Weird Ways to Make Friends on Internet
1.इंटरनेट पर मित्र बनाने के अजीब तरीके (Weird Ways to Make Friends on Internet),टेलीफोन फ्रैंड्स बनाने के अजीब तरीके (Weird Professional Ways to Make Telephone Friends):
- इंटरनेट पर मित्र बनाने के अजीब तरीके (Weird Ways to Make Friends on Internet) जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे कि आजकल की युवा पीढ़ी मित्र बनाने के लिए कैसे-कैसे तरीके अपनाती जा रही है जिसमें भावनाओं का कोई स्थान नहीं है।
- “हेलो फ्रेंड्स-सिर्फ मेंबरशिप फीस देकर आप मनोरंजक,रोमांटिक बातचीत कर सकते हैं,हिना,पायल,स्वाती…..।फोन नंबर….. पता।” “सच्ची दोस्ती की कोई सीमा नहीं होती।एक से एक खूबसूरत दोस्त के लिए संपर्क करें।टेलीफोन नंबर….पता।” “क्या आप अकेले हैं,निराश हैं? निराश ना हों।बेहतर दोस्ती के लिए उठाइए टेलीफोन और घुमाइए ये नंबर…..।” “हेलो दोस्त!जब चाहे मनोरंजक,रोमांटिक बातें करें।24 घंटे।दिन हो या रात।डाॅली,खुशबू,जूही….।फोन नंबर….पता।
- उपर्युक्त वाक्य इंटरनेट,विभिन्न वेबसाइट को खंगालते समय,सोशल साइट्स और अखबारों में दिखाई देने वाले कुछ ऐसे विज्ञापन हैं जिन्हें पढ़कर थोड़ा-सा आश्चर्य होता है और कुछ अजीब-सा लगता है।आश्चर्य यह सोचकर होता है कि क्या फीस देकर (या कीमत देकर) दोस्त पाये जा सकते हैं।जो लोग वाकई इस दुनिया और इसके कायदे-कानूनों से वाकिफ नहीं है वे उपर्युक्त विज्ञापनों एवं इस जैसे ढेरों नियमित रूप से छपने वाले या दिखाई देने वाले विज्ञापनों को देखकर आश्चर्य ही कर सकते हैं।उनके लिए इस बात पर विश्वास करना सहज नहीं है कि आज के इस आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी ने ‘दोस्त’ बनाने के नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं।उपर्युक्त विज्ञापनों को देखकर अजीब इसलिए लगता है क्योंकि वास्तव में न तो आप इस दुनिया से वाकिफ हैं और न ही आप यह समझ या सोच पाते हैं कि दोस्ती के कारोबार का आमंत्रण से देते ये विज्ञापन किस किस्म का कारोबार कर रहे हैं।
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2.पुरानी पीढ़ी और आधुनिक पीढ़ी के दोस्ती के तरीके (Ways of Friendship of the Old generation and the New Generation):
- किशोर और युवा पीढ़ी से एक-दो दशक बूढ़ी पीढ़ी के प्रतिनिधि इस किस्म के विज्ञापनों को देखकर नए जमाने को याद करते हैं।ये याद करते हैं उन दिनों को जब पेन फ्रेंड्स के विज्ञापन अखबारों और पत्रिकाओं में छपा करते थे,विशेष कर दिल्ली से निकलने वाली एक अंग्रेजी पत्रिका तो ‘नॉर्थ-ईस्ट’ के लोगों को शेष भारत से जोड़े रखने के लिए विशेष रूप से वहां के विज्ञापन छापती थी।इस तरह की पत्र-पत्रिकाओं के जरिए लोग न केवल अच्छे मित्र बनाते थे,बल्कि पत्रों के माध्यम से एक-दूसरे के प्रांतों,वहां की स्थानीय भाषाओं और अन्य चीजों के बारे में भी जानकारियां उपलब्ध करते-करवाते थे।पत्र-पत्रिकाओं के ऐसे अनेक ऐतिहासिक किस्से साहित्यिक पुस्तकों में दर्ज हैं जिसमें लोग वर्षों एक-दूसरे को पत्र लिखते रहे और इस पूरे अंतराल में पत्र पाने और पत्र डालने वाले के बीच एक गहरा और आत्मीय रिश्ता बना रहा।
- तो ये बूढ़ी पीढ़ी यह समझती है कि चूँकि टेक्नोलॉजी के विकास के साथ-साथ छपित शब्द की अहमियत निरंतर कम हो रही है और उसकी जगह दृश्य-श्रव्य माध्यम लेते जा रहे हैं,संभव है कि ‘इंटरनेट फ्रेंडशिप’, ‘सोशल साइट्स फ्रेंडशिप’, ‘वेबसाइट्स फ्रेंडशिप’, ‘फोन फ्रेंडशिप’ पत्र-मित्रता का ही आधुनिक और जरूरी स्वरूप हो।लेकिन क्या वास्तव में ऐसा ही है? क्या उपर्युक्त प्रकार के फ्रेंड्स भी एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से उतना ही जुड़ पाए हैं,जितना पत्र-मित्रता में लोग जुड़ा करते थे? या कहीं इंटरनेट फ्रेंडशिप,टेलीफोन फ्रेंडशिप देह व्यापार का ही आधुनिक और संशोधित स्वरूप तो नहीं है?
- इस पूरी दुनिया को जानने से पहले दो दिलचस्प किस्सों पर गौर करना इसलिए जरूरी है क्योंकि ये दोनों किस्से आसानी से आपको उस दुनिया की जड़ों तक ले चलेंगे जिस दुनिया का यहाँ जिक्र चल रहा है।पहला,किस्सा इंद्रपुरी के एक व्यवसायी का है।व्यवसायी अपनी पत्नी,बेटे और बेटी के साथ रहते हैं।व्यवसायी के दोनों बच्चे युवावस्था में कदम रख रहे हैं।सब कुछ सहज गति से चल रहा था।इस गति को पहला झटका लगा जब एक दिन उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि आपका बैलेंस खत्म हो गया है,रिचार्ज करायें।व्यवसायी को घोर आश्चर्य हुआ।क्योंकि इससे पहले उनका रिचार्ज 30 दिन में खत्म होता था।वे खुद बहुत कम फोन करते थे,अधिकांश फोन अपने कार्यालय के मोबाइल फोन से ही करते थे।व्यक्तिगत फोन को बहुत कम काम लेते थे।जो थोड़े-बहुत फोन होते थे वह उनका बेटा व बेटी ही अपने दोस्तों को किया करते थे।व्यवसायी को इस रिचार्ज में कुछ घालमेल नजर आया।सो उन्होंने टेलीफोन कंपनी से तहकीकात की।वहां से उन्हें बाकायदा सभी काॅलों (calls) का ब्योरा मिल गया।गौर से देखने पर व्यवसायी ने पाया कि अधिकांश फोन दो स्थानों के नंबरों पर ही किए गए थे।इनमें से एक रोहिणी क्षेत्र का नंबर था और दूसरा विकास नगर का।जब व्यवसायी ने इन दोनों नंबरों की छानबीन की तब कहीं जाकर असलियत खुली।
- वास्तव में ये दोनों नंबर फोन फ्रेंड्स क्लबों के थे,जहाँ मेंबरशिप लेकर लड़की या लड़के से दिलचस्प बातें की जाती थी।एक क्लब की मेंबरशिप उनके बेटे ने ले रखी थी और दूसरे क्लब की मेंबरशिप,उनकी बेटी ने।आप कल्पना कर सकते हैं कि बेचारे व्यवसायी पर क्या गुजरी होगी?
- दूसरा वाकया एक इंजीनियर से जुड़ा है।फ्रेंड्स क्लबों के कारण ही इंजीनियर को एक शर्मनाक घटना का सामना करना पड़ा।इंजीनियर एक दिन खाली समय में वेबसाइट को खंगाल रहा था तभी उसकी नजर फ्रेंडशिप वेबसाइट पर पड़ी।वेबसाइट पर उसे फोन फ्रेंडशिप की जानकारी मिली।इंजीनियर ने एक नंबर पर डायल किया तो उसे बताया गया कि पहले उसे क्लब की सदस्यता लेनी पड़ेगी तभी उसे लड़कियों के नंबर दिए जाएंगे।एक दिन इंजीनियर ने उस क्लब की सदस्यता ले ली,उसे तीन लड़कियों के टेलीफोन नंबर दिए गए।इसके बाद इंजीनियर को जब भी समय मिलता वह इन लड़कियों से बातचीत करता।उसे हर तरह की बातचीत करने की छूट थी।एक दिन वह एक लड़की से अश्लील बातचीत कर रहा था तो उसे उस लड़की की आवाज जानी-पहचानी लगी।काफी ध्यान से सुनने पर उसे पता चला कि वास्तव में टेलीफोन पर बातचीत करने वाली वह लड़की उसके दोस्त की बहन थी और इंजीनियर भी उसे अपनी बहन की तरह मानता था।अपने संदेह की पुष्टि के लिए अगले दिन इंजीनियर उस लड़की के घर गया और बातों ही बातों में उससे पूछा कि वह आजकल कहां नौकरी कर रही है।लड़की ने बताया कि वह अमुक जगह में एक दफ्तर में नौकरी करती है।अब इंजीनियर का शक यकीन में बदल गया क्योंकि उसके पास जो नंबर था वह उसी जगह का था।उसने लड़की की मां यानी दोस्त की मां को अप्रत्यक्ष ढंग से समझाया कि जहां तुम्हारी बेटी नौकरी करती है वह अच्छी जगह नहीं है,वहां से वे उसकी नौकरी छुड़वा दें।
3.अश्लील वार्तालाप (Pornographic Conversations):
- दरअसल,मोबाइल फोन पर मित्रता के नाम पर की जाने वाली इस अश्लील बातचीत को ‘सैक्सोफोन’ कहा जाता है।पाश्चात्य देशों में इस तरह की मानसिक विकृतियां लंबे अरसे से व्याप्त रही हैं।कुछ वर्ष पूर्व मुंबई महानगर में यह प्रवृत्ति जोरशोर से देखी गई थी और मुंबई से होकर यह प्रवृत्ति पिछले वर्षों में राजधानी दिल्ली और अन्य महानगरों और शहरों में फैल गई।यों देखा जाए तो टेलीफोन पर लड़कों द्वारा लड़कियों को और लड़कियों द्वारा लड़कों को परेशान करना या उनके साथ भद्दी-भद्दी बातें करने का प्रचलन संभवतः तभी से रहा होगा जब से फोन व्यवहार में आया है लेकिन व्यवस्थित रूप से लड़कियों के फोन नंबर उपलब्ध कराना (वह भी पैसे लेकर) लड़कियों की सहमति से अश्लील बातचीत करवाना ये व्यावसायिक युग के नए लक्षण हैं।राजधानी दिल्ली,अन्य महानगरों तथा शहरों में दो दशक पूर्व पाॅश इलाकों में इनकी प्रयोगात्मक रूप से शुरुआत हुई थी।सभी जगह इस तरह के कुछ फोन क्लब मौजूद हैं,जो अपने मेंबरों को फ्रेंड्स उपलब्ध कराने लगे।बाजार में इस तरह के क्लबों को अच्छा ‘रिस्पांस’ मिला,जिसका परिणाम यह हुआ कि देखते-ही-देखते इस तरह के क्लबों की भरमार हो गई।ये क्लब अपनी वेबसाइट्स खोलकर इंटरनेट के जरिए,अखबारों में अपने विज्ञापनों से किशोरों,युवाओं और अकेले रहने वाले लोगों को आकर्षित करते हैं।विज्ञापन देखकर ये लोग दिए गए नंबर पर फोन करते हैं।दूसरी ओर से अक्सर फोन रिसीव करने वाली कोई मधुर आवाज की लड़की होती है।वह किसी भी तरह से आपको ऑफिस बुलाएगी या मोबाइल फोन के जरिए ही उसकी मोहक अदाओं-अंदाज के सामने आप क्लब,वेबसाइट के मेंबर बनने के लिए विवश हो जाएंगे।
- महानगरों में चल रहे हैं ऐसे फ्रेंड्स क्लबों का अगर वर्गीकरण किया जाए तो इन्हें दो वर्गों में बांटा जा सकता हैं:साधारण और विशिष्ट।साधारण क्लब,फ्रेंडशिप वेबसाइट्स,वे होते हैं जहाँ सदस्यता शुल्क कम होता है।यदि क्लब है तो यह प्रायः दो कमरों का ऑफिस होता है।एक कमरे में रिसेप्शन होता है और दूसरे कमरे में तीन-चार लड़कियां और दो-तीन लड़के बैठे रहते हैं और सबके पास अपने-अपने मोबाइल फोन होते हैं।क्लब के सदस्य फोन करते हैं तो फोन उठाने वाली लड़की पहले नाम और सदस्य का कोड नंबर पूछती है।नाम और कोड नंबर वहां के रजिस्टर में दर्ज होता है।दोनों का मिलान करने के बाद जिस लड़की या लड़के से बात करनी हो उस लड़की को मोबाइल फोन दे दिया जाता है।मीटर शुरू हो जाता है।मेंबर जितनी देर बात करता है,उतने मिनट उनके खाते में दर्ज हो जाते हैं।ऐसे क्लब सदस्यता शुल्क के नाम पर ₹500 से लेकर ₹1000 तक लेते हैं और कुछ राशि एडवांस ले लिया जाता है।तय सीमा के बाद शुल्क दोबारा देना होगा।स्वाभाविक है कि लड़कियों का मकसद शीघ्र से शीघ्र तय सीमा को पूरा करना होता है।इन क्लबों में काम करने वाली लड़कियां निम्न मध्यवर्ग की होती हैं और उन्हें मोटी तनख्वाह मिलती है।
4.विशिष्ट श्रेणी के क्लब और वेबसाइट्स (Exclusive Category Clubs and Websites):
- विशेष श्रेणी के क्लब और वेबसाइट्स पाॅश इलाकों में चल रहे हैं।इन क्लबों और वेबसाइट्स की कार्यशैली भी नितांत अलग है।इन क्लबों की सदस्यता लेने के लिए निर्धारित फार्म के साथ निर्धारित शुल्क जमा करना होता है जिसमें आपका पूरा ‘बायोडाटा’ होता है।इस फॉर्म को भरने के बाद आपको 3000 से ₹5000 की मेंबरशिप फीस देनी होती है लेकिन ये साधारण क्लबों और वेबसाइट्स की तरह लड़कों या लड़कियों से बातचीत नहीं कराते बल्कि अपने मेंबरों को अलग-अलग क्षेत्रों के सदस्यों के नंबर उपलब्ध करवाते हैं।मसलन यदि कोई युवक इस क्लब या वेबसाइट का मेंबर बनता है तो क्लब या वेबसाइट सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसे तीन लड़कियों के नंबर उपलब्ध कराता है।ये तीनों नंबर तीन अलग-अलग श्रेणियां के होते हैं।पहली श्रेणी 17 से 20 वर्ष युवा लड़कियों की होती है।दूसरी श्रेणी ऐसी विवाहित महिलाओं की होती है जिनकी उम्र 30-40 के बीच होती है।इनके पति या तो व्यवसाय में इस कदर डूबे होते हैं कि उनके पास पत्नियों के लिए समय नहीं होता या फिर इनके पति बाहर रहते हैं।अपना अकेलापन बांटने के लिए ये टेलीफोन फ्रेंड्स बनाती हैं।
- तीसरी श्रेणी में हॉस्टलर लड़कियां आती हैं।ये तुलनात्मक रूप से अधिक बोल्ड होती हैं।फ्रेंड्स क्लब इन तीनों के टेलीफोन नंबर उपलब्ध कराते समय ही आपको बता देंगे कि कौन-सी लड़की किस समय पर आपसे बात करेगी।साथ ही यदि रुचि होगी तो संकेत में वे यह भी बता देंगे कि इस तरह टेलीफोन पर बातचीत की शुरुआत करके आप अपने मित्र को अपने बेडरूम तक भी ला सकते हैं।जब आप इन दिए गए तीनों नंबरों से बोर हो जाएं तो क्लब या वेबसाइट आपको मेंबरशिप का नवीनीकरण कराने के बाद दूसरे तीन नंबर उपलब्ध करा देता है।यहाँ यह जिज्ञासा पैदा होती है कि ऐसी लड़कियों के नंबर इन क्लबों या वेबसाइट्स के पास कहां से आते हैं।
- दरअसल ये लड़कियां भी विभिन्न वेबसाइट्स अथवा अखबार के विज्ञापनों को लड़कों की तरह खंगालती रहती है।इच्छुक लड़कियां और महिलाएं क्लबों या वेबसाइट्स के ऑनर (मालिक) से संपर्क करती हैं।इसके बाद इन लड़कियों के बारे में,उनकी रुचियों के बारे में पूरी जानकारी हासिल की जाती है और इनकी रुचियों के अनुसार ही लड़कों को इनके नंबर उपलब्ध करवाए जाते हैं।लेकिन दिलचस्प बात यह है कि ये क्लब या वेबसाइट्स लड़कियों से कोई फीस नहीं लेते हैं या नाम मात्र की फीस लेते हैं।इसका सीधा सा अर्थ यह हुआ की दोस्ती की कीमत केवल पुरुषों को ही चुकानी पड़ती है।इस तरह देखा जाए तो यह एक किस्म का संशोधित देह व्यापार ही है।
5.इंटरनेट या टेलीफोन फ्रेंड्स बनने के कारण (Reasons for Becoming Internet or Telephone Friends):
- वास्तव में इन फोन फ्रेंड्स क्लबों की सफलता के मूल कारण महानगरीय समाज में तलाशे जा सकते हैं।यह मनोचिकित्सकों द्वारा स्वीकार्य तथ्य है कि व्यक्ति के भीतर सेक्स और सेक्स से जुड़ी हुई बातें करने और सुनने से संबंधित एक ग्रंथि होती है।खासकर,मध्य और निम्नवर्गीय किशोर और युवा इस ग्रंथि के शिकार रहते हैं।क्लबों और वेबसाइट्स के संचालक इस ग्रंथि का फायदा उठाते हैं और युवाओं को इस तरह की बातों का चस्का लगा देते हैं।और एक बार ऐसा चस्का लग जाने के बाद युवा इस नशे के आदी हो जाते हैं।यह नशा छूत की बीमारी की तरह फैल रहा है।
- एक दूसरा कारण इस व्यवसाय की सफलता का यह है की महानगरों में नवधनाढ्य वर्ग तेजी से पनप रहा है।इस वर्ग के किशोर और युवा तीव्र गति से आ रहे पैसे को खर्च करने के लिए नए-नए और रोमांचक तरीके खोजते रहते हैं।इस वर्ग के लोगों का फोन फ्रेंड्स बनाने का एकमात्र मकसद लड़कियों का दैहिक शोषण करना होता है और क्योंकि देह बाजारों में जाना या कॉलगर्ल्स से संपर्क करना ‘रिस्की’ होता है और उनके भीतर यह बात होती है कि वे एक कॉलगर्ल या वेश्या के पास जा रहे हैं जिसके न जाने कितने पुरुषों से संबंध रहे होंगे।ऐसे में टेलीफोन फ्रेंड्स उनके ‘ईगो’ को संतुष्टि देती है।उन्हें लगता है कि वे किसी वेश्या या कॉलगर्ल से बात नहीं कर रहे हैं बल्कि एक सामान्य लड़की से बात कर रहे हैं।इसी कारण वे इस दुनिया की ओर आकर्षित होते हैं।
- तीसरा कारण,इस व्यवसाय की सफलता का,महानगरीय अकेलापन है।आज के इस महानगरीय जीवन में नितांत एकाकीपन घर करता जा रहा है।अक्सर लोगों को बातचीत के लिए कोई साथी नहीं मिलता और अकेलेपन से त्रस्त कुछ लोग भी इन क्लबों और वेबसाइट्स के जाल में फंस जाते हैं।वे सोचते हैं कि संभवतः दलालों को दलाली देखकर भी यदि अच्छे दोस्त पाये जा सकते हैं तो इसमें कोई हर्ज नहीं है।लेकिन इस तरह के ‘टेलीफोन फ्रेंड्स’ घोर पेशेवर होते हैं।उनमें भावना नाम की कोई चीज नहीं होती।वे अपने सारे मित्रों से एक ही अंदाज में (‘मैकेनाइज्ड’ अंदाज में) बातें करते हैं।उनका एकमात्र मकसद भावनात्मक रूप से आपका शोषण करना होता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में इंटरनेट पर मित्र बनाने के अजीब तरीके (Weird Ways to Make Friends on Internet),टेलीफोन फ्रैंड्स बनाने के अजीब तरीके (Weird Professional Ways to Make Telephone Friends) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:What Is True Friendship?
6.कोचिंग की नीलामी (हास्य-व्यंग्य) (Coaching Auction) (Humour-Satire):
- कोचिंग के बाहर एक गणित अध्यापक को देखकर एक छात्रा ने कहा,सर कल तो आप दूसरी कोचिंग सेंटर में पढ़ा रहे थे।
गणित अध्यापक:हां लेकिन अब उस कोचिंग में पढ़ाने का ठेका मैंने अपने मित्र को नीलामी में दे दिया।
7.इंटरनेट पर मित्र बनाने के अजीब तरीके (Frequently Asked Questions Related to Weird Ways to Make Friends on Internet),टेलीफोन फ्रैंड्स बनाने के अजीब तरीके (Weird Professional Ways to Make Telephone Friends) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.सैक्सोफोन किसे कहा जाता है? (What is a Saxophone?):
उत्तर:फोन पर मित्रता के नाम पर की जाने वाली अश्लील बातचीत को ‘सैक्सोफोन’ कहा जाता है।पाश्चात्य देशों में इस तरह की मानसिक विकृतियां लंबे अरसे से व्याप्त रही हैं।पिछले दो-तीन दशकों में यह प्रवृत्ति मुंबई महानगर में यह प्रवृत्ति जोर-शोर से देखी गई थी और मुंबई से होकर यह प्रवृत्ति राजधानी,अन्य महानगरों एवं शहरों में फैल गई।
प्रश्न:2.क्या सेक्साफोन प्रवृत्ति फैलने में वर्तमान शिक्षा का भी योगदान है? (Does Current Education Also Contribute to the Spread of Saxophone Trends?):
उत्तर:वर्तमान शिक्षा में नैतिक,सदाचार तथा चारित्रिक शिक्षा का अभाव है।अतः किशोर या युवावर्ग मोबाइल फोन के जरिए,पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से सैक्सोफोन,सेक्स,अश्लीलता आदि को सीख रहा है।टीवी,फिल्मों,संगी-साथी,वातावरण,पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव और वर्तमान में नैतिक व चारित्रिक शिक्षा के अभाव के कारण सैक्सोफोन प्रवृत्ति बढ़ रही है।
प्रश्न:3.टेलीफोन फ्रेंड्स बनने के लिए किस तरह के विज्ञापन प्रकाशित होते हैं? (What Kind of Ads are Published to Become Telephone Friends?):
उत्तर:मौज मनाएं,इनाम पाएं,फिल्मी गपशप।उदास हैं तो आइये बात करें और कॉल करें।दिल की उलझन,आइए बात करें,अभी।अकेलेपन से निजात पाएं,इस नंबर पर बात करें।नए अंदाज में चैट करें।Lonely Hearts Club,Website आदि इसके अतिरिक्त आर्टिकल के प्रारंभ में भी विज्ञापनों की बानगी दी गई है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा इंटरनेट पर मित्र बनाने के अजीब तरीके (Weird Ways to Make Friends on Internet),टेलीफोन फ्रैंड्स बनाने के अजीब तरीके (Weird Professional Ways to Make Telephone Friends) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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