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Good and Evil Depend on Our Attitudes

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1.अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है (Good and Evil Depend on Our Attitudes),अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर कैसे है? (How Does Good and Evil Depend on Our Attitudes?):

  • अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है (Good and Evil Depend on Our Attitudes)।इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा सकते हैं।जैसे एक विद्यार्थी परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए कठोर परिश्रम करता है और इसे ही अच्छा समझता है जबकि दूसरा विद्यार्थी परीक्षा में नकल करके उत्तीर्ण होने में कोई बुराई नहीं समझता और नकल करने को ही अच्छा समझता है।इसी प्रकार किसी भी व्यक्ति,वस्तु,स्थान आदि के बारे में हमारा जो दृष्टिकोण होता है उसी के आधार पर उसके अच्छेपन और बुरेपन का निर्धारण करते हैं।
  • कबीरदास जी ने कहा है कि “बुरा जो देखन मैं चला,बुरा न दीखा कोय।जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय।”इस प्रकार जो चीज,वस्तु या व्यक्ति किसी व्यक्ति को अच्छा दिखता है वहीं किसी व्यक्ति को बुराई या उसमें बुराई दिखाई देती है।
  • इस संसार में हर चीज के दो पक्ष होते हैं:सुख-दुःख,न्याय-अन्याय,उचित-अनुचित,लाभ-हानि,जय-पराजय,दिन-रात आदि।इसी प्रकार किसी वस्तु को देखने के दो दृष्टिकोण होते हैं अथवा सोचने के दो दृष्टिकोण होते हैं:अच्छा और बुरा।परंतु कुछ लोगों का विचार होता है कि किसी भी वस्तु में अच्छाई अथवा बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर नहीं करता है।इन दोनों ही मान्यताओं वाले लोगों के अपने-अपने तर्क हैं।
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2.अच्छाई व बुराई दृष्टिकोण पर निर्भर (Good and Evil Depend on the Point of View):

  • किसी भी वस्तु को देखने के सकारात्मक और नकारात्मक दो पक्ष होते हैं।हरेक व्यक्ति का अलग-अलग नजरिया होता है।कोई व्यक्ति सकारात्मक पक्ष को देखता है तो कोई व्यक्ति नकारात्मक पक्ष को देखता है।हम उसको किस रूप में ग्रहण करते हैं यह हम पर निर्भर करता है।उदाहरणार्थ किसी निर्धन व्यक्ति की दुर्घटना में एक टांग टूट जाती है।अब यदि वह सकारात्मक दृष्टिकोण वाला होगा तो देखेगा की दुर्घटना में मेरी एक टांग तो बच गई वरना दूसरी भी टूट सकती थी।नकारात्मक दृष्टिकोण वाला होगा तो सोचेगा कि मैं इन दो हाथ-पैरों से मेरा जीवनयापन जैसे-तैसे गुजार रहा था परंतु भगवान ने मेरी एक टांग भी छीन ली।
  • इस प्रकार मनुष्य को सोचने-समझने की स्वतंत्रता है।वह प्रत्येक वस्तु,व्यक्ति के बारे में अपने अनुसार विश्लेषण करता है और उसी के अनुसार अपना दृष्टिकोण निश्चित करता है।
  • वस्तुतः कोई भी वस्तु अच्छी या बुरी नहीं होती है बल्कि हमारा दृष्टिकोण ही उसे अच्छा या बुरा बना देता है।अच्छा या बुरा का निर्णय एकपक्षीय नहीं किया जा सकता है।कई विषों से चिकित्सक टीके के इंजेक्शन व इंजेक्शन तैयार करते हैं।जबकि विष को बुरा और त्याज समझा जाता है परंतु टीके और इंजेक्शन से जिन लोगों के जीवन की सुरक्षा होती है उनके लिए वही अच्छा हो जाता है।
  • कई लोगों को संसार बुरा दिखाई देता है जबकि कई लोगों को संसार में सौंदर्य दिखाई देता है और वे प्रकृति की अद्भुत लीला को देखकर अभिभूत हो जाते हैं।कई छात्र-छात्राओं को परीक्षा,अध्ययन कार्य करना कष्टदायक और बहुत बुरा लगता है जबकि कई छात्र-छात्राओं को परीक्षा की तैयारी करना,अध्ययन कार्य करना,गणित के जटिल सवालों को हल करने में आनंद का अनुभव होता है और उसे व्यक्तित्त्व के निर्माण के लिए अच्छा समझते हैं इसलिए दिन-रात कठोर परिश्रम करते हैं।
  • साधारण जीवन के अनुभव से भी यह स्पष्ट है कि दृष्टिकोण की भिन्नता के कारण किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु को अच्छा समझते हैं और किसी विशेष व्यक्ति अथवा वस्तु को बुरा,चाहे वह कितनी ही सुंदर और लाभदायक क्यों न हो?
  • शराब को आदतन पीने के कारण जो लोग पीकर नाली में औंधे मुँह पड़े रहते हैं तथा जिनका घर बर्बाद हो जाता है वे शराब को एक बुरी वस्तु के रूप में देखते हैं।परंतु वही शराब (एल्कोहल) कई दवाइयों में प्रयुक्त होती है तो वह मरीज की जान बचाती है और अमृततुल्य समझी जाती है।
  • देशद्रोही देश की गुप्त बातों को शत्रु पक्ष को पहुंचाने को अच्छा समझता है परंतु देश के सैनिकों,देशभक्त लोगों के लिए हर चीज शत्रुपक्ष से गोपनीय रखना अच्छा समझा जाता है।
  • भ्रष्टाचार व कालेधन के लिए आंदोलन करने वाले शासको को खटकते थे परंतु सामान्य जनता के लिए वह रोल मॉडल और आदर्श पुरुष थे।एक क्रांतिकारी देशभक्त जनता के लिए भगवान होता है तो शासको के लिए शैतान।आखिर क्यों? क्योंकि उसे देखने और समझने का नजरिया अलग-अलग होता है।
  • एक बार गुरु द्रोणाचार्य ने अपने दोनों शिष्यों दुर्योधन को अच्छे लोगों तथा युधिष्ठिर को बुरे लोगों की तलाश करके लाने को कहा।दोनों ही खाली हाथ लौटकर आ गए।दुर्योधन को नगर में कोई भी अच्छा व्यक्ति नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई भी बुरा व्यक्ति नहीं मिला।यहां भी दृष्टिकोण का महत्त्व स्पष्ट अनुभव करते हैं।
  • गिलास को देखकर एक व्यक्ति खाली समझता है जबकि दूसरा उसमें हवा भरी हुई देखता है।पहले का दृष्टिकोण नकारात्मक है जबकि दूसरे का दृष्टिकोण सकारात्मक है।उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि कोई वस्तु न तो अच्छी होती है और न बुरी।हमारा अपना दृष्टिकोण ही अच्छाई व बुराई का निर्धारण करता है।

3.अच्छाई व बुराई दृष्टिकोण पर निर्भर नहीं (Good and Evil Do Not Depend on Attitude):

  • अच्छाई व बुराई दृष्टिकोण पर निर्भर नहीं वरन् इस असहमति का कारण दोनों के स्वरूप,क्षेत्र और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव में,व्यापक अंतर का होना है।इन अन्तरों के अतिरिक्त कुछ अन्य कारण भी है जो यह स्वीकार करने के लिए बाध्य कर देते हैं कि अच्छाई व बुराई का मूल्यांकन चाहे जिस दृष्टिकोण से किया जाए वह अपने स्थान पर यथावत बनी रहती है।
  • यद्यपि कुछ लोग यह मानते हैं की अच्छाई व बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करती है परंतु कुछ तर्कों व अनुभवों के आधार पर इस कथन को सत्य मान लेना संभवतः उचित नहीं होगा।
  • अच्छाई का निर्धारण समाज द्वारा निर्धारित नैतिक मूल्यों,सदाचरण,समाज हित तथा कल्याण के आधार पर होता है जबकि बुराई समाज द्वारा अमान्य,नैतिकता से हीन ऐसा आचरण जिससे समाज सदैव उपेक्षित और कुंठित होता है तथा जो अवसर मिलने पर समाज की जड़ों को काटने से भी नहीं चूकती है।उदाहरणार्थ चोरी,बलात्कार,भ्रष्टाचार,डकैती,गुण्डागर्दी,यौन शोषण इत्यादि।
  • अच्छाई और बुराई दोनों ही लगभग अपरिवर्तनशील धारणाएं है।सत्य की असत्य पर विजय होती है यह धारणा आदर्श वाक्यों और किस्से कहानियां तक ही सीमित रह गई है।
  • वास्तव में सत्य यह है कि बुराई को हम चाहे जिस दृष्टिकोण से देखें वह ‘बुराई’ ही बनी रहेगी,न की अच्छाई का रूप धारण कर लेगी।इस तथ्य का प्रमाणीकरण हम कतिपय उदाहरणों की सहायता से सरलतापूर्वक कर सकते हैं।
  • उदाहरण के तौर पर हम प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री एवं लब्ध प्रतिष्ठित समाज सेविका शबाना आजमी द्वारा सार्वजनिक चुनावी मंच पर अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के नेता श्री नेल्सन मंडेला को चुंबन देने की घटना को ही लें।वास्तव में यह कार्य भारतीय संस्कृति और नैतिकता के विरुद्ध है जिसकी अनुमति भारतीय संस्कृति कतई नहीं देती।यद्यपि इस घटना की देश में सार्वजनिक तौर पर निंदा की गई तथापि समाज के कुछ बुद्धिजीवी लोगों ने तथाकथित दृष्टिकोण की आड़ में इस घटना को उचित ठहरने का प्रयास किया जो सर्वथा अनुचित है।
  • इसी प्रकार दूसरा उदाहरण भी अगर इसी विशिष्ट क्षेत्र से लें तो प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी और पूनम पांडे द्वारा नग्न तस्वीर देने को भी कुछ स्वच्छंद विचारधारा के लोगों ने दृष्टिकोण अथवा व्यवसायिक दृष्टिकोण का बहाना लेकर उचित सिद्ध करने का प्रयास किया लेकिन अन्य महिला संगठनों और समाज के अधिकांश समूहों द्वारा इस घटना का सामूहिक तौर पर विरोध किया गया।अभी हाल ही में दिल्ली में चलती बस के अंदर कॉलेज की लड़की निर्भया के साथ विनय शर्मा,अक्षय ठाकुर,पवन गुप्ता,मुकेश सिंह व राम सिंह ने मिलकर सामूहिक रूप से गैंग रेप (बलात्कार) को अंजाम दिया।
  • ये घटनाएं बुरी थी,बुरी हैं और बुरी ही बनी रहेंगी क्योंकि ये सर्वथा समाज के आचरण व नैतिकता के विरुद्ध है।किसी भी दृष्टिकोण से समाज का कोई पक्ष इनसे लाभान्वित नहीं हो सकता है।
  • इसी प्रकार अगर वर्तमान परिवेश में अच्छाई या देशहित के कार्यों का मूल्यांकन करें तो हम कालेधन के विरुद्ध योग गुरु स्वामी रामदेव तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के कार्यों को ले सकते हैं जिन्होंने छोटे स्तर पर आंदोलन चलाकर राष्ट्रीय आंदोलन का स्वरूप दिया।व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर समाज के कल्याणार्थ निष्पक्षतापूर्वक अपने-अपने कर्त्तव्यों का पालन किया।वास्तव में इनके कार्य कालेधन और भ्रष्टाचार के विरुद्ध और महान कहलाने के योग्य हैं।परंतु देखा जाए तो ऐसे निःस्वार्थ,ईमानदारीपूर्ण और अपना बलिदान देने को तत्पर रहने वाले कार्य वर्तमान समय में दुर्लभ होते जा रहे हैं।
  • वास्तव में आज के बदलते हुए नैतिक मूल्यों के युग में दृष्टिकोण का फैशन के रूप में प्रचलित हो गया है।आज हमारे समाज के बुद्धिजीवी लोग जब असंगत तथ्यों को तर्कों के आधार पर स्वयं को असफल पाते हैं तो वे दृष्टिकोण में भिन्नता के तथ्य की शरण लेना प्रारंभ कर देते हैं।परंतु कोई दृष्टिकोण इतना शक्तिशाली नहीं है जो किसी बुराई को अच्छाई में या अच्छाई को बुराई में परिवर्तित कर दें।यदि ऐसा न हो तो समाज में न्याय एवं संगति के लिए कोई स्थान नहीं रह जाएगा।
  • अच्छाई,अच्छाई है और बुराई बुराई है।चाहे जैसे भी इनका मूल्यांकन किया जाए।वास्तव में अच्छाई और बुराई का मापदंड व्यक्तिगत दृष्टिकोण नहीं है अपितु समाज कल्याण है जो सर्वोच्च है।

4.अच्छाई व बुराई के दृष्टिकोण का निष्कर्ष (Conclusion of the View of Good and Evil):

  • वस्तुतः अच्छाई व बुराई का मापदण्ड दृष्टिकोण ही होता है।चाहे वह व्यक्तिगत दृष्टिकोण हो,तार्किक दृष्टिकोण,नैतिक दृष्टिकोण ,सामाजिक दृष्टिकोण अथवा अन्य कोई दृष्टिकोण हो।यह हो सकता है कि व्यक्तिगत दृष्टिकोण अथवा सामाजिक दृष्टिकोण के देखने व सोचने में दोष हो।उदाहरणार्थ हरियाणा में खाप पंचायत उचित और अनुचित फैसले लेकर लोगों को मानने के लिए बाध्य करती हैं।समाज की कई घिसी-पिटी मान्यताएं और परंपराएं हैं जो वे समाज के लिए हितकर मानती है परंतु व्यापक दृष्टिकोण से वे मान्यताएं एवं परंपराएं गलत होती हैं।
  • जैसे कई समाज में मांसाहार को समाज के लिए हितकर मानती है परंतु व्यापक दृष्टिकोण से मांसाहार अनुचित,बुरा और ताज्य है।पाश्चात्य देशों में लिव इन रिलेशनशिप (बिन फेरे यौनाचार),अविवाहित मातृत्त्व को अच्छा माना जाता है परंतु भारतीय संस्कृति में इसे बुरा समझा जाता है।व्यापक दृष्टिकोण से यह कार्य अच्छा नहीं है बुरा ही है।
  • बलात्कार की घटनाएं भारत में इसलिए अधिक होती हैं क्योंकि भारत में महिलाओं को शारीरिक प्रशिक्षण समाज द्वारा स्वीकृत नहीं है।अब धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है तथा महिलाओं को भी सामाजिक स्वीकृति मिल रही है।
  • इजराइल में महिलाओं को अनिवार्य सैनिक शिक्षा दी जाती है अतः उनके साथ बलात्कार करने का कोई साहस ही नहीं कर सकता है।समाज ही यदि महिलाओं को शारीरिक प्रशिक्षण पर पाबंदी तथा अनेक बंदिशें लगाएगा तो वे अपनी सुरक्षा कैसे कर पाएंगी।
  • समाज में कई ऐसी सड़ी-गली मान्यताएं एवं परंपराएं हैं जिनमें शिक्षा के साथ-साथ धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है जैसे बाल-विवाह,पर्दा प्रथा,सती प्रथा,बेगार प्रथा इत्यादि।परंतु कई अच्छी मान्यताएं एवं परंपराएं भी हैं जिनका पालन किया जाता है और किया जाना चाहिए।जैसे एक पत्नी रखना,बड़ों का आदर करना,किसी स्वजन की मृत्यु होने पर संवेदना प्रकट करना और आवश्यक हो तो सहायता-सहयोग करना इत्यादि।

5.दृष्टिकोण बदलने का दृष्टांत (The Vision of Changing Attitudes):

  • एक व्यक्ति बाजार में स्कूल के रास्ते में बैठकर किताबों का ढेर जमा करता जा रहा था।बहुत सी पुस्तकें इकट्ठी हो गई परंतु उसका प्रयास रुका नहीं।
  • एक गणित शिक्षक उधर से गुजरा।उसने उस व्यक्ति से पूछा कि किताबों का ढेर क्यों जमा कर रहे हो?व्यक्ति ने कहा कि मरने के बाद पढ़ने के लिए ले जाऊंगा।गणित शिक्षक हँस पड़ा।मरने के बाद कुछ भी साथ ले जा सकना संभव नहीं है।सारा वैभव,धन-दौलत और संपदा यहीं मिलता है और यहीं छूट जाता है।
  • व्यक्ति ने गणित शिक्षक को पास बैठाते हुए प्यार से समझाया,यदि यह ज्ञान आपने अपनाया होता तो धन-संपत्ति बढ़ाने के बदले उसे पुण्य-परमार्थ में लगाया होता,जो मरने के बाद भी साथ जाता है।
  • गणित शिक्षक का दृष्टिकोण ही नहीं कार्यक्रम भी बदल गया।परमार्थ और लोकोपकार भी इस दृष्टिकोण से करना चाहिए कि एक हाथ से दे तो दूसरे हाथ को मालूम न पड़े।मरते समय सद्बुद्धि आए तो तब तक समय निकल चुका होता है और अपनी भूल का सुधार संभव नहीं हो सकता है।समझदारी इसी में है कि धन-संपत्ति का अनुचित संग्रह करके समाज के लिए संकट पैदा नहीं किया जाए।यदि महापुरुषों की इस सीख को हर व्यक्ति अपना सके तो संसार के लोग सुखी हो जाएं।अच्छी बातों को सुनें ही नहीं बल्कि उनका पालन भी किया जाए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है (Good and Evil Depend on Our Attitudes),अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर कैसे है? (How Does Good and Evil Depend on Our Attitudes?) के बारे में बताया गया है।

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6.हिंदी में सवाल (हास्य-व्यंग्य) (Questions in Hindi) (Humour-Satire):

  • सविता (कविता से):तुझे पता है आज मैंने हिंदी के सारे सवाल हल कर दिए हैं।
  • कविता:यह कैसे हो सकता है? हिंदी में कहीं सवाल होते हैं क्या?
  • कविता:मैंने अपनी गणित की पुस्तक का नाम हिंदी रख दिया है।

7.अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है (Frequently Asked Questions Related to Good and Evil Depend on Our Attitudes),अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर कैसे है? (How Does Good and Evil Depend on Our Attitudes?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.दृष्टिकोण को कैसे बदला जा सकता है? (How Can Attitudes Be Changed?):

उत्तर:यदि छात्र-छात्राएं एवं लोग व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा,क्षुद्रता,अहंकार,पूर्वाग्रहों को छोड़कर चिंतन मनन करें और उसका पालन करें तो बुरे दृष्टिकोण को बदला जा सकता है।अच्छा दृष्टिकोण वे छात्र-छात्राएं तथा लोग ही अपना सकते हैं जिन्हें सहयोग में आनंद आता है और सामूहिक उन्नति में गौरव का अनुभव होता है।

प्रश्न:2.दृष्टिकोण में दोष क्यों उत्पन्न होता है? (Why Does a Flaw in Approach Arise?):

उत्तर:बड़ों से अपनी तुलना करने पर छात्र-छात्राएं एवं व्यक्ति अपने को छोटा अनुभव करता है।अपने दोष-दुर्गुणों को दूर नहीं करता है।यदि छात्र-छात्राएं तथा व्यक्ति अपने जीवन में गुणों को धारण करें और अपना विचार सकारात्मक रखें तो वही परिस्थितियां अनुकूल नजर आने लगती है।दोष-दुर्गुण होने पर जैसे पीलिया के रोगी को संसार पीला ही नजर आता है और सावन के अंधे को सब जगह हरा-हरा नजर आता है,संसार में सभी व्यक्तियों में दोष-दूर्गुण नजर आते हैं किसी में भी अच्छाई नजर नहीं आती है।

प्रश्न:3.व्यापक दृष्टिकोण से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by a Broader Perspective?):

उत्तर:चिंतन,तर्क,तथ्य की जड़ में जब मानवीय दृष्टिकोण और अंतरात्मा की आवाज जुड़ती है अर्थात सद्बुद्धि के साथ मानवीय दृष्टिकोण,अंतरात्मा की आवाज के आधार पर किसी वस्तु,व्यक्ति को देखा जाता है या विचार किया जाता है तो वही व्यापक दृष्टिकोण कहलाता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है (Good and Evil Depend on Our Attitudes),अच्छाई और बुराई हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर कैसे है? (How Does Good and Evil Depend on Our Attitudes?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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