5 Effective Tips to Prepare for Speech
1.भाषण की तैयारी करने की 5 प्रभावी युक्तियां (5 Effective Tips to Prepare for Speech),5 प्रभावी भाषण की युक्तियाँ (5 Effective Speech Tips):
- भाषण की तैयारी करने की 5 प्रभावी युक्तियां (5 Effective Tips to Prepare for Speech) ऐसी हैं जिनके आधार पर आप एक प्रभावी वक्ता बन सकते हैं।अक्सर अध्यापक,प्राध्यापक,प्रतियोगिता परीक्षा में साक्षात्कार,सामाजिक व राजनीतिक नेता बनने के लिए भाषणकर्ता होने की आवश्यकता होती है।लेखों व पुस्तकों के माध्यम से आपको केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही प्राप्त होता है।परंतु लेखों व पुस्तकों को पढ़कर उसका आईने के सामने,मित्रों के साथ चर्चा या मोबाइल फोन पर अभ्यास करने से आप भाषणकर्ता बन सकते हैं।
- आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
Also Read This Article:4 Top Speech Techniques for Students
2.श्रोताओं को क्या संदेश देना चाहते हैं? (What message do you want to convey to the audience?):
- प्रत्येक कला एवं विद्या की भाँति भाषण-कला के संपादन के लिए भी कतिपय सिद्धांतों के ज्ञान के साथ सतत साधना अपेक्षित होती है।याद रखिए प्रत्येक विद्या अभ्यास द्वारा प्रभावी बनती हैः”अभ्यासानुसारिणी विद्या,बुद्धि कर्मानुसारिणी।” महान विचारक प्लेटो ने भी एक स्थान पर लिखा है कि “अगर यह (संप्रेषण की योग्यता) तुम्हारी प्रकृति में बीज रूप में मौजूद है तो तुम अवश्य एक योग्य वक्ता बनोगे,शर्त सिर्फ एक है सतत साधनाभ्यास की।”
- “भाषण या व्याख्यान के लिए मंच पर जाने से पूर्व वक्ता को यह निश्चय करना चाहिए कि वह अपने श्रोताओं से क्या कहना चाहता है।इस संदर्भ में वक्ता को अपने से ये प्रश्न करने चाहिए:
- (1.)क्या मैं श्रोताओं को कोई संदेश देना चाहता हूं।(2.)क्या मैं श्रोताओं को कोई निर्देश देना चाहता हूं।(3.)क्या मैं श्रोताओं को केवल अपनी वक्तृता अथवा भाषण कला द्वारा मात्र प्रभावित करना चाहता हूं? (4.)श्रोताओं का मात्र मनोरंजन करना चाहता हूं।
- वक्ता या भाषणकर्ता का उद्देश्य उपर्युक्त चार विकल्पों में जो भी उभरकर आए,उसी पर वक्ता को अपना ध्यान एकत्र करना चाहिए और यथाशक्ति सामग्री प्राप्त करके,मार्गदर्शक से परामर्श करके तथा संभावित श्रोताओं की रुचि एवं उनके बौद्धिकता सूचांक को ध्यान में रखकर अपने व्याख्यान के लिए वह केंद्र बिंदु स्थापित करने चाहिए,जिनके चारों ओर भाषण का ताना-बाना बुना जाता है।
- भाषण या व्याख्यान के उद्देश्य के अनुरूप वक्ता को सामग्री एकत्र करना चाहिए।यह स्मरण रखना चाहिए कि उद्देश्य संख्या (1.) और (2.) में वक्ता को गंभीर एवं चिंतनधारा की अभिव्यक्ति करनी होगी।उद्देश्य संख्या (4.) की पूर्ति के लिए वक्ता को चाहिए कि वह मनोरंजन संस्मरणों को आधार बनाकर अपना भाषण तैयार करे।
- उद्देश्य संख्या (3.) की पूर्ति के लिए भाषण करने से पूर्व वक्ता को यह भली प्रकार सोच लेना चाहिए कि वह श्रोताओं पर किस प्रकार का प्रभाव डालना चाहता है-क्या वह श्रोताओं की चिंतन पद्धति को मनोनुकूल करना चाहता है अथवा दृष्टिकोण में परिवर्तन करने के लिए श्रोताओं के लिए पर्याप्त सामग्री छोड़ रहा है।जो भी हो,श्रोताओं को प्रभावित करने के लिए यह आवश्यक है कि उनके हृदय में संवेदना जागृत की जाए।संवेदना उत्पन्न करने के प्रायः तीन मार्ग अपनाए जाते हैं:भय दिखाकर,लाभ-हानि का ब्यौरा समझाकर अथवा कर्त्तव्य-बोध जागृत करके।इनमें जो भी मार्ग अपनाया जाए,वक्ता को अपने भाषण में उपदेशक का रूप नहीं अपनाना चाहिए,बल्कि कोई दृष्टांत,प्रेरक प्रसंग,कोई कहानी,व्यक्तिगत अनुभव,संस्मरण आदि सुनाकर श्रोताओं में अपनी बात के प्रति रुचि उत्पन्न करना आवश्यक है।
- संक्षेप में वक्ता को यह ज्ञान होना आवश्यक है कि श्रोताओं में संवेदना उत्पन्न करने के लिए क्या बात कही जाए।इसका सीधा-सा उपाय है कि जिन लोगों के मध्य भाषण करना है,उनके विचारों को,उनकी आशाओं-आकांक्षाओं का ज्ञान होना वक्ता के लिए परम आवश्यक है।दूसरे शब्दों में वक्ता को अपने श्रोताओं की नब्ज का ज्ञान होना परम आवश्यक है।वही नेता सफल होता है जिससे जनता की नब्ज की जानकारी होती है,यानी वह यह जानता है कि जनता की आवश्यकताएँ क्या हैं? वैसे,लाभ-हानि की बात बताकर संवेदना जागृत करना सबसे आसान है तथा कर्त्तव्य-बोध द्वारा श्रोताओं का समर्थन प्राप्त करना सबसे कठिन मार्ग होता है।
3.सफल एवं प्रभावी भाषण कैसे करें? (How to make a successful and effective speech?):
- सफल एवं प्रभावी भाषण के संदर्भ में अनेक सफल वक्ताओं ने तथा अनेक प्रबुद्ध श्रोताओं ने अनेक बातें बतायी है और उपाय सुझाए हैं।उनकी बातों पर ध्यान रखकर सामान्य छात्र-छात्रा या व्यक्ति एक कुशल वक्ता बन सकता है,वे बातें सारांश रूप में निम्नलिखित हैंः
- (1.)भाषा के उद्देश्य का निर्धारण कर लेना चाहिए।भाषा का विषय निर्धारित करते समय वक्ता को चाहिए कि वह अपनी क्षमता एवं सामर्थ्य को ध्यान में रखें,और वह जो कुछ कहे अपने विश्वास एवं अपनी मान्यताओं के अनुसार कहे।जिस बात में वक्ता को विश्वास नहीं है,उसके विषय में बोलते समय उसकी वाणी में अपेक्षित बल का अभाव रहेगा।याद रखिए-जज्ब के फर्क से आवाज बदल जाती है।
- (2.)भाषण के विषय के संबंध में पूरी जानकारी एकत्र कर ली जाए।उसको एक कागज पर क्रमबद्ध रूप में अवश्य लिख लिया जाए।यदि आंकड़ों की आवश्यकता हो,तो उनको भी एकत्र कर लिया जाए,तथा वे स्थल निश्चित कर लिए जाएं,जहां उनका प्रयोग किया जाना है।
- (3.)भाषण का पूर्वाभ्यास कर लिया जाना चाहिए।जहां तक संभव हो,भाषण को लिखकर पूर्वाभ्यास किया जाए।ऐसा करने से वक्ता में आत्मविश्वास बना रहता है और समय की सीमा का भी पालन हो जाता है।समय की सीमा से अधिक बोलने वाले वक्ता श्रोताओं में ऊब पैदा कर देते हैं।हम सब जानते हैं कि यदि पीरियड का घंटा बजने में एक-दो मिनट का भी विलंब हो जाता है तो विद्यार्थी बेचैनी दिखाने लगते हैं और कक्षा में खटपट की आवाजें सुनाई देने लगती हैं।
- (4.)वक्ता की भाषण-शैली स्पष्ट एवं चित्रात्मक हो।ऐसे अनेक विद्यार्थी हुए हैं जिन्होंने कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में अपनी भाषण कला को निखारा है और आज वे राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं।उदाहरणार्थ भाजपा के प्रभावी नेता एवं कई बार एमएलए रह चुके राजेंद्र सिंह राठौड़,राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं।विद्यार्थी काल में इतना प्रभावी भाषण करते थे कि कॉलेज व विश्वविद्यालय के हजारों छात्र उनके भाषण को सुनने के लिए लालायित रहते थे।वे केवल भाषण करना ही नहीं जानते थे बल्कि बहुत बोल्ड और ओजस्वी तथा निडर थे।जबकि शुरू से ही वे दुबले-पतले कद काठी के छात्र थे।अपनी वक्तृत्व कला और कुशल नेतृत्वकर्ता होने के कारण उन्होंने छात्र-छात्राओं का नेतृत्व किया है और सही दिशा दी है।आज भी उनके भाषण में वही धार और पैनापन देखने को मिल सकता है।भाषण करना जन्मजात गुण होता है परंतु अभ्यास और प्रशिक्षण से भाषण को प्रभावी बनाया जा सकता है।
- (5.)प्रस्तुतीकरण में आवाज का आरोह-अवरोह तो हो,परंतु हाथ-पैर पटकना श्रोता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
जिस प्रकार कार्य की दृष्टि से नाटक की कथावस्तु को पांच अवस्थाओं में विभाजित किया जाता है-आरंभ,प्रयत्न,चरमोत्कर्ष,प्राप्त्यशा तथा फलागम,उसी प्रकार विषय-वस्तु की दृष्टि से भाषण की अवस्थाओं को भी निर्धारित कर लिया जाना चाहिए-प्रारंभ,मध्य और अंत या समापन।भाषण का लगभग 2/3 समय मध्य भाग के लिए होना चाहिए।
वक्ता (विद्यार्थी) यह भली प्रकार समझ लें कि भाषण एक विकसित कला है।इससे संबंधित नियमों का ज्ञान एवं पालन आवश्यक है।
4.छात्र-छात्राएं वक्तृत्व कला उभारें (Students should develop oratory skills):
- अक्सर छात्र-छात्राओं को महापुरुषों की जयंती,15 अगस्त (स्वतन्त्रता दिवस),26 जनवरी (गणतंत्र दिवस),महापुरुषों के जन्म दिवस,बाल दिवस,शिक्षक दिवस,वार्षिकोत्सव,विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों एवं समारोह में बोलने का अवसर प्रदान किया जाता है।इन अवसरों पर वे अपनी छिपी हुई प्रतिभा को व्यक्त करके उभारने,तराशने में कर सकते हैं।छात्र जीवन ही ऐसा जीवन है जिसमें कोई भी प्रतिभा,सुप्त शक्तियों के जागरण का समय होता है।परंतु इसके लिए उन्हें तैयारी करने की आवश्यकता है।विभिन्न धर्मग्रंथो,प्रेरक जीवनियों,संस्मरणों को पढ़ने की जरूरत होती है।सतत अध्ययन करते रहने की जरूरत रहती है ताकि आप अपने ज्ञान कोष में वृद्धि कर सकें।
- शब्दकोश में नए-नए शब्दों का ज्ञान,लोकोक्तियों,मुहावरों,सुभाषित,दृष्टांतों को स्मरण करते रहने की जरूरत होती है।किसी भी चीज को,बातों को,अच्छी प्रेरक उक्तियों को स्मरण करने के बाद एकांत में आईने के सामने बोलने का अभ्यास किया जाता है।यदि मोबाइल फोन है तो अपनी आवाज को रिकॉर्ड करें और फिर उसे सुनें,जहां कहीं भी कमी सुनाई देती है,आवाज के उतार-चढ़ाव में कोई कमी हो,आवाज में ओज नहीं हो तो बार-बार बोलकर उसमें सुधार करते रहें।
- इसके बाद शिक्षा संस्थानों (स्कूल,कोचिंग,कॉलेज या विश्वविद्यालय) में अवसर दिया जाए तो उसे बोलें।अपना व्यक्तित्व व चरित्र इस प्रकार का बनाएं जिससे श्रोताओं को सुनकर लगे कि बोले गए शब्द आपके दिल से निकल रहे हैं,बोली गई बातें आपके व्यक्तित्व और चरित्र का अंग है।केवल सैद्धांतिक बातें ही नहीं कर रहे हैं,बल्कि जो कुछ आप भाषण में कह रहे हैं,वही आप करते भी हैं,आपके जीवन में वह सब बातें उतरी हुई हैं।
- दरअसल सैद्धांतिक रूप से,केवल कंठस्थ करके बोली गई बातों का इतना प्रभाव नहीं होता जितना प्रभाव आपके चरित्र का होता है।आपके जीवन,आपके चरित्र से झांकने वाली बातों से ही श्रोता पर प्रभाव पड़ता है।अतः अपने चरित्र और व्यक्तित्व को निखारे,उभारें,तराशे।यही समय है जब अपने व्यक्तित्व व चरित्र को गढ़ सकते हैं,उच्च कोटि का तथा श्रेष्ठ स्तर का बना सकते हैं।जैसी नींव होगी वैसा ही भवन होगा।नींव मजबूत होगी तो भवन भी टिकाऊ और भव्य नजर आएगा।नींव ही कमजोर होगी तो मकान भरभराकर गिर जाएगा,जल्दी ही नष्ट हो जाएगा।
5.सच्चे वक्ता की पहचान (Identifying the True Speaker):
- भाषण,व्याख्यान,आख्यान,प्रवचन इन सबके भिन्न-भिन्न अर्थ हैं।भाषण में किसी पुस्तक अथवा कहीं से भी कोई सामग्री याद करके वर्णन करना होता है।भाषण में लोगों के मन को ध्यान में रखकर उनके अनुकूल बोलना पड़ता है।कही गई बातें पूरी हो या ना हो इसकी गारंटी नहीं होती।व्याख्यान में अध्यापक,प्राध्यापक किसी विषय को समझकर छात्र-छात्राओं को समझाते हैं।इसमें वक्ता (अध्यापक,प्राध्यापक) और श्रोता (छात्रों) की भावनात्मक एकता नहीं होती है।छात्र-छात्राओं का मन नहीं हो तो भी उन्हें सुनना ही है,पढ़ना ही है।वक्ता चतुर होता है और उसकी दृष्टि में श्रोता मूर्ख है।दोनों की कक्षा में भिन्नता होती है।वक्ता को इस बात का सतत ध्यान रहता है कि श्रोता उस विषय में अज्ञानी है और वह उसे ज्ञान (प्रकाश) देने का कार्य कर रहा है।श्रोता की भूमिका बालक के समान है और व्याख्याकार उसका रंजन करने का प्रयत्न करता है।इस प्रकार व्याख्यान में लोक रंजन का तत्व भी होता है।
- थकान को जो उतारे वह कथा है।आख्यान में भूतकाल को तेजस्वी,वर्तमान को नीरस और निस्तेज तथा भविष्य काल को भयंकर चित्रित किया जाता है।इस प्रकार इससे जीवन में किसी प्रकार का उत्साह नहीं आता।भूतकाल अपने हाथ से निकल चुका,भविष्य हाथ में आया नहीं और वर्तमान नीरस-निरानन्दी है तो फिर जीवन में रहा ही क्या? ऐसे लोगों को “जग लाग्यो खारो रे!” जग ही असत्य लगता है।इससे भविष्य के लिए मार्गदर्शन नहीं मिलता और वर्तमान से जूझने की शक्ति पैदा नहीं होती।
- परंतु प्रवचन में वक्ता के द्वारा जो कुछ कहा जाता है,वह यथार्थ शास्त्रोक्त तथा निर्विवाद होता है।जो हृदय के अंदर से आवाज निकलती है,उसे ही प्रवचन कहते हैं।ऐसे प्रवचनकार के मुंह से जो निकलता है वह जीवंत बातें होती है,श्रोता सुनकर गदगद होता है और वैसा ही करने के लिए प्रेरित होता है।इसमें प्रवचनकार और श्रोता दोनों की समान कक्षा होती है और दोनों स्वाध्याय के लिए एकत्र होते हैं।
- प्रवचनकार या प्रवचन का अर्थ यह नहीं हैःजोर से बोलना,पढ़ना,दो-चार मंत्रों,सूक्तियों का उच्चारण ऊंची आवाज में करना,पाँच-पच्चीस कथाएं,कहानियाँ कंठाग्र किए रखना,स्त्रियों के साथ बोलना,उनके बच्चों को प्यार करना,उनके पतियों की स्तुति करना और भोजन करते हुए रसोई की प्रशंसा करना और बस,बन गए प्रवचनकार! अब अधिक विद्या की क्या आवश्यकता है?
- केवल अपना पांडित्य का प्रदर्शन करना नहीं होता है,अपनी विद्वता प्रदर्शित करना नहीं होता है।जो कुछ भी व कोई भी बोले उसे वक्ता नहीं कहते हैं।जो प्रवचन करता है उसी को वक्ता कहते हैं।
- श्रोताओं का कर्त्तव्य भी महत्त्वपूर्ण है।सुनना भी एक कला है (Listening is an art) अन्यथा कहा कुछ,सुना कुछ तथा समझा और ही कुछ।’कहे खेत की सुने खिलाहन की’ जैसी उक्ति चरितार्थ होती है।’बेकार से बेगार भली’ श्रोता नहीं बना जाता है।वक्ता में श्रोता के लिए भाव होना चाहिए और श्रोता को वक्ता में पूर्ण एकाग्रता रखकर सुनना चाहिए।
- तो देखा आपने एक विद्यार्थी को प्रवचनकार जैसा वक्ता बनने के लिए क्या कुछ बनना पड़ेगा।ऐसा व्यक्तित्व और चरित्र बनेगा तो आपकी कही हुई बात का सुनने वाले पर प्रभाव पड़ेगा,तभी उसका जीवन रूपांतरित होगा।भाषण का सच्चा अर्थ यही है।वरना कुछ भी रटकर,स्मरण करके बोल देना,जो मन में आए वही बोल देना,श्रोताओं को खुश करने के लिए चिकनी-चुपड़ी बातें बोल देने वाला वक्ता नहीं होता है।वक्ता तो वह होता है जिसके बोलने से श्रोताओं का जीवन ऊपर उठता हो,जिनका चाल चरित्र सुधरता हो,जिसके सुनने से श्रोताओं का चरित्र भव्य और दिव्य बनता हो।सच्चे वक्ता की बातें सुनकर श्रोता वैसा ही बनने के लिए मचल उठता हो।छात्र जीवन केवल चाट-पकौड़ी खाने और मौज-मस्ती के लिए नहीं मिलता है।अपने कृतित्व को ऊंचा उठा देने के लिए मिलता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में भाषण की तैयारी करने की 5 प्रभावी युक्तियां (5 Effective Tips to Prepare for Speech),5 प्रभावी भाषण की युक्तियाँ (5 Effective Speech Tips) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:4Tips for Student to Speak Sweet Words
6.छात्र की हालत (हास्य-व्यंग्य) (Condition of Student) (Humour-Satire):
- एक छात्र जा रहा था तो रास्ते में कॉलेज स्टूडेंट मिला।उसने पूछाःछुट्टन कहां जा रहे हो?
- छोटी कक्षा का छात्र बोला:मैं कोचिंग करने के लिए बात करने जा रहा हूं।
- कॉलेज स्टूडेंटःयदि रुपए बचें तो मेरे लिए भी गणित की कोचिंग की व्यवस्था करके आना।
7.भाषण की तैयारी करने की 5 प्रभावी युक्तियां (Frequently Asked Questions Related to 5 Effective Tips to Prepare for Speech),5 प्रभावी भाषण की युक्तियाँ (5 Effective Speech Tips) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.भाषण का क्या प्रभाव पड़ता है? (What is the impact of speech?):
उत्तर:भाषण का प्रभाव बोलने वाले के चाल-चरित्र के आधार पर पड़ता है।यदि दुर्जन व्यक्ति बहुत अच्छी बातें बता रहा है तो उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।परंतु उज्ज्वल चरित्र वाले व्यक्ति के भाषण में शक्ति,तेज और ओज होता है।उसका भाषण श्रोता को कायल कर देता है,श्रोता को बोले गए शब्दों पर अमल करने के लिए विवश कर देता है।
प्रश्न:2.याद किया हुआ भाषण किसके समान होता है? (What is memorized speech similar to?):
उत्तर:छपा हुआ भाषण,रटा हुआ भाषण मुरझाए पुष्प के समान होता है जिसमें सार तो है लेकिन रंग उड़ा हुआ है और सुगंध चली गयी है।ऐसे भाषण का प्रभाव क्षणिक होता है।
प्रश्न:3.क्या विद्वता का होना भाषण के लिए जरूरी है? (Isn’t scholarship necessary for speech?):
उत्तर:विद्वता हो तो चरित्रवान व्यक्ति के भाषण में चार चांद लग जाते हैं।जैसे स्वर्ण में जड़े हुए रत्न की शोभा और अधिक बढ़ जाती है उसी प्रकार विद्वता चरित्रवान व्यक्ति के भाषण की शोभा बढ़ा देती है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा भाषण की तैयारी करने की 5 प्रभावी युक्तियां (5 Effective Tips to Prepare for Speech),5 प्रभावी भाषण की युक्तियाँ (5 Effective Speech Tips) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. | Social Media | Url |
---|---|---|
1. | click here | |
2. | you tube | click here |
3. | click here | |
4. | click here | |
5. | Facebook Page | click here |
6. | click here |
Related Posts
About Author
Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.