How do Students Develop Intelligence?
1.छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें? (How do Students Develop Intelligence?),गणित के छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें? (How do Mathematics Students Develop Intelligence?):
- छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें (How do Students Develop Intelligence?) विशेषकर गणित के छात्र-छात्राएं।छात्र-छात्राओं को अध्ययन करना होता है इसलिए उन्हें बुद्धि का विकास करने की सबसे अधिक आवश्यकता है।यों बुद्धि का विकास करने की आवश्यकता हर व्यक्ति को होती है।यदि कोई जॉब करने वाला है तो अपने जॉब को आगे तभी बढ़ा सकता है या कह लीजिए वह व्यक्ति जाॅब में उन्नति तभी कर सकता है जबकि उसकी बुद्धि का विकास उत्तरोत्तर होता रहे।
- गणित के छात्र-छात्राओं तथा अन्य छात्र-छात्राओं को बुद्धि की आवश्यकता कदम-कदम पर होती है।गणित की समस्याओं का हल करना हो,ऐच्छिक विषय का चुनाव करना हो,जाॅब का चुनाव करना हो,अध्ययन में अधिक अंकों से उत्तीर्ण होना हो इत्यादि में बुद्धि के द्वारा सही निर्णय ले सकता है। यदि किसी छात्र-छात्रा में बुद्धि व विवेक न हो तो वह आगे तरक्की नहीं कर सकता है।
- लेकिन केवल पुस्तकों का अध्ययन करने से बुद्धिबल नहीं बढ़ता है।जब तक वह स्वाध्याय नहीं करता है,जब तक वह मनन-चिन्तन नहीं करता है,जब तक वह अपनी कमजोरियों को पहचान कर उनको दूर करने का प्रयास नहीं करता है,जब तक विद्या को अपने आचरण का अंग नहीं बनाता है तब तक बुद्धि केवल बौद्धिक विलास बनकर ही रह जाती है।जैसे रावण विद्वान तो था परंतु उसकी बुद्धि का विकास नहीं हो पाया था।उसने विद्या का उपयोग कुबुद्धि को बढ़ाने में लगाया।
- छात्र-छात्राएं यदि बुद्धि का विकास सही दिशा में करे तो उनकी उन्नति,उत्थान और विकास होता है। यदि वे बुद्धि का प्रयोग गलत दिशा में करें तो अवनति,पतन और विनाश को प्राप्त होते हैं।
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2.बुद्धि का विकास कैसे करें? (How to Develop Examinee Intelligence?):
- छात्र-छात्राएं बुद्धि के बल पर छोटे तथा बड़े कार्यों का निर्णय सटीक ढंग से कर सकते हैं।प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थी बुद्धि के बल पर यह निर्णय कर सकते हैं कि किस प्रतियोगिता में भाग लेने के योग्य है और उसमें सफलता के लिए किस प्रकार तैयारी करनी चाहिए? बुद्धिबल बढ़ाने के लिए उन्हें अपने मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए।पूर्वाग्रह से मुक्त रहने का प्रयास करें।स्थिर मन और चित्त से बुद्धि का विकास होता है।सद्बुद्धि के आधार पर ही छात्र-छात्राएं अपनी आत्मा की आवाज को सुन और समझ सकते हैं।ओर आत्मा की आवाज तथा निर्देश पर किया गया कोई कार्य गलत नहीं होता है।आत्मबल तथा बुद्धिबल के अनुसार हम उचित आचरण करने में सक्षम हो पाते हैं।बुद्धि का विकास तभी होता है जब हम आत्मिक शक्ति के अनुसार कार्य करते हैं।
- परंतु आजकल चालाकी,धूर्तता,ठगना और पाखंड फैलाने में जो जितना आगे बढ़ता है उसे बुद्धिमान समझा जाता है।ऐसी बुद्धि तामसिक मनोवृत्ति की द्योतक होती है।
- विद्यार्थियों तथा अभ्यर्थियों को जो बात समझ में नहीं आती है उसे अपने से बड़ों से,गुरुजनों से तथा मित्रों से विचार विमर्श करना चाहिए।विचार-विमर्श से बुद्धिबल बढ़ता है।कठिनाइयों,समस्याओं तथा सवालों को हल करने में घबराता नहीं तथा उनका डटकर सामना करता है,हल करने की कोशिश करता है,उसकी बुद्धि का विकास होता है।
- विद्या,बुद्धि और ज्ञान में जो हमसे आगे हैं उनसे सम्मान व प्रेमपूर्वक पूछना चाहिए।उनको प्रसन्न करके,उनकी सलाह से जो छात्र-छात्राएं काम करता है,वह कभी मोह अथवा भ्रम में नहीं पड़ता है। महाभारत में कहा गया है कि:
- “सुमंत्रिते सुविक्रान्ते सुकृते सुविचारते।
सिध्यन्त्यर्था महाबाहो दैवं चात्र प्रदक्षिणम्।।” - अर्थात् जो कार्य स्वयं अच्छा होता है और अच्छी तरह सोच-समझकर तथा बड़ों से सलाह लेकर किया जाता है और उसमें खूब परिश्रम किया जाता है वही कार्य सिद्ध होता है।और भगवान तथा भाग्य भी उसी के अनुकूल होता है।सोच-समझकर किया हुआ कार्य ही स्थायी होता है।
3.बुद्धि बढ़ाने के उपाय (Ways to Increase Intelligence):
- (1.)मनुष्य और पशु में बुद्धि और विवेक का अंतर है।अन्य मामलों में दोनों में समानता है।सुख-दुख का अनुभव करना,सोना-जागना,संतान पैदा करना और उसका पालन पोषण करना ये सारे काम मनुष्य और पशु दोनों ही करते हैं।इन कामों के आधार पर हम मनुष्य और पशु में अंतर नहीं कर सकते हैं।केवल बुद्धि और विवेक ही है जिसके आधार पर हम अंतर कर सकते हैं।
- मनुष्य ने बुद्धि का विकास करके अपने आपको विकसित और उन्नत कर लिया जबकि पशु-पक्षी सदियों से उसी अवस्था में अपना जीवन यापन कर रहे हैं।मनुष्य अपने बुद्धि के बल पर ही शारीरिक रूप से संपन्न पर शासन करता आ रहा है चाहे वह पशु,पक्षी हो या मनुष्य।
- (2.)बुद्धि के बल पर मनुष्य हर क्षेत्र में भौतिक उन्नति दिनोंदिन करता जा रहा है।वह अपने ज्ञान,विज्ञान,व्यापार,यातायात,चिकित्सा,कृषि,शिक्षा के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता जा रहा है और आगे से आगे उन्नति कर रहा है।
- (3.)सद्बुद्धि के बल पर मनुष्य सही-गलत,उचित-अनुचित,न्याय-अन्याय,पाप-पुण्य,धर्म-अधर्म,विवेक-अविवेक का निर्णय कर पाता है।
- (4.)सद्बुद्धि के द्वारा ही मनुष्य अपने परिवार,समाज,देश,मिलने-जुलने वालों,मित्रों तथा सहयोगियों को आगे बढ़ाता है तथा उनका सहयोग करता है।
- (5.)सद्बुद्धि के द्वारा ऐसा कौन-सा कार्य है जो नहीं किया जा सकता है?यहां तक कि सद्बुद्धि के द्वारा जीवन-जगत,धर्म ग्रंथों का अध्ययन,मनन-चिंतन, ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, कथाओं तथा वार्ता का सदुपयोग करके अपना बुद्धिबल बढ़ाता है।
- (6.)सद्बुद्धि और शारीरिक बल में मुख्य अंतर यह है कि शारीरिक बल के आधार पर मनुष्य को लाभ एक सीमा तक ही मिल सकता है परंतु बुद्धि की सीमा अपार और विस्तृत है,व्यापक है।तात्पर्य यह है कि सद्बुद्धि मनुष्य के लिए एक वरदान है जिसके आधार पर मनुष्य अपने जीवन को उन्नत और प्रभावशाली बना सकता है।
- (7.)जो मनुष्य अपनी बुद्धि को विकसित करने में लगा रहता है,अपने आपको संस्कारी और समर्थ बनाता जाता है,उसकी बुद्धि बढ़ती जाती है।सद्बुद्धि के विकास के आधार पर अच्छाई-बुराई,हानि-लाभ,उन्नति-अवनति का भेद उसको समझ में आ जाता है।बुद्धि को अधिक परिपक्व बनाने के लिए ज्ञान की साधना,विचारों को शुद्ध करना आवश्यक है।मन में आए नए विचारों और अपने ढंग से सोचने पर हमारी बुद्धि का विकास होता जाता है।
- (8.)बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने के तरीके हैं:पुस्तकों का अध्ययन करना,नए ज्ञान को ग्रहण करना,नई-नई बातें सीखना,बुद्धि को बढ़ाने की तीव्र लगन और जिज्ञासा होनी चाहिए।सीखने के लिए संसार में मनुष्य के पास ज्ञान का अनन्त भंडार है। बुद्धि विकास का यह भी तरीका है कि अर्जित ज्ञान या स्वाध्याय को हम दूसरों को सिखाने के लिए काम में लेते हैं तो भी बुद्धि का तीव्र गति से विकास होता है।
- (8.)बुद्धि का विकास और उन्नति करने का एक ओर तरीका है कि ज्ञान कहीं से भी मिले लेना अच्छा ही होता है।सीखने के लिए दूसरों के विचारों व दृष्टिकोण से घृणा नहीं करनी चाहिए।जो बात हमें छोटे बालक या बड़ों से,किसी से भी सीखते हैं,वह हमारे लिए गुरु ही होता है।ऋषि दत्तात्रेय जी की तरह हमारे जीवन में ऐसे अनेक गुरु होते हैं या हो सकते हैं।बुद्धि की साधना को अपने तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए।भारत के विद्वानों,ऋषियों,मुनियों ने जहां भी ज्ञान उपलब्ध हुआ है उनको जान समझकर जो उचित था उसे अपनाया है।
- (9.)सद्ज्ञान जहां से भी मिले यथा धर्म,दर्शन,नीतिशास्त्र,अध्यात्म,मनोविज्ञान,समाजशास्त्र,विज्ञान,संस्कृति इत्यादि से ग्रहण कर लेना चाहिए।इससे हमारी बुद्धि का विकास होता है, दायरा बढ़ता है।सबसे प्रमुख बात यह है कि हमारा सीखना तभी सार्थक होगा जबकि हमें अपने अस्तित्व का बोध हो जाए,अपनी अंतरात्मा का अनुभव हो जाए।इस प्रकार हम अपनी सद्बुद्धि को उन्नत कर सकते हैं।
4.बुद्धि क्या है? (What is Intelligence?):
- (1.)हमारी विभिन्न योग्यताओं,क्षमताओं का संपूर्ण योग (agrregate) होता है।बुद्धि में केवल एक प्रकार की क्षमता ही निहित नहीं होती है।इसमें कई प्रकार की क्षमताएं,निर्भयता,सात्विकता,कल्याणकारी,शुभ, मंगलकारी,धार्मिक,धर्म,अर्थ,काम को पहचानने वाली,प्रिय,समझदारी,जवाबदारी,वफादारी,विवेकयुक्त,सोच-विचार कर काम करने वाली इत्यादि शामिल है।
- (2.)बुद्धि के सहारे व्यक्ति किसी भी समस्या के समाधान में सूझ (insight) का सहारा लेता है। इतना ही नहीं किसी समस्या के समाधान में अपने अनुभवों का लाभ बुद्धि के कारण ही उठा सकता है।
- (3.)बुद्धि के सहारे व्यक्ति लक्ष्य केंद्रित अध्ययन तथा अन्य कार्य संपन्न करता है।जो व्यक्ति जितना उद्देश्यपूर्ण एवं सार्थक क्रियाएं करता है,उसे उतना ही अधिक बुद्धिमान माना जाता है।निरर्थक तथा उद्देश्यहीन क्रियाएं करने वाले व्यक्ति को कम बुद्धि का समझा जाता है।
- (4.)बुद्धि व्यक्ति को वातावरण के साथ समायोजन (adjustment) करने में मदद करती है।अधिक बुद्धि वाले व्यक्ति अपने आपको किसी भी वातावरण में ठीक ढंग से समायोजन कर लेते हैं।इन व्यक्तियों के समायोजन की क्षमता को देखकर अन्य लोग भी काफी प्रभावित होते हैं।कम बुद्धि वाले व्यक्ति में इस तरह के समायोजन की क्षमता कम होती है और व्यक्ति में वातावरण से संबंधित समायोजन से सम्बन्धित कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
- (5.)बुद्धि से व्यक्ति में विवेकशील चिंतन (rational thinking) तथा अमूर्त्त चिन्तन करने में मदद मिलती है।जो व्यक्ति बुद्धिमान होता है उसके सोचने एवं चिंतन करने का तरीका विवेकपूर्ण,तर्कपूर्ण एवं युक्तिसंगत होता है।ऐसे व्यक्तियों में अमूर्त्त चिंतन करने की क्षमता भी अधिक होती है।कम बुद्धि वाले व्यक्ति का चिंतन अविवेकपूर्ण तथा तर्कहीन होता है।ऐसे व्यक्ति में अमूर्त्त चिंतन करने की क्षमता भी कम होती है। ध्यान रहे गणित अमूर्त विषय है और अमूर्त विषय में अमूर्त्त चिंतन करने की आवश्यकता होती है।
- (6.)बुद्धिमान व्यक्ति प्रायः कठिन एवं जटिल कार्य को समझकर करते हैं।इनके कार्यों में जटिलता अधिक होती है।
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5.बुद्धिपूर्वक कार्य करने का दृष्टांत (An Example of Working Wisely):
- जो बुद्धिहीन व्यक्ति एवं विद्यार्थी है उसका कल्याण शास्त्र और धर्मग्रंथ भी नहीं कर सकते हैं जैसे अपंग व्यक्ति के लिए साइकिल तथा मोटरसाइकिल किसी काम की नहीं होती है।आंख के अंधे के लिए दर्पण किसी काम का नहीं होता है।सद्बुद्धि थोड़ी सी भी जागी हुई हो तो धर्मग्रंथों,स्वाध्याय,सत्संग,बड़ों के उपदेश से उसकी बुद्धि गुणोत्तर रूप से बढ़ती जाती है।जो सोया हुआ हो अर्थात् जिसकी बुद्धि सोई हुई हो तो वह अपनी फजीहत ही कराता है।
- एक बार रामपुरा गांव के दो छात्र हेमंत व दिनेश घूमने के लिए त्रिवेणी गए।वे बाबा गंगादास महाविद्यालय में पढ़ते थे।उसी महाविद्यालय में चतरपुरा गांव के 2 विद्यार्थी हरि और श्याम पढ़ते थे।संयोग से उसी दिन अर्थात् रविवार को वे भी त्रिवेणी धाम में घूमने के लिए गए।हेमंत व दिनेश जब हरि और श्याम से मिले और उनका परिचय पूछा।
- हेमन्त ने हरि से कहा की मेरी बहन की सगाई की बात आपके गांव चतरपुरा में चल रही है।बात हरि से ही चल रही थी।हरि ने सीधे और स्पष्ट तरीके से बात न करके उत्तर दिया कि हाँ चल रही है।हेमन्त ने कहा कि आप उसको जानते हो क्या?हरि ने कहा कि जानते हैं। हेमन्त ने पूछा कि कौन है?हरि ने कहा कि हमारे दोनों में से किसी को भी समझ लो।तब हेमन्त के बात चुभ गई।उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए कहा कि कि यदि आपकी बहिन की बात भी इसी तरह चल रही हो तो इसी प्रकार दोनों में से किसी को भी पति के रूप में समझा जा सकता है क्या? हरि ने कहा कि बिल्कुल दोनों में से किसी को भी समझ सकते हैं।इस प्रकार हेमन्त ने बुद्धिपूर्वक सवाल किया और जवाब दिया।परन्तु हरि में बुद्धि नहीं थी इसलिये उसने अपनी फजीहत करवाई।
- उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें? (How do Students Develop Intelligence?),गणित के छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें? (How do Mathematics Students Develop Intelligence?) के बारे में बताया गया है।
6.गणित के अधिक हल पर उत्पाद (हास्य-व्यंग्य) (More Solution to Math Products) (Humour-Satire):
- गणित अध्यापक:सुरेश,जहां सबसे अधिक गणित के छात्र-छात्राएं हो और गणित सवाल करते हो वहां सबसे अधिक क्या पैदा होता है?
- सुरेश:सर (sir),वहाँ दिमाग का दही करने वाले गणितज्ञ रूपी प्रोडक्ट पैदा हो जाते हैं जो न तो दिन को आराम से रहने देते हैं और न रात को चैन से सोने देते हैं।
7.छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें? (How do Students Develop Intelligence?),गणित के छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें? (How do Mathematics Students Develop Intelligence?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.चंचल बुद्धि वाले व्यक्ति के क्या लक्षण हैं? (What are the Characteristics of a Person with Fickle Intelligence?):
उत्तर:जो व्यक्ति तथा विद्यार्थी भौतिक सुखों को,भौतिक संपत्ति को तथा शरीर को ऐशोआराम में रखे जाने वाले साधनों को सबसे अधिक महत्त्व देते हैं,उन्हीं को सब कुछ समझते हैं तथा चार्वाक दर्शन के समर्थक हैं।अपने जीवन को इस जन्म तक ही सीमित रखते हैं,इसके बाद में पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते हैं तथा न आत्मा-परमात्मा में विश्वास रखते हैं उनकी बुद्धि चंचल रहती है।वह संसार की नाना प्रकार की चीजों को भोगने में लगा रहता है और इन भोगों का कोई अंत नहीं होता है बल्कि जीवन ही समाप्त हो जाता है।इन्द्रियाँ भोगों और विषयों में आसक्त हो जाती है।एक रस से थक जाती हैं और दूसरे रस में संलग्न हो जाती है।इस प्रकार मन की लालसा खत्म नहीं होती है।विषयों में आसक्ति के कारण ऐसे व्यक्ति की बुद्धि चंचल रहती है।
प्रश्न:2.बुद्धिमान होने का क्या लक्षण है? (What are the Symptoms of being Intelligent?):
उत्तर:जो अपने लोगों के साथ उदारता,दूसरों पर दया,दुर्जनों के साथ शठता,साधुओं पर भक्ति,दुष्टों के साथ अभिमान,विद्वानों के साथ सरलता,शत्रुओं के साथ शूरता,बड़े लोगों के साथ क्षमा इस प्रकार जो मनुष्यों के साथ बर्ताव करने में कुशल है वह बुद्धिमान है।वही संसार में ठीक तरह से रह सकता हैं और उन्हीं से संसार रह सकता है।
प्रश्न:3.सात्विक बुद्धि के क्या लक्षण है? (What are the Characteristics of Combining Purity and Simplicity Intelligence?):
उत्तर:किस काम से हित होगा,किससे अहित होगा,क्या काम करना चाहिए,क्या नहीं करना चाहिए,भय कौनसी चीज है और निर्भयता क्या है,बंधन किन बातों से होता है और स्वतंत्रता किन बातों से मिलती है यह जिससे जाना जाता है वह उत्तम अर्थात् सात्त्विकी बुद्धि है।
धर्म,अर्थ,काम तीनों को जो अच्छी तरह विचार करता है,देखता है कि अर्थ क्या है और उसको किस प्रकार से सिद्ध किया जाय,धर्म क्या है और उसको किस प्रकार से सिद्ध करें तथा ऐसे कौनसे विघ्न है कि जिनके कारण से हम इन तीनों पुरुषार्थ को सिद्ध नहीं कर सकते हैं जो इन बातों को बुद्धि से विचार करता है वह बुद्धिमान है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें? (How do Students Develop Intelligence?),गणित के छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें? (How do Mathematics Students Develop Intelligence?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
How do Students Develop Intelligence?
छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें?
(How do Students Develop Intelligence?)
How do Students Develop Intelligence?
छात्र-छात्राएं बुद्धि का विकास कैसे करें (How do Students Develop Intelligence?)
विशेषकर गणित के छात्र-छात्राएं।छात्र-छात्राओं को अध्ययन करना होता है
इसलिए उन्हें बुद्धि का विकास करने की सबसे अधिक आवश्यकता है।
यों बुद्धि का विकास करने की आवश्यकता हर व्यक्ति को होती है।
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