6 Best Tips to Develop Art of Writing
1.लिखने की कला विकसित करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Develop Art of Writing),विद्यार्थियों के लिए लिखने की कला विकसित करने की 6 तकनीक (6 Techniques to Develop Art of Writing for Students):
- लिखने की कला विकसित करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Develop Art of Writing) से आप जान सकेंगे की लिखने की कला विकसित करने के फायदे क्या हैं विशेषकर विद्यार्थियों के लिए।लिखने की कला कोई एक दिन में विकसित नहीं होती बल्कि इसके लिए सतत अभ्यास की जरूरत है।
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2.कार्यों का लेखा-जोखा कैसे रखें? (How to keep track of tasks?):
- सामान्य जिंदगी में हर व्यक्ति के पास अनेक तरह के कार्य होते हैं,कई तरह की समस्याएं होती हैं।इनमें से बहुत से कार्य ऐसे होते हैं,जिन्हें वर्तमान में करना होता है; कुछ कार्य ऐसे होते हैं,जो भविष्य के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं और कुछ कार्य ऐसे भी होते हैं,जो हमारे अतीत से संबंधित होते हैं और जिन्हें पूरा करना बहुत जरूरी होता है।हमारे पास कितने कार्य करने के लिए हैं इन सब का लेखा-जोखा यदि हमारा मस्तिष्क रखने लगे,तो वह इतना तनाव व परेशानी में घिर जाएगा कि वह ठीक से कार्य नहीं कर सकेगा।वस्तुतः बहुत से कार्यों का लेखा-जोखा मस्तिष्क में करते रहने से मानसिक बोझ बढ़ता है और कार्य न कर पाने के कारण यह बोझ बढ़ता ही जाता है।
- हम सभी के वास्तविक जीवन में चलते-फिरते अनेक ऐसे छोटे-छोटे कार्य सामने आ जाते हैं,जिन्हें हमें पूरा करना पड़ता है और इसके कारण हम अपने जरूरी कार्यों को करना भूल जाते हैं या उनको करने के लिए समय बहुत कम बचा पाते हैं।यदि हम अपने करने योग्य कार्यों का लेखा-जोखा मस्तिष्क में न बनाकर उन्हें किसी नोटबुक में लिखें तो मानसिक ऊर्जा उन कार्यों का लेखा-जोखा करने में खर्च होती थी,वह बच जाएगी।
- इससे व्यक्ति को बहुत सारे लाभ होंगे,जैसे-पहला उसके मस्तिष्क में अनेक कार्यों को पूरा करने की फिक्र नहीं होगी,क्योंकि नोटबुक में इन्हें लिखने से मस्तिष्क का यह बोझ नोटबुक के माध्यम से कम हो जाएगा।अब मस्तिष्क में केवल उसे पूरा करने की योजना व उसे कियान्वित करने की प्रक्रिया बनानी होगी।दूसरा,लिखने की प्रक्रिया से हमें इस बात की स्पष्टता होगी कि कौन-कौन से कार्य हमें पूरे करने हैं? कौन से अधूरे हैं? कौन से कार्य हमें बाद में करने हैं और कौन-कौन से कार्य अभी तुरंत करने हैं? इसके माध्यम से हमें यह भी पता चल सकेगा कि हमारे कौन-से कार्य पूरे हो चुके हैं जिनके बारे में अब हमें नहीं सोचना है।तीसरा,कार्यों को लिखने की प्रक्रिया से हमारे मस्तिष्क के कार्य करने की शक्ति दोगुनी हो जाती है और वह अधिक अच्छे ढंग से सोच पाता है।इसके माध्यम से कार्यों को कैसे पूरा करना है,इसकी योजना भी मस्तिष्क में आने लगती है।
- उपर्युक्त फायदों के अतिरिक्त विद्यार्थियों को लिखने की आदत से जो फायदे होंगे वे इनसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।लिखने की आदत का पहला फायदा यह है कि वे नोट्स लिखना,अपने पाठ्यक्रम का नोट्स बनाना सीख जाएंगे।बनाए हुए,मार्केट के नोट्स के बजाय स्वयं द्वारा बनाए गए नोट्स स्मृति में ज्यादा स्थायी होता है और परीक्षक पर अपनी भाषा में लिखने का प्रभाव ज्यादा पड़ता है।दूसरा,लिखने से आप लेख लिखना सीख जाएंगे।पत्र-पत्रिकाओं और विभिन्न वेबसाइट्स पर कंटेंट राइटर को हायर किया जाता है,अतः आपको जाॅब मिलने के मौके मिलेंगे।विभिन्न परीक्षाओं में निबंध लिखने का प्रश्न भी आता है (निबन्धात्मक परीक्षा में),अतः आप निबंध को अधिक दक्षता के साथ लिख सकेंगे।चौथा लाभ यह है कि लिखने से आपको अपनी कमजोरी का ज्ञान हो सकेगा।पांचवा,लिखने से आपमें चिंतन व मनन करने की क्षमता का विकास होगा।छठवाँ,इससे आपके व्यक्तित्व का विकास होगा जिससे आप जाॅब को करने में अधिक सक्षम होंगे।सातवां लाभ यह है कि आप अपने विचारों को निपुणता से अभिव्यक्त कर पाएंगे जो आपको इंटरव्यू,भाषण करने आदि में फायदा पहुंचाएगा।अतः हम नोटबुक व पेन अपने पास रखते हैं तो उसे लिखकर अधिक स्पष्टता से अपने विचारों को समझ सकते हैं।
3.समस्याओं को सुलझाने में सहायक (Helpful in solving problems):
- अगर किसी व्यक्ति को 20 सेकंड तक एक किताब को हाथ में पड़कर रखने के लिए कहा जाए,तो कुछ विशेष महसूस नहीं होगा,20 मिनट तक पकड़ने पर उसे कुछ महसूस होगा,2 घंटे तक किताब को पकड़े रहने से परेशानी होगी और यदि 20 घंटे तक किताब को हाथ में पकड़े रहेंगे तो यह अवश्य ही कठिन कार्य होगा; बिल्कुल यही बात हमारे मस्तिष्क पर भी लागू होती है।प्रतिदिन सुबह से शाम तक बहुत सी बातों एवं कार्यों को हमें अपने दिमाग में रखना पड़ता है,उनको किस प्रकार पूरा करना है,इसकी योजना मस्तिष्क में चलती रहती है।इसके साथ ही मस्तिष्क में अनेक तरह की बातें भी घूमती रहती हैं।इन सभी बातों एवं कार्यों के सोचते रहने से धीरे-धीरे मस्तिष्क पर एक बोझ-सा बनता चला जाता है,परिणामस्वरूप स्वभाव में चिड़चिड़ापन,तनाव एवं शरीर में रक्तचाप,मधुमेह,मोटापा आदि रोग पैदा होने लगते हैं।इस अनावश्यक तनाव से बचने का एक तरीका है कि हम लिखने की आदत डाल लें।
- अपने पास हमेशा एक नोटबुक या कागज व पेन रखें।अपने कार्य से संबंधित सभी बातों व भविष्य की योजनाओं के साथ-साथ मस्तिष्क में उठने वाली अच्छी-अच्छी विचारधाराओं को अपनी इस नोटबुक या कागज पर लिख लें।लिखने के बाद यह महसूस किया जा सकेगा कि हमारे मन एवं मस्तिष्क की उथल-पुथल शांत हुई है या नहीं।
- कई बार हमारे दिमाग में बहुत अच्छे विचार आते हैं,लेकिन वे पानी के बुलबुले की तरह उठते हैं और गायब हो जाते हैं।यदि हम उन विचारों को तुरंत नहीं लिखते या उनके बारे में नहीं सोचते,तो वे हमारे मस्तिष्क से चले जाते हैं और फिर हम यह सोचते रह जाते हैं कि अभी हमारे दिमाग में क्या विचार आया था और फिर उसे जानने के लिए हम परेशान होते हैं।
- यदि हमें इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो हमें अपने साथ एक छोटी नोटबुक,कागज व पेन हमेशा रखना चाहिए।इसमें अपने किए जाने वाले कार्यों को लिखना चाहिए,साथ ही वे सभी जरूरी बातें लिखना चाहिए जो हमारा मार्गदर्शन करती हैं,हमें प्रेरित करती हैं।हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारे मस्तिष्क और हमारे हाथों की उंगलियों में एक जुड़ाव है।जब हम लिखना शुरू करते हैं या लिखने की प्रक्रिया में अपनी समस्याओं को लिखकर उनके समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैं तो स्वतः ही समाधानपरक विचार हमारे मस्तिष्क में आने लगते हैं और लिखने की प्रक्रिया द्वारा इनकी स्पष्टता बढ़ती जाती है और साथ ही याददाश्त भी बढ़ती है।
- अक्सर पढ़ने वाले विद्यार्थी इस बात को महसूस करते होंगे कि जब वे किसी विषय को रटने का प्रयास करते हैं तो वे अधिक भूलते हैं,लेकिन यदि वे रटने के साथ-साथ उसे लिखने का भी प्रयास करते हैं तो उन्हें अधिक याद रहता है; क्योंकि लिखने की प्रक्रिया के माध्यम से हमारे मस्तिष्क में क्या चल रहा है,यह स्पष्ट होता जाता है।
- इसे हम इस तरह से भी कह सकते हैं कि लिखने की प्रक्रिया से हम अपने विचारों को अधिक गहराई से समझते हैं,अपनी योजनाओं को अधिक कुशलता के साथ अंजाम देते हैं और बिना किसी मानसिक उलझन या द्वंद्व के हम अपने विचारों,कार्यों,योजनाओं,उद्देश्यों में स्पष्ट होते हैं और एकाग्रचित होते हैं अर्थात् भटकते नहीं हैं।
4.ना लिखने की आदत का परिणाम (The result of the habit of not writing):
- यदि हम अपने जीवन में लिखने का अभ्यास नहीं डालते तो अनेक तरह के विचारों,कई जरूरी कार्यों,सुंदर योजनाओं को अपने मस्तिष्क में लिए घूमते रहते हैं; क्योंकि इन्हें हम ज्यादा देर तक संभाल कर रख नहीं सकते,अतः बहुत सारी महत्त्वपूर्ण चीजों को हम भूल जाते हैं और बाद में उसके लिए पछताते हैं।अतः यह बहुत जरूरी है कि हम लिखने की आदत डालें,जिसमें अपने कार्यों,योजनाओं,अच्छे विषयों को लिखें।जो महत्त्वपूर्ण कार्य बहुत जरूरी है उन्हें तुरंत पूरा करें।
- वर्तमान समय में बहुत से ऐसे लोग हैं,जो अपनी चिंताओं को मस्तिष्क में रखे रहते हैं,उनके बारे में सोच-सोचकर परेशान रहते हैं,लेकिन कोई सार्थक समाधान उनके बारे में नहीं निकाल पाते।कई लोगों को तो यह भी ठीक से पता नहीं होता कि उनके दिमाग में इस तरह के विचार क्यों चल रहे हैं,किस-किस तरह की परेशानियां उनके विचार पर कब्जा जमाए हुए हैं और उनकी बेचैनी का कारण क्या है? कई ऐसे लोग भी होते हैं,जो अपनी बातों व योजनाओं को दिमाग में ही रखते हैं उन्हें दूसरों को नहीं बताते,लेकिन इस कारण उनकी मानसिक उलझन व समस्या और बढ़ती है और उसका कोई सार्थक समाधान नहीं निकल पाता।
- लेकिन यदि व्यक्ति अपने जीवन में लिखने की आदत डाल ले,तो मस्तिष्क में पड़नेवाले इस अनावश्यक बोझ को कम कर सकता है,इसके माध्यम से हमें स्वतः पता चल जाएगा कि कौन-सी बातें हमारे लिए जरूरी है और कौन सी नहीं? और इनका क्या समाधान हो सकता है,इस बारे में भी मस्तिष्क अच्छे से बिना किसी दबाव के सोच सकता है।मनोवैज्ञानिक लोगों का भी यही कहना है कि अपनी बातों को लिखने के द्वारा हम अपने मस्तिष्क की चिंताओं को कम कर सकते हैं और अपने मस्तिष्क को हल्का कर सकते हैं।अतः हमें अपने विचारों,कार्यों व योजनाओं को नोटबुक या कागज पर लिखने की आदत डालनी चाहिए।
5.क्या लेखक ही सफल होते हैं? (Are writers successful?):
- अब प्रश्न यह उठता है कि क्या वर्तमान जीवन में केवल लिखने वाले,लेखक ही सफल होते हैं? क्या जो पढ़ते-लिखते नहीं है वे सफल नहीं होते हैं? क्या पढ़ते-लिखते नहीं है वे किसी क्षेत्र में शिखर पर नहीं पहुंचते हैं।जी न्यूज़ के मालिक सुभाष चंद्रा और क्रिकेट के महानायक सचिन तेंदुलकर कितने पढ़े लिखे हैं? लेकिन उन्होंने जो ऊंचाइयां हासिल की है उससे कोई भी व्यक्ति रश्क कर सकता है।आखिर करें भी क्यों नहीं,बिना दाग के शीर्ष पर पहुंचना और उस पर कायम रहना बिरले व्यक्तित्व को ही नसीब होता है।
- इसका तात्पर्य यह नहीं है की पढ़ाई-लिखाई और अध्ययन का कोई महत्त्व नहीं है।यदि पढ़ना-लिखना भी आता हो,तो वह व्यक्ति अनेक अन्य स्रोतों जैसेःपुस्तकों से,स्वाध्याय से,सत्साहित्य से,विभिन्न वेबसाइट्स में लेख पढ़कर और वीडियो को देखकर भी बहुत कुछ सीख सकता है और आगे बढ़ सकता है।कम पढ़ा लिखा होने या पढ़ा-लिखा नहीं होने पर उसे हर कदम पर,हर बात पर या तो किसी मार्गदर्शक से अपने जाॅब,अपने क्षेत्र से संबंधित गुर सीखने पड़ते हैं या फिर स्वयं के अनुभव से सीखना पड़ता है,जो बहुत मुश्किल कार्य है तथा अनेक संघर्षों और बाधाओं का सामना करना पड़ता है।ऐसी बात नहीं है की पढ़ाई-लिखाई में संघर्षों का सामना नहीं करना पड़ता है।परंतु पढ़ाई-लिखाई बालकपन से सीखी जाती है और बचपन में किसी भी चीज को सीखना सरल होता है और परिपक्वावस्था में किसी चीज को सीखना मुश्किल होता है।
6.लिखना कैसे सीखें? (How to learn to write?):
- लिखना सीखने के लिए पढ़ना,अध्ययन करना,स्वाध्याय करना जरूरी है।पुस्तकों का,विभिन्न वेबसाइट पर लेख पढ़ना,विभिन्न वीडियो को देखना,सुनना और समझना होता है।आप विद्यार्थी हैं तो अपने कोर्स की पुस्तक पढ़ें,पाठ को मन लगाकर और एकाग्रता पूर्वक पढ़ें,उसको समझें,मुख्य-मुख्य बिंदुओं को याद करें और फिर बिना देखे उसको लिखने का प्रयास करें।पुनः लिखे हुए को मूल पाठ से तुलना करें और देखें कि क्या कुछ छूट गया है? पढ़े हुए और समझे हुए को अपनी शैली में लिखें।शुरू में हो सकता है आपको कुछ कठिनाई महसूस हो परंतु इससे घबराने की जरूरत नहीं है,धैर्य रखें और सतत प्रयास करते रहें।किसी भी मुश्किल बात को,कला को सीखने में समय लगता है,एकदम से कोई शिखर पर नहीं चढ़ जाता है,जो जीनियस हैं,प्रतिभाशाली हैं,जिनमें जन्मजात प्रतिभा है उनकी बात अलग है।जन्मजात प्रतिभाएँ अपने पूर्व जन्म के संस्कार लेकर पैदा होती हैं और उन्हें थोड़े से इशारे की जरूरत होती है,अथवा स्वयं प्रयास करके ही वे सीख जाते हैं।सामान्य विद्यार्थी और कमजोर विद्यार्थी को काफी प्रयास करने की जरूरत होती है,लगातार सतत अभ्यास करने की जरूरत होती है और धैर्य रखने की जरूरत होती है।
- यदि पढ़ने और समझने के बावजूद आप बिना देखे टूटी-फूटी शैली में लिखने में असमर्थ हैं तो जिस पुस्तक से आपने अध्ययन किया है उसको पढ़ लें और समझ लें।इसके पश्चात पुस्तक का पाठ खोलकर उसको देखते हुए अपनी शैली में लिखने का प्रयास करें।लेकिन देखकर लिखने का अभ्यास ठीक से आ जाए तो फिर बिना देखे अपनी स्मृति के आधार पर लिखने का प्रयास करें,लगातार नियमित रूप से अभ्यास करें।
- शुरू में अपनी कोर्स की पुस्तकों के नोट्स बनाने का अभ्यास करें।कोर्स की पुस्तक पढ़ने और उनके नोट्स बनाने में आपको दिलचस्पी रहेगी क्योंकि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने का आकर्षण रहता है।
- जब स्वयं के द्वारा अच्छी तरह नोट्स बनाना आ जाए तो आपकी पढ़ने में रुचि बढ़ेगी,अधिक अंक अर्जित करेंगे तो अन्य पुस्तकों को पढ़ने में मन लगेगा।
- अन्य पुस्तकों का भी रुचिपूर्वक गहन अध्ययन करें और नोटबुक में अपनी शैली में लिखने की आदत डालें।हमने इस वेबसाइट पर कुछ आर्टिकल डाले हुए हैं उनमें बताया गया है कि लेख कैसे लिखें,निबंध कैसे लिखें,नोट्स कैसे बनाएं,उनकी भी आप मदद ले सकते हैं।धीरे-धीरे अभ्यास,अध्ययन-मनन-चिंतन से आपकी लिखने की आदत पड़ जाएगी।इसके पश्चात आपके दिमाग में कोई भी आईडिया आ जाए,कोई नई बात दिमाग में आ जाए तो उसको छोटी डायरी में नोट कर लें जो हमेशा आपके साथ रहनी चाहिए अथवा कागज साथ में रखें और पेन रखें।संक्षिप्त रूप में लिखी हुई बातों तथा आइडिया को विस्तृत रूप में लिखने का अभ्यास करें।
- शुरू से ही अपना एक क्षेत्र चुन लें,हाॅबी का क्षेत्र चुन लें,उससे संबंधित पुस्तकें पढ़े,वेबसाइट पर लेख पढ़ें और वीडियो देखें जिससे आपके ज्ञान में वृद्धि होती जाएगी और उसके बारे में लिखने की रुचि बनी रहेगी।छुट्टियां आ जाती है जैसेःशीतकालीन,दीपावली या ग्रीष्मकालीन अथवा अन्य छुट्टियों में खूब अध्ययन करें और लिखने का अभ्यास करें।कोई प्रतियोगिता आयोजित होती है,कोई गेस्ट पोस्ट लिखवाये या पत्र-पत्रिकाओं में प्रोत्साहन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है तो उसमें भाग लें और अपने हुनर को तराशे।यानी आपको जहाँ कहीं मौका मिले उसको छोड़े नहीं।इस प्रकार आप लिखने की आदत डाल सकते हैं और एक प्रभावी कन्टेन्ट राइटर बन सकते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में लिखने की कला विकसित करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Develop Art of Writing),विद्यार्थियों के लिए लिखने की कला विकसित करने की 6 तकनीक (6 Techniques to Develop Art of Writing for Students) के बारे में बताया गया है।
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7.जल्दी लिखो (हास्य-व्यंग्य) (Write Quickly) (Humour-Satire):
- एक विद्यार्थी ने प्रश्न-पत्र के पांच सवालों के उत्तर ही लिखे थे।समय काफी हो गया था,परीक्षक ने निकट आकर कहा,तुम्हें समय का ध्यान भी है या नहीं।मात्र आधा घंटा बचा है और अभी 20 सवालों को हल करना है,जल्दी-जल्दी लिखो।
- छात्र:जल्दी-जल्दी लिखने लगा और समय समाप्त होते ही परीक्षक ने उत्तर-पुस्तिका ले ली।
- परीक्षक ने उत्तर-पुस्तिका देखकर सिर पकड़ लिया और कहा कि इतना घसीट कर लिखा है,उत्तर जाँचने वाला कैसे समझेगा।
- छात्र:सर,आपने ही तो कहा था,मेरा लिखने का अभ्यास ही ऐसा है,जल्दी में तो मैं ऐसा ही लिखता हूं।
परीक्षक:अब तुम्हें कोई नहीं बचा सकता।
8.लिखने की कला विकसित करने की 6 बेहतरीन टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 6 Best Tips to Develop Art of Writing),विद्यार्थियों के लिए लिखने की कला विकसित करने की 6 तकनीक (6 Techniques to Develop Art of Writing for Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.कौन लिख सकता है? (Who can write?):
उत्तर:लिखते तो वे लोग हैं जिनके अंदर लिखने की तड़प हो,लगन हो,जिनके उत्तम विचार हों,जिनके हृदय में लिखने का उल्लास हो।जिन्होंने धन-दौलत और सुख-सुविधाओं को भोगने का लक्ष्य बनाया है,वे क्या लिखेंगे?
प्रश्न:2.क्या संदर्भ से अलग भी लिखना चाहिए? (Should I write out of context?):
उत्तर:जिस विषय में लिखा जा रहा है उस विषय से अलग हटकर कुछ तभी लिखा जाना चाहिए जब वह संदर्भ को रोचक बनाता हो और आवश्यक हो।
प्रश्न:3.आकर्षक लेख कैसे लिखें? (How to write a fascinating article?):
उत्तर:हृदय में भाव हो,श्रद्धा हो,विश्वास हो तथा जो गंभीर अध्ययन-मनन-चिंतन करता हो तभी आकर्षक व प्रभावी लेख लिखा जा सकता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा लिखने की कला विकसित करने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Develop Art of Writing),विद्यार्थियों के लिए लिखने की कला विकसित करने की 6 तकनीक (6 Techniques to Develop Art of Writing for Students) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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