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5Tips to Develop Art of Study for Exam

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1.परीक्षा हेतु अध्ययन की कला विकसित करने की 5 टिप्स (5Tips to Develop Art of Study for Exam),परीक्षा की तैयारी हेतु पढ़ने की कला विकसित करने की 5 टॉप तकनीक (5 Top Techniques to Develop Art of Reading to Prepare for Exams):

  • परीक्षा हेतु अध्ययन की कला विकसित करने की 5 टिप्स (5Tips to Develop Art of Study for Exam) के आधार पर आप परीक्षा की तैयारी बेहतरीन तरीके से कर सकेंगे।सामान्यतया छात्र-छात्राएँ अथवा लोग परीक्षा,मनोरंजन,ज्ञानवर्धन,तनाव को दूर करने,मन को एकाग्र करने,जॉब इंटरव्यू की तैयारी करने,प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने,जाॅब को बेहतरीन तरीके से निपटाने आदि कई कारणों से अध्ययन करते हैं।इस आर्टिकल में परीक्षा की बेहतरीन तैयारी करने के लिए अध्ययन करने की तकनीक के बारे में जानेंगे।
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2.विषय का अध्ययन कैसे करें? (How to study the subject?):

  • हर विषय की प्रकृति अलग-अलग होती है अतः उनके अध्ययन करने की विधि अलग-अलग होती है।जैसे इतिहास,राजनीति शास्त्र को जिस तरीके से पढ़ते हैं,उस तरीके से भौतिकी,रसायन शास्त्र,विज्ञान को नहीं पढ़ सकते हैं।इसी प्रकार गणित विषय को विज्ञान व भौतिकी विषय की तरह अध्ययन नहीं कर सकते हैं।
  • गणित विषय को पढ़ते समय उसके सूत्रों को समझें,उसकी थ्योरी को समझें तथा जो भी कठिन शब्द आए उसको नोटबुक में लिख लें तथा गणित के शब्दकोश या अन्य संदर्भ ग्रंथ से कठिन शब्दों के अर्थ को जानें,समझें।जैसे प्राचल शब्द आए तो इसके अर्थ को समझें और अवकल गुणांक से क्या आशय है इसको समझें।इसके पश्चात उदाहरण हल करें।उदाहरणों को हल करते समय जो स्टेप समझ में ना आए उसको समझने की कोशिश करें।संदर्भ पुस्तकों की मदद लें,यदि फिर भी समझ में ना आए तो उसे नोट कर लें और अपने सहपाठियों,मित्रों अथवा शिक्षक से समझें।फिर प्रश्नावली के सवालों को हल करें।जो सवाल आपको कठिन लगता है,बहुत प्रयास करने पर भी हल नहीं हो रहा है तो सन्दर्भ पुस्तकों से समझें अथवा मित्रों व शिक्षकों की मदद लें।कठिन सवालों को चिन्हित कर लें तथा पुनरावृत्ति के समय उन कठिन सवालों को अवश्य हल कर लें।
  • गणित में बार-बार अभ्यास की अधिक आवश्यकता होती है।इसलिए बार-बार अभ्यास एवं पुनरावृत्ति करें।प्रमेयों का अध्ययन करने,समझने के साथ-साथ लिखकर उनका अभ्यास करें।
  • भौतिक एवं रसायन शास्त्र में थ्योरी को पहले समझें,क्रिटिकल शब्दों के अर्थों को डिक्शनरी या शब्दकोश में देख ले इसके पश्चात गंभीरतापूर्वक और एकाग्रता के साथ अध्ययन करें।अध्ययन करने के बाद उनके नोट्स तैयार कर लें।नोट्स का अध्ययन करने और स्मरण करने के बाद उन्हें नोटबुक में लिखें,जिससे आपको यह पता लग सके कि कितना याद रहा है और कितना विस्मृत हो गया है।इस प्रकार बार-बार स्मरण करने और लिखने से टाॅपिक परीक्षा के लिए अच्छी तरह से तैयार हो जाएगा।आंकिक प्रश्नों को अवश्य हल करें जिससे थ्योरी क्लियर होती है।नोट्स याद होने के बाद परीक्षा में आए हुए प्रश्नों और काल्पनिक प्रश्न बनाकर उनका उत्तर देने का प्रयास करें।एक ही प्रश्न कई प्रकार से पूछा जा सकता है,भिन्न प्रकार से पूछने का उद्देश्य अलग-अलग होता है।अतः उनका उत्तर भी उसी प्रकार दिया जाना चाहिए।जैसे आलोचना करें,टिप्पणी लिखें,समीक्षा करें,विवेचन करें,उल्लेख करें आदि के भिन्न निहितार्थ होते हैं अतः इनके अर्थ समझते हुए ही उत्तर लिखा जाना चाहिए।अध्ययन भी इसी दृष्टिकोण से प्रश्न बनाकर किया जाना चाहिए।केवल विवरणात्मक नोट्स तैयार करके रट लेना पर्याप्त नहीं है।

3.पढ़ने की कला (The Art of Reading):

  • पढ़ना निश्चय ही एक कठिन प्रक्रिया है।किसी भी सूचना को इंद्रियां तभी ग्रहण करती है,जब पहले आंखें पढ़कर तथा फिर दिमाग उसका विश्लेषण करके सूचना को सम्प्रेषित करता है।पढ़ने की प्रक्रिया में देखे गए संकेतों का दिमागी संकेतों में परिवर्तन अत्यंत आवश्यक है।एक व्यक्ति सोचता है और अपने विचार को कागज या कहीं और संकेत के रूप में नोट कर लेता है।दूसरा व्यक्ति इन संकेतों को पढ़ता है तो उसका दिमाग दूसरी तरह इनका अर्थ समझ लेता है तथा उसकी विचार शक्ति दूसरी तरफ मुड़ जाती है।
  • पढ़ने की दर (गति) का हमारे पढ़ाई के कार्यक्रम में महत्त्वपूर्ण स्थान है।हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि कम से कम समय में अधिक से अधिक पढ़ें।सामान्यतः आपके पढ़ने की गति औसतन 200-300 शब्द प्रति मिनट की होनी चाहिए।यदि इससे कम है तो आपको अपनी गति बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
  • पढ़ने की गति कम होने के दो मुख्य कारण हो सकते हैं:(1.)आंखों की धीमी या दूषित गति। (2.)संबंधित ज्ञान की कमी या शब्द सामर्थ्य का अभाव।
  • विभिन्न छात्रों के पढ़ने की दर में सामान्यतः बड़ा अंतर पाया जाता है,चाहे यह अन्तर आंखों की गति या दिमाग के कारण या दोनों की वजह से ही क्यों ना हो।एक प्रयोग के दौरान 20 छात्रों को बिना बोले एक रोचक उपन्यास पढ़ने के लिए दिया गया तथा उनके पढ़ने की गति को देखा गया।पढ़े गए शब्दों का औसत आया 336 शब्द प्रति मिनट।परंतु सबसे अधिक धीमे तथा सबसे तेज पढ़ने वालों की गति में अंतर क्रमशः 150-600 शब्द था।इसका अर्थ हुआ की सबसे तेज पढ़ने वाला तथा सबसे धीमे पढ़ने वाली की गति में चार गुने का फर्क था।इस बड़े अंतर के होने से यह कहा जा सकता है कि यदि आप धीमे पढ़ने वालों में है तो निरंतर अभ्यास से आप अपने को तेज पढ़ने वालों की श्रेणी में ला सकते हैं।
  • औसत गति:यह आकलन किया गया कि औसत पढ़ने की गति 200 से 300 शब्द प्रति मिनट तथा धीमा पढ़ने वाले की औसत गति 100 से 200 शब्द प्रति मिनट तथा तेज पढ़ने वालों की गति 400 शब्द प्रति मिनट से अधिक होती है।

पढ़ने की तेज गति के लाभ:

  • पढ़ने की गति में वृद्धि से पढ़ने की गुणवत्ता में वृद्धि होती है क्योंकि उस समय मन सक्रिय और एकाग्र होता है।पढ़ने की गति बढ़ाने के लिए प्रयोग की गई अतिरिक्त एकाग्रता पढ़े जा रहे हैं विषय को अच्छी तरह से समझने के लिए आवश्यक कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायता करती है।पढ़ने की गति से संबंधित प्रयोगों के दौरान यह बात स्पष्ट हुई कि तेज गति से पढ़ने वाले छात्रों ने परीक्षा के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।जल्दी पढ़ने से यह अर्थ लगाया जा सकता है,जल्दी याद करना।तेज पढ़ने के लिए सावधानीपूर्वक किया गया प्रयास आपके पढ़ने की गति को शीघ्रता से बढ़ाता है।परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि बिना समझे ही अध्ययन की गति को बढ़ाना है।मुख्य बात है विषय को समझना।दूसरी बात इतिहास विषय को तेज गति से पढ़ा जा सकता है परंतु भौतिकी को तेज गति से नहीं पढ़ा जा सकता है।अपने दिमाग को सतर्क रखकर विषय को समझने का प्रयास करें।
    धीमे पढ़ने वाले लोग निम्न उपायों को अपनाकर अपने पढ़ने की गति बढ़ा सकते हैं:

4.पढ़ने की गति बढ़ाने के तरीके (Ways to increase reading speed):

  • (1.)दृढ़ निश्चय किसी भी कार्य की सफलता के लिए आवश्यक है।”मैं नहीं कर सकता” तथा “मैं नहीं करूंगा” में काफी अंतर है।
  • (2.)फुसफुसाना बंद करके,अपने होंठ,सिर तथा हाथों की गति को पढ़ने के अनुसार नियंत्रित करें।हाथ,पैर या सिर की अवांछित गति पढ़ने की गति को कम करती है तथा आपके दिमाग को भी भटकाने का कार्य करती है।इससे समय की भी व्यर्थ बर्बादी होती है तथा शारीरिक व मानसिक ऊर्जा की भी क्षति होती है।
  • (3.)शब्दों तथा मुहावरों को विषय के अनुसार समझना चाहिए।तेज गति से पढ़ने वाले छात्र सिर्फ शब्द या मुहावरे से अर्थ न निकालकर पूरे वाक्य या पैराग्राफ से अर्थ निकालते हैं।आपका प्रयास पूरे मुहावरे,वाक्य या पैराग्राफ को पढ़ने का होना चाहिए न कि एक शब्द पढ़ने का।
  • (4.)पढ़ने की धीमी गति का एक मुख्य कारण शब्द सामर्थ्य का अभाव है।अतः शब्द सामर्थ्य को बढ़ाकर आप सीधे-सीधे अपने पढ़ने की गति बढ़ा सकते हैं।ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने विषय को विस्तार से पढ़ें जो बिन्दु आपको रुचिकर लगते हों,उनका एक सारांश तैयार करें तथा इस प्रक्रिया में भाषा तथा शब्द अपने प्रयोग करें।किसी अच्छी डिक्शनरी (शब्दकोश) का प्रयोग करें।अखबार तथा पत्रिका आदि को पढ़ना भी इस प्रक्रिया में आपके लिए सहायक होगा।
  • (5.)समझदारीपूर्वक व्यर्थ के भाग को छोड़ देना भी पढ़ने की कला का एक महत्त्वपूर्ण भाग है इसी वजह से बड़ी साहित्यिक पुस्तकों को पढ़ लिया जाता है,जिनको सामान्य अवस्था में छोड़ दिया जाता है।यदि आप जानते हैं कि कौन-सा भाग नहीं पढ़ना है,तो आप अधिक महत्त्वपूर्ण भाग पर अधिक ध्यान दे सकते हैं।कम महत्त्वपूर्ण भाग को सिर्फ ध्यान से देख लीजिए।चीजों पर उनके महत्त्व के अनुसार ही ध्यान केंद्रित करें।अपनी अध्ययन सामग्री से व्यर्थ की चीजों को गेहूं से घुन तथा सोने से चमकदार पदार्थ की तरह अलग कर दें।
  • ऐसा अक्सर होता है कि किसी भी विषय का मूल भाव उसके चौथाई भाग को पढ़ने पर ही प्राप्त हो जाता है।परंतु किसी भी किताब के किसी भाग को यह कहकर छोड़ना कि “यह भाग कठिन होने कारण अच्छा नहीं लगता” गलत है।
  • (6.)आप अपने पढ़ने की गति को ऊपर दिए गए नियमों की सहायता से बहुत जल्दी बढ़ा सकते हैं।

5.सार्थक अध्ययन करें (Study meaningfully):

  • यदि परीक्षा की बेहतरीन तैयारी करनी है तो सार्थक अध्ययन करें।जो सिलेबस में है उसी का अध्ययन करें परंतु पाठ्यक्रम को विभिन्न दृष्टिकोण से पढ़े।उतना ही पढ़े जितना मस्तिष्क ग्रहणशील है और उसे याद रखा जा सकता है।कई-कई घंटों लगातार पढ़ने के बाद जब आप मानसिक रूप से उसे दोहराते हैं तो मालूम पड़ता है कि कुछ भी याद नहीं है या बहुत कम याद है।हरेक विद्यार्थी की ग्रहणशील क्षमता अलग-अलग होती है उससे ज्यादा पढ़ने पर अध्ययन किया हुआ ओवरलेप हो जाते हैं।आप उसे दोहराते हैं तो सिलसिलेवार याद नहीं रहता है।टॉपिक के शुरू का पार्ट बीच में याद आता है और बाद का पाठ पहले याद आता है।अतः लगातार कई-कई घंटों एक साथ पढ़ने के बजाय एक-दो घंटे के बाद छोटा सा ब्रेक दें और मस्तिष्क को आराम करने दें।
  • इस प्रकार पढ़ा हुआ याद भी रहता है और याद किये हुए टॉपिक में क्रमबद्धता भी रहती है।जो भी पढ़ें उसे पढ़ने के बाद लिखें आवश्य।केवल पढ़कर यह समझ लेना कि मुझे याद हो गया है,अपने आपको भ्रम में रखना है।अध्ययन करने के बाद आप उसे लिख सकते हैं तभी समझा जाएगा कि आपको पढ़ा हुआ याद है।पढ़ कर लिखने का यह भी फायदा है कि आपको स्मरण किया हुआ स्थायी हो जाता है।इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है,आपका हौसला बढ़ता है।धीरे-धीरे आत्मविश्वास और हौसला बढ़ने पर कठिन टॉपिक को भी पढ़कर आप याद करने में सक्षम हो जाते हैं।
  • मनोरंजन के लिए फूहड़,कामुक,बेकार का साहित्य न पढ़े।यदि लगातार पढ़ते हुए आपको काफी समय हो गया है और आप दिमाग को रिफ्रेश करना चाहते हैं तो ज्ञानवर्धक साहित्य,सत्साहित्य,अच्छी और व्यावहारिक ज्ञान की पुस्तकें पढ़ें इससे आपके व्यक्तित्व का विकास होगा।
  • लगातार अत्यधिक अध्ययन करने और बीच में ब्रेक न लेने से मस्तिष्क तनावग्रस्त हो जाता है।तनावग्रस्त मन: स्थिति में कुछ भी पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है,आपको ऐसा लग सकता है कि आपने पूरा चैप्टर पढ़ लिया है,उसे पूरी तरह समझ लिया है और अब इसके आधार पर चैप्टर से पूछे गए किसी भी सवाल का उत्तर दे सकता हूँ।लेकिन जब आप इसका मूल्यांकन करते हैं,मॉडल पेपर्स हल करते हैं,मॉक टेस्ट देते हैं तो परिणाम बिल्कुल पूअर (poor) आता है आप कुछ या बहुत कम प्रश्नों के उत्तर दे पाते हैं या फिर कोशिश करने पर भी कुछ भी याद नहीं आता है।
  • अतः मस्तिष्क को बीच-बीच में पर्याप्त विश्राम व ब्रेक देना आवश्यक है।एक-दो घंटे के बाद ब्रेक दें और शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए एक-एक घंटे के अंतराल से पानी पीते रहे।यानी सार्थक पढ़ाई करने के लिए आपका दिल और दिमाग तो दुरुस्त होना ही चाहिए साथ ही आपका शारीरिक स्वास्थ्य भी उत्तम होना चाहिए।परीक्षा के दिनों इन बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए।दिल,दिमाग व शरीर को स्वस्थ रखना एक-दो दिन में संभव नहीं होता है लंबे अभ्यास से दिल और दिमाग व शरीर स्वस्थ रहते हैं।
  • इसके साथ ही आपके अध्ययन कक्ष में शांत वातावरण रहना चाहिए,आपके आसपास बिल्कुल शोर-शराबा नहीं होना चाहिए।पर्याप्त नींद और विश्राम लें।यानी बाहरी और आंतरिक रूप से सब कुछ ठीक-ठाक होता है तो अध्ययन किया हुआ स्मरण भी रहता है और उसको सही तरीके से लिखा भी जा सकता है।
  • अपने आपको या मन को एकाग्र रखना,मन को संतुलित रखना,शरीर को स्वस्थ रखना,दिल व दिमाग को स्वस्थ रखना आदि बातें तो हमारे वश में है और इनको दुरुस्त रखा जा सकता है।परंतु आपके आसपास का वातावरण शांत ही हो यह आवश्यक नहीं है।यदि आपके आसपास वातावरण में डीजे बज रहा है,बहुत शोरगुल है तो परीक्षा के निकट आप व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्हें डीजे व शोरगुल करने से मना कर सकते हैं।यदि वे नहीं मानते हैं तो एक शिकायती पत्र मजिस्ट्रेट को देकर उक्त शोरगुल,डीजे आदि को बंद करवा सकते हैं।
  • तात्पर्य यह है कि अध्ययन करते समय आपका मन इतना एकाग्र होना चाहिए कि आसपास के शोरगुल,अन्य कार्यक्रमों से आप बेखबर रहें।आपको यह भान ही नहीं रहना चाहिए कि आसपास क्या-क्या है,क्या-क्या हो रहा है।यानी अध्ययन करते समय उसमें आप पूरी तरह डूब जाएं।अध्ययन को साधना व पूजा समझकर करें तो आप अध्ययन में असीम आनन्द का अनुभव करेंगे।आपमें इतनी तड़प व लगन होनी चाहिए कि अध्ययन आपको आंनदायक लगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में परीक्षा हेतु अध्ययन की कला विकसित करने की 5 टिप्स (5Tips to Develop Art of Study for Exam),परीक्षा की तैयारी हेतु पढ़ने की कला विकसित करने की 5 टॉप तकनीक (5 Top Techniques to Develop Art of Reading to Prepare for Exams) के बारे में बताया गया है।

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6.छात्र के घबराने का कारण (हास्य-व्यंग्य) (Reason for Student’s Panic) (Humour-Satire):

  • शिक्षक:छात्र से,इतने घबराए हुए क्यों हो,अब तुम्हारे फेल होने का खतरा नहीं है।
  • छात्र:लेकिन सर,परीक्षिक ने उत्तर पुस्तिका लेते समय मुझे कहा है कि ऑल द बेस्ट (all the best) फिर मिलेंगे।

7.परीक्षा हेतु अध्ययन की कला विकसित करने की 5 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 5Tips to Develop Art of Study for Exam),परीक्षा की तैयारी हेतु पढ़ने की कला विकसित करने की 5 टॉप तकनीक (5 Top Techniques to Develop Art of Reading to Prepare for Exams) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.अध्ययन से मन एकाग्र कैसे होता है? (How does study concentrate the mind?):

उत्तर:विद्यार्थी आज मल्टीटास्किंग करते हैं।सोशल मीडिया पर व्यस्त रहना,इंटरनेट पर सर्फिंग करना,अत्यधिक मनोरंजन करना जिससे उसका अध्ययन से मन उचट जाता है,ध्यान भटकता है।यदि वे परीक्षा और भविष्य को ध्यान में रखकर अध्ययन करें तो आपका मन एकाग्रतापूर्वक अध्ययन पर केंद्रित हो जाता है,जिससे एकाग्रता बढ़ती है।आपका ध्यान भटकने से बच जाता हैं।

प्रश्न:2.अध्ययन से याददाश्त कैसे बढ़ती है? (How does studying improve memory?):

उत्तर:जब छात्र-छात्रा एकाग्र होकर अध्ययन करता है और अध्ययन करने के बाद उसे नोटबुक पर लिखता है तो बार-बार अभ्यास करने,पुनरावृत्ति करने से स्मरणशक्ति बढ़ती है।आपके मूड में भी सुधार होता है।आपका मूड ऑफ नहीं होता है।आप विषयवस्तु को बेहतर ढंग से याद करने में सक्षम होते हैं और प्रश्नों के सटीक उत्तर देने की क्षमता बढ़ती है।

प्रश्न:3.क्या अध्ययन नियमित करना चाहिए? (Should the study be regular?):

उत्तर:हाँ,अध्ययन नियमित और क्रमबद्ध तरीके से करना चाहिए।कभी पढ़ा,कभी नहीं पढ़ा,कभी बहुत पढ़ लिया,कभी कुछ भी नहीं पढ़ा,इस तरह की कार्यप्रणाली से पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है।लगातार नियमित रूप से,गंभीरतापूर्वक,रुचिपूर्वक तथा एकाग्रता के साथ पढ़े हुए का परिणाम ही अच्छा आता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा परीक्षा हेतु अध्ययन की कला विकसित करने की 5 टिप्स (5Tips to Develop Art of Study for Exam),परीक्षा की तैयारी हेतु पढ़ने की कला विकसित करने की 5 टॉप तकनीक (5 Top Techniques to Develop Art of Reading to Prepare for Exams) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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