हैं।यह रोग महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा लगभग दो गुणा अधिक पाया जाता है (क्योंकि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आयु अधिक होती है)।
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2.मनोभ्रंश के कारण (Causes of dementia):
- मनोभ्रंश के कई कारण है जिनमें से अनेक ठीक हो सकते हैं।इसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
बुढ़ापा:मनोभ्रंश बुढ़ापे का एक प्रमुख रोग है।इसमें किसी मस्तिष्क रोग के बिना ही व्यक्ति की मानसिक कार्य कुशलता कम होती जाती है। - मस्तिष्क के प्राथमिक अपकर्षक रोग:एलजीमर्स रोग,हंटींगटन कोरिया,पिक जरापूर्व मनोभ्रंश इत्यादि।इन रोगों से जरा या जरापूर्व मनोभ्रंश हो जाते हैं।
- प्रमस्तिष्क वाहिकीय रोग:मस्तिष्क की धमनी में वसा जमने से मार्ग अवरुद्ध हो जाना,मस्तिष्क पर रक्तचाप प्रभाव इत्यादि।
मस्तिष्क के रोग:सिफलिस (सुजाक),मस्तिष्क शोध (एन्केफलाइटिस),एड्स,मस्तिष्क का कैंसर इत्यादि।
चयापचयी रोग:जैसे मधुमेह,कुशांग रोग,मिक्सिडीमा इत्यादि।
विटामिन की कमी:विटामिन बी-1,बी-6,बी-12 की कमी।
विषैले या मादक पदार्थ का सेवन:कार्बन मोनोऑक्साइड गैस,लेड (सीसा),मैंगनीज,आर्सेनिक (संखिया विष),मदिरा,बार्बीचुरेट,ऐमफेटेमिन इत्यादि।
सिर पर चोट लगना:यातायात दुर्घटना,शल्य चिकित्सा,मुक्के।
मिर्गी:बाजीगरी के खेल में या मिर्गी रोग की वजह से।
आनुवांशिक:मंगोलता,बचपन में लकवा इत्यादि।
3.मनोभ्रंश का निदान (Diagnosis of dementia):
- इस रोग के कारणों को पहचानने के लिए कई प्रकार की जांच की जाती है।उनमें कुछ मुख्य है:
प्रयोगशाला परीक्षण:खून,पेशाब,मल,मस्तिष्क के पानी,यकृत एवं गुर्दे की जांच किसी शारीरिक रोग की पहचान में मदद करती है।यदि शारीरिक के ठीक होने की संभावना हो तो रोगी पूर्णतया स्वस्थ हो सकता है। - मनोवैज्ञानिक परीक्षण:आजकल कई प्रकार के मानसिक परीक्षण उपलब्ध है जिनसे शरीर के अंगों से संबंधित (इंद्रिय संबंधी) रोगों को मनोवैज्ञानिक रोगों से अलग पहचाना जा सकता है।इनमें से कुछ प्रमुख हैं:बुद्धि की जांच (अनेक प्रकार की मौखिक तथा क्रिया परीक्षाएँ बुद्धिमत्ता मापने के लिए प्रयोग में लायी जाती हैं);बेंडर जेस्टाल्ट परीक्षण (इसमें रोगी को कई तरह के ज्यामितीय रेखाचित्र देखकर बनाने होते हैं)।मनोभ्रंश में रोगी इन्हें अच्छी तरह से नहीं कर पाता ;स्मृति जांच (रोगी को एक संख्या,पता या कुछ वस्तुएं दिखाकर याद करने को कहा जाता है तथा कुछ निश्चित समय के बाद पूछा जाता है।यदि स्मृति कम हो गयी हो तो रोगी इन्हें ठीक से याद नहीं कर पाता);एकाग्रता परीक्षा (इसमें रोगी को एक संख्या जैसे 100 में से लगातार 7 घटाने के लिए कहा जाता है।यदि एकाग्रता में खराबी हो तो रोगी यह ठीक से नहीं कर पाता)।
- अन्य परीक्षण:जैसे आंख की पुतली,नेत्रबुध्न (फंड्स) की जांच,सिर का एक्स-रे,विद्युत मस्तिष्क आलेख (ई.ई.जी),मस्तिष्क की धमनियों की जांच (वाहिकाचित्रण),सिर का रंगीन एक्स-रे (ब्रेन स्कैनिंग,एन.एम.आर.),मस्तिष्क के अंश की जांच इत्यादि।
4.मनोभ्रंश के लक्षण (Symptoms of dementia):
- मनोभ्रंश में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।इनमें से कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:
स्मृति में कमी:रोगी को सालों,महीनों या हफ्तों पुरानी बातें (भूतपूर्व स्मृति),घटनाएं तो याद रहती हैं परंतु कुछ घंटे या दिनों पहले की बातें (तात्कालिक स्मृति) भूल जाती है-जैसे रोगी को यह याद नहीं रहता कि उसने क्या खाना खाया था या उससे कौन मिलने आया था,परंतु वह सबको ठीक से पहचान सकता है।कई बार रोगी बातें भूलने पर झूठी बातें बनाकर बोल देता है।स्मरण-शक्ति कम होने पर डायरी या कागजों पर अपनी दिनचर्या लिखने लग जाता है। - बुद्धि में कमी:इस रोग में व्यक्ति की कार्य-कुशलता कम हो जाती है तथा वह अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता।
व्यक्तित्व में विकार:मनोभ्रंश में रोगी का व्यक्तित्व बिगड़ जाता है तथा वह अपना ध्यान (स्वच्छता या नियमित रूप से भोजन लेना इत्यादि) नहीं रख पाता।किसी भी तनाव की स्थिति में घबरा जाता है। - व्यवहार में परिवर्तन:रोगी को अत्यधिक गुस्सा आना,घबराहट,दूसरों से झगड़ा,सामाजिक क्रियाओं से कटाव इत्यादि।
निर्णय शक्ति में विकार:मनोभ्रंश में व्यक्ति ठीक से निर्णय नहीं ले पाता इसलिए वह कई शारीरिक,सामाजिक तथा आर्थिक जटिलताओं का शिकार हो जाता है।
- सोच में परिवर्तन:कई तरह के वहम (जैसे दूसरों पर अनुचित शक करना,किसी शारीरिक रोग या मरने या विनाश का वहम इत्यादि) रोगी की सोचने की शक्ति में आ जाते हैं जिसकी वजह से वह कई बार गलत काम कर बैठता है।एक 68 वर्ष का रोगी बार-बार पुलिस स्टेशन जाकर यह शिकायत करता था कि उसका भाई उसे मारकर उसकी दौलत हथियाना चाहता है तथा वह जब भी कोई भी काम करने जाता है उसका भाई लोगों से उसका पीछा करवाता है जबकि इस शक की कोई वास्तविक बुनियाद नहीं थी।
- दृष्टि (इंद्रियग्राह्यता) में विकार:भ्रम (रस्सी को सांप समझना,दीवार पर निशान को बिच्छू कहना इत्यादि) तथा (विभ्रम किसी व्यक्ति की उपस्थिति के बिना ही उसका नजर आना या आवाज सुनाई देना इत्यादि) भी कई बार इस रोग के लक्षण होते हैं।चेतना अक्सर ठीक रहती है परंतु कई रोगियों में (जैसे कि बुखार में,खून के रासायनिक तत्वों में विकार होने पर) चेतना या अभिविन्यास में कमी आ जाती है तथा रोगी जान-पहचान के लोगों एवं स्थानों को पहचानने में असमर्थ हो जाता है।
- भाव परिवर्तन:भाव में अस्थिरता,उत्तेजना,चिड़चिड़ापन इत्यादि इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।
अन्य लक्षण:तनाव,चिंता,उदासी,विखंडित मनस्कता,सनक (उन्माद) इत्यादि रोगों के लक्षण भी इस रोग में पाए जाते हैं।
रोगी अक्सर अपने लक्षणों के बारे में बेखबर रहता है।
5.मनोभ्रंश का उपचार (Treatment of dementia):
- इस रोग का उपचार कई बातों पर निर्भर करता है जैसे कि रोग की उत्पत्ति आकस्मिक और तीव्र है या चिरकालिक तथा इसका कारण क्या है (दीर्घकालिक तथा जरा मनोभ्रंश पूर्णतया ठीक नहीं हो सकता)।कुछ मुख्य बातें जिनका इस रोग के उपचार में ध्यान रखा जाता है,वे हैं:
- रोगी के आहार का ध्यान रखना:यदि किसी आहारीय तत्व-जैसे प्रोटीन या विटामिन या तरल पदार्थ की कमी हो तो उसे पूरा किया जाना।
- रोग का लक्षणों के अनुसार उपचार करना:यदि तनाव या चिंता के लक्षण हों तो चिंता को दूर करने वाली दवाओं डाईजीपाम (काम्पोज) 5-20 मि.ग्रा.;लोरोजीपाम (लारपोस,एटीवान) 1-6 मि.ग्रा.;क्लोरडाइजीपोक्साइड (लीब्रीयम,इक्वीब्रम) 10-30 मि.ग्रा.;एलप्रोजालाम (ऐलप्रेक्स,जोल्डेक,एलजाेलाम) 0.25-2 मि.ग्रा.इत्यादि; अगर उदासी के लक्षण हों तो अवसाद (उदासी) दूर करने वाली दवाएं (इनमें कुछ नयी) दवाएँ जैसे कि ट्रेजोडोन (ट्रेजोलोन,ट्रेजोनील) 50-300 मि.ग्रा.;डोथायापीन (प्रोथायाडीन) 50-225 मि.ग्रा.;मीआनसेरीन 50-300 मि.ग्रा. (टेटराडेप,सेरीडेक);10-60 मि.ग्रा.,डोक्सेपीन (डोक्सीटार,स्पेक्ट्रा,साइकोपिन) 50-300 मि.ग्रा. इत्यादि बूढ़े रोगियों में ज्यादा सुरक्षित है,क्योंकि हृदय तथा अन्य अंगों पर इनके बुरे प्रभाव बहुत कम होते हैं; अगर स्कीजोफ्रीनिया या उन्माद हो तो इन्हें रोकने की दवाएँ (इनमें हेलोपेरिडाॅल,हेक्सीडाॅल,ट्राइनोरम),ट्राइफ्लूपेराजीन (ऐस्काजीन,ट्रीनीकाम प्लस) इत्यादि दी जाती है।
नोट:उपर्युक्त दवाएँ डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ली जाएं।
- स्मरणशक्ति या बुद्धि बढ़ाने वाली दवाएं:हमारे देश में स्मरण-शक्ति बढ़ाने के लिए कई तरह की दवाएँ उपलब्ध हैं।परंतु ये बहुत महंगी हैं (प्रतिदिन खर्च 20-30 रुपए) तथा कुछ ही रोगियों में प्रभावशाली हैं।इनमें से मुख्य हैं-पीरेसेटेम (न्यूरेसेटेम,न्यूसेटेम) 800-2400 मिग्रा;नाइट्रोक्सेजेपिन (नूट्रोपिल),एरगीलायड (सेरीलायड,हाइडरजीन) 1-4 मि.ग्रा.;जीनसेंग (बायोवीटाल) एक कैप्सूल प्रतिदिन इत्यादि।कई आयुर्वेदिक दवाएँ (च्यवनप्राश,सिंकारा,सारस्वतारिष्ट,शंखपुष्पी,ब्राह्मी वटी आदि) तथा सूखे मेवे काजू,बादाम,पिस्ता,अखरोट भी स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
- ये दवाएँ यदि मस्तिष्क की कार्यकुशलता में हुई क्षति को पूरी तरह नहीं सुधार सकती तो उसे और बिगाड़ने से तो संभवतः रोकती हैं।
- मनोभ्रंश के कारणों का उपचार:यदि मस्तिष्क में खून का एकत्र होना,विटामिन की कमी,मिर्गी,मस्तिष्क के दाहक रोग,विषाक्तता इत्यादि जैसे कारण दूर कर दिए जाएं तो मनोभ्रंश पूर्णतया ठीक हो जाता है।अन्य कारणों को ठीक करने से मस्तिष्क की क्षीण होती योग्यता को रोका जा सकता है।
- व्यावसायिक एवं भौतिक चिकित्सा:यह चिकित्सा व्यक्ति के पुनर्वास में सहायक होती है।इससे रोगी में आत्म-विश्वास पैदा होता है तथा वह अपनी जीविका भी कमा सकता है।कई देशों में बूढ़ों के लिए अलग घर या संस्थान बनाए जाते हैं जहां वे अपनी रुचि के अनुसार समय व्यतीत कर सकते हैं तथा उनके शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाता है।
- इस रोग के बारे में तो हतोत्साहित न होकर जल्दी से जल्दी किसी मनोरोग चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए ताकि इससे उत्पन्न होने वाली जटिलताओं को समय पर ही रोका जा सके।
6.मनोभ्रंश के बारे में अन्य बातें (Other things about dementia):
- मनोभ्रंश (डीमेंशिया) के ठीक हो सकने वाले कुछ कारण
(1.)मस्तिष्क में खून का एकत्र होना या जम जाना
(2.)मस्तिष्क के कुछ दाहक रोग जैसे सिफलिस,क्षयरोग इत्यादि।
(3.)चयापचयी रोग जैसे मिक्सीडीमा।
(4.)बी-1,बी-6,बी-12 इत्यादि विटामिनों की कमी।
(5.)धातु विषाक्तता जैसे सीसा,पारा,आर्सेनिक इत्यादि की विषाक्तता।
(6.)मिर्गी और मदिरा,बार्बीचुरेट,ऐमफेटेमीन इत्यादि की लत।
(7.)खून की कमी (अरक्तता)।
सारणी-1
मनोभ्रंश के बारे में प्रचलित गलत धारणाएं और वास्तविकताएं गलत धारणाएं वास्तविकताएँ (1.)मनोभ्रंश केवल बूढ़े लोगों में होता है। (1.)मनोभ्रंश प्रायः वृद्ध लोगों में पाया जाता है परंतु यह 18 से 65 वर्ष की आयु में भी हो सकता है। (2.)मनोभ्रंश एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाता है। (2.)यह आवश्यक नहीं है तथा लगभग आधे से अधिक कारण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में नहीं जाते। (3.)मनोभ्रंश वृद्ध लोगों में सबसे अधिक प्रचलित मनोरोग है। (3.)यह धारणा विदेशों में तो शायद ठीक है पर हमारे देश में बूढ़े लोगों में अवसाद सबसे प्रचलित रोग है। (4.)मनोभ्रंश में केवल स्मृति कम होती है। (4.)मनोभ्रंश में आधुनिक स्मृति के अलावा मन की अन्य शक्तियाँ (जैसे एकाग्रता,बुद्धि,व्यक्तित्व इत्यादि) भी कम हो जाती है। (5.)मनोभ्रंश का मुख्य इलाज दवाएं हैं। (5.)इस रोग का मुख्य इलाज पुनर्वास है।दवाएं बुद्धि की अन्य शक्तियों को कम होने से रोकती हैं परंतु मन की कमी को वापस लाने के लिए कोई दवा नहीं है। (6.)मनोभ्रंश का मुख्य इलाज अस्पतालों में है। (6.)इस रोग का सर्वोत्तम इलाज रोगी को परिवार में रखकर किया जाता है।खान-पान,सफाई एवं दवा के लगातार इस्तेमाल का घर पर अच्छी तरह ध्यान रखा जा सकता है। उपर्युक्त आर्टिकल में मनोभ्रंश को दूर करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Overcome Dementia),स्मृति रोग को दूर कैसे करें? (How to Overcome Memory Disease?) के बारे में बताया गया है।
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7.गणित से छात्र नफरत क्यों करते हैं? (हास्य-व्यंग्य) (Why Do Students Hate Math?) (Humour-Satire):
- गणित छात्र (अन्य विषय के छात्र से):अन्य विषय के छात्र गणित से नफरत क्यों करते हैं?
अन्य विषय का छात्र:क्योंकि गणित विषय को पढ़कर मरियल से छात्र भी अपने आपको तोप समझकर शेरों जैसा बर्ताव करने लगते हैं।
8.मनोभ्रंश को दूर करने की 6 बेहतरीन टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 6 Best Tips to Overcome Dementia),स्मृति रोग को दूर कैसे करें? (How to Overcome Memory Disease?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.दिमागी ताकत बढ़ाने का घरेलू नुस्खा बताएं? (Tell me the home remedy to increase brain power):
उत्तर:बबूल का गोंद आधा किलो शुद्ध घी में तलकर फूले निकाल लें और ठंडे करके बारीक पीस लें।उसके बराबर मात्रा में पिसी मिश्री इसमें मिला लें।बीज निकली हुई मुनक्का ढाई सौ ग्राम और बादाम की छिली हुई गिरी 100 ग्राम-दोनों को खलबट्टे (इमामदस्ते) में खूब कूट पीसकर इसमें मिला लें।
सुबह नाश्ते के रूप में दो चम्मच (बड़े) यानि लगभग 20-25 ग्राम मात्रा में खूब चबा-चबा कर खाएं।साथ में एक गिलास मीठा दूध घूंट-घूंट करके पीते रहें।इसके बाद जब खूब अच्छी भूख लगे तभी भोजन करें।यह योग शरीर के लिए तो पौष्टिक है ही,साथ ही दिमागी ताकत और तरावट के लिए भी बहुत गुणकारी है।छात्र-छात्राओं को यह नुस्खा अवश्य सेवन करना चाहिए।
प्रश्न:2.क्या मादक द्रव्यों से स्मरण-शक्ति नष्ट होती है? (Do drugs destroy memory?):
उत्तर:भोगवादी प्रकृति के छात्र-छात्राएं मादक द्रव्यों का सेवन करके या तो अपने गम गलत करना चाहते हैं या मौज मनाना चाहते हैं पर ऐसा हो नहीं पाता।दो घड़ी की गफलत या बेहोशी को मौज मानना या मस्ती समझना अपने आपको धोखा देना ही है लेकिन आज जिधर देखो उधर अपने को धोखा देने वाले ही ज्यादा दिखाई देते हैं और तो और,नई उम्र की नई पीढ़ी युवा होने से पहले ही मादक द्रव्यों का सेवन करने लगी है।शराब,सिगरेट,एलएसडी नशीली गोलियां जैसी अनेक मादक वस्तुओं का उपयोग करके शरीर और जवानी को उसी तरह नष्ट कर रहे हैं जैसे लकड़ी को घुन और लोहे को जंग नष्ट कर देती है।मादक द्रव्यों से स्मरण शक्ति नष्ट होने के अलावा अनेक रोग गले पड़ जाते हैं।
प्रश्न:3.स्मृतिवर्द्धक योगासन बताएं। (Describe Yogasanas that enhance memory):
उत्तर:स्मृति की वृद्धि के लिए शीर्षासन,पश्चिमोत्तानासन,नाड़ीशोधन प्राणायाम,भस्रिका प्राणायाम तथा भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा मनोभ्रंश को दूर करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Overcome Dementia),स्मृति रोग को दूर कैसे करें? (How to Overcome Memory Disease?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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