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3 Tips for Living in Present to Study

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1.अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (3 Tips for Living in Present to Study),छात्र-छात्राओं द्वारा गणित का अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (3 Tips for Students to Live in Present to Study Mathematics):

  • अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (3 Tips for Living in Present to Study) के आधार पर आप वर्तमान का बेहतरीन उपयोग कर सकेंगे।विद्यार्थी काल का आनंद और लाभ तब है जबकि वे वर्तमान में जीने का अभ्यास करें।अनेक छात्र-छात्राएं भूतकालीन सफलताओं,यश गाथाओं की चर्चा करते रहते हैं।वे पढ़ने तथा गणित में होशियार थे तो उसका वर्णन करेंगे।यदि भूतकाल में पढ़ाई में कमजोर थे तो उसके कड़ुए अनुभव का वर्णन करते हुए मिलेंगे।उनके मन में भूतकाल के अपने अनुभवों की ललक उठती रहती है।भूतकाल की स्मृतियों में उलझने में अब कोई सार्थकता नहीं है।भूतकाल की स्मृतियों की चर्चा करने में जितना समय व्यतीत किया जाता है उतने में वर्तमान समय में अध्ययन तथा गणित के सवालों और समस्याओं को सुलझाने का कार्य किया जा सकता है।
  • कई छात्र-छात्राएं भविष्य के रंगीन सपने देखने में व्यतीत करते हैं।कौन-कौन सी परीक्षाओं में उन्हें सफलताएँ प्राप्त होंगी तथा उन्हें कितना धन व वेतन की प्राप्ति होगी।प्राप्त धन को किस प्रकार खर्च करेंगे।इस तरह के सुन्दर-सुन्दर सपने देखते हैं कि वे वास्तविक जैसे लगते हैं।भविष्य में जो बनने का इरादा है उसका निश्चय नहीं।कोशिश करने पर भी वैसी ही परिस्थितियां बनी रहे हैं इसकी कोई गारंटी नहीं।इंजीनियर बनने का सपने देखने वाले कई छात्र-छात्राओं को छोटी सी नौकरी भी नसीब नहीं होती।साधारण व्यवसाय से ही गुजारा चलाना पड़ता है।चाहने से ही सब कुछ हासिल नहीं किया जा सकता है।प्रयत्न करने पर भी मनचाही सफलता मिल जाए,यह निश्चित नहीं।परिस्थिति कहीं से कहीं मोड़ ले सकती है और जैसा सोचा था उससे सर्वथा पृथक जीवनयापन करना पड़ सकता है।ऐसी स्थिति में अवास्तविकताओं के स्वप्नलोक में उड़ते-फिरने से किसी का क्या उद्देश्य सिद्ध हो सकता है?
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2.छात्र-छात्राएं वर्तमान पर ध्यान दें (Students Pay Attention to the Present):

  • वर्तमान में अध्ययन में संलग्न रहने का महत्त्व है।भूतकाल का इतना ही लाभ है कि आपने अध्ययन तथा गणित के सवालों व समस्याओं को हल करने में जो सीखा है उसका वर्तमान को ठीक ढंग से अध्ययन करने में उपयोग किया जाए।भविष्य चिंतन की उपयोगिता इतनी है कि वर्तमान में अपनी क्षमता,योग्यता तथा रुचि को देखते हुए लक्ष्य निर्धारित किया जाए।भूत और भविष्य में उलझे रहने वाले मस्तिष्क द्वारा वर्तमान को सुधारना और ध्यान देना कठिन हो जाता है।कल्पनाएँ,भावुकताएँ इस सीमा तक बढ़ जाती है कि मन को वर्तमान पर केन्द्रित कर सकना कठिन हो जाता है।
  • हमें यह सोचना चाहिए कि भूत और भविष्य में मन को लगाये रखने का कोई फायदा नहीं है।मन को ठीक तरह सँजोने और सम्हालने में दत्तचित्त रहना चाहिए।आगे-पीछे की बातों पर उतना ही विचार-चिंतन करना चाहिए जो वर्तमान से तालमेल खाती हो।वर्तमान में जो सम्भव है उसी को अच्छा बनाने का प्रयत्न करें।उसी पर अपने मन को केन्द्रित करें।वर्तमान समय में त्रुटिरहित अध्ययन करने का प्रयास करना चाहिए और उसे इतना उन्नत करें कि उसमें अविवेकपूर्ण अध्ययन करने के ढर्रे के स्थान पर जागरूकता की कला दिखाई देने लगे।
  • वर्तमान में अध्ययन में मन को लगाए रखने के लिए मन को साधने की आवश्यकता होती है।मन को तर्क और तथ्यों के द्वारा अपनी परिस्थितियों,साधनों और योग्यताओं को ध्यान में रखते हुए समझाना पड़ता है।यदि मन की भूत और भविष्य की ओर दौड़ जारी रहे तो उसे सुधार का प्रयास करना होता है।मन को साधने की कला तभी विकसित होती है जब संकल्पशक्ति,निरंतर अभ्यास,कठोर परिश्रम,नियमितता जैसे गुणों को धारण किया जाता है।अध्ययन को छोड़कर चंचल मन इधर-उधर भटकता है।एक काम पूरा होता नहीं है और उसको छोड़कर दूसरा काम करने की ओर दौड़ता है।आलस्य और प्रमाद से कदम-कदम पर जूझना पड़ता है।आधा-अधूरा अध्ययन से सफलता अर्जित नहीं की जा सकती है।इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों को हमेशा जागरूक और क्रियाशील रहने पर ही वर्तमान में अपने आपको केंद्रित रख सकता है।
  • हमारा ध्यान हमेशा वर्तमान पर केंद्रित रहना चाहिए।अध्ययन को ओर अधिक उत्कृष्ट कैसे बनाया जाए इसी पर ध्यान केंद्रित किया जाए।भविष्य को अच्छा बनाने का ओर कोई उपाय नहीं हो सकता है।

3.वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने के उपाय (Ways to Focus on the Present):

  • यह विचार तथा चिंतन करें कि भूतकाल चला गया है वह वापस लौटने वाला नहीं है तो उसमें समय बर्बाद करने की आवश्यकता क्यों है?भूतकाल का मात्र इतना ही महत्त्व है कि उससे शिक्षा ग्रहण की जाए।अध्ययन करने में जो त्रुटियाँ हुई है उसको कैसे सुधारा जाए जिससे त्रुटियों की पुनरावृति न हों।साथ ही अध्ययन करने में जो रणनीति तथा तकनीक नहीं अपनाई गई उसे अपनाया जाए।
  • यदि अपने सहपाठी तथा मित्रों के साथ कोई दुर्व्यवहार किया गया है तो उसके निराकरण करने के लिए उसकी भरपाई और संतोष दे सकने वाले प्रयत्न किया जाए।यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो वह बदला लेने की सोचेगा जिससे आपके अध्ययन में बाधा उत्पन्न होगी।सामान्य मनुष्य का यह स्वभाव होता है कि वह गलती को स्मरण रखता है तथा मौका मिलते ही हमें नुकसान पहुंचाता है।क्षमा करना सज्जन व्यक्तियों द्वारा ही संभव है।सामान्य व्यक्ति कोई न कोई मौका बदला लेने की सोचता है।
  • भूल तथा गलती होने पर उसकी पुनरावृत्ति न करें।अपने मन पर पैनी नजर रखें तथा दृढ़ निश्चय कर लें कि वैसी त्रुटि दुबारा न हों।अपनी गलती की चर्चा करके भी दूसरे व्यक्ति तथा छात्र-छात्राओं को सांत्वना प्रदान की जा सकती है।
  • यदि किसी छात्र-छात्रा को अध्ययन में,नोट्स बनाने में,गणित के सवाल व समस्याओं को हल करने में आपने मदद की है तो उसकी चर्चा न करें।क्योंकि चर्चा करने से हमारा अहंकार बढ़ता है और अहंकार हमें वर्तमान पर केंद्रित नहीं होने देता है।
  • जिन भूतकालीन घटनाओं का कोई लाभ और उपयोगिता नहीं है उनको स्मरण करने से समय बेकार जाता है।इसलिए उन घटनाओं को भूलने का स्वभाव बना लेना चाहिए।
  • यदि वर्तमान में आपके पास अध्ययन तथा अन्य कोई कार्य करने के लिए नहीं है तो भूत या भविष्य की कल्पनाओं में खोये रहने की बजाय यह विचार-चिंतन करने की आवश्यकता है कि वर्तमान का श्रेष्ठतम उपयोग कैसे किया जा सकता है?
  • यदि अप्रत्याशित परीक्षा में सफलता,जाॅब प्राप्त करने में सफलता,प्रवेश परीक्षा में सफलता अथवा किसी प्रोत्साहन परीक्षा में सफलता अथवा कोई अवार्ड मिल गया हो तो यही समझने की आवश्यकता है कि पूर्वजन्म के कर्मफल का उदय हुआ है।यदि कठिन परिश्रम करने पर भी उपर्युक्त किसी परीक्षाओं या किसी परीक्षा में सफलता नहीं मिल रही है तो हमारे पूर्व संचित अशुभ कर्म के प्रभाव से ऐसा हो सकता है।इस प्रकार से चिन्तन-मनन करने से आपके मन का ध्यान वर्तमान में अध्ययन करने से विचलित नहीं होगा,आपकी एकाग्रता भंग नहीं होगी।जैसे रोजाना दूध लिया जाता है और उसका उपयोग कर लिया जाता है परंतु कभी-कभी ऐसा होता है कि कुछ दूध बच जाता है तो उसको जमा देते हैं।दूसरे दिन उसका नाम,रूप,गुण,स्वाद सभी बदल जाते हैं।इसी प्रकार पूर्व काल या पूर्वजन्म के संचित कर्मों का फल वर्तमान जीवन में मिल जाता है।
  • विद्यार्थी काल अर्थात् अध्ययन काल जीवन का सबसे सर्वोत्तम काल होता है।यह विद्यार्थी काल वापस नहीं मिल सकता है।जो बीत गया सो गया,इसलिए इसका (वर्तमान काल का) जितना उपयोग अध्ययन करने,विद्या ग्रहण करने और ज्ञान प्राप्ति में कर लिया जाए उतना ही कम है।ऐसा आप तभी कर सकते हैं जब आप वर्तमान में जीने का प्रयत्न करेंगे।
  • मन को एकाग्र करने का प्रयास करें क्योंकि एकाग्रता का अर्थ ही है वर्तमान में जीना।एकाग्रता के बिना अर्थात् मन के उच्चाटन (absence of Mind) में मन भूत और भविष्य की दौड़ लगाने लगता है।इतने उपाय करने पर छात्र-छात्राएं वर्तमान में जीने का अभ्यास कर सकते हैं।

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4.वर्तमान में जीने का दृष्टान्त (A Parable of Living in the Present):

  • गणित का एक विद्यार्थी था।परीक्षा,प्रवेश परीक्षा,प्रतियोगिता परीक्षा,पारितोषिक परीक्षा अथवा अध्ययन कार्य करता तो ज्योतिषी से सलाह-मशविरा करके कार्य प्रारंभ करता था।एक बार उसका मित्र उसके घर आया तो गणित के विद्यार्थी (अपने मित्र) को उदास,उखड़ा-उखड़ा और गंभीर मुद्रा में पाया।जबकि गणित का वह विद्यार्थी बहुत दिलफेंक,खुशमिजाज और हँसमुख स्वभाव का था।अपने मित्र को यों सूरत लटकाए देखकर वह पूछ बैठा कि क्यों क्या हुआ? क्यों देवदास बनकर सूरत लटकाए बैठे हो।
  • मित्र ने कुछ भी जवाब नहीं दिया तो वह ठण्डा पानी लेकर आया और गणित के विद्यार्थी को पिलाया।फिर तसल्ली से पूछा कि बात क्या है,कुछ बताओगे तो ही तो उसका उपाय किया जाएगा।क्या पढ़ाई में असफलता मिल गई या किसी परीक्षा में असफल हो गए।तब वह मित्र (गणित का विद्यार्थी) बोला आज तो गजब हो गया।आज ज्योतिषी जी आए थे।मैंने उन्हें बताया कि मैं जेईई (आईआईटी प्रवेश परीक्षा) देना चाहता हूं।इस बारे में आपका क्या परामर्श है? ज्योतिषी जी काफी देर तक गणना करते रहे।अपना पंचांग भी देखा।मेरी कुंडली देखी।ग्रह,-योग,दशा आदि पर विचार करने के बाद बोले,तुम यह परीक्षा नहीं दो तो बढ़िया है।यदि तुम इस परीक्षा में बैठोगे तो परीक्षा में उत्तीर्ण होना तो दूर रहा तुम पर बहुत भारी संकट आ जाएगा।
  • मित्र बोला तुम क्या पागलों जैसी बातें कर रहे हो?जब विद्यार्थी अपना लक्ष्य तय कर लेता है और उसे प्राप्त करने में जुटा हुआ हो तो मुहूर्तों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।एकमात्र लक्ष्य पर नजर रखकर उसकी तैयारी पूर्ण एकाग्रता,सामर्थ्य तथा शक्ति व युक्ति के साथ करना चाहिए।भूत और भविष्य के चक्कर में खोए रहना गलत है।भूत और भविष्य के चक्कर में जो वर्तमान को भूल जाता है वह उचित नहीं है।जो (कल) था वह अब कभी आता नहीं और भविष्य कभी आता नहीं है जो आता है वह आज बनकर आता है।सच्चा कर्मयोगी वही है जो वर्तमान में जीता है और वर्तमान में प्रचण्ड पुरुषार्थ करता है।
  • मित्र ज्योतिष या किसी भी विषय का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को उसके उद्देश्य से भटकाना नहीं है बल्कि उसके लक्ष्य प्राप्ति में सहायक होना ही उनका उद्देश्य है।मित्र (गणित के विद्यार्थी) के मन का सन्देह दूर हो गया।मित्र तुम नहीं आते और मुझे मार्गदर्शन नहीं करते तो मेरा भविष्य चौपट हो जाता।अब मैं पूर्ण जोश,उत्साह तथा पुरुषार्थ के साथ परीक्षा की तैयारी करूंगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (3 Tips for Living in Present to Study),छात्र-छात्राओं द्वारा गणित का अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (3 Tips for Students to Live in Present to Study Mathematics) के बारे में बताया गया है।

5.युवती और लड्डू (हास्य-व्यंग्य) (Young Girl and Laddu) (Humour-Satire):

  • एक युवती को गणित की पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था।एक दिन वह पुस्तकों की दुकान पर गई। काउंटर पर कुछ गणित की पुस्तकें पड़ी हुई थी।गणित का सूचीपत्र (Catalogue) देखा।उस सूची पत्र पर एक गणित की शानदार आकृति बनी हुई थी।वह आकृति उसे इतनी पसंद आई कि उस सूचीपत्र को दुकानदार से मांग कर घर ले आई।उसने अपने स्वेटर पर वह आकृति बनवा ली।जब वह उस आकृति वाले स्वेटर को पहन कर निकली तो उसका बॉयफ्रेंड बहुत हंसा।युवती के पूछने पर उसने बताया कि उस स्वेटर पर फ्रेंच भाषा में लिखा हुआ है।बहुत ही स्वादिष्ट,पौष्टिक और लजीज लड्डू।

6.अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 3 Tips for Living in Present to Study),छात्र-छात्राओं द्वारा गणित का अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (3 Tips for Students to Live in Present to Study Mathematics) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.भूत से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by Past?):

उत्तर:मनुष्य ही नहीं हर चीज की मृत्यु होती है तो वह भूत बन जाती है।जब किसी वस्तु की सत्ता पूर्णतः समाप्त हो जाती है तो भूत बन जाती है।मनुष्य की आंशिक मृत्यु जन्म के साथ ही प्रारंभ हो जाती है।बालक जन्म के बाद ज्यों-ज्यों बड़ा होता है,विकास करता है तो धीरे-धीरे मृत्यु की ओर सरकता है फिर एक दिन पूर्ण मृत्यु पर भूत बन जाता है।संसार की हर वस्तु का,मनुष्य का भी निर्माण उन्हीं तत्त्वों से हुआ है जो हर क्षण बदलते हैं।उनका चक्र भूत को छोड़ता हुआ और भविष्य को पकड़ता हुआ प्रतिक्षण बड़ी तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है।यहाँ तक की ग्रहों तथा सूर्य की मृत्यु भी होती है।

प्रश्न:2.वर्तमान का उपयोग कैसे किया जाए? (How to Use the Present?):

उत्तर:भूत और भविष्य हमारे हाथ में नहीं है।हमारे हाथ में वर्तमान अर्थात् आज है।यदि हम चाहें तो उसका सदुपयोग करके ऐसे अलौकिक खोज और आविष्कार कर सकते हैं (वर्तमान का उपयोग करके)।यह तभी सम्भव है जब वर्तमान का महत्त्व समझा जाए और लक्ष्य को पूर्ण एकाग्रता के साथ प्राप्त करने में जुट जाएं।जो हमारे सामने हैं,हमारे हाथ में,हमारा लक्ष्य है उसे पूर्ण तन्मयता से करने का प्रयत्न किया जाए और उसे उत्कृष्ट बनाने के लिए प्रयत्नशील रहे तो भविष्य (लक्ष्य) को साकार रूप प्रदान किया जा सकता है।

प्रश्न:3.कल्पना को साकार कैसे किया जाए? (How to Realize the Imagination?):

उत्तर:अनेक व्यक्तियों के मन में अधिक समर्थ बनने की कल्पनाएं जन्म लेती हैं।भगवान से भी वह अधिक समर्थ बनने की मांग स्वीकार करने हेतु प्रार्थना करता है।परंतु अधिक समर्थ होने से क्या तात्पर्य है? यदि कोई इंजीनियर है तो क्या कलक्टर बना जाए,सांसद बना जाए,प्रधानमंत्री बना जाए,राष्ट्रपति बना जाए।इस प्रकार अनेक कल्पनाएं जन्म लेती है।परंतु अंततः वह विवेक और बुद्धि से काम ले तो निष्कर्ष यही निकलता है कि अपनी क्षमता,योग्यता और सामर्थ्य के अनुसार ही कल्पना करना और उसको साकार रूप प्रदान करना उचित है।वर्तमान में जो है उसे ही अधिक परिष्कृत एवं कलात्मक बनाने का प्रयास किया जाए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (3 Tips for Living in Present to Study),छात्र-छात्राओं द्वारा गणित का अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स (3 Tips for Students to Live in Present to Study Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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अध्ययन करने के लिए वर्तमान में जीने की 3 टिप्स
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