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4 Tips for Students Prepare Exams

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1.छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की तैयारी हेतु 4 टिप्स (4 Tips for Students Prepare Exams),परीक्षा की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Exam?):

  • छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की तैयारी हेतु 4 टिप्स (4 Tips for Students Prepare Exams) के आधार पर आप अपनी तैयारी को श्रेष्ठ तरीके से अंजाम दे सकते हैं।अब अर्द्ववार्षिक परीक्षाएँ होने जा रही हैं। सामान्यतया इस परीक्षा में अक्सर 80% से 100% पाठ्यक्रम से सवाल पूछे जाते हैं।अतः छात्र-छात्राओं को अर्द्धवार्षिक परीक्षा को हल्के में नहीं लेना चाहिए।अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बहाने वार्षिक परीक्षा की अच्छी तैयारी हो जाती है।
  • दिसंबर के बाद वार्षिक परीक्षा की तैयारी हेतु रिवीजन,रिहर्सल (पूर्वाभ्यास) करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।छात्र-छात्राएं मॉक टेस्ट,मॉडल पेपर्स को हल करके अपनी परफॉर्मेंस को बढ़ा सकते हैं।
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2.परीक्षा छात्र-छात्राओं का सबसे कठिन दौर (The Toughest Phase for Exam Students):

  • समय आ गया है,बच्चों की परीक्षाओं का।प्रत्येक बच्चा पढ़ाई में जुटा हुआ है।जिधर देखो घर के सदस्य बच्चे को टोकते हुए दिख जाते हैं कि ‘बेटा पढ़ लो।नहीं तो नंबर कम आएंगे;कहीं फेल न हो जाना।अच्छे नंबर नहीं लाओगे तो अच्छे स्कूल में दाखिला नहीं मिलेगा अथवा श्रेणी अच्छी नहीं आएगी।वगैरह-वगैरह।’ इतनी टोकाटोकी से बच्चे भी परीक्षाओं से बुरी तरह घबराने लगते हैं।जो बच्चे नहीं घबराते हैं,वह वे बच्चे होते हैं,जिनकी पढ़ाई में पूरी तैयारी रहती है।
  • परीक्षा के दिनों में ज्यादातर बच्चों को परीक्षा का तनाव बना रहता है,साथ ही घर के सदस्यों को भी।माता-पिता बच्चों को पढ़ाने में पूरा ध्यान लगा देते हैं।उनके दिमाग में यही रहता है कि इसी तरह उनके बच्चों को अच्छे नंबर मिल जाए।परंतु जिन बच्चों ने साल भर ढंग से पढ़ाई नहीं की हो,वह पढ़ने में इस समय भी बिल्कुल मन नहीं लगाते हैं।उन्हें यह पढ़ाई बोझ लगने लगती है।वह इतना ही पढ़ना चाहते हैं,जितना पढ़कर वह पास हो सकें,लेकिन क्या सालभर की पढ़ाई मात्र परीक्षा के दिनों में तैयार की जा सकती है; यह मुमकिन नहीं है।
  • परीक्षाएं छोटी कक्षा की हों अथवा बड़ी कक्षा की; परीक्षा के दिनों का दौर काफी कठिन रहता है।बच्चों के मन में परीक्षा का भय हमेशा बना रहता है कि न जाने कल कैसा पेपर आएगा।क्या वह अच्छा कर पाएगा? ज्यादातर बच्चे चाहते हैं कि परीक्षा के दिनों में उनके साथ कोई घर का सदस्य तैयारी करवाने वाला रहे,मेहनत तो वह कर ही लेंगे।
  • बच्चों का लक्ष्य अच्छे नंबर लाने का रहता है,लेकिन इसमें कुछ ही बच्चे सफल हो पाते हैं।समय के साथ-साथ बच्चों पर पढ़ाई का जोर बढ़ता जा रहा है।आखिर वह कितना पढ़े।उनके लिए थोड़ा खेलना भी आवश्यक है।परंतु परीक्षा के दिनों में खेलना भी बंद हो जाता है।इससे बच्चों को तनाव नहीं होगा,तो क्या होगा।उस पर माता-पिता की डांट,पढ़ो-पढ़ों,परीक्षाएं सिर पर हैं।अमुख बच्चा कितना पढ़ रहा है,आदि-आदि।
  • खासतौर पर अर्द्धवार्षिक-वार्षिक परीक्षा शुरू होने के पहले से ही बच्चे गर्मियों की छुट्टियां कहां,कब और कैसे बिताएंगे का कार्यक्रम बना डालते हैं।क्योंकि उन्होंने सालभर मेहनत से पढ़ा है,परीक्षा की पूरी तैयारी कर ली है।उन्हें क्या भय!
    लेकिन जिन बच्चों की अच्छे से तैयारी नहीं होती है,वह तो परीक्षा के बीच में प्रत्येक विषय में कितना समय खाली मिला है,वही गिनते हैं।उनका सोचना रहता है कि शायद इन खाली दिनों में थोड़ा ओर पढ़ने को मिल जाएगा और जिस दिन बच्चे की परीक्षाएं शुरू हो जाती हैं,उस दिन से घर के सदस्यों में तनाव तब तक रहता है,जब तक की बच्चा परीक्षा देकर लौटकर यह नहीं बताता है कि उसका पेपर अच्छा हुआ।बच्चे से पेपर लेकर तुरंत पूछने लगना कि इस प्रश्न में क्या लिखा,क्या गलत,क्या सही आदि।बस यही प्रक्रिया देखने को मिलती है।

3.माता-पिता बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दें (Parents Should Pay Attention to Children’s Education):

  • परीक्षाएं शुरू हो गई है।घर-घर पढ़ाई का माहौल है।बच्चों के लिए यह कठिन समय है।सभी बच्चे पढ़ रहे हैं।कुछ का मन पढ़ाई में लग रहा है,तो कुछ का नहीं।कुछ माँ से पढ़ने को कह रहे हैं,तो कुछ ट्यूशन पर निर्भर हैं।पढ़ाई ना होगी तो बच्चे को अगला क्लास कहां से मिलेगा।
  • बच्चों से ज्यादा माता-पिता को तनाव रहता है।बच्चा चाहे कक्षा एक में पढ़ता हो या दस में।माता-पिता को तब तक आशंका बनी रहती है,जब तक कि वह पास ना हो जाए।साल खराब होने से बच्चे के कैरियर पर असर पड़ेगा,लेकिन बच्चों को इसकी चिंता केवल परीक्षाओं के समय ही रहती है।बाकी समय खेल-खेलकर बिता देते हैं।
  • बच्चों को पढ़ाई में ध्यान देना आवश्यक है,लेकिन कितने बच्चे इस ओर ध्यान देते हैं,यह कहना मुश्किल है।बाल मन खेलने की तरफ ज्यादा आकर्षित होता है और पढ़ने की तरफ कम।जब बच्चा पढ़ा ही ढ़ंग से नहीं होगा,तब वह परीक्षाओं के समय बेहद घबराएगा।यह समस्या घर-घर की है।परीक्षाएं बच्चों के लिए सिर्फ नाम की होती है।
  • असली मायने में परीक्षा तो माता-पिता की होती है।माँ भी बच्चे को पढ़ाने में जुटी हुई है,पिता भी और घर के अन्य सदस्य भी।इस पर भी अगर बच्चे का मन पढ़ने में लग गया,तब तो ठीक है वरना भगवान ही मालिक है।
  • बच्चे तो बस अनोखे स्वभाव वाले होते हैं।उन्हें साथ बैठकर पढ़ाना अति आवश्यक होता है,नहीं तो वह स्वयं जल्दी नहीं बैठेंगे।परीक्षाओं के समय बच्चे को क्यों कुछ नहीं आता है? क्यों उसकी पढ़ाई पर किसी का ध्यान नहीं गया तो भला वह क्या करे? होता यूं है कि माता-पिता जब बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते,तभी बच्चे कमजोर हो जाते हैं।उनका मन पढ़ाई से उचट जाता है या फिर वह सोचता है कि अभी तो परीक्षा शुरू होने में बहुत दिन बाकी हैं,पढ़ लेंगे।ऐसा ही सोचते-सोचते परीक्षा की घड़ी नजदीक आ जाती है और तब बच्चों के माता-पिता भी बच्चों को देख-देखकर घबराते रहते हैं कि न जाने मेरे बच्चे का पेपर कैसा होगा।
  • बच्चों का पढ़ाई पर ध्यान न देने के दो ही कारण होते हैं या तो उन पर ध्यान नहीं दिया गया होगा या फिर घर में स्वस्थ माहौल का न होना।दिन प्रतिदिन घर में तनाव रहना भी बच्चे की पढ़ाई में बाधा पहुंचाते हैं।अगर माता-पिता को समय नहीं मिल पाता है की बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दें तो भी बच्चे बिगड़ जाते हैं और फिर वह पढ़ाई की तरफ कम ध्यान दे पाते हैं।
  • बच्चों को पढ़ाई के दौरान अनेक समस्याओं से गुजरना पड़ता है,जैसे कोई विषय समझ में नहीं आ रहा है या कोई सवाल नहीं हो रहा है अथवा अन्य बच्चों के साथ लड़ाई या पेंसिल टूट गई,रबर खो गया,वगैरह-वगैरह।जब बच्चे देखते हैं कि उन पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है तो वह बिगड़ जाते हैं,पढ़ाई में ध्यान नहीं देते हैं,उनका ध्यान तो 2 मिनट के बाद कहीं ओर दौड़ने लगता है।
  • तब परेशान होकर माता-पिता बच्चों को डांटते हैं और कहते रहते हैं कि इतना शैतान बच्चा तो हमने कहीं देखा ही नहीं है।पढ़ने में तो जरा भी मन नहीं लगता है।बस,जब देखो सिर्फ खेलेगा या फिर अन्य बच्चों के साथ इधर-उधर घूमता रहेगा।इसे तो अपनी पढ़ाई की बिल्कुल चिंता ही नहीं रहती है।बच्चों को क्या,खाया-पिया,खेला और सो गए निश्चिंत होकर,उन्हें जब तक आप स्वयं पढ़ने को नहीं कहेंगी,वह पढ़ने नहीं बैठेंगे।
  • अगर बच्चों को शुरू से ही पढ़ाएं,स्कूल से आने के बाद बच्चों को खाने को दें,फिर अगर बच्चे का मन थोड़ा सोने को है,तो उसे आधे-एक घंटे के लिए सुला दें।इसके बाद जब बच्चा सोकर उठे तो तब उससे स्कूल में क्या पढ़ाई हुई,उसे क्या होमवर्क मिला,उसे किस विषय में क्या नहीं समझ में आया,वगैरा-वगैरा अवश्य पूछना चाहिए।इससे बच्चे का पढ़ने में मन लगेगा और उसे परीक्षा के समय जरा भी परेशानी नहीं होगी।उसकी सब तैयारी रहेगी।माता-पिता को भी निश्चिंतता रहेगी।परंतु ऐसा कम ही होता है।
  • माता-पिता की व्यस्तता के चलते वह नित्य बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते या फिर ट्यूशन लगवा देते हैं,परंतु ट्यूशन के बावजूद बच्चों को देखना भी अत्यंत जरूरी है कि बच्चा ट्यूशन के बावजूद पढ़ने में कैसा जा रहा है,पढ़ाई में कमजोर तो नहीं हो रहा है।कभी-कभी ऐसा होता है कि बच्चे ट्यूशन के विषय में तो तेज हो जाते हैं,बाकी विषय में कमजोर।ऐसे में जरूरी है,कि माता-पिता बच्चों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान दें।उसकी समस्याओं का निदान करें।
  • बच्चों की समस्याओं को अनदेखी न करें।वरना उनका भविष्य उज्ज्वल बनने की बजाय अंधकार में डूब जाएगा। बच्चे जब भी परीक्षा देने जाएं,उनकी परीक्षा स्कीम अवश्य देखें।उसके अनुसार उनके विषय की तैयारी अवश्य कराएं।ताकि वह सही ढंग से परीक्षा दे सकें।इसके साथ ही परीक्षा देने जाने से पहले बच्चे से यह अवश्य पूछे कि उसे किसी प्रकार की परेशानी तो नहीं है।उसे स्नान कराकर साफ-सुथरा बनकर स्कूल जाने को कहें।इससे बच्चा प्रसन्न मन से परीक्षा दे सकेगा और पेपर सोच-समझकर हल करेगा।
  • इसके अतिरिक्त बच्चे के परीक्षा में जाने के समय उसके बॉक्स में यह अवश्य देखें की रबर,पेंसिल,पेन,शॉपनर एवं अन्य आवश्यक सामान है कि नहीं।अगर इनमें से कोई भी सामान छूटा तो बच्चे को पेपर देने में परेशानी होगी।अगर बच्चों को परीक्षा के समय पूरा सहयोग नहीं मिला तो वे घबरा जाते हैं।वैसे भी परीक्षा के समय बच्चे ज्यादा भयभीत रहते हैं।उन्हें प्रोत्साहन दे।शुभकामनाएं दें।तभी बच्चे प्रसन्न मन से परीक्षा दे सकेंगे और अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हो सकेंगे।
  • बच्चों की परीक्षा के समय पूरा सहयोग दें।इसके अतिरिक्त पूरे साल बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान रखें।तभी बच्चे अच्छे नंबरों से पास हो सकेंगे अन्यथा किसी भी प्रकार की कमी होने पर यही कहेंगे कि अब मैं क्या करूं।मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है।इसलिए बच्चों के लिए परीक्षा को आफत न बनने दें।

4.गणित से डरे नहीं (Don’t Be Afraid of Math):

  • गणित का नाम सुनते ही छात्र-छात्राएं भय खाते हैं।लेकिन यदि गणित को नियमित पढ़ा जाए और अभ्यास किया जाए तो यह विषय इतना रुचिकर हो जाता है कि विद्यार्थी इसमें रम जाते हैं और अच्छे अंक अर्जित कर पाते हैं।
  • परीक्षा के लिए गणित के सूत्रों को याद करें और इसके सवालों का अभ्यास करें।गणित पर पकड़ बनाने के लिए सूत्रों को समझना,याद करना व सवालों को समझकर अभ्यास करना आवश्यक है।गणित को अन्य विषयों की तरह रटकर अच्छे अंक अर्जित नहीं किये जा सकते हैं।
  • वस्तुतः विद्यार्थी दसवीं-12वीं तक पहुंच जाते हैं तब भी बेसिक बातों की जानकारी नहीं रखते हैं।अक्सर वे दशमलव के गुणा,भाग,भिन्नों के जोड़,बाकी आदि में भी गलतियां करते हुए देखे जाते हैं।अतः उन्हें अपनी बेसिक (मूलभूत) कमजोरियों को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।
  • अक्सर विद्यार्थियों को यह मुगालता रहता है कि ये सब चीज तो उन्हें आती है और कक्षा पांचवी तक सीखा ही है अतः इन सबको अब 10वीं-12वीं कक्षा में करने की क्या आवश्यकता है? परंतु कमजोरी कितनी भी छोटी हो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और उसको दूर करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
  • हो सके तो गणित के सूत्रों को एक छोटी नोटबुक में लिख लेना चाहिए और अपनी पॉकेट में रखना चाहिए तथा जब भी खाली समय हो तो उन्हें देखते रहना चाहिए ताकि सूत्रों को याद रखा जा सके।गणित में इस सूत्र को याद रखें की “याद है तो आबाद है और भूल गए तो बर्बाद है”।
  • जो प्रश्नावली अधिक अंकों की हो उस पर विशेष ध्यान दें।साथ ही सवालों को हल करने का जो पैटर्न है वही अपनाएं क्योंकि संक्षिप्त में सवाल करने से मार्किंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • परीक्षा के दिन पूरी प्रश्नावली को हल करने का समय नहीं होता है अतः या तो मॉडल पेपर्स को हल करना चाहिए या हर तरीके के एक-दो सवाल और महत्त्वपूर्ण सवालों को हल करें जिससे कम समय में पूरी पुस्तक के पाठ्यक्रम को कवर किया जा सके।ज्यादा अच्छा है स्वयं के बने हुए नोट्स को पढ़ना और मॉडल पेपर को सॉल्व करना।
  • मॉडल पेपर्स को हल करने पर प्रश्नों को हल करने की गति बढ़ती है और एक्यूरेसी में भी फायदा मिलता है।रिवीजन व पूर्वाभ्यास करते रहने से गलतियां कम होने के साथ दिए गए समय में पूरा प्रश्न पत्र आत्मविश्वास के साथ हल किया जा सकता है।
  • परीक्षा हाल में प्रश्न पत्र में कठिन सवालों को देखकर नहीं घबराना चाहिए।पहले जो आसान सवाल हों उन्हें हल करने के बाद कठिन सवालों को हल करना चाहिए।गणित में सही उत्तर लिखने से ही पूरे अंक प्राप्त नहीं हो जाते हैं बल्कि सवाल को हल करने में पूरी स्टेप्स को भी फॉलो करना चाहिए।
  • सभी स्टेप्स लिखने के दौरान प्लस,माइनस,दशमलव और यूनिट्स को लिखने में पूर्ण सावधानी बरते।जरा सी चूक से सवाल गलत हो सकता है और आप सवाल में पूरे अंक प्राप्त करने से वंचित हो सकते हैं।
  • परीक्षक उत्तर पुस्तिका में आप द्वारा किए गए रफ वर्क पर भी नजर डाल लेता है कि परीक्षार्थी ने सवाल हल करने के लिए क्या मेथड प्रयोग किया है।इसलिए रफ वर्क में भी गणित के बेसिक्स का ध्यान रखना चाहिए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की तैयारी हेतु 4 टिप्स (4 Tips for Students Prepare Exams),परीक्षा की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Exam?) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:Top 4 Tips for Board Exam for Students

5.छात्राओं द्वारा शिक्षक की पिटाई (हास्य-व्यंग्य) (Teacher Beaten up by Students) (Humour-Satire):

  • सहेली ने विनिता से कहा,आज तो गजब हो गया। कोचिंग की छात्राएं आपके पति (शिक्षक) को कोचिंग के बाहर लाकर पीट रही हैं।
  • विनीता अपनी सहेली के साथ बालकनी में आई और चुपचाप तमाशा देखने लगी।
  • सहेली ने पूछा:आप मदद करने नहीं जाएंगी?
  • विनीता ने आराम से कहा!नहीं छात्राएं ही काफी हैं।

6.छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की तैयारी हेतु 4 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Tips for Students Prepare Exams),परीक्षा की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Exam?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.परीक्षा के लिए अध्ययन कैसे करें? (How to Study for the Exam?):

उत्तर:बीच-बीच में ब्रेक देकर पढ़ें।अपनी कमजोरियों को पहचानकर उन्हें दूर करने की कोशिश करें।अच्छा तो यह है कि एकांत में पढ़े और ऐसे कक्ष में पढ़े जिससे आपका ध्यान ना बंटे।पढ़ाई के लिए समय सारणी का पालन करें।अगर समय कम है तो नए टॉपिक को पढ़ने से बचे बल्कि जो पढ़ा हुआ है उसी का रिवीजन करें।बीच-बीच में बोरियत से बचने के लिए घूमें या भजन सुनें।आने वाले रिजल्ट व भविष्य की परवाह अभी से न करें।

प्रश्न:2.परीक्षा के दौरान तनाव से कैसे बचें? (How to Avoid Stress During Exams?):

उत्तर:परीक्षा के दौरान तनाव होना नेचुरल सी बात है।चाहे तैयारी बहुत अच्छी हो या इसमें कमी रह गई हो,थोड़ा बहुत टेंशन तो सभी छात्र-छात्राओं को रहता ही है।यह जरूरी भी है इससे तुम अपनी परफॉर्मेंस के प्रति सचेत रहते हो।हां,जरूरत से ज्यादा टेंशन ना होना चाहिए,इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।अपने आपको अध्ययन में व्यस्त रखना चाहिए।

प्रश्न:3.परीक्षा के भय से कैसे बचें? (How to Avoid the Fear of Exams?):

उत्तर:योग-प्राणायाम का अभ्यास करें।अपने मित्र के साथ बैठकर पढ़ाई करें।एक-दूसरे का सहयोग करें।परीक्षा भवन जैसा माहौल बनाकर उत्तर लिखने का अभ्यास करें।हेल्दी डाइट लें।चाय,काफी,जंक फूड से बचें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की तैयारी हेतु 4 टिप्स (4 Tips for Students Prepare Exams),परीक्षा की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Exam?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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