3 Tips to Use Discretion to Solve Math
1.गणित को हल करने के लिए विवेक का प्रयोग की 3 टिप्स (3 Tips to Use Discretion to Solve Math),विवेक का विकास करने की 3 टिप्स (3 Tips to Develop Discretion):
- गणित को हल करने के लिए विवेक का प्रयोग की 3 टिप्स (3 Tips to Use Discretion to Solve Math) के आधार पर विद्यार्थी अपने विवेक को विकसित कर सकेंगे।यों विवेक की आवश्यकता हर व्यक्ति और हर विद्यार्थी को प्रत्येक कार्य में विवेक की आवश्यकता होती है।विवेक से काम न लेने के कारण न तो गणित विषय और न अन्य विषय की समस्याएं हल हो पाती हैं।न विद्यार्थी यह निर्णय कर पाते हैं की गणित की शुरुआत कहां से और कैसे करें?ऐसी स्थिति में सब कुछ उल्टा हो जाता है।
- पहले यह समझ लें कि विवेक होता क्या है?सद्बुद्धि (सात्त्विक बुद्धि) को पूर्ण सजगता,सतर्कता के साथ प्रयोग में लेना ही विवेकपूर्वक कार्य करना है।सद्बुद्धि यम (अहिंसा,सत्य,अस्तेय,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह),नियम (शौच,संतोष,तप,स्वाध्याय,भगवद् भक्ति),आस्तिक,धर्मयुक्त,तर्क व युक्तियुक्त,शांत,धैर्य,अनासक्ति,श्रद्धा,हर्ष,आनंद,मेधा,एकाग्रता,मनन-चिंतन इत्यादि गुणों को धारण करने वाली होती है।इस प्रकार इन गुणों को बुद्धि धारण तभी कर सकती है जबकि वह अनुभव से गुजरती है।जैसे गणित के हल को किसी पासबुक या पुस्तक में हल पढ़ लेने से सवाल को विद्यार्थी हल नहीं कर सकता है क्योंकि पढ़ने से केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करता है।जब वह उस सवाल को नोटबुक में हल करता है तभी उसे सवाल का हल ठीक से समझ में आ सकता है।तात्पर्य यह है कि पढ़ने के साथ गणित का अभ्यास भी आवश्यक है।सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ प्रैक्टिकल ज्ञान भी आवश्यक है।
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2.विवेक के साथ धैर्य धारण करें (Be Patient with Wisdom):
- विद्यार्थी चाहे अध्ययन कार्य करें,गणित के सवाल हल करें अथवा दैनिक जीवन के अन्य कार्य करे तो उसमें सफल होने के लिए विवेक के साथ धैर्य धारण करना भी जरूरी है।क्योंकि बिना धैर्य के मन की एकाग्रता कायम नहीं रहती है।मन अस्थिर और चलायमान रहता है।इसलिए मन को एकाग्र करने के लिए विवेक और धैर्य का होना जरूरी है।मन अस्थिर और उच्चाटन की स्थिति में होगा तो गणित तो बहुत दूर की बात है,कोई भी कार्य सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।धैर्य तभी रह सकता है जब मन शांत और चित्त स्थिर हो,मन में किसी प्रकार की चिंता व तनाव न हो,मन में हर्ष और आनंद हो,दुखी न हो।
- विवेक का अर्थ केवल बुद्धि नहीं होता है बल्कि अच्छे-बुरे,उचित-अनुचित,हानि-लाभ,जय-पराजय,शुभ-अशुभ का ज्ञान हो।समझपूर्ण ज्ञान हो,विवेचनापूर्ण समझ हो उसे विवेक कहते हैं। विवेक (Discretion,Wisdom) और ज्ञान में यही फर्क है कि ज्ञान का अर्थ जानना है परंतु जिस ज्ञान से व्यक्ति चतुर बनता है वह विवेक है।ज्ञान अच्छा और बुरा दोनों हो सकता है।जबकि विवेक अच्छे और बुरे की पहचान रखता है,उसका विश्लेषण कर सकता है।अतः विवेकपूर्वक काम करने वाला विद्यार्थी कभी गलत और बुरे कार्य नहीं करता है। चाणक्य नीति में कहा है कि:
- “विवेकिनमनुप्राप्ता गुणायान्ति मनोज्ञताम्।
सुतरां रत्नामाभाति चामीकरनियोजितम्।।” - अर्थात् गुण विवेकी मनुष्य को पाकर विकसित हो उठते हैं जैसे सोने में जड़ा हुआ रत्न अत्यंत सुंदर दिखाई देने लगता है।धैर्य भी एक गुण है अतः विवेकवान् विद्यार्थी के अन्य गुण धैर्य,साहस,एकाग्रता,अभ्यास इत्यादि खिलने लगते हैं,विकसित होने लगते हैं।जितने भी महान् वैज्ञानिक और गणितज्ञ हुए हैं उन्होंने विवेक के साथ धैर्य तथा अन्य गुणों को धारण किया है तभी वे सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ पाए हैं और अपने क्षेत्र में शिखर पर पहुंचे हैं।
3.विद्यार्थी अच्छी संगति में रहे (Students Will Remain in Good Company):
- हमारा जन्म इस पृथ्वी पर पहली बार नहीं हुआ है,अनेक बार मनुष्य योनि में जन्म हो चुका है। मनुष्य योनि में जन्म लेने पर पिछले जन्म में किए गए शुभ-अशुभ,अच्छे-बुरे कर्मों के संस्कार हमारे अंतः करण में सूक्ष्म रूप से विद्यमान रहते हैं। विद्यार्थी जिस प्रकार के लोगों और सहपाठियों की संगति में रहता है तब वैसे ही संस्कार जागृत हो उठते हैं।यदि विद्यार्थी अपने से श्रेष्ठ,मेधावी और कुशल छात्र-छात्राओं की कंपनी में रहते हैं तो उसके पुराने वैसे ही संस्कार जाग उठते हैं।वह भी कठिन परिश्रम,अध्ययन,मनन-चिंतन करके गणित में मेधावी बनने का प्रयास करता है।धीरे-धीरे अभ्यास से उसे गणित और अन्य विषयों पर अच्छी पकड़ हो जाती है।परन्तु वह अय्याश,मौज-मस्ती,आवारागर्दी तथा फालतू के कार्य में संलग्न सहपाठी के साथ रहता है तो उसके बुरे संस्कार जागृत हो जाते हैं।वह परीक्षा में सफल होने के लिए उससे नकल करना,अनुचित साधनों का उपयोग तथा परीक्षा में तिकड़म भिड़ाने के तरीके सीखता जाता है और उसके बुरे संस्कार भी उसे ऐसा ही करने को प्रेरित करते हैं।ऐसे विद्यार्थी विवेक का प्रयोग नहीं कर पाते हैं।विवेकहीन विद्यार्थी के पास अच्छा गुण भी हो तो अच्छे और भरपूर फल नहीं दे पाता है।विवेकपूर्ण कार्य सुखद परिणाम देते हैं जबकि विवेकरहित किए गए कार्य दुखद परिणाम देते हैं।
- विवेकवान् विद्यार्थी अपने पुस्तकों का अध्ययन करके ज्ञान का संचय करता जाता है तथा अन्य लोगों को भी लाभान्वित करता है जबकि विवेकहीन विद्यार्थी अपने गुणों का दुरुपयोग करता है।वह उसके पास संचित ज्ञान का अपव्यय करता है।
- परीक्षा भवन में जिन छात्र-छात्राओं ने नकल व अनुचित साधनों का प्रयोग किया है उसे उसकी आत्माशक्ति धिक्कारती है।जबकि जो परीक्षार्थी विवेकपूर्ण अध्ययन करते हैं,व्यर्थ की बातें नहीं पढ़ते हैं।उनको परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलता है और उनको सफलता प्राप्त होने पर आत्मिक सुख की अनुभूति होती है।
- छात्र-छात्राओं तथा प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने वाले कैंडिडेट्स को हर कदम पर विवेक की आवश्यकता होती है।ऐच्छिक विषय का चयन करते समय,अपनी प्रतिभा के अनुकूल जाॅब का चयन करने,प्रतियोगिता परीक्षा में विषय का चयन करने,अध्ययन करने के दौरान रणनीति अपनाने,प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए अपने अनुकूल रणनीति अपनाने,प्रश्न-पत्र को हल करने में हर कहीं विवेक की आवश्यकता होती है।
- इस प्रकार विवेक अन्य गुणों को सार्थकता प्रदान करता है और प्रत्येक को सही दिशा का निर्धारण करने में सहायता प्रदान करता है।विवेक के अभाव में अन्य समस्त गुण ज्ञान का खोखला प्रदर्शन और मिथ्याभिमान बन कर रह जाते हैं।बुद्धिमानी दुष्टता का रूप ले लेती है और सद्गुण निर्बलता के सूचक बन जाते हैं।विवेकहीन विद्यार्थी अपने पूर्वाग्रहों का दास बन जाता है।यदि विद्यार्थी में अन्य गुण भी हैं तो भी विवेक के बिना उसका जीवन अनुपयोगी और असफल होकर रह जाते हैं।परन्तु इसी गुण के कारण उसके गुण सहयोगी हो जाते हैं और वह आगे से आगे बढ़ता और सफलता प्राप्त करता जाता है।
4.विवेक से काम लेने का दृष्टांत (An example of Acting Discretion):
- विश्वजीत नाम का एक विद्यार्थी था।अल्पायु में ही उसके पिता की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई थी।विश्वजीत को अध्ययन करने के लिए शुरू से ही कठिन संघर्षों का सामना करना पड़ा।कभी उसके पास कोई पुस्तक नहीं होती तो कभी उसको फीस जमा कराने के लाले पड़ जाते थे।जैसे-तैसे उसने पार्ट टाइम काम करके कक्षा आठ उत्तीर्ण कर ली। आठवीं की ग्रीष्मकालीन छुट्टियां प्रारंभ होते ही उसके बड़े भाई ने उसको जॉब सीखने हेतु जयपुर भेज दिया।जयपुर जाने पर विश्वजीत का मन जाॅब में नहीं लगता था।वह हमेशा यही सोचता रहता कि किस युक्ति से उसे यहां से बाहर निकलकर अध्ययन करना चाहिए।
- उसने अपने जीजाजी को ग्रीष्मकालीन छुट्टियां समाप्त होते ही कहा कि मुझे घर से आए हुए बहुत दिन हो गए हैं,अब मैं घर जाऊंगा।उन्होंने सहमति दे दी और घर पर छोड़ कर चले गए।पश्चात विश्वजीत ने अपनी मां को कहा कि मैं तो पढ़ना चाहता हूं।यदि आप फीस तथा पुस्तकों का खर्चा वहन नहीं कर सकते हो तो मैं स्वयं पार्ट टाइम जॉब करूंगा। उसकी मां ने सहमति दे दी।इसके पश्चात विश्वजीत ने पार्ट टाइम जॉब करते हुए बीएससी की।हालांकि बाद में भाई साहब भी सहमत हो गए और कुछ खर्चा उन्होंने भी दिया।विश्वजीत ने अपने विवेक का उपयोग किया और उस संकट से बाहर निकले भी तथा अपनी पढ़ाई पूरी की।विवेक हमारा सबसे अच्छा मित्र है जो हमें विपत्ति पर विजय प्राप्त करने में मदद करता है।विवेकपूर्वक चिंतन करने से समस्या का हल भी निकल जाता है परन्तु चिन्ता करने से हमारे अन्दर निर्बलता पैदा हो जाती है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणित को हल करने के लिए विवेक का प्रयोग की 3 टिप्स (3 Tips to Use Discretion to Solve Math),विवेक का विकास करने की 3 टिप्स (3 Tips to Develop Discretion) के बारे में बताया गया है।
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5.गणित में अच्छे अंक लाने का आशीर्वाद (हास्य-व्यंग्य) (Blessings to Score Good Marks in Mathematics) (Humour-Satire):
- रिंकू (गणित मैडम से):मुझे आशीर्वाद दें की परीक्षा में गणित में बहुत अच्छे अंक प्राप्त हो जाऊं।
- गणित मैडम (रिंकू से):क्या तुमने गणित के सवालों को हल कर लिया और गणित की पुनरावृत्ति कर ली है?
- रिंकू (गणित मैडम से):गणित के सवालों का अभ्यास करता,हल करता और रीविजन करता तो आपसे आशीर्वाद लेने क्यों आती?
- गणित मैडम (रिंकू से):केवल आशीर्वाद और मंत्रों से अच्छे अंक आते तो झाड़-फूंक करने वाले सड़कों की खाक नहीं जानते फिरते बल्कि महलों में रहते।
6.गणित को हल करने के लिए विवेक का प्रयोग की 3 टिप्स (3 Tips to Use Discretion to Solve Math),विवेक का विकास करने की 3 टिप्स (3 Tips to Develop Discretion) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.क्या प्राचीन भारतीय शिक्षा अच्छी है? (Was Ancient Indian Education Good?):
उत्तर:कोई वस्तु या शिक्षा प्राचीन होने से श्रेष्ठ नहीं हो जाती है और न कोई वस्तु या शिक्षा आधुनिक (नवीन) होने से ही श्रेष्ठ होती है।विवेकयुक्त ज्ञान से परीक्षा करके यह तय करना चाहिए कि प्राचीन भारतीय शिक्षा तथा आधुनिक भारतीय शिक्षा की कौनसी बातें श्रेष्ठ हैं।केवल पूर्वाग्रह और हठवादिता के आधार पर निर्णय नहीं लेना चाहिए।
प्रश्न:2.विवेक का विकास कैसे किया जा सकता है? (How Discretion can be Developed?):
उत्तर:अच्छे आचरण का पालन करने,सज्जनों की संगति,अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करने से विवेक का विकास किया जा सकता है।मन में अहंकार को कम कर करके विवेक का विकास किया जाए।पहला सकारात्मक तरीका है तो दूसरा नकारात्मक तरीका है।
प्रश्न:3.विवेकहीन व्यक्ति का क्या हाल होता है? (What Happens to a Person without Discretion?):
उत्तर:जैसे स्वर्ग से च्युत होकर शिवजी के सिर पर,शिवजी के सिर से हिमालय पर्वत पर,हिमालय से पृथ्वी पर और फिर पृथ्वीतल से गिरती हुई गंगा लघुपद को प्राप्त हुई।वस्तुतः विवेकहीन पुरुष का पतन सैकड़ों प्रकार से होता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित को हल करने के लिए विवेक का प्रयोग की 3 टिप्स (3 Tips to Use Discretion to Solve Math),विवेक का विकास करने की 3 टिप्स (3 Tips to Develop Discretion) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
3 Tips to Use Discretion to Solve Math
गणित को हल करने के लिए विवेक का प्रयोग की 3 टिप्स
(3 Tips to Use Discretion to Solve Math)
3 Tips to Use Discretion to Solve Math
गणित को हल करने के लिए विवेक का प्रयोग की 3 टिप्स (3 Tips to Use Discretion to Solve Math)
के आधार पर विद्यार्थी अपने विवेक को विकसित कर सकेंगे।
यों विवेक की आवश्यकता हर व्यक्ति और हर विद्यार्थी को प्रत्येक कार्य में विवेक की आवश्यकता होती है।
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