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6Tips to Prevent Sexual Abuse for Girl

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1.लड़कियों के लिए यौन शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (6Tips to Prevent Sexual Abuse for Girl),जाॅब करनेवाली युवतियों के लिए यौन-शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (6 Tips for Girls Doing Jobs to Prevent Sexual Exploitation):

  • लड़कियों के लिए यौन शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (6Tips to Prevent Sexual Abuse for Girl) के आधार पर वे अपनी आत्म-रक्षा कर सकेंगी।पढ़ने-लिखने वाली छात्राओं तथा जॉब करने वाली युवतियों का यौन शोषण रोकने और उनकी अस्मिता को सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए हुए हैं।परंतु सब कुछ कानून और कोर्ट के फैसले के सहारे नहीं होता।छात्राओं और युवतियों को भी अपनी आत्म-रक्षा हेतु कुछ ठोस उपाय करने होंगे।
  • छात्राओं व युवतियों को भी स्वयं भी नैतिक विकास के साथ अपने अधिकारों और जिम्मेदारियां को समझना होगा।जब तक महिलाएं,छात्राएं जागरूक,सजग नहीं होगी तब तक इस प्रकार की हरकतें जारी रहेंगी।
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2.पुरुषों को सेंस ऑफ ह्यूमर रखने की आवश्यकता (Men Need to Have a Sense of Humor):

  • दो दोस्त काफी दिनों के बाद एक दूसरे से मिले।गुप्तगू का रियायती सिलसिला रहा।एक ने मालूम किया क्या हाल है?
  • ठीक हूं।
  • शादी की।
  • नहीं।
  • आजकल क्या कर रहे हो?
  • मस्ती में हूं।
  • फिर यह बच्चा क्यों उठाये फिर रहे हो?
  • किसी की कंपलेंट है।
  • ‘मस्ती’ किस प्रोडक्ट का नाम है? जो यह जानता है वह लफ्जों के खेल पर आधारित इस लतीफे का आनंद भी उठायेगा।बहरहाल,अगर आप इसे समझ गए हैं तो कृपया इसे अपने स्कूल,कॉलेज या दफ्तर में न सुनाएं।और अगर आपके कार्यालय में महिलाएं भी हैं,तो अपना ‘सेंस और ऑफ ह्यूमर’ हरगिज-हरगिज प्रदर्शित न करें।
  • आपका शाइस्ता (सभ्य) मजाक अगर परोक्ष रूप से भी सेक्स की सीमाओं के करीब से गुजरता है,तो आप कार्यस्थल पर लड़कियों,महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के दोषी माने जाएंगे।आपकी नौकरी भी जा सकती है।ऐसा इसलिए क्योंकि यह सब उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ की विस्तृत परिभाषा के दायरे में आता है।
  • आप यह सवाल कर सकते हैं कि ऐसे मासूम से मजाक को इतनी बड़ी सजा क्यों? दरअसल यह तय कर पाना मुश्किल है कि मजाक कब मासूम है और कब अन्य अर्थ लिए हुए हैं।
  • टीस नासूर न बन जाए इसलिए समय पूर्व उपचार बेहतर होता है।तभी उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मामलों में नरम रवैया अपनाने से जॉब करने वाली महिलाओं का मनोबल गिरेगा।लेकिन सवाल यह है कि क्या इतने सख्त रवैये से कार्यस्थलों में युवतियों व महिलाओं से छेड़छाड़ या उनका उत्पीड़न रूक जाएगा? लेकिन इसके जवाब से पहले यह जानना जरूरी है कि उच्चतम न्यायालय ने आदेश क्या दिया हुआ है?

3.अदालती आदेश की जड़ (The Root of the Court Order):

  • दिल्ली में एक कंपनी है एपेरल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल।इसके चेयरमैन के निजी सचिव एके चोपड़ा ने 1988 में कंपनी की एक महिला कर्मचारी को चेयरमैन से डिक्टेशन लेने के बहाने स्थानीय पंच सितारा होटल स्थित कंपनी के व्यापार केंद्र में बुलवाया।होटल में चोपड़ा ने महिला कर्मचारी के साथ ‘छेड़छाड़’ करने का प्रयास किया।महिला ने शिकायत कर दी।
  • कंपनी के जांच अधिकारी ने पाया कि आरोपित व्यक्ति चोपड़ा ने ‘नैतिक मूल्यों के खिलाफ कार्य किया’ और महिला के साथ की गई उसकी हरकतें ‘डिसेंसी एंड मॉडेस्टी’ पर खरी नहीं उतरती।फलस्वरूप चोपड़ा को 28 जून 1989 को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
  • बर्खास्तगी के खिलाफ चोपड़ा ने दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण ली।उच्च न्यायालय ने चोपड़ा को नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया।उच्च न्यायालय का मानना था कि आरोपी ने छेड़छाड़ का प्रयास तो किया लेकिन वास्तव में छेड़छाड़ नहीं की।इसलिए उच्च न्यायालय ने सिर्फ बर्खास्तगी की अवधि के वेतन को न देने की ही सजा दी।

4.उच्चतम न्यायालय का निर्णय (Supreme Court’s Decision):

  • लेकिन 20 जनवरी,1999 को प्रधान न्यायाधीश एएस आनंद और न्यायमूर्ति बीएन खरे की खण्डपीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय का रवैया त्रुटि पूर्ण रहा है।
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि विभागीय जांच अधिकारी को चोपड़ा को दुर्व्यवहार के लिए सजा देने का हक है और चोपड़ा की बर्खास्तगी उचित है।खण्डपीठ ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय चोपड़ा के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जांच कर रहा है,न कि उसके आपराधिक मुकदमे का निपटारा कर रहा है।
  • न्यायमूर्ति आनंद और खरे के अनुसार कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की कोई भी घटना लिंग के आधार पर समानता और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।कार्यस्थल पर एक महिला का यौन शोषण महिलाओं की गरिमा और सम्मान का उल्लंघन है और इस तरह के व्यवहार से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
  • खंडपीठ ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उच्च न्यायालय ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया कि विभागीय जांच प्रक्रिया में अनुशासन लागू करने वाली समिति तथ्यों की एकमात्र निर्णायक होती है।ऐसे किसी भी मामले के साक्ष्य के औचित्य की समीक्षा उच्च न्यायालय में नहीं की जानी चाहिए।विभागीय जांच की समीक्षा करते समय उच्च न्यायालय अपील प्राधिकरण के रूप में काम नहीं कर सकता।
  • दरअसल,उच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले की दो मुख्य खूबियां है।एक,इस निर्णय से यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ की परिभाषा का विस्तार किया गया है।उच्चतम न्यायालय ने कहा, “यौन उत्पीड़न या यौन शोषण या इसके प्रयास के मामलों में अदालतों को चाहिए कि वे मामले की विस्तृत संभावनाओं की जांच करें और गैरजरूरी खामी या संकीर्ण तकनीकी पहलू या छेड़छाड़ की शब्दकोषीय परिभाषा में न बह जायें।”
  • यौन उत्पीड़न के लिए यह आवश्यक नहीं कि जिस्म को छुआ जाए।इसके बिना भी द्विअर्थी संवादों और हावभाव के जरिए किसी औरत का उत्पीड़न किया जा सकता है।यानी पहल चाहे मौखिक हो,हाव-भाव से हो या स्पर्श से हो,अगर वह यौन निहितार्थ वाली है,जो महिला कर्मचारी को नापसंद है और जिस पहल को कबूल करने या रोकने की कोशिश में उसकी नौकरी पर असर पड़ता है,तो वह यौन उत्पीड़न की श्रेणी में ही रखी जाएगी।
  • दूसरी विशेषता है कि उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीड़न को बुनियादी अधिकारों का हनन माना है।उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जिन मामलों का ताल्लुक मानव अधिकारों से है उनमें अदालतों को ऐसे अंतरराष्ट्रीय नियम और परंपराओं को भी ध्यान में रखना चाहिए जो देश के कानून के खिलाफ नहीं जाते हैं। उच्चतम न्यायालय के अनुसार यौन उत्पीड़न वास्तव में किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि छेड़छाड़,उत्पीड़न या यौन शोषण के लिए की जाने वाली कोई पहल इस धारणा पर आधारित होती है कि दूसरा सहकर्मी या कर्मचारी औरत है।
  • इससे उस महिला कर्मचारी के दो बुनियादी अधिकारों का हनन होता है।एक मजहब,जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं बरते जाने के अधिकार का हनन।और दूसरा कार्यस्थल पर जान,माल और प्रतिष्ठा की हिफाजत के हक का हनन।
  • उच्चतम न्यायालय का यह फैसला शायद जॉब करने वाली महिलाओं के लिए बेहतर कवच साबित हो।खासकर इसलिए क्योंकि अब तक दफ्तरों और कार्यस्थलों पर औरतें व लड़कियां ऐसी स्थितियों का अक्सर सामना करती रही हैं जिनमें की निहितार्थ तो समझा जा सकता था लेकिन उसे स्पष्ट रूप से यौन उत्पीड़न साबित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
  • उच्चतम न्यायालय ने फैसला तो बहुत अच्छा दिया है लेकिन समस्या क्रियान्वयन के समय पेश आती है।गौरतलब है कि कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय ने 1997 में एक विस्तृत निर्देश जारी किया था।इसके तहत सभी कार्यालयों,विभागों,मंत्रालयों,प्रतिष्ठानों,सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों को आदेश दिया गया था कि वे अपने यहां महिलाओं का शोषण रोकने के लिए शिकायत समिति गठित करें और कर्मचारियों के लिए मार्गदर्शी नियम बनाकर उन्हें प्रदर्शित करें।निर्देश में यहां तक कहा गया था कि जब तक केंद्र सरकार इस सिलसिले में उचित कानून नहीं बनाती है तब तक उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को ही कानून माना जाएगा।
  • और दफ्तरों में इस पर कितना अमल हुआ है उसका अंदाजा सर्वे से लगाया जा सकता है।इसके अनुसार 80 फ़ीसदी जॉब करने वाली महिलाओं को यह नहीं मालूम कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश क्या है और संसद ने उनके हक में क्या कानून बनाया है? 50% महिलाओं को कार्यस्थलों पर मौखिक व अन्य किस्म के यौन उत्पीड़नों के कारण मानसिक यातना से गुजरना पड़ा।जबकि 26% का शारीरिक यौन उत्पीड़न हुआ।

5.न्याय में विलंब (Delay in Justice):

  • इसके अलावा यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि यौन उत्पीड़न के मामलों में न्याय बहुत देर से मिलता है।उक्त मामला ही 10 वर्ष तक खिंचा जबकि गैंगरेप की एक पीड़िता ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अपने आरोपों को वापस ले लिया।उसने कहा कि 1987 में उसके खिलाफ बलात्कार की घटना हुई थी लेकिन अभी तक उसे न्याय नहीं मिला।उसने यह भी कहा कि वह आगे ओर प्रतीक्षा नहीं कर सकती।
  • हालांकि अपने आरोपों की सचाई पर वह कायम है।उसके इस विरोध प्रदर्शन का फायदा यह हुआ कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन उत्पीड़न के मामलों में देरी का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित की।उच्च न्यायालय ने समिति से यह भी कहा कि इस संभावना का भी पता लगाये कि क्या यौन उत्पीड़न के मामलों को दर्ज करने के लिए पुलिस थानों में महिला अधिकारी के नेतृत्त्व में विशेष प्रकोष्ठ गठित किया जा सकता है।
  • बहरहाल,देश की जो स्थिति है उसमें उच्च न्यायालय के फैसले से उन्हीं औरतों को फायदा मिल सकता है जो बड़े सरकारी या गैर सरकारी दफ्तरों में काम करती हैं।लेकिन उनका रोजगार नियमित नहीं होता,वहां यह कानून उनका शोषण कैसे रोकेगा? जो क्षेत्र गैर संगठित हैं,जहां महिलाएं बाॅस (Boss) की मर्जी पर नौकरी या दैनिक मजदूरी पाती हैं,वहां यह कानून उनका यौन उत्पीड़न कैसे रोकेगा?
  • जहां निजी पब्लिक स्कूलों में महिला अध्यापिकाओं को मोटी रकम पर दस्तक करने के बाद मात्र मामूली रुपए मासिक ही हाथ आते हैं,वहां यह कानून उनका शोषण कैसे रोकेगा?

6.यौन शोषण से बचाव के उपाय (Ways to Prevent Sexual Abuse):

6Tips to Prevent Sexual Abuse for Girl

6Tips to Prevent Sexual Abuse for Girl
(Apparel Export Promotion Council)

  • जैसा कि ऊपर उल्लेख किया जा चुका है की लड़कियों और महिलाओं को शोषण केवल कानून के सहारे से नहीं मिल सकता बल्कि उनको स्वयं को भी नैतिक विकास के साथ अपने अधिकारों और जिम्मेदारियां को समझना होगा।
  • लड़की या औरत को हिम्मत से काम लेकर ऐसे मजनूं टाइप मनचले को पकड़ ले या थप्पड़ मार दे तो चारों तरफ से लोग उसकी मदद करने के लिए लपक पड़ेंगे और फिर उस मजनूं की वह पिटाई होगी कि बचाने वाला न मिलेगा।इसलिए कभी यौन शोषण जैसी परिस्थिति का सामना हो तो घबराना या लजाना नहीं चाहिए और साहसपूर्वक हल्ला मचा देना चाहिए।
  • यदि आप मिर्च पाउडर रखें तो इसको उस युवक या पुरुष की आंखों में डाल सकती है जो यौन शोषण करने पर उतारू है।आंखों में मिर्च पाउडर गिरते ही वह अपना होश खो बैठेगा और आप रफूचक्कर हो सकती है।
  • यौन शोषण पर उतारू पुरुष के गुप्तांग पर अपनी लात का भरपूर प्रहार कर उसे ढेर किया जा सकता है क्योंकि गुप्तांग पर चोट को पुरुष सहन नहीं कर सकता है बल्कि वह बेहोश भी हो सकता है।लेकिन इसके लिए आपको सूझबूझ से काम लेना होगा और मौका पाते ही अचानक वार करना होगा।
  • लड़कियों और महिलाओं को अपना रूप श्रृंगार और पहनावा सौम्य,भव्य और गरिमायुक्त होना चाहिए वरना आजकल के फैशन की तरह ‘तितली’ छाप भड़कीला और मेकअप देखकर लोग भड़केंगे ही।
  • इसके अलावा एक घड़ी भी इस तरह की आती है जिसे पहनने पर यदि कोई आपके शरीर को छूता है या जोर जबरदस्ती करता है तो तत्काल आपके परिवार वालों को सिग्नल मिल जाता है और वे फौरन आपके बचाव के लिए कोई उपाय कर सकते हैं।मनु चोपड़ा ने इलेक्ट्रिक शाॅक देने वाली घड़ी का आविष्कार किया है।इलेक्ट्रिक शाॅक देने वाली यह घड़ी दो प्रकार से कार्य करती है।पहला है:घड़ी पहनने वाली महिला पर कोई आक्रमण होता है,तो उसकी पल्स रेट बढ़ जाती है तथा हमलावर जब उसकी कलाई पकड़ने की कोशिश करता है तो यह घड़ी उसे झटका देती है और उसमें डाले गए विशेष नम्बर पर स्वतः ही संदेश प्रसारित कर देती है। 
  • यदि कोई लड़की या महिला जूड़े-कराटे सीखी हुई हो तो कहना ही क्या? आप स्वयं ही अपनी सुरक्षा खुद कर सकती है।कानून का सहारा लेकर भी ऐसे यौन शोषण कर्त्ता पुरुष को मजा चखा सकती हैं।लब्बोलुआब यह है कि आप समझदारी और विवेक से काम लें तो ऐसी परिस्थिति में कोई ना कोई उपाय सूझ जाता है जिससे आप अपनी आत्मरक्षा कर सकती हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में लड़कियों के लिए यौन शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (6Tips to Prevent Sexual Abuse for Girl),जाॅब करनेवाली युवतियों के लिए यौन-शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (6 Tips for Girls Doing Jobs to Prevent Sexual Exploitation) के बारे में बताया गया है।

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7.बेवकूफ की परिभाषा (हास्य-व्यंग्य) (Definition of Idiot) (Humour-Satire):

  • अध्यापिका (गणित शिक्षक से):क्या सोच रहे हो?
  • गणित शिक्षण:मैं सोच रहा हूं दुनिया बेवकूफों से भरी पड़ी है।
  • अध्यापिका:कैसे?
  • गणित शिक्षक:लोग कहते हैं कि बच्चों को संस्कार भी सिखाया करो,चरित्र का निर्माण भी किया करो।उन्हें पता है कि हमें वेतन गणित पढ़ाने का मिलता है फिर चरित्र का निर्माण हम क्यों करेंगे?
  • अध्यापिका:हमेशा अपने बारे में सोचते रहते हो कभी दूसरों के बारे में भी सोचा करो।

8.लड़कियों के लिए यौन शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 6Tips to Prevent Sexual Abuse for Girl),जाॅब करनेवाली युवतियों के लिए यौन-शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (6 Tips for Girls Doing Jobs to Prevent Sexual Exploitation) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.महिला का रूप कितने प्रकार का होता है? (How Many Types of Female Appearance are There?):

उत्तर:रूप दो प्रकार का होता है।एक दिव्य,शालीन और भव्य जो पुरुष की दृष्टि सम्मान और गरिमा के भाव से झुका देता है उसमें उसे देवी-रूप के दर्शन होते हैं जो श्रद्धा और सम्मान से परिपूर्ण माँ का रूप है।दूसरा प्रकार उत्तेजक,मादक और कामुकता पैदा करने वाला रूप होता है जो पुरुष के नेत्रों में चंचलता और मन में कामुकता पैदा करता है।यदि पुरुष का स्वभाव भी चंचल और कामुक हुआ तो मानो करेला और नीम पर चढ़ गया फिर जो कुछ भी हो जाए सो थोड़ा है।छेड़छाड़ से शुरू होकर राजी खुशी का सौदा होने पर व्यभिचार तक,जोर जबरदस्ती का मामला हो तो बलात्कार तक और कुछ परिस्थितियों में स्त्री की हत्या कर देने तक बात बढ़ जाती है।

प्रश्न:2.बच्चे शिक्षाप्रद बातें क्यों नहीं सीखते हैं? (Why Don’t Children Learn Educational Things?):

उत्तर:शिक्षाप्रद बातों का तब कोई उपयोग और लाभ नहीं जब तक कोई उनको अपने अनुभव से न जान लें। जिसे शिक्षाप्रद बातों का कोई अनुभव नहीं वह इन्हें बेकार ही समझेगा।उसे शिक्षाप्रद बातें दो कौड़ी की मालूम होंगी।ऐसा ही आज हो भी रहा है क्योंकि होश सम्हालते ही बच्चे इश्क,हुस्न और जवानी की बातें जान जाते हैं,समझने लगते हैं।आज फिल्मों ने,फिल्मी गानों ने,सेक्स संबंधी पत्रिकाओं,पुस्तकों,अश्लील किताबों,पोर्न वेबसाइट्स,पॉर्न वीडियो आदि ने जैसा वातावरण बना दिया है उसमें बच्चों के दिल और दिमाग का क्या और कैसा असर पड़ेगा या कह लीजिए कि पड़ ही रहा है सो किसी से छिपा नहीं है।

प्रश्न:3.नवयुवक एवं नवयुतियां आज क्या देखना पसंद करते हैं? (What Do Young Men and Women Like to See Today?):

उत्तर:आज के नवयुवक एवं नवयुतियां एडल्ट फिल्में देखा करते हैं,फिल्मों में बेडरूम के ‘बोल्ड’ और ‘हाॅट’ कहे जाने वाले कामुक दृश्य देखा करते हैं,अश्लील किताबें और पत्रिकाएं पढ़ते रहते हैं,पोर्नोग्राफी के विदेशी एलबम या ब्लू फिल्म देखते हैं,पोर्न वेबसाइट्स को खंगालते हैं,कामुक वीडियो देखते हैं।मादक द्रव्यों (drugs) का सेवन करते हैं वे क्या कामुकता और कामुक उत्तेजना से बचे रहेंगे? जो होश सम्हालते ही कुसंगति में पड़कर या कामुक वातावरण से प्रभावित होकर यौन-क्रीड़ाएं करने लगें वे यौन अपराध ही करेंगे।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा लड़कियों के लिए यौन शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (6Tips to Prevent Sexual Abuse for Girl),जाॅब करनेवाली युवतियों के लिए यौन-शोषण के बचाव हेतु 6 टिप्स (6 Tips for Girls Doing Jobs to Prevent Sexual Exploitation) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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