Mathematics Room
1.गणित कक्ष (Mathematics Room),गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room):
- गणित कक्ष (Mathematics Room) गणित शिक्षण में अप्रत्यक्ष रूप से सहायक सामग्री की भूमिका निभाता है।गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) में सहायक सामग्रियों को उचित तरीके से रखा जाए तो छात्र-छात्राओं को गणित पढ़ने में प्रोत्साहन मिलता है।गणित सीखने में सहायक सामग्री के द्वारा रोचक,आकर्षक तथा उपयोगी बनाया जा सकता है।
- गणित की विषयवस्तु विज्ञान की प्रगति के कारण अधिक सूक्ष्म तथा विस्तृत होती जा रही है।इसलिए गणित की सूक्ष्म विषयवस्तु को स्थूल वस्तुओं के द्वारा पढ़ाया जाए तो विद्यार्थी ऐसी विषयवस्तु को जल्दी सीख लेता है।
छात्र-छात्राएँ गणित तथा अन्य विषय को सीखने में जितनी अधिक ज्ञानेन्द्रियों का प्रयोग करता है उतना ही ज्ञान स्थायी होता है।जैसे रेडियो के बजाय टेलीविजन इसलिए अधिक लोकप्रिय है क्योंकि रेडियो में केवल कानों का प्रयोग होता है जबकि टेलीविजन में कानों तथा आंखों दोनों का प्रयोग होता है।इसलिए ज्ञान के अधिक स्थायित्व के लिए अन्य इन्द्रियों का प्रयोग भी आवश्यक है। - व्याख्यान विधि इसलिए प्रभावी शिक्षण विधि नहीं है क्योंकि उसमें छात्र-छात्राओं को निष्क्रिय होकर केवल सुनना होता है।इस प्रकार के शिक्षण में जिसमें अध्यापक अधिक सक्रिय तथा छात्र निष्क्रिय होता है,नीरस व अरुचिपूर्ण शिक्षण होता है।
- गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) में सहायक सामग्रियों का प्रयोग करके तथा उसमें सहायक सामग्री को उचित स्थान पर रखकर छात्र-छात्राओं की जिज्ञासा को बढ़ाया जा सकता है।गणित कक्ष की व्यवस्था से अध्यापन को प्रभावी बनाया जा सकता है।
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(1.)गणित कक्ष की सजावट (Decoration of the गणित कक्ष (Mathematics Room)):
- गणित शिक्षण में महान् गणितज्ञों के चित्र,विभिन्न त्रिविमीय आकृतियों जैसे बेलन,घनाभ, प्रिज्म,शंकु इत्यादि उचित स्थान पर रखे जाने चाहिए।
- महान् गणितज्ञों के चित्रों को देखकर छात्र-छात्राओं में उनके बारे में जानने की उत्सुकता पैदा होती है।बेलन,घनाभ,प्रिज्म,शंकु इत्यादि प्रत्यक्ष वस्तुओं को देखकर उन्हें त्रिविमीय आकृतियों से सम्बन्धित समस्याएँ ठीक से समझ में आ जाती है।
- मौखिक शिक्षण में छात्र-छात्राएँ नीरस व उबाऊ महसूस करते हैं।परन्तु माॅडल,प्रत्यक्ष वस्तुओं तथा क्रियात्मक रूप से किसी वस्तु को देखकर समस्याओं को हल करने में छात्र-छात्राएँ रुचिपूर्वक भाग लेते हैं।
ऐसी वस्तुओं तथा सामग्रियों को देखकर छात्र-छात्राओं में प्रसन्नता का भाव जाग्रत होता है।वे गणित को हल करने में रुचि लेते हैं। - श्यामपट्ट व व्हाइट बोर्ड पर किसी चित्र को समझाने के लिए चाँदे,परकार,पैमाने इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए।जिससे छात्र-छात्राएँ सम्बन्धित समस्या को ठीक से समझ सकें।यदि सम्भव हो तो गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) में गणित की पुस्तकें होनी चाहिए जिसमें गणित की सन्दर्भ पुस्तकें हो।सन्दर्भ पुस्तकों को देखकर छात्र-छात्राओं को जिज्ञासा होती है।जो छात्र-छात्राएँ किसी टाॅपिक पर अधिक अध्ययन करना चाहते हैं वे सन्दर्भ पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं।
- दीवारों पर इस प्रकार के चार्ट लगे होने चाहिए जिसमें गणित के इतिहास के बारे में वर्णन हो।पुस्तकों को अलमारियों में रखा जाना चाहिए।अलमारियाँ पारदर्शी होनी चाहिए जिससे छात्र-छात्राएँ बाहर से देख सकें।
गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) को गणित विषय सामग्री से सजाने पर कमरे की शोभा बढ़ती है साथ ही छात्र-छात्राओं में गणित विषय को हल करने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने में भी मदद मिलती है।
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(2.)गणित कक्ष की शिक्षण में भूमिका (Role in teaching of the Mathematics Room):
- गणित विषय अमूर्त विषय है।इसलिए छात्र-छात्राओं को समझने में कठिनाई होती है।छात्र-छात्राओं की चिन्तन व तर्कशक्ति का विकास करने में सहायक सामग्रियों तथा शिक्षण कक्ष का उपयोग किया जा सकता है।
जैसे ग्राफ में दो राशियों में क्या सम्बन्ध होता है, इसे छात्र-छात्राएँ ग्राफ पेपर पर प्रत्यक्ष रूप से देखकर भलीभाँति समझ सकते हैं।इसी प्रकार दो वस्तुओं की तुलना को भी ग्राफ पेपर पर दर्शाया जाता है। - गणित कक्ष में छात्र-छात्राएँ आंख से देखकर, वस्तुओं को प्रत्यक्ष छूकर तथा शिक्षक द्वारा समझाने पर कानों से सुनकर गणित को हल करने के लिए प्रेरित होते हैं।इन सब सामग्रियों के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है।बल्कि जहाँ छात्र-छात्राओं को अध्ययन कराया जाता है उसी कक्ष में उपलब्ध होती है।
- एक ही जगह पर इस तरह की शिक्षण सामग्री से छात्र-छात्राओं में मौलिक चिन्तन करने की जिज्ञासा जाग्रत होती है।केवल व्याख्यान विधि से गणित की सूक्ष्म विषयवस्तु को पढ़ाना बहुत मुश्किल है विशेषकर सीनियर सैकण्डरी स्तर के बालकों तक।उच्चतर कक्षाओं में तो बालक फिर भी अमूर्त चिन्तन तथा मौखिक शिक्षण को समझ लेते हैं।परन्तु फिर भी हर स्तर के छात्र-छात्राओं को सहायक सामग्री के द्वारा गणित को आकर्षक, रुचिपूर्ण,सरस तथा आनन्दायक बनाया जा सकता है।
- आधुनिक युग में जो मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त प्रतिपादित हुए हैं उनमें यह बात प्रकट हुई है कि अध्यापक के बजाय छात्र-छात्राओं को अधिक क्रियाशील रखने से ज्ञान स्थायी,स्पष्ट तथा सार्थक सिद्ध हुआ है।
- गणित शिक्षण में अध्यापक की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि सहायक सामग्री का किस स्थान पर प्रयोग करना है तथा कब प्रयोग करने से छात्र-छात्राओं की जिज्ञासा को बढ़ाया जा सकता था,इसका निर्णय अध्यापक को ही लेना होता है।सहायक सामग्रियों का अत्यधिक प्रयोग भी शिक्षण को बोझिल कर देता है।
(3 )निष्कर्ष (Conclusion of Mathematics Room):
- गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) में सहायक सामग्री के प्रयोग से कठिन तथा नवीन सिद्धान्तों को आसानी से समझाया जा सकता है।प्रत्यक्ष वस्तुओं के प्रयोग से गणित के प्रत्ययों,सिद्धान्तों,संक्रियाओं को सरलतापूर्वक स्पष्ट किया जा सकता है।माॅडल्स,चार्ट,चित्र,वस्तुओं से छात्र-छात्राओं को प्रत्यक्ष ज्ञान होता है।प्रखर बुद्धि वाले छात्र-छात्राओं को उन्नत कोटि का चिन्तन,तर्क करने की प्रेरणा मिलती है।मन्दबुद्धि वाले छात्र-छात्राएँ स्थूल वस्तुओं को देखकर गणित की सूक्ष्म बातों को आसानी से समझ लेते हैं।
- त्रिभुज,आयत,वर्ग,चतुर्भुज इत्यादि के माॅडल व चित्रों को दिखाकर तथा उनसे समझाकर इनसे सम्बन्धित प्रत्ययों को कुशलतापूर्वक समझाया जा सकता है।
- विकसित देशों की कार्यप्रणाली तथा पाश्चात्य देशों में गणित को लोकप्रिय बनाने के फाॅर्मूलों को देखकर व उनको लागू करके भारत में गणित को जरूरी नहीं लोकप्रिय बनाया जा सकता है।जहाँ विकसित देशों में शत-प्रतिशत के लगभग साक्षरता पाई जाती है तथा वहाँ की आवश्यकताएँ व स्थितियाँ अलग हैं वहीं भारत की स्थिति व आवश्यकताएँ तथा साक्षरता के आँकड़ें अलग हैं।
- भारत में जहाँ आधुनिक युग में शिक्षित,पढ़े-लिखे लोग मिल जाएंगे वहीं अनपढ़ और बैलगाड़ी युग के व्यक्ति भी मिल जाएंगे।विकसित देशों में रहकर, विकसित देशों के माॅडल को अपनाकर भारत जैसे देश में उसी कार्यप्रणाली को नहीं अपनाया जा सकता है।भारत में तमाम तरह के विरोधाभास मिल जाएंगे।
- प्राचीन काल में गुरु शिष्यों को पढ़ाते थे।उनमें समर्पण,कर्मठता इतनी थी कि शिष्य तो क्या राजा,महाराजा तक उनके सामने मस्तक झुकाते थे।ऐसे गुरुओं के कारण ही आज इतना विपुल साहित्य मिलता है।उसमें अनेक ऐसे प्रसंग मिलते हैं कि शिष्यों को कैसे तैयार किया जाय?छात्र-छात्राओं को अध्ययन के प्रति कैसे तत्पर किया जाय?प्राचीन काल में गुरुओं में समर्पण, कर्मठा,तपोबल तथा अहंकारशून्य मिलते थे जिसके कारण भगवान् राम,श्रीकृष्ण,अर्जुन जैसे शिष्य तैयार होते थे।
अब आधुनिक युग में तप,समर्पण तथा अहंकारशून्य को नई शब्दावली में पिरोकर कहा जाता है कि स्मार्ट तरीके,हार्ड वर्क,पैशन से गणित का अध्ययन किया जाए तो गणित में सफलता प्राप्त की जा सकती है,गणित का बेहतरीन तरीके से अध्ययन किया जा सकता है। - वस्तुतः माॅडल्स,गणित प्रयोगशाला,गणित लाइब्रेरी, पहेलियां,गणित मेजिक स्क्वायर,गणितीय गूढ़ समस्याएँ,क्विज,गणितीय खेल के द्वारा प्रारम्भिक रुचि व जिज्ञासा तो पैदा की जा सकती हैं और इनसे बौद्धिक क्षमता का विकास भी होता है।परन्तु गणित का उच्चस्तरीय ज्ञान,उच्चकोटि का अध्ययन करने,उच्चकोटि का बौद्धिक विकास करने के लिए हमें हमारी प्राचीन भारतीय पद्धति में बताए गए समर्पण,कर्मठता,तप इत्यादि का ही सहारा लेना पड़ेगा।इसके अलावा ओर कोई शाॅर्टकट मेथड नहीं है जिसके आधार पर गणित में पारंगत हुआ जा सकता है।तप से तात्पर्य है कि विद्याग्रहण करने के लिए कष्ट सहन करना।कर्मठता से तात्पर्य है कि अपने अध्ययन कार्य को निपटाने के बाद अपने साथियों का भी सहयोग करना।समर्पण से तात्पर्य है कि अपने अध्ययन कार्य को ही सबसे अधिक प्रमुखता देकर अध्ययन करते रहना।
- उपर्युक्त विवरण में गणित कक्ष (Mathematics Room),गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) के बारे में बताया गया है।
(4.)युवकों का भविष्य चौपट (हास्य-व्यंग्य) [The Future of the Youth is Shattered (Humor-Satire)]:
- इस आर्थिक और तकनीकी युग में हमारे देश के युवकों का भविष्य एक अंधेर नगरी बना हुआ है यहां पर उनका खुद का राज चल रहा है जो स्वयं के साथ-साथ देश को चौपट किए दे रहे हैं।
- जैसे चौपट राजा का कानून था कि जिसके गले में फांसी का फंदा फिट बैठे उसे ही फांसी पर चढ़ा दो।भले ही अपराधी बच जाए परन्तु फाँसी का फंदा जिसके गले में फिट बैठता हो वह बचने न पाए।यहां पर युवक खुद ही चौपट राजा बना हुआ है और खुद को ही फांसी पर लटकाने का काम कर रहे है।
- आज युवकों व छात्र-छात्राओं को देखो तो अधिकांश का शिक्षा का मामला चौपट दिखाई देता है।धन पाने और भोगवादी संस्कृति की लालसा में अन्धे बने हुए हैं।शिक्षा प्राप्त करने के बजाय यौन शिक्षा का सैद्धांतिक और प्रैक्टिकल ज्ञान अर्जित कर रहे हैं।कोई कहने-सुनने वाला नहीं है।
- कुछ माता-पिता जानते हुए और कुछ माता-पिता अनजाने में कुछ कहते नहीं है।आंख बंद किए हुए हैं।युवक-युवतियां एक दूसरे को भोगने तथा सेक्स का पूरा मजा लेने में लगे हुए हैं।माता-पिता बच्चों का भला करने में दिन रात लगे हुए हैं और दूसरी तरफ उनके बच्चों का ओर ही तरह का भला हो रहा है।
- मन बेलगाम घोड़े की तरह होता है जो सही-गलत का निर्णय नहीं कर पाता है।कोई हिम्मत करके कह दे तो युवक-युवतियों का कहना है कि यह मौज मजा और मस्ती करने का समय है।इससे मन हल्का होता है और दिल बहलाव हो जाता है।
- यह सब देख सुनकर मन में कई प्रश्न उठते हैं।काश ऐसा सेक्सी मेनिया (उन्माद) का माहौल सुधर सके।युवक-युवतियाँ कामदेव मेनिया से बाहर निकलकर कुछ अच्छा सोचें,करें।
2.गणित कक्ष (Mathematics Room),गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.क्या एक अच्छा गणित कक्षा बनाता है? (What makes a good math classroom?):
उत्तर:एक प्रभावी गणित कक्षा में,एक पर्यवेक्षक को यह पता लगाना चाहिए कि शिक्षक है: छात्रों के अलग-अलग विचारों की स्वीकृति का प्रदर्शन करना।शिक्षक छात्रों को उन समस्याओं के बारे में गहराई से सोचने की चुनौती देता है जिन्हें वे हल कर रहे हैं,समस्या को हल करने के लिए आवश्यक समाधान और एल्गोरिदम से परे पहुंचते हैं।
प्रश्न:2.मुझे अपने गणित कक्षा के लिए क्या चाहिए? (What do I need for my math classroom?):
उत्तर:15 आइटम हर उच्च प्राथमिक विद्यालय गणित कक्षा की जरूरत है
व्यक्तिगत व्हाइटबोर्ड।मैं हर समय अलग-अलग व्हाइटबोर्ड का उपयोग करता हूं।
सूखी मिटाने का मार्कर.उच्च प्राथमिक विद्यालय गणित की आपूर्ति के पवित्र ग्रेल (holy grail).
व्यक्तिगत व्हाइटबोर्ड इरेज़र।
नोटबुक।
पूर्व तेज पेंसिल (Pre-Sharpened Pencils).
कैलकुलेटर.
आपूर्ति के लिए पत्रिका धारकों (Magazine Holders for Supplies).
इलेक्ट्रिक पेंसिल शार्पनर
प्रश्न:3.एक पूर्वस्कूली गणित केंद्र में क्या होना चाहिए? (What should be in a preschool math center?):
उत्तर:सुझाए गए गणित सामग्री और जोड़तोड़ (Manipulatives)
काउंटर (Counters),छँटाई ट्रे (Sorting Trays),गिनती खिलौने (Counting Toys),पासा (Dice),abacuses,संख्या बोर्डों (Number Boards) और संख्या खेल (Number Games) सभी महान गणित सामग्री अपने केंद्र में शामिल करने के लिए कर रहे हैं।
प्रश्न:4.अपने गणित के पाठ में सहयोग का उपयोग करने के लिए आप कौन सी गतिविधि करेंगे? (What activity will you do to use collaboration in your math lesson?):
उत्तर:सहयोगी गणित गतिविधि:ज्यामिति एकाग्रता (Geometry Concentration)।
सहयोगी गणित गतिविधि:मेक-ए-टेन गो मछली (Make-A-Ten Go Fish)।
सहयोगी गणित गतिविधि:टिक-टीएसी-पैर की अंगुली गणित (Tic-Tac-Toe Math)।
सहयोगी गणित गतिविधि:गणित भूमि खेल बोर्डों (Math Land Game Boards).
सहयोगी गणित गतिविधि:कैंडी बार भिन्न (Candy Bar Fractions)।
प्रश्न:5.सहयोगी सीखने का गणित क्या है? (What is collaborative learning math?):
उत्तर:सहयोगी सीखने (Collaborative learning) (सीएल) में उन छात्रों की एक टीम शामिल है जो विचारों को साझा करने,किसी समस्या को हल करने या एक सामान्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक साथ काम करने के माध्यम से सीखते हैं।
सीएल संरचना परिभाषित करती है कि छात्र समूह कैसे बनते हैं (आमतौर पर शिक्षक असाइनमेंट द्वारा) और समूह के सदस्यों से कैसे बातचीत करने की उम्मीद की जाती है।
प्रश्न:6.सहयोगी और सहकारी सीखने के बीच अंतर क्या है? (What’s the difference between collaborative and cooperative learning?),सहकारी और सहयोगी शिक्षा क्या है? (What are cooperative and collaborative learning? ):
उत्तर:सहयोगी शिक्षा शिक्षण (Collaborative learning) और सीखने की एक विधि है जिसमें छात्र एक महत्वपूर्ण प्रश्न का पता लगाने या एक सार्थक परियोजना बनाने के लिए एक साथ टीम बनाते हैं।
सहकारी शिक्षा (cooperative learning) में,छात्र एक संरचित गतिविधि पर छोटे समूहों में एक साथ काम करते हैं।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित कक्ष (Mathematics Room),गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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गणित कक्ष (Mathematics Room) गणित शिक्षण में अप्रत्यक्ष रूप से सहायक सामग्री की भूमिका निभाता है।
गणित शिक्षण कक्ष (Mathematics Teaching Room) में
सहायक सामग्रियों को उचित तरीके से रखा जाए तो छात्र-छात्राओं को गणित पढ़ने में प्रोत्साहन मिलता है।
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