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5 Tips for Students to Adopt Lifestyle

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1.छात्र-छात्राओं के लिए जीवन शैली अपनाने की 5 टिप्स (5 Tips for Students to Adopt Lifestyle),छात्र-छात्राओं की जीवनशैली कैसी हो? (How is Lifestyle of Students?):

  • छात्र-छात्राओं के लिए जीवन शैली अपनाने की 5 टिप्स (5 Tips for Students to Adopt Lifestyle) के आधार पर वे अपना बहुत-सा समय बचा सकेंगे और बचे हुए समय को अपने लक्ष्य को पूरा करने में लगा सकते हैं।छात्र-छात्राओं तथा मनुष्यों की जीवनशैली निर्धारित करती है कि उसका जीवन किस दिशा की ओर जा रहा है।जीवन शैली अर्थात् जीवन जीने का ढंग,तौर-तरीका।जीवनशैली हमारे लिए वरदान भी हो सकती है और अभिशाप भी।वरदान इस तरह की यदि हम अपनी जीवनशैली को श्रेष्ठ पथ पर अग्रसर कर देते हैं तो यह हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचा देती है और यदि हमने जीवन को भौतिक चाहतों में लगा दिया है,तो हमें भौतिक सुविधाएं देती है।लेकिन यदि हमने अपनी जीवनशैली को सुव्यवस्थित एवं नियमित नहीं किया,तो इसके कारण हमारे शरीर एवं मन स्वस्थ एवं सुदृढ़ होने के बजाय रोगग्रस्त हो सकते हैं और जो भी प्राण-ऊर्जा व जीवनीशक्ति हमारे शरीर में होती है,वह भी क्षीण होने लगती है।
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2.सही जीवनशैली अपनाएं (Adopt the Right Lifestyle):

  • निश्चित रूप से सही जीवनशैली ही हमारे शरीर एवं मन को ऊर्जावान,स्फूर्तिवान बनाती है,जीवन के नए आयामों के द्वार खोलती है जीवनशैली सभी के लिए एक जैसी नहीं होती।शरीर की अवस्था के अनुसार इसकी व्यवस्था में विभिन्नता है,लेकिन कुछ अनिवार्य चीजें इसमें शामिल हैं,जिनका ध्यान सबको रखना चाहिए।जैसे:पर्याप्त नींद,स्वच्छता,नित्य क्रियाओं के लिए पर्याप्त समय,शारीरिक व्यायाम व शारीरिक परिश्रम,मानसिक श्रम (अध्ययन-अध्यापन,स्वाध्याय,मनन-चिंतन आदि),नियमित उपासना,संतुलित भोजन,सुव्यवस्थित रहन-सहन आदि।
  • लेकिन प्रतिस्पर्धा के इस युग में जाॅब प्राप्त करने,धन कमाने आदि जीवन की भाग-दौड़ में बहुत सारी जरूरी चीजें छूट जाती हैं:जैसे छात्र-छात्राएं अथवा लोग उपासना-साधना,ध्यान,योगासन-प्राणायाम,स्वाध्याय आदि के लिए समय नहीं निकाल पाते।अपने कार्यों को पूरा करने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि पर्याप्त नींद भी नहीं ले पाते।कार्य पूरा करने का एक तनाव बना रहता है,जिसके कारण उनकी याददाश्त प्रभावित होती है।भोजन ग्रहण करने व रात्रि में सोने का समय भी बहुत देर से होता है,जिसका असर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है।इस तरह का जीवन व्यक्ति जी तो लेता है,लेकिन कोई सार्थक उपलब्धि हासिल नहीं कर पाता।
  • सार्थक उपलब्धि व्यक्ति की तब होगी,जब उसके विचारों में सकारात्मकता व सृजनात्मकता होगी,नए विचारों को वह अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना सकेगा।अच्छे व सृजनात्मक विचारों से ही व्यक्ति महान कार्यों को अंजाम दे पाता है और यह सब हासिल होता है:आध्यात्मिक जीवनशैली अपनाने से।
  • हम सभी अपने जीवन के आध्यात्मिक आयामों से परिचित नहीं है,अपनी रहस्यमय दिव्य शक्तियों से अनभिज्ञ हैं।अपनी संपूर्ण क्षमताओं का भी ज्ञान हमें नहीं है।बाहरी दुनिया की चकाचौंध व उपलब्धियों को अर्जित करने में हम अपने जीवन का 80% प्राण लगा देते हैं और शेष 20% यों ही बर्बाद हो जाता है।इसके कारण ही हम जीवन की वास्तविक उपलब्धियों व अनुभवों से अपरिचित रह जाते हैं।
  • यदि हमें अपने जीवन को समझना है तो जीवन की साधना करनी पड़ेगी।एक विशेष जीवनशैली में स्वयं को ढालना पड़ेगा।जिसमें जीवन का कोई भी पक्ष अछूता न रह जाए।जैसे कुछ विशेष पाने के लिए कुछ तो खोना पड़ता है,उसी तरह यदि हमें आंतरिक रूप से कुछ विशेष करने की ललक है,तो हमें उस आवाज को सुनते हुए उस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए,फिर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अन्य चीजों का साथ छोड़ना भी पड़े तो छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।
  • एक सही जीवनशैली वह है,जो हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी सहायता करती है न कि विरोध करती है। जीवनशैली में समय का प्रबंधन (Time Management) बहुत महत्त्व रखता है,इसके साथ ही कार्यशैली (Workingstyle) भी महत्त्वपूर्ण है।जीवनशैली हमें जीवन जीना सिखाती है,हमारी गलतियों,भूलों व आदतों से परिचित कराती है।हमारा जो भी व्यक्तित्त्व है,वह हमारे जीवनशैली की देन होता है।इसके माध्यम से हम अपने जीवन को सँवार भी सकते हैं और विकृत भी कर सकते हैं।इसलिए हमें अपनी जीवनशैली के बारे में एक बार फिर से सोचना चाहिए कि क्या हम सही दिशा में चल रहे हैं?
  • जीवनशैली के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि मनुष्य अपने लक्ष्य का निर्धारण कर ले और ऐसा करते ही जीवन का शेष पथ स्वतः ही आसान होता चला जाता है।लक्ष्य का निर्धारण होने के बाद यदि उस पथ पर धैर्य,साहस,संकल्प,निष्ठा एवं समर्पण के साथ आगे बढ़ा जाए तो जीवन लक्ष्य को प्राप्त करते देर नहीं लगती,किंतु इस लंबी यात्रा की शुरुआत जीवनशैली को सुधारने से ही होती है और यही जीवन का प्रबंधन है।

3.छात्र-छात्राएँ जीवन को सँवारें (Students Shape Life):

  • उपर्युक्त विवरण से यह तो स्पष्ट हो ही गया होगा कि जीवनशैली का सही और व्यवस्थित होना कितना आवश्यक है।अब छात्र-छात्राओं को अपनी सही जीवनशैली पर अमल करना प्रारंभ कर देना चाहिए।यदि करते हैं तो बहुत अच्छा है और यदि नहीं करते हैं तो प्रारंभ कर देना है।
  • होता यह है कि छात्र-छात्राएं अपना लक्ष्य तय करने,योजना बनाने और टाइमटेबल बनाने में तो सिद्धहस्त होते हैं परंतु उस पर अमल करने में टालमटोल करते रहते हैं।फलतः बिना क्रियान्वयन के उसके सही और अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं।जितना महत्त्व लक्ष्य तय करने,योजना बनाने व टाइमटेबिल का है उससे कहीं अधिक महत्त्व क्रियान्वयन का है।सिद्धांतों का महत्त्व तभी है जब उनका व्यवहार में पालन किया जाता है।
  • अच्छी जीवनशैली अपनाने में रोड़ा है हमारा आलस्य,लापरवाही,लेटलतीफी और अनावश्यक कार्यों में अपने समय को बर्बाद करना।वक्त-बेवक्त अध्ययन करते हैं,कभी अध्ययन किया और कभी अध्ययन नहीं किया,अध्ययन में नियमितता नहीं है।कभी सुबह जल्दी उठकर अध्ययन कर रहे हैं कभी देर तक सोए रहते हैं।जब नियमित और क्रमबद्ध अध्ययन नहीं करते हैं तो सही परिणाम को कैसे उपलब्ध हो सकते हैं।
  • वस्तुतः छात्र-छात्राएं घंटों सोशल मीडिया पर चैटिंग करने,फोन कॉल्स व वीडियो कॉलिंग में कर देते हैं।ऐसे कार्यों में उन्हें अपने कार्य की व्यर्थता,लापरवाही,आलस्य आड़े नहीं आती है।परंतु जिन कार्यों से जीवन सँवरता है,अध्ययन से जीवन में एक अनुशासन कायम होता है,अध्ययन से शिक्षित होने में मदद मिलती है,जिन कार्यों से जीवन का निर्माण होता है,जिन कार्यों से हम सभ्य,सुसंस्कृत बनते हैं,व्यावहारिक जीवन जीने की कला सीखते हैं उन कार्यों के लिए हमारे पास समय नहीं है,उन कार्यों में आलस्य,लापरवाही करते हैं।ऐसी स्थिति में जीवनशैली सही और व्यवस्थित कैसे हो सकती है?
  • छात्र-छात्राओं को सही और व्यवस्थित जीवनशैली अपनाने के लिए शुरू से ही अभ्यास करना चाहिए।इसीलिए जीवन जीना एक तप और साधना है।चूँकि तप और साधना का नाम लेते ही हमारे चेहरे पर बल पड़ जाते हैं,हम बिदकते हैं,जैसे साँड को लाल कपड़ा दिखा दिया हो।तप और साधना को साधु-सन्यासियों के लिए बताकर हम मुक्त होना चाहते हैं,लेकिन जीवन में तरक्की करने,आगे बढ़ने,सफल होने के लिए इसके अलावा ओर कोई मार्ग भी नहीं है।अब इस तप और साधना को चाहे जिस नाम से पुकारें परंतु इसको करना ही होगा।हमें जीवनशैली,कार्य शैली और समय प्रबंधन को समझकर अपनाना ही होगा।

4.समय प्रबंधन (Time Management):

  • आज के प्रतियोगिता के युग में ‘समय प्रबंधन’ इतना महत्त्वपूर्ण हो गया है कि इसमें दक्ष हुए बिना सफलता प्राप्त करना कठिन नहीं,असंभव है।समय हमारी पूंजी है,परंतु इस पर हमारा नियंत्रण नहीं है।यह अपने आप खर्च होता रहता है।जरा बताइए यदि आप एक पूरा दिन 24 घंटे निठल्ले बैठे रहे तो क्या भगवान से अगले दिन 24 घंटे मांग सकते हैं? यह कहकर कि हे भगवान!मैं तो कल पूरा दिन खाली बैठा रहा,आज मुझे 48 घंटे दे दीजिए।बिल्कुल नहीं,क्योंकि बीता हुआ समय तो आपको भगवान भी नहीं दे सकता,इसलिए समय का एक-एक पल कीमती है।हमें उसका लाभ उठाना चाहिए और उसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।
  • समय की मात्रा तो सबके पास एक समान ही होती है:24 घंटे,परंतु क्या आपने कभी गौर किया है कि कुछ लोग इसी समय में बहुत सारा काम कर लेते हैं और कुछ लोग थोड़े-बहुत काम भी बड़ी मुश्किल से कर पाते हैं।कुछ लोग सफलता का शिखर छू लेते हैं और कुछ आजीविका भी मुश्किल से अर्जित कर पाते हैं।इसका क्या कारण है।इसका कारण है समय का दुरुपयोग।
  • हमारे लिए जानना बहुत आवश्यक है कि हम अपना समय कहां-कहां खर्च करते हैं और हमें उस समय से बदले में क्या-क्या मिलता है।आइए समझते हैं कि कार्य का विभाजन कैसे करें?
  • (1.)आपातकालीन कार्य (Emergency Work):
    जैसे माता-पिता अथवा परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाए,परिवार में कोई दुर्घटना घट जाए।इस तरह के कार्यों के लिए आप पहले से ही योजना बनाकर नहीं रखते परंतु यदि आप कार्यों को नियमित रूप से निपटा देते हैं तो आप इन कार्यों के लिए समय निकाल सकते हैं।
  • (2.)अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य (Critical Functions):
    विद्यार्थियों के लिए परीक्षा देना,अभ्यर्थियों के लिए जाॅब हेतु प्रतियोगिता परीक्षा देना,कर्मचारी के लिए जॉब पर पहुंचना आदि।इनके लिए आपको निर्धारित समय पर पहुंचना पड़ता है यदि समय पर नहीं पहुंचते हैं तो बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  • (3.)महत्त्वपूर्ण कार्य (Important Functions):
    विद्यार्थी के लिए नियमित अध्ययन करना,ध्यान,योगासन-प्राणायाम करना,निश्चित समय पर सोना,पर्याप्त नींद लेना आदि।यदि महत्त्वपूर्ण कार्य को समय पर नहीं निपटाते हैं तो उसका प्रभाव अतिमहत्त्वपूर्ण कार्यों पर पड़ता है।
  • (4.)सामान्य कार्य (General Functions):
    जैसे दोस्तों से मिलना,टीवी देखना,घूमना-फिरना आदि।ये कार्य करना आवश्यक नहीं है,ये कार्य तभी किए जाने चाहिए जब क्रमांक 1,2,3 के कार्यों से वक्त मिल जाए।
  • (5.)व्यर्थ के कार्य (Pointless Acts):
    जैसे दोस्तों से बिना उद्देश्य गप्पे मारना,घंटों सोशल वेबसाइट्स पर लगे रहना,घंटों वीडियो कॉलिंग करना,बहुत अधिक टीवी देखना,अत्यधिक सोना आदि।
  • (6.)नकारात्मक कार्य (Negative Actions):
    जैसे शराब व ड्रग्स का सेवन करना,कामुक विचार करना,अश्लील हरकतें करना, सेक्स में रुचि लेना तथा करना आदि।क्रमांक 5 व 6 में बताए गए कार्यों से बचना चाहिए और इनसे समय बचाकर क्रमांक 1 से 4 तक के कार्यों में लगाना चाहिए।

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5.समय प्रबंधन की रणनीतियाँ (Time Management Strategies):

  • समय प्रबंधन की रणनीतियों पर अमल करके आप 24 घंटे में 24 घंटों से कई गुणा काम निपटा सकते हैं।
  • (1.)केवल लक्ष्य से जुड़े कार्य करें (Do Goal-Related Tasks Only):
    आप केवल लक्ष्य से जुड़े हुए और महत्त्वपूर्ण कार्य (अध्ययन करना,परीक्षा की तैयारी करना आदि) करें।ऐसे कार्य न करें जो आपको अल्पकालिक लाभ तो देते हों लेकिन लक्ष्य से भटकाने वाले हों,वरना आप अपने रोजमर्रा के कार्यों और अतिआवश्यक कार्यों को समय पर नहीं कर पाएंगे। ध्यान रखिए आपका समय सीमित है,इसे इधर-उधर लगाएंगे तो आपका लक्ष्य आपसे दूर होता चला जाएगा।
  • (2.)’ना’ कहने की आदत डालें (Get in the Habit of Saying No):
    हम अक्सर किसी को नाराज नहीं करना चाहते हैं इसलिए जो भी व्यक्ति हमें कोई भी काम सौंपता है हम उसे ‘हाँ’ कह देते हैं।परिणामस्वरूप या तो हम समय के अभाव में काम नहीं कर पाते या फिर उस काम को करने के लिए हमें अपने महत्त्वपूर्ण काम छोड़ने पड़ते हैं,इसलिए हमेशा अपने समय का सही आकलन करके ही ‘हां’ करें अथवा स्पष्ट रूप से मना कर दें।क्योंकि ऐसी ‘हां’ आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती है क्योंकि जब आप उस व्यक्ति का काम नहीं कर पाते तो वो आपसे ओर अधिक नाराज होता है।इससे अच्छा है कि आप पहले ही उसे ‘ना’ कह दें।
  • (3.)काम को ‘टालने की आदत’ से बचें (Avoid the Habit of Postponing Work):
    काम को टालने की आदत हर व्यक्ति की सबसे सामान्य आदत है।अक्सर आपने अन्य लोगों को और स्वयं को भी यह कहते हुए पाया होगा कि यह काम ‘कल कर लेंगे’, ‘बाद में करेंगे’, ‘फिर कभी देख लेंगे’, ‘थोड़ी देर में करेंगे’ इत्यादि।कुछ विद्यार्थी रोज का काम रोज नहीं करते और उसे इकट्ठा करते रहते हैं,परन्तु बाद में वह इतना विशालकाय रूप ले लेता है कि वो उसे या तो ढंग से नहीं कर पाते या फिर उसके चक्कर में किसी अन्य कार्य या अवसर का लाभ नहीं उठा पाते।रणनीति यही है कि काम को बस तुरंत खत्म कर डालें।इसे कल पर न छोड़ें और इकट्ठा करके ढेर न बनाएं।
  • (4.)व्यर्थ के कार्य को अपने दिनचर्या से मिटा दें (Eradicate Useless Tasks from Your Life):
    महत्त्व के आधार पर समय की श्रेणियां समझते हुए हमने बहुत से ऐसे कार्यों की सूची भी बनाई है जो हमारे लिए व्यर्थ और नकारात्मक हैं।ऐसे कार्य पांचवीं और छठवीं श्रेणी में आते हैं।इन सभी कार्यों से हमें बचना चाहिए।वास्तव में ये सब ‘कार्य’ नहीं बल्कि समय की बर्बादी है।जब आप अपने व्यर्थ जाने वाले समय का ध्यान रखेंगे तो आप पाएंगे कि आपके पास अपने महत्त्वपूर्ण कार्य करने के लिए बहुत सा समय है।यह आदत समय प्रबंधन का मूलमंत्र है।
  • (5.)दो कार्यों के बीच के समय का उपयोग करें (Use the Time Between Two Tasks):
    हमारे रोजमर्रा के जीवन में अक्सर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब हमारे पास थोड़ा-बहुत ऐसा समय होता है जो बिल्कुल खाली होता है।यदि इस समय का उपयोग कर लिया जाए तो हमारी उत्पादकता कई गुना बढ़ सकती है इसलिए ऐसे समय का भरपूर उपयोग करें
  • जैसे:(i)यदि कुछ समय बाद ऑफिस में कोई आपसे मिलने आ रहा है।आप कोई महत्त्वपूर्ण कार्य निपटा चुके हैं,चूँकि अब आप कोई नया काम शुरू नहीं कर सकते इसलिए खाली बैठकर उसका इंतजार कर रहे हैं।ऐसे समय में आप वे सभी काम कर सकते हैं जो सामने वाले के आते ही तुरंत बीच में छोड़े जा सके जैसे:समाचार पत्र/पत्रिका में कोई अच्छा सा लेख पढ़ना,पुरानी ई-मेल्स की छँटनी करना,फाइलों को ठीक से लगाना,कुर्सी से उठकर अपने रूम में थोड़ा टहलना,अपनी डायरी में अगले दिन की योजना बनाना।
  • (ii)आप कटिंग करवाने के लिए बार्बर शॉप पर गए हैं और अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।उस समय आप कुछ फोन कॉल्स निपटा सकते हैं।अपने फोन से मेल चेक कर सकते हैं,कुछ महत्त्वपूर्ण मैसेज कर सकते हैं इत्यादि।
    (iii)आप कंप्यूटर पर कोई फाइल डाउनलोड कर रहे हैं,जिसमें लगभग 5-10 मिनट का समय लग सकता है।इस दौरान आप कंप्यूटर से संबंधित कोई अन्य काम कर सकते हैं या ऊपर दिए गए विकल्पों में भी कोई विकल्प चुन सकते हैं।
    (iv)आप रेलवे स्टेशन/हवाई अड्डे पर खड़े हैं या रेल यात्रा कर रहे हैं।इस दौरान भी आप लेख पढ़ने या योजना बनाने जैसे काम कर सकते हैं।आप उपर्युक्त खाली समय में अपना मनोरंजन भी कर सकते हैं,क्योंकि एक सीमा तक मनोरंजन में खर्च किया गया समय व्यर्थ समय नहीं है।
  • (6.)प्राथमिकताएं निर्धारित करें (Set Priorities):
    अपने सभी कार्यों की प्राथमिकता निर्धारित करें और उन्हें उसी क्रम में पूरा करें।हम अक्सर वे काम पहले करते हैं जो हमें आसान लगते हैं परंतु हमारी प्राथमिकता मुश्किल कामों के लिए होती है।इसका परिणाम यह होता है कि हमारे अधिक महत्त्वपूर्ण काम रह जाते हैं और कम महत्त्वपूर्ण काम होते रहते हैं।यदि ऐसा लंबे समय तक चलता रहे तो यह हमारे लिए एक बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है।
  • (7.)रोजमर्रा में किए जाने वाले कार्यों की सूची बनाएं (Make a List of Everyday Tasks to Be Done):
    हमारे बहुत से महत्त्वपूर्ण काम इसलिए पूरे नहीं हो पाते क्योंकि हम उन्हें नोट करके नहीं रखते और वे हमारे दिमाग में कभी आते हैं तो कभी लुप्त हो जाते हैं।अगले दिन की सूची में पिछले दिन के काम पहले लिख लेना चाहिए।इससे हमारा कोई भी काम लुप्त नहीं होता और इससे हमें झटका नहीं लगता कि मेरा बहुत महत्त्वपूर्ण काम रह गया।
  • (8.)’अभी नहीं तो कभी नहीं’ का मंत्र सीखें (Learn the Mantra of Now or Neve):
    अक्सर कुछ ऐसे काम जिन्हें हम करना पसंद नहीं करते वे लटकते रहते हैं।ऐसे कामों के लिए ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ का मंत्र सीखें।यदि कोई छोटा-मोटा काम जो काफी दिन से लटका हुआ है और आपकी दिनचर्या में अधिक व्यवधान नहीं डाल रहा तो उसे तुरंत कर डालें।इससे आपके मन को अपार शांति का अनुभव होगा और आप महत्त्वपूर्ण कार्यों में पूरे मन से लग सकेंगे।
  • (9.)सबके लिए समय निकाले और एक संतुलित दिनचर्या रखें (Make Time for Everyone and Keep a Balanced Routine):
    आपका समय न तो 100% ऑफिस,अध्ययन,न ही 100% परिवार और समाज के लिए है।अतः आपकी दिनचर्या बहुत ही संतुलित होनी चाहिए,जिसमें सभी के लिए समय हो।अंग्रेजी में एक बड़ी अच्छी कहावत है work while you work,play while play जिसका अर्थ है कि जो भी करें पूरा डूब कर करें।अपने परिवार,समाज,अध्ययन और ऑफिस की भूमिका का मिश्रण न करें।एक संतुलित दिनचर्या ही एक सही Work-life balance अर्थात् कार्य-जीवन संतुलन,का आधार है।हालांकि हमें कार्य (अध्ययन),परिवार और समाज को कितना-कितना समय देना चाहिए,यह उम्र के हर पड़ाव पर भिन्न-भिन्न होता है,परंतु सामान्यतः एक विद्यार्थी 60% अध्ययन,व्यक्तिगत (अध्यात्म,मनोरंजन,स्वास्थ्य) 10%,सोशल नेटवर्किंग,फोन,मित्र आदि पर 5%,समाज (दावत/अन्य) 5%,परिवार के लिए 20% समय दे सकता है।
  • (10.)दूसरों से भी काम लेना सीखें (Learn to Work with Others too):
    एक बुद्धिमान व्यक्ति अपने सभी कार्य स्वयं नहीं करता। वह अपने कार्यों का भरार्पण (delegation) दूसरे व्यक्तियों को करता है।आप ऐसे कार्यों की सूची अवश्य रखें जो आप दूसरों से करवा सकते हैं या उन कार्यों का कोई एक भाग किसी ओर की सहायता से किया जा सकता है।आप अपने जीवन साथी,मित्र और सहकर्मियों से बहुत से ऐसे कार्यों के लिए मदद ले सकते हैं जो उनके लिए सरल हों।इससे आपका बहुमूल्य समय बचेगा जिसे आप अधिक महत्त्वपूर्ण कार्यों में प्रयोग कर सकेंगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए जीवन शैली अपनाने की 5 टिप्स (5 Tips for Students to Adopt Lifestyle),छात्र-छात्राओं की जीवनशैली कैसी हो? (How is Lifestyle of Students?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित प्रतियोगिता में प्रथम आने का राज (हास्य-व्यंग्य) (The Secret of Coming First in Math Competition) (Humour-Satire):

  • संजय:तुम हर बार किसी गणित की प्रतियोगिता में प्रथम आते हो,इसका क्या राज है?
  • मनोज:मैं जब गणित प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू करता हूं यानी प्रश्न-पत्र को हल करना प्रारंभ करता हूं तो मान लेता हूं की गणित के गुरुजी डंडा लेकर पीछे आ रहे हैं।

7.छात्र-छात्राओं के लिए जीवन शैली अपनाने की 5 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 5 Tips for Students to Adopt Lifestyle),छात्र-छात्राओं की जीवनशैली कैसी हो? (How is Lifestyle of Students?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या समय प्रबंधन जीवन शैली का मुख्य अंग है? (Is Time Management a Key Part of Lifestyle?):

उत्तर:समय प्रबंधन जीवनशैली का बहुत महत्त्वपूर्ण भाग है।समय प्रबंधन के बिना आप जीवनशैली को सही और व्यवस्थित रूप से कर ही नहीं सकते हैं।समय पर किया गया कार्य ही सही जीवनशैली का सूचक है।समय प्रबंधन के बिना हम अपना 80% समय उन कामों में लगाते हैं जिनका महत्त्व हमारे जीवन में केवल 20% है।

प्रश्न:2.समय की महत्ता बताने वाली कुछ कहावतें बताएं। (Tell Me Some Proverbs That Tell the Importance of Time):

उत्तर:हर चीज समय की गुलाम होती है,समय बड़ा बलवान है,गया हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता,समय धन से भी अधिक मूल्यवान होता है और समय हमारी सबसे मूल्यवान पूंजी है इत्यादि समय प्रबंधन के महत्त्व को दर्शाती हैं।

प्रश्न:3.अच्छी जीवनशैली वाला विद्यार्थी कैसा होता है? (What is a Student with a Good Lifestyle?):

उत्तर:अच्छी जीवनशैली वाला विद्यार्थी का संपूर्ण जीवन शिक्षा से परिपूर्ण और विद्वता युक्त होता है।वह समय से बहुत आगे चलता है।उसके जीवन में आध्यात्मिकता और भौतिकता का संतुलन देखने को मिलता है।उसे अपने क्षेत्र का सूक्ष्म व गहरा ज्ञान होता है।उसके संपर्क में आने वाला हर कोई व्यक्ति आनंदित महसूस करता है।उसके संपर्क से खुद का ही नहीं बल्कि संपर्क में आने वाले व्यक्तियों,विद्यार्थियों,साथियों के जीवन का रूपांतरण हो जाता है।वह अपने जीवन को दिव्य व अलौकिक बना लेता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए जीवन शैली अपनाने की 5 टिप्स (5 Tips for Students to Adopt Lifestyle),छात्र-छात्राओं की जीवनशैली कैसी हो? (How is Lifestyle of Students?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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