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5 Top Strategies to Job For Freshers

1.फ्रेशर्स के लिए जॉब करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies to Job For Freshers),फ्रेशर्स के लिए जाॅब करने की 5 टॉप तकनीक (5 Top Techniques for Freshers to Prepare for a Job):

  • फ्रेशर्स के लिए जॉब करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies to Job For Freshers) को जानने और अपनाने पर जॉब में सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं।सफलता और अनुभव का चोली दामन का साथ होता है।परंतु प्रेशर्स के पास अनुभव नहीं होता है अतः कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो आपके पास अनुभव का भंडार हो जाएगा।
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2.अपना मजबूत रिज्यूम बनाएं (Create Your Strong Resume):

  • एक बार अनुभव प्राप्त कर लिया जाए तब तो काम को करना आसान होता है,लेकिन समस्या तब होती है,जब आपको जॉब करने का बिल्कुल अनुभव न हो।आजकल कंपनियां भी अनुभवी अभ्यर्थियों को वरीयता देती है और इसलिए फ्रेशर्स के लिए अच्छा जाॅब प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
  • भले ही आपके पास काम करने का अनुभव नहीं है,लेकिन जाॅब के लिए जरूरी स्किल्स को रिज्यूम में उल्लेख करें।अध्ययन के दौरान किसी भी वर्कशॉप आदि में भाग लिया है तो उसे भी सीवी में जरूर लिखें।रेगुलर डिग्री के साथ कोई भी ऑनलाइन कोर्स,ट्रेनिंग अथवा सर्टिफिकेट प्रोग्राम किया है या इंटर्नशिप की है तो उसका सीवी में अवश्य ही उल्लेख करें।
  • फ्रेशर्स के लिए मनचाहा जाॅब मिलना मुश्किल हो जाता है।अतः सबसे अच्छा तरीका होता है कि आप एंट्री लेवल पोस्ट के लिए अप्लाई करें।इस तरह के जॉब्स में कंपनियां कम पैसा देकर ज्यादा से ज्यादा काम सिखाती हैं।एंट्री लेवल जॉब को हासिल कर लेने से आपके लिए बेहतर नौकरी पाने की संभावना भी बढ़ जाती है।
  • जब भी जाॅब प्राप्त करने किसी अधिकारी/कर्मचारी,नियोक्ता से मिले तो आपका बॉडी लैंग्वेज भी आपके बारे में काफी कुछ बता देता है।जब आप अपनी रीड की हड्डी को सीधा करके खड़े होते हैं तो इसका मतलब है कि आपके अंदर आत्मविश्वास,उत्साह,ऊर्जा है।साथ ही,आप एक्टिव और सिंसियर पर्सन हो।जब आप सीधे खड़े होते हो,आपके पैर भी सीधे होते हैं,कंधे भी सीधे होते हैं तो इसका मतलब है कि आप एक्टिव हैं।यानी आप तैयार है किसी काम को करने के लिए और यही हमारा पाॅश्चर बताता है।
  • इसी तरह जब आप सीधे बैठते हैं और सीधे बैठकर कोई बात सुन रहे होते हैं,तो इसका मतलब है कि आप उस विषय में रुचि ले रहे हैं।अपने कार्य के प्रति समर्पित हैं।वहीं आप बहुत ही आराम से खड़े हैं,तो इसे कैजुअल पाॅश्चर कहते हैं यानी आपकी अप्रोच भी कैजुअल है।आपका नजरिया काम चलाऊ है।यानी ठीक है कि जो होगा वो देखा जाएगा।इसका मतलब है कि आप समर्पित और अपनी बात पर कायम रहने वाले व्यक्ति नहीं है।इसलिए जब आप किसी से बात करते हैं,तो उस समय सीधे खड़े होते हैं,तो आपका यह पाॅश्चर इंप्रेसिव होता है।
  • आई कॉन्टेक्ट के बाद आते हैं चेहरे के हाव-भाव।जब भी आप किसी से मिलें,तो सामने वाले का मुस्कुराकर अभिवादन करें।इससे यह पता चलता है कि आप उत्साही और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हैं।जब आप विदा हों,तब भी आप मुस्कुराकर अभिवादन करें।आपकी मुस्कुराहट व्यंगात्मक नहीं होनी चाहिए।व्यंग्यात्मक हंसी से लगता है कि आप सामने वाले को नीचा दिखाना चाह रहे हैं।उसे कमतर समझ रहे हैं।
  • जेस्चर्स (शारीरिक हाव-भाव) में इस बात का भी ध्यान रखें की बहुत ज्यादा हाथ हिलाकर बात ना करें।वरना लगेगा कि आप नर्वस हैं।यह भी ध्यान रखें कि आप जब दो-चार लोगों के साथ खड़े हों,तो आपके हाथों के मूवमेंट उनको डिस्टर्ब ना करें।थोड़ी दूरी बनाकर रखें।इससे यह पता चलेगा कि आप रेस्पेक्टफुल पर्सन हैं और आप दूसरों पर हावी नहीं होते हैं।यदि आप बहुत ज्यादा हाथ हिलाकर बात करते हैं,तो संदेश जाता है कि आप दमनशील हैं।इन छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखें वरना छवि नकारात्मक बन सकती है।

3.अपने आपको एक ब्रांड बनाएं (Make yourself a brand):

  • आपको जो भी जाॅब दिया गया है उसको प्लानिंग के साथ करेंगे तो बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।सबसे पहले अपने साथी कर्मचारियों से मिले और उन्हें समझें।इसके बाद काम को समझें और उसी के अनुसार रणनीति तैयार करें।
  • कंपनी के वर्क कल्चर को समझें और उसे अपने अंदाज में करने की कोशिश करें।शुरुआती दौर में बेशक गलतियां होती है,लेकिन उनसे सबक लेने की कोशिश करें।जो गलती एक बार हो जाए उसे दोबारा नहीं करनी चाहिए।इस तरह अपने काम के तरीके को सुधारें।कंपनी के अधिकारियों का विश्वास जीतें और काम में सुधार लाएं।
  • शुरुआत में पहचान बनाने की कोशिश करें।इसके लिए जिस प्रोफाइल पर काम कर रहे हैं,उसमें क्या कुछ नया हो सकता है,समझने की कोशिश करें और उसे लागू भी करें।हर दिन अपने काम का मूल्यांकन करें।लर्निंग का कितना बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं,इस पर फोकस करें।इसके साथ ही नए प्रोजेक्ट से जुड़ें और खुद को ब्रांड के तौर पर स्थापित करें।
  • समय-समय पर अपनी सभी चीजों का एनालिसिस करें।क्या सीखा है,क्या करना है और कितनी चीजें सीखना बाकी है।इसकी लिस्ट बनाएं।इसके लिए सीनियर्स की मदद लें।उनसे पूछें कि आपके काम में कितनी इंप्रूवमेंट की जरूरत है।इस तरह लक्ष्य की तरफ एक स्टेप आगे पहुंच पाएंगे और आपकी छवि भी अच्छी बनेगी।
  • अपने जॉब के साथ-साथ अपने बॉडी लैंग्वेज और वेशभूषा पर भी ध्यान दें।सीनियर्स से मिलते हैं तो बॉडी लैंग्वेज का बहुत फर्क पड़ता है।बॉडी लैंग्वेज में आई कॉन्टेक्ट बहुत महत्त्वपूर्ण है।जब आप किसी से बात करें तो उसकी तरफ देखकर बात करें।इसका मतलब है कि आप उसकी तरफ ध्यान दे रहे हैं।उसकी बातों में रुचि ले रहे हैं।अगर आप उसकी तरफ नहीं देखेंगे तो सामने वाले के दिमाग में यह राय बनेगी कि आप उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।आई कॉन्टेक्ट का मतलब यह नहीं कि आप सामने वाले को घूर कर बात करें।उसकी तरफ देखकर बात करें।बीच में गर्दन हिलाते रहें।इससे छवि सकारात्मक बनेंगी।
  • फर्स्ट इंप्रेशन में आपके कपड़े सबसे बड़ा रोल प्ले करते हैं।जब भी कोई व्यक्ति आपको एक नजर में देखता है तो उसके दिमाग में एक पिक्चर क्लिक हो जाती है,जो हमारे अवचेतन मन में छप जाती है।अवचेतन मन पिक्चर रीड करता है।इसलिए ध्यान रखें आपके कपड़े ऐसे होने चाहिए,जिन्हें देखकर सामने वाला व्यक्ति आपको देखकर यह समझ पाए कि आप किस तरह के व्यक्ति हैं।
  • जरूरी नहीं कि आप महंगे और ब्रांडेड कपड़े पहनें,लेकिन जो भी कपड़े पहने वे मौके के अनुसार हों।जैसे आप किसी बिजनेस मीटिंग के लिए जा रहे हैं,तो आपके कपड़े पार्टी जैसे नहीं होने चाहिए।ऑफिस जा रहे हैं,तो आपके कपड़े फॉर्मल होने चाहिए।कपड़े साफ-सुथरे,नाखून कटे हुए और क्लीन होने चाहिए।इन सब बातों से यह पता चलता है कि आप एक साफ-सुथरे पर्सन हैं और आप सेल्फ मैनेजमेंट के लिए जागरुक हैं।
  • यानी आपका हावभाव,काम करने की ललक,सीखने की चाह,आपका स्वभाव और काम करने का तरीका ही तय करता है कि आप कलीग्स के(Colleagues,सहकर्मियों) के फेवरेट बनेंगे या नहीं इसके लिए जरूरी है बात करने का तरीका।जैसे थैंक यू,सॉरी,एक्सक्यूज मी,पार्डन जैसे शब्दों में बड़ी ताकत होती है।ये आपको विनम्र बनाते हैं,जिससे सामने वाला आपके प्रति सम्मान भाव रखेगा।इनका गहरा असर पड़ता है।चुगली करने की आदत आपकी छवि को बिगाड़ सकती है।चुगली करना या इधर की बातें उधर करना गलत है।ऐसा करके आप सभी की नजरों में गिर सकते हैं।ध्यान रखें कोई बात छुपती नहीं है।अगर आपके पास समय है और कलीग की मदद कर सकते हैं,तो ऐसा करने में कभी पीछे ना हटें।

4.फ्रेशर्स ऑफिस में जॉब करते समय ध्यान दें (Pay attention while freshers working in office):

  • गलती हो जाना आम बात है,लेकिन कार्यस्थल (ऑफिस) पर बार-बार ऐसा होना अच्छी बात नहीं।इसे रोकना है तो सबसे जरूरी बात है कि हर गलती से सीख ली जाए।
  • गलती से सीख लेना क्यों जरूरी है,इसे भी समझ लीजिए।काम करने के साथ आपका अनुभव बढ़ता है।यही अनुभव बताता है कि कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए।गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ें।
  • गलतियों से सीखते हैं,तो आपके काम करने का तरीका पहले से बेहतर होता है।इससे आपकी पहचान सकारात्मक होती है।
    आपकी सकारात्मक छवि का असर कॅरियर पर पड़ता है और अच्छी नौकरी के ऑफर मिलने के चांस बढ़ते हैं।
  • ऑफिस मीटिंग को कर्मचारी अक्सर बोरिंग समझते हैं,लेकिन यह आगे बढ़ने और खुद की काबिलियत साबित करने का अच्छा मौका होता है।
  • मीटिंग में अगर थोड़ा तैयारी के साथ जाते हैं तो पूरे मौके मिलते हैं अपनी छवि प्रभावशाली बनाने के।इसके लिए उन विषय की जानकारी पूरी होना जरूरी है,जिस पर मीटिंग हो रही है।
  • मीटिंग का विषय पता चलने पर उससे जुड़े समाधान और यूनीक आइडिया सोचें।किसी समस्या का तत्काल हल क्या हो सकता है या उसे धीरे-धीरे कैसे दूर कर सकते हैं,यह सोच लें।
  • मीटिंग्स में अक्सर कहा जाता है कि अपने आइडियाज दें।ऐसे में आप अपने आइडियाज सामने रखकर उन्हें सॉल्यूशन बता सकते हैं।
  • ऑफिस में कलीग्स से संबंधों के मामले में दो चीजें सबसे जरूरी होती हैं।पहली न विश्वास तोड़े और न कुछ ऐसा करें कि सामने वाला आपकी बात ना सुने।
  • वर्क कल्चर को बेहतर बनाने के लिए सबसे जरूरी है सकारात्मक माहौल।यह तब बनेगा जब वर्कर को अपनी बात का दायरा मालूम होगा।यानी क्या कहना है और क्या नहीं,इसे याद रखना होगा।
  • कार्यस्थल पर गाॅसिप (गपशप) से बचने की कोशिश करें।भले ही आपको यह करना अच्छा लगता हो,इससे दूर रहने में ही भलाई है।किसी के पक्ष में की गई गाॅसिप दूसरे का विरोध बन सकती है।
  • अपनी बात को कहने का सही तरीका सीखें।आप कितने भी गुस्से में क्यों ना हो आपका लहजा नकारात्मक नहीं होना चाहिए।
    तात्पर्य यह है कि जाॅब स्किल्स के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स को विकसित करने पर भी ध्यान दें।आपमें जाॅब स्किल्स,सॉफ्ट स्किल्स को सीखने की तड़प होनी चाहिए।आप चाहे कंप्यूटर वर्क कर रहे हों,मोबाइल फोन में सोशल मीडिया पर सर्फिंग कर रहें हो तो उनका भी अपने जाॅब स्किल्स व सॉफ्ट स्किल्स को सीखने में सहयोग लें।अपनी साॅफ्ट स्किल्स को पहचानें और लगातार उनको विकसित करते रहें।
  • हालांकि सॉफ्ट स्किल्स को विकसित करना पढ़ाई के दौरान ही जारी कर देना चाहिए।पढ़ाई के दौरान अपना लक्ष्य तय कर लेना चाहिए।और उस लक्ष्य से संबंधित जॉब के लिए इंटर्नशिप अधिक से अधिक करें।इंटर्नशिप एक तरह से जाॅब को करने का रिहर्सल है।इंटर्नशिप,सॉफ्ट स्किल्स को विकसित करने के कारण आप बिल्कुल नौसिखिए की तरह नजर नहीं आएंगे बल्कि आपको संबंधित जॉब का कुछ ना कुछ व्यावहारिक ज्ञान होगा।अतः अपनी पर्सनल स्किल्स को बढ़ाएं।

5.अपने आपको प्रोत्साहित करें (Encourage yourself):

  • दरअसल आज की गलाकाट प्रतिस्पर्धा में कदम-कदम पर हतोत्साहित करने वाले,एक-दूसरे की टांग खींचने वाले,एक-दूसरे को गिराने वाले,एक-दूसरे की बेवजह आलोचना करने वाले तो बहुत मिल जाएंगे परंतु प्रोत्साहित करने वाले,सराहना करने वाले,प्रशंसा करने वाले,जेनुइन काम की प्रशंसा करने वाले बहुत कम मिलेंगे।
  • आपसे कदम-कदम पर गलतियां हो रही हो और दूसरे आपको हतोत्साहित कर रहे हों,तो उनकी तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए।लक्ष्य पर फोकस करने और चैलेंजेज से सीखते हुए आगे बढ़ने के लिए लगातार मोटिवेशन आवश्यक है।इसके लिए छोटे-छोटे स्टेप बनाएं और हर स्टेप पर सफलता पाने के बाद छोटा-सा सेलिब्रेशन करके अपने आपको मोटिवेट करें यानी स्वयं ही अपने आपको प्रेरित करें।
  • क्लियर और अचिवेबल लक्ष्य बनाएं।इससे आप फोकस रहेंगे और मोटिवेटेड महसूस करेंगे।
  • ये ही लक्ष्य (जाॅब) क्यों चुना,इसका स्पष्ट कारण ढूंढे यानी यह आपकी मौलिक प्रतिभा है।इससे उसे पाने के लिए अंदर से बल मिलेगा।
  • एक स्टिकर (कागज पर) पर लक्ष्य को केंद्रित करती पिक्चर्स लगाएं।आते-जाते,सोते-जागते इन्हें देखें।दिनचर्या ऐसी हो जो आपको लक्ष्य के करीब ले जाए।
  • पॉजिटिविटी बहुत जरूरी है।ऐसे लोगों के साथ रहें,जो लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करें।लक्ष्य को पाने में आपकी सकारात्मक मदद करते हों,आपका कदम-कदम पर साथ देते हों,आपको खतरों से सावधान करते हों,आपका हौसला बढ़ाते हों,आपको निराशा के अंधकार से बाहर निकलने में मदद करते हों।
  • याद रखें यदि दिमाग कमजोर होता है तो बाधाएँ,समस्याएं हमारे सामने दीवार बनकर खड़ी हो जाती है।दिमाग संतुलित होता है तो समस्याएं चुनौती बन जाती है परंतु दिमाग स्थिर और मजबूत होता है तो समस्या अवसर बन जाती है।चुनौतियों को बाधाएँ न समझें,अपने से सीनियर्स से सीखें।
  • प्रेरणादायक पुस्तकें अथवा राॅल मॉडल से सीखें,कैसे चुनौतियों से पार पाते हुए सफल होते हैं।लक्ष्य को प्राप्त करने में पुस्तकें और राॅल मॉडल का बहुत बड़ा योगदान होता है।परंतु इससे भी ज्यादा जरूरी है कि अपने आपको मेंटली और फिजिकली एक्टिव रखना।
  • याद रखें जब किसी सफल इंसान की चर्चा होती है तो उसमें जाॅब स्किल्स के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स की भी चर्चा होती है।जाॅब स्किल्स आपकी जॉब में सफलता की 50% गारंटी देता है तो बाकी की 50% सफलता आपकी सॉफ्ट स्किल्स पर निर्भर करती है।अतः जाॅब  में बेहतरीन होने के साथ-साथ अपने अंदर खूबियां भी विकसित करें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में फ्रेशर्स के लिए जॉब करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies to Job For Freshers),फ्रेशर्स के लिए जाॅब करने की 5 टॉप तकनीक (5 Top Techniques for Freshers to Prepare for a Job) के बारे में बताया गया है।

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6.नाइट क्लास को चेंज करना (हास्य-व्यंग्य) (Changing Night Class) (Humour-Satire):

  • निखिल:यार अरविंद,नाइट क्लास में रातभर लेक्चर में कुछ भी समझ नहीं आया,पीछे की सीट जो मिली थी।
  • अरविंद:तो डे क्लास में अपनी सीट बदला लेते।
  • निखिल:कैसे करता? डे क्लास में सारी सीटें खाली थी,कोई था ही नहीं और उसी के इंतजार में कोचिंग का कार्यकाल समाप्त हो गया।

7.फ्रेशर्स के लिए जॉब करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (Frequently Asked Questions Related to 5 Top Strategies to Job For Freshers),फ्रेशर्स के लिए जाॅब करने की 5 टॉप तकनीक (5 Top Techniques for Freshers to Prepare for a Job) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.लीडरशिप क्वालिटी कैसे विकसित होती है? (How does leadership quality develop?):
उत्तर:ज्यादातर लोगों को लगता है कि टीमवर्क स्किल सिर्फ प्रोफेशनल लाइफ में ही जरूरी है,जबकि ऐसा नहीं है।स्टूडेंट लाइफ से इंसान टीम या ग्रुप के साथ पढ़ना सीखना है तो कई स्किल्स अपने आप विकसित हो जाती हैं।ऐसा करने पर धैर्य के साथ करना सीखते हैं।टीम मेम्बर्स के साथ तालमेल बैठाना सीख जाते हैं।सभी को लेकर चलना सीखते हैं।यही स्टूडेंट और प्रोफेशनल इंसान में लीडरशिप क्वाॅलिटी विकसित करती है।
प्रश्न:2.निर्णय लेने की कला पर टिप्पणी लिखें। (Write a note on the art of decision making):
उत्तर:मौके के हिसाब से निर्णय लेने की कला ही तय करती है कि इंसान अपने निजी जीवन और प्रोफेशनल लाइफ में कितना आगे बढ़ता है।इसलिए बचपन से ही कहा जाता है कि पेरेंट्स को ऐसी परवरिश देनी चाहिए ताकि बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो।वहीं ऑफिस पर सही समय पर सही निर्णय नहीं लेते हैं तो पिछड़ने का खतरा रहता है।इसलिए छोटे-छोटे निर्णय लेकर इसकी शुरुआत करें और अनुभवों से सीखें।उचित सीमाएं निर्धारित करें।
प्रश्न:3.क्रिटिकल थिंकिंग से क्या आशय है? (What do you mean by critical thinking?):
उत्तर:किसी की सोच को अपना मानकर चलना खतरनाक साबित हो सकता है।क्रिटिकल थिंकिंग का मतलब है किसी चीज पर आपकी सोच क्या है।कोई भी चीज हो,उसे अपने नजरिए से देखें।विचारों के बीच तार्किक संबंध को समझने की क्षमता विकसित करना बेहद जरूरी है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा फ्रेशर्स के लिए जॉब करने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies to Job For Freshers),फ्रेशर्स के लिए जाॅब करने की 5 टॉप तकनीक (5 Top Techniques for Freshers to Prepare for a Job) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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