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Teaching for backward students

पिछड़े बालकों के लिए शिक्षण का परिचय (Introduction to Teaching for backward students ):

  • पिछड़े बालकों के लिए शिक्षण (Teaching for backward students):जो छात्र-छात्राएं प्रखर और मन्दबुद्धि के होते हैं वे प्रोत्साहन न मिलने पर पिछड़ जाते हैं। मन्द बुद्धि बालकों को धीमी गति से तथा बहुत सरल तरीके से सीखाने पर समझ सकते हैं जबकि प्रखर बालक बहुत तेज से आगे बढ़ते हैं अतः उनको तेज से न पढ़ाने तथा कठिन सवालों व समस्याओं को उनके आगे प्रस्तुत करने पर ही वे आगे बढ़ पाते हैं।परन्तु शिक्षक मध्यम स्तर के बालकों को ध्यान में रखते हुए पढ़ाते हैं अतः कमजोर तथा प्रखर बुद्धि वाले बालक पिछड़ जाते हैं।
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पिछड़े बालकों के लिए शिक्षण (Teaching for backward students):

  • (1.)कक्षा के वर्ग बनाते समय कमजोर विद्यार्थियों को एक ही वर्ग में रखा जाए। कक्षा के वर्ग में 25-30 विद्यार्थियों से ज्यादा संख्या नहीं होनी चाहिए।
  • (2.)कमजोर विद्यार्थियों को व्यक्तिगत रूप से तथा बहुत सरल विधि से प्रत्येक शब्द को स्पष्ट करते हुए पढ़ाया जाए।
  • (3.)पिछली कक्षाओं की कमजोरी जैसे गुणा, भाग, जोड़, बाकी, घनमूल, वर्गमूल, अनुपात, प्रतिशत, दशमलव आदि में की जाने वाली गलतियों में सुधार करवाया जाए।
  • (4.)पिछड़े बालकों को गल्ती करने पर डाँटना, फटकारना नहीं चाहिए बल्कि गल्ती में सुधार के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • (5.)कमजोर विद्यार्थियों को मौखिक व मानसिक गणित हल करने के लिए अभ्यास कार्य कक्षा में देने के साथ-साथ हल करवाया जाना चाहिए।
  • (6.)कमजोर विद्यार्थियों को ग्राफ, चित्र, माॅडल, चार्ट आदि का प्रयोग जहां आवश्यक हो वहाँ किया जाकर प्रत्ययों को स्पष्ट करना चाहिए।
  • (7.)कमजोर विद्यार्थियों के आत्म-विश्वास की भावना का विकास करने के लिए उन्हें इतिहास के ऐसे विद्यार्थियों या महान व्यक्तित्वों से परिचय कराया जाए जो प्रारम्भ में बहुत फिसड्डी थे जैसे महाकवि कालिदास, बोपदेव, जेम्स वाट इत्यादि।
  • (8.)कमजोर विद्यार्थियों के अभिभावकों से घर पर व्यक्तिगत सम्पर्क करके गणित सीखने में सहायता करने हेतु परामर्श दिया जाए।
  • (9.)विद्यार्थियों को प्रश्नों को हल करने हेतु पर्याप्त समय देना चाहिए जिससे वे सोचकर एवं तर्क करके प्रश्न को हल कर सके।
  • (10.)विद्यार्थियों को लिखित कार्य में की गई त्रुटियों को जाँचकर उनमें तत्काल सुधार करवाया जाए जिससे वे गलती करने की पुनरावृति न कर सके।
  • (11.)प्रश्नों में आए जटिल व तकनीकी शब्दों को सरल व स्पष्ट कर देना चाहिए तथा उनको यह भी बताना चाहिए कि प्रश्न में हमें क्या तो ज्ञात है तथा क्या ज्ञात करना है।
  • (12.)कमजोर विद्यार्थियों को कक्षा में आगे बिठाना चाहिए।
  • (13.)कक्षा में विद्यार्थियों को सक्रिय रखने के लिए प्रश्नोत्तर करते रहना चाहिए।
  • (14.)विद्यार्थियों को शुद्ध व विस्तृत उत्तर लिखने की आदत डाली जाए जिससे वे कम से कम गलतियाँ कर सके।
  • (15.)ब्लैकबोर्ड या व्हाइट बोर्ड पर प्रश्नों को हल करते समय विद्यार्थियों का सहयोग लेना चाहिए तथा सही उत्तर बताने पर प्रोत्साहित किया जाए।
  • (16.)अभ्यास कार्य देते समय टाॅपिक की प्रकृति को ध्यान में रखना चाहिए।
  • (17.)विद्यार्थियों को शुरू में सरल व बाद में कठिन प्रश्नों का अभ्यास करवाया जाना चाहिए।
  • (18.)शिक्षण कार्य के दौरान विद्यार्थियों की रुचि को बनाए रखने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते रहना चाहिए।
  • (19.)शिक्षक को विद्यार्थियों से व्यक्तिगत सम्बन्ध भी बनाने चाहिए।
  • (20.)कमजोर विद्यार्थियों की छिपी हुई प्रतिभा, योग्यता व स्किल्स का उसे परिचय कराया जाए एवं उनमें हीन भावना न आने दें।
  • (21.)विद्यार्थियों द्वारा ठीक उत्तर देने पर उनकी प्रशंसा करते हूए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • (22.)सम्पूर्ण कालांश में विद्यार्थियों को सक्रिय रखा जाए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में पिछड़े बालकों के लिए शिक्षण (Teaching for backward students) के बारे में बताया गया है।
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