5 Techniques to Make Children Better
1.बच्चों को श्रेष्ठ बनाने की 5 तकनीक (5 Techniques to Make Children Better),बच्चों को सही दिशा देने की 5 तकनीक (5 Techniques to Teach Children Right Direction):
- बच्चों को श्रेष्ठ बनाने की 5 तकनीक (5 Techniques to Make Children Better) के आधार पर आप जान सकेंगे कि बच्चों को पढ़ने की शुरुआत कैसे करायें।कैसे उनको पढ़ने का माहौल दें? अन्य आदतों को सही दिशा कैसे दें?
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2.बच्चों को पढ़कर सुनाएं (Read to children):
- बच्ची अपने हाथों में किताब लेकर घसीटती,घुटनों के बल सरकती हुई हमारे पास आती है और गोद में चढ़ जाती है।उसकी किताब के पन्ने मुड़े,पीनट बटर से सने हुए और मानो वह कह रही हो-पिताजी मुझे पढ़ना सिखाओ ना,मुझे यह किताब पढ़नी है।
- बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं।खोज से पता चला है कि 3 साल से कम उम्र के बच्चों में बड़ी तेजी से मस्तिष्क का विकास होता है।माता-पिता के रोजाना के काम जैसे पढ़ना,गाना और उनसे लाड़-प्यार करना,ये सारे काम बच्चों को अच्छी तरह से विकसित होने में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।फिर भी एक अध्ययन के मुताबिक दो से आठ साल के बच्चों के माता-पिता में से सिर्फ आधे ही अपने बच्चों को रोज पढ़कर सुनाते हैं।आप शायद सोच सकते हैं,क्या पढ़कर सुनाने से वाकई मेरे बच्चे पर कोई गहरा असर होता है?
- विशेषज्ञ सुझाते हैं कि पढ़ने से वाकई बच्चों पर गहरा असर होता है।रिपोर्ट कहती हैःबच्चों का ज्ञान बढ़ाने में कामयाबी के लिए सबसे जरूरी है,बच्चों को जोर से पढ़कर सुनाना।यह खासकर स्कूल जाने के पहले के सालों में किया जाना चाहिए।
जब हम बच्चों को कहानियाँ पढ़कर सुनाते हैं,तो वे छोटी उम्र में ही सीख जाते हैं कि किताबों में जो शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं,उन्हें हम बातचीत में भी इस्तेमाल करते हैं।साथ ही वे किताबों की भाषा से भी वाकिफ होते हैं।जोर से पढ़ने के बारे में छपी एक पुस्तिका कहती है-‘हर बार जब हम बच्चे को पढ़कर सुनाते हैं,तो हम उनके दिमाग में यह बिठा रहे होते हैं कि पढ़ना मजेदार है।जोर से पढ़कर सुनाना,विज्ञापन की तरह काम करता है,इससे बच्चे का दिमाग ऐसे ढल जाता है कि किताबें और छपी हुई जानकारी को पढ़ना उसे मजेदार लगता है।अगर माता-पिता अपने बच्चों में किताब पढ़ने की ललक पैदा करें,तो बच्चे किताब के शौकीन हो सकते हैं।’ - जो माता-पिता जोर से पढ़कर सुनाते हैं,वे अपने बच्चों को एक कीमती तोहफा दे सकते हैं और वह है लोगों,जगहों और बहुत-सी चीजों का ज्ञान।ज्यादा खर्च ना करते हुए किताब के पन्नों के जरिए वे पूरी दुनिया घूम सकते हैं।उदाहरण के लिए,छोटे से बच्चे,उसके पैदा होते ही उसे पढ़ कर सुनाती है।चिड़ियाघर की सैर करा सकती है।उसका यह सफर कैसा हो सकता है? हालांकि पहली बार ही हकीकत में जिंदा जेबरा,शेर,जिराफ और दूसरे जानवरों को पहली बार ही देखता है,धीरे-धीरे इनके बारे में जानता जाता है।
- बच्चा अपनी जिंदगी के शुरुआती दिनों में अनगिनत लोगों से मिलता है,कई जानवरों को जानता है,साथ ही बहुत-सी चीजों को और बातों के बारे में सीखता है और यह सब वह किताबों के जरिए करता है।छोटी उम्र के बच्चों को जोर से पढ़कर सुनाने से उनमें दुनिया की समझ काफी बढ़ सकती है।
- बढ़ती उम्र के बच्चों में ऐसे रवैये पैदा होते हैं,जो आगे चलकर उनकी जिंदगी पर असर करता है।इसलिए माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों में एक करीबी रिश्ते की बुनियाद डालें,जिसमें विश्वास,आपस में आदर और एक-दूसरे को समझने की भावना हो।ऐसा करने के लिए पढ़ना मददगार साबित हो सकता है।
- जब माता-पिता अपने बच्चों को अपनी बाहों में लेकर,उन्हें पढ़कर सुनाते हैं,तो उनका यह इजहार एकदम साफ सुनाई देता हैःमैं तुम्हें बहुत प्यार करता/करती हूं।पढ़कर सुनाने से बच्चा माता-पिता को बहुत करीब महसूस करता है।वह माता-पिता से कुछ नहीं छिपाता और अक्सर अपने दिल की बात कहता है।इस तरह बच्चों और माता-पिता के बीच एक बहुत ही खास बंधन बन जाता है।
3.जीवन में जरूरी काबिलियतों का बीज बोना (Sowing the seeds of essential abilities in life):
- क्या इतनी मेहनत और समय बिताने का कोई फायदा होता है? दोस्तों की तरह बच्चे माता-पिता के साथ शांत माहौल में किताब पढ़ना सीखता है।कौन माता-पिता नहीं चाहेगा कि बच्चे इस तरह उनके साथ खुलकर बात करें? यह तय है कि जोर से पढ़कर सुनाने से माता-पिता और बच्चे के बीच एक करीबी रिश्ता बन सकता है।
- आजकल टेलीविजन,मोबाइल और दूसरे माध्यमों के जरिए हमारे बच्चों के दिमाग में भरने के लिए दुनियाभर की बेकार जानकारी मौजूद है।इसलिए उन्हें पहले से कहीं बढ़कर मानसिक पोषण,सही सोच-विचार,बुद्धि और अच्छे स्तरों की जरूरत है ताकि वे एक आदर्श जिंदगी जी सकें और जिंदगी को सही नजरिए से देख सकें।मगर बच्चों पर सही और सबसे बेहतरीन असर,माता-पिता से बढ़कर कोई और नहीं डाल सकता है।
- बच्चों को पढ़ने के लिए ऐसी किताबें देनी चाहिए जिनमें जटिल और बड़ी खूबसूरती से लिखे वाक्य पाए जाते हैं।ऐसा करना फायदेमंद हो सकता है,क्योंकि बच्चे इन किताबों के जरिए यह सीखते हैं कि कैसे,लिखकर या बातों से अपनी भावनाओं को जाहिर करना है।एक व्यक्ति की सोच उसकी भाषा पर निर्भर करती है।जहां तक सीखने और बुद्धि पाने की बात आती है,तो इसमें भाषा वाकई सबसे अहम कड़ी है।अच्छी बातचीत करने की काबिलियत,मजबूत रिश्तों की बुनियाद है।
- अच्छी किताबों को पढ़ने से अच्छे आदर्शों और गुणों को भी बढ़ावा मिलता है।जब माता-पिता अपने बच्चों को पढ़कर सुनाते हैं और दलीलें देकर उनको समझाते-बुझाते हैं,तो वे उनमें समस्याओं का हल निकालने की काबिलियत पैदा करते हैं।बच्चा पढ़कर सुनाते वक्त बड़े गौर से देखता है।इस तरह माता-पिता होने के नाते हम उसकी शख्सियत की एक-एक बात को बड़ी बारीकी से जान पाए और इस छोटी उम्र से ही गलत सोच-विचार को उसके दिमाग से हटाने में मदद कर पाए।सचमुच,बच्चों को जोर से पढ़कर सुनाने से हम उनके दिलों-दिमाग को रोशन करते हैं।
- पढ़ते वक्त बच्चों पर ज्यादा दबाव मत डालिए।माहौल को शांत,हल्का-फुल्का और मजेदार बनाए रखिए।समझदार माता-पिता जानते हैं कि उन्हें कब पढ़ाई रोकनी है।कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि छोटा बच्चा इतना थक जाए कि वह ज्यादा देर नहीं बैठ पाए और बेचैन होने लगे।हम उसका मिजाज देखकर ज्यादा देर तक नहीं पढ़ते हैं।हम नहीं चाहेंगे कि बच्चे को पढ़ाई एक बोझ लगे या उसे खीझ आने लगे,इसलिए जब वह ज्यादा देर तक सुनना नहीं चाहता तो हम उसके साथ जबरदस्ती नहीं करते।
- जोर से पढ़ने का मतलब सिर्फ किताबें पढ़ना नहीं,बल्कि इसमें दूसरी बहुत-सी बातें भी शामिल हैं।यह जानिए कि तस्वीरों वाली किताब के पन्नों को ठीक कब पलटना है,जिससे कि बच्चों के मन में आगे की कहानी जानने की उत्सुकता जागे।रुक-रुक कर पढ़ने के बजाय साफ तरीके से पढ़िए।आवाज में उतार-चढ़ाव लाते हुए और शब्दों के भावों पर जोर देते हुए पढ़ने से कहानी में जान आ जाएगी।आपकी आवाज में प्यार और अपनापन होने से आपके बच्चे सुरक्षित महसूस करेंगे।
- आपके पढ़ने से बच्चे को भरपूर फायदा तब होता है,जब वह भी पढ़ाई में भाग लेता हो।फिर अपनी तरफ से कुछ और सुझाव देकर उसके जवाब को खुलकर समझाइए।
4.बच्चों को अच्छी परवरिश दें (Give children a good upbringing):
- अच्छी किताबें चुनना,शायद सबसे जरूरी बात हो सकती है।इसके लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी।ध्यान से किताबों की जांच कीजिए और सिर्फ वही किताबें लीजिए,जिनमें सही या फायदेमंद बातें लिखी हों और जिन कहानियों से हम अच्छे सबक सीख सकते हैं।उसकी जिल्द,तस्वीरों और लेखन शैली पर गौर कीजिए।ऐसी किताबें चुनिए,जो माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए दिलचस्प हों।अक्सर बच्चे बार-बार एक ही कहानी को पढ़कर सुनाने के लिए कहते हैं।
- जो माता-पिता अपने बच्चों को पढ़कर सुनाते हैं,वे उनमें पढ़ने की अच्छी आदत डालते हैं और इससे उन्हें पूरी जिंदगी अच्छे नतीजे मिल सकते हैं।इस प्रकार बच्चा स्कूल जाने से पहले ही पढ़ना-लिखना सीख जाता है और उसमें पढ़ने का शौक भी पैदा होता है,मगर इससे कहीं ज्यादा उसके मन में हमारे महान सिरजनहार,भगवान के लिए प्यार बढ़ने लगता है।सचमुच,अपने बेटे या बेटी के दिल में ऐसा प्यार पैदा करना,उसे पढ़ना-लिखना सिखाने से ज्यादा महत्त्व रखता है।
- बच्चा जो कुछ भी सीखता है,वो अपने आसपास के माहौल से सीखता है।बच्चे की परवरिश यदि अच्छे माहौल में की जाए तो बच्चा संस्कारवान व एक अच्छा नागरिक बनता है।जो देश,परिवार और समाज की उन्नति में सहायक होता है।
- बच्चों में दोनों तरह के संस्कार (अच्छे व बुरे) सुप्त अवस्था में रहते हैं,उन्हें जिस आकार में ढालो वह वैसा ढल जाते हैं।बच्चों में जो भी संस्कार जागृत होते हैं,वो सबसे पहले उसे उसके मां-बाप से व उसके परिवार से मिलते हैं।कई बार मां-बाप की लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना प्रवृत्ति बच्चों को संस्कारहीन,उग्र,क्रोधी व मनमौजी बना देती है।
- बच्चों को आपके प्यार व स्नेह की आवश्यकता है,लेकिन आवश्यकता से अधिक प्यार व दुलार बच्चों को बिगाड़ देता है।यह मां-बाप को तब पता चलता है,जब बच्चे किसी और के सामने मां-बाप को अपमानित करते हैं।
- अक्सर ऐसा देखने में आता है कि बच्चा किसी चीज की जिद पर ऐसा अड़ जाता है कि ‘ना’ कहने पर वह अपने मां-बाप को ही मारना शुरू कर देता है या फिर घर का सामान उथल-पुथल करने लगता है।ऐसे में मां-बाप शर्मिंदा होकर अपनी गलतियों पर पश्चाताप करते हैं।
- यह बहुत अधिक ध्यान देने योग्य चीज है कि आपका बच्चा कब,क्या और कैसे खाता है? मां-बाप बच्चों को लाड़-प्यार में इतना कुछ खिलाते रहते हैं कि दिनभर बच्चों के मुंह में कुछ ना कुछ चलता ही रहता है।इसी के साथ ही माँ-बाप बच्चों को खाने का सलीका भी नहीं सिखाते।जिसके कारण बच्चे खाने की प्लेट को देखते ही उस पर भूखों की तरह टूट पड़ते हैं।इन सभी से आदत खराब होती है।उनके खाने का ढंग,जिसे देखकर हर कोई अपनी आंखें मूंद लेता है।ऐसे में मां-बाप को बच्चे के खाने का टाइम-टेबल निश्चित करना चाहिए तथा उसी के अनुसार बच्चों को खाना खिलाना चाहिए।
- परिवार की नैय्या मां-बाप के हाथ में है।अनुशासन व संस्कारों की पतवार से वे इस नैया को मझधार से पार कर सकते हैं।मां-बाप को चाहिए कि वे अपने बच्चों को ऐसी परवरिश दें कि वह एक शिक्षित,संस्कारवान व सभ्य नागरिक बने तथा अपने परिवार व देश का नाम रोशन करे।
- बच्चों की आदत होती है कि उन्हें कहीं भी जो भी चीज अच्छी लगती है,वे उसे बगैर पूछे उठा लेते हैं।कई बार तो बच्चे अपने सहपाठियों के रबड़,पेंसिल तक अपने बैग में रखकर ले आते हैं।उन्हें क्या पता की चोरी क्या होती है? मां-बाप को चाहिए कि वे अपने बच्चों को अच्छी आदतें सिखाएं।
- घर के माहौल का बच्चों के दिलो-दिमाग व कार्यशैली पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।हर रोज घर-परिवार के झगड़े सुनकर व देखकर बच्चा भी वैसा ही सीखता है,जिससे वह भी झगड़ालू,चिड़चिड़ा व क्रोधी हो जाता है।
5.बच्चों को अच्छी सीख दें (Give good education to children):
- हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है।कुछ बच्चे अपने परिवार वालों को बिना कुछ पूछे ही सब कुछ बता देते हैं और कुछ बच्चे लाख कोशिशों के बावजूद भी अपनी बातें घरवालों से शेयर नहीं करते।उनके जीवन में क्या घटित हो रहा है,उनके दोस्त कौन हैं,उन्हें क्या पसंद है क्या नहीं,वे किसी भी बात को शेयर करना पसंद नहीं करते।पेरेंट्स को बच्चों की इस आदत को हल्के में नहीं लेना चाहिए,बल्कि समय रहते मनोचिकित्सक से सलाह लें।मनोचिकित्सक कहते हैं कि अगर आपके बच्चों में ऐसी कोई आदत है,जिसे बचपन से ही ध्यान देने की जरूरत है।अन्यथा बच्चा फिर कभी भी आपकी भावनाओं से नहीं जुड़ पाएगा।बच्चों के साथ समय बिताएं।अगर आपका बच्चा चुप रहता है,तो उसके साथ अधिक-से-अधिक समय बिताएं व उसके साथ मित्रवत खेलने का प्रयास करें।
- अगर बच्चा कोई नया काम करता है,तो वह जो भी कार्य करें उस गतिविधि की सराहना करें व प्रोत्साहित करें।इसके साथ ही उसके कार्य की प्रेरणा सामूहिक रूप से दें ताकि उसका हौसला बढ़े।
- आप चाहे कितने भी व्यस्त क्यों ना हो,पर बच्चे से कुछ ना कुछ बातें जरूर करें।कोशिश करें कि सुबह के समय उसे ज्यादा-से-ज्यादा समय दें व बात करें क्योंकि इस समय बच्चे शांत मन से अपनी बात कहते हैं और सुनते भी हैं।
- आप जॉब की वजह से अपने बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं और अपने बच्चों की जरूरत को नहीं समझ पा रहे हैं,तो उनकी जरूरतों को समझने के लिए उन्हें समय दें।
- अगर आप घर से बाहर उसके साथ में है,तो बच्चों की पसंद व नापसंद को जान सकती हैं।इसलिए कोई भी सामान खरीदने से पहले उसकी पसंद जरूर पूछें ताकि उसको भी लगे कि घर में उसकी पसंद चल सकती है।
- अगर आप बहुत ज्यादा व्यस्त हैं,तो फोन के द्वारा बच्चे से बात करें ताकि वह आपके संपर्क में रहे।अगर आप इन बातों का ध्यान रखकर अपने बच्चों की परवरिश करेंगे तो निःसंदेह आपका बच्चा आगे चलकर आपसे अपनी सारी बातें शेयर करेगा और अपनी जिंदगी के महत्त्वपूर्ण फैसलों की चर्चा भी आपसे करेगा।
- बड़े बच्चे को नए बच्चे के आगमन से पूर्व मानसिक रूप से तैयार करें।गर्भावस्था के दौरान ही बड़े बच्चे में नए मेहमान के प्रति उत्सुकता पैदा करें,उसमें बड़प्पन का भाव पैदा करें,नई जिम्मेदारी का एहसास कराएं।
- बच्चों को पर्याप्त समय दें।आप घर में कितना समय बिताते हैं? यदि यह पर्याप्त नहीं है तो जिस समय आप घर पर होंगे,बच्चे आपका ध्यान चाहेंगे और अनजाने में ही किसी एक बच्चे को दिया गया अधिक समय दूसरे बच्चे के मन में द्वेष पैदा कर देगा।इसलिए जरूरी है कि सभी बच्चों को बराबर समय दें।रात में बच्चों को स्वयं सुलाएं,यह समय बड़ा सुकून भरा होता है।
बच्चों की आपस में तुलना कभी ना करें।ईर्ष्या पैदा होने का ये सबसे बड़ा कारण है।किसी दूसरे बच्चे से भी तुलना ना करें।जरा सीखो इससे वह तो ऐसा था-जैसे वाक्यों से बचें।इससे बच्चों में जलन की भावना और प्रबल होगी।बच्चे के स्कूल के कार्यों,टेस्ट के नंबर या रिपोर्ट कार्ड की तुलना भी दूसरे बच्चों से करने की बजाय उसी के पिछले कार्य से करें। - बच्चों को एक-दूसरे पर थोपें नहीं।प्रत्येक बच्चा अपने आपमें अनूठा होता है,उनके शौक एवं गुण भी एक-दूसरे से अलग हो सकते हैं।उन्हें स्वतंत्र रूप से रहने दें।उनकी रुचि के अनुसार उन्हें करियर आदि तय करने दें।जरूरी नहीं कि जो बड़ा कर रहा है,वही छोटा भी करें।
- उपर्युक्त आर्टिकल में बच्चों को श्रेष्ठ बनाने की 5 तकनीक (5 Techniques to Make Children Better),बच्चों को सही दिशा देने की 5 तकनीक (5 Techniques to Teach Children Right Direction) के बारे में बताया गया है।
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6.कम अंक प्राप्त होने का कारण (हास्य-व्यंग्य) (Reasons for Getting Low Marks) (Humour-Satire):
- मां (रिंकी से):तुम्हें गणित के पेपर में जीरो नंबर क्यों मिला? शर्म करो।
- रिंकीःशर्म करने के कारण ही तो मेरे नंबर कम आए हैं।जो बच्चे शर्म नहीं कर रहे थे उन्होंने सारे नंबर झपट लिए और शर्म करने के कारण मुझे कुछ भी नहीं (जीरो) मिला।
7.बच्चों को श्रेष्ठ बनाने की 5 तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 5 Techniques to Make Children Better),बच्चों को सही दिशा देने की 5 तकनीक (5 Techniques to Teach Children Right Direction) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.बड़ों के सम्मान के बारे में लिखें। (Write about respecting elders):
उत्तरःबड़ों का सम्मान एक ऐसा आचरण है,जो धीरे-धीरे समाज से खत्म हो रहा है।एक समय था,जब उम्र में छोटे लोग बड़ों के सामने बैठते तक नहीं थे।अपने बच्चे को अच्छे आचरण सिखाते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें।
प्रश्न:2.खाने के तौर-तरीके कैसे बताएं? (How to tell the way to eat?):
उत्तर:अपने बच्चों को खाने के तौर-तरीके सिखाना ना भूलें।युवावस्था में उन्हें जो चीजें सिखाई जाएगी,वह उनके साथ जीवन भर रहेगी।इससे व्यक्ति के चरित्र का पता चलता है।साथ ही यह एक सामाजिक शिष्टाचार भी है।
प्रश्न:3.बच्चों की जुबान चलाना कैसे रोकें? (How to stop children from using tongues?):
उत्तर:बच्चे की परवरिश के दौरान कई बार कठोरता से पेश आते हैं।ऐसे में काफी स्वाभाविक है कि बच्चे भी जुबान चलाने लगते हैं।हमें बच्चों को बताना चाहिए कि यह एक खराब आचरण है और यह माता-पिता के प्रति असम्मान भी दर्शाता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बच्चों को श्रेष्ठ बनाने की 5 तकनीक (5 Techniques to Make Children Better),बच्चों को सही दिशा देने की 5 तकनीक (5 Techniques to Teach Children Right Direction) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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