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4 Top Speech Techniques for Students

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1.विद्यार्थियों के लिए भाषण करने की 4 टाॅप तकनीक (4 Top Speech Techniques for Students),भाषण कला में पारंगत होने की 4 तकनीक (4 Techniques to Become Proficient in Speech):

  • विद्यार्थियों के लिए भाषण करने की 4 टाॅप तकनीक (4 Top Speech Techniques for Students) के आधार पर आप जान सकेंगे कि आपके लिए भाषण करना कितना जरूरी है।अक्सर छात्र-छात्राओं को सांस्कृतिक कार्यक्रम में किसी विषय पर बोलने,किसी अतिथि का स्वागत करने,स्वतंत्रता दिवस,बाल दिवस,शिक्षक दिवस,गणतंत्र दिवस,विदाई (शिक्षक प्राचार्य आदि),जॉब इंटरव्यू आदि विभिन्न अवसरों पर भाषण करने की आवश्यकता पड़ती है।
  • अब जो छात्र-छात्रा भाषण करने में पारंगत होता है उसका भाषण श्रोता (छात्र-छात्राएं एवं लोग) सुनना पसंद करते हैं और जिस छात्र-छात्रा का भाषण ऊबाऊ,नीरस व बोझिल होता है उसके भाषण खत्म होने (श्रोता) का इंतजार करते हैं।
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2.भाषण करने का परिचय (Introduction to Speech):

  • जैसा कि उल्लेख किया जा चुका है कि छात्र-छात्राओं को विभिन्न अवसरों अधिवेशन,उत्सव,जयंती तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम में आदि में भाषण करना जरूरी होता है।कार्यक्रम जितना महत्त्वपूर्ण होता है अथवा व्यक्ति जिसके स्वागत में भाषण करना हो,जितना महत्त्वपूर्ण होता है उसके लिए भाषण करना उतना ही आवश्यक होता है।अब भाषण करने के लिए एकाएक यदि किसी छात्र-छात्रा और छात्र-छात्रा ही क्या,किसी से भी कहा जाए तो बगलें झांकने लगते हैं क्योंकि भाषण करने की पूर्व तैयारी नहीं की हुई होती है।
  • कुछ साहसी लोग कह सकते हैं कि इसमें क्या है? खड़े हो जाओ और आंख बंद करके कुछ भी कहना प्रारंभ कर दो।जैसा अवसर हो वैसी बात कह दो।वस्तुतः यह बात कहना आसान है,करना बहुत कठिन है।पहले तो एक छोटे या बड़े समूह के सामने खड़े होकर बोलना हरेक के बस की बात नहीं है,दूसरे यकायक भाषण करने लगना बहुत कठिन होता है और सबसे अधिक कठिन काम होता है अवसर के अनुकूल बात कहना।
  • समय पर अवसर के अनुकूल यकायक भाषण करने वाले वक्ता अथवा छात्र-छात्रा इने-गिने ही होते हैं।अन्यथा श्रेष्ठ भाषणकर्त्ता पहले से अपना भाषण तैयार करके जाते हैं।जैसे आप परीक्षा देने के लिए वर्षभर पूर्व तैयारी और अभ्यास करते हैं इसके बावजूद भी कई बार अपेक्षित प्रश्नपत्र नहीं आता है तो प्रश्नपत्र बिगड़ जाता है।फिर भी पूर्व तैयारी के आधार पर उसका आप संतोषजनक उत्तर दे पाते हैं।उसी प्रकार बिना तैयारी किए भाषण करने वाले छात्र-छात्रा और व्यक्ति स्वयं अपने आप को तथा अपने श्रोताओं एवं मित्रों को समान रूप से निराश करते हैं।
  • आप यकीन कीजिए-आज तक जितने भी श्रेष्ठ वक्ता तथा भाषणकर्त्ता हुए हैं,वे सब अपने भाषण के लिए तैयारी करके जाते थे।यदि किसी छात्र-छात्रा को 15-20 मिनट का भाषण करना है तो उसे कम से कम एक सप्ताह तक पूर्वाभ्यास करने की जरूरत है,क्योंकि किसी बात को संक्षिप्त और सारगर्भित रूप में कहना आसान नहीं होता है।अगर आप बिना रोक-टोक,बिना किसी अवधि के,चाहे जितनी देर तक बोलते रहें तो बिना किसी पूर्व सूचना के बोल सकते हैं।तात्पर्य यही है कि थोड़े से शब्दों में मतलब की बात कहने के लिए ठोस-विचार भी चाहिए तथा उनके मध्य एक तारतम्य भी चाहिए।इसके लिए चिंतन-मनन आवश्यक है।

3.भाषण करने में ध्यान रखने वाली बातें (Things to keep in mind while speaking):

  • आपने अनेक व्यक्तियों को देखा होगा,जो अवसर उपस्थित होने पर तुरंत भाषण करने लगते हैं और अच्छा भाषण करते हैं।परंतु ऐसा काफी समय तक अभ्यस्त हो जाने के बाद ही संभव होता है।इसमें दो मत नहीं कि जो व्यक्ति भाषण करना आरंभ कर रहा है अथवा भाषण की कला में पारंगत होना चाहता है,उसको पूरी तैयारी के साथ ही शुभारंभ करना चाहिए।अन्यथा यकायक मंच पर जाकर खड़े हो जाने के उपरान्त भाषणकर्त्ता को अंधकार में टटोलना पड़ता है और वह उपयुक्त भाषण नहीं कर पाता।जो लोग बहुश्रुत होते हैं,जिनका अध्ययन विस्तृत होता है तथा जिनको उत्तम स्मरण शक्ति का वरदान प्राप्त होता है,उनकी बात भिन्न है।वे तो एक तरह से भाषण करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं,उन्हें तो अपने विचारों को केवल व्यवस्थित करना होता है,परंतु प्रत्येक व्यक्ति को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं होता है।
  • प्रायः होता यह है कि कुछ समय पूर्व व्यक्ति से कह दिया जाता है कि अमुक अवसर पर आपको ‘दो शब्द’ कहने हैं।वह व्यक्ति यदि अपने भाषण के संदर्भ में श्रोताओं से आदर-सम्मान पाने की इच्छा रखता है,तो यही उचित है कि वह अपना भाषण तैयार कर ले।तैयार करने का अर्थ लिखकर रटना नहीं होता है,तैयार करने का मतलब होता है अपने मस्तिष्क में अपने भाषण की सुनिश्चित रूपरेखा बना लेना।
  • किसी भी भाषण की सफलता प्रायः दो बातों पर निर्भर रहती है:(1.)संबंधित विषय की पूरी जानकारी अर्थात् विषय पर अधिकार तथा (2.)अपनी बात को,अपने ज्ञान को स्पष्ट एवं सशक्त भाषा में व्यक्त करने की क्षमता।जिस वक्ता में ये दोनों गुण होते हैं,उसका भाषण श्रोताओं और स्वयं वक्ता के लिए सुखदायी होता है।
  • कुछ व्यक्ति यह कहते हुए सुने जाते हैं कि उन्हें भाषणबाजी पसंद नहीं है,वे भाषण देने से कोसों दूर भागते हैं,परंतु उनके मन में यह इच्छा छिपी रहती है कि कोई उनसे भाषण करने के लिए कहे और निवेदन किए जाने पर वे लोग भाषण करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं,तब क्या यह उचित नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति भाषण करने के लिए हमेशा तैयार रहे? और यह तभी संभव है जब व्यक्ति विभिन्न अवसरों के अनुरूप भाषण तैयार करता रहे अथवा अपने में उनकी रुपरेखा तैयार करता रहे।
  • व्याख्यान का प्रारंभिक वाक्य ऐसा हो जो श्रोताओं को रुचिकर लगे तथा उनके मन को उत्साहित भी कर दे।वक्ता इस कार्य को कई प्रकार से कर सकता है-वह पूर्व घटित घटनाक्रम के संदर्भ में कोई चुटीली बात कह दे,विषय से संबंधित कोई रोचक कथा सुना दे अथवा एक वाक्य में अपने भाषण का सारांश कह दे।श्रोता प्रायः कोई हंसाने वाली बात सुनना चाहते हैं,परंतु वक्ता को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह हंसी की ऐसी बात कहे जो उसके भाषण या व्याख्यान को गति प्रदान करने वाली हो।केवल मजाक या मसखरी करना उचित नहीं होता है।
  • भाषण में अपेक्षित अन्य विशेषता यह मानी जाती है कि वह छोटा,संक्षिप्त हो।मुख्य वक्ता या मुख्य अतिथि का भाषण कुछ लंबा भले ही हो,परंतु अन्य किसी सामान्य वक्ता को सात-आठ मिनट से अधिक समय तक किसी भी हालत में नहीं बोलना चाहिए।यदि आप किसी वक्ता का परिचय दे रहे हैं,तो आपको समझ लेना चाहिए कि श्रोता वक्ता को सुनना चाहते हैं,ना कि आपको।यदि आप अनेक वक्ताओं में से एक वक्ता हैं,तो समझ लीजिए कि अन्य वक्ताओं को भी बोलने के लिए समय चाहिए।
  • तीसरी बात यह है कि भाषण के मध्य में वक्ता यदि कोई किस्सा कहानी सुनाता है अथवा कोई कविता उद्धृत करता है,तो वह उसे बिल्कुल ठीक एवं सही रूप में याद होनी चाहिए।गलत या अधूरी कहानी श्रोताओं के मन में बेचैनी तथा वक्ता के लिए परेशानी पैदा करने वाली होती है।
  • चौथी बात ध्यान में रखने की यह है कि वक्ता को कोई बात कहने के पहले यह देख लेना चाहिए कि वह किस प्रकार के श्रोताओं के मध्य भाषण कर रहा है।एक प्रकार के श्रोता जिस बात को पसंद करते हैं उसी बात को दूसरे प्रकार के श्रोता रुचिकर नहीं समझें,यह भी संभव है।यह बात भाषण के भाव पक्ष के अतिरिक्त श्रोताओं के संबंध में भी ध्यान रखनी चाहिए।

4.नए वक्ताओं के लिए सुझाव (Tips for new speakers):

  • एक बार सफाईकर्मियों के संगठन ने एक आयोजन रखा।एक संत को सफाईकर्मियों ने उन्हें आमंत्रित किया।संत ने भाषण करते हुए कहा कि साथियों। संबोधन असंगत था,चारों ओर हंसी की लहर दौड़ गई।उन्होंने दोबारा संबोधित किया मेरे प्यारे सफाईकर्मियों,उनके इस संबंध से सभी प्रसन्न हुए कहने की आवश्यकता नहीं है कि उन संत को पहले संबोधन में तत्काल सुधार करते हुए दुबारा सटीक संबोधन किया और उनका भाषण सफल हो गया।उन्होंने दोबारा जो संबोधन किया वह स्वभाविक प्रतीत हुआ और उनके संबोधन से रोचकता प्रदान करके सफाई कर्मियों की सद्भावना प्राप्त करने में सफल हुआ।
  • सारांश यह है कि भाषण करते समय short and sweet अर्थात् संक्षिप्त एवं मधुर-वाले सिद्धांत का स्मरण रखना चाहिए।जो कुछ भी कहना है-संबंधित कहानी,मजाक,धन्यवाद-ज्ञापन आदि,सब कुछ कम से कम शब्दों में कहकर अपनी बात समाप्त कर देनी चाहिए।भाषण समाप्ति पर श्रोताओं के मध्य यदि यह भावना बनी रहे कि “थोड़ी देर और बोलते”, तब तो भाषण सफल माना जाएगा।परंतु यदि भाषण के मध्य इस प्रकार की घुस-फुस होने लगे कि “कब खत्म करेंगे”,अथवा भाषण की समाप्ति पर श्रोताओं के मध्य इस प्रकार की प्रतिक्रियाओं हो कि “चलो छुट्टी हो गई,बहुत बोर किया”,तो स्पष्ट है कि भाषण असफल मान जाएगा।अतृप्ति सौंदर्य की पहचान है।यह बात भाषण पर जितनी लागू होती है,उतनी अन्यत्र बहुत कम लागू होती है।
  • नए वक्ताओं को निम्न सुझावों का पालन करना चाहिए: जिस भी विषय पर बोलना हो-पूर्व तैयारी के बिना भाषण प्रभावशाली नहीं होता।प्रश्न है तैयारी कैसे करें?
  • (1.)सर्वप्रथम अगर,वाद-विवाद प्रतियोगिता हो तो वैसा ही विषय चुनें जो आपकी पूर्व मान्यताओं से मेल खाते हों या जिनके विषय आपके अंदर से पसंद हों।
  • (2.)फिर विषय से संबद्ध तथ्यों का संग्रह करें।स्रोत निम्नलिखित हो सकते हैं:विषय से संबंधित पुस्तकें-जो पुस्तकालयों से प्राप्त हो सकती हैं।समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएं तथा प्रतिष्ठित वेबसाइट्स तथा यूट्यूब चैनल आदि।मित्रों से बातचीत-इसकी विधि यह है कि बातचीत के क्रम में ही आप विषय के बीच में चर्चा ऐसे करें-जैसे यह स्वाभाविक संदर्भ से ही आ गया हो।पुनः मित्रों की राय सुनें और अपनी राय को पुष्ट करें।इससे आपके विचारों को बल मिलेगा और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • (3.)फिर विभिन्न स्रोतों से प्राप्त विचारों का अच्छी तरह से अध्ययन करें,देखें और उनसे मुख्य विचारों को एक कार्ड पर,पेपर पर अंकित करें-उनकी क्रमबद्धता अभी आवश्यक नहीं।
  • (4.)फिर उन्हें एक कार्ड पर,पेपर पर क्रमबद्ध रूप से,जो तर्क के आधार पर सही हो,लिखें।उदाहरण के रूप में विषय है:गणित शिक्षा क्यों और कैसे?
  • अनिर्धारित कार्ड:गणित का हमारे जीवन में स्थान,गणित का इतिहास,प्राचीन युग,आधुनिक युग में गणित का विकास,महान गणितज्ञों के प्रेरक प्रसंग,आर्किमिडीज,कार्ल फ्रेडरिक गाउस,आर्यभट,न्यूटन,भास्कराचार्य द्वितीय,गणित का छात्र-छात्राओं को फोबिया होने के कारण,गणित को रोचक बनाने के तरीके,गणित अध्यापक का दायित्व,गणित को जनसामान्य में लोकप्रिय बनाने के तरीके,गणित विषय की भविष्य में भूमिका।
  • फिर इसे क्रमबद्ध रूप से सजाएँ:गणित का विकास प्राचीन काल और आधुनिक युग में।महान गणितज्ञों का गणित के विकास में योगदान और बलिदान।प्राचीन गणितज्ञों आर्किमिडीज,गणितज्ञा हाइपेटिया,आर्यभट व भास्कराचार्य का गणित के विकास में योगदान।आधुनिक गणितज्ञों अल्बर्ट आइंस्टीन,कार्ल फ्रेडरिक गाउस,न्यूटन का गणित के विकास में योगदान।गणित फोबिया होने के कारण और निवारण।गणित शिक्षक द्वारा छात्र-छात्राओं में गणित को रोचक व लोकप्रिय बनाने के तरीके।जन सामान्य में गणित को लोकप्रिय बनाने के उपाय।गणित विषय का भविष्य बनाने में योगदान।
  • चिन्तन-मनन के पश्चात विषय को क्रमबद्ध रूप से सजा लें और बोलने का अभ्यास किसी एकांत स्थल में करें।मोबाइल में किए गए अभ्यास को रिकॉर्ड करके,उसे स्वयं सुनें।जहाँ कहीं त्रुटि दिखाई दे,उसमें सुधार करके पुनः बोलें।अच्छी तरह अभ्यास कर लें।
  • मंच पर जाने से पूर्व एक क्यू कार्ड में मूल बिंदुओं को नोट कर लें और अपने साथ अवश्य ले जाएं।क्यू कार्ड (पोस्टकार्ड साइज से बड़ा ना हो) पर अंकित करें:गणित का इतिहास और गणित का मानव प्रगति में योगदान,महान गणितज्ञों का योगदान और बलिदान।गणित शिक्षा से लाभ।गणित शिक्षा का भविष्य संवारने में योगदान।गणित विषय को रोचक बनाने के तरीके।गणित शिक्षक की भूमिका।
  • विषय का गहन और रुचिपूर्वक अध्ययन करने तथा बार-बार अभ्यास करने से बोलने में झिझक खत्म होती है।अपने मित्रों,सहपाठियों से चर्चा करके अपनी झिझक,संशय को खत्म कर सकते हैं।अपने आप पर भरपूर आत्मविश्वास रखें।यदि भाषण के दौरान कोई त्रुटि हो जाए तो अगले भाषण में उस त्रुटि को न दोहराये।किसी तकियाकलाम की आदत पड़ी हुई है तो उसे छोड़ दें।इस क्यू कार्ड को पोडियम में छुपाकर रखें और आवश्यकतावश कभी-कभी देख लें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में विद्यार्थियों के लिए भाषण करने की 4 टाॅप तकनीक (4 Top Speech Techniques for Students),भाषण कला में पारंगत होने की 4 तकनीक (4 Techniques to Become Proficient in Speech) के बारे में बताया गया है।

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5.परीक्षा में नकल करने की तकनीक (हास्य-व्यंग्य) (Exam Cheating Techniques) (Humour-Satire):

  • तीन छात्र आपस में बात कर रहे थे।
  • पहला:परीक्षा में नकल सबसे पहले मैं करूंगा।
  • दूसरा:कॉलेज परीक्षा में सबसे पहले मैं नकल करूंगा।
  • तीसरा:कंपिटीशन परीक्षा में सबसे पहले मैं नकल करूंगा।
  • यह सुनकर दोनों छात्र हँसने लगे।बोले बेवकूफ कंपिटीशन में इतनी पाबंदी रहती है,मोबाइल नहीं ले जाने देते।पकड़े जाओगे।
  • तीसरा:बेवकूफ मैं नहीं तुम हो।हम दिन में परीक्षा देने ही नहीं जाएंगे हम तो रात में परीक्षा देने जाएंगे।

6.विद्यार्थियों के लिए भाषण करने की 4 टाॅप तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 4 Top Speech Techniques for Students),भाषण कला में पारंगत होने की 4 तकनीक (4 Techniques to Become Proficient in Speech) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.भाषण का क्या महत्त्व है? (What is the importance of making a speech?):

उत्तर:भाषण शक्ति है,भाषण कायल करने,मत बदलने एवं बाध्य करने के लिए है।परंतु छपा हुआ भाषण मुरझाये हुए पुष्प के समान है जिसमें सार तो है लेकिन रंग उड़ा हुआ है और सुगंध चली गई है।इसलिए भाषण अपनी अंतरात्मा से निकला हुआ होना चाहिए।

प्रश्न:2.क्या भाषण अलंकारिक होना चाहिए? (Should speech be rhetorical?):

उत्तर:श्रोताओं की योग्यता,मनःस्थिति को समझकर भाषण करना चाहिए।श्रोताओं की अवस्था का भी ध्यान रखकर भाषण करना चाहिए।जैसे छोटे बच्चों के बीच भाषण करना है तो वहाँ विद्वतापूर्ण,अलंकारिक व क्लिष्ट भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए बल्कि सुबोध,सरल सहज व समझने योग्य भाषा का प्रयोग करके भाषण करना चाहिए।

प्रश्न:3.क्या बुद्धिमान लोगों के सामने उपदेश नहीं करना चाहिए? (Shouldn’t we preach before wise men?):

उत्तर:अपने से बड़ों,अपने से वरिष्ठजनों,विद्वानों,बुद्धिमानों को उपदेश नहीं देना चाहिए बल्कि उनके आचरण से सीखना चाहिए,उनसे उपदेश ग्रहण करना चाहिए।बुद्धिमान लोगों के सामने उपदेशपूर्ण व्याख्यान देना जीवित पौधों को पानी देने के समान है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा विद्यार्थियों के लिए भाषण करने की 4 टाॅप तकनीक (4 Top Speech Techniques for Students),भाषण कला में पारंगत होने की 4 तकनीक (4 Techniques to Become Proficient in Speech) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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