Legendary Personality Amartya Sen
1.महान् शख्सियत अमृर्त्य सेन (Legendary Personality Amartya Sen),नोबल पुरस्कार से सम्मानित शख्सियत अमृर्त्य सेन (Nobel Laureate Amartya Sen):
- महान् शख्सियत अमृर्त्य सेन (Legendary Personality Amartya Sen) का जन्म 3 नवंबर,1933 को पश्चिम बंगाल (शिक्षा शांतिनिकेतन) में हुआ था।औपनिवेशिक भारत में जन्म से स्वतंत्र भारत में वे अनेक पड़ावों से गुजरे हैं और संघर्ष किया है।उनको नोबेल पुरस्कार मिलने के पीछे के रहस्य को जानना भी जरूरी है।
पश्चिमी जगत को जो पूंजीवादी और निजी हितों को सर्वाधिक महत्त्व देता है उसके द्वारा अमृर्त्य सेन जो पाश्चात्य संस्कृति में फिट नहीं बैठते हैं,को नोबेल पुरस्कार मिलना आश्चर्यजनक हैं। - आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
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2.अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार कब मिलता? (When did Amartya Sen Get the Nobel Prize?):
- अमृर्त्य सेन पर जिन तमाम लोगों का खासा प्रभाव पड़ा है उनमें एक अर्थशास्त्री माॅरिस डाब भी हैं।हालांकि,पूंजीवादी मीडिया डाब को हमेशा वामपंथी अर्थशास्त्री प्रचारित करती रही है लेकिन खुद श्री सेन उन्हें हमेशा मानवतावादी अर्थशास्त्री के रूप में ही जिक्र करते हैं।माॅरिस डाब अक्सर एक बात दोहराया करते थे ‘शोर अक्सर विपरीत सूचक होता है’ उनके इस कथन को दोहराने का यहां खास मकसद है।
- मकसद यह है कि अमृर्त्य सेन को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिलने पर जिस तरह से इसे निर्धन की प्रतिष्ठा का विषय बताया जा रहा है,क्या सचमुच में यह सही है।जिस दिन से उन्हें नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई उसी घड़ी से लगता है अचानक मानों गरीबों,वंचितों की किस्मत ही पलट गई हो।हर जगह बड़े जोर-शोर से प्रचारित किया जा रहा है कि अंततः कल्याणकारी अर्थशास्त्र को प्रतिष्ठा मिली।इस प्रकार से एक भ्रम पैदा हो रहा है या पैदा किए जाने की कोशिश हो रही है कि मानों दिग्विजयी कॉरपोरेट पूंजी ने अपना रास्ता बदल दिया हो।जबकि शायद ही ऐसा हुआ हो।
- अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिलना ही चाहिए था बल्कि वास्तविकता तो यह है कि उन्हें यह पुरस्कार कई दशक पहले मिल जाना चाहिए था।उन्होंने सचमुच अर्थशास्त्र को मानवता के सकारात्मक सरोकारों (प्रयोजन) से जोड़ने की कोशिश की है।लेकिन इतना होने के बावजूद उन्हें दिया गया पुरस्कार कोई सहज तार्किक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है।अमर्त्य सेन को जिन परिस्थितियों और घटनाओं के बाद यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई है उनके गंभीरतम अर्थ हैं।
- अमर्त्य सेन को जो पुरस्कार 1998 में दिया गया है।अगर सचमुच उन्हें उनके काम के लिए ईमानदारी से पुरस्कृत करने की बात होती तो यह उन्हें 1973-74 में मिल चुका होता।यहां तक की 1990 के बाद तो वे कई बार नामांकित भी किए जा चुके थे।लेकिन आश्चर्य की बात देखिए कि 1997 तक तमाम प्रसिद्धि के बावजूद नोबेल पुरस्कार देने वाली रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने उनके नाम पर विचार नहीं किया।सवाल है कि श्री सेन की उपेक्षा अब तक जानबूझकर होती रही है या अनजाने में।इसी सिलसिले में यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि आखिर अंततः उनका चयन कैसे हुआ?
3.अमृर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार मिलने के पीछे का घटनाक्रम (Events behind Amartya Sen winning Nobel Prize):
- अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ इसके रहस्य को जानने के लिए 1998 से पूर्व एक वर्ष की आर्थिक दुनिया पर एक निगाह डालना जरूरी है।1997-98 में अमेरिका के जिन दो अर्थशास्त्रियों को नोबेल पुरस्कार मिला था वे थे रॉबर्ट मर्टन (Robert C. Merten) तथा माइरान स्काॅल्स (Myron S. Scholes)।शायद बहुत लोगों को न पता हो कि ये दोनों अर्थशास्त्री वित्तीय निवेश के विशेषज्ञ हैं जिन्हें ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ जैसा प्रतिष्ठित अखबार ‘शेयर बाजार के महागुरु’ के नाम से संबोधित करता रहा है।
- यही रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने,जो इस वर्ष 1998 में अचानक गरीबों,वंचितों की चहेती हो गई है,1997 में मर्टन और स्कॉल्स की प्रशंसा में लिखा था, “इन्होंने निजी लाभ को एक सुनिश्चित वैज्ञानिक अवधारणा में तब्दील किया है” प्रशंसा में और भी तमाम शब्द,वाक्य इस्तेमाल किए गए थे।मसलन इन दोनों अर्थशास्त्रियों को “वित्त के जादू को मुट्ठी में कैद कर लेने वाला” बताया गया था तो इनके बारे में निष्कर्षात्मक टिप्पणी की गई थी कि इनका रास्ता अंततः विश्व की समृद्धि का रास्ता है।
- लेकिन विडंबना देखिए कि वित्त के इन जादूगरों का जादू एक साल क्या 6 महीने भी नहीं टिक पाया।1997 में कॉर्पोरेट वित्त के क्षेत्र में इस कदर झटके आए थे कि पूरी दुनिया हिल गई।मुद्रा बाजार इस कदर अनियमित अनियंत्रित और दहशतकारी हो चुका है कि समूची पश्चिमी दुनिया लगभग बदहवासी का शिकार हो गई।शायद ही किसी सिद्धांत या विश्वास की इतनी कम समय में इतनी बुरी फजीहत हुई हो जितनी की इन दो अर्थशास्त्रियों की वित्तीय निवेश सिद्धांत की हुई है।जिन्हें लाभ को एक वैज्ञानिक अवधारणा में बदल देने वाला जादूगर कहा गया था वे खुद अपने लाभ तक को जादू या विज्ञान में नहीं बदल पाए।
- बरास्ते जार्ज सोरोश के हैजेज फंड इन अर्थशास्त्रियों के दिशा-निर्देश में निवेश होने वाला तीन अरब रुपया गर्क हो गया।एशियन टाइगर्स,कुकुर हो गए।लैटिन अमेरिका अपने ध्वंस की उल्टी गिनतियां गिनने लगा,रूस के लिए बाजार एक अभिशाप बन गया और जापान दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की सबसे गंभीर मंदी की ओर उन्मुख हो गया।डी जोन्स,निक्कई हैंग सेग,बीएसई सारे-के-सारे शेयर सूचकांक पूरे साल गिरते लड़खड़ाते रहे।
- यहां तक की उदारवाद और भूमंडलीकरण के कभी न थकने वाले प्रवक्ता भी सिहर उठे हैं।चाहे मलेशियाई प्रधानमंत्री महास्थविर मोहम्मद हो,चाहे अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल कुगमैन हो,जगदीश भगवती हों। भूमंडलीकरण के बड़े से बड़े वकील निमियाने लगे।जैसे अंध विवर के सामने आ गए हों।उदारीकरण और भूमंडलीकरण को लेकर उपजी व्यापक भयावहता का ही नतीजा था कि पिछले दिनों राष्ट्रसंघ को जितने भी विश्व नेताओं ने संबोधित किया सबके सबने इस स्थिति पर चिंता जतायी।चिंता जताने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन भी रहे।महास्थविर मोहम्मद जैसे कुछ नेताओं ने तो अनियंत्रित मुद्रा बाजार को नियंत्रण में लाने की बात भी कही।
4.अमृर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार मिलने का कारण (Why Amartya Sen got Nobel Prize?):
- दरअसल,वित्तीय दुनिया की यही दुरावस्था वह कारक थी जिसने रॉयल स्वीडिश अकादमी को मजबूर किया कि वह अपने पिछले साल (1997) की गलती को सही करे।प्रोफेसर अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार इसी गलती को सुधारने के लिए दिया गया है।
- मगर यहां सजग रहकर यह समझने की जरूरत है कि पश्चिमी दुनिया का कोई रातों-रात कायाकल्प नहीं हो गया जो कि वह वित्तीय निवेश और व्यक्तिगत लाभ के अपने पारम्परिक स्वभाव से विमुख हो गई हो।जो लोग यह सोच रहे हों कि अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार मिल जाने से भूमंडलीकरण की रफ्तार धीमी हो जाएगी याकि 50-55 के दशक के कल्याणकारी राज्यों की वापसी हो जाएगी वे गलतफहमी में जी रहे हैं।
- दरअसल ऐसा कुछ नहीं होने वाला।पश्चिमी जगत का अभी भी प्रिय विकास सिद्धांत पूंजीवाद,प्रतिस्पर्धायुक्त और बाजारवादी ही है।इन सबके साथ अगर पश्चिम ने अपनी प्राथमिकता में कल्याणकारी राज्य को भी जोड़ने का संकेत अमर्त्य सेन को नोबेल पुरस्कार देने के जरिए कर रहा है तो इसका मतलब स्पष्ट है कि वह श्री सेन को अपने नए कींस के रूप में देख रहा है।बाजार को अगर राज्य के द्वारा थोड़ा नियंत्रित करने से पूंजीवाद को नया जीवन मिल जाए तो यह करने में उसे भला क्या परहेज है।
- ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या अमर्त्य सेन को सम्मानित करने से सचमुच गरीबों,वंचितों की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।ऐसा नहीं होगा,नहीं हुआ क्योंकि उनका इस्तेमाल किसी नई व्यवस्था के सृजन के लिए नहीं होने जा रहा बल्कि इसी मानवीय व्यवस्था को ठोंक-पीट कर इसमें कुछ भ्रम निरूपित करने के लिए किए जाने वाला है,किया गया है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में महान् शख्सियत अमृर्त्य सेन (Legendary Personality Amartya Sen),नोबल पुरस्कार से सम्मानित शख्सियत अमृर्त्य सेन (Nobel Laureate Amartya Sen) के बारे में बताया गया है।
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5.योग का उदाहरण (हास्य-व्यंग्य) (Example of Addition) (Humour-Satire):
- एक किशोर (अपनी मां से):मां मुझे गणित शिक्षक ने मारा है।
- मां:तूने कोई गलती की होगी।
- किशोर:नहीं,उन्होंने योग का उदाहरण पूछा था।
- माँ:तुम्हें पता नहीं होगा।
- किशोर:नहीं,मैंने कहा कि आपकी पत्नी एक और आप एक,एक और एक मिलकर दो गये,यह योग का उदाहरण है।
6.महान् शख्सियत अमृर्त्य सेन (Frequently Asked Questions Related to Legendary Personality Amartya Sen),नोबल पुरस्कार से सम्मानित शख्सियत अमृर्त्य सेन (Nobel Laureate Amartya Sen) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.भारत सरकार ने अमर्त्य सेन को कौन-सा पुरस्कार दिया? (Which award was given to Amartya Sen by the Government of India?):
उत्तर:15 जनवरी 1999 को अमर्त्य सेन को देश के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की गई।
प्रश्न:2.और किसने अमर्त्य सेन को सम्मानित किया? (And who felicitated Amartya Sen?):
उत्तर:प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को एशियाटिक सोसाइटी की सर्वोच्च मानद उपाधि से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया।
प्रश्न:3.अमृर्त्य सेन के अलावा किन नोबेल पुरस्कार विजेता को भारत रत्न से सम्मानित किया? (Apart from Amartya Sen which Nobel laureate was awarded Bharat Ratna?):
उत्तर:तीन अन्य जिनको नोबल पुरस्कार मिल चुका था डॉक्टर सी वी रमन,नेल्सन मंडेला,मदर टेरेसा को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है,अमर्त्य सेन चौथे व्यक्ति हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा महान् शख्सियत अमृर्त्य सेन (Legendary Personality Amartya Sen),नोबल पुरस्कार से सम्मानित शख्सियत अमृर्त्य सेन (Nobel Laureate Amartya Sen) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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