Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar
1.गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार का परिचय (Introduction to Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar)-
- गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar) ने चक्रवाला पद्धति पर लेख लिखकर ख्याति अर्जित की।चक्रवाला पद्धति के द्वारा उन्होंने दिखाया कि किस प्रकार कन्टीन्यूअड फ्रेक्शन मेथड (Method of continued fractions) से अलग है।
गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar) की शिक्षा,कार्य तथा गणित में उनके योगदान काफी वर्णन नीचे आर्टिकल में किया गया है। - यहां पर गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar) जैसी प्रतिभाएं कैसे विकसित होती है और क्यों कुछ प्रतिभाएं अविकसित रह जाती है,इसके बारे में थोड़ा सा उल्लेख करेंगे।
इस संसार में ऐसे लोगों की संख्या सर्वाधिक है जिनकी संकल्पशक्ति या तो कमजोर होती है या होती ही नहीं।
ऐसे लोगों में भले-बुरे कार्यो के प्रति दृढ़ता का पूर्णतया अभाव होता है।इस प्रकार के लोग दब्बू किस्म के होते हैं और दूसरे के हाथों कारण खिलौना बनकर कठपुतली की तरह नाचते रहते हैं। - ऐसे व्यक्ति हवा के प्रवाह की दिशा में तिनके-पत्तों की तरह उड़कर कहीं से कहीं जा गिरते हैं।ऐसे व्यक्तियों पर कोई भी प्रभाव जमा सकता है और उनकी इच्छाशक्ति को मोड़ सकता है।
- नदी की उल्टी दिशा में पानी को चीरकर अपना रास्ता तय करना संकल्पशक्ति वालों के वश की ही बात है।
संकल्पशक्ति वाले व्यक्ति गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar) की तरह चमकते रहते हैं। अपनी विरासत में ऐसे कार्य करके छोड़ जाते हैं जिनको देखकर लोग उनको सरमा तो करते ही हैं और चमत्कृत भी होते हैं। - इसका अर्थ यह नहीं है कि गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar) जैसे व्यक्तियों में प्रतिभा अलग से या विशिष्ट रूप से टपक पड़ती है अथवा उनके इस कार्य में कोई विशेष चमत्कार छिपा हुआ है।
- ऐसे व्यक्ति पुरुषार्थपूर्वक मनोबल के सहारे प्रतिभा अर्जित करते हैं।अब तक महामानव और प्रतिभाशाली व्यक्तियों पर दृष्टिपात करने पर निष्कर्ष निकलता है कि अपनाए गए काम को उत्साह,रुचि,मानसिक एकाग्रता के साथ किया जाए।
प्रतिकूलता को अनुकूलता में बदलने के साहस का परिचय दिया जाए।सफलता इसी आधार पर मिलती है।
सफलता मिलने पर हौसले बुलंद होते हैं।दुगुने उत्साह से काम करने का मन करता है।इस प्रयास में प्रतिभा विकसित भी होती है और परिपक्व भी बनती है। - इसलिए गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar) जैसे प्रतिभाशाली बनना है तो संकल्प बल एवं चरित्र निष्ठा दोनों को ही सुदृढ़ बनाना होगा।अन्यथा इनके अभाव में हम अयोग्य लोगों के हाथ की कठपुतली बन जाएंगे।
- ऐसी स्थिति में महान कार्य का निर्माण करना तो दूर रहा,हम अपने सांसारिक कर्त्तव्यों को भी ठीक प्रकार से नहीं कर पाएंगे।
- केवल बौद्धिक विकास से चरित्र की दृढ़ता नहीं आती है। बौद्धिक विकास वाले लोग केवल बहस, तर्क-वितर्क कर सकते हैं।जबकि संकल्पबल वाले ठोस कार्य करके दिखाते हैं।
सारांश यह है कि अस्तव्यस्त एवं मूर्खतापूर्ण कार्य बुद्धि की कमी से नहीं बल्कि संकल्पशक्ति की कमी से होते हैं।
चरित्र का गठन और महान् कार्य मस्तिष्कीय बौद्धिकता से नहीं बल्कि हृदय की विशालता से सम्बन्ध रखते हैं।
प्रतिभा का वास्तविक निखार बौद्धिक विकास से न होकर आंतरिक विकास से सम्बन्धित है।अन्त:प्रेरणा इसका मुख्य स्रोत है। - गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar) द्वारा गणित के क्षेत्र में किया योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा।ऐसे महान् गणितज्ञों से प्रेरणा लेकर हम हमारे जीवन को उन्नत बना सकते हैं।
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2.गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar)-
(1.)गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार की जीवनी (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar biography)-
- जन्म: 1 दिसंबर 1892, चिंगलपुट जिला
निधन: जून 1953, मैसूरु
बच्चे: ए. के. रामानुजन
पोते: कृत्तिका रामानुजन, कृष्ण रामानुजन
(2.)गणितज्ञ ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार की शिक्षा (Eduation of Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar)-
- ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार (1892-1953) भारत के गणितज्ञ थे।उन्होंने पचायप्पा के कॉलेज से 18 वर्ष की आयु में गणित में एम.ए.और बाद में वहां गणित पढ़ाना शुरू किया।1918 में वह मैसूर विश्वविद्यालय के गणित विभाग में शामिल हो गए और 1947 में वहाँ से सेवानिवृत्त हो गए। जून 1953 में उनकी मृत्यु हो गई। वे प्रसिद्ध कन्नड़ कवि ए. के. रामानुजन के पिता हैं।
3.ए. ए. कृष्णास्वामी अय्यंगार का गणित में योगदान (Mathematician AA Krishnaswami Ayyangar contribution to mathematics)-
- अय्यंगार ने चक्रवाला पद्धति पर एक लेख लिखा और दिखाया कि कैसे विधि निरंतर भिन्न के विधि से भिन्न होती है।उन्होंने कहा कि यह बिंदु आंद्रे वेइल द्वारा याद किया गया था, जिन्होंने सोचा था कि चकरवाला पद्धति केवल भारतीयों के लिए एक “प्रायोगिक तथ्य” थी और उन्होंने फ़र्मेट और लैगरेंज के लिए सामान्य सबूतों को जिम्मेदार ठहराया।
लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुभाष काक, बैटन रूज ने पहली बार नोट किया कि अय्यंगार की भारतीय कृतियों की प्रस्तुतियां अद्वितीय थीं, और इसे वैज्ञानिक समुदाय के ध्यान में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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