3 Tips to Make Students Brilliant
1.गणित में तेजस्वी बनने के 3 टिप्स (3 Tips to Make Students Brilliant),गणित में निपुणता और दक्षता कैसे प्राप्त करें? (How to Acquire Mastery and Proficiency in Mathematics?):
- गणित में तेजस्वी बनने के 3 टिप्स (3 Tips to Make Students Brilliant) के आधार पर छात्र-छात्राएं अपने आपमें अद्भुत बदलाव कर सकते हैं।अक्सर गणित के विद्यार्थी यह अनुभव करते हैं अथवा देखें-सुने जाते हैं कि उनके द्वारा कठिन परिश्रम करने पर भी गणित में दक्षता प्राप्त नहीं हो सकी।गणित में प्रखर,तेजस्वी,निपुण और पारंगत होने के लिए कुछ आवश्यक गुणों को बढ़ाना होता है।केवल एक ही गुण के आधार पर तथा साधन-सुविधाओं का उपयोग करके गणित में तेजस्वी (Brilliant) बनना बहुत मुश्किल है।कोई भी व्यक्ति शिखर पर पहुंचा है तो उसने अपने आपमें बहुत से गुणों का समावेश किया है,बहुत से गुणों को विकसित किया है।
- बहुत से विद्यार्थी यंत्रवत् गणित के सवालों को हल करते जाते हैं।रोजाना समय देकर गणित के सवालों को हल करते हैं।यदि गणित के सवालों को हल करने पर भी आपकी प्रगति नहीं हो रही है,आपका रूपांतरण नहीं हो रहा है,आपको गणित में नई जानकारी,नई बातें जानने को नहीं मिल रही है तो इस प्रकार से गणित हल करना यंत्रवत् हो जाता है।
- उदाहरणार्थ मंदिर में पुजारी रोजाना सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पूजा-पाठ करता है।उसके जीवन में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिलता हैं।कहने का तात्पर्य है कि केवल प्रयत्न करने से,कठिन परिश्रम करने से,अभ्यास करने से गणित में पारंगत नहीं हुआ जा सकता है।जैसे एक मजदूर कड़ी धूप में कठिन परिश्रम करता है परंतु आजीवन निम्न स्तर का जीवनव्यापन करता है।ऐसी बात नहीं है कि कठिन परिश्रम का फल नहीं मिलता है।अवश्य मिलता है परंतु वह इतना अल्प होता है कि दिखाई नहीं देता है।इस आर्टिकल में कुछ ऐसी टिप्स बताई जा रही है जिसके आधार पर आप गणित में प्रखर,तेजस्वी,निपुण और पारंगत हो सकते हैं।
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2.संघर्ष की भट्टी में तपश्चर्या (Asceticism in the Furnace of Conflict):
- गणित में आने वाली कठिनाइयों,समस्याओं से न घबराकर जो डटकर मुकाबला करता है उसे ही गणित रूपी विद्या प्राप्त हो सकती है।उदाहरणार्थ अर्जुन एक बार रात के अंधेरे में तीरंदाजी का अभ्यास कर रहे थे तब द्रोणाचार्य जी जग गए।तब द्रोणाचार्य ने कहा कि मैंने तुम्हें यह विद्या सीखायी ही नहीं फिर तुम कैसे इसका अभ्यास कर रहे हो? तब अर्जुन ने कहा कि पिछली रात के अंधेरे में जब मैं भोजन कर रहा था तो ग्रास मुँह में ही जा रहा था।तब मैंने सोचा कि अंधेरे में भी लक्ष्य को साधा जा सकता है।इसलिए अब मैं अंधेरे में लक्ष्य भेदने का अभ्यास कर रहा हूं।
- दुर्योधन के पास अर्जुन से बड़ी फौज थी तथा उसके पास धनुर्धरों की भी कमी नहीं थी फिर भी वह हार गया।कारण स्पष्ट है कि अर्जुन का जन्म तथा पालन पोषण कठिनाइयों,संघर्षों का सामना करते हुए हुआ।वनवास में भी हिडिम्ब जैसे दुर्दांत राक्षसों,आतताइयों से लोहा लेना।वनवासी जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए उसे फौलाद जैसा बना दिया।संघर्षों की भट्टी में तपकर वह निखरता गया।उसने वनवासी जीवन व्यतीत करते हुए ही कई विद्याएँ सीखी।भगवान शंकर से पाशुपत अस्त्र प्राप्त करना,देवराज इंद्र से वज्र प्राप्त किया।इस प्रकार आतताइयों से संघर्ष करते उसने अपने आपको दुर्जेय बना लिया।
- इसके विपरीत दुर्योधन राजमहल में पला और बड़ा हुआ।उसने सुख-सुविधाओं का उपभोग किया। संघर्षों का उसे अनुभव ही नहीं हुआ।महाभारत में इतनी बड़ी सेना और धनुर्धरों के होते हुए भी उसे पराजित होना पड़ा।अर्जुन तथा पाण्डवों ने अपार कष्ट सहकर अनेक विद्याएँ सीखी और थोड़ी सेना होते हुए भी विजयी हुए।
- गणित विद्या को ग्रहण करने में भी अपार कष्ट सहन करने होते हैं।कोई सवाल नहीं आता है,कोई बताने वाला सच्चा मार्गदर्शक नहीं मिल पाता है।कई लोग दिग्भ्रमित करते हैं कि दसवीं तक ही गणित है फिर गणित से पीछा छूट जाएगा।खुद की दुर्बल मनोस्थिति के कारण भी गणित के सवालों,समस्याओं से घबराकर उसको छोड़ देते हैं।आगे की कक्षाओं में गणित विषय को ऐच्छिक विषय न लेने का प्रण करते हैं।इस प्रकार जो कष्टों और कठिनाइयों से कन्नी काटते हैं वे विद्या के मर्म को नहीं समझते हैं।विद्या रूपी अमृत को वही ग्रहण कर सकता है जो अपार कष्टों को सहन करते हुए भी सीखते चला जाता है।
3.अभ्यास के साथ बुद्धि विद्या और स्मृति आवश्यक (Wisdom and Memory Essential with Practice):
- अभ्यास के बल पर भी गणित में शिखर पर पहुंचना मुश्किल है।जो व्यक्ति यह नहीं सोचता है कि गणित को हल करने का उसका प्रयोजन क्या है? गणित को हल करने की सही दिशा क्या है? गणित के सवालों और समस्याओं को सतर्कता और सावधानी के साथ हल नहीं करता है ऐसा विद्यार्थी बस गणित का अभ्यास करता रहता है परंतु उसे मंजिल नहीं मिलती है।जब तक बुद्धिपूर्वक गणित के सवालों को हल नहीं करता है,नई-नई बातें,नई नई खोजों को जानने का प्रयास नहीं करता है और न गणित के सूत्रों,सिद्धांतों को स्मरण रखता है तो ऐसा विद्यार्थी भटक जाता है।
- जब तक अभ्यास के साथ बुद्धि का संयोग नहीं होगा तब तक गणित में उन्नति करना,प्रगति करना,शिखर की ओर अग्रसर होना,निपुणता और दक्षता प्राप्त करना असंभव है।
- बुद्धिपूर्वक सवालों को हल करना,किए गए कार्य की समीक्षा करना और अपनी कमजोरियों का पता लगाकर दूर करते रहने से गणित में आगे बढ़ा जा सकता है।जिसका ध्यान केवल सवालों को हल करने,अभ्यास करने में लगा रहता है लेकिन बुद्धि,विवेक और स्मृति का उपयोग नहीं करता है उसको कुछ सफलता तो मिलती है परंतु उच्चकोटि का गणितज्ञ नहीं बन सकता है।
- रोज-रोज गणित हल करने पर न भौतिक उन्नति होती है और न नियमितता,कठिन परिश्रम,अनुशासन,नियत समय पर काम करना,संयम,ईमानदारी,कर्तव्यनिष्ठा,सत्य बोलना इत्यादि गुण विकसित नहीं होते हैं तो गणित को हल करना प्रतीक पूजा बन कर रह जाती है।सामान्य विद्यार्थी यह अनुभव ही नहीं कर पाता है कि आज उसने गणित में विशेष ज्ञान अर्जित किया है,कोई नई बात सीखी है।गणित के सवालों को,सिद्धांतों को हल करके मेरा दिमाग विकसित हुआ है ऐसा अनुभव ही नहीं कर पाता है।इन सबका कारण है कि विद्यार्थी गणित का अभ्यास तो करते हैं परंतु अपनी बुद्धि और स्मृति का प्रयोग नहीं करते हैं या बहुत कम करते हैं।गणित के सवालों को हल करने पर विद्यार्थी के आंतरिक जीवन का रूपांतरण भी होना चाहिए।गणित के कठिन सवालों को हल करने पर और हल न करने पर चिन्तन-मनन करना चाहिए।चिन्तन-मनन करने से न केवल गणित के सवाल हल होते हैं बल्कि उसके आंतरिक गुण भी खिलते हैं।विद्यार्थी तप,साधना,विद्वता,सहनशील, विवेक,वैराग्य,धार्मिक, सुसंस्कारों से युक्त हो जाता है।ऐसा विद्यार्थी का आंतरिक जीवन निर्मल और अति उत्तम हो जाता है।
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4.योग्य शिक्षक के पास शिक्षा प्राप्त करना (Getting an Education with a Qualified Teacher):
- विद्यार्थी में प्रतिभाशाली उसी को कहा जा सकता है जिसके शरीर,बुद्धि,विवेक (अंतकरण) तीनों विकसित होते हैं।परंतु सामान्यतया हम जिसमें बौद्धिक विकास काफी हो चुका होता है उसे ही प्रतिभाशाली समझते हैं।यह मान्यता गलत तो नहीं है परंतु यह अंशत ही सत्य है।प्रतिभा का सही अर्थ है विद्यार्थी की संपूर्ण क्षमताओं का विकास होना।
- विद्यार्थियों की क्षमताओं,प्रतिभा को निखारना, उभारना,पल्लवित करना,जाग्रत करना,चमकाना,विकसित करना एक महान शिक्षक द्वारा ही संभव है।
- उदाहरणार्थ अर्जुन महाभारत का युद्ध करने के लिए तैयार नहीं था किंकर्तव्यविमूढ़ हो रहा था,पलायन करने की सोच रहा था।परंतु श्रीकृष्ण ने उसे महाभारत युद्ध के लिए तैयार किया और उसकी संपूर्ण प्रतिभा को दुनिया के सामने प्रकट किया। समर्थ गुरु रामदास जैसे संत का सानिध्य नहीं मिलता तो शिवाजी गजब का पराक्रम कर सकने में समर्थ नहीं हो पाते।रामकृष्ण परमहंस ही थे जिन्होंने नरेंद्र को विश्व के सामने विवेकानंद के रूप में ख्याति दिलाई।उसकी संपूर्ण शंकाओं का न केवल समाधान किया बल्कि उनका पूरी तरह कायाकल्प और रूपांतरण कर दिया।विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम लहराया।स्वामी विरजानंद जैसे योग्य गुरु न मिलते तो शायद स्वामी दयानंद सरस्वती भटकते रहते।
- विद्यार्थी को प्रखर,तेजस्वी और महान शिक्षक का सानिध्य मिल जाता है तो गणित जैसे विषयों में पारंगत करना कोई बड़ी बात नहीं है।जिस प्रकार रेल का इंजन पूरी रेल गाड़ी को खींचकर ले जाता है उसी प्रकार एक समर्थ शिक्षक विद्यार्थियों की संपूर्ण प्रतिभा का उद्घाटन कर देते हैं।ऐसा शिक्षक विद्यार्थी को चाहे जिस दिशा में आगे बढ़ा सकता है।यह चाणक्य जैसा शिक्षक ही कर सकता है कि जिसने अहंकारी नंदवंश के शासक घनानंद को समाप्त करके चंद्रगुप्त मौर्य को शासक बना दिया।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में तेजस्वी बनने के 3 टिप्स (3 Tips to Make Students Brilliant),गणित में निपुणता और दक्षता कैसे प्राप्त करें? (How to Acquire Mastery and Proficiency in Mathematics?) के बारे में बताया गया है।
5.छात्रों द्वारा गणित पढ़ाना (हास्य-व्यंग्य) (Teaching Mathematics by Students) (Humour-Satire):
- गणित अध्यापक (छात्र से):बताओ तुमने आज कौनसा अच्छा काम किया?
- छात्र:सर (sir) आज मैंने पांच मित्रों के साथ मिलकर एक महिला को गणित पढ़ाई।
- गणित अध्यापक:शाबाश,परंतु यह तो बताओ कि एक महिला को गणित पढ़ाने के लिए 5 विद्यार्थियों की जरूरत कहां से आ गई?
- छात्र:क्योंकि वह महिला गणित पढ़ना ही नहीं चाह रही थी।इसलिए हम पांचों ने मिलकर बड़ी मुश्किल से उसे गणित पढ़ाने के लिए तैयार किया।
6.गणित में तेजस्वी बनने के 3 टिप्स (3 Tips to Make Students Brilliant),गणित में निपुणता और दक्षता कैसे प्राप्त करें? (How to Acquire Mastery and Proficiency in Mathematics?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.विद्यार्थी का जीवन कैसा होना चाहिए? (What should a Student’s Life be Like?):
उत्तर:विद्यार्थी के आंतरिक और बाह्य जीवन में एकतारूपता होनी चाहिए।अंदर से निर्मल और पवित्र विचार हो तो उसे बाहरी रूप से भी विनम्र,सहनशील तथा व्यवहार कुशल होना चाहिए। ऐसा न हो कि बाहर से तो भला दिखता हो और अंदर से निकृष्ट,घटिया,कपटी,अन्यायी,पक्षपाती,छद्मी हो।
प्रश्न:2.गणित को हल करने में अभ्यास का क्या महत्व है? (What is the Importance of Practice in Solving Mathematics?):
उत्तर:अभ्यास न करने से गणित के सवालों को हल न करने की लंबी कतार खड़ी हो जाती है जिससे मन की शांति भंग होती है।यदि आज के गणित के कार्य को कल पर डाल दिया जाए तो कार्य का बोझ निरंतर बढ़ता जाता है।इसलिए गणित का निरंतर अभ्यास और नियमित अभ्यास करने की आवश्यकता है।
प्रश्न:3.गणित का ज्ञान कैसे प्राप्त करें? (How to Get knowledge of Mathematics?):
उत्तर:रोज शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों से गणित पढ़ना।थोड़ा-थोड़ा ही गणित को हल करें परंतु नियमित रूप से सीखते रहें,निरंतर सीखते रहें तो साल भर में ज्ञान का कोश संचित हो जाएगा। रोजाना थोड़ा सा समय देकर गणित का ज्ञान अर्जित करते रहे तो भी आप परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाएंगे।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में तेजस्वी बनने के 3 टिप्स (3 Tips to Make Students Brilliant),गणित में निपुणता और दक्षता कैसे प्राप्त करें? (How to Acquire Mastery and Proficiency in Mathematics?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
3 Tips to Make Students Brilliant
गणित में तेजस्वी बनने के 3 टिप्स
(3 Tips to Make Students Brilliant)
3 Tips to Make Students Brilliant
गणित में तेजस्वी बनने के 3 टिप्स (3 Tips to Make Students Brilliant) के
आधार पर छात्र-छात्राएं अपने आपमें अद्भुत बदलाव कर सकते हैं।
अक्सर गणित के विद्यार्थी यह अनुभव करते हैं अथवा देखें-सुने जाते हैं कि
उनके द्वारा कठिन परिश्रम करने पर भी गणित में दक्षता प्राप्त नहीं हो सकी।
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