Space Missions of India Cannot be Imagined without Mathematics
1.गणित के बिना भारत के अंतरिक्ष अभियानों की नहीं की जा सकती कल्पना का परिचय (Introduction to Space Missions of India Cannot be Imagined without Mathematics):
- गणित के बिना भारत के अंतरिक्ष अभियानों की नहीं की जा सकती कल्पना (Space Missions of India Cannot be Imagined without Mathematics):इस आर्टिकल में बताया गया है कि भारत के अन्तरिक्ष अभियानों में गणित की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। शोध सम्मेलन में भाग लेने वाले विद्वानों ने स्वीकार किया कि जीवन की प्रत्येक गतिविधि का गणित अभिन्न भाग है। जल, थल, नभ और अन्तरिक्ष में गणित व्याप्त है। विद्वानों यह भी स्वीकार किया कि भारत के अन्तरिक्ष अभियानों की गणित के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इस सम्मेलन से यह बात तो स्पष्ट हो ही गई है कि वैज्ञानिक शोधों तथा तकनीकी ज्ञान में आगे बढ़ने के लिए गणित की कितनी अधिक भूमिका है और महत्त्व है।
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- कई बार शोधों, अनुसंधानों, विद्वानों व वैज्ञानिकों द्वारा स्पष्ट हो चुका है कि गणित का हमारे जीवन के लिए कितना योगदान है। कई माता-पिता, अभिभावक और विद्यार्थी इस बात की अनदेखी करते हैं और सोचते हैं कि गणित के ज्ञान के बिना बहुत से लोग अपना जीवनव्यापन कर रहे हैं और मजे से रह भी रहे हैं। प्रत्युत्तर में निवेदन है कि जीवन को काटने और सुचारु रूप से चलाने में अन्तर होता है। यदि संसार में आगे बढ़नेवालों, अंग्रिमपंक्ति के लोगों से कदमताल मिलाकर चलना है तो गणित के ज्ञान की आवश्यकता है, तकनीकी ज्ञान और विज्ञान के ज्ञान की भी आवश्यकता है। आज के आधुनिक युग में पुरानी परम्पराएं, सिद्धान्त, मान्यताओं ध्वस्त हो गई हैं और उनकी जगह नवीन मान्यताओं, सिद्धान्तों तथा नियमों ने ले ली है। यदि हम उसी पुरानी मान्यताओं व परम्पराओं से बँधें रहेंगे तथा अपने आप में बदलाव नहीं करेंगे तो हम पिछड़ जाएंगें। यदि आप अपना विकास करना चाहते हैं तो नवीन ज्ञान ग्रहण करना होगा। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और सही मायने में वास्तविक शिक्षा वही है जो प्रगतिशील और समय के अनुसार परिवर्तनशील हो। करोड़ों लोग जैसे जन्म लेते हैं और इस संसार के विकास में अपना कोई योगदान नहीं देते हैं तथा इस संसार में जैसे आए थे वैसे ही आकर चले जाते हैं। इसलिए मरने के बाद न तो कोई उनको याद करता है और न ही याद करने लायक कोई ऐसा कार्य करते हैं। इसलिए इस बात का महत्त्व समझते हुए बालक-बालिकाओं को गणित शिक्षा अर्जित करने में हमें योगदान देना चाहिए।
- नकारात्मकता से न तो हमारा भला होगा और न ही विद्यार्थियों का। सकारात्मकता से बालक-बालिकाओं का भविष्य तो उज्ज्वल होगा ही। बल्कि यदि बालक-बालिकाएं कोई ऐसा विशिष्ट कार्य करते हैं तो माता-पिता, शिक्षकों, समाज व देश का गौरव बढ़ता है। संसार के अन्य लोग उनके बहुमूल्य योगदान से लाभ उठाते हैं और ऐसी विभूतियों को हमेशा के लिए स्मरण रखते हैं और उनके प्रति कृतज्ञ रहते हैं। बहुत से लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं। मानव अपने कर्म से ही अमर रहता है, कर्मों के द्वारा हम मरने के बाद भी जीवित रहेंगे। अल्बर्ट आइंस्टीन, प्लेटो, जेम्स वाट जैसे बहुत से वैज्ञानिक और गणितज्ञ हुए हैं जिनका ऋण मनुष्य जाति कभी भुला नहीं सकती है और न ही उनको विस्मृत किया जा सकता है। इसीलिए बालक-बालिकाओं को गणित में प्रखर,तेजस्वी बनाने के लिए हर संभव उचित कदम उठाएं जाने चाहिए।
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2.गणित के बिना भारत के अंतरिक्ष अभियानों की नहीं की जा सकती कल्पना(Space Missions of India Cannot be Imagined without Mathematics):
- 30 Nov 2019
- हमीरपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर में गणित विभाग के सौजन्य से अंतरराष्ट्रीय शोध सम्मेलन का शुभारंभ शुक्रवार को किया गया। उद्घाटन सत्र में यूएई से आए वक्ता प्रो. जीपी राव ने अंतरिक्ष और अन्य अनुप्रयोगों के लिए नियंत्रण की गणतीय अवधारणाओं पर अपना व्याख्यान दिया। जीवन की प्रत्येक गतिविधि का गणित अभिन्न भाग है। जल, थल, नभ और अंतरिक्ष सभी में गणित व्याप्त है। गणित न केवल विज्ञान बल्कि अन्य सभी विषयों में समाहित है। इससे पूर्व प्राचार्य डा. अंजू बत्ता सहगल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन गणित की व्यापक संभावनाओं को व्यक्त करने में कारगर भूमिका निभाएगा। जीवन के सुचारु संचालन में गणित की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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- गणित के बिना भारत के अंतरिक्ष अभियानों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। डॉ. सहगल ने महाविद्यालय की ओर से बीज वक्ता प्रो. जीपी राव और अन्य विद्वानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कांफ्रेंस चेयर डॉ. जीसी राणा ने कहा कि हमीरपुर महाविद्यालय के अस्तित्व में आने के 54 वर्षों में पहली दफा अंतरराष्ट्रीय शोध सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह सम्मेलन गणित की विभिन्न संभावनाओं को तलाशने का एक कारगर माध्यम बनेगा। शोध सम्मेलन के समन्वयक डा. संजय कान्गो ने बताया कि यह कार्यक्रम मुंबई के नेशनल बोर्ड फार हायर मैथमेटिक्स और डीआरडीओ दिल्ली की ओर से वित्त पोषित है। इस सम्मेलन में 28 विश्वविद्यालयों, 8 इंजीनियरिंग संस्थानों, 4 मेडिकल कॉलेजों, भोपाल के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजूकेशन व रिसर्च और 40 महाविद्यालयों के 180 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
- विशेष आमंत्रित वक्ताओं डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉ. एसके पाल, जेएनयू दिल्ली से गजेंद्र प्रताप सिंह, कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय से प्रो. रजनीश कुमार, प्रो. अनिल वशिष्ठ और कॅरियर प्वाइंट विश्वविद्यालय से प्रो. केएल वर्मा ने भी व्याख्यान दिए। इस
- ये भी रहे उपस्थित
- टांडा मेडिकल कॉलेज से डॉ. तरुण शर्मा, हिप्र विश्वविद्यालय से प्रो. आरपी शर्मा, प्रो. वीना शर्मा, कटड़ा के माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय से राकेश कुमार, भोरंज कॉलेज के प्राचार्य डा. हरदेव सिंह जंवाल, सरकाघाट के प्राचार्य प्रो. आरसी शर्मा, धर्मशाला के प्राचार्य डॉ. ज्योति कुमार, ज्वालाजी के प्राचार्य डा. अजायब सिंह बन्याल, को-चेयर प्रो. कल्पना चड्ढा, पूर्व प्राचार्य प्रो. पीसी पटियाल, प्रो. जोगिंद्र सिंह चौहान, ओएसए के सलाहकार कर्नल एडी शर्मा, पीटीए सलाहकार होशियार सिंह, पीटीए प्रधान राज गोपाल शर्मा, उपाध्यक्ष मनोज कुमार, प्रो. वाईडी शर्मा, प्रो. आरके वत्स, डॉ. पवन शर्मा, डॉ. संजय, डॉ. बलराज, सम्मेलन के सलाहकार उप प्राचार्य प्रो. रीटा शर्मा, संयोजक प्रो. जगजीत पटियाल सहित महाविद्यालय के स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के बिना भारत के अंतरिक्ष अभियानों की नहीं की जा सकती कल्पना (Space Missions of India Cannot be Imagined without Mathematics) के बारे में बताया गया है.
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गणित के बिना भारत के अंतरिक्ष अभियानों की नहीं की जा सकती कल्पना
(Space Missions of India Cannot be Imagined without Mathematics)
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गणित के बिना भारत के अंतरिक्ष अभियानों की नहीं की जा सकती कल्पना
(Space Missions of India Cannot be Imagined without Mathematics):
इस आर्टिकल में बताया गया है कि भारत के अन्तरिक्ष अभियानों में गणित की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
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