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6 Best Tips to Develop Soft Skills

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1.सॉफ्ट स्किल्स विकसित करने की बेहतरीन 6 टिप्स (6 Best Tips to Develop Soft Skills),काॅलेज के छात्रों में साॅफ्ट स्किल्स कैसे विकसित करें? (How to Develop Soft Skills in College Students?):

  • सॉफ्ट स्किल्स विकसित करने की बेहतरीन 6 टिप्स (6 Best Tips to Develop Soft Skills) के आधार पर कैरियर में आगे बढ़ते जाएंगे।कई कर्मचारी/अधिकारी प्रतिभाशाली तथा काफी कौशल रखने के बावजूद उनके करियर की प्रगति में ठहराव आ जाता है।वे ओर अधिक ऊंचाइयां प्राप्त नहीं कर पाते हैं।आज के प्रतियोगिता व स्पर्धायुक्त माहौल में यदि आप कुछ न कुछ नया सीखते नहीं है अथवा अपनी योग्यता में वृद्धि नहीं करते हैं तब तक निरंतर आगे बढ़ते रहना मुश्किल है।कॉलेज स्टूडेंट्स को भी कॉलेज समय में ही अपनी सॉफ्ट स्किल को विकसित करने की तरफ ध्यान देना चाहिए।
  • सॉफ्ट स्किल से तात्पर्य है कि आपके जॉब से संबंधित ज्ञान व कौशल के अतिरिक्त आपकी मानसिक क्षमताओं व व्यक्तित्व संबंधी कौशल से है।मसलन सॉफ्ट स्किल में संवाद करने की क्षमता,अपने अधीनस्थ अथवा वरिष्ठ को धैर्यपूर्वक सुनने की क्षमता,टीमवर्क कौशल,नेतृत्व क्षमता,सृजनात्मकता,तार्किक क्षमता,समस्या को हैंडिल करने का तरीका,ऑफिस के संचालन की निपुणता,समय-समय पर बदलाव करने की कुशलता,मार्केट में अपने ऑफिस व कंपनी को स्थापित करने की कूटनीतिक योग्यता,पहल करने की योग्यता,कंज्यूमर को जोड़ने की कुशलता जैसे अनेक गुणों को शामिल किया जाता है।
  • यदि उपर्युक्त गुण आपमें पहले से ही मौजूद हैं तो भी इनमें सुधार करने हेतु सजगता,जिज्ञासा,उत्सुकता की आवश्यकता है।यदि आप जिज्ञासा व उत्सुकता नहीं रखेंगे तो एक सीमा के बाद इन गुणों में ठहराव आ जाता है।ऐसा इसलिए भी होता है कि जब कर्मचारी/अधिकारी को यह अनुभव होने लगता है कि उसे जॉब से संबंधित जितना जरूरी है उतना उसको अनुभव है। ऐसा सोचने पर वह इन गुणों में सुधार करने के बारे में सोचना बंद कर देता है।अब सॉफ्ट स्किल्स के मुख्य-मुख्य गुणों के बारे में सिलसिलेवार बताया जा रहा है।
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2.विशिष्ट कौशल (Specific Skill):

  • अनेक कर्मचारी/अधिकारी कैरियर में विशिष्ट कौशल के अभाव में आगे नहीं बढ़ पाते हैं।विशिष्ट कौशल में निर्णय लेने की क्षमता,सजगता,सतर्कता,अभिव्यक्ति,वचनबद्धता (Commitment),सहयोग,समन्वय,लचीलापन,संयम, ईमानदारी,आत्मविश्वास,हँसमुख स्वभाव जैसे कई गुण शामिल होते हैं।इनके अभाव में कर्मचारी/अधिकारी आगे नहीं बढ़ पाते हैं।
  • जैसे संवाद करने की क्षमता का ही उदाहरण लें। कर्मचारी-कर्मचारी,कनिष्ठ कर्मचारी-वरिष्ठ कर्मचारी तथा कर्मचारी-अधिकारी में विवाद हो जाता है।जिस कर्मचारी व अधिकारी में संवाद का कौशल होता है वे बात को बिगड़ने नहीं देते हैं।बल्कि संयत व शांत रहकर विवाद का हल ढूंढ लेते हैं।ऐसे कर्मचारी/अधिकारी व्यक्तिगत रूप से मिलकर आमने-सामने बैठकर विवाद को हल कर लेते हैं। यदि आमने-सामने बैठकर विवाद को हल करना संभव नहीं है तो ईमेल,फोन के जरिए विवाद का समाधान करते हैं।परंतु उसे अनसुलझा अथवा अनदेखी नहीं करते हैं।वरना झगड़ा या विवाद ज्यादा गंभीर रूप धारण कर लेता है।लेकिन विवाद या झगड़े को वही सुलझा सकता है जिसमें संवाद का कौशल होता है।
    इसी प्रकार पहल (initiative) करने का कौशल अर्थात् किसी कार्य को प्रथम बार करने का प्रयत्न करने की क्षमता होती है वह कर्मचारी/अधिकारी स्वयं को तथा कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।पहल किसी भी क्षेत्र में की जा सकती है जैसे सामाजिक,व्यावसायिक,ऑफिस,कम्पनी, घर इत्यादि में।पहल करने के लिए जरूरी नहीं है कि बड़े-बड़े कार्यों के लिए किया जाए बल्कि छोटे छोटे कार्यों के लिए भी पहल की जा सकती है।
  • उदाहरणार्थ बिल गेट्स ने माइक्रोसाफ्ट कंपनी को कंप्यूटर के क्षेत्र में तैयार किया है उसके लिए उनकी पहल क्षमता ही उन्हें शिखर पर लेकर गई है।बिल गेट्स की नस-नस में,रोम-रोम में पर्सनल कंप्यूटर का स्पंदन देखा जा सकता है।बिल गेट्स ने कंप्यूटर से संबंधित रिसर्च में अपने आप को खपा दिया। उन्होंने बाजार से अपने सभी प्रतियोगियों का खात्मा कर दिया।कंप्यूटर तकनीक के क्षेत्र में पूर्व से लेकर पश्चिम तक बिल गेट्स के शब्द प्रचलित हो गए हैं।
  • पहल करने की क्षमता आपको भीड़ से बिल्कुल अलग कर देती है।पहल करने वाला रचनात्मक,कुछ नया तथा सबसे अद्वितीय कार्य करता है।इससे पहल करने वाले को लाभ भी मिलता है।पहल करने वाले की छवि श्रेष्ठ,सम्मानित होने के साथ ही संगठन व कंपनी पर सुदृढ़ पकड़ हो जाती है।इसी प्रकार विशिष्ट कौशल के अन्य गुण व्यक्ति को फर्श से अर्श पर पहुंचाने की क्षमता रखते हैं।हमने संवाद करने का कौशल तथा पहल करने की क्षमता में स्पष्ट कर दिया है कि ये गुण कितने प्रभावशाली हैं।
  • इसी प्रकार निर्णय लेने की क्षमता को समझ सकते हैं।जिनमें निर्णय लेने की क्षमता का अभाव होता है वे किसी काम के बारे में काफी सोच-विचार करते हैं।वे हर काम को प्रक्रिया में फंसा देते हैं।इससे काम करने की गति धीमी हो जाती है।भारत की ब्यूरोक्रेसी के बारे में लालफीताशाही का शब्द इसीलिए गढ़ा गया है।भारत की ब्यूरोक्रेसी किसी भी कार्य को प्रक्रिया में फंसा देती है और उसका कारण है कुछ रिश्वत ली जा सके।एक बार मुझे बैंक से इन्टरनेट की स्वीकृति लेनी थी परन्तु मैनेजर ने कहा कि संबंधित कर्मचारी नहीं आया है।इस प्रकार तीन-चार बार टरका दिया गया।इससे उस ऑफिस व कम्पनी की साख गिरती है।यदि किए गए कार्यों की समय-समय पर समीक्षा होती रहे तथा जो कार्य लंबे समय से बकाया है उन्हें हल किया जाए तो यह निर्णय क्षमता की दृढ़ता को दिखाता है।

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3.टीमवर्क भावना (Team Work Spirit):

  • टीम वर्क भावना का तात्पर्य कर्मचारी/अधिकारी में आपसी सहयोग,आपस में समन्वय,अपने दृष्टिकोण के लिए समझौता,टीम के अन्य सदस्यों के रचनात्मक सुझावों को मानना,टीम के सभी सदस्यों की सहमति प्राप्त करना,अपने दृष्टिकोण को ही सर्वोपरि न मानना इत्यादि गुणों से है।
  • आज की व्यावसायिक,आर्थिक व तकनीकी युग में अहम् का कोई स्थान नहीं है।यदि अहम् भावना होगी तो उसे दकियानूसी,पुरातनपंथी,अहंकारी समझा जाता है।ऐसे अधिकारी/बाॅस से कोई भी कर्मचारी खुलकर बातचीत नहीं करता है।
  • जबकि जिसमें अहम् बहुत कम होता है उनमें विवेक की प्रधानता होती है।ऐसे व्यक्ति अपनी भावनाओं पर संयम रखते हैं।संस्थान के कर्मचारी द्वारा किए गए कार्य की प्रशंसा करते हैं।यदि किसी कार्य में सफलता मिलती है तो टीम के सभी सदस्यों को उसका हकदार मानते हैं।खराब सदस्य के साथ भी बुरा बर्ताव नहीं करते हैं बल्कि उसे अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • अपनी व्यक्तिगत राय से हटकर यदि टीम का सदस्य अच्छी राय देता है तो उसके सुझाव को मान्य करते हैं।अपनी व्यक्तिगत राय को किनारे कर देते हैं।टीम के प्रत्येक सदस्य की सुनते हैं तथा किसी समस्या को हल करने के लिए मिलकर काम करते हैं।टीम के मुखिया या बॉस में उपर्युक्त गुण एकाएक नहीं आ जाते हैं बल्कि निरंतर अभ्यास,निर्णय लेने,समस्याओं का समाधान करने से आते हैं।
  • टीम भावना बिना सहयोग,समन्वय,एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करने,आपसी तालमेल तथा अहम् का त्याग किए बिना आ ही नहीं सकती है।
  • यहां तक कि टीम के सदस्य यदि काम कर रहा होता है तो बाॅस उनके काम को देखने के लिए न केवल जाते हैं बल्कि उनको हटाकर कार्य करने लग जाते हैं।ऐसे बाॅस अपने आपको लो प्रोफाइल रखना पसंद करते हैं।उदाहरणार्थ चीन के हुन्नान प्रांत के एक छोटे से गांव में जन्मी जौ कानफेई लेंस टेक्नोलॉजी कंपनी की मालिक है।उन्होंने स्किल्ड कर्मचारी रखने और आधुनिक तकनीकी की मशीनें और सुविधाएं जुटाने के लिए भारी निवेश किया।बैंकलोन से अपना अपार्टमेंट तक गिरवी रख दिया। उनकी इस हिम्मत की तरह काम करना दूसरों को डर लगता है।वे ग्लास निर्माण के हर काम को खुद बहुत ध्यान से देखती है और सुरक्षा के हर तरह के इंतजाम करती है।यानी लो प्रोफाइल रहकर काम करती हैं।
  • इसी तरह टीम वर्क का एक अन्य उदाहरण लें:एक बार किसी कंपनी में अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य के कारण कर्मचारियों को रात्रि में बुलाना पड़ा परंतु महिला कर्मचारियों को नहीं बुलाया गया।जब टीम के अन्य सदस्यों को पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया।तब बाॅस ने कहा कि मुझे आप पर पूरा विश्वास है परंतु रात्रि को उन महिलाओं को घर जाते हुए अनेक प्रकार की कठिनाईयाँ होती है।तब टीम के अन्य सदस्यों ने कहा कि उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हम लेते हैं।तब बाॅस ने कहा कि तब मुझे कोई आपत्ति नहीं है।इसके पश्चात रात्रि ड्यूटी में प्रत्येक महिला को लाने व छोड़ने के लिए दो-दो कर्मचारियों को नियुक्त किया।इस प्रकार आपसी सहयोग,समन्वय तथा निष्ठा से वह कार्य संपन्न हो गया।

4.नेतृत्व कौशल (Leadership Skills):

  • कंपनी का बॉस एक लीडर होता है जो कर्मचारियों को निर्देशित करता है।कर्मचारियों को समवेत रूप से कार्य करने के लिए उनको एकजुट करता है तथा कंपनी में अनुशासन बनाए रखने के लिए निर्देश देता है।कर्मचारियों को बाध्य नहीं करता है।कंपनी का बॉस कंपनी को आगे बढ़ाने हेतु कर्मचारियों की उर्जा का सकारात्मक उपयोग करता है।
  • नेतृत्व का गुण केवल बॉस में होना आवश्यक नहीं है बल्कि कंपनी के संगठन के विभिन्न स्तरों पर नेतृत्व की आवश्यकता होती है।जैसे ब्रांच मैनेजर,प्रबंधक,अनुभाग अधिकारी,वित्तीय प्रबंधक इत्यादि में नेतृत्व के गुण होने चाहिए।
  • नेतृत्त्व के गुण जन्मजात प्राप्त होते हैं परंतु प्रशिक्षण से उनमें निखार आता है तथा दक्षता का उच्च स्तर प्राप्त किया जा सकता है।बिना प्रशिक्षण के नेतृत्व के गुण सुप्त रह जाते हैं।ठीक प्रकार से उभरते नहीं हैं।
  • एक उच्च कोटि का नेता कंपनी के कर्मचारियों में सृजनात्मकता का विकास करने में योगदान देता है। वह कर्मचारियों की सृजनात्मकता का पता लगाता है।उनमें सृजनात्मकता का दमन नहीं करता है तथा सृजनात्मक कार्यों का गला नहीं काटता है।
  • नेता कई प्रकार के होते हैं।परंतु मुख्यतः लोकतांत्रिक व सत्तावादी नेता होते हैं जिनमें बहुत अंतर होता है।लोकतांत्रिक नेता समूह अथवा कंपनी में या अन्य कहीं पर भी सलाह तथा परामर्श के बाद ही निर्णय लेता है।जबकि सत्तावादी नेतृत्व बिना किसी सलाह तथा परामर्श के निर्णय देते हैं। लोकतांत्रिक नेतृत्व में लाल बहादुर शास्त्री,महात्मा गांधी,विंस्टन चर्चिल,रूजवेल्ट इत्यादि को रखा जा सकता है जबकि सत्तावादी नेतृत्व में नेपोलियन,हिटलर,स्टालिन,नासिर इत्यादि शासकों को रखा जा सकता है।
  • नेतृत्व में ईमानदारी,न्याय प्रिय,मित्रवत्,विश्वसनीय,ओजस्वी,उत्साह,आत्म-विश्वास,सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार,पहल करने की क्षमता,उच्च बौद्धिक क्षमता,समझदारी, विचारशील,स्वतन्त्र विचार,उद्यमी,मानसिक परिपक्वता इत्यादि गुण होने चाहिए।
    कम्पनियों में नेतृत्त्व की विभिन्न श्रेणियां होती है। प्रत्येक व्यक्ति अपने उच्च पदाधिकारी की आज्ञा का पालन करता है और अपने से नीचे के कर्मचारियों/अधिकारियों को आदेश देता है।अतः जो व्यक्ति अपने उच्च पदाधिकारी के आदेश का पालन करता है वही अपने से निम्न कोटि के लोगों को निर्देश देता है तब नेतृत्त्व का रुख प्रदर्शित करता है।
  • कंपनियों,सरकारों तथा विभिन्न विभागों में एक व्यक्ति को दोनों ही भूमिकाओं का पालन करना होता है।अर्थात् अधीनस्थ तथा अधिकारी दोनों की ही भूमिका निभानी होती है।जब अधिकारी के रूप में भूमिका निभाता है तो नेतृत्त्व के गुण आवश्यक हो जाते हैं।यदि किसी कैंडिडेट में नेतृत्त्व के गुण नहीं होते हैं तो वहां भ्रष्टाचार,मनमानी करने, कार्य को टालने,एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने,आज्ञा का उल्लंघन करने जैसी प्रवृतियां पाई जाती है।यदि कैंडिडेट में नेतृत्त्व के गुण होते हैं तो उसमें कार्य को पूर्ण करने की निपुणता,टीम को एक साथ बांधे रखने की योग्यता,टीम को एक साथ मिलकर कार्य करने की प्रेरणा,सहयोग से कार्य करना तथा निराशा में भी विचलित न होने देना जैसी प्रणाली विकसित हो जाती है।
  • इस प्रकार एक सफल नेता में हर प्रकार की परिस्थिति में कार्य करने की योग्यता हो।उसे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के निकट संपर्क में रहना चाहिए।यद्यपि कार्य दूसरे कर्मचारियों द्वारा किया जाता है परंतु सफलता को बाँटता है तथा असफलता का उत्तरदायित्व स्वयं लेता है।

5.व्यक्तित्त्व कौशल (Personality Skill):

  • व्यक्तित्त्व कौशल से तात्पर्य है कि व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी (शारीरिक) से है।आन्तरिक गुणों में शीलगुण (trait),संवेग (emotion),आदत (habit),ज्ञान शक्ति (intellect),चित्त प्रकृति (temperament),चरित्र (character) तथा बाहरी गुणों में हंसमुख स्वभाव,पहनावा,हाव-भाव शरीर की भंगिमा,वेशभूषा,बातचीत करने का ढंग,व्यवहार करने का तरीका इत्यादि को शामिल किया जाता है।
  • व्यक्तित्व के गुण जन्मजात अवश्य होते हैं परंतु प्रशिक्षण से उन्हें निखारा,संवारा व उभारा जा सकता है।कार्पोरेट दुनिया में स्मार्ट और साॅफ्ट स्किल्स वाले कैंडिडेट्स को वरीयता दी जाती है।जो कैंडिडेट्स संवाद करने में सिद्धहस्त होते हैं ऐसे कैंडिडेट्स की ज्यादा डिमांड रहती है।आज की व्यावसायिक दुनिया में जन्मजात प्रतिभा के बल पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है।कैंडिडेट को यदि अपने व्यावसायिक क्षेत्र में आगे बढ़ना है अथवा तरक्की के नए रास्ते खोजने हैं तो उन्हें अपने व्यक्तित्व में निखार लाने का प्रयास करते रहना चाहिए।
  • व्यक्तित्त्व में जो गुण हैं उनमें स्थिरता पाई जाती है। ऐसा भी हो सकता है कि जिन कैंडिडेट में पहले (जाॅब पाने से पहले) गुण मौजूद हो परंतु बाद में वह गुण नहीं रहा।जैसे किसी कर्मचारी में जाॅब प्राप्त करने से पहले ईमानदारी का गुण हो परंतु जॉब प्राप्त करने के बाद बेईमान हो गया हो।ऐसी स्थिति में वह व्यक्तित्त्व का गुण नहीं माना जा सकता है।व्यक्तित्त्व में उन्हीं गुणों को शामिल किया जाता है जो गुण ज्यों के त्यों रहते हैं।विपरीत परिस्थिति में भी जब व्यक्ति अपने अच्छे गुणों का त्याग नहीं करता है तभी वे गुण व्यक्तित्व के अंग माने जाते हैं।
  • व्यक्ति भिन्न-भिन्न वातावरण, परिस्थिति में अपने शील गुणों को धारण करता है,छोड़ता नहीं।व्यक्तित्त्व का यह अर्थ नहीं होता है कि वातावरण के साथ समायोजन कर लेना।जैसे किसी ऑफिस में घूसखोरी,भ्रष्टाचार व्याप्त है तो ईमानदार व्यक्ति वहाँ वातावरण के साथ समायोजन करके बेईमान नहीं हो जाता है।परंतु जहां ईमानदारी,कर्मठता,सहयोग,समन्वय जैसे गुणों का उच्च मापदंड का पालन किया जाता है वहां वह अपने आप में परिवर्तन करके ओर अधिक अपने व्यक्तित्व में सुधार करता है।

6.मीटिंग संचालन (Meeting Operating):

  • मीटिंग का संचालन तभी किया जा सकता है जबकि कैंडिडेट प्रभावी संप्रेषण कला में पारंगत हो।मीटिंग संचालन से पूर्व विषय की तैयारी करनी होती है।मीटिंग में जिन बिंदुओं पर चर्चा करनी हो उनमें पाइन्ट्स को तार्किक ढंग से तैयार करना होता है।समय सीमा का ध्यान रखा जाता है।कुछ कैंडिडेट्स में कुदरती अभिव्यक्ति तथा संवाद करने का कौशल होता है।ऐसे कैंडिडेट मीटिंग का सफलतापूर्वक संचालन करते हैं।जिन कैंडिडेट्स में ऐसा गुण नहीं पाया जाता है उन्हें एकान्त में विचारों को व्यक्त करके अभ्यास करना चाहिए।धीरे-धीरे मीटिंग संचालन करने का कौशल विकसित हो जाता है।

7.कन्ज्यूमर को जोड़ना (Add a Consumer):

  • कंपनी को आगे बढ़ाने,उन्नति करने का सबसे मुख्य आधार है कन्ज्यूमर।कन्ज्यूमर को हमेशा इस बात का एहसास होना चाहिए कि कम्पनी उनके हित में ही निर्णय लेती है,तभी कन्ज्यूमर कम्पनी से जुड़ेंगे। कंज्यूमर्स के साथ विनम्रता,मिलनसार,निष्कपट व्यवहार करना चाहिए।किसी ग्राहक द्वारा आलोचना करने पर भी शांत व संयत रहना चाहिए। ग्राहकों की आलोचना से उत्तेजित होकर अनुचित व्यवहार नहीं करना चाहिए।कंज्यूमर को कंपनी से जोड़ने के लिए ये गुण एकाएक विकसित नहीं होते हैं परंतु धीरे-धीरे अभ्यास व व्यवहार से इन गुणों को धारण किया जाता है।उपभोक्ता को हमेशा यह महसूस होना चाहिए कि यहाँ उनको सबसे अधिक वरीयता दी जाती है।
  • साॅफ्ट स्किल्स में लोगों की समस्याओं तथा विभिन्न मुद्दों से जुड़ी हुई बातें होती है।किसी भी जॉब में तरक्की करने के लिए अपने जॉब की जानकारी के साथ-साथ सॉफ्टस्किल्स कम महत्त्वपूर्ण नहीं होती है।इन्हीं की वजह से ग्राहक और उपभोक्ता जुड़ते हैं।साॅफ्ट स्किल्स से जहाँ आपकी तरक्की हो सकती है वहीं आपका वेतन भी बढ़ाया जा सकता है।लेकिन साॅफ्ट स्किल्स को विकसित करते हैं तो यह अनुभव के साथ-साथ बढ़ती जाती है।
  • सॉफ्ट स्किल्स में अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल,सृजनात्मकता,कल्पनाशीलता,लचीलापन,मेलजोल बनाने में कुशल सहनशीलता लोगों को जोड़ने में कुशल,नेतृत्व क्षमता,व्यक्तित्व आदि शामिल होती हैं जो जॉब में सफलता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • उपर्युक्त विवरण में सॉफ्ट स्किल्स विकसित करने की बेहतरीन 6 टिप्स (6 Best Tips to Develop Soft Skills),काॅलेज के छात्रों में साॅफ्ट स्किल्स कैसे विकसित करें? (How to Develop Soft Skills in College Students?) के बारे में बताया गया है।

8.बहानेबाज स्टूडेन्ट (हास्य-व्यंग्य) (Excuser Student) (Humour-satire):

  • एक स्टूडेन्ट पढ़ने-लिखने में बिल्कुल रुचि नहीं लेता था।क्लास में बैठता तो ध्यान नहीं देता।
    घर पर भी पढ़ने-लिखने के लिए कोई न कोई बहाना बना लेता था।जैसे:आज मेरे सिर में दर्द है।कभी कहता मेरे पेट में दर्द हो रहा है।
  • एक दिन परेशान होकर उसके दादाजी स्कूल में गए।स्कूल में जाकर प्रधानाध्यापक जी से मिले और उस छात्र को बुलाने के लिए कहा साथ ही बोले कि आपको उसकी शिकायत करनी है।वह मेरा पोता है।
  • प्रधानाध्यापक (मुस्कुराते हुए):मुझे अफसोस आप देर से आएं हैं।वह आपकी अर्थी को कंधा देने के लिए छुट्टी लेकर गया है।

9.सॉफ्ट स्किल्स विकसित करने की बेहतरीन 6 टिप्स (6 Best Tips to Develop Soft Skills),काॅलेज के छात्रों में साॅफ्ट स्किल्स कैसे विकसित करें? (How to Develop Soft Skills in College Students?) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो (Write short notes on the following):
(i)हार्ड वर्क (Hard Work)
(ii)स्मार्ट वर्क (Smart Work)

उत्तर:(i)हार्ड वर्क (Hard Work):सामान्य, पारम्परिक तथा पुराने तरीके से कार्य करना।साथ ही इसका अर्थ यह भी है कि समय को फालतू कार्यों में व्यतीत नहीं करना तथा कार्य को रुचिपूर्वक करना।
(ii)स्मार्ट वर्क (Smart Work):नवीन तथा बेहतरीन तरीके से किसी कार्य को करना जिससे समय,धन और परिश्रम की बचत हो सके।

प्रश्न:2.जुनून से क्या आशय है? (What do you understand by Passion?):

उत्तर:अपने लक्ष्य के प्रति पूर्णतः समर्पित होकर कार्य करना।हर समय अपने लक्ष्य को पाने के बारे में चिन्तन करना और उसे साकार करने के लिए जी-जीन से जुट जाना।जुनून में वो कार्य किया जा सकता है जिसे आप साधारणत: कर नहीं सकते हैं।जुनून में आपका लक्ष्य आपके रोम-रोम में, अंग-अंग में, धमनियों में बस जाता है।

प्रश्न:3.अनुशासन से क्या आशय है? (What is meant by discipline?):

उत्तर:अपनी शक्ति को नियन्त्रण में रखना तथा अपनी कमजोरियों को दूर करना अनुशासन है।किसी कार्य को सुचारु रूप से करने के लिए नियमों का पालन करना अनुशासन है।किसी संस्था को चलाने हेतु नियम बनाना और उनका पालन करना अनुशासन है।अनुशासन का पालन करने के लिए मन को विकाररहित करना होता है।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सॉफ्ट स्किल्स विकसित करने की बेहतरीन 6 टिप्स (6 Best Tips to Develop Soft Skills),काॅलेज के छात्रों में साॅफ्ट स्किल्स कैसे विकसित करें? (How to Develop Soft Skills in College Students?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

6 Best Tips to Develop Soft Skills

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(6 Best Tips to Develop Soft Skills)

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