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4 Best Techniques to Increase Memory

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1.स्मरण शक्ति बढ़ाने की 4 बेहतरीन तकनीक (4 Best Techniques to Increase Memory),छात्र-छात्राएँ स्मरणशक्ति कैसे बढ़ायें? (How Increase Students Memory Power?):

  • स्मरण शक्ति बढ़ाने की 4 बेहतरीन तकनीक (4 Best Techniques to Increase Memory) के आधार पर आप जान सकेंगे कि स्मृति को कैसे बढ़ाएं,मेधा संपन्न कैसे बनें,अच्छी बातें तथा पाठ्यपुस्तक की विषयवस्तु को किस युक्ति से याद करें कि वो विस्मरण ना हो।
  • स्मरण शक्ति बढ़ाने के बारे में और भी लेख इस वेबसाइट पर पोस्ट किए हुए हैं तो उनसे भी स्मरण शक्ति बढ़ाने की युक्ति मिल सकेगी।इस लेख में नवीन,व्यावहारिक तथा बेहतरीन विषय-सामग्री पढ़ने को मिलेगी जिसके आधार पर आप स्मरण शक्ति को बढ़ा सकेंगे।
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2.स्मरण शक्ति बढ़ाने का परिचय (Introduction to Memory Enhancement):

  • विद्यार्थी के लिए पाठ को याद रखना,विषय-वस्तु को याद रखना,महत्त्वपूर्ण व अच्छी बातों को याद रखना और व्यावहारिक व जीवनोपयोगी बातों को याद रखना उनके लिए विशेष महत्त्वपूर्ण है।स्मरण शक्ति,बुद्धि बल के कारण ही विद्यार्थी तथा मानव अन्य प्राणियों से भिन्न है।कुछ विद्यार्थियों तथा लोगों में अद्भुत स्मरण शक्ति होती है,जबकि कुछ विद्यार्थियों को भूलने की बीमारी होती है।बेकार,फालतू,अनुपयोगी,वाहियात बातें,कूड़ा करकट को भूलना तो सही है और यह अद्भुत शक्ति हमें प्रकृति ने दी है कि हमें भूलना भी चाहिए।परंतु अच्छी,व्यावहारिक,पाठ्य-पुस्तक की विषयवस्तु,जीवनोपयोगी बातों को भूलना हानिकारक है,उन्हें याद रखना ही चाहिए।
  • कई व्यक्तियों को एक नहीं अनेक ग्रंथ,पुस्तकें कंठस्थ होती हैं,कई विद्यार्थी तथा लोग अपने बचपन की एक-एक गतिविधि के बारे में इस प्रकार बता देते हैं जैसे वह घटना आज ही घटित हुई हो।कई लोगों को अपनी ही नहीं बल्कि दूसरे लोगों की बातें भी याद रहती है और दूसरे लोग स्वयं के बारे में उन बातों को पूछा करते हैं।कई लोगों को फोन नंबर एक नहीं अनेक नंबर ऐसे याद रहते हैं कि पलक झपकते ही बता देते हैं।कई लोगों को कठिन से कठिन तथ्य,आँकड़े कंठस्थ रहते हैं और वे बिना क्षण गँवाये हूबहू बता देते हैं।
  • भारत की ह्यूमन कंप्यूटर शकुंतला देवी का नाम तो आप सबने सुना होगा कि वे पलक झपकते ही बड़ी से बड़ी गणनाएं कर देती थी,उतने समय में कंप्यूटर भी नहीं कर पाता था।इसी प्रकार प्रियांशी व ग्रंथ ठक्कर छोटी सी अवस्था में ही विलक्षण स्मृति और मेधाबुद्धि से संपन्न थे।और भी अनेक ऐसे उदाहरण दिए जा सकते हैं जिनमें प्रखर स्मृति जन्मजात रूप से पाई जाती है एवं वह इतनी तीक्ष्ण होती है कि दूसरे लोग चमत्कृत होते और अवाक् रह जाते हैं।
  • इतने पर भी यह नहीं समझा जाना चाहिए कि स्मरण रखने की विशिष्ट क्षमता कोई देवी वरदान या जन्मजात सौभाग्य प्राप्त होता है।हो सकता है,किन्हीं विरलों को यह अनायास ही प्राप्त हो गई हो,परंतु वह अन्य शारीरिक क्षमताओं के सदृश्य एक ऐसी सामर्थ्य है,जिसे प्रयत्नपूर्वक आसानी से बढ़ाया जा सकता है।जिस बात पर अधिक ध्यान दिया जाता है,वह स्वभावतः विकसित होने लगती है और जिसकी उपेक्षा की जाती है,उसका घटना (कम होना) भी सुनिश्चित है।
  • प्राचीन समय में तो स्मरण शक्ति को अत्यधिक महत्त्व दिया जाता था।आज की तरह किताबें नहीं हुआ करती थीं।समस्त शिक्षा मौखिक रूप में दी जाती थी।यही कारण है कि वेद मंत्रों को श्रुति और शास्त्र संहिताओं को स्मृति कहा जाता था।श्रुति और स्मृति केवल पुस्तकों तक ही सीमित नहीं रहती थी,बल्कि इसे कंठस्थ करके व्यक्ति इसे अपनी स्मृति का स्थायी अंग बना लिया करते थे।आज की आधुनिक शिक्षा में पाठ को कंठस्थ करने पर उतना जोर नहीं दिया जाता।इसलिए इसे तोता रटंत कहकर इसकी खिल्ली उड़ायी जाती है।परंतु भारत की इस प्राचीन पद्धति को स्मरण शक्ति बढ़ाने का एक कारगर हथियार माना जाता था।

3.विस्मरण होने के कारण (Causes of oblivion):

  • किसी प्रकरण का वर्षों तक दिमाग में बना रहना और किसी का कुछ ही दिनों में धूमिल हो जाना प्रायः इसी तथ्य पर आधारित होता है कि उस पर कितना ध्यान केंद्रित किया जाता है।देखा गया है की घटनाओं के प्रति अन्यमनस्कता बरती जाए,उपेक्षा भाव रखा जाए,उन्हें महत्त्वहीन एवं निरर्थक समझा जाए,तो वे स्मृतिपटल पर देर तक टिकती नहीं।इसके विपरीत यदि उन्हें तन्मयता के साथ एकाग्र होकर देखने-समझने का प्रयत्न किया जाए,तो उनकी छवि देर तक मस्तिष्क में बनी रहती है।अधिकांश महत्त्वपूर्ण घटनाएं व्यक्ति को आजीवन स्मरण रहती है;जबकि दूसरी विस्मृत हो जाती है।
  • औसत व्यक्ति अपनी स्वाभाविक स्मरणशक्ति का मात्र 10% प्रयोग करता है; जबकि 90% तो ऐसे ही मूर्च्छित और अस्त-व्यस्त स्थिति में पड़ी रहती हैं,फलतः मनुष्य मंदबुद्धि और सामान्य स्तर का बना रहता है।यदि प्रयास में कमी न की जाए तो ऐसे लोग भी नियमित अभ्यास द्वारा स्वयं को बौद्धिक दृष्टि से कहीं अधिक सक्षम बना सकते हैं।
  • विद्यार्थी प्रायः यह भूल किया करते हैं कि वह एक बार किसी विषय को याद करने के बाद फिर दोबारा उसे नहीं पढ़ते; जबकि उस विषय की बार-बार पुनरावृत्ति करते रहना चाहिए।
  • आज के तकनीकी युग में छात्र-छात्राएं मन को एकाग्र नहीं कर पाते हैं।वे घंटों इंटरनेट पर व्यस्त रहते हैं,टीवी देखते हैं,गैजेट्स का इस्तेमाल करते रहते हैं,इनका अत्यधिक इस्तेमाल करना ध्यान को भटकाने वाला होता है,मन की एकाग्रता को नष्ट करने वाला होता है।
  • कई विद्यार्थियों और व्यक्तियों में शारीरिक व मानसिक विकृति भी विस्मरण का कारण होती है।मस्तिष्क का अविकसित होना,मस्तिष्क की जन्मजात विकृति,किसी गंभीर दुर्घटना में सिर पर आघात लगना,गंभीर रोग या कुपोषण का शिकार होना,निरंतर चिंता व तनाव ग्रस्त रहना,जीवन में निरंतर हताशा व विफलता प्राप्त होना,आत्मविश्वास की बेहद कमी होना,किसी प्रियजन की आकस्मिक मृत्यु अथवा गहरा मानसिक आघात लगना आदि अनेक कारण स्मरण शक्ति कमजोर होने के लिए उत्तरदायी होते हैं।
  • किसी बात को स्मरण करने की पूर्व इच्छा का अभाव होना,प्रस्तुत विषय को पूरे मनयोग से समझने का प्रयास न करना,प्रसंग में अरुचि तथा उपेक्षा का भाव होना एवं उसके महत्त्व को स्वीकार नहीं करना आदि भी विस्मरण के कारण हो सकते हैं।मनोवृत्ति दूषित होने,दुःखद स्मृतियों को बार-बार याद रखना,असफलता के कारणों को दूर न करके असफलता को बार-बार याद करना आदि से लाभ तो कुछ होता नहीं है बल्कि इसके नुकसान ही नुकसान हैं।इनसे स्मरण शक्ति कमजोर होती है।
  • मोबाइल और इंटरनेट का सही और सीमित उपयोग जहां फायदेमंद है,वहीं इसकी अति जीवन में कई तरह के संकट पैदा कर रही है।बच्चे मोबाइल की लत के चलते भुलक्कड़ बन रहे हैं।हाल ही जोधपुर में की गई एक स्टडी में सामने आया है कि घंटों मोबाइल और इंटरनेट के इस्तेमाल बच्चों और युवाओं के दिमाग पर असर डाल रहा है।अल्जाइमर रिसर्च जनरल में प्रकाशित एक स्टडी में दावा किया गया है कि सेलफोन रेडिएशन से दिमाग के सेल्स में कैल्शियम का लेवल बढ़ जाता है,जो अल्जाइमर की बीमारी का मुख्य कारक है।
  • लंदन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक,इंटरनेट एक्स्पोज़र का दिमाग के न्यूराॅन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है।इससे बच्चों और युवाओं के स्वभाव में नकारात्मक बदलाव आ रहा है।ओवरथिंकिंग,लो कंसंट्रेशन के मामले दिनोदिन बढ़ रहे हैं।
  • चिकित्सकों के मुताबिक,पहले 60 साल की उम्र के बाद बुजुर्गों में डिमेंशिया के लक्षण दिखते थे,लेकिन मोबाइल और गैजेट्स के ज्यादा उपयोग से डिमेंशिया के लक्षण बच्चों और युवाओं में देखने को मिलने लगे हैं।मनोचिकित्सकों के अनुसार रोजाना कई घंटों तक सोशल मीडिया और वेब सीरीज देखने से कॉग्निटिव इंपेयरमेंट हो रहा है।इससे मेमोरी लॉस यानी डिजिटल डिमेंशिया (याददाश्त कमजोर होना) जैसी परेशानी हो रही है।इससे समय रहते इलाज नहीं लिया गया तो यह घातक बीमारी हो सकती है।

4.स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपाय (Ways to increase memory power):

  • स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए मन को एकाग्र रखना,बुद्धिबल बढ़ाने के प्रयास करना और होशपूर्वक कार्य करना (अध्ययन करना) इन तीनों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।मन को एकाग्र रखकर अध्ययन करेंगे तो कम समय में अध्ययन को याद कर पाएंगे,विस्मरण जल्दी से नहीं होगा,पढ़ा हुआ लंबे समय तक याद रहेगा।मन को एकाग्र करने के लिए इस वेबसाइट पर लेख पोस्ट किए हुए हैं अतः उन पर अमल करके मन को एकाग्र किया जा सकता है।
  • बुद्धिबल बढ़ाने के लिए कुछ तरीके अपनाने होंगे।पाठ को समझ कर बार-बार अभ्यास करने,सतत अभ्यास करने से बुद्धिबल बढ़ता है।दूसरा तरीका है कि आप जो भी लेसन पढ़े,उसको समझकर पढ़े,केवल रटने से हम उस विषयवस्तु को जल्दी भूल जाते हैं और बुद्धि भी तभी बढ़ती है जब हम उसे समझने का प्रयास करते हैं,समझते हैं।समझ कर पढ़ने के बाद उसे मन ही मन दोहराएं,पुनरावृत्ति करें और फिर उसे नोटबुक में लिखें,इसे स्मरण भी लंबे समय तक होगा और बुद्धिबल भी बढ़ेगा।इसके अलावा जो आपने विषयवस्तु पढ़ी है,जो पाठ अध्ययन किया है उसके बारे में अपने मित्रों से चर्चा करें अथवा उन्हें समझाने का प्रयास करें।इस प्रकार जितना अभ्यास करेंगे (समझकर),जितनी पुनरावृत्ति करेंगे तो स्मरण शक्ति भी बढ़ेगी और बुद्धिबल भी बढ़ेगा।साथ ही दिमाग में कामुक चिंतन,फालतू बातों के विचार न करें क्योंकि ये बुद्धिबल और स्मरण शक्ति को नष्ट करने वाले काम हैं।
  • पाठ्यपुस्तक पढ़ने के अलावा ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें,पत्र-पत्रिकाएं,व्यावहारिक जीवन के सूत्र पढ़ने का अभ्यास करें।पुस्तक पढ़ने,सतत अध्ययन करने के लिए कहने का अर्थ यह नहीं है कि हम आपको पढ़ाकू बनाने का परामर्श दे रहे हैं।दरअसल ज्ञान को व्यावहारिक जीवन में नहीं उतारते हैं,ज्ञान को आचरण में नहीं उतारते हैं,ज्ञान पर अमल नहीं करते हैं तो वह किताबी ज्ञान केवल किताबी कीड़ा ही बनाती है।
  • अब आपका यह प्रश्न हो सकता है कि विज्ञान,भूगोल के ज्ञान को व्यावहारिक जीवन में कैसे उतारेंगे? दरअसल इसलिए आपको यह परामर्श दिया जा रहा है कि पाठ्यपुस्तकों के अलावा व्यावहारिक ज्ञान,ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें पढ़ने के लिए कहा जा रहा है ताकि आप कोर्स की पुस्तकें पढ़ने के साथ-साथ एक आचरणवान,व्यावहारिक विद्यार्थी बन सकें।दूसरा पुस्तकों को समझकर पढ़ते हैं तब वह किताबी कीड़ा नहीं होता है।किताबी कीड़ा तब होता है जब किसी विषयवस्तु पर बिना मनन-चिंतन किए,बिना सोचे समझे केवल रटता है।इसलिए विषयवस्तु को समझकर बार-बार अभ्यास करें,सतत अभ्यास करें तो बुद्धिबल और स्मरण शक्ति बढ़ती जाएगी।
  • तीसरा बिंदु है कोई भी कार्य होशपूर्वक करना।होशपूर्वक अध्ययन,मनन-चिंतन करते हैं तो हम सक्रिय रहते हैं,निष्क्रिय नहीं रहते हैं,मन में फालतू के विचार,बुरे विचार,कामुक विचार या अन्य विचार नहीं आते हैं।जिस समय जो कार्य कर रहे हैं,ध्यान उसी विषयवस्तु पर केंद्रित रहता है।
  • स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए आपकी सकारात्मक इच्छा शक्ति होनी चाहिए,पाठ को पूर्ण एकाग्रचित होकर पढ़े और रुचिपूर्वक,लगन तथा निष्ठा के साथ अध्ययन करें।यह बात ठीक है कि कुछ एक में यह गॉड गिफ्टेड होती है,पर न भूलने योग्य तथ्य यह भी है कि शरीर के कई अंगों को व्यायाम (योगासन-प्राणायाम-ध्यान) द्वारा भी सबल-समर्थ बनाया जा सकता है।
  • जिन तत्वों को भविष्य में याद रखने की आवश्यकता समझी जाए,उनमें गहरी रुचि उत्पन्न करनी चाहिए और यह विचार करना चाहिए कि इस स्मरण से क्या लाभ और विस्मरण से क्या हानि होने की संभावना है? इतना सोच-विचार कर लेने के उपरांत किन्हीं तथ्यों की परत मस्तिष्क में देर तक जमाई जा सकेगी और उन प्रसंगों को भूल जाने की कठिनाई प्रायः नहीं ही उत्पन्न होगी।
  • घटनाओं को मात्र उनके कल्पना चित्र के रूप में नहीं,वरन तात्पर्य और फलितार्थ को भी ध्यान में रखते हुए मानसपटल पर जमाया जाए तो जल्दी याद भी हो जाएगी और देर तक टिकाऊ भी बनी रहेगी।फिर आवश्यकतानुसार उनको स्मरण करने में किसी को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी।
  • यदि विषय सामग्री लंबी और कठिन है,तो उसे एक ही प्रयास में याद करने की अपेक्षा कई प्रयासों में धीरे-धीरे याद करना चाहिए।पूर्ण विषयवस्तु को विभिन्न खण्डों में बाँटकर अलग-अलग खंड को याद करते हुए संपूर्ण विषयवस्तु को याद करना चाहिए।लेकिन स्मरण सामग्री छोटी तथा सरल होने पर एक ही प्रयास में याद करना उपयोगी होता है।धारण में वृद्धि के लिए स्मरण करने के बाद विश्राम करना अत्यंत उपयोगी होता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में स्मरण शक्ति बढ़ाने की 4 बेहतरीन तकनीक (4 Best Techniques to Increase Memory),छात्र-छात्राएँ स्मरणशक्ति कैसे बढ़ायें? (How Increase Students Memory Power?) के बारे में बताया गया है।

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5.फ्री में उत्तीर्ण करने का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (How to Pass for Free) (Humour-Satire):

  • डॉक्टर (मरीज शिक्षक से):अगर तुम मेरी दवा से ठीक हो गए,तो मुझे क्या इनाम दोगे।
  • शिक्षक:मैं छात्र-छात्राओं को बिना पढ़ाये पास कर देता हूं।मैं आपको आपके बच्चों को फ्री में बिना पढ़ाए पास कर दूंगा।

6.स्मरण शक्ति बढ़ाने की 4 बेहतरीन तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 4 Best Techniques to Increase Memory),छात्र-छात्राएँ स्मरणशक्ति कैसे बढ़ायें? (How Increase Students Memory Power?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.स्मृति से क्या आशय है? (What do you mean by memory?):

उत्तर:स्मृति का अर्थ है याद।स्मरण शक्ति इसी स्मृति को बरकरार रखने का कार्य करती है।हमारा ज्ञान,पूर्व इतिहास,पुराने संस्कार,पुरानी घटनाएं और सारा व्यवहार इस स्मृति के बल पर ही टिका हुआ है।यदि स्मृति का नाश हो जाए तो हमें यही ख्याल न रहे कि हम कौन हैं,हमारा घर कहां है और हमारा परिवार कौन है?

प्रश्न:2.भुलक्कड़ और स्मरणशक्ति संपन्न व्यक्ति में अंतर को स्पष्ट करें। (Explain the difference between forgetfulness and memory person):

उत्तर:स्मरण शक्ति की प्रखरता से मनुष्य अधिक विचारशील समझा जाता है और उसके ज्ञान की परिधि अधिक बड़ी होती है; जबकि भुल्लकड़ लोग महत्त्वपूर्ण ज्ञानसंचय से तो वंचित रहते ही हैं,साथ ही दैनिक कामकाज में भी जो आवश्यक था,उसे भी भूल जाते व समय-समय पर घाटा उठाते तथा ठोकरें खाते हैं।

प्रश्न:3.दिमागी ताकत बढ़ाने की औषधि बताएं। (Tell me the medicine to increase brain power):

उत्तर:दिमाग की ताकत केवल औषधि से नहीं बढ़ाई जा सकती है।मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ,सबल और निरोग रहने के साथ उचित प्रयास भी करना होगा।औषधि है:चार-पांच बादाम गिरी पीसकर गाय के दूध और मिश्री में मिलाकर पीने से मानसिक शक्ति बढ़ती है।आयुर्वेद के अनुसार ब्राह्मी,शंखपुष्पी,वच,असगंध,जटामासी,तुलसी समान मात्रा में लेकर चूर्ण का प्रयोग नित्य प्रति दूध के साथ सेवन करने पर मानसिक शक्ति,स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा स्मरण शक्ति बढ़ाने की 4 बेहतरीन तकनीक (4 Best Techniques to Increase Memory),छात्र-छात्राएँ स्मरणशक्ति कैसे बढ़ायें? (How Increase Students Memory Power?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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