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Argument and Power for Success in JEE

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2 2.संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Argument and Power for Success in JEE),जेईई परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Use of Logic and Strength for Success in Joint Entrance Exam) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1.संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Argument and Power for Success in JEE),जेईई परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Use of Logic and Strength for Success in Joint Entrance Exam):

  • संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Argument and Power for Success in JEE) करें तो सफलता प्राप्त की जा सकती है।जेईई-मेन 2022 प्रथम,द्वितीय,तृतीय तथा चतुर्थ चरण की परीक्षा में लगभग 2 से 4 माह का समय शेष है।इसलिए यदि युक्ति और शक्ति का प्रयोग करना जान-समझ सकते हैं।महाकवि कालिदास ने कहा है कि जहां युक्ति और शक्ति दोनों से काम लिया जाता है वहां सब ओर से सफलता मिलती है।
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(1.)युक्ति का उपयोग (Use of Argument):

  • युक्ति (yukti) को अंग्रेजी में Argument, suitable (उपयुक्त),meaningful (सार्थक), logic (तर्क),device,skill,plea,उपाय आदि कहा जाता है।
  • अध्ययन विषयों में तथा गणित विषय का अध्ययन करते समय हम जान जाने अनजाने तर्क का बहुत (व्यापक) प्रयोग करते रहते हैं।जिन सामान्य विचारों को लेकर हम जीते हैं उन सामान्य विचारों से विशेष घटनाओं को देखकर अथवा विशेष तथ्य के संबंध में निष्कर्ष निकाल लेना अथवा अनुमान लगा लेना हमारी आदत बन गया है।किसी संख्या के अंत में 2 को देखकर सम संख्या का अनुमान,बादल को देखकर वर्षा का अनुमान तर्क के उदाहरण है।
  • इसी प्रकार विशिष्ट उदाहरणों के द्वारा एक सामान्य निष्कर्ष पर पहुंचते हैं अथवा एक घटना के घटित होने पर बार-बार पुनरावृति होती है तो उसके संबंध में एक सामान्य धारणा या निष्कर्ष निकालते हैं।इस प्रकार के तर्क को आगमन तर्क (Inductive Reasoning) कहते हैं।जैसे:15 के अंकों का योग (1+5=6) 3 से विभाजित है,27 के अंकों का योग (2+7=9) 3 से विभाजित है,105 के अंकों का योग (1+0+5=6) 3 से विभाजित है।अतः वे सभी संख्याएं जिनके अंको का योग 3 से भाज्य है वह तीन से विभाजित होती है।
  • विद्यार्थी अध्ययन इसलिए करते हैं कि किसी समस्या या कठिनाई पर विचार करना उनका स्वभाव बन सके।क्योंकि विचार करते-करते ही उसे युक्तियां या तर्क का प्रयोग करना आता है।तर्क विचारों की सहायता के नियम निर्धारित करता है, विचारों के नियम बनाता है।इन नियमों के आधार पर सभी प्रकार के पक्षपात,स्वार्थ आदि से ऊपर उठकर सत्यता तक पहुंचा जा सके।इस प्रकार चिंतन,विचार की क्रियाओं का ऐसा वर्णन जिसमें प्रमुख रुप से वाक्यों के रूप,आकार और पारस्परिक संबंधों की ओर ध्यान दिया जाता है,न कि उसकी विषयवस्तु पर।तार्किक वाक्यों का अनुमान द्वारा किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है। अनुमान कई प्रकार के होते हैं और उन नियमों की खोज और स्पष्टीकरण करना तर्कशास्त्र का विषय क्षेत्र है।यह समझने के लिए की अनुमान नियमानुसार है या नहीं इसके लिए उन भूलों,गलतियों और हेत्वाभासों का ज्ञान भी आवश्यक है जिनसे हमें बचना है।इसलिए तर्कदोषों का अध्ययन भी तर्कशास्त्र का एक महत्वपूर्ण अंग है।
  • अरस्तू ने सबसे पहले तर्कशास्त्र को व्यवस्थित रूप दिया।अरस्तु का तर्कशास्त्र निगमनात्मक (Deductive) है।सोलहवीं शताब्दी में कई क्रांतियाँ हो चुकी है जिनमें दो विशेष रूप से उल्लेखनीय है: पहली वह क्रांति जो काण्ट और हेगल की द्वन्द्वात्मक पद्धति (Dialectical Method) से हुई और दूसरी वह जो आधुनिक युग में गणितीय और प्रतीकात्मक पद्धतियों से।
  • वैचारिक प्रक्रियाओं का अध्ययन तर्कशास्त्र को एक ओर मनोविज्ञान के निकट लाता है और दूसरी ओर ज्ञानमीमांसा के।तत्व मीमांसा या नीतिशास्त्र से तर्कशास्त्र का सीधा संबंध नहीं है।
  • तर्क की उपर्युक्त आगमन और निगमन ये प्रणालियां युक्तियां कहलाती है।युक्ति का अर्थ वाक्यों की उस श्रृंखला से है जिसमें प्रयोग किए गए एक या अधिक वाक्यों के आधार पर किसी निष्कर्ष का अनुमान लगाते हैं।अर्थात् युक्ति ज्ञात से अज्ञात का अनुमान ज्ञान है।
  • यदि युक्ति का निष्कर्ष आधार वाक्यों से तार्किक दृष्टि से अनुमित होता है तो युक्ति वैद्य (Valid) कहलाती है।यदि निष्कर्ष आधार वाक्यों से अनुमित नहीं होता है अर्थात् कुतर्कित है तो युक्ति अवैद्य होती है।युक्ति का वैध या अवैध होना युक्ति के सुतर्कित या कुतर्कित होने पर निर्भर होता है।आधार वाक्य या निष्कर्ष वाक्य के सत्य या असत्य होने से युक्ति की वैधता या अवैधता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।यहां सत्य से अर्थ है अनुभव सापेक्ष सत्य से है।तर्कशास्त्र आकारिक अध्ययन है।वैधता युक्ति का आकारिक गुण है।
  • सत्य:अनुभव सापेक्ष और अनुभव निरपेक्ष (Truth:A Posteriori and A Priori):
    अनुभव सापेक्ष सत्य से तात्पर्य उस सत्य से है जो अनुभव की अपेक्षा रखता हो अर्थात् अनुभव द्वारा प्रमाणित किया जा सके।जैसे:(1.)पुस्तकें आलमारी में है।(2.)विद्यालय बाजार में है।
  • अनुभव निरपेक्ष सत्य अपनी सत्यता की प्रामाणिकता के लिए किसी प्रकार के अनुभव की अपेक्षा नहीं रखता।जैसे:(i)4 और 6 दस होते हैं।(ii)चतुर्भुज के चारों कोणों का योग 360° होता है।(iii)दो तिर्यक रेखाएं एक दूसरे को एक बिंदु पर काटती हैं।
    ये वाक्य अपनी सत्यता के लिए अनुभव पर निर्भर नहीं है क्योंकि ये वाक्य तथ्यात्मक (Factual) नहीं है अर्थात् किसी तथ्य का वर्णन नहीं करते।इन वाक्यों की सत्यता की जांच के लिए इनमें प्रयुक्त शब्दों के अर्थों को जानना आवश्यक है और यह जानना अर्थात् यह ज्ञान अनुभव से नहीं होता।यह विशुद्ध बौद्धिक ज्ञान है।इनकी सत्यता या असत्यता में तार्किक अनिवार्यता एवं सार्वभौमिकता (Certainty and Universality) है।इसलिए इन वाक्यों का सत्य अनुभव निरपेक्ष सत्य कहलाता है।
  • (i)युक्तियां सत्य या असत्य नहीं होती।युक्ति वैद्य या अवैद्य होती हैं।
  • (ii)वैधता युक्तियों का आकारिक गुण है।युक्ति की वैधता के लिए प्रयुक्त वाक्यों के सत्य या असत्य होने से कोई अंतर नहीं पड़ता है।वैधता के लिए आवश्यक है की युक्ति सुतर्कित हो उसका निष्कर्ष उसके आधार वाक्यों में तार्किक दृष्टि से निकलता हो।
  • (iii)वाक्य सत्य या असत्य होते हैं।वाक्यों के लिए वैद्य या अवैद्य शब्दों का प्रयोग नहीं होता।
  • (iv)किसी युक्ति के आधार वाक्य यदि सत्य हों और युक्ति सुतर्कित हो तो निष्कर्ष अनिवार्य रूप से सत्य होता है।अन्य सभी अवस्थाओं में आधार वाक्य तथा निष्कर्ष वाक्य सत्य या असत्य हो सकते हैं।
  • सामान्यतः जेईई की परीक्षाओं में उत्तर सत्य या असत्य के बारे में पूछा जाता है।अब हम देखते हैं कि युक्ति इन प्रतियोगिता परीक्षाओं में कैसे सहायक है।
  • उदाहरणार्थ:निम्न संबंध संक्रामक है या नहीं है (उदाहण 1 व 2)
  • उदाहरण:1.R={(x,y):x,y की पत्नी है}
    हल:y की पत्नी है x
    x की पत्नी है z
    निष्कर्ष y की पत्नी है z
    यह युक्ति वैद्य तो है परंतु उपर्युक्त आधार वाक्य असत्य है।क्योंकि x पत्नी है अर्थात् महिला है तो उसकी पत्नी z नहीं हो सकती है।अक्सर विद्यार्थियों को प्रश्न का उत्तर सत्य या असत्य पूछा जाता है।अतः इसका उत्तर होगा यह संक्रामक नहीं है।
  • उदाहरण:2.R={(x,y):x,y के पिता हैं}
    (i)y के पिता है x
    (ii)x के पिता है z
    (iii)निष्कर्ष:अतः y के पिता z है।
  • वस्तुत:किसी भी व्यक्ति के एक ही पिता हो सकता है।इसलिए निष्कर्ष असत्य है क्योंकि y के पिता x तथा z दोनों नहीं हो सकते हैं।परंतु उपर्युक्त युक्ति वैद्य है क्योंकि आधार वाक्यों से निष्कर्ष तार्किक रूप से अनुमित है।इसलिए इसका उत्तर वैद्यता या अवैद्यता के आधार पर न देकर सत्यता या असत्यता के आधार पर देना है।अतः यह संक्रामक सम्बन्ध नहीं है।
  • उदाहरण:3.{{2}^2}^1 (एक अविभाज्य संख्या है)
    {{2}^2}^2(एक अविभाज्य संख्या है)
    {{2}^2}^3 (एक अविभाज्य संख्या है)
  • उपयुक्त उदाहरणों से सामान्य निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि {{2}^2}^n(एक अविभाज्य संख्या है)
    आगमन तर्क की यह विशेषता होती है कि सामान्यीकरण से जो सिद्धांत स्थापित किया जाता है वह सदैव सत्य होना चाहिए।
  • उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि {{2}^2}^n (एक अविभाज्य संख्या है)।यहां n एक प्राकृत संख्या है।
    इस सिद्धांत को सत्य मान लिया गया क्योंकि n (प्राकृतिक प्राकृतिक संख्या) के किसी भी सिद्धांत के लिए सत्य सिद्ध हुआ।किंतु Leonhard Euler ने सिद्ध किया कि यह सिद्धांत {{2}^2}^5 के लिए सत्य नहीं है।इस विद्वान गणितज्ञ ने स्पष्ट किया कि जब {{2}^2}^5=4294967297 जबकि यह एक अविभाज्य संख्या नहीं है क्योंकि 4294967297 को 641 से विभाजित किया जा सकता है।
  • उदाहरण:4.4=2+2
    5=3+2
    6=3+3
    7=5+2
    8=3+5
  • प्रसिद्ध गणितज्ञ गोल्डबाक ने खोज की कि 2 के अलावा प्रत्येक सम प्राकृत संख्या को दो अविभाज्य संख्याओं का योग करें लिखा जा सकता है।
  • उदाहरण:5.5,15,25,35,45,55,…में प्रत्येक संख्या को 5 से विभाजित किया जा सकता है।
    आगमन तर्क से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि “प्रत्येक संख्या जिसमें इकाई के स्थान पर पांच हो वह संख्या 5 से विभाज्य है।
  • उदाहरण:6.x^{1}-1=x-1
    x^{2}-1=(x-1)(x+1)
    x^{3}-1=\left(x-1\right)\left(x^{2}+x+1\right)
    x^{4}-1=\left(x-1\right)\left(x+1\right)\left(x^{2}+1\right)
    x^{5}-1=\left(x-1\right)\left(x^{4}+x^{3}+x^{2}+x+1\right)….
  • उपर्युक्त उदाहरणों में विविष्ट उदाहरणों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि x^{n}-1 (n यह प्राकृतिक संख्या है) को ऐसे गुणनखंडों में प्रकट किया जा सकता है जिसमें प्रत्येक राशि का गुणांक 1 से अधिक नहीं होगा (निरपेक्ष मान से)।
  • उपर्युक्त सिद्धांत गणित जगत् में सर्वमान्य था किन्तु रूस के गणितज्ञ वी. इवानोव ने 1941 ईस्वी में सिद्ध किया कि यदि n=105 हो तो x^{105}-1 के विस्तार में एक राशि का गुणा 1 से अधिक है।
    x^{105}-1\Rightarrow x^{48}+x^{47}+x^{46}-x^{43}-x^{42}-x^{41}-x^{40}-x^{39}+x^{36}+x^{35}+x^{34}+x^{33}+x^{32}+x^{31}-x^{28}-x^{26}-x^{24}-x^{22}-x^{20}+x^{17}+x^{16}+x^{15}+x^{14}+x^{12}-x^{9}-2x^{7}-x^{5}+x^{2}+x+1
  • आगमन तर्क में निरूपित करने के पश्चात् भी कभी-कभी ऐसा उदाहरण पाया जा सकता है जो सिद्धांत पर लागू नहीं होता हो।उपर्युक्त उदाहरण इस तथ्य को उजागर करता है।अतः विशिष्ट उदाहरणों का विस्तार से निरीक्षण या अध्ययन करने के पश्चात् ही किसी नियम या सिद्धांत को प्रतिपादित किया जाना चाहिए।
  • दूसरी बात JEE जैसी परीक्षाओं में सामान्यत: यह ध्यान रखना चाहिए कि युक्ति के वैद्य होने या अवैद्य होने के बारे में पूछा जा रहा है या वाक्यों के सत्य या असत्य होने के बारे में पूछा जा रहा है।
  • इस प्रकार JEE जैसी परीक्षाओं के लिए युक्तिसंगत तैयारी ही आवश्यक नहीं है।युक्ति दोष मुलक हो सकती है।इसका पता हमें अनुभव तथा सद्बुद्धि से पता चलता है।इसलिए हमें शक्ति का प्रयोग करना होता है।

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(2.)शक्ति का उपयोग (Use of Power):

  • शक्ति को अंग्रेजी में Power,Strength,Energy, Potency,Godess of Power कहा जाता है। शक्ति का शाब्दिक अर्थ बल,सामर्थ्य,क्षमता, योग्यता,भगवद्-शक्ति (माया,प्रकृति),दुर्गा,लक्ष्मी,गौरी,शब्द शक्ति (अभिधा,लक्षणा,व्यंजना),ज्ञान,ऊर्जा इत्यादि है।
  • उपर्युक्त शाब्दिक अर्थ से स्पष्ट है कि शक्तियों को कई प्रकार माना जाता है।वास्तव में आद्यशक्ति एक ही है।पाश्चात्य देशों में पिता के भय से परमपिता की भावना तो करते हैं और भय से भगवान् की उत्पत्ति मानते हैं,पर माता की ममता से उत्पन्न,मातृत्व की कल्पना से उत्पन्न जगदंबा की भावना वे स्वीकार नहीं करते।बच्चा पिता से पहले माता को पहचानता है।जगदंबा की उपासना,शक्ति की उपासना सबसे पुरानी है और त्रिकोण आदि उसी के प्रतीक हैं। मातृत्व की उपासना,भगवती की उपासना उस समय से है जब समूचा पश्चिम देश वीरान पड़ा था। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई हुई है,उसमें आज से 5000 वर्ष पूर्व सिन्ध देश में भारतीय सभ्यता का प्रमाण मिलता है।यहां भी राजा की मुहर पर देवी की मूर्ति बनी हुई है।माता को,शक्ति को सृष्टि में प्रधान मानकर उपासना करना हजारों वर्ष पूर्व हमने सीखा था।माँ का महत्त्व,शक्ति का महत्त्व स्त्री जाति का महत्त्व है।संसार में जो कुछ सत्य,शिव तथा सुंदर है,वह स्त्री जाति के कारण है।माँ कहिए,माता कहिए,महिला कहिए या अंग्रेजी में मदर कहिए हमारे जीवन में सबसे प्यारा शब्द माता,सबसे प्यारा अक्षर म है।बच्चा पैदा होते ही किसी भी देश तथा सभ्यता का रहने वाला हो,म अक्षर का उच्चारण करता है।
  • इसलिए विद्यार्थियों के लिए आगम (तंत्रशास्त्र) तथा निगम (वेद) माता के समान है।आगम व्यवहारशास्त्र (Practical) है तथा वेद यानि निगम सिद्धांत (Theory) है।हमारे आध्यात्मिक ज्ञान के ये दो ही आधार हैं।किसी भी विषय के विद्यार्थी को आगम और निगम का थोड़ा सा ज्ञान तो प्राप्त कर ही लेना चाहिए।भारतीय ज्ञान की धारा इन दो रूपों में प्रवाहित हुई है।प्रकृति और पुरुष,शक्ति और शिव का योग होकर संसार और परमार्थ दोनों बनते हैं।
  • आगम-शास्त्र तीन शक्तियों का निर्देश करते हैं।इनमें सबसे महत्त्व की इच्छाशक्ति (Willpower) है जिसके द्वारा ज्ञान और क्रिया दोनों की प्रगति होती है।समूचा विश्व शक्ति से ही उत्पन्न है,शक्तिरूप ही है।शिव में से “इ” निकाल देने से,परम कल्याणकारी शिव “शव”अकल्याणकर मुर्दा बन जाता है,इसलिए संसार में जो कुछ भी है,शक्ति है।इसलिए मनुष्य में,विद्यार्थी में अद्भुत परमाणुक शक्ति छिपी हुई है। उसे जागृतकर,उभारकर, निखारकर विद्यार्थी अद्भुत लाभ उठा सकता है।
  • हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि मानव शरीर में छ: चक्र होते हैं यथा आधार या मूलाधार (सुषुम्ना के आधार पर),स्वाधिष्ठान (जननेन्द्रिय के पास),मणिपुर (नाभि के पास),अनाहत (हृदय के पास),विशुद्ध (गले के पास) एवं आज्ञाचक्र (भौंहों के मध्य में)।इनके अतिरिक्त,मस्तक के (ललाट के) भीतर सहस्रदल के बीजकोश के रूप में ब्रह्मरन्ध्र हैं।
  • इस प्रकार शक्ति की परिभाषा है:परम शिव का सृष्टि के प्रति उन्मुख होना,उर्ध्वमुख होना-इसी का नाम शक्ति है।विद्यार्थियों को अपनी इच्छाशक्ति (संकल्प शक्ति) को पहचानना होगा,समझना होगा और उसका उपयोग अपने अध्ययन,काॅम्पीटिशन की तैयारी,अपने सांसारिक कर्तव्यों का पालन करने,अपने कोर्स का अध्ययन करने में करना होगा।क्योंकि तर्क और युक्ति का संबंध बुद्धि से है और बुद्धि से आप विशिष्ट ज्ञान अर्थात् इंजीनियरिंग,डॉक्टरेट इत्यादि का ज्ञान,कुशलता व ट्रेनिंग प्राप्त कर सकते हैं।परंतु व्यावहारिक ज्ञान,योग्यता,स्किल व जीवन की ठोस सच्चाइयों का समाधान करने की समझ प्राप्त करना भी उतना ही जरूरी है।केवल किताबी ज्ञान,प्रशिक्षण के आधार पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है।सैद्धांतिक ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान (प्रैक्टिकल) भी आवश्यक है।

(3.)सारांश (Conclusion of Argument and Power for Success in JEE):

  • छात्र-छात्राओं को तर्क व युक्ति का दास नहीं होना चाहिए क्योंकि तर्क व युक्ति का संबंध बुद्धि से है। बुद्धि से द्वंद्व पैदा होता है।जीवन की समस्याओं का समाधान बुद्धि से नहीं किया जा सकता है।इसलिए शक्ति अर्थात् संकल्प शक्ति का उपयोग करना आवश्यक है।बुद्धि का संबंध विचारों से,चिंतन से तथा बाहर से है।
  • जबकि संकल्प शक्ति का अर्थ है जहां कोई विकल्प नहीं अर्थात् मन का एकाग्र होना (Concentrate) ध्यान की स्थिति को प्राप्त होना।यह स्थिति तब होती है जब हम बोधपूर्वक,होशपूर्वक होते हैं अर्थात् आत्मा से निर्देशित होते हैं।अतः बुद्धि का उपयोग किया जा सकता है जबकि इस पर ज्ञान (विवेक) का नियन्त्रण होता है।ज्ञान (विवेक शक्ति),संकल्प शक्ति तथा तर्क व युक्ति से हम सफलता प्राप्त करते हैं।जीवन की भौतिक,व्यावहारिक व आध्यात्मिक समस्याओं को हल कर पाते हैं।इस प्रकार जब बुद्धि का प्रयोग किया जाता है तो यह सद्बुद्धि होती है जिसे ऋतंभरा प्रज्ञा कहा जाता है।ऋतम्भरा अर्थात् ऐसी बुद्धिशक्ति जो केवल सत्य को धारण करती है जिसमें असत्य का बिल्कुल अंश न हो,शाश्वत सत्य को धारण करने वाली प्रज्ञा।
  • बहुत बार प्रतियोगिता परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं सोचते हैं कि बहुत अधिक परिश्रम करने,पुरुषार्थ करने पर भी सफलता हासिल नहीं होती है।हासिल भी होती है और वे किसी उच्च पद पर नियुक्त हो जाते हैं तो भ्रष्टाचार में लिप्त होते देखे जाते हैं।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बुद्धि के बल पर पद,प्रतिष्ठा तथा सफलता प्राप्त करते हैं।लेकिन ऐसे व्यक्तियों को जीवन में आत्म शान्ति,सुख तथा आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती है।
  • उपर्युक्त विवरण में संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Argument and Power for Success in JEE),जेईई परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Use of Logic and Strength for Success in Joint Entrance Exam) के बारे में बताया गया है।

2.संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Argument and Power for Success in JEE),जेईई परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Use of Logic and Strength for Success in Joint Entrance Exam) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.आपके पास सफल तर्क कैसे है? (How do you have successful argument?):

उत्तर:यहां पांच सुझाव दिए गए हैं ताकि आप एक तर्क में प्रभावी ढंग से संवाद कर सके और अपना खुद का आयोजन कर सके:
तथ्यों पर अडिग रहें।अपने आप से पूछें कि क्या आप किसी तथ्य या एक राय का संचार कर रहे हैं। तथ्यों पर अडिग रहें।तर्कों के साथ,वस्तुनिष्ठ होना आत्मनिष्ठ होने से अधिक शक्तिशाली और प्रभावी है।
व्यक्ति को यह न बताएं कि क्या करना है।

प्रश्न:2.प्रभावी तर्क क्या हैं? (What are effective arguments?):

उत्तर:हर तर्क एक दावे के साथ शुरू करना चाहिए।
यह एक प्रस्ताव (proposition),स्थिति या परिकल्पना कहते हैं, लेकिन दावा एक निश्चित कथन है जो कि तर्क की थीसिस underlies और समर्थन की मांग है।”गर्मियों में वर्ष का सबसे अच्छा मौसम है।

प्रश्न:3.चार प्रमुख तर्क क्या हैं? (What are the four major arguments?):

उत्तर:तर्कों को चार सामान्य घटकों में विभाजित किया जा सकता है:दावा (claim),कारण (reason), समर्थन (support) और वारंट (warrant)।

प्रश्न:4.5 प्रकार के तर्क क्या हैं? (What are the 5 types of arguments?):

उत्तर:विभिन्न प्रकार के तर्क
निगमनिक (deductive)।
आगमन (inductive)।
महत्वपूर्ण तर्क (critical reasoning)।
दर्शन (philosophy)।
तर्क (arguments)।
तर्क (arguments)।

प्रश्न:5.छह तर्क क्या हैं? (What are the six arguments?):

उत्तर:ब्रॉकराइड (Brockriede’s) की छह तर्क विशेषताएं
अफेरेंटल लीप (Inferential leap)।यह विश्वासों में एक परिवर्तन है या तो एक नया एक छलांग या एक मौजूदा एक मजबूत ।
कथित तर्क (Perceived rationale)।
प्रतिस्पर्धी दावे (Competing claims)।
अनिश्चितता विनियमन (Uncertainty regulation)।
टकराव का खतरा (Confrontation risk)।
संदर्भ का साझा फ्रेम (Shared frame of reference)।

प्रश्न:6.आलोचनात्मक सोच में एक अच्छा तर्क क्या है? (What is a good argument in critical thinking?):

उत्तर:एक अच्छा तर्क यह है कि जब निष्कर्ष पूर्वधारणाओं (premises) से इस प्रकार है और ये पूर्वधारणाएँ (premises) स्वीकार्य हैं।सच हो।एक गैर निगमन तर्क का मूल्यांकन करने के लिए,शोधकर्ता को निर्धारित करना चाहिए कि तर्क आगमन तर्क (inductive reasoning),एक सादृश्य (analogy),कारण से (from cause) या एक अधिकार से (from an authority) का उपयोग कर बनाया गया है।

प्रश्न:7.तर्क में एक अच्छा तर्क क्या है? (What is a good argument in logic?):

उत्तर:एक अच्छा तर्क एक तर्क है कि या तो वैध या मजबूत है और प्रशंसनीय पूर्वधारणा (premises) है कि सच है के साथ, सवाल नहीं मांगती है और निष्कर्ष के लिए प्रासंगिक हैं।अब जब आप जानते हैं कि एक अच्छा तर्क क्या है, तो आपको यह समझाने में सक्षम होना चाहिए कि इन कथनों को गलत क्यों किया जाता है।

प्रश्न:8.तर्क कैसे एक छात्र के रूप में मदद कर सकता हैं? (How arguments can help you as a student?):

उत्तर:तर्क लेखन
प्रशिक्षक तार्किक लेखन सौंपते (assign) हैं तो छात्रों को एक सावधान,व्यवस्थित तरीके से अपने और दूसरे के विचारों की जांच सीख सकते हैं।तर्क हमें अपने विचारों को स्पष्ट करने और उन्हें ईमानदारी से और सही ढंग से मुखर करने और दूसरों के विचारों को सम्मानजनक और आलोचनात्मक तरीके से विचार करने में मदद करता है।

प्रश्न:9.एक अच्छी सफलता बोली क्या है? (What is a good success quote?):

उत्तर:”अपनी सफलता का रहस्य अपने दैनिक एजेंडे से निर्धारित होता है।””लेकिन मुश्किल जीवन लग सकता है, वहां हमेशा तुम कुछ कर सकते है और सफल होता है।” “आपकी सकारात्मक कार्रवाई सफलता में सकारात्मक सोच के परिणाम के साथ संयुक्त करती है” “सफलता अंतिम नहीं है,असफलता घातक नहीं है:यह साहस है कि मायने रखता है जारी है ।

प्रश्न:10.शॉर्ट पावर कोट्स क्या हैं? (What are short Power quotes?):

उत्तर:यहां आपके पढ़ने के लिए,कोट्स (Quotes) है याद करने और फिर से बताने के लिए मेरे पसंदीदा लघु उद्धरण के कोट्स हैं:
सभी के लिए प्यार,किसी के लिए नफरत नहीं ।
खुद होने से दुनिया बदलें।
हर पल एक नई शुरुआत है।
कभी भी ऐसी किसी बात का अफसोस न करें,जिससे आप मुस्कुराएं ।
यादों के साथ मर जाते हैं,सपने नहीं।
हम समाप्त होने से पहले प्रेरित करने की ख्वाहिश रखें।

प्रश्न:11.शक्ति के बारे में कुछ अच्छे उद्धरण क्या हैं? (What are some good quotes about power?):

उत्तर:पावर कोट्स
सबसे आम तरीका है लोगों को अपनी शक्ति दे सोच कर वे किसी भी नहीं है।
व्यक्तित्व में उत्थान की शक्ति,दबाने की शक्ति,अभिशाप को शक्ति और आशीर्वाद देने की शक्ति है।
मानव मूर्खता की शक्ति को कभी कम मत समझना।
शक्ति लोगों को भ्रष्ट नहीं करता,लोग भ्रष्ट शक्ति नहीं करते ।

प्रश्न:12.एक प्रेरक उद्धरण क्या है? (What is an inspiring quote?):

उत्तर:विश्वास है कि तुम कर सकते है और तुम आधे रास्ते वहां हो।जब आप एक सपना है,तो आप इसे हड़पने के लिए और कभी नहीं जाने के लिए मिल गया है।मैं हवा की दिशा नहीं बदल सकता,लेकिन मैं अपने पाल को समायोजित करने के लिए हमेशा अपने गंतव्य तक पहुंच सकते हैं।कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम क्या माध्यम से जा रहे हैं, वहां सुरंग के अंत में एक प्रकाश है।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Argument and Power for Success in JEE),जेईई परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Use of Logic and Strength for Success in Joint Entrance Exam) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Argument and Power for Success in JEE

संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग
(Argument and Power for Success in JEE)

Argument and Power for Success in JEE

संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए युक्ति और शक्ति का उपयोग (Argument and Power for Success in JEE)
करें तो सफलता प्राप्त की जा सकती है।जेईई-मेन 2022 प्रथम,द्वितीय,तृतीय तथा चतुर्थ चरण की परीक्षा में लगभग 2 से 4
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