5 Best Techniques to Become Toppers
1.टॉपर्स बनने की 5 बेहतरीन तकनीक (5 Best Techniques to Become Toppers),टाॅपर्स बनने की 5 बेहतरीन रणनीतियाँ (5 Best Strategies to Become Toppers):
- टॉपर्स बनने की 5 बेहतरीन तकनीक (5 Best Techniques to Become Toppers) के आधार पर आप जान सकेंगे कि वे किस रणनीति के आधार पर टॉपर बनते हैं और आप किस तरह टॉपर बन सकते हैं।
- टॉपर बनने से पहले प्रत्येक व्यक्ति साधारण व्यक्तियों की पंक्ति में ही खड़ा रहता है।वह स्वयं भी यह सोचता है कि टॉपर्स कुछ खास किस्म के अभ्यर्थी होते हैं।आखिर सर्वोच्च स्थान किसी खास व्यक्ति के लिए आरक्षित होता होगा।परंतु बात ऐसी है नहीं,इसमें आंशिक सच्चाई ही है।साधारण व्यक्ति भी टॉपर बन सकता है।साधारण प्रत्याशी भी टॉपर के स्थान को सुशोभित कर सकता है।
- यह केवल सैद्धांतिक बात नहीं है बल्कि कई साधारण प्रत्याशी टॉपर बने हैं।इस आर्टिकल में इसी पर ही चर्चा की जा रही है की टॉपर कैसे बनते हैं,क्या रणनीति रहती है और क्या मंत्र है?
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2.टॉपर्स के विचार (Toppers Thoughts):
- टॉपर्स के जितने भी साक्षात्कार प्रकाशित हुए हैं पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्र में तथा यूट्यूब व सोशल साइट्स पर उनके वीडियो में,साक्षात्कार में वे अपनी रणनीति का खुलासा करते हैं।कुछ टॉपर्स का विचार है कि आत्मविश्वास,कठिन परिश्रम,निष्ठापूर्वक योजनाबद्ध तैयारी,निराश न होना लक्ष्य तक पहुँचाता है।जबकि किसी टाॅपर का सफलता का मंत्र है कठिन परिश्रम,लगन,सतत अभ्यास,सही कार्य योजना के निष्पादन,अध्ययन के प्रति सच्ची निष्ठा।
- किसी टाॅपर को कठिन परिश्रम,दृढ़ निश्चय,आत्म-विश्वास के साथ संघर्षरत रहने से सफलता मिलती है।एक महिला टॉपर का अभिमत है कि उसे भगवान की कृपा,गुरुजनों का मार्गदर्शन,परिवार का प्रोत्साहन,बड़ों का आशीर्वाद,मित्रों का सहयोग,शुभचिंतकों की शुभकामनाओं और अपने परिश्रम से सफलता मिली है।
- यानी आप भिन्न-भिन्न टॉपर के साक्षात्कार देखेंगे सुनेंगे या पढ़ेंगे तो सिर चकरा जाएगा कि अब हमें ऐसी स्थिति में कौन-सी रणनीति अपनानी चाहिए,किसकी रणनीति ज्यादा सटीक है,सबसे सर्वोत्तम कौन-सी रणनीति है जिसको अपनाकर वह भी टॉपर बन सकता है अथवा परीक्षा में सफलता अर्जित कर सकता है।
- जब किसी एक निश्चय पर पहुंचते हैं तो ज्योंही किसी टॉपर का साक्षात्कार सामने आता है कि उसे आत्म-विश्वास,दृढ़ संकल्प,निरंतर परिश्रम और धैर्य अथवा सतत प्रयास,परिश्रम व आत्मविश्वास या सद्बुद्धि,रुचि,तीव्र उत्कंठा,मजबूत संकल्प शक्ति,विषय में निपुणता,कल्पना शक्ति,जाॅब प्राप्त करने की तीव्र ललक,लक्ष्य के प्रति लगाव,मन की एकाग्रता,लगन,जिज्ञासु प्रवृत्ति,सूझबूझ,समझदारी,अच्छे लोगों की संगति,उत्साहित रहना,समय की साधना और आत्मविश्वास (भगवान में विश्वास) के आधार पर सफलता मिली है।ऐसी स्थिति में हमारी रणनीति,योजना धरी की धरी रह जाती है।हम फिर से विचार करने लगते हैं कि अपनी रणनीति में संशोधन कर लेना चाहिए अन्यथा सफलता हाथ से छिटक जाएगी।इसी ऊहापोह में हमारा समय व्यतीत होता रहता है और हम किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाते हैं कि क्या करें,क्या न करें,किसकी बात को तवज्जो दें,किसकी बात को नहीं दें,कौन सही कह रहा है,कौन गलत कह रहा है,क्या कुछ उपाय करें कि हमें भी सफलता मिल जाए।
3.क्या प्रत्याशी की शैक्षिक और आर्थिक पृष्ठभूमि आदि का फर्क पड़ता है? (Does the candidate’s educational and economic background matter?):
- अधिकांश प्रत्याशियों की शैक्षिक पृष्ठभूमि,आर्थिक स्थिति काफी सुदृढ़ होती है।वे कोचिंग भी करते हैं जिनकी फीस सुनकर ही हमारे पैरों तलों की जमीन खिसक जाती है।उनको हम सोशल लाइफ बिताते हुए भी देखते हैं,भजन,संगीत,सत्साहित्य या कोई हाॅबी खेल,योग-साधना,मेडिटेशन (ध्यान) आदि भी करते हुए देखते हैं।जबकि हमारी विचारधारा होती है की टॉपर्स 16-16 घंटे या 18-18 घंटे पढ़ते हैं तथा सामाजिकता से बिल्कुल कट जाते हैं,जब समाज के लोगों में बैठते-उठते नहीं है तो स्वाभाविक है कि उनमें संवेदना भी नहीं पाई जाती होगी।
- ऐसी अनेक कल्पनाएं हमारे दिमाग को मथती रहती है और हम सोच-सोचकर इन विचारों से दुबले होते जाते हैं।सबकी एक जैसी तैयारी नहीं होती है,सबकी पृष्ठभूमि अलग-अलग होती है।इन सबको देखकर हम रणनीति भी बना लेते हैं और तैयारी चालू भी कर देते हैं,लेकिन परीक्षा में असफलता हमारे रहे-सहे जुनून,जज्बा और उत्साह को खत्म कर देती है,हम ठंडे पड़ जाते हैं,हमारे अंदर नकारात्मकता प्रवेश कर जाती है।फिर या तो उस लक्ष्य को ही छोड़ देते हैं और कोई छोटा-मोटा व्यवसाय-धंधा करने की सोचते हैं।परंतु व्यवसाय-धंधें में भी सफलता नहीं मिलती है तो हमने जितनी प्रगति की थी,जितना ऊपर चढ़े थे वहां से गिरना चालू हो जाते हैं और जैसे-तैसे अपनी आजीविका को बेमन से घसीटते रहते हैं।
- हालात यहां तक पहुंच चुके हैं की बहुत से पढ़े-लिखे युवाओं को अपनी शादी करने के लाले पड़ जाते हैं और फिर शादी के लिए कोई लड़की हाँ नहीं करती है,कोई रिश्ता नहीं मिलता है तो जिंदगी से बिल्कुल हताश हो जाते हैं।
- हम सोचते रहते हैं कि हमारा जन्म उच्च घराने में,साधन-संपन्न घराने में,धनाढ्य परिवारों में,शिक्षित और सम्भ्रान्त परिवारों में,लिटरेट फैमिली में नहीं हुआ है इसलिए ऐसा सबकुछ हमारे साथ हो रहा है।भगवान ने हमारे साथ न्याय नहीं किया है,भगवान भी मुंह देखकर तिलक लगाते हैं।
- यदि हमारी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी अच्छी होती,शिक्षित होती,आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती तो हम भी आकाश में छेद कर सकते थे।बुद्धि तो हमारे अंदर भी है,पढ़े-लिखे तो हम भी हैं,डिग्री तो हमारे पास भी है,पढ़ते तो हम भी हैं,अध्ययन तो हम भी कर सकते हैं,परिश्रम तो हम भी कर सकते हैं।ऐसा तुलनात्मक आकलन करके अपने आप को संतोष देने की कोशिश करते हैं।
- एक तरफ हमारे कुछ साथी फर्श से अर्श (आसमान) तक पहुंच जाते हैं,टाॅपर बन जाते हैं और एकदिन हमें उनसे मिलने के लिए भी पर्ची भेजनी पड़ती है,समय लेना पड़ता है,उनका ऑटोग्राप लेने को लालायित रहते हैं और दूसरी तरफ हमारी हालत पतली से पतली होती जाती है,कुछ भी करते हैं उसी में असफलता हाथ लगती है,कोई हमें तवज्जो नहीं देता है।और एक दिन ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं कि अपनी पढ़ाई के दिनों को याद करके,उन दिनों के सपने देखकर अपने दिनों को व्यतीत करते हैं।सोचते हैं कि हमारे साथी कहां से कहां पहुंच गए और हम ऐसी जगह पड़े हुए हैं कि हमारी कोई कद्र ही नहीं करता है,हमें कोई पूछता ही नहीं है।जीवन को भार समझकर ढोते रहते हैं और अंदर ही अंदर कुढ़ते रहते हैं कि हमारे से अच्छे तो यह पशु ही हैं जिनकी कद्र तो होती है।
4.टॉपर्स बनने का विश्लेषण (Analysis of becoming toppers):
- कई बार अभ्यर्थियों की रणनीति तो सही होती है परंतु उस रणनीति के अनुसार हम फॉलो नहीं करते हैं।बीच मार्ग में कोई व्यवधान आते ही फॉलो करना छोड़ देते हैं।हम यह नहीं सोचते हैं कि रणनीति बनाई है तो उसको फॉलो भी करें।तैयारी में टाल-मटोल या लापरवाही परिणाम पर बुरा असर डालती है।कोई बात समझ में नहीं आती है तो मदद लेने में संकोच ना करें।यह मदद आप अपने से होशियार छात्र-छात्राओं,शिक्षक,माता-पिता अथवा अन्य किसी मार्गदर्शक से ले सकते हैं।
- शैक्षिक और प्रतियोगिता परीक्षाओं का पैटर्न थोड़ा अलग होता है।शैक्षिक परीक्षाओं में आप द्वारा प्रतियोगिता का सामना नहीं करना पड़ता है।100 में से 36 या 33 अंक लाने पर उत्तीर्ण हो जाते हैं।12वीं तक सत्रांक के 20 अंक मिल जाते हैं।कॉलेज में कोई किसी से प्रतियोगिता नहीं होती है।दूसरा अंतर यह होता है कि शैक्षिक परीक्षाओं में निबन्धात्मक प्रश्न होते हैं तथा सिलेबस या पुस्तक में से ही प्रश्न आते हैं।परंतु प्रतियोगिता परीक्षा में एक तो कड़ी प्रतियोगिता होती है तथा दूसरा अंतर यह है कि उसमें वस्तुनिष्ठ तथा निबंधात्मक दोनों की परीक्षाओं या वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं का प्रश्न पत्र होता है और उसमें प्रश्न पत्र भी बहुत कठिन,मध्य तथा सरल तीनों प्रकृति के होते हैं।परंतु सफलता आपको कठिन प्रश्नों को अटेम्प्ट करने पर ही मिलती है।यानी आप कठिन सवालों के जितने सटीक उत्तर देते हैं उतने ही अन्य प्रतियोगियों से आगे बढ़ जाते हैं।
- निबंधात्मक प्रश्नों में समालोचनात्मक,संतुलित एवं तटस्थ दृष्टिकोण रखकर उत्तर देना पड़ता है।यह कला आपको पढ़ते समय,स्कूल कॉलेज के समय से ही सीखनी चाहिए।अध्ययन की सूनियोजित रणनीति बनाएं,अध्ययन की मात्रा छोड़कर गुणवत्ता पर ध्यान दें,तुलनात्मक अध्ययन करें।संक्षिप्त,सारगर्भित व सटीक उत्तर दें।स्वयं के नोट्स बनाएं।क्या पढ़ना है,उससे अधिक जरूरी है यह जानना कि क्या नहीं पढ़ना है? तार्किक और प्रभावी भाषा में अभिव्यक्त करें।आत्म-विश्वास रखें।अहम को त्यागकर स्वयं को सरल बनायें।पिछले प्रश्न-पत्रों को आधार बनाकर अध्ययन करें।सही दृष्टिकोण से निष्ठापूर्वक अध्ययन करें।
- इंटरव्यू में अभिव्यक्ति कौशल,प्रस्तुतीकरण,सटीक जवाब की दरकार होती है।इससे परिमार्जित करना नवीं-दसवीं से प्रारंभ कर देना चाहिए।
- अध्ययन में जो भी कंफ्यूजन हों उन्हें संदर्भ पुस्तकों,मित्रों व शिक्षकों की मदद से दूर करें।परिणाम की चिंता ना करें क्योंकि परिणाम अपने हाथ में होता भी नहीं है।एक बार अध्ययन करने के बाद बार-बार मूल्यांकन करते रहें और जहां भी कमी दिखाई दें उसको दूर करते रहें।मॉडल पेपर्स,मॉक टेस्ट (छद्म परीक्षा) के द्वारा अपना मूल्यांकन कर सकते हैं।अपने सबल पक्ष और दुर्बल पक्ष की पहचान करें।दुर्बल पक्षों को मजबूत बनाने की कोशिश करते रहें।गलतियों,असफलताओं से सबक लें और हतोत्साहित न हों।अति आत्म-विश्वास न रखें।
- अपने चारों ओर सपोर्ट सिस्टम तैयार करें।यानी आपको जो लक्ष्य प्राप्ति में प्रोत्साहित करता है,आपकी कमजोरियों को बताता है और उनको दूर करने के उपाय बताता है,आपकी किसी न किसी प्रकार मदद करता है ऐसे लोगों के साथ रहें,उनका साथ न छोड़ें।वे आपको नकारात्मक सोच से बाहर निकालेंगे और आपको परीक्षा के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।तनाव व परीक्षा के दबाव तथा मानसिक संतुलन के लिए योग,ध्यान और मन को एकाग्र करने के उपाय करें।
5.टॉपर्स बनने का निष्कर्ष (Conclusion to becoming Toppers):
- हर स्टूडेंट का सपना होता है कि वह टॉपर बने।पहली बात तो यह है की टॉपर्स के साक्षात्कार देखकर अपनी रणनीति हूबहू वैसी ही नहीं बनाएं।आपने देखा कि अलग-अलग टॉपर की रणनीति अलग-अलग होती है।इसका तात्पर्य यह है कि अपनी मौलिक प्रतिभा,अपने वातावरण,अपनी रुचियों व योग्यता को देखकर ही रणनीति व योजना बनाई जानी चाहिए।हर विद्यार्थी में कुछ ना कुछ मौलिक गुण होते हैं जो उसे अन्य विद्यार्थियों से भिन्न बनाते हैं।किसी के देखा-देखी विषय और लक्ष्य का चयन नहीं करना चाहिए।बल्कि अपनी क्षमता,सामर्थ्य,योग्यता,वातावरण और परिस्थिति के अनुसार लक्ष्य तय करना चाहिए।
- आपका सवाल यह हो सकता है कि फिर इतने इंटरव्यू (टॉपर्स के) क्यों छपते हैं? दरअसल इसके कई कारण होते हैं।पहला कारण आपको प्रगति करने के लिए,प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहित करना।दूसरा कारण यह होता है कि आप यह न सोचें कि साधारण पृष्ठभूमि वाले टॉपर्स नहीं बनते हैं।आपने देखा होगा कि कुछ साधारण,निर्धन,विपरीत परिस्थितियों,कठिनाइयों,असुविधाओं के बावजूद भी टॉपर्स बन जाते हैं।तीसरा कारण यह है कि टॉपर्स में भी कुछ मूलभूत गुण समान रूप से मौजूद रहते हैं उनको आप भी अपना सकते हैं।जैसे लक्ष्य के प्रति जुनून,समय का सदुपयोग,कठिन परिश्रम,आत्मविश्वास,योजना का क्रियान्वयन,लगन,मन की एकाग्रता आदि ऐसे सामान्य गुण हैं जो लगभग हर टाॅपर में विद्यमान होते हैं अतः इनको आप भी अपनी रणनीति में शामिल कर सकते हैं।
- प्रतियोगी के टॉपर बनने में परिवार की शैक्षिक पृष्ठभूमि,आर्थिक एवं जनांकिकीय (demographic) स्थिति का भी प्रभाव पड़ता है।उच्च शैक्षिक वातावरण उत्प्रेरक (catalyst) का कार्य करता है।परिवार के शैक्षिक वातावरण में प्रत्याशी को काफी आत्मबल और अपेक्षित सहयोग और माहौल प्राप्त होता है।घर की आर्थिक स्थिति का भी प्रतियोगी की अच्छी तैयारी को प्रभावित करता है।
- आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो तो आप पुस्तकें खरीद सकते हैं और कोचिंग का लाभ उठा सकते हैं।जनांकिकीय स्थिति का थोड़ा-बहुत प्रभाव अवश्य पड़ता है।परन्तु ध्यान रहे,यह केवल सहायक कारण हो सकते हैं,सर्वाधिक महत्वपूर्ण तो स्वयं प्रतियोगी है।यदि उसमें सफलता प्राप्त करने के लिए उसके अंदर तड़प है,आग है,प्रबल इच्छा शक्ति है और क्षमताओं व योग्यताओं पर भरोसा है तो उपर्युक्त न्यूनताएं और प्रतिकूलताएं भी उसका मार्ग अवरुद्ध नहीं कर सकती हैं।हमें नहीं भूलना चाहिए कि जहां चाह होती है वहां राह है (where there is a will there is a way)।हां,यह भी सत्य है कि साधारण छात्र-छात्राओं, निर्धन,असहाय,असमर्थ ऐसी अनेक प्रतिभाशाली छात्र-छात्राएं हैं जिनकी प्रतिभा परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देती है और काल के गर्त में समा जाती है।
- इसलिए आत्म-विश्वास (भगवान पर विश्वास) सबसे महत्त्वपूर्ण और प्रभावी फैक्टर है परंतु सबसे अधिक अपने पुरुषार्थ पर भरोसा रखना चाहिए।अंत में इस सूत्र का ध्यान रखें “मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं,स्वप्न के पर्दे निगाहों से हटाती है। हौसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर! ठोकरे इंसान को चलना सिखाती है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में टॉपर्स बनने की 5 बेहतरीन तकनीक (5 Best Techniques to Become Toppers),टाॅपर्स बनने की 5 बेहतरीन रणनीतियाँ (5 Best Strategies to Become Toppers) के बारे में बताया गया है।
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6.असमर्थ छात्र! (हास्य-व्यंग्य) (Unable Student) (Humour-Satire):
- छात्र:गुरुजी इस असमर्थ छात्र को भी आप गणित की ट्यूशन करा दो।
- गणित शिक्षक:लेकिन तुम्हारे माता-पिता तो समर्थ हैं,कमाते हैं,फीस चुका सकते हैं।तुम असमर्थ कैसे हो?
- छात्र:तो कोई बात नहीं गणित का आधा कोर्स ही फ्री में पढ़ा दो।
7.टॉपर्स बनने की 5 बेहतरीन तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 5 Best Techniques to Become Toppers),टाॅपर्स बनने की 5 बेहतरीन रणनीतियाँ (5 Best Strategies to Become Toppers) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.लक्ष्य का निर्धारण क्यों जरूरी है? (Why is it important to set goals?):
उत्तर:बिना लक्ष्य मुकाम हासिल नहीं किया जा सकता। हर छात्र-छात्रा या अभ्यर्थी लक्ष्य के हिसाब से तैयारी करता है।वह रोजाना खुद से सवाल करता है कि क्या मैं लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहा हूं? देश के प्रतिनिधित्व का ख्वाब संजोने वाला अभ्यर्थी पहले परीक्षा के स्तर पर ही रणनीति पर काम करता है।एक बड़े लक्ष्य के लिए छोटे-छोटे लक्ष्यों पर काम करना भी उतना ही जरूरी है।
प्रश्न:2.आत्म-विश्वास क्यों जरूरी है? (Why is self-confidence important?):
उत्तर:सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में पूरी ताकत लगती है।और यह ताकत आती है कड़ी मेहनत और तैयारी से।प्रतियोगिता के दौरान अपने प्रतिद्वन्द्वी के आगे निकलने के दबाव जैसी कई बाधाएँ भी आती है,लेकिन आत्मविश्वास के दम पर अभ्यर्थी सफल होता है।शिक्षक,मित्रों,परिजनों और अपने समर्थकों का विश्वास उसका मनोबल बढ़ाता है।
प्रश्न:3.दिमाग पर नियंत्रण क्यों जरूरी है? (Why is it important to control the mind?):
उत्तर:कई बार अन्य प्रतियोगी का कौशल,क्षमता और तकनीक कई गुना बेहतर होती है।फिर भी जीत उसी की होती है जिसका दिमाग पर नियंत्रण है।प्रतियोगिता में बौद्धिक परीक्षा तो होती ही है,पर जो चीज परिणाम तय करती है वह है अभ्यर्थी का दिमाग।इस पर नियंत्रण करके मनचाहा परिणाम हासिल किया जा सकता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा टॉपर्स बनने की 5 बेहतरीन तकनीक (5 Best Techniques to Become Toppers),टाॅपर्स बनने की 5 बेहतरीन रणनीतियाँ (5 Best Strategies to Become Toppers) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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