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5 Technique to Prepare for Annual Exam

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1.वार्षिक परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (5 Technique to Prepare for Annual Exam),परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (5 Techniques to Prepare for Exam):

  • वार्षिक परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (5 Technique to Prepare for Annual Exam) न केवल बोर्ड व कॉलेज के छात्र-छात्राओं के लिए उपयोगी है बल्कि प्रवेश परीक्षा,प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए भी समान रूप से उपयोगी है।
  • आमतौर पर बोर्ड परीक्षाएं फरवरी-मार्च में तथा कॉलेज की परीक्षाएं मार्च से मई-जून और प्रवेश परीक्षा फरवरी से मई-जून तक चलती हैं।परंतु परीक्षाओं की तैयारी सत्रारम्भ से ही कर देनी चाहिए,यदि नहीं की है तो अब प्रारंभ कर दें ताकि आप पर तनाव हावी ना हो।
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2.अर्धवार्षिक परीक्षा को गंभीरता से लें (Take half-yearly exams seriously):

  • अक्सर साप्ताहिक,मासिक टेस्ट,रेकिंग,अर्द्ववार्षिक और प्रीबोर्ड की परीक्षाओं को छात्र-छात्राएं गंभीरता से नहीं लेते हैं क्योंकि परीक्षाओं का परिणाम इन परीक्षाओं के आधार पर तय नहीं होता है।परंतु याद रखें ये परीक्षाएँ मील का पत्थर हैं।इन रैकिंग,अर्द्धवार्षिक और प्रीबोर्ड आदि की परीक्षाओं के बहाने आप पढ़ाई में जुटे रहते हैं साथ ही आपका मूल्यांकन भी होता रहता है कि आपकी तैयारी कितनी हुई है,क्या कसर है,क्या कमियां हैं,कौनसे टॉपिक को ठीक से तैयार नहीं कर पाए हैं,किस टॉपिक से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने में कठिनाई महसूस हो रही है।
  • एक बार आप अपनी कमियों,त्रुटियों,अपने वीक प्वाइंट्स को पहचान लेते हैं,तो आपके पास उस टॉपिक को इंप्रूव करने,उसमें सुधार करने,उसकी अच्छी तरह तैयारी करने का समय रहता है।अब तक आपने हर विषय के नोट्स तैयार कर लिए होंगे,यदि तैयार नहीं किए हैं या अधूरे तैयार किए हैं तो उन्हें तत्काल पूर्ण कर लें क्योंकि अभी भी समय है।स्वयं द्वारा ही नोट्स तैयार करने की कला सीखनी चाहिए।शिक्षक अथवा बाजार में मिलने वाले या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराए गए नोट्स का ज्यादा फायदा नहीं मिलता है।क्योंकि स्वयं द्वारा नोट्स तैयार करने से पहले आप पाठ को पढ़ते हैं,उसे समझते हैं,कहां कठिनाई है उसको अपने मित्रों,सहपाठियों और शिक्षकों से समझते हैं,समझने के बाद ही आप स्वयं नोट्स तैयार कर सकते हैं।इससे आपको अपनी कमजोरियों का पता चलता है और अपनी स्ट्रैंथ वाले टॉपिक का पता चलता है।
  • जिन टॉपिक्स पर आपकी अच्छी पकड़ है उनकी तैयारी में ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं होती है परंतु जिन टॉपिक्स,सवालों व प्रमेयों को समझने में कठिनाई होती है उन्हें अधिक समय देकर तैयार करने की जरूरत होती है।इन नोट्स,मॉडल पेपर्स,मॉक टेस्ट आदि की सहायता से आप बेहतरीन तैयारी करके क्लास टेस्ट,रैंकिंग टेस्ट,अर्द्धवार्षिक व प्रीबोर्ड परीक्षाओं को देना चाहिए।बार-बार नोट्स का रिवीजन करें,मॉडल पेपर्स हल करें,मॉक टेस्ट दें और उन्हें निर्धारित समय से पूर्व हल करने की प्रैक्टिस करें।जितना अधिक आप इनका रिहर्सल करेंगे,आपको परीक्षा देने का फोबिया खत्म होगा,आत्मविश्वास बढ़ेगा,आपका हौसला बढ़ेगा,मन में किसी प्रकार की घबराहट नहीं होगी।अतः इन परीक्षाओं को हल्के में न लेकर,इनकी वार्षिक परीक्षा की तरह तैयारी करके देनी जैसी रिहर्सल करना चाहिए।अक्सर अधिकांश छात्र-छात्राएँ तो इन परीक्षाओं को देने में रुचि ही नहीं दिखाते,यदि शिक्षकों व माता-पिता का दाब-दबाव होता है तो बेमन से देते हैं,पूरी तैयारी करके इन परीक्षाओं में एपीयर नहीं होते हैं।

3.लिखने का अभ्यास करें (Practice writing):

  • परीक्षा के फोबिया से बचने के लिए छात्र-छात्राओं को अभी से नोटबुक में प्रश्नों के उत्तरों को लिखने का अभ्यास करना चाहिए।अक्सर छात्र-छात्राएँ नोट्स को तैयार भी कर लेते हैं,परंतु उन्हें केवल मौखिक रूप से पढ़ते रहते हैं।इसके पीछे उनका गणित यह होता है कि अब नोट्स तो तैयार कर ही लिया तथा इसे अब लिखने की क्या जरूरत है।उन्हें बार-बार लिखने में बोरियत महसूस होती है।परंतु आप थोड़ा-सा बदलाव करके यदि लिखने का अभ्यास करेंगे तो इसके कई फायदे हैं।
  • पहला फायदा तो यह है कि आपको इससे यह पता चलेगा कि किस प्रकार के प्रश्न व सवाल का उत्तर किस तरह व कितना देना है? दूसरा लिखने से पढ़ने के बजाय टॉपिक को स्मरण रखने में बहुत अधिक मदद मिलती है अर्थात पढ़ने की बजाय लिखने से लंबे समय तक टॉपिक याद रहता है।तीसरा फायदा यह है कि आपको निर्धारित समय में कितना व कैसे उत्तर लिखकर प्रश्न-पत्र को पूरा हल करना है,यह पता चलता है,उसकी प्रेक्टिस होती है।चौथा फायदा यह है कि लिखकर अभ्यास करने से आपके लिखने की गति बढ़ती है जिससे आप तय समय में प्रश्न-पत्र हल कर सकते हैं। पांचवा फायदा यह है कि आपका आत्म-विश्वास बढ़ता है,आप पर परीक्षा का तनाव हावी नहीं होता,परीक्षा का डर समाप्त होता है।छठवाँ फायदा यह है कि याद किया हुआ आप लिख भी सकते हैं या नहीं इसका पता चलता है।क्योंकि याद तो हमें बहुत सी बातें होती है परंतु उन्हें सिलसिलेवार,क्रमबद्ध ढंग से लिखना,अभिव्यक्त करना भी एक कला है जो बार-बार लिखने के अभ्यास से ही सीखी जाती है।
  • अब रही बात यह की बार-बार लिखने,बार-बार अभ्यास करने से बोरियत महसूस होती है,तो बोरियत को दूर करने के भी तरीके हैं।जैसे पहली बार पुस्तक को पढ़ें और समझें,इसके बाद नोट्स तैयार करें।इसके पश्चात डेस्क वर्क पुस्तिका के मॉडल पेपर्स हल करें,फिर से नोट्स पढ़ें और जो टॉपिक कमजोर है उनको अच्छे से मस्तिष्क में सँजोलें,याद कर लें,समझ लें।इसके पश्चात मॉक टेस्ट दें।मॉक टेस्ट देने के बाद भी कमजोरी महसूस हो तो अनसाॅल्वड पेपर्स को हल करें और लिखने का अभ्यास करें।इस प्रकार बदलाव करते हुए लिखने का अभ्यास करेंगे तो बोरियत महसूस नहीं होगी।
  • सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हमें उसी कार्य में बोरियत महसूस होती है जिसे हम दिल से नहीं करते हैं।
  • किसी भी गणितज्ञ और वैज्ञानिक का उदाहरण ले लें,वे रात-दिन अपने मिशन में लगे रहते हैं।किसी भी शोध को अंतिम रूप देने से पहले कई बार लिखते हैं,संशोधन करते हैं,काटते हैं और कई बार लिखने-संशोधन करने के बाद अंत में फिर लिखते हैं उन्हें तो कोई बोरियत नहीं होती क्योंकि वह अध्ययन को,लिखने को श्रद्धा के साथ पूजा समझ कर करते हैं और उसमें असीम आनंद का अनुभव करते हैं।आपके शिक्षक,गणित शिक्षकों का ही उदाहरण ले लें वे हर वर्ष वही गणित की पुस्तक व अन्य पुस्तकें पढ़ाते हैं,बार-बार सवाल हल करते और कराते हैं।दरअसल जीवन में सही ऊंचाइयों को वही छू सकता है जो अपने काम को (अध्ययन) साधना समझकर करें और उसमें डूब जाए।चाहे वह शिक्षक,गणित शिक्षक,गणितज्ञ,वैज्ञानिक,विद्यार्थी,खिलाड़ी,गायक या कलाकार हो।यदि साधना करने में बोरियत होने लगे तो परिणाम अच्छे कैसे हो सकते हैं,सफलता कैसे मिल सकती है।यों भी बीच में बदलाव के लिए कुछ हॉबी का कार्य कर सकते हैं,करते हैं।

4.सफलता की चाहत (Desire for success):

  • हर छात्र-छात्रा या अभ्यर्थी का सपना होता है कि उसे सफलता मिले।यह परीक्षा बोर्ड की हो,कॉलेज लेवल की हो,एंट्रेंस परीक्षा हो,प्रतियोगिता परीक्षा हो या जॉब में पदोन्नति का मामला हो या कोई इनामी (प्रोत्साहन) परीक्षा हो।कई छात्र-छात्राएं अव्वल आने,सफलता प्राप्त करने के लिए योजना बनाते हैं,लेकिन उनका प्लान व्यावहारिक नहीं होता अथवा उस प्लान को फॉलो ना करें तो सफलता प्राप्त करने की चाहत कपोल कल्पित बनकर रह जाती है।ज्योंही समय गुजरता जाता है तो उन्हें अपनी प्लानिंग पर संशय होने लगता है और सफलता संदिग्ध लगने लगती है।
  • यदि आप कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो सफलता भी मिलेगी और अव्वल भी आएंगे।सबसे पहली बात तो यह है कि अपनी तुलना दूसरों से ना करें क्योंकि हर छात्र-छात्रा या अभ्यर्थी दुनिया में यूनिक है।कोई भी दूसरे के समान नहीं हो सकता है।आप कहेंगे कि आप तो लेखों में महान गणितज्ञ,वैज्ञानिकों और सफल अभ्यर्थियों के लिए क्यों लिखते हैं।इसका कारण यह है कि दूसरों से तुलना करने के लिए लेख नहीं लिखे जाते हैं बल्कि उनसे प्रेरित होने के लिए,अपने आपको उत्साहित करने के लिए दूसरों के उदाहरण दिए जाते हैं।इसलिए अपनी सामर्थ्य,योग्यताओं और परिस्थिति को देखकर,अपने गुण-कर्म-स्वभाव को पहचान कर रणनीति बनाई जानी चाहिए और मुख्य बात यह है कि कोई भी प्लानिंग और रणनीति का महत्त्व तभी है जब हम उसको फॉलो करें।
  • दूसरा कारण यह है कि दूसरों के उदाहरण इसलिए भी दिए जाते हैं कि उन्होंने जो गलतियां की हैं,वे गलतियां हम न करें,हम सावधान और सतर्क हो जाएं तो,वैसी गलतियां हमसे ना हों,इसके उपाय पहले से ही ढूंढ लें।अव्वल तो सतर्क और सावधान होते हैं तो गलतियां होती ही नहीं है,यदि हो भी जाए तो उनमें तत्काल सुधार कर लें।
  • रणनीति और प्लानिंग अपने शिक्षकों,मित्रों,शुभचिंतकों और उस फील्ड में जो कार्यरत हैं,उनकी मदद लेकर बनाई जानी चाहिए।ऐसा प्लान बनाया जाएं जो व्यावहारिक हो।उदाहरणार्थ आपकी आदत 4 घंटे पढ़ने की है तो 18 घंटे पढ़ने की प्लानिंग को एकदम से कैसे फॉलो कर पाएंगे।जो विशिष्ट,अतिप्रतिभाशाली छात्र-छात्रा और अभ्यर्थी हैं,उनकी बात अलग है परंतु साधारण छात्र-छात्राएं और अभ्यर्थी इसको कैसे फॉलो कर पाएगा?
  • ध्यान रखें पढ़ाई दिल और दिमाग को दुरुस्त रखकर करें,किसी के दाब-दबाव से पढ़ाई करेंगे तो उसके परिणाम अच्छे कैसे आएंगे।अपनी कड़ी मेहनत पर विश्वास रखें यानी कड़ी मेहनत करें क्योंकि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है,कड़ी मेहनत भी सही दिशा और सही रणनीति के साथ करें।
  • कई बार छात्र-छात्रा और अभ्यर्थी कड़ी मेहनत भी करता है,परंतु परिणाम के बारे में सोचकर आशंकित हो जाता है कि यदि परिणाम आशा के अनुरूप नहीं आया तो क्या होगा? सफलता नहीं मिली तो क्या होगा? याद रखें परिणाम हमारे हाथ में नहीं होता है।हमारे हाथ में सिर्फ और सिर्फ अध्ययन करना होता है।अतः दिमाग को परिणाम पर फोकस न करके अध्ययन पर फोकस करें और रणनीति के अनुसार आगे बढ़ते रहें।
  • रोजाना हमें कई तरह के लोग,मित्र,सहपाठी मिलते हैं।वे नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह की बात कर सकते हैं,करते हैं।सकारात्मक बातें करने वाले,प्रोत्साहित करने वाले,सहयोग करने वाले कम होते हैं और नकारात्मक व हतोत्साहित करने वाले अधिक होते हैं,परंतु आप नकारात्मक बातों से प्रभावित न हो।

5.एकाग्रतापूर्वक अध्ययन करें (Study with concentration):

  • छात्र-छात्रा,अभ्यर्थी या प्रोफेशनल कार्य करने वाला हो,एकाग्रता सभी के लिए समान रूप से जरूरी है।यों एकाग्रता साधने के बारे में बहुत से लेख साइट पर लिखें हुए हैं परंतु कुछ अतिरिक्त सामग्री तथा प्रसंगवश इस लेख में एकाग्रता के बारे में बताया जा रहा है।
  • हम अध्ययन करें या कोई भी काम करें उसे पूरे मन से,पूरे आत्मविश्वास के साथ करें और एकाग्रचित्त होकर करें और अपनी तरफ से कोई कसर बाकी न छोड़ें तो काम में सफल होना निश्चित है।अगर हम आधे मन,अस्थिर चित्त से,संशयग्रस्त मनोवृत्ति से और उच्चाटन के साथ काम करेंगे तो सफल न हो सकेंगे।यदि सफल हो जाते हैं तो यही समझा जाना चाहिए कि हमारे पूर्व कर्मों (पूर्व जन्म) का फल मिल रहा है ऐसा माना जाएगा।इसलिए पूर्ण एकाग्रता के साथ पुरुषार्थ (कड़ी मेहनत) करना ही चाहिए,करते रहना ही चाहिए और तब तक करते रहना चाहिए जब तक की सफल न हो जाएं।
  • पर्याप्त आराम और नींद लें।परीक्षा की तैयारी का अर्थ यह नहीं है कि आप अध्ययन ही अध्ययन करते रहें और आराम बिल्कुल भी ना करें।आराम और नींद पर्याप्त न लेने से थकान होती है,सिर भारी-भारी और स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है।जबकि नींद और आराम से शरीर और मस्तिष्क रिलैक्स होता है।इसलिए छह-सात घंटे की नींद तो लेना ही चाहिए,परंतु नींद गहरी और निर्विघ्न होनी चाहिए।इसे एकाग्रता की क्षमता में सुधार होता है।
  • यदि सम्भव हो तो प्रातः काल बाग-बगीचे में टहलना चाहिए।प्राकृतिक वातावरण में समय बिताने से अनावश्यक चिंता,थकान,तनाव से मुक्ति मिलती है।मस्तिष्क तरोताजा होता है और हम अधिक ऊर्जावान,सक्रिय महसूस करते हैं,अपने आपको बेहतरीन महसूस करते हैं।
  • एक समय में एक ही काम करें।जो अतिप्रतिभाशाली हैं उनकी बात अलग है,लेकिन यदि आप अध्ययन के साथ गाने सुन रहे हैं या किसी से बातचीत कर रहे हैं या शोर शराबे में पढ़ रहे हैं,तो इससे दिमाग डायवर्ट होता है,दिमाग एकाग्र नहीं रहता है,जिससे दिमाग पर अधिक दबाव पड़ता है और पढ़ा हुआ ठीक से याद नहीं रहता है,पढ़ने में रुचि नहीं रहती है,पढ़ने से ध्यान भंग होता है और हम तनावग्रस्त हो जाते हैं।अतः यदि अध्ययन कर रहे हैं तो केवल अध्ययन ही करें,और किसी बात पर ध्यान न दें,ध्यान को भटकने ना दें।यदि मनोरंजन कर रहे हैं तो अध्ययन की तरफ ध्यान का चिंतन,विचार न करें,मन को अध्ययन से पूर्णतः मुक्त करके पूर्ण रूप से एंजॉय करें,मनोरंजन का लुत्फ उठाएं।
  • किसी भी प्रकार की समस्या हो तो तनावग्रस्त ना हों बल्कि उस समस्या को स्वयं के बल पर या शिक्षकों व मित्रों तथा माता-पिता की मदद से हल करें।अध्ययन अथवा परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार का तनाव होना आपके अध्ययन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।खाली पेट अध्ययन न करें,नाश्ता करें।यदि नाश्ता न कर सकें तो पानी ही पी लें क्योंकि खाली पेट अध्ययन करने से बढ़ी हुई ऊर्जा (अनावश्यक ऊर्जा) हमारा ध्यान भंग करती है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में वार्षिक परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (5 Technique to Prepare for Annual Exam),परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (5 Techniques to Prepare for Exam) के बारे में बताया गया है।

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6.टेक्स काटने का मामला (हास्य-व्यंग्य) (Tax Deduction Case) (Humour-Satire):

  • राम को गणित प्रतियोगिता परीक्षा में टॉप आने के कारण ₹200000 देने की घोषणा की गई।
  • प्रतियोगिता परीक्षा का संचालक:आपको टैक्स काटकर 175000 रुपये ही मिलेंगे।
  • राम:यह तो गलत बात है,हमें लूटने का फंडा है।मुझे तो पूरे ₹200000 दो,नहीं तो मेरे फॉर्म भरने की फीस ₹500 वापस कर दो।

7.वार्षिक परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 5 Technique to Prepare for Annual Exam),परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (5 Techniques to Prepare for Exam) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.यह रणनीति जेईई-मेन में कैसे सहायक है? (How is this strategy helpful in JEE-Main?):

उत्तर:जैसे जेईई-मेन के लिए अर्द्धवार्षिक,प्रीबोर्ड या अन्य परीक्षाएं नहीं होती हैं तो यदि वे कोचिंग करने करते हैं तो वहाँ उन्हें रैंकिंग टेस्ट देने होते हैं।अतः रैंकिंग टेस्ट को ही जेईई-मेन परीक्षा मानकर पूर्ण तैयारी के साथ देना चाहिए।उसके अलावा ऑनलाइन मॉक टेस्ट व अन्य टेस्ट दे सकते हैं।मॉडल पेपर व पिछले वर्षों के अनसाॅल्वड पेपर्स हल करके अपना मूल्यांकन कर सकते हैं।

प्रश्न:2.परीक्षा की प्रभावी रणनीति कैसे बनाएं? (How to make an effective exam strategy?):

उत्तर:(1.)स्वयं के नोट्स बनाएं और उन्हें रिवाइज करना शुरू करें।
(2.)स्टडी मैटेरियल जो भी है जैसे नोट्स,मॉडल पेपर्स,संदर्भ पुस्तकें आदि को ध्यानपूर्वक पढ़ें।पूर्व परीक्षाओं के प्रश्न-पत्रों (अनसाॅल्वड पेपर्स) को हल करें।
(3.)ग्रुप स्टडी हमेशा फलदायक नहीं होती है।यदि समान स्तर के विद्यार्थी है तथा बातूनी नहीं है,अध्ययन के प्रति गंभीर है,तब तो ग्रुप स्टडी फलदायक होती है,अन्यथा ग्रुप स्टडी में अध्ययन करना समय बर्बादी का कारण भी बन सकता है।
(4.)नोट्स को संक्षिप्त रूप में लिखना चाहिए,क्योंकि डिटेल मैटेरियल तो पुस्तकों में ही होता है।नोट्स संक्षिप्त में होते हैं,तो कम विषय सामग्री को बार-बार और परीक्षा के निकट कम समय में रिवीजन कर सकते हैं।बहुत सी बातें पुस्तकों में समझाने के लिए होती है उन्हें नोट्स में लिखने की जरूरत नहीं होती है।
(5.)ऑनलाइन वीडियो और जेनुइन वेबसाइट्स से भी अध्ययन सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न:3.स्टडी प्लान में और कौन सी बातें शामिल करें? (What else should be included in the study plan?):

उत्तर:स्टडी प्लान में अध्ययन के साथ-साथ यह भी उल्लेख करें कि कब-कब और कितना आराम करना है।नींद लेने का समय निर्धारित करें।अध्ययन के दौरान कब-कब ब्रेक लेना है,दिनचर्या में एक्सरसाइज (व्यायाम) को जरूर शामिल करें।इन पर अमल करने से आप शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा वार्षिक परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (5 Technique to Prepare for Annual Exam),परीक्षा की तैयारी करने की 5 तकनीक (5 Techniques to Prepare for Exam) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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