5Technique to Make Good Use of Present
1.वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 तकनीक (5Technique to Make Good Use of Present),वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 बेहतरीन रणनीतियाँ (5 Best Strategies to Make Good Use of Current):
- वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 तकनीक (5Technique to Make Good Use of Present) का पालन करके आप वर्तमान का उपयोग कर सकेंगे।वर्तमान समय का पालन करके बहुत-सा समय अनावश्यक कार्यों में नष्ट होने से बचा सकते हैं।समय अमूल्य है अतः इसे किसी भी कीमत पर बर्बाद नहीं करना चाहिए।
- अक्सर विद्यार्थी भूतकालीन अच्छे या बुरे कार्यों के बारे में सोच-सोचकर या भविष्यकालीन निराधार कल्पनाओं में व्यतीत करके समय को नष्ट करते रहते हैं जिसे रोका जाना चाहिए।
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2.भगवदीय अनुदान है समय (Time is God’s Grant):
- भगवान ने हमें दो महत्त्वपूर्ण अनुदान दिए हैं:एक समय और दूसरा क्षमता।किंतु हमारे पास सीमित समय व क्षमता है।इसी समयावधि में हमें अपने निर्धारित कर्त्तव्यों के पालन के लिए परम उद्देश्य की प्राप्ति करनी है।इसीलिए जीवन का प्रत्येक क्षण अनमोल है;क्योंकि समय के सदुपयोग पर ही जीवन का विकास संभव है।किसने कितने समय के अनुसार कार्य किया उसी के अनुरूप उसे उपलब्धियां मिलती है।
- समय की तीन अवस्थाएं हैं:भूत,वर्तमान एवं भविष्य।सिर्फ वर्तमान ही हमारे हाथ में होता है; जबकि भविष्य वर्तमान का प्रतिफल होता है और भूत को हम मिटा नहीं सकते।वर्तमान में खड़े रहने की सामर्थ्य विरलों में ही होती है।वर्तमान समय का उपयोग हम कर नहीं पाते।प्राय: हम अतीत की यादों में खोए रहते हैं या भविष्य की कल्पनाओं में डूब जाते हैं।यदि वर्तमान का उपयोग करते भी हैं तो वह भी आधे-अधूरे मन से करते हैं।जिसका परिणाम यह होता है कि यह महत्त्वपूर्ण वर्तमान क्षण हमसे छूट जाता है।वर्तमान समय की उपेक्षा करके कोई भी इंसान प्रगति नहीं कर सकता,क्योंकि हमसे जो कुछ कर सकना संभव है वह सिर्फ वर्तमान ही है।
- हमारे पास सीमित समयावधि है,अर्थात् गिने हुए क्षण हैं,एक क्षण ज्यादा किसी को नहीं मिलेगा।ऐसा तो हो सकता है कि हमारी गिनती में कोई भूल-चूक हो,किंतु समय से कभी भूल नहीं हो सकती।हम चाहे वर्तमान समय का उपयोग करें या ना करें,प्रत्येक क्षण हमारे हाथों से रेत के समान छूट रहा है और एक दिन हमारी मुट्ठी खाली हो जाएगी।तब हमें काल के चक्र से कोई नहीं बचा सकता।इसलिए हमें सचेत होकर अपने वर्तमान समय का अधिकतम सदुपयोग करना चाहिए।
- जो व्यक्ति अपने अतीत के बारे में ज्यादा चेतन होते हैं,अपने अतीत में खोए रहते हैं,वे प्रायः मनोरोगी हो जाते हैं; क्योंकि मनोरोग अतीत की ग्रंथियों का ही परिणाम होता है और जो अपने भविष्य की कल्पनाओं में डूबे रहते हैं,वे शेखचिल्ली व पलायनवादी हो जाते हैं।वे भी अपना महत्त्वपूर्ण समय शेखचिल्ली की तरह कोरी कल्पनाओं में नष्ट कर देते हैं।हम प्रायः भूत व भविष्य के झूले में झूलते रहते हैं,पर जो भी करना है वह नहीं करते और वर्तमान समय की अवहेलना करते हैं।वर्तमान समय की उपेक्षा ही दुर्भाग्य का कारण है।इस संसार में कोई भी व्यक्ति वर्तमान समय की उपेक्षा कर कभी सुखी,शान्त व उन्नत नहीं हो पाया है।वर्तमान समय का जो सदुपयोग करता है,वह अपने जीवन में कोई भी उपलब्धि पा लेता है।
- हमारे जीवन का परम उद्देश्य है अध्ययन द्वारा लक्ष्य प्राप्ति।यह लक्ष्य विद्यार्थियों के लिए सांसारिक या आध्यात्मिक कोई भी हो सकता है।अतीत और भविष्य की सोच व कल्पनाएँ ही मनुष्य,विद्यार्थी और लक्ष्य के बीच का परदा है।सारा मायाजाल अतीत व भविष्य से आता है।वर्तमान समय का सदुपयोग ही वह मार्ग है,जिसके द्वारा हम हमारे लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।वर्तमान में टिकने पर ही विकास संभव है।महात्मा बुद्ध ने कहा था:”जिस दिन से मैं ठहर गया मैं बुद्ध हो गया।” जो वर्तमान में जितना ज्यादा टिकेगा,वह संसार और अध्यात्म,दोनों क्षेत्रों में उतना ही सफल होगा।
3.अपनी क्षमताओं को वर्तमान में सँवारें (Nurture your abilities in the present moment):
- जो कुछ करने की क्षमता है,वह इसी पल में है।यदि हम अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं तो वर्तमान क्षण को व्यर्थ में न जाने दें।जीवन कितने ही तरह से खोता है,पर सच तो यह है कि हमें होश ही नहीं।हम अपनी यादों,सपनों व इच्छाओं के पीछे दौड़ते रहते हैं और जाने-अनजाने हम वर्तमान समय की उपेक्षा करते हैं।यदि जीवन को संभालना और संवारना है तो अभी से हमें वर्तमान के प्रति सचेत होना होगा।
- हमारा अतीत हमें जकड़े रहता है,हमें इससे बाहर आना होगा; क्योंकि अतीत की जकड़न ही मनोरोगों का कारण है।अतीत के परिष्कार से ही वर्तमान में टिकने की क्षमता आती है।वर्तमान में जीने वाला कभी अपराध नहीं कर सकता; क्योंकि वर्तमान में जीना ही होश में रहना है।प्रायः व्यक्ति अपनी कल्पनाओं के कारण ही भयभीत होते हैं; जबकि वास्तविकता वैसी नहीं होती।अपने अतीत में रहने के कारण ही व्यक्ति अवसाद से ग्रस्त हो जाता है और भविष्य में डूबा रहता है,वह दुश्चिंता का शिकार हो जाता है।वर्तमान में रहने वाला ही वास्तविक सुख,शांति व प्रसन्नता पाता है।
- आज तरह-तरह के नशों की खोज की गई है; क्योंकि हम वर्तमान का सामना नहीं करना चाहते।वर्तमान का सामना करने से डरते हैं।वर्तमान हमारे सामने अपनी वास्तविकता को लाकर खड़ा कर देता है,पर हम अपनी वास्तविकता को स्वीकार नहीं करना चाहते।वर्तमान से पलायन का सबसे सुगम मार्ग है नशा; क्योंकि नशा हमें बेहोशी देता है।हमारे नशों का आविष्कार वर्तमान से भागने के लिए ही हुआ है।पलायन की सुविधा देता है नशा,पर पलायन हमें मनोरोगी भी बनाता है;क्योंकि मनोरोगी परिस्थितियों से भाग लेता है।
- जिस समय हम संघर्ष करते हैं,वह लक्षण होश का होता है।होश में जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है,अपनी वास्तविकता को स्वीकारना पड़ता है; जबकि हम अपनी वास्तविकता को स्वीकारना नहीं चाहते और न ही संघर्ष करना चाहते हैं; क्योंकि हम अपनी वास्तविकता व संघर्ष,दोनों से ही घबराते हैं।जीवन का वास्तविक विकास तो संघर्ष में ही है और संघर्ष वही कर सकता है,जो होश में जीता है।
- कई लोग अपनी पूर्व में हुई गलतियों के कारण उन्हीं के बारे में सोचते व मन ही मन पछताते रहते हैं या फिर किन्हीं कल्पनाओं में खोए रहते हैं; जबकि हमें सिर्फ वर्तमान के बारे में ही सोचना चाहिए,क्योंकि अतीत की गलतियों व भविष्य की व्यर्थ चिंता का निदान सिर्फ वर्तमान के सदुपयोग में है।वर्तमान का सदुपयोग वही कर सकता है,जो होश में जीता है।
- यह तो सच है कि हम एक क्षण भी बिना कर्म किए नहीं रह सकते,क्रियाशील रहना हमारा स्वभाव है और क्रियाशीलता में ही हमारा विकास संभव है।यदि सचेत होकर कर्म किया जाए तो बहुत सारे अनावश्यक कार्यों व अपराध करने से बच सकते हैं।जिस दिन हम कुछ कार्य करते हैं तो उस दिन हमें बहुत अच्छा लगता है,एक विश्वास जगता है और भीतर से आत्म-संतोष भी अनुभव होता है,पर सब सारा दिन यों ही कोरी कल्पनाओं और योजनाओं को बुनने में गुजार दिया जाता है,तो खोखलापन व बेचैनी अनुभव होती है।इसलिए हमें सचेत होकर क्रियाशील रहना आवश्यक है अन्यथा धीरे-धीरे शरीर और मन,दोनों ही बेकार हो जाएंगे।यह सच है कि कार्य करने में बाधाएँ तो आएंगी और टूटेंगी भी और निरंतर करते चले जाएं तो एक दिन उपलब्धियां मिलेंगी।
- यदि हम गंभीरता से अपने जीवन का अवलोकन करें तो स्पष्ट होता है कि हम बातें तो बहुत अच्छी करते हैं,पर वास्तव में हमारी जीवन शैली वैसी नहीं होती।जबकि विकास के लिए यह आवश्यक है कि हमारी जीवन शैली भी हमारे उद्देश्य के अनुरूप हो।
4.वर्तमान समय का सदुपयोग करें (Make good use of the present time):
- जो वर्तमान में ठहर जाता है,जिसने वर्तमान का सदुपयोग करना सीख लिया है,वह सभी आपदाओं से उबर जाता है।इसके लिए सबसे पहले आवश्यक है कि वर्तमान में जीना सीखें।दूसरा,अपना लक्ष्य स्पष्ट करें;अर्थात् यह स्पष्ट करें कि क्या करना है? हम लोग प्रायः उधार की जिंदगी जीते हैं; क्योंकि हम दूसरों के जैसा होना चाहते हैं।जिसमें सब लोगों को मान-सम्मान मिले,हम वही बनने चल पड़ते हैं।यह हमारी सबसे बड़ी भूल है;जबकि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक मौलिकता है जो अन्यत्र नहीं हो सकती।हम अपने ही जैसे हैं,इसलिए लक्ष्य भी अपने ही जैसा होना चाहिए।अपने लक्ष्य को निर्धारित करते समय अपनी क्षमता और मौलिकता का विशेष ध्यान रखें।तीसरा,कार्य (लक्ष्य) को प्राथमिकता के अनुसार श्रेणी में बांटे और महत्त्वपूर्ण कार्य को सबसे पहले करें।
- मनोवैज्ञानिक दुनिया सबसे महत्त्वपूर्ण है,जो हमें हर पल उठाती व गिराती रहती है।इसका सृजन हम स्वयं करते हैं।यह वह दुनिया है,जो हमें हर पल प्रेरित करती रहती है।इसलिए इसे ऊर्जापूर्ण एवं प्रेरक होना चाहिए ना कि अवसादग्रस्त बनाने वाली।इसे ऊर्जावान व प्रेरक बनाए रखने के लिए नित्य की साधना व स्वाध्याय अति आवश्यक है।
- आज कोई वर्तमान का सामना नहीं करना चाहता; जबकि वर्तमान में अनेकों विभूतियाँ व उपलब्धियाँ हैं।यदि कोई वर्तमान समय में टिक जाए तो उसे सबसे पहली उपलब्धि ‘एकाग्रता’ मिलेगी।अतीत व भविष्य ही हमें भटकाता है।भटकाने वाली सारी विषयवस्तु अतीत व भविष्य से आती है।वर्तमान में टिकते ही हममें स्वाभाविक रूप से एकाग्रता आ जाती है।इसकी उपलब्धि है ‘कुशलता’।जब व्यक्ति किसी कार्य को एकाग्रतापूर्वक करता है तो वह बहुत जल्दी ही उस विषय में कुशल हो जाता है।
- तीसरी उपलब्धि ‘सृजनता’।एकाग्रता से ही मौलिकता का विकास होता है और चौथी उपलब्धि है ‘अन्तःज्ञान’।जब व्यक्ति किसी कार्य के प्रति एकाग्र होता है तो उस एकाग्रता के फलस्वरूप अंतःज्ञान होने लगता है।स्वतः ही उसके सामने सारे भेद उजागर होने लगते हैं।कभी-कभी एकाग्रता के कारण चेतना एक स्तर से दूसरे स्तर में चली जाती है,जहां व्यक्ति को अलौकिक अनुभूतियां होने लगती हैं,यह सब वर्तमान में जीने का सुपरिणाम है।
- जबकि वर्तमान से भागने और अतीत को याद करने या भविष्य की कल्पना में खोए रहने से जीवन अंधकार से घिर जाता है और जीवन की क्षमताएं इस आवरण में ढक जाती हैं।इसी कारण व्यक्ति का जीवन मनोरोगी बन जाता है।वह वर्तमान में ठहरता ही नहीं और अपने अतीत की स्मृतियों या भविष्य की कल्पनाओं में खोया रहता है।इस परिस्थिति से बचने का एकमात्र उपाय यही है कि वर्तमान की महत्ता को स्वीकारा जाए,वर्तमान में जीने का अभ्यास किया जाए एवं वर्तमान समय का बेहतर सुनियोजन किया जाए।केवल वर्तमान ही व्यक्ति के अतीत को परिवर्तित करने व भविष्य को गढ़ने की क्षमता रखता है,लेकिन वर्तमान में जीना उतना आसान नहीं है।वर्तमान का सामना करने में व्यक्ति को घबराहट महसूस होती है;क्योंकि इससे हमारे अंदर छिपी हुई क्षमताओं व शक्तियों के आवरण हटते हैं और स्वयं से हमारा परिचय होता है।
- अतः इस महत्त्वपूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें आज से ही वर्तमान में जीने का संकल्प लेना चाहिए और अपने जीवन में आने वाली अतीत की स्मृतियों से सीखने का प्रयास करना चाहिए और भविष्य की कल्पनाओं को साकार करने की तैयारी वर्तमान समय में करनी चाहिए।वर्तमान जीवन ही हमें होशपूर्ण,जागृत व शक्तिमान बनाता है।हर दिन नया जन्म और हर रात नई मौत को जीवन में धारण करना चाहिए।
5.वर्तमान समय का सदुपयोग करने की युक्ति (Tips to make good use of the present time):
- एकाग्रता का अभ्यास करें।मन की एकाग्रता का ही अर्थ है कि वर्तमान में जीना,वर्तमान समय का उपयोग करना।रोजाना नियमित रूप से मन को एकाग्र करने के लिए प्रातः काल ध्यान करें।भ्रूमध्य (आज्ञाचक्र,ललाट) में प्रकाशस्वरूप या ओउम का ध्यान अथवा अपने इष्टदेव का ध्यान कर सकते हैं।शुरू-शुरू में मन एकाग्र नहीं हो पाता है,इसलिए मन इधर-उधर भटकता है।अतः धैर्य बनाए रखें तथा निरंतर प्रयास करते रहें,धीरे-धीरे एकाग्रता सधने लगती है।
- दिन में जब भी अध्ययन करें और मन भूत या भविष्य अथवा कल्पनाओं में खो जाए तो उसको कंपनी न दें।विवेक,धैर्य एवं साहस जैसे मित्रों का उपयोग करें और मन को बार-बार खींचकर अध्ययन पर फोकस करने का प्रयास करें।बुरी आदतों,बुरे विचारों को कम्पनी न दें।जिस समय जो कार्य कर रहे हैं उसी पर ध्यान फोकस करने की कोशिश करें।दरअसल बुरी आदतें या अच्छी आदतों के कारण मन उसमें खोया रहता है।यदि आपको कोई विशिष्ट सफलता मिली है तो मन उसके बारे में ही कई प्रकार की योजनाएं बनाने लगता है।योजना बनाना कोई बुरा नहीं है परंतु मनन-चिंतन,भविष्य की कल्पनाओं या अन्य बातों पर विचार करने के लिए अलग से समय निकाले।उस समय उसी पर चिंतन करें।क्या करना है,क्या नहीं करना है,कैसे किसी कार्य को क्रियान्वित करना है,क्या अड़चनें आ सकती हैं,उन अड़चनों का समाधान कैसे करना है इत्यादि पर विवेकपूर्वक विचार करें और जो भी समाधान दिखाई दें उसको किसी नोटबुक में नोट कर लें और उस पर क्रियान्वयन चालू कर दें।
- परंतु जिस समय आप अध्ययन कर रहे हैं उस समय केवल अध्ययन पर ही फोकस रहें,ध्यान को अध्ययन पर ही केंद्रित करें,अध्ययन में आने वाली परेशानियों,समस्याओं पर ही मनन-चिंतन करके उनका समाधान निकालें।दरअसल मन जंगली हाथी की तरह है जिसको वश में करना कठिन है।परंतु अभ्यास और वैराग्य से धीरे-धीरे वश में हो जाएगा।इसके लिए आपको मन के विरुद्ध खड़ा होना पड़ेगा।
- इसके अलावा आप अपने जीवन का लक्ष्य तय करें,बिना लक्ष्य के इधर-उधर भटकना है जिसमें हम कहीं नहीं पहुंचते हैं।अर्थात् आप अध्ययन क्यों कर रहे हैं,आपके अध्ययन करने का क्या उद्देश्य है,इसे निश्चित करें।लक्ष्य का निर्धारण अपनी मौलिक प्रतिभा को पहचान कर करें।लक्ष्य सामने होता है तो मन इधर-उधर नहीं भटकता है।
- बदलाव के लिए,मनोरंजन के लिए आप स्वाध्याय,सत्संग तथा सत्साहित्य का अध्ययन कर सकते हैं।कुछ देर आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन भी करना चाहिए।जैसे आत्मा के बिना यह शरीर मुर्दा है और आध्यात्मिकता के बिना यह जीवन शव के समान है।
- मन पर पैनी नजर रखें ज्योंही ही फालतू के कार्यों में भटकने लगे इसे उपयोगी कार्य में लगा देना चाहिए,मन को फालतू नहीं छोड़ना चाहिए।कोई हाॅबी भी रखें जैसे सत्साहित्य पढ़ना,लेख लिखना,ट्यूशन कराना,योग-साधना करना आदि कोई भी हाॅबी अपनी रुचि के अनुसार रखें जिससे जीवन में सरसता बनी रहें।इन सब उपायों में सबसे मुख्य है मन को एकाग्र करना क्योंकि मन की एकाग्रता का ही अर्थ है कि आप वर्तमान समय का उपयोग कर रहे हैं।यदि मन चंचल है तो वह या तो अतीत में दौड़ लगाएगा या भविष्य की कल्पनाओं में खो जाएगा।इतने उपाय करने से आप वर्तमान का सदुपयोग कर सकते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 तकनीक (5Technique to Make Good Use of Present),वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 बेहतरीन रणनीतियाँ (5 Best Strategies to Make Good Use of Current) के बारे में बताया गया है।
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6.कक्षा का रिजल्ट (हास्य-व्यंग्य) (Class Result) (Humour-Satire):
- माँ:तुम्हारे गणित में कितने नंबर आए,कक्षा में कोई गणित में फेल भी हुआ है क्या?
- पुत्र:हमारी कक्षा में सब गणित में पास हुए हैं,एक को छोड़कर।
- माँ:वह एक कौन है?
- पुत्र:गणित शिक्षक।
- माँ:कैसे?
- पुत्र:सभी अगली कक्षा में पहुंचे गये परंतु गणित शिक्षक उसी कक्षा में हैं।
7.वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 5Technique to Make Good Use of Present),वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 बेहतरीन रणनीतियाँ (5 Best Strategies to Make Good Use of Current) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.क्या भूतकाल का महत्त्व नहीं है? (Does the past not matter?):
उत्तर:भूतकाल के अनुभवों का इतना ही लाभ है कि जो सीखा है,उसमें वर्तमान को सुव्यवस्थित बनाने का उपयोग किया जाए और जो भूले हुई हैं उनको न दोहराया जाए।परंतु भूतकाल की बातों का चिंतन करते रहना वर्तमान समय का दुरुपयोग करना है और गलत चीज से,गलत काम से,गलत चिंतन से सही चीज प्राप्त नहीं की जा सकती।
प्रश्न:2.क्या कल्पनाओं का महत्त्व नहीं है? (Don’t fantasies matter?):
उत्तर:उन्हीं कल्पनाओं का महत्त्व है जिनको साकार किया जा सकता है परंतु हमेशा कल्पनाओं में ही खोए रहना वर्तमान समय का दुरुपयोग है,चाहे वे कल्पनाएँ सही हों या गलत।हाँ जिस समय जो कार्य कर रहे हैं उसके संबंध में कल्पना करना और उसको क्रियान्वित करना सही है।
प्रश्न:3.असफलताएं क्यों मिलती हैं? (Why do failures occur?):
उत्तर:अधूरे मनन-चिंतन और आधे-अधूरे मन से अध्ययन करना आधा-अधूरा ही रहता है।असफलताएं प्रायः इस अधूरेपन की प्रतिक्रियाएं हैं।वही विद्यार्थी असफल होता है जो केवल चिंतन या केवल कठोर परिश्रम करता है।
प्रश्न:3.असफलताएं क्यों मिलती हैं? (Why do failures occur?):
उत्तर:अधूरे मनन-चिंतन और आधे-अधूरे मन से अध्ययन करना आधा-अधूरा ही रहता है।असफलताएं प्रायः इस अधूरेपन की प्रतिक्रियाएं हैं।वही विद्यार्थी असफल होता है जो केवल चिंतन या केवल कठोर परिश्रम करता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 तकनीक (5Technique to Make Good Use of Present),वर्तमान समय का सदुपयोग करने की 5 बेहतरीन रणनीतियाँ (5 Best Strategies to Make Good Use of Current) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.