6 Tips for Competitive Examinations
1.प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 6 टिप्स (6 Tips for Competitive Examinations),प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Prepare for Competitive Examinations):
- प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 6 टिप्स (6 Tips for Competitive Examinations) और प्रश्नों के उत्तर द्वारा आप किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा की बेहतरीन तैयारी कर सकते हैं।वह परीक्षा निजी क्षेत्र में हो या सरकारी अथवा बहुराष्ट्रीय कंपनियों में।मसलन इंजीनियरिंग,गेट,एनडीए,आईएएस,क्लरीकल,बैंकिंग इत्यादि किसी भी क्षेत्र से संबंधित परीक्षा हो।
- आधुनिक युग प्रतियोगिता का युग होने के कारण इन परीक्षाओं में केवल सफल होना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि शीर्ष स्तर का प्रदर्शन करना होता है।ये परीक्षाएं विद्यालय,महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की परीक्षाओं से बिल्कुल हटकर होती हैं इसलिए इसमें गंभीर अध्ययन व अभ्यास करने की आवश्यकता होती है।यह तैयारी आपको कक्षा आठवीं के बाद ही प्रारम्भ कर देनी चाहिए।क्योंकि कुछ बातों की तैयारी आप कॉलेज या विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त करने के बाद अथवा परीक्षा देते समय नहीं कर सकते हैं।जैसे व्यक्तित्व का विकास एकाएक नहीं किया जा सकता है।व्यक्तित्व प्रत्युत्पन्नमति, शीघ्र समझ,सतर्कता,सजगता,सही दृष्टिकोण,तार्किक चिंतन,परिपक्व दृष्टिकोण,अभिव्यक्ति,गरिमामय व्यवहार,धैर्य,संयत, सौम्य व्यवहार,संवेदनशीलता इत्यादि अनेक गुणों का जोड़ होता है।इन गुणों का विकास दीर्घ अवधि में होता है।उच्च स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा हेतु आठवीं के बाद आपको 7-8 साल का समय मिल जाता है।सात-आठ वर्ष में आप अपने व्यक्तित्त्व को मनचाहे रूप में ढाल सकते हैं।शायद आप समझते हों कि साक्षात्कार के आधे-एक घंटे में इनका परीक्षण कैसे संभव है?आप कुछ हद तक ठीक कहते हैं।परंतु आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि साक्षात्कारकर्ता बहुत अनुभवी विद्वान (Senior Scholar) तथा ऊंचे-ऊंचे पदों पर पहुंचे हैं तो बहुत से संघर्षों का सामना करने के बाद पहुंचे हैं। ऐसे लोगों की पैनी नजर थोड़े समय में आपके व्यक्तित्व का परीक्षण कर लेती है।अब विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु विवरण प्रस्तुत है।प्रतियोगिता परीक्षाओं के विवरण से संबंधित हमने कई आर्टिकल पोस्ट किए हुए हैं आपको उनका भी अध्ययन करना चाहिए।
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2.कठिन परिश्रम और संघर्ष करें (Hard Work and Struggle):
- कठिन परिश्रम का अर्थ यह नहीं है कि आप कठिन परिश्रम करने के चक्कर में अपने आपको अस्वस्थ कर लें अथवा आपका मन विचलित और एकाग्रता भंग हो जाए।कठिन परिश्रम का इतना ही तात्पर्य है कि आप अपने समय का पूर्ण सदुपयोग करें।समय को फालतू के कार्य में न गँवाएँ।मनोरंजन भी करें तो अपनी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए उसमें से ज्ञानवर्धक जानकारी जुठाएं।मनोरंजन के लिए टीवी देख रहे हैं और उसमें न्यूज़ सुन रहे हैं तो उसमें न्यूज में से सामान्य अध्ययन की तैयारी हेतु तथ्यात्मक सामग्री को नोट कर लें।कहने का तात्पर्य यह है कि आपका हर कार्य सुविचारित और लक्ष्य केंद्रित होना चाहिए।संघर्ष करने का अर्थ यह नहीं है कि आपको किसी से लड़ाई झगड़ा करना है।संघर्ष यहाँ दो प्रकार के अर्थ लिए हुए हैं।पहला इसका अर्थ यह है कि आपको अपनी अध्ययन सामग्री उच्चकोटि की मिले इसके लिए आपको काफी प्रयत्न व भाग-दौड़ करनी पड़ सकती है।अध्ययन सामग्री एक जगह उपलब्ध नहीं हो पाती है।उच्चकोटि की अध्ययन सामग्री के लिए आपको भिन्न-भिन्न जगह से एकत्रित करनी पड़ती है।उच्चकोटि की सामग्री का पता लगाने के लिए आपको अपने मित्रों,शिक्षकों तथा कोचिंग संस्थान से मदद लेनी पड़ती है।
- दरअसल आधुनिक युग में नौकरी,आजीविका या जाॅब प्राप्त करने के लिए गलाकाट प्रतिस्पर्धा हो गई है।इसमें आपकी सामान्य योग्यता अर्थात् जो डिग्री प्राप्त की है (बीएससी/बीए/बीकॉम/एमएससी/एमकॉम/बीटेक/बीई) वो सिर्फ सामान्य योग्यता बनकर रह गई है।इनके आधार पर जाॅब मिलना मुश्किल है।आज नियोक्ता डिग्री के साथ-साथ अनुभव परखता है अथवा साक्षात्कार समूह या चयन समिति को यह पूर्णतः आश्वस्त करना होता है कि संबंधित पद के लिए आप सर्वाधिक उपयुक्त कैंडिडेट है।
- संघर्ष का दूसरा पक्ष यह है कि हमारे अंदर जो विकार हैं उनको दूर करना।विकार हमारे व्यक्तित्त्व का स्वभाव बन चुके होते हैं।संस्कारों में मिले हुए होते हैं।ये विकार संघर्ष और तप से ही दूर होते हैं। जिस प्रकार सोने की अशुद्धि अग्नि में तपाने पर दूर हो जाती है।इसी प्रकार प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में हम जो परिश्रम करते हैं उसमें वे विकार अवरोधक सिद्ध होते हैं।हमारे अध्ययन और मन की एकाग्रता में उच्चाटन पैदा करते हैं।लेकिन बार-बार अभ्यास करने से ये विकार दूर होते जाते हैं।मन की एकाग्रता सधने लगती है।कठिनाइयों का सामना करने से ये विकार दूर होते जाते हैं।
3.दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ तैयारी करें (Prepare with Strong Will Power):
- दृढ़ इच्छाशक्ति से तात्पर्य है कि आप अपनी क्षमता,योग्यता और स्वभाव के अनुसार प्रतियोगिता परीक्षा का चयन करें।इसे इस उदाहरण से समझे कि जैसे आपने आईपीएस/आरपीएस की परीक्षा देने का विकल्प चुना है।इस पद हेतु उच्चकोटि के साहस की जरूरत होती है।इसका अर्थ यह नहीं है कि आईएएस/आरएएस के पद हेतु साहस की जरूरत नहीं होती है बल्कि आईएएस/आएएस के पद हेतु उच्चकोटि के विवेक की आवश्यकता होती है।कहने का तात्पर्य यह है कि किसी पद विशेष हेतु कुछ मुख्य गुणों तथा कुछ गौण गुणों की जरूरत होती है।
- आईपीएस/आरपीएस हेतु साहस,हिम्मत मुख्य गुण तथा विवेक,बुद्धि गौण गुण हैं।इसी प्रकार आईएएस/आरएएस के लिए विवेक,बुद्धि मुख्य गुण तथा साहस,हिम्मत इत्यादि गुण गौण गुण हैं।
- आपको प्रतियोगिता का चयन अपनी क्षमता,योग्यता व स्वभाव के अनुकूल ही चयन करना चाहिए।यदि अपनी क्षमता,योग्यता व स्वभाव के अनुकूल सेवा का चयन नहीं किया तो उस पद पर चयन हो भी जाता है तो उस पद में आनेवाली समस्याओं का बेहतर तरीके से समाधान नहीं कर पाएंगे।
- अपनी योग्यता,क्षमता और स्वभाव के अनुकूल संकल्प लेते हैं और उसे पूर्ण करते हैं तो आपमें आत्मविश्वास बढ़ता है।धीरे-धीरे आपको ज्यों-ज्यों सफलता मिलती जाती है तो दृढ़ संकल्प शक्ति से मन की चंचलता हट जाती है।क्योंकि हमारी संकल्प शक्ति को मन की चंचलता अवरोधक का कार्य करती है।
- आप परीक्षा की तैयारी करते हैं तो उसमें भी मन कभी यह सोचता है कि इस टॉपिक की तैयारी नहीं करनी चाहिए।इस टाॅपिक को छोड़ देना चाहिए।इस प्रकार मन की चंचलता किसी भी तरह तथा विषय की तैयारी में अवरोधक होती है।ज्यों-ज्यों मन की चंचलता समाप्त होती है त्यों-त्यों संकल्प शक्ति प्रकट होती जाती है इसके लिए शुरू से ही आपको ध्यान और योग करना चाहिए।मन के विचारों को एक जगह केंद्रित करना ही एकाग्रता है।मन के विभिन्न विचार एकाग्र हो जाते हैं तो फिर एक विचार को हटाना आसान हो जाता है।मन को हटाना ही दृढ संकल्प शक्ति का प्रकट होना है।
4.धैर्य धारण करें (Have Patience):
- धैर्य धारण का अर्थ केवल प्रतीक्षा करना नहीं होता बल्कि धैर्य धारण करने का अर्थ प्रतीक्षा में आपका दृष्टिकोण क्या है?यह भी धैर्य में आता है।जैसे कठिन परिश्रम का अर्थ केवल परिश्रम करना ही नहीं होता है।क्योंकि परिश्रम तो चीटियां भी करती है।परंतु कठिन परिश्रम जब लक्ष्य केंद्रित होता है तो यथार्थ में वही कठिन परिश्रम समझा जाना चाहिए। इसी प्रकार धैर्य धारण करने का अर्थ है कि प्रतीक्षा के समय आपमें सही दृष्टिकोण व स्पष्ट सोच होना चाहिए।जैसे परीक्षा में बार-बार प्रयास करने पर भी असफलता हासिल हो रही हो तो आपको धैर्य धारण करना चाहिए।यहाँ प्रतीक्षा के साथ इस बिंदु पर विचार करना चाहिए कि आपमें ऐसी कौनसी कमजोरी है जिसके कारण आपका प्रतियोगिता परीक्षा में चयन नहीं हो पा रहा है।उस कमजोरी का पता लगाकर यथाशीघ्र दूर करना चाहिए।जैसे किसी प्रतियोगिता परीक्षा में Reasoning, Intelligence Test, English, Numerical Aptitude के प्रश्न आते हैं।आपको पता लगाना चाहिए कि इनमें से किस विषय तथा टाॅपिक पर आपकी पकड़ मजबूत नहीं है।आप माॅक टेस्ट (Mock Test),विभिन्न मॉडल पेपर्स को समयावधि में हल करके स्वयं पता लगा सकते हैं कि आपकी कहां कमजोरी है जो प्रतियोगिता परीक्षा में चयन में अवरोधक है।यदि अपनी कमजोरी को खुद पता नहीं लगा पा रहे हैं तो अपने मित्रों,शिक्षकों तथा प्राध्यापकों से विचार-विमर्श करके पता लगाना चाहिए।वे जो दिशा-निर्देश दें उनका पालन करना चाहिए।
5.पाठ्यक्रम की पूर्ण तैयारी करने की कोशिश करें (Try to Prepare the Course in Full):
- पाठ्यक्रम की पूर्व तैयारी करने से पूर्व पाठ्यक्रम की पूर्ण जानकारी (Get Full Knowledge of the Course) हासिल करें।अर्थात् पाठ्यक्रम की तैयारी हेतु कौन-कौनसी स्तरीय पुस्तकें हैं।कौन-कौनसी पत्र/पत्रिकाएं तथा गाइड का अध्ययन करना चाहिए।जैसे सामान्य अध्ययन के लिए यूनिक गाइड संपादक शंकर घोष,पत्रिकाओं में प्रतियोगिता दर्पण का अध्ययन किया जा सकता है।इस प्रकार प्रतियोगिता परीक्षा में विषय सामग्री से संबंधित स्तरीय पुस्तकों,गाइड व पत्र-पत्रिकाओं का संकलन करना चाहिए।अत्यधिक पुस्तकों का संकलन भी नहीं करना चाहिए जिससे उनको आप पढ़ ही न सकें और न पढ़ने के कारण तनाव ग्रस्त हो जाए।गाइड से आपको परीक्षा में आनेवाले वर्तमान प्रश्न पत्र के पैटर्न का पता चल जाता है।अकेले-अकेले ही अध्ययन नहीं करना चाहिए।अपने गुण,कर्म,स्वभाव वाले मित्रों के साथ किसी उलझन पर ग्रुप डिस्कशन करना चाहिए।ग्रुप डिस्कशन से एक-दूसरे के विचारों का आदान-प्रदान होता है तथा कई नए तथ्यों का पता चलता है।गाइड तथा पत्र-पत्रिकाओं के नवीन संस्करण होने चाहिये।ग्रुप डिस्कशन से आपको साक्षात्कार की तैयारी करने में भी मदद मिलेगीः
- जहां तक हो सके विषय सामग्री के स्वयं के नोट्स तैयार करें।यह याद रखना चाहिए कि विषयगत तैयारी आपके साक्षात्कार के लिए भी उपयोगी है।इसलिए इसकी गंभीरतापूर्वक तैयारी करनी चाहिए।साक्षात्कार में हमारी छोटी सी कमजोरी से चयन निरस्त हो सकता है।विषयगत तैयारी के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकों का भी गंभीरतापूर्वक अध्ययन करना चाहिए।इनमें विषय सामग्री विश्वसनीय तथा उच्चकोटि व ज्ञानवर्धक होती है।
- अपने दिमाग से यह ख्याल भी निकाल देना चाहिए कि अंग्रेजी में ही स्तरीय पुस्तकें और पत्रिकाएं उपलब्ध हैं।आधुनिक समय में हिंदी में भी अंग्रेजी की टक्कर की विषय सामग्री की पुस्तकें,पत्र-पत्रिकाएँ इत्यादि मिल जाती है।यदि प्रतियोगिता द्विस्तरीय, त्रिस्तरीय है तो अपनी प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी मुख्य परीक्षा को ध्यान में रखते हुए करनी चाहिए।परीक्षा में उत्तर सरल,स्पष्ट व मौलिक होना चाहिए।पुस्तक की हूबहू नकल करना उचित नहीं है।पुस्तक से पढ़कर उसे अपनी शैली में लिखना ही मौलिक लिखना होता है।
- पिछले प्रश्न-पत्रों को देखकर तथा उसके पैटर्न पर अपने नोट्स बनाने चाहिए।उसी के अनुसार अपनी परीक्षा की तैयारी करें।परीक्षा की तैयारी करने और नोट्स से लिखने से आपकी लेखन की गति भी बढ़ती है।कई बार कैंडिडेट की लिखने की गति (Writing Speed) धीमी होती है तो प्रश्न-पत्र को पूरा हल नहीं कर पाते हैं और उनको असफलता हाथ लगती है।
6.परीक्षा की तैयारी के साथ व्यक्तित्त्व का विकास भी करें (Along with the Preparation of Exam,Also Develop Personality):
- व्यक्तित्व का विकास वैसे तो दीर्घकालिक प्रक्रिया है।इसलिए बचपन से ही व्यक्तित्व के विकास पर माता-पिता तथा अभिभावकों व शिक्षकों को ध्यान देना चाहिए।साक्षात्कार के समय व्यक्तित्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।इसलिए प्रारम्भ में माता-पिता को तथा बाद में छात्र-छात्राओं को अपने व्यक्तित्व के विकास हेतु प्रयत्नशील रहना चाहिए।व्यक्तित्व के विकास के दो पक्ष हैं:बाह्य और आन्तरिक।बाह्य पक्ष में वेशभूषा, हावभाव, बोलचाल,,भाव भंगिमा,चाल-ढाल इत्यादि को शामिल किया जाता है।आंतरिक पक्ष में सौम्य स्वभाव,विनम्रता, सरलता,अहंकार का त्याग,दूसरों की निंदा न करना,स्वयं से हुई गलती के लिए क्षमा मांगना,पहल करना,मधुर व प्रिय बोलना,ओजस्वी वाणी, गाम्भीर्य, तेजस्विता,शिष्टाचार इत्यादि को शामिल किया जाता है।व्यक्तित्त्व के विकास हेतु आप किसी स्तरीय कोचिंग की मदद भी ले सकते हैं।
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7.परीक्षा की तैयारी हेतु अन्य बातें (Other Thing to Prepare for the Examination):
- साक्षात्कार परीक्षा का एक अंग है।साक्षात्कार के समय भड़कीले व कीमती कपड़े न पहनकर आप पर फबने वाले तथा इस प्रकार के हों जिससे आप कोई परेशानी महसूस न करें।प्रसन्नचित्त और आकर्षक व्यक्तित्त्व का निर्माण करें।इसके लिए आपको प्रारंभ से ही ध्यान ,प्राणायाम व योगासन करना चाहिए।ध्यान व योगासन से आपका व्यक्तित्व निखरता है।परीक्षा भवन में समय से आधा घंटा पूर्व पहुंचने का प्रयास करें।परीक्षा स्थल का संभव हो तो पूर्व में निरीक्षण कर लेना चाहिए।
- साक्षात्कार कक्ष में प्रवेश करने से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए।दरवाजे को हल्के से खोलना चाहिए।झटका देकर व जोर से नहीं खोलना चाहिए।सभी को अभिवादन करना चाहिए।यदि कोई महिला भी हो तो उसे अलग से नमस्ते मैडम कहना न भूले।अकड़कर न बैठकर सामान्य मुद्रा में बैठना चाहिए। किसी प्रश्न का उत्तर न आने पर अपने पैरों को पटकना अथवा चेहरे और चेहरे की भाव-भंगिमा को बिगाड़ना नहीं चाहिए।बल्कि संयत रहना चाहिए।गोलमोल उत्तर न देकर स्पष्ट रूप से अपनी अनभिज्ञता स्वीकार कर लेना चाहिए।मेज पर हाथ न रखें।किसी प्रश्न का उत्तर देते समय उसमें ऐसा बिन्दु जोड़ देना चाहिए जिसमें आप ज्ञान रखते हैं। जैसे आपसे पूछा जाए कि आधुनिक युग में योग की क्रांति के सूत्रधार कौन है?तो आप बता सकते हैं कि बाबा रामदेव हैं।योग पतंजलि के अष्टांग योग का स्वरूप है।
कक्ष से बाहर आते समय सभी का आभार प्रकट करना चाहिए।साथ ही शालीनता से सबको नमस्कार करके विदा लेना चाहिए। - लोकप्रिय पत्रिकाएं योजना,कुरुक्षेत्र,प्रतियोगिता दर्पण इत्यादि का अध्ययन करके अपने आपको अपटूडेट रखना चाहिए।मनोरंजक पाठ्यसामग्री तथा अपनी रुचि से संबंधित विषय का ज्ञान भी अर्जन करना चाहिए।सम्पूर्ण विषय सामग्री व नोट्स को कम से कम 2 बार अध्ययन करना चाहिए।राष्ट्रीय समाचार पत्रों तथा उनके संपादकीय अवश्य पढ़ने चाहिए।उपर्युक्त विषय सामग्री एकत्रित करने में परेशानी महसूस हो तो किसी लाइब्रेरी में इनका अध्ययन कर लेना चाहिए।क्योंकि पुस्तकों की अधिक संख्या आपकी परेशानी का कारण भी बन सकती है।कुछ चुनी हुई पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए जिनको परीक्षा समयावधि में पूर्ण कर सके।
- उपर्युक्त विवरण विषययेतर अध्ययन करने का सुझाव इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि साक्षात्कार में आपके बहुआयामी व्यक्तित्त्व का पता लगाया जाता है।उसमें विषयेतर प्रश्न भी पूछे जाते हैं।प्रश्न-पत्र तथा साक्षात्कार में जितना पूछा जाए उतना ही उत्तर देना चाहिए।नपेतुले शब्दों में आपका उत्तर होना चाहिए।
उपर्युक्त आर्टिकल में प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 6 टिप्स (6 Tips for Competitive Examinations),प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Prepare for Competitive Examinations) के बारे में बताया गया है।
8.झूठे दोस्तों का खामियाजा (हास्य-व्यंग्य) (The Brunt of False Friends) (Humour-Satire):
- दोस्त सही बात का साथ निभाने वाले हो और अध्ययन में सहायक हों तो लक्ष्य आसान हो जाता है।परंतु दोस्त झूठे हो तो परीक्षा में असफलता के कारण भी बन जाते हैं।ऐसा ही एक दृष्टान्त प्रस्तुत है:
- एक बार कपिल नाम का छात्र लेट हो गया।
- पिताजी:इतनी देर से कैसे आए हो?कहां थे?
- कपिल:मित्र के घर गणित के सवाल हल कर रहा था।
पिताजी ने उसके मित्रों के घर फोन लगाकर पूछताछ की। - पहला मित्र:हाँ,यहां अंग्रेजी पढ़ रहा था।
- दूसरे मित्र ने कहा:अभी-अभी विज्ञान विषय घर से पढ़कर निकला है।
- तीसरे मित्र ने कहा:हाँ,हाँ यहाँ मेरे साथ बैठकर भौतिक शास्त्र पढ़ रहा है।
- चौथें मित्र ने तो हद कर दी।वह मिमिक्री करने में होशियार था।
- इसलिए अपने मित्र कपिल की आवाज में कहा:हाँ,पापा क्या बात है, कैसे फोन किया है?
- इस प्रकार के मित्र अध्ययन में सहायक नहीं बाधक होते हैं।
9.प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 6 टिप्स (6 Tips for Competitive Examinations),प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Prepare for Competitive Examinations) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.साक्षात्कार का सामना कैसे करें? (How do you cope with the interview?):
उत्तर:साक्षात्कार का आयोजन इसलिए किया जाता है जिससे आपके व्यवहार और आपकी समस्याओं से निपटने को परखा जा सके।साक्षात्कार में सबसे प्रमुख बात यह है कि आप इसका डर अपने मन में न पाले।अपने मित्रों के साथ छद्म साक्षात्कार (Mock Interview) का अभ्यास करें।आवश्यक हो तो कोचिंग संस्थान की मदद लें।साक्षात्कार में जो प्रश्न पूछे जाते हैं उसका निश्चित पाठ्यक्रम (Syllabus) नहीं होता है।परंतु ऐसे भी प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं कि आप उनका उत्तर ही न दे सकते हों।यदि आप विवेक,धैर्य, आत्मविश्वास तथा संयम के साथ साक्षात्कार का सामना करें तो यह लिखित परीक्षा की तरह साक्षात्कार हो जाएगा।कई कैंडिडेट्स साक्षात्कार के नाम से ही नर्वस हो जाते हैं।साक्षात्कार में आपकी हॉबी,रुचि तथा पारिवारिक पृष्ठभूमि से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं ताकि चर्चा सहयोगी तथा सरस बन सके।लिखित परीक्षा के विषय की चयनित तैयारी के बजाय विस्तृत व गहराई से अध्ययन होना चाहिए ताकि इनसे संबंधित प्रश्न आने पर नकारात्मक संदेश न जाए।
प्रश्न:2.साक्षात्कार में पोशाक का चयन किस प्रकार करें? (How to choose the dress in the interview?):
उत्तर:पोशाक अत्यंत भड़कीली तथा आपको असहज करने वाली न हो।पोशाक हल्के कलर में तथा आपके व्यक्तित्व पर फबने वाली होनी चाहिए।पोशाक से आपका व्यक्तित्त्व आकर्षक लगना चाहिए।
प्रश्न:3.प्रतियोगिता के विषय के अलावा ओर क्या-क्या अध्ययन करें?(What to study in addition to the subject of the competition?):
उत्तर:भारतीय राजनीति,सामयिक घटनाक्रम,टीवी के लोकप्रिय व मनोरंजक धारावाहिक,फिल्म ,वीडियो,मनोरंजक काॅमिक्स, चुटकुले और मनपसंद गीत-संगीत सुनना।अपनी रुचि की जानकारी हासिल करना।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 6 टिप्स (6 Tips for Competitive Examinations),प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Prepare for Competitive Examinations) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
6 Tips for Competitive Examinations
प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 6 टिप्स
(6 Tips for Competitive Examinations)
6 Tips for Competitive Examinations
प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 6 टिप्स (6 Tips for Competitive Examinations) और प्रश्नों के उत्तर द्वारा आप किसी भी प्
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