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5 Best Tips to Boost Morale

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1.मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Boost Morale),छात्र-छात्राओं के लिए मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Boost Morale for Students):

  • मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Boost Morale) के आधार पर आप जान सकेंगे की मनोबल कैसे बढ़ाया जाए? मनोबल को किस तकनीक से बढ़ाया जाए? मनोबल है क्या चीज? छात्र-छात्राएं मनोबल बढ़ाने पर क्या कुछ कर गुजर सकते हैं?
  • साधनों के आधार पर सफलताएं मिलती हैं।साधनों को ही बल भी कहते हैं।प्रत्यक्ष बलों में धनबल,बाहुबल,शस्त्रबल,बुद्धिबल आदि प्रमुख हैं,पर इन सबसे बढ़कर है-मनोबल।मनोबल का तात्पर्य शिक्षा की कल्पना,बहुज्ञता,अनुभवशीलता से नहीं,वरन दृढ़ निश्चय से है।यह यदि आदर्शों के निमित्त प्रयोग किया जाता है तो उसी को संकल्प बल भी कहते हैं।जिसकी संकल्प शक्ति जितनी बलवान है,उसे उतने ही स्तर का बलवान कहना चाहिए।
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2.अधूरे मनोबल से कार्य करने के परिणाम (Consequences of working with incomplete morale):

  • प्राय: छात्र-छात्राएं आधे-अधूरे मन से अध्ययन करते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें किसी चीज में सिद्धि कैसे प्राप्त हो सकती है? कैसे वे अपने विषय में पारंगत हो सकते हैं?आधे-अधूरे और बेमन से किया गया अध्ययन शुभ कैसे हो सकता है?
  • फिर लोगों को कहते फिरते हैं कि उसने रात-दिन कठिन परिश्रम किया था।महत्त्वपूर्ण यह नहीं है कि तुमने कितने समय तक अध्ययन किया है,महत्त्वपूर्ण यह है कि जो कुछ पढ़ा उसे पूरे मनोबल के साथ पढ़ा या नहीं,दिल से पढ़ा या नहीं।
  • होता अक्सर यह है कि विद्यार्थियों के किताब तो हाथ में होती है और मन कहीं और जगह भ्रमण करता रहता है।ऐसी स्थिति में अध्ययन का परिणाम बेहतरीन कैसे प्राप्त किया जा सकता है? यदि आधे-अधूरे मन से अथवा कभी अध्ययन किया,कभी नहीं किया और फिर भी किसी विद्यार्थी को अध्ययन में सफलता मिल रही है तो यही कहा जा सकता है कि या तो पूर्व कर्मों के प्रभाव के कारण ऐसा हो रहा है अथवा अनायास सफलता मिल रही है तो आगे भविष्य में उसका भुगतान करना पड़ेगा।
  • इस संसार रूपी खेत में कर्मों के जैसे बीज बोए जाते हैं वैसी ही फसल (परिणाम) प्राप्त होती हैं।परंतु ये कर्म (अध्ययन आदि) मनोबल,एकाग्रतापूर्वक किया जाए तो उसके परिणाम चमत्कारिक रूप से सामने आते हैं।
  • किसी-किसी में यह शक्ति (मनोबल) जन्मजात भी होती है,पर यह आवश्यक नहीं।उसे अभ्यास से बढ़ाया जा सकता है।छोटे कामों में हाथ डालना और उन्हें पूरा करके ही चैन लेना,यह मनोबल बढ़ाने का तरीका है।एक के बाद दूसरा काम हाथ में लेना और उसकी कठिनाइयों से निपटना यही वह मार्ग जिस पर चलते हुए मनोबल अर्जित किया जा सकता है।यह विभूति जिसके हाथ लग गई समझना चाहिए कि महामानव बनने का सूत्र उसके हाथ लग गया।
  • प्रायः देखा जाता है कि बहुत साधन होते हुए भी लोग साधारण से काम भी नहीं कर पाते।इनके विचार डगमगाते रहते हैं।जो काम हाथ में लिया है,वह उचित भी है या नहीं,अपने से बन पड़ेगा या नहीं,ऐसे विकल्प मन में उठते रहते हैं।कच्चा मन एक को छोड़ दूसरा काम हाथ में लेता है।कुछ दिन बाद दूसरा भी हाथ से छूट जाता है और तीसरे को अपनाते हैं।इस तरह अनिश्चय की दशा में शक्ति का अपव्यय होता रहता है।दिशा निश्चित ना होने पर कुछ दूर पूर्व को,कुछ उत्तर-पश्चिम-दक्षिण को चलने वाले दिन भर घोर परिश्रम करते रहने पर भी थकान सिर पर ओढ़ते हैं,अच्छा यही है कि पहले ऊंच-नीच के हर पहलू पर विचार कर लिया जाए।बुद्धिपूर्वक जो निश्चय निकले उसे दृढ़तापूर्वक अपनाया जाए।
  • काम देखने को शरीर से किया जाता प्रतीत होता है,पर वास्तविकता यह है कि वह मन में होता है।मनोयोग लगा देने से योजना के सब पक्ष सामने आते हैं,अन्यथा बाल कल्पनाएँ मन में उठती रहती है और पानी के बबूले की तरह अस्त-व्यस्त होती रहती हैं।बच्चे सारे दिन उछलकूद करते रहते हैं।इनमें से हर एक क्रिया के पीछे एक उद्देश्य होता है,पर ये उद्देश्य ठहरने नहीं पाते।एक के बाद दूसरी इच्छा सामने आ जाती है और पिछली को छोड़कर अगली में हाथ डालते हैं।इस प्रकार दिनभर में ढेरों मनोरथ सामने आते हैं और वे सभी आधे-अधूरे रहकर अस्त-व्यस्त हो जाते हैं,इसी को बालबुद्धि कहते हैं।इसी प्रकार की राजनीति कितने ही बड़ी आयु के व्यक्ति भी अपनाते देखे जाते हैं।फलतः उनमें एक भी पूरा नहीं हो पाता।

3.काम को पूरा करने की तकनीक (Techniques to complete the work):

  • काम (अध्ययन) को पूरा करने के लिए आवश्यक है कि योजना सर्वांगपूर्ण बने।उसके लाभ-हानि पर सांगोपांग विचार किया जाए।साधन जुटाने के लिए जो कार्य वर्तमान साधनों के सहारे किया जा सकना संभव है,उसमें हाथ डाला जाए।भविष्य में जितने साधन बढ़ते जाएं,उतना काम बढ़ाता चला जाए।यह सब तभी बन पड़ता है,जब प्रस्तुत योजना पर समग्र मनयोग एकत्रित किया जाए।अधूरे चिंतन से न पूरी रूपरेखा समझ में आती है और न उसका क्रम बनाने का तारतम्य ठीक से बनता है।दिलचस्पी जितनी जिस काम में रहेगी,वह कार्य ठीक तरह बन पड़ेगा।साधनों का नियोजन भी तभी होता है,जब पूरा मन उसमें लग पा रहा है,अन्यथा उपयुक्त साधन होते हुए भी उनका उपयोग ठीक तरह नहीं हो पाता।आधे-अधूरे मन से किए हुए काम सदा अधूरे रहते हैं।
  • मनोबल का एक अर्थ हिम्मत भी है,जिसमें दिलचस्पी भी शामिल है।किसी काम को रुचिपूर्वक किया जाए तो उसका प्रतिफल दूसरा होगा और बेगार भुगतने की तरह निबटाया जाए तो उसकी उपलब्धि बिल्कुल दूसरी होगी।
  • रुचिपूर्वक अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के परिणाम अच्छे और सुदृढ़ नींव रखने वाले होते हैं।उनके अध्ययन करने के तरीके को देखकर हर कोई चमत्कृत हो जाता है।जबकि मंदबुद्धि छात्र-छात्राएं कभी पढ़ते हैं,कभी नहीं,हाथ में किताब रहती है और मन कहीं और भ्रमण कर रहा होता है।परिणाम यह होता है कि या तो वे अनुत्तीर्ण हो जाते हैं अथवा बमुश्किल उत्तीर्ण हो पाते हैं।जरा सा कठिन प्रश्न-पत्र आते ही घबरा जाते हैं,हौसला खो बैठते हैं।
  • नौकरों द्वारा कराए काम और मालिक द्वारा अपने हाथों से किए गए काम में जमीन-आसमान जैसा अंतर होता है।यही कारण है कि मजदूरों द्वारा कराई गई लंबी-चौड़ी काश्त (खेती) में भी कुछ लाभ नहीं होता,वरन उल्टा घाटा हो जाता है।इसके विपरीत जिस खेती को घर के व्यक्ति और मालिक मिलजुलकर करते हैं,वह सोना उगलती है,सेना का इतिहास भी इसी तथ्य से भरा पड़ा है।जिसके सैनिक भले ही कम रहे हों,पर जो हार-जीत को निजी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर लड़ते हैं,उनकी संख्या बहुत होते हुए भी,साधन बढ़िया होते हुए भी हारते हैं।मनोबल ऊंचा बना रहे तो पीछे हटती हुई सेना पुनः आक्रमण करके अपने खोए हुए इलाके पुनः प्राप्त कर लेती है।इसके अभाव में बेखबरी से ग्रसित सेनापति अपने जीते हुए इलाके भी हाथ से गँवा बैठते हैं।

4.मनोबल के आधार पर बड़े कार्य सम्भव (Big work is possible on the basis of morale):

  • संसार में महान गणितज्ञों और महापुरुषों का अपना विशेष इतिहास है।आर्किमिडीज,कार्ल फ्रेडरिक गाउस,अल्बर्ट आइंस्टीन,ईसाक न्यूटन आदि के कार्य ऐसे हैं कि जिन्हें पढ़-सुनकर दांतों तले उंगली दबानी पड़ती है।इनकी शारीरिक,मानसिक बनावट में कोई खास विशेषता नहीं थी।वे भी दूसरे लोगों जैसे ही थे,पर बढ़े-चढ़े मनोबल के सहारे बड़ी योजनाएं बनाने और उसे सफल बनाने में जो पराक्रम दिखाया उसके पीछे उनका बढ़ा-चढ़ा मनोबल ही जादू-चमत्कार दिखाता रहा है।
  • कितने महान आंदोलन संसार में चले और व्यापक बने हैं,इनके मूल में एक-दो व्यक्तियों का ही पराक्रम काम करता रहा है।जो अपनी उड़ाई आँधी के साथ अनेकों को आसमान तक उड़ा ले गए,वे न तो महाबली योद्धा थे और न साधन संपन्न करोड़पति।गांधी जी ने जो आंधी चलाई उसके साथ लाखों पत्ते और तिनके जैसी हस्ती वाले गगनचुम्बी भूमिकाएं निभाने लगे।ऐसे आंदोलन समय-समय पर अपने देश और विदेशों में उठते रहे और व्यापक बनते रहे हैं।इनके मूल में एक-दो मनस्वी लोगों के संकल्प और प्रयत्न ही काम करते रहे हैं।इसीलिए संसार के मनुष्यों में सबसे बड़ा बल मनोबल ही माना गया है।संकल्प और निश्चय तो कितने ही व्यक्ति करते हैं,पर उन पर टिके रहना और अंत तक निर्वाह करना हर किसी का काम नहीं।विरोध-अवरोध सामने आने पर कितने हिम्मत हार बैठते हैं और किसी बहाने पीछे लौट पड़ते हैं,पर जो हर परिस्थिति से लोहा लेते हुए अपने पैरों अपना रास्ता बनाने और अपने हाथों अपनी नाव खेकर उस पार तक पहुंचते हैं,ऐसे मनस्वी बिरले ही होते हैं।मनोबल ऐसे साहस का नाम है जो सोच-समझकर कदम उठाते और उसे प्राणपण से पूरा करते हैं।
  • चाहे व्यक्तिगत जीवन हो,चाहे सामाजिक सफलता के लिए मनुष्य का मनस्वी होना स्वाभाविक है।पैसा कमाने की विद्या तो वणिक (बनिया) बुद्धि को भी आती है।अपराधियों जैसी हिम्मत तो चोर-उचक्कों में भी होती है।आवेश में आकर लड़-झगड़ बैठना तो क्षुद्र स्तर के व्यक्ति भी कर सकते हैं,किंतु जिसमें अपना कोई विशेष लाभ न होता हो,मात्र सिद्धांतों का परिपोषण अथवा सार्वजनिक हित साधन नहीं बन पड़ता है ऐसे कामों में हाथ डालना,उनके मार्ग में आने वाले अवरोधों से टकराना,बिगड़ती हुई परिस्थितियों में धैर्य ना खोने और साथियों का उत्साह ढीला न पड़ने देना हर किसी का काम नहीं है।ऐसे लोगों में एक ही विशेषता पाई जाती है,उसका नाम है-मनोबल।

5.मनोबल कैसे बढ़ाएँ? (How to boost morale):

  • मनोबल बढ़ाने में सबसे बड़ी बाधा है मन की चंचलता।मन अनावश्यक कार्यों में इधर-उधर भटकता है।मन जब तक एकाग्र नहीं हो पाता है तब तक मनोबल बढ़ेगा कैसे? मन की एकाग्रता में चंचलता अर्थात् राग-द्वेष,काम,क्रोध,लोभ इत्यादि दुर्गुण बाधक हैं।कोई छात्र-छात्रा यह समझता है कि बस 10-15 मिनट ध्यान करने से मन को एकाग्र किया जा सकता है तो वह गलत समझता है।10-15 मिनट ध्यान करने का लाभ जरूर मिलता है परंतु मन को साधना तप है।गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं स्वीकार किया है की मन को वश में करना वायु को वश में करने की भाँति दुष्कर है।
  • अतः अभ्यास अर्थात् अच्छे कार्यों में,अध्ययन आदि में मन लगाए रखना तथा वैराग्य अर्थात् बुरे कार्यों से विरक्ति (राग-द्वेष आदि से) ये दोनों कार्य साथ-साथ करने होंगे।
  • वस्तुतः हम मन को दूसरों की आलोचना,बुराई,ईर्ष्या,द्वेष करने में लगाए रखते हैं अथवा अपनी प्रशंसा के पुल बांधने लगते हैं।यदि हम मन को सृजनात्मक,मौलिक और उत्साहवर्द्धक विचारों में लगाए रखें तो इससे मनोबल बढ़ता है।यदि मन दुर्गुणों में नहीं लगा हुआ है तो भी हम इधर-उधर के कार्य करते रहते हैं परंतु अध्ययन कार्य में टालमटोल,बहानेबाजी अथवा आलस्य के कारण दिलचस्पी नहीं लेते हैं।यदि माता-पिता अथवा शुभचिन्तक अध्ययन के लिए कहते हैं तो हम कहते हैं:कंप्यूटर क्लास में जाता हूं,वीडियो गेम देखता हूं,ऑनलाइन क्लास लेता हूं,कोचिंग क्लास जाता हूं।परंतु इन सबका लाभ स्वयं के द्वारा अध्ययन करने पर ही मिल सकता है।
  • मनोबल बढ़ाने का एक तरीका यह भी है कि आप पहले छोटे-छोटे कार्य करें और उसको पूरा करें।जैसे गणित की कोई सरल प्रश्नावली है उनको हल करें इससे आपका मनोबल बढ़ेगा।फिर थोड़ी जटिल तथा अंत में सबसे कठिन प्रश्नावलियों को हल करें।इस तरह सरल से कठिन की ओर चलने पर तथा काम को पूरा करने पर आपके मनोबल में वृद्धि होगी।इसके बाद थोड़ा बड़ा कार्य हाथ में ले उसे पूरा करने की भरसक चेष्टा करें।
  • इसके अलावा आप भीतर की तरफ यात्रा करें।यानी स्वयं के भीतर झांकना।मन की गतिविधि पर नजर रखना।अपनी क्षमताओं को पहचानना जिसके आधार पर आगे बढ़ सकते हैं।यदि आप सवाल को समझकर अथवा आदतन कर रहे हैं तो यह तो कार्यों का दोहराव है,इससे मनोबल नहीं बढ़ता है।अपनी क्षमताओं को पहचानकर कुछ सृजनशील कार्य करते हैं,कुछ अलग हटकर कार्य करते हैं तो इससे मनोबल बढ़ता है।संसार के महान कार्य मनोबल के आधार पर संपन्न किए गए हैं।
  • मन को अपने लक्ष्य को पूरा करने में लगाए रखें,ज्यों-ज्यों आप अपने लक्ष्य के करीब पहुंचते जाएंगे तो आपका मनोबल बढ़ेगा।जैसे आपका लक्ष्य है जेईई  में सफल होना।इसके लिए आप नवी कक्षा अथवा उससे पूर्व ही विज्ञान,गणित के विषय में महारत हासिल करेंगे।आप आठवीं,नवीं,10वीं,11वीं,12वीं परीक्षा में टॉप अंकों से उत्तीर्ण होंगे तो आपका मनोबल बढ़ता जाएगा।12वीं के साथ आप प्रतियोगिता परीक्षा की पुस्तकें भी पढ़ेंगे,मॉडल पेपर्स हल करेंगे,मॉक टेस्ट देंगे तो आपका मनोबल बढ़ता जाएगा।
  • मनोबल बढ़ाने के लिए वैसे कार्य (जो लक्ष्य प्राप्ति में सहायक हो) करिए जिनको करने से डर लगता है।जिसके बारे में आप सोचते हैं कि यह कार्य मेरे से नहीं होगा।उस कार्य को करने से आपका मनोबल बढ़ेगा,आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Boost Morale),छात्र-छात्राओं के लिए मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Boost Morale for Students) के बारे में बताया गया है।

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6.परीक्षा की फीस जमा कराई? (हास्य-व्यंग्य) (Examination Fees Deposited?) (Humour-Satire):

  • माँ (राहुल से):बेटे,तुमने परीक्षा की फीस जमा कर दी।
  • राहुल:माँ,फीस जमा करने की जरूरत ही नहीं पड़ी।
  • माँ:क्यों?
  • राहुल:क्योंकि मैंनै परीक्षा फॉर्म चुपके से,फीस जमा हो चुके फॉर्मों में रख दिया।

7.मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 5 Best Tips to Boost Morale),छात्र-छात्राओं के लिए मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Boost Morale for Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कामना कैसे पूरी हो सकती है? (How is the wish fulfilled?):

उत्तर:संसार में कामना पूरी होना अपनी शक्ति,अपने पराक्रम,अपने मानसिक बल पर निर्भर हैं।यदि मनोबल दृढ़ है तो आप अपनी कामनाओं (शुभ) को पूरी कर सकते हो।

प्रश्न:2.मनोवृत्ति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो। (Write a brief note on attitude):

उत्तर:पाप-पुण्य सब मनोवृतियों के लक्षणों पर निर्भर है।यदि मनोवृति शुद्ध हो और कोई व्यक्ति पाप कर बैठे तो पाप नहीं।यदि मनोवृत्ति दूषित हो और ऐसे समय में कोई पुण्य भी बन जाए तो उसका कोई फल नहीं।

प्रश्न:3.जीवन में असफल कौन होते हैं? (Who fails in life?):

उत्तर:जो लोग,छात्र-छात्राएं केवल सोचते हैं,योजना बनाते हैं परंतु उस पर अमल नहीं करते,कार्यान्वित नहीं करते तथा वे लोग,छात्र-छात्राएं जो कार्य करते हैं,अध्ययन करते रहते हैं परंतु विचार नहीं करते हैं,सृजनात्मक नहीं सोचते हैं ये दोनों तरह के ही जीवन में असफल होते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Boost Morale),छात्र-छात्राओं के लिए मनोबल बढ़ाने की 5 बेहतरीन टिप्स (5 Best Tips to Boost Morale for Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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