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6 Top Techniques of Time Management

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1.समय प्रबंधन की 6 टॉप तकनीक (6 Top Techniques of Time Management),छात्र-छात्राओं के लिए समय प्रबन्धन की 6 बेहतरीन रणनीतियाँ (6 Best Time Management Strategies for Students):

  • समय प्रबंधन की 6 टॉप तकनीक (6 Top Techniques of Time Management) के आधार पर आप समय का महत्त्व समझ सकेंगे एवं अपने समय को अपने लक्ष्य प्राप्ति तथा आवश्यक किए जाने वाले कर्त्तव्यों में व्यतीत कर सकेंगे।
    समय की महत्ता,समय प्रबंधन पर यों तो इस वेबसाइट पर और भी लेख लिखे जा चुके हैं परंतु इस लेख में अतिरिक्त विषय सामग्री है।
  • दरअसल कुछ टॉपिक पर कई लेख लिखने का उद्देश्य है कि एक तो उस विषय की हमारे जीवन में अधिक महत्ता होती है तथा दूसरा कारण यह है कि एक ही लेख में उस विषय की सामग्री को समाहित नहीं किया जा सकता है।तीसरा कारण यह है कि लेख के माध्यम से हमें उस विषय की याद तरोताजा हो जाती है।चौथा कारण यह है कि हर विद्यार्थी तथा हर व्यक्ति की प्रकृति अलग-अलग होती है अतः किसी को कोई नियम तो दूसरे को दूसरा नियम का पालन करना माफिक होता है।समय प्रबंधन के अन्य लेख के साथ इस लेख को रुचिपूर्वक पढ़ें।महत्त्वपूर्ण लेख जो हमारे जीवन लक्ष्य के लिए आवश्यक है वे निम्न विषय हैं:सफलता,प्रतिभा विकास,समय प्रबंधन,आध्यात्मिकता,तनाव,व्यक्तित्व विकास,परीक्षा की रणनीति,बुद्धि का विकास,विवेक व ज्ञान को विकसित करने के तरीके,बच्चों का निर्माण,मन की एकाग्रता,स्मरण शक्ति वृद्धि के उपाय आदि पर लेख बार-बार पढ़ने को मिल सकते हैं परंतु इन सब में विषय वस्तु अलग रहती है।
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2.समय की उपेक्षा न करें (Don’t neglect time):

  • फ्रैंकलिन का कथन है:’वक्त को बर्बाद न करो,क्योंकि जीवन इसी से बना है अर्थात् समय जीवन है।समय सबसे मूल्यवान धन है।किसी के पास समय है तो धन भी पाया जा सकता है और जीवन लक्ष्य भी प्राप्त किया जा सकता है।धन के द्वारा समय का एक क्षण भी कितने ही प्रयास करने पर भी प्राप्त नहीं किया जा सकता।जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है,समय पर प्रत्येक कार्य करने की आदत वाला है,उसी के कार्य सफल होते देखें गए हैं।
  • समय का पालन एक बहुत बड़ा गुण है।नियत समय पर निर्धारित काम करने की आदत शरीर और मन का संतुलन बनाए रहती है।इसके विपरीत यदि अस्त-व्यस्त दिनचर्या रखी जाए,किसी काम का कोई निर्धारित समय न रहे,तो उसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है:
    “का वर्षा जब कृषि सुखाने
    समय चूकि पुनि का पछताने।।”
  • प्राणी का अचेतन मन उसे नियत समय पर नियत काम करने की प्रेरणा देता है और उसके लिए आवश्यक सामर्थ्य भी विभिन्न अवयवों में उत्पन्न करता है।इस प्रकृति-व्यवस्था का ठीक प्रकार उपयोग करके शरीर-निर्वाह तथा लोक-व्यवहार में हम प्रकृति का अभीष्ट सहयोग प्राप्त कर सकते हैं।नियत समय पर निर्धारित काम करने की व्यवस्थित दिनचर्या अपनाने की आदत बनाकर हम समग्र स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं और हाथ में लिए हुए कामों को सहज ही सफल बना सकते हैं।

3.पशु-पक्षियों से समय का पालन करना सीखें (Learn to follow the time from animals and birds):

  • कीड़े-मकोड़ों और पक्षियों में यह विशेषता पाई जाती है कि वे भीतर की,किसी अज्ञात घड़ी के मार्ग-दर्शन,अपनी गतिविधियां पूर्णतया व्यवस्थित करते हैं।फलतः प्रकृति उनके शरीर और मन को अपना जीवनयापन बहुत ही सुविधापूर्वक करते रहने के साधन जुटाए रहती है।यदि ये प्राणी नियमितता की आदत छोड़ दें तो निश्चय ही उनका जीवनयापन नितांत कठिन बन जाएगा।
  • जीव जंतुओं को अपनी आदत के अनुसार विभिन्न समय पर विभिन्न कार्य नियमित रूप से करते हुए देखा गया है।मुर्गा समय पर बाँग देता है,रात को सियार नियत समय पर रोते हैं,पक्षी प्रातः काल अपने निर्धारित क्रम से चहचहाते हैं,चमगादड़ रात को ही उड़ते हैं,उल्लू और बाज रात में ही अपने शिकार ढूंढते हैं।प्राणियों की अनेक महत्त्वपूर्ण आदतें नियत समय पर क्रियान्वित होती हैं।

4.पशु-पक्षियों द्वारा समय पालन करने का कारण (Reasons for observing time by animals and birds):

  • इसका क्या कारण हो सकता है,इस प्रश्न के उत्तर में पिछले दिनों यही कहा जाता रहा है कि यह प्रकृति के परिवर्तन का प्रभाव है।रात और दिन के बदलते प्रभाव प्राणियों पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं और उसकी उत्तेजना से भी नियत समय पर नियत कार्य करने को प्रेरित होते हैं।
  • यह पिछला समाधान अब अमान्य ठहरा दिया गया है,क्योंकि सूर्य की गतिशीलता के कारण उत्पन्न होने वाले प्रभावों से पूरी तरह बचाकर रखने पर भी प्राणी नियत समय,नियत कार्य करने के लिए तत्पर देखे जाते हैं।तिलचट्टों को एक कृत्रिम वातावरण में रखा गया।जहां प्रकाश,अंधकार,शांति,कोलाहल,सर्दी-गर्मी की दृष्टि से सदा एक जैसी स्थिति रहती थी।समय के अंतर को पहचानने का कोई साधन उस वातावरण में नहीं था।तो भी तिलचट्टों ने नियत समय पर अपनी नियत हरकतें आरंभ कर दीं।
  • ऐसे ही वातावरण में चीटियां,दीमक,मधुमक्खियां तथा दूसरे कीड़ों को रखा गया,पर वे ठीक समयानुसार ही अपने सोने,जागने और काम करने का प्रयत्न उसी समय करते रहे,जिस समय की सामान्य वातावरण में किया करते थे।
  • यदि एक मक्खी प्रातः 8:00 बजे शक्कर चाटने के लिए कुछ अभ्यस्त कराई जाए तो बाद में भी ठीक उसी समय बिना मिनट सेकंडों का अंतर किए उसी जगह पहुंचती रहेगी।
  • पिछले कई वर्षों से वैज्ञानिकों द्वारा इस बात की खोज हो रही है कि प्राणियों के भीतर वह कौनसी घड़ी है जो उन्हें नियत समय पर नियत कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।
  • उस घड़ी के स्वरूप,कारण और स्थान का तो ठीक पता नहीं चल सका,पर इतना निश्चय अवश्य हो गया है कि प्राणियों की अंतश्चेतना में कोई ऐसी संवेदनशक्ति है जो प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी अनायास ही प्राप्त करती रहती है।स्थानीय आवरण डालने से भी उस संवेदनशक्ति पर परदा नहीं पड़ता।प्राणी समय संबंधी ज्ञान के किसी भी भुलावे के भीतर झाँककर वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।उनकी घड़ी नियत समय की जानकारी उन्हें यथावत देती रहती है।
  • इस घड़ी की दूसरी विशेषता यह है कि अभ्यस्त समय पर नियत कार्य करने की उत्तेजना देती है।इस घड़ी का निर्माण उसकी जन्मजात प्रकृति के सहारे होता है।अतः उन जीवों को इधर-उधर स्थानांतरित करने पर बदला हुआ समय उन्हें प्रभावित नहीं करता।
  • प्राणियों की भीतरी घड़ी झुठलाने के लिए अनेक प्रकार के प्रयोग किए गए।उन्हें बहुत दिन तक बेहोश रखा गया।शून्य तापमान में जमा दिया गया,एक्सरेज किरणों से मस्तिष्क को अस्त-व्यस्त बनाया गया।इतने पर भी जब वे प्राणी बहुत समय उपरांत अपनी स्वाभाविक स्थिति में पहुंचे तो उन मध्यवर्ती परिवर्तनों को भुलाकर अपनी पुरानी आदत पर आ गए और उसी समय पर वही कार्य करने लगे जो उन्हें आरम्भ से ही अभ्यास में था।
  • कैंब्रिज विश्वविद्यालय के जीवशास्त्री डॉक्टर हार्कर का अनुमान था कि यह घड़ी संभवतः हार्मोन ग्रंथियों से निकलने वाले स्रावों से प्रभावित होती है।अस्तु,उन्होंने प्रयोगशाला के प्राणियों की हार्मोन ग्रंथियों को अलग करके देखा कि इसका क्या प्रभाव पड़ता है? इन ग्रंथियों के न रहने से प्राणियों के शरीरों के अन्य प्रकार के नुकसान तो हुए,पर समय-पालन संबंधी व्यवस्था यथाक्रम चलती रही।
  • डॉक्टर हार्कर अंततः इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि शरीर के अनेक शारीरिक,मानसिक अवयव मिलकर अनेक आदतों का सृजन करते हैं,उन्हीं आदतों में समय का ज्ञान और उस समय नियत कार्य करने का उत्साह भी सम्मिलित है।एक उंगली कट जाने पर भी शेष उंगलियां मिल-जुलकर हाथ से होने वाले कार्य पूरे करती रहती हैं,ठीक उसी प्रकार कोई एकाध अवयव अशक्त या पृथक हो जाने पर शेष अवयवों की मिलीभगत से समय पर नियत कार्य होते रहने का क्रम चलता रहता है।
  • समुद्रतट पर पाए जाने वाले कुछ केंकड़े अक्सर अपना रंग बदलते हैं।दिन चढ़ने के साथ-साथ वे गहरी चॉकलेटी होते जाते हैं,किंतु दिन ढलने के उपरांत उनमें हल्का पीलापन उभरता दिखाई पड़ता है।इसके अतिरिक्त ज्वार-भाटों में चंद्रमा के प्रभाव से जो हर रोज 50 मिनट का अंतर पड़ता जाता है,वही अंतर केकड़ों की त्वचा के रंग में उतार-चढ़ाव के रूप में परिलक्षित होता है।इन केंकड़ों को समुद्रतट से हटाकर बहुत दूर पर्वतीय क्षेत्र में रखा गया तो भी उनके रंग-परिवर्तन क्रम में तनिक सा भी अंतर नहीं दीख पड़ा।
  • चीटियों की प्रणयकेलि नियत निर्धारित मुहूर्त पर होती है।वर्ष में एक दिन ही,एक समय ही उनका नियत रहता है।ठीक उसी घड़ी मुहूर्त में वे प्रणयकेलि के लिए आतुरता अनुभव करती है और नर-मादाओं की बरातें सज-धजकर इसी उन्मादी प्रयोजन में संलग्न दीखती हैं।इनका पंचांग कौन बनाता है,नियत मुहूर्त पर नियत स्वर से नफीरी (शहनाई) कौन बजाता है? यह कैसे होता है? यह तथ्य समझ में ना आने पर भी उनका निर्धारित क्रिया-कलाप बिना मिनट सेकंडों के अंतर यथावत चलता रहता है।अंग्रेजी कैलेंडर और हिंदुस्तानी पंचांग अपने ग्रहगणित में भूल-चूक करते रहते हैं,पर चीटियों का पंचांग एवं मुहूर्त इतना सही होता है कि उन्हीं को प्रामाणिक मानकर अब ग्रहगणित में संशोधन करने की बात सोची जा रही है।कई जाति की मछलियों में भी यही विशेषता पाई जाती है,वे गर्भधारण करने के लिए नियत समय का ही नहीं,नियत स्थान का भी ध्यान रखती हैं।
    मनुष्य यदि इन छोटे प्राणियों से समय पालन की नियमितता सीख सकें तो उसमें उसकी भलाई ही भलाई है।

5.नियत समय पर कार्य करने की आदत डालें (Make a habit of working at the appointed time):

  • समय के प्रति सचेत रहने की आदत का निर्माण एकदम नहीं हो सकता।बचपन में परिवारीजन एवं वातावरण व्यक्ति की आदतों का निर्माण करते हैं।अतः बचपन से ही ऐसी नियमित दिनचर्या बालकों की बनानी चाहिए,जिसको पालन करने का धीरे-धीरे अभ्यास कराया जाना चाहिए।बड़े होने पर समय का पालन होना कठिन पड़ता है।उदाहरण के लिए यदि देर से उठना,अनियमित समय पर सोना,खाना,पढ़ना,घूमना आदि आदत पड़ गई तो उसको व्यक्ति जीवनभर नहीं छोड़ पाता है।जो व्यक्ति समय का सम्मान नहीं करता,समय भी उनका सम्मान नहीं करता।
  • देखा जाए तो आज के युग में विवाह-शादी,उत्सव त्यौहार इत्यादि में समय की इतनी बर्बादी होती है,यदि इस ओर ध्यान दिया जाए तो कितने ही व्यक्तियों का कितना ही समय नष्ट होने से बचाया जा सकता है।जरा-सा घरेलू उत्सव भी मनाते हैं तो सारा समय जो महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए लगाया जा सकता था,बेकार चला जाता है।टीवी,सैर सपाटा,इधर-उधर निरर्थक घूमते रहने में आज युवा वर्ग अपने हाथों अपने जीवन लक्ष्य से दूर होता जा रहा है।ऐसे युवा समय निकल जाने पर पछताते देखे जा सकते हैं।
  • व्यक्ति सचेत होकर अपने बहुमूल्य समय के एक-एक क्षण को उपयोगी बना सकता है।उसी का जीवन सार्थक है जो उपयोगी कार्यों में समय लगाता है।जीवन जीने के लिए जो कुछ वक्त मिला,उसे कैसे बिताया जाए,इस पर अवश्य सोचना चाहिए।
  • वही व्यक्ति जीवन में सफल हुए हैं जिन्होंने समय की कीमत पहचानी है।सफलता के अवसर सभी के जीवन में आ सकते हैं,परंतु समय की अनुकूलता का होना आवश्यक है।मनुष्य समय का उपयोग सही समय पर करता है,तभी सफल होता है।अवसर पर उपयुक्त कार्य कर लेना ही आवश्यक है।समय-समय से ही सब कार्य अच्छे लगते हैं।जो व्यक्ति समय बर्बाद करता है,वही बाद के दिनों में पछताता हैं तथा वक्त के थपेड़े खाता है।
  • सभी कार्य निश्चित समय पर हों तो सभी मनुष्यों का जो समय बच सकता है,उसे स्वाध्याय,सत्संग,स्वयं की योग्यता बढ़ाने में लगा सकते हैं।समय रहा तो धन और परमात्मा दोनों पाए जा सकते हैं।

6.विद्यार्थी समय का पालन कैसे करें? (How do students follow their schedule?):

  • जो विद्यार्थी बचपन से ही जल्दी उठते हैं,समय का पालन करते हैं उनसे तो कुछ नहीं कहना है क्योंकि जो सही राह पर चल रहे हैं,अपने समय का सदुपयोग करते हैं,अपने समय को अध्ययन,मनन-चिंतन में व्यतीत करते हैं,एक-एक क्षण का उपयोग जानते हैं और करते हैं उन्हें तो सूर्य को दीपक दिखाने के समान है।
  • जो विद्यार्थी समय का पालन नहीं करते हैं सुबह देर-सबेर उठते हैं,ना उनके सोने का समय निश्चित है और न जागने का।जो इस जीवन को मौज-मजे,मटरगश्ती करने,सोशल साइट्स,इंटरनेट पर अत्यधिक समय चैटिंग वगैरह में व्यतीत करते हैं,अय्याशी करते हैं,मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं वे अपने बहुमूल्य समय,अपने जीवन को व्यर्थ ही नष्ट कर रहे हैं उन्हें अब भी सचेत होकर अपने समय का पालन उपयोगी कार्यों में व्यतीत करना चाहिए।अब जो इस बात को,इस परामर्श को नहीं मानते हैं,जानबूझकर अपने आपको अंधकार में धकेल रहे हैं उनसे भी कुछ भी कहना व्यर्थ है क्योंकि वे अपने आप को सही मान बैठे हैं और वे वही करना चाहते हैं जो उनको पसंद हैं।
  • परंतु जो विद्यार्थी समय का पालन नहीं करते हैं,समय को उपयोगी कार्य में व्यतीत नहीं कर रहे हैं और इस आदत को सुधारना चाहते हैं उन्हें हम कुछ कहना चाहते हैं और ऐसे विद्यार्थियों के लिए ही इस लेख की उपयोगिता है।पहली बात तो यह है कि ऐसे विद्यार्थी एकदम से अनुशासन का,समय का पालन,नियमितता का पालन,उपयोगी कार्यों में समय का पालन करना एकदम से नहीं अपना सकते हैं।उन्हें स्टेप-बाइ-स्टेप समय का पालन करने की आदत डालनी चाहिए।जिनकी संकल्पशक्ति सुदृढ़ है उनकी बात अलग है वे एक झटके में ही बहुत सी गलत आदतों में सुधार कर सकते हैं।
  • यदि सुबह जल्दी उठना चाहते हैं तो नियत समय पर घड़ी का अलार्म लगा दें और उसे आले में अपने से दूर रखें ताकि अलार्म बजते ही आप उठकर बंद करके न सो जाएं।एक बार आप बिस्तर से उठकर आले में रखी अलार्म को बंद करेंगे तो आपकी नींद उड़ जाएगी।इसके बाद मुँह में पानी भरकर मुंह पर छींटे मारें।धीरे-धीरे जब अलार्म से उठने की आदत हो जाए तो फिर बिना अलार्म के उठने का अभ्यास करें।याद रखें हमारे शरीर में बायोलॉजिकल अलार्म (जैविक घड़ी) रहती है जिसको रात को सजेशन (स्वसंकेत) देने पर वह नियत समय पर उठा देती है।
  • इस प्रकार एक-एक आदत को स्टेप-बाय-स्टेप सुधार करें और जहां भी समय बर्बाद कर रहे हैं उसमें सुधार करें।यदि एकदम से सभी नियमों जैसे मौजमस्ती करना,सैर सपाटा करना,जल्दी न उठना,अध्ययन में अनियमितता रखना,सोशल साइट्स पर अत्यधिक समय नष्ट करना,फालतू यार-दोस्तों से गुफ्तगू करना आदि को छोड़ेंगे तो इन सब का पालन न करने के कारण आपका मनोबल कमजोर होगा और फिर आप अपनी बुरी आदतों को नहीं छोड़ पाएंगे।अतः एक-एक करके सभी बुरी आदतों को छोड़ना आसान होगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में समय प्रबंधन की 6 टॉप तकनीक (6 Top Techniques of Time Management),छात्र-छात्राओं के लिए समय प्रबन्धन की 6 बेहतरीन रणनीतियाँ (6 Best Time Management Strategies for Students) के बारे में बताया गया है।

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7.समय मालूम करने का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (How to Know Time) (Humour-Satire):

  • देर रात तक चिंकू और पिंटू अध्ययन कर रहे थे।चिंकू को ख्याल आया कि समय मालूम किया जाए।पर उनके पास घड़ी नहीं थी।आखिर चिंकू ने जोर-जोर से गाना शुरू कर दिया।तभी सामने की खिड़की खुली और एक अमीर व्यक्ति की लड़की उठी और बुलंद आवाज में चीखी-यह क्या बदतमीजी है।रात के 3:00 बजे गाना गाया जा रहा है।
  • चिंकू-पिंटू:अब 3:00 बज गए हैं,चलो अब सो जाएं।

8.समय प्रबंधन की 6 टॉप तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 6 Top Techniques of Time Management),छात्र-छात्राओं के लिए समय प्रबन्धन की 6 बेहतरीन रणनीतियाँ (6 Best Time Management Strategies for Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.समय से पूर्ण न करने वाले कार्य पर टिप्पणी लिखो। (Write a note on the work that is not done prematurely):

उत्तर:उचित अवसर पर,उचित तरीके से उचित मात्रा में और उचित अवधि पूरी करके किए गए किसी काम को करने का आनंद और महत्त्व निराला और अनुपम होता है।किशोर और नवयौवन की प्रारंभिक अवस्था में अनधिकृत,अनैतिक और अनुचित रूप से अविवाहित लड़के-लड़कियों का यौन-क्रीड़ा में संलग्न होना वैसा ही है जैसे दीपावली से पूर्व ही फुलझड़ी पटाखे चला-चला कर खत्म कर देना और बाद में उनका जीवन फीका,नीरस हो जाता है क्योंकि संयम व धैर्य के बिना शादी होने तक उनका दीवाला निकल चुका होता है।

प्रश्न:2.संसार में सबसे अमूल्य वस्तु क्या है? (What is the most precious thing in the world?):

उत्तर:संसार में सबसे बलवान और अमूल्य वस्तु है समय याने काल जो कभी रुकता नहीं,किसी की प्रतीक्षा नहीं करता और न कभी वापस ही लौटता है।काल सबको पैदा करता है नियंत्रित करता है और काल ही सबको खा भी जाता है।काल ही जीवन है और काल ही मृत्यु है।सबके सो जाने पर भी काल जागता रहता है,चलता रहता है और सबसे बली होता है।इसलिए इसे ‘महाकाल’ कहा गया है।जिसने इसे व्यर्थ खोया,उसका उतना जीवन नष्ट हुआ,जिसने इसे ठीक से पहचाना और इसके एक-एक क्षण का सदुपयोग किया उसी का जीवन सफल हो गया,उसका मनुष्य योनि में आना सफल हो गया क्योंकि समय जीवन का ही दूसरा नाम है।

प्रश्न:3.काल को परमात्मा क्यों कहा जाता है? (Why is time called God?):

उत्तर:काल समय को कहते हैं।समय ही सब मनुष्य आदि जीवों का जीवन है,जीवन को ही काल (जीवनकाल) कहते हैं जिसका आधार पंचमहाभूतों से बना शरीर होता है इसलिए शरीर के अंत को भी काल (मृत्यु) कहा है।काल अनादि अनंत होने से महाकाल है और चूँकि परमात्मा भी अनादि अनंत है इसलिए परमात्मा को भी महाकाल कहा है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा समय प्रबंधन की 6 टॉप तकनीक (6 Top Techniques of Time Management),छात्र-छात्राओं के लिए समय प्रबन्धन की 6 बेहतरीन रणनीतियाँ (6 Best Time Management Strategies for Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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