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5 Top Strategies for Succeed in Job

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1.जाॅब में सफल होने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies for Succeed in Job),अभ्यर्थी के लिए जाॅब में सफल होने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies for Candidate to Succeed in Job):

  • जाॅब में सफल होने की 5 टॉप रणनीतियों (5 Top Strategies for Succeed in Job) के आधार पर आप अपनी परफॉर्मेंस बढ़ा सकते हैं,पदोन्नति के लिए अपने आपको श्रेष्ठ साबित करते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि न केवल आपको संतुष्टि मिलती है बल्कि कस्टमर,कर्मचारी और अधिकारी भी आपके जॉब करने की कल्चर से प्रभावित होते हैं और आपको पसंद करते हैं।
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2.हमेशा प्रगति कैसे करें? (How to always progress?):

  • दरअसल आजकल की गलाकाट प्रतिस्पर्धा में आपको आगे बढ़ते रहना होगा अन्यथा यदि आपने जाॅब की स्किल्स में बदलाव नहीं किया,नवीन तरीकों,अलग हटकर सोच और सकारात्मक थिंकिंग को नहीं अपनाया तो आप पिछड़ते जाएंगे और एक स्थिति ऐसी आएगी कि यदि कर्मचारियों की छंटनी (scrutiny) करनी होगी तो सबसे पहले आपको जाॅब से हटाया जाएगा।
  • अपने जॉब पर,अपनी स्किल पर,अपने नजरिये पर इतनी पकड़ होनी चाहिए कि बाॅस आपको निकालने की सोच भी नहीं सके।ऐसा तभी हो सकता है जबकि आप हटकर और सकारात्मक सोच रखते हैं।कंपनी को आगे बढ़ाने के तरीके सोचते हैं और उस पर अमल करते हैं।आप जब अपने काम,नजरिये और हटकर सोचने से अलग हटकर दिखेंगे।आपको अन्य कर्मचारियों से अलग हटकर सोचना और करना होगा और सबसे मुख्य बात यह है कि आप कंपनी,विभाग,कार्यालय को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हैं।
  • किसी कार्य को पूरी योजना के साथ करें।केवल योजना ही नहीं बनाएँ बल्कि योजना को कार्यान्वित भी करें।योजना ऐसी होनी चाहिए जो व्यावहरिक हो,जिस पर अमल किया जा सकता हो।जैसे आप यह योजना बनाते हैं कि कार्यालय की बिल्डिंग पुरानी है और इसमें कस्टमर आने के लिए हिचकिचाते हैं अतः नया भवन बनाया जाए।परंतु यदि कार्यालय की वित्तीय स्थिति अच्छी है तो इस योजना पर अमल नहीं किया जा सकता है।इसके बजाय आप यह योजना बनाएं कि कार्यालय भवन एक अच्छी कंडीशन वाला किराए पर ले लिया जाए और वह ऐसी जगह हो जहाँ आपकी कंपनी से संबंधित कस्टमर की आवाजाही ज्यादा हो तो यह योजना व्यावहारिक भी है और कंपनी पर बहुत अधिक भार भी नहीं पड़ेगा।
  • नवीन सोच,अलग हटकर सोचने तथा करने के खतरे भी है क्योंकि जो आप नवीन सोच और अलग हटकर सोच रहे हैं,जरूरी नहीं है कि उस पर चलकर सफल हुआ जा सकता है।यानी आपसे गलतियां भी हो सकती है क्योंकि हमारी सोच सैद्धांतिक रहती है,जब तक हम उस पर अमल नहीं करते हैं।अमल करने पर ही हमें उसके सही या गलत परिणाम प्राप्त होते हैं।अतः यदि आपने कोई गलत निर्णय ले लिया है या आपसे कोई गलती हो गई है तो उससे सबक लें और आगे वैसी गलती ना हो इसका पूरा ध्यान रखेंगे तो अपनी योजना को बेहतर बना पाएंगे जिससे अलग पहचान बन सकेगी।
  • इसके अलावा अपने जाॅब से संबंधित अच्छी पुस्तकें पढ़ें,अपने से सीनियर से सीखें।यदि जूनियर से भी कोई बात सीखने को मिल रही है तो उससे भी सीखें।दरअसल आपमें सीखने की तड़प होगी तो आप हमेशा कुछ ना कुछ नवीन बातें,काम करने का अलग अंदाज सीखते रहेंगे।अपनी योजना को कार्यान्वित करने में या जॉब करते समय कहीं अड़चन महसूस कर रहे हैं,काम को बेहतरीन तरीके से नहीं कर पा रहे हैं तो अपने सीनियर्स से परामर्श लेने में झिझकें नहीं।

3.प्रोफेशनल नजरिया विकसित करें (Develop a professional attitude):

  • ऑफिस में कस्टमर,किसी कर्मचारी,अधिकारी द्वारा भेजी गई ई-मेल को नियमित रूप से जांच करते रहे और यदि आप उसका जवाब भिजवायें।जो ई-मेल,मैसेज या फोन कॉल्स का आपसे संबंध नहीं है तो उसे संबंधित व्यक्ति को सूचित कर दें।बाॅस की ई-मेल,मैसेज या फोन कॉल्स है तो बाॅस को तत्काल सूचित कर दें।यह बात आपकी सतर्कता को जाहिर करती है।कई कर्मचारी इन बातों को नजरअंदाज करते हैं,कभी ई-मेल या मैसेज को देख लेते हैं,कभी नहीं देखते हैं,मन आया तो देख लिया नहीं तो नहीं देखा।दरअसल प्रोफेशनल लाइफ में आपको सतर्क रहना पड़ता है तभी आप एक प्रोफेशनल कर्मचारी/अधिकारी के रूप में पहचान बना पाएंगे।किसी भी बात को छोटी-सी समझकर उसकी अनदेखी करना आपके व्यक्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
  • कुछ कर्मचारियों या अधिकारियों की आदत होती है कि चाहे सप्ताह में छः दिन कार्य दिवस के बजाय पाँच कार्य दिवस रख दिए जाएं तो भी वे देर-सबेर ऑफिस पहुँचते हैं।देरी का कारण पूछा जाए तो इधर-उधर की बहानेबाजी करने लगते हैं।सोचिए यदि आप ऑफिस के सर्वेसर्वा हों और आपके कर्मचारी/अधिकारी लेटलतीफी की कल्चर अपनाएं तो आपको कैसा महसूस होगा? हालाँकि आप 5-10 मिनट ही लेट पहुँचते हैं परंतु 5-10 मिनट पहले भी पहुंच सकते हैं तो फिर 5-10 मिनट के लिए अपनी इमेज लेटलतीफी वाली क्यों बनने दी जाए?
  • यदि आप किसी जॉब को कर रहे हैं और आपका पार्टनर,सहकर्मी या अधिकारी आपकी जॉब में मदद करता है तो खुलकर उनकी अन्य कर्मचारियों के सामने प्रशंसा करें।अपने जॉब को समय पर पूरा करने के लिए उसकी क्रेडिट सहयोग करने वाले कर्मचारियों को भी दें।दरअसल,कोई कर्मचारी अगर ऊपर चढ़ता है,सफल होता है तो उसमें कई लोगों का सहयोग-सहायता होती है।कोई भी कर्मचारी/अधिकारी अकेले दम पर आगे नहीं बढ़ता है।उसको आगे बढ़ने में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उसके सहकर्मियों,अधिकारियों यहां तक की पत्नी-बच्चों तक का भी योगदान होता है।
  • कार्यालय में फूहड,बेतुकी,बेसिर पैर की,गाली-गलौज आदि का प्रयोग करने से बचें।इन सबका प्रयोग करना हमारे चरित्र पर दाग लगाता है,हमारी छवि खराब होती है।हमसे हमारे सहकर्मी,अधिकारी बात करने,वार्तालाप करने,व्यवहार करने,साथ बैठने-उठने तथा किसी भी तरह का व्यवहार करने के लिए कन्नी काटने लगते हैं।यानी हमारी छवि वास्तविक रूप में एक प्रोफेशनल व्यक्ति की नहीं रह जाती है।इन सबका प्रयोग करना या किसी तकियाकलाम का प्रयोग करना जाॅब से कोई संबंध नहीं है।फिर इन शब्दों का,ओछी हरकतें करके क्या हम अपने आपको एक प्रोफेशनल अधिकारी/कर्मचारी सिद्ध कर सकते हैं।हमारी यह कार्य प्रणाली कभी न कभी उच्चाधिकारियों के पास पहुंच जाती है।अतः अपना प्रोफेशनल नजरिया विकसित करें।

4.वर्कलोड को कैसे कंट्रोल करें? (How to control workload?):

  • यदि आपके पास कार्यभार ज्यादा हो गया तो इस पर संतुलित दिमाग से विचार करें।यह सोचें कि क्या वर्कलोड आपको आवंटित जाॅब का हिस्सा ही है या फिर किसी अन्य व्यक्ति के वर्क को भी आपकी तरफ ट्रांसफर किया जा रहा है।यदि अन्य व्यक्ति के वर्क को आपकी तरफ बाॅस द्वारा मार्किंग करके भेजा जा रहा है तो मैनेजर से खुलकर और विनम्रता पूर्वक निवेदन करें कि इससे आपका स्वयं का कार्य प्रभावित हो रहा है और इससे संबंधित व्यक्ति को ही रेफर किया जाए।
  • यदि वर्क आपको आवंटित जाॅब का ही हिस्सा है तो इसको निपटाने के कुछ तरीके हैं।पहला वर्क को मैन्युअल करने के बजाय कंप्यूटर से निपटाने की तकनीक सीखें और अप्लाई करें।दूसरा अन्य सहकर्मियों की मदद करने की बात बाद में सोचें पहले खुद का वर्क निपटायें।तीसरा यदि कोई सहकर्मी आपके गुण-कर्म-स्वभाव के माफिक है तो उसकी मदद लेकर उस काम को निपटायें।एक बार नियंत्रण हो जाने के बाद समय पर काम निपटाएं तथा वर्कलोड बढ़ने ना दें।चौथा कुछ अतिरिक्त समय ऑफिस में देकर काम को निपटायें।पांचवा तरीका है कि बॉस को निवेदन करें कि आपके पास वर्कलोड ज्यादा है अतः या तो आपके पास किसी सहायक कर्मचारी को लगा दें अथवा जाॅब को संतुलित रूप से डिस्ट्रीब्यूशन करें।ध्यान रहे अपनी बात को बाॅस (Boss) से विनम्र शब्दों में ही कहना हैं।
  • दरअसल आधुनिक युग में कंप्यूटर,ऑनलाइन कार्य करने का कल्चर विकसित हो रहा है।अतः ऐसी स्थिति में कंपनियां,विभाग,संस्थाएं लागत को कम से कम रखने के लिए कर्मचारियों को कम से कम रखने की सोच रखती हैं।ऐसी स्थिति में पब्लिक डीलिंग बढ़ती जा रही है परंतु कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है या उस अनुपात में नहीं बढ़ा रही है।बल्कि कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी करती हैं।इन सब कारणों से वर्कलोड बढ़ जाता है।आखिर कंप्यूटर को संचालित करने,चलाने के लिए भी तो कर्मचारियों की जरूरत रहती ही है।
  • वर्कलोड को कम करने का एक और तरीका है।आप ऑफिस टाइम को बिल्कुल भी लीकेज ना करें।अपने सहकर्मियों से औपचारिक या अनौपचारिक बातें करने,चाय-नाश्ता करने,गप-शप में समय व्यतीत ना करें।आप इस मंत्र को अपने जीवन में उतार लें कि कार्य ही पूजा है।यदि आप कार्य को पूजा समझ कर,साधना समझकर करेंगे तो वर्कलोड कितना भी हो यो चुटकियों में निपटा देंगे।जो कर्मचारी कार्य को श्रद्धा के साथ पूजा समझकर,साधना समझकर,दिल से,उसमें डूबकर कार्य को करेंगे तो न केवल असीम आनंद की अनुभूति होगी  बल्कि वर्कलोड भी छूमंतर होते ज्यादा समय नहीं लगेगा परंतु कार्य को निपटाने में यदि टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा सकता है तो उसे भी करें।यदि वर्कलोड ज्यादा है तो सहकर्मियों से संवाद हाय-हलो तक ही सीमित रखें।दरअसल व्यक्ति का कार्य ही प्यारा लगता है उसका चाम (चमड़ी,शरीर) नहीं।
  • इतना सब करने के बावजूद भी आपका वर्कलोड कम नहीं हो रहा है,हालांकि ऐसी बहुत-बहुत कम संभावना है,तो अपने बलबूते जितना काम निपटा सकते हैं,उतना निपटा दें और बाकी वर्कलोड की चिंता भगवान पर छोड़ दे।क्योंकि सब कुछ आजमाने,सबके पास गुहार लगाने,बाॅस को विनम्रतापूर्वक कहने या अपने किसी शुभचिन्तक सहकर्मी को कहने के बावजूद कहीं से कोई सहायता नहीं मिल रही है तो अंत में हमारा आसरा भगवान का आसरा ही है।

5.कम्पनी प्रबंधकों के लिए कुछ गुर (Some tricks for company managers):

  • कंपनी,डिपार्टमेंट या संस्थान अथवा संगठन को आगे बढ़ाने का दारोमदार केवल और केवल कर्मचारियों पर ही निर्भर नहीं करता बल्कि मैनेजमेंट की कार्य प्रणाली,मैनेजमेंट के व्यवहार,कार्यालय का वातावरण,कार्यालय में उपस्थित अनेक बातों का भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
  • कर्मचारी वहीं बेहतर तरीके से,दिल से और लंबे समय तक काम करते हैं जहां का वातावरण उनके माफिक होता है,उनकी बात को तवज्जो दी जाती है,उनके अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।उन्हें कार्य करने की एवज में भरपूर सम्मान और प्रशंसा मिलती है।उनके बेहतरीन कार्य को सराहा जाता है।बात-बात पर टीका-टिप्पणी या टोका-टाकी नहीं की जाती है।
  • कंपनी के अन्य कर्मचारी सहयोगी हों,सकारात्मक सोच रखने वाले हों,झगडालू प्रवृत्ति के ना हों।इन सब बातों का कम्पनी की प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है।कम्पनी में न तो बहुत अधिक कठोर अनुशासन और न बिल्कुल ढीला-ढाला अनुशासन हो।
  • दरअसल ऑफिस का सकारात्मक माहौल कर्मचारियों को मानसिक रूप से स्वस्थ,चिंतामुक्त और तनावमुक्त रखने का काम करता है।ऐसे वातावरण में हर कर्मचारी प्रसन्नतापूर्वक,दिल से काम करना पसंद करता है।
  • कंपनी,विभाग या संस्थान व संगठन में छोटी-छोटी बातों,छोटी-छोटी सुविधाओं और अच्छे माहौल का होना कर्मचारियों को काम करने के लिए प्रेरित करता है जैसे वे घर में ही काम कर रहे हों याकी घर का ही काम कर रहे हों।
  • जिस कार्यालय में नकारात्मक माहौल,झगड़ालू प्रवृत्ति के कर्मचारी,ओछे और अशिष्ट कर्मचारी हों वहां कर्मचारी लंबे समय तक टिका नहीं रहता है।दरअसल ऐसे माहौल में संगत के असर से एक अच्छा कर्मचारी भी झगड़ालू,ईर्ष्यालु और तनावग्रस्त हो जाता है।
  • कार्यस्थल पर बाॅस यदि किसी कर्मचारी को उसके बेहतर कार्य करने के लिए दो मीठे बोल बोल देता है,प्रशंसा करता है,प्रोत्साहित करता है,पीठ थपथपाता है तो इसमें कौनसा पैसा खर्च हो जाता है।लेकिन इन सब बातों से वह प्रभाव पैदा किया जा सकता है जो पैसा-धन-रुपए खर्च करके हासिल नहीं किया जा सकता है।
  • निष्कर्ष यह है कि कर्मचारी/अधिकारी में ही वर्क कल्चर का होना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि कार्यस्थल अच्छे माहौल में हो,सकारात्मक माहौल हो,जहां कर्मचारी/अधिकारी के अच्छे कार्य की प्रशंसा की जाती है,प्रोत्साहित किया जाता है,आपस में एक-दूसरे को सहयोग किया जाता है,आपस में एक-दूसरे को नीचा नहीं दिखाया जाता है,मानसिक शांति का माहौल होता है तो वहां न केवल कंपनी तरक्की करती है बल्कि कर्मचारियों का भी विकास होता है,पदोन्नति के अवसर मिलते हैं और कर्मचारी लंबे समय तक ऐसे कार्य स्थल पर टिकते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में जाॅब में सफल होने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies for Succeed in Job),अभ्यर्थी के लिए जाॅब में सफल होने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies for Candidate to Succeed in Job) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित के छात्र के लिए आकाशवाणी (हास्य-व्यंग्य) (Oracle for Mathematics Student) (Humour-Satire):

  • विजय इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए फॉर्म भरने वाला ही था कि आकाशवाणी हुई इंजीनियरिंग का पथ खतरों से खाली नहीं है,खतरे ही खतरे हैं।विजय ने फाॅर्म नहीं भरा।वह आईआईएम का फॉर्म भरने वाला ही था की भविष्यवाणी हुई कि आईआईएम के अभ्यर्थियों को कंपनी में इतना टॉर्चर किया जाता है कि मरने जैसी हालत हो जाती है।विजय बीएससी में प्रवेश लेने वाला ही था की आवाज आई यह कोर्स करने वाले को तो गधे की तरह काम करना पड़ता है,यह तो एक्सीडेंट होने के समान है।
  • विजय:तुम कौन हो?
  • आवाज आई:देवदूत।
  • अजय:जब मैंने गणित विषय लिया तब आप कहाँ थे?

7.जाॅब में सफल होने की 5 टॉप रणनीतियाँ (Frequently Asked Questions Related to 5 Top Strategies for Succeed in Job),अभ्यर्थी के लिए जाॅब में सफल होने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies for Candidate to Succeed in Job) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.ग्राहक महत्त्वपूर्ण क्यों है? (Why is the customer important?:

उत्तर:कर्मचारी,उत्पाद की क्वालिटी के बढ़िया होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है,अगर ग्राहक को संतोषजनक सेवा नहीं मिलेगी तो व्यवसाय ठप्प हो जाएगा और सब पर इसका असर पड़ेगा।

प्रश्न:2.आपसी प्रतिस्पर्धा का क्या फर्क पड़ता है? (What difference does competition make?):

उत्तर:कर्मचारियों में आपस में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो तो व्यवसाय अथवा कंपनी आगे बढ़ती है परंतु प्रतिस्पर्धा में एक-दूसरे पर दोषारोपण करने लगें तो इससे पूरे कारोबार पर बुरा असर पड़ता है।

प्रश्न:3.कर्मचारी आपस में क्यों झगड़ते हैं? (Why do employees quarrel with each other?):

उत्तर:एक कर्मचारी सोचता है कि यह कार्य दूसरे कर्मचारी का है और दूसरा कर्मचारी सोचता है कि यह काम पहले कर्मचारी का है।इस आपसी झगड़े में ग्राहक को भूल जाते हैं जिससे पूरा कारोबार चौपट हो जाता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जाॅब में सफल होने की 5 टॉप रणनीतियाँ (5 Top Strategies for Succeed in Job),अभ्यर्थी के लिए जाॅब में सफल होने की 5 रणनीतियाँ (5 Strategies for Candidate to Succeed in Job के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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