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6 Techniques for Holding Forgiveness

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1.छात्र-छात्राएं:क्षमा कैसे धारण करें? (Students:How to Hold Forgiveness?),क्षमा को धारण करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Holding Forgiveness):

  • क्षमा को धारण करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Holding Forgiveness) क्योंकि चिंतन सुधारने यानी चिंता के बजाय चिंतन करने तथा क्षमा धारण करने से तनाव हावी नहीं होता है।और अध्ययन तथा परीक्षा की तैयारी करने के लिए तनावरहित होना जरूरी है।विद्यार्थी परीक्षा के दिनों में कुछ ना कुछ तनावग्रस्त हो जाते हैं,अतः वे क्षमा धारण करेंगे और चिंता के बजाय चिंतन करेंगे तो अध्ययन और परीक्षा की तैयारी को आनंददायक महसूस करते हुए कर सकेंगे।
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2.क्षमा करना बड़प्पन का सूचक है (Forgiveness is a sign of nobility):

  • क्षमा शब्द ‘क्षम’ से बना है जिससे क्षमता शब्द भी बनता है।क्षमता का मतलब होता है सामर्थ्य (capacity) और क्षमा का मतलब होता है किसी गलती या अपराध का प्रतिकार न कर सहन कर जाने की प्रवृत्ति यानी माफी क्योंकि ‘क्षम’ का अर्थ सहनशीलता भी है।क्षमा कर देना,माफ कर देना बहुत बड़ी क्षमता का परिचायक होता है इसीलिए नीति में कहा है-‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’ अर्थात् क्षमा करना वीरता का आभूषण है क्योंकि वीर और सक्षम व्यक्ति क्षमा करें तो ही वास्तव में क्षमा होती है वरना कमजोर की क्षमा,क्षमा नहीं होती,मजबूरी होती है।यदि क्षमतावान और समर्थ होकर भी क्षमा ना करें तो यह असहनशीलता होती है।क्षमाशीलता कायरता नहीं होती क्योंकि कायर व्यक्ति क्षमा करने की क्षमता नहीं रखता।क्षमा करना सर्वश्रेष्ठ कर्म माना गया है।महाभारत में लिखा है कि:
  • “क्षमा धर्म है,क्षमा यज्ञ है,क्षमता वेद है,क्षमा शास्त्र है।जो इस प्रकार जानता है,वह सब कुछ क्षमा करने में सक्षम हो जाता है।क्षमा ब्रह्म है,क्षमा सत्य है,क्षमा भूत है,क्षमा भविष्य है।क्षमा तप है,और क्षमा पवित्रता है।क्षमा ने संपूर्ण जगत को धारण कर रखा है।क्षमा तेजस्वी पुरुषों का तेज है,क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है।क्षमा सत्यवादियों का सत्य है,क्षमा यज्ञ है और क्षमा ही शम (मनोनिग्रह) है।
  • देखा आपने! क्षमा की कितनी अदभुत और विस्तृत प्रशंसा की गई है? और यह प्रशंसा अकारण और निरर्थक नहीं बल्कि सकारण और सार्थक है।हम यदि क्षमा धारण कर लें तो इतने सभी गुण हमारे चरित्र और स्वभाव में मौजूद हो सकते हैं।और इतने गुण हमें वास्तव में मनुष्य बना देंगे इसमें कोई शक नहीं है क्योंकि क्षमा करना मनुष्य के अधिकार में है,पशु में यह गुण नहीं होता क्योंकि पशु प्रतिहिंसा से भरा होता है।संसार में ऐसे अपराध बहुत ही कम है जिन्हें हम क्षमा नहीं कर सके और चाहे तो कर सकते हैं। क्षमा में जो उदारता है जो महिमा है वह क्रोध और प्रतिकार में नहीं है।प्रतिहिंसा भी हिंसा पर ही आघात करती है,उदारता पर नहीं।क्षमा में यह क्षमता है कि वह पाप कर्म को भी पुण्य में रूपांतरित कर सकती है।
  • धर्म के दस लक्षणों में ‘क्षमा’ को इसलिए शामिल किया गया है कि यह मनुष्य के चरित्र और व्यक्तित्व को बहुत ऊंचा उठा देती है।सज्जन और संत स्वभाव के लोग अपराध करने वाले को क्षमा कर देते हैं क्योंकि वे ऐसा मानते हैं कि यदि दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता तो हम भी अपनी सज्जनता क्यों छोड़े? वे भी अपनी सज्जनता नहीं छोड़ते,इससे कलह और वाद-विवाद होने की स्थिति टल जाती है।
  • ‘बूंद अघात सहहिं गिरी कैसे।खल के वचन संत सह जैसे।।के अनुसार भले और सज्जन प्रकृति के लोग दुष्टों के कटुवचन उसी प्रकार सहन कर लेते हैं जैसे वर्षा की तेज बूँदों का आघात पर पहाड़-पर्वत सह जाते हैं।यही क्षमा भाव है।
    क्षमाभाव हमें बड़प्पन प्रदान करता है और जो बड़प्पन रखते हैं वे क्षमाशील होते हैं।कबीरदास जी के अनुसार “क्षमा बड़न को चाहिए,छोटन को उत्पात।का हरि को घट गया,जो भृगु मारी लात।।अर्थात् जो बड़े होते हैं वे क्षमा कर देते हैं,उन्हें क्षमा करना ही चाहिए।

3.क्षमाशीलता से जीवन की शुरुआत करें (Start Life with Forgiveness):

  • न जाने क्यों इन दिनों मन बहुत परेशान है।ये स्वर किसी एक के नहीं,अनेकों के हैं।जो उन्हें थोड़ा बहुत कुरेदने पर बड़ी आसानी से सुने जा सकते हैं।काम में जी नहीं लगता,बात-बात में गुस्सा आता है।हर समय चिड़चिड़ाहट घेरे रहती है।मन में घाव-सा हो गया है।ऊपर-ऊपर तो यदा-कदा ठहाके भी लगा लेते हैं,पर अंदर क्रोध का ज्वालामुखी दहकता-धधकता रहता है।सुविख्यात मनोचिकित्सक मॉरिस फ्रेडमैन इन लक्षणों का ब्यौरा देते हुए कहते हैं कि यदि ऐसा है तो परखिए,जरूर कहीं मन की निचली परत में गांठ जब-तब कसकती है,चुभती है,टीसती है,दुखती है,आक्रोश दिलाती है और रुलाती भी है।
  • मन की गहरी परतों को कुरेदने और संवारने में माहिर जे०डी० फ्रैंक ने इस विषय पर काफी ज्यादा शोध-अनुसंधान किए हैं।उन्होंने अपने अनुसंधान-निष्कर्षों का ब्यौरा ‘हिडेन माइंड:ए फॉरगॉटन चैप्टर ऑफ अवर लाइफ’ में प्रकाशित किया है।इस पुस्तक में प्रकाशित विवरण के अनुसार मन में ऐसी गांठ प्रायः किसी के कटु व्यवहार के कारण पड़ जाती है,जिसे हम भूल नहीं पाते।किसी के द्वारा की गई अवहेलना,उपेक्षा,तिरस्कार,अपमान के क्षण हमारे मन में गांठ बनकर कसकते रहते हैं।यह कसक कभी तो बदला लेने के आक्रोश का ज्वालामुखी बनना चाहती है और कभी अपने असहाय होने के एहसास की पीड़ा बनकर छटपटाती रहती है।आक्रोश और छटपटाहट का  यह दर्द अपने अंतर को अनचाहे टूक-टूक करता रहता है।
  • जापानी चिकित्साशास्त्री के० कुरोकावा के अनुसार मन की राह पीड़ा तन में उतरे बिना नहीं रहती।उनके शोध-निष्कर्ष बताते हैं कि मन की परेशानी ज्यों-ज्यों गहरी होती जाती है,तन की बीमारी का रूप ले लेती है।कुरोकावा और उनकी सहवैज्ञानिक योशीयुकी कागो ने अपने वैज्ञानिक शोध से इस तथ्य का खुलासा किया है-जो लोग नकारात्मक भावों,जैसे विश्वासघात,द्वेष,ईर्ष्या,जलन,प्रतिशोध आदि में प्रायः डूबे रहते हैं,वे तनाव,उच्च रक्तचाप और इसके जरिए आगे चलकर पनपने वाली हृदयघात व गुरदों आदि से संबंधित अनेक बिन बुलाई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।इस तरह नकारात्मक भावनाएं न केवल मन को पीड़ा और छटपटाहट से भर देती हैं,बल्कि उनसे तन भी हर पल जलता-गलता और मरता रहता है।
  • कुरोकोवा और योशीयुकी के शोध-अध्ययन से यह भी पता चलता है कि जो लोग दूसरों को क्षमा कर देते हैं,उन्हें तनाव व रक्तचाप से संबंधित बीमारियाँ कम होती है।यानी कि यदि हम अपने देश की मिट्टी में अंकुरित हुई प्राचीन कहावत ‘क्षमा करें और भूल जाएं’ को अपना लें तो जिंदगी बदल सकती है।दूसरे जैसे भी हों,पर हम उनके दुर्व्यवहार को यदि क्षमा कर दें तो हमारी अपनी जिंदगी में शांति और आनंद का रस घुल सकता है।क्षमा करना हमारे बड़प्पन को प्रकट करता है।
  • जो क्षमा करते हैं यथार्थ में वही बड़े होते हैं।वही अपने सद्गुणों के कारण महान कहे जाते हैं।उत्पात मचाने वाले और दुर्व्यवहार करने वाले तो छोटे हैं और छोटे ही रहेंगे।भगवान विष्णु की भगवत्ता महर्षि भृगु के पद-प्रहार से किसी भी तरह कम नहीं हुई।वैज्ञानिक अनुसंधान कहते हैं कि यह क्षमाशीलता न केवल हमारे बड़प्पन को प्रकट करती है,बल्कि हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।शोध-निष्कर्ष यह बयान करते हैं कि यदि क्षमाशील व्यक्ति को तनाव से सिरदर्द,आंखों में जलन,उच्च रक्तचाप से जुड़ी हुई बीमारियां किसी कारण हो भी जाती है तो उन्हें जल्द नियंत्रित किया जा सकता है।शोध से इस तथ्य का भी खुलासा हुआ है कि क्षमा करने या न करने का सीधा संबंध तनाव व उच्च रक्तचाप से है।यानी कि यदि आप क्षमाशील हैं तो प्रायः तनाव व उच्च रक्तचाप से बचे रहेंगे।यदि नहीं है तो तनाव व तनाव से होने वाली बीमारियों,उच्च रक्तचाप का दबाव आपको विकल-बेचैन बनाए रहेगा।

4.क्षमा करें कैसे? (How to forgive?):

  • क्षमा भाव धारण करने के लिए मैत्रीभाव का होना परम आवश्यक है क्योंकि मैत्री भाव होगा तो वैरभाव नहीं होगा तो अहिंसा भाव धारण किया जा सकेगा,क्योंकि ‘अहिंसा वैर त्याग:।’ के अनुसार वैर भाव का त्याग और मैत्री भाव धारण किए बिना अहिंसा और क्षमा का पालन किया ही नहीं जा सकता।आज हमारे देश के युवाओं को ही नहीं बल्कि सारे विश्व के युवाओं को भाईचारा,मित्र भाव,परस्पर सहयोग और सद्भाव की सख्त जरूरत है और इसे उपलब्ध करने के लिए ‘क्षमाभाव’ को धारण करना अनिवार्य है।
  • तनाव से बचने के सबसे कारगर और प्रमुख उपाय दो हैं।पहला तो यह कि किसी भी समस्या का सामना होने पर,चिंता ना करके चिंतन करना कि इस समस्या को सुलझाया कैसे जा सकता है।और दूसरा उपाय उस कारण के प्रति क्षमाभाव धारण करना जो तनाव पैदा कर रहा हो।अब इन दो प्रमुख उपायों के साथ और भी कई उपाय किए जा सकते हैं पर इन दो उपायों का प्रयोग किए बिना अन्य कोई उपाय तनाव से बचा सकेगा या तनाव को दूर कर सकेगा यह बात संदिग्ध है।
  • चिंता ना करके चिंतन करने से लाभ यह होगा कि एक तो चिंता करने से तनाव आता है,खिंचाव आता है और एक सिकुड़न-सी पैदा होती है इसे बचा जा सकेगा तो तनाव पैदा ही न होगा।चिंता और चिंतन में जरा-सा फर्क पर परिणाम बिल्कुल अलग-अलग होते हैं।चिंता उसे कहते हैं जिसमें हम सोचने के लिए,चिंतन करने के लिए मजबूर होते हैं और जैसा सोचना चाहते हैं वैसा नहीं सोच पाते बल्कि मजबूरन वैसा सोचते रहते हैं जैसा हमें सोचना पड़ता है।मजबूरी से और दुःख का अनुभव करते हुए किया गया चिंतन ही ‘चिंता’ है,जो तनाव पैदा करती है जबकि स्वेच्छा से,निश्चिंत होकर,प्रसन्न मन से किया गया सोच-विचार ‘चिंतन (मनन)’ है।चिंता बहुत पीड़ादायक,हानिकारक तथा धीमे जहर (slow poison) की तरह घातक होती है जो समस्या को सुलझाने में सहायता करने के स्थान पर,उलझाने का ही काम करती है इसीलिए तो कहा गया है की चिता तो मुर्दे को जलाती है लेकिन चिंता जीते जिंदा को,धीमे-धीमे सुलगाती हुई जलाती रहती है और कुछ इस तरह से जलाती है कि जलने वाला न तो कोयला बन पाता है और न राख ही,जैसे की लकड़ी जलकर कोयला और कोयला जलकर राख हो जाता है।
  • तनाव से बचने का पहला उपाय है चिंतन करके तनाव उत्पन्न करने वाले कारण का निवारण करना।जहां चिंता करने से हमारी बुद्धि जड़ और किंकर्तव्यविमूढ़ होकर समस्या का समाधान प्राप्त नहीं कर पाती वहां उन्मुक्त चिंतन (मनन) करने में बुद्धि तो सक्रिय रहती है साथ ही विवेक,धैर्य और साहस-इन तीन मित्रों का साथ सहयोग मिल जाता है उस समस्या का समाधान होता ही है,हो ही जाता है।
  • दूसरा कारगर उपाय है क्षमाभाव धारण करना और यह बात आप अच्छी तरह से समझ लें कि क्षमाभाव सिर्फ किसी व्यक्ति के प्रति नहीं बल्कि किसी घटना के प्रति,किसी परिस्थिति के प्रति और किसी काम के प्रति धारण किया जाता है।क्षमाभाव का मतलब होता है सहनशील और उदार हृदय होना।किसी आदमी ने ऐसा कुछ कर दिया जो आपको अच्छा ना लगा और आप बुरा मान गए या बिगड़ उठे।अब आप इसी दिशा में बढ़ते जाएंगे और बात बिगड़ती ही जाएगी।यदि उदारतापूर्वक आप क्षमा भाव धारण करके विचार करेंगे तो बात वहीं समाप्त हो जाएगी।आग को आग से नहीं,पानी से बुझाया जा सकता है।इसी तरह अगर सामने वाले का लोहा मोड़ना हो तो अपना लोहा ठंडा रखना होता है।क्षमाभाव हमें ठंडा रखता है,शांत रखता है और स्थिर चित्त रखता है।लिहाजा ऐसी मनःस्थिति में हम जो भी कार्यवाही करेंगे वह उचित भी होगी और सुफलदायी भी,साथ ही साथ तनावग्रस्त होने से बचे रह सकेंगे।
  • वैर,ईर्ष्या,प्रतिस्पर्धा और प्रतिहिंसा जैसे दुर्गुणों से क्षमा हमें बचाता है और शत्रुता की जड़ ही समाप्त कर देता है।क्षमा के विपरीत है वैरभाव और प्रतिकार यानी बदला लेने का भाव और यह भाव बात को समाप्त नहीं करता,खींचता जाता है और हम इसके साथ खिंचने के लिए मजबूर हो जाते हैं।अब खिंचाव होगा तो तनाव भी होगा और हम तनाव से ग्रस्त हो जाएंगे।तनावग्रस्त हुए कि हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ना शुरू हुआ।इन सब बातों को ठीक से जान समझ कर हमें यह सुदृढ़ निश्चय कर लेना चाहिए कि हम चिंता ना करके चिंतन (मनन) करेंगे और वैरभाव तथा प्रतिकार का भाव ना रखकर क्षमाभावा धारण किए रहेंगे ताकि तनावग्रस्त होने से बचे रह सकें।

5.क्षमा करने के अन्य उपाय (Other ways to forgive):

  • क्षमा करें कैसे? यह कठिन सवाल अनेक मनों में अनुत्तरित है।यदि कोई विवेकवान किसी के दुर्व्यवहार को क्षमा करना भी चाहे तो विगत की यादें भावनाओं पर इस तरह छा जाती हैं कि क्षमा जन्मने के पहले ही मर जाती है।आधुनिक मनःचिकित्सक ऐसी भावदशा से परिचित हैं।यही कारण है कि उन्होंने कतिपय ऐसी तकनीकों की खोज की है,जिन्हें इस्तेमाल करके इस स्थिति से उबरा जा सकता है।इस क्रम में पहला बिंदु है- अपने प्रति ईमानदार बनिए।जिस शख्स को आप क्षमा नहीं कर पा रहे हैं,उसे नकारिए नहीं।हो सकता है,उसकी उतनी गलती ही ना हो,जितना कि आप बड़ा-चढ़ाकर सोच रहे हैं।उससे कतराने की कोई जरूरत नहीं है।तटस्थ होकर,पूर्वाग्रह मुक्त होकर इत्मीनान से विचार करिए।इस क्रम में आपके मन में जो भी भाव आएं,उन्हें सहजतापूर्वक आने दीजिए।फिर देखिए धीरे-धीरे आपके मन का बोझ उतर जाएगा।
  • इस क्रम में दूसरा बिंदु थोड़ा-सा अटपटा जरूर है,पर है बड़ा प्रभावकारी।आप एक कागज का टुकड़ा उठाइए और अपने भीतर उमड़ती-घुमड़ती भावनाओं को लिख डालिए।ऐसा एक बार नहीं,अनेक बार कीजिए।मनोविज्ञान की भाषा में इसे मनोविरेचन कहते हैं।इससे क्रमिक रूप से मन हलका होगा।फिर इसके बाद कागज पर लिखने का दूसरा पहलू भी है।इसके अनुसार आप कागज पर यह लिखिए कि आपने अमुख शख्स को माफ कर दिया है।ऐसा एक बार नहीं,अनेक बार लिखिए।इस तरह करने से मन के आक्रोश की दिशा बदलेगी और कुछ समय बाद स्वयं को बेहतर महसूस करने की स्थिति आ जाएगी।
  • तीसरा बिंदु इस क्रम में सार्थक विश्लेषण का है।केवल अपने बारे में ही न सोचें।खुद को दूसरे की स्थिति में भी आकलन करने की कोशिश करें।दूसरे के नजरिए को भी समझें।संभव है कि आपकी अपनी सोच ही गलत हो।दूसरे के नजरिए को समझकर आसानी से अपना सही आत्म-विश्लेषण किया जा सकता है।इसके नतीजे संभव है कि यह बता दें कि दूसरे की उतनी गलती नहीं है,जितना कि आपका मन बढ़ा-चढ़ाकर सोचे जा रहा है।फिर तो उसे बड़ी ही आसानी से माफ करके मन का सारा बोझ उतारा जा सकता है।
  • तरीका कोई भी अपनाया जाए,पर माफ करने का ख्याल मन में जिस गति से गाढ़ा और गहरा होगा,उसी गति से मन की सारी परेशानी,पीड़ा दूर हो जाएगी।मौरिस फ्रेडमैन तो इस तरह से माफ करने को एक नई जिंदगी की शुरुआत कहते हैं।उनके अनुसार माफ करने के बाद जिंदगी को एक नई ताजगी,ऊर्जा और गति मिलती है।मनश्चेतना ग्रंथिमुक्त हो जाती है।टीस,चुभन और दुखन कहां खो जाती है,पता ही नहीं चलता।तो फिर देर किस बात की,अपने अंदर क्षमाशीलता को विकसित करें और प्रकाशपूर्ण जीवन की दिशा में एक नया कदम बढ़ाएं।

6.छात्र-छात्राएँ क्षमा धारण करें (Students should be forgiven):

  • अक्सर अध्ययन और परीक्षा की तैयारी करते समय छात्र-छात्राएं तनावग्रस्त हो जाते हैं।कोई समस्या,सवाल हल नहीं होता या कोई टॉपिक समझ में नहीं आता तो तनाव से ग्रस्त हो जाते हैं।विशेषकर परीक्षा के नजदीक यह समस्या उत्पन्न होती है।
  • मित्रों या सहपाठियों के साथ किसी बिंदु पर वाद-विवाद हो जाता है तो वे उसको इश्यू बना लेते हैं और बात बढ़ती जाती है और आपस में वैरभाव बढ़ता जाता है।इसके अलावा आपने अपने मित्र या सहपाठी से कोई सवाल पूछा और उसने नहीं बताया,टाल-मटोल कर दी अथवा अन्य किसी सहायता-सहयोग में आनाकानी कर दी तो आप आवेश में आ जाते हैं।और भी कोई कारण हो सकता है जिसमें आपस में मनमुटाव हो जाता है।अतः परीक्षा को ध्यान में रखते हुए तथा अपने जीवन का निर्माण करने के लिए अपना चिंतन सुधारें अर्थात् चिन्ता (मजबूरीवश किया गया चिन्तन) के बजाय चिन्तन (प्रसन्न्ता से किया चिन्तन,मनन) करें और  क्षमाभाव धारण करेंगे तो आप अनेक समस्याओं से मुक्त हो जाएंगे।ऊपर बताए हुए उपायों को अपनाएँ,जैसे पेड़ अपनी पत्तियां बदलकर नए रूप में आ जाता है वैसे ही द्वेष,दुर्भाव,वैरभाव को त्याग कर अपने जीवन की नई शुरुआत करें तो परीक्षा में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाएंगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं:क्षमा कैसे धारण करें? (Students:How to Hold Forgiveness?),क्षमा को धारण करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Holding Forgiveness) के बारे में बताया गया है।

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7.कोचिंग की फीस (हास्य-व्यंग्य) (Coaching Fees) (Humour-Satire):

  • शिक्षक (छात्र से):कोर्स पूरा होते ही,तुम यह सोच लो कि परीक्षा में पास हो गए।छात्र जाने लगता है।
  • शिक्षक:कोचिंग की फीस तो दो।
  • छात्रःआप भी यह सोच लीजिए की फीस मिल चुकी है।

8.छात्र-छात्राएं:क्षमा कैसे धारण करें? (Frequently Asked Questions Related to Students:How to Hold Forgiveness?),क्षमा को धारण करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Holding Forgiveness) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्षमा का सार क्या है? (What is the essence of forgiveness?):

उत्तर:(1.)माफी वही दे सकता है जो अंदर से मजबूत है,खोखले इंसान सिर्फ बदले की आग में जलते हैं।
(2.)क्षमा गलतियों की होती है,धोखे की नहीं।
(3.)जो पहले क्षमा मांगता है वह सबसे बहादुर है,जो सबसे पहले क्षमा करता है वह सबसे शक्तिशाली और जो सबसे पहले भूल जाता है वह सबसे सुखी है।
(4.)क्षमा तो बार-बार किया जा सकता है पर एतबार बार-बार नहीं।

प्रश्न:2.क्या हर गलती क्षमायोग्य है? (Is every mistake forgivable?):

उत्तर:कुछ गलतियां ऐसी होती है जो जीवन भर दर्द देती है,उनके लिए क्षमा नहीं किया जा सकता है।जैसे निर्भया कांड के दोषियों को क्षमा नहीं किया जा सकता था।

प्रश्न:3.क्षमा में मुख्य बात ध्यान रखने की क्या है? (What is the main thing to keep in mind in forgiveness?):

उत्तर:जिसने पहले कभी तुम्हारा उपकार किया हो,उससे यदि कोई भारी अपराध हो जाए,तो भी पहले के उपकार का स्मरण करके उस अपराधी के अपराध को तुम्हें क्षमा कर देना चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं:क्षमा कैसे धारण करें? (Students:How to Hold Forgiveness?),क्षमा को धारण करने की 6 तकनीक (6 Techniques for Holding Forgiveness) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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